राजनीतिक सिद्धांत PDF

Document Details

Uploaded by Deleted User

Tags

political_theory political_science political_thought political_systems

Summary

इस दस्तावेज़ में राजनीतिक सिद्धांतों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है, जिसमें परिभाषाएँ, विचारक, और विभिन्न सिद्धांत शामिल हैं।

Full Transcript

# बी०ए० प्रथम सेमेस्टर राजनीतिक सिद्वांत ## वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1. "राजनीति शास्त्र राज्य से आरम्भ होता है एवं राज्य पर समाप्त" यह परिभाषा दी गई है"- गार्नर 2. राजनीति विज्ञान को किस विचारक ने 'पूर्ण' या 'सर्वोच्च विज्ञान' परम विज्ञान माना है ? अरस्तू 3. राजनीति विज्ञान को विज्ञान किस कारण कहा जाता...

# बी०ए० प्रथम सेमेस्टर राजनीतिक सिद्वांत ## वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1. "राजनीति शास्त्र राज्य से आरम्भ होता है एवं राज्य पर समाप्त" यह परिभाषा दी गई है"- गार्नर 2. राजनीति विज्ञान को किस विचारक ने 'पूर्ण' या 'सर्वोच्च विज्ञान' परम विज्ञान माना है ? अरस्तू 3. राजनीति विज्ञान को विज्ञान किस कारण कहा जाता है? - सिद्धान्तों की मतैक्यता - निर्णयों की सुनिश्चितता - परिणामों की भविष्यवाणी - क्रमबद्ध अध्ययन 4. राजनीति विज्ञान का परम्परागत दृष्टिकोण मुख्यतः केन्द्रित था - सरकार व राज्य के अध्ययन पर - शक्ति व वैधता के अध्ययन पर - राजनीतिक व्यवस्था के अध्ययन पर - राजनीतिक प्रक्रियाओं के अध्ययन पर 5. 'राजनीति विज्ञान सरकार से संबंधित विज्ञान है।" यह परिभाषा दी है - गिलक्राईस्ट ने - सीले ने - लीकॉक ने - उपर्युक्त में से किसी ने नहीं 6. परम्परागत राजनीति विज्ञान के अध्ययन क्षेत्र में सम्मिलित नहीं है - राज्य का अध्ययन - सरकार का अध्ययन - राजनीतिक दल व दवाब समूहों का अध्ययन - सार्वजनिक समस्याओं के संदर्भ में संघर्ष व सहमति का अध्ययन 7. राजनीति विज्ञान को निम्न में से कौनसा तर्क विज्ञान न होने की पुष्टि करता है ? - राजनीति विज्ञान अपने अध्ययन की विषय वस्तु का क्रमबद्ध व व्यवस्थित ज्ञान प्रस्तुत करती है - राजनीति विज्ञान कार्य-कारण में पारस्परिक सम्बन्ध को व्यक्त करती है - राजनीति विज्ञान में सर्वमान्य सिद्धान्तों का अभाव है - राजनीति विज्ञान में पर्यवेक्षण व प्रयोग सम्भव है ## उत्तरमाला वस्तुनिष्ठ प्रश्न : 1. (अ) 2 (अ) 3 (द) 4 (अ) 5 (स) 6 (द) 7 (स ## राजनीति विज्ञान के जनक हैः- अरस्तू - राजनीति विज्ञान का प्रथम दार्शनिक है- प्लेटो - आधुनिक राजनीति विज्ञान का जनक है- मैकियावेली - अरस्तू के राजनीतिक ग्रंथ का नाम है- पालिटिक्स - कैटलिनः - राजनीतिविज्ञान शक्ति का विज्ञान है। - पालिटिक्स शब्द की उत्पत्ति किस भाषा से हुई हैः- यूनानी - "शक्ति भ्रष्ट करती है और सम्पूर्ण शक्ति सम्पूर्ण भ्रष्ट करती है।" - लार्ड एक्टन का - बट्रैल रसलः- शक्ति का आशय है मनचाहा प्रभाव पैदा करना ## हैराल्ड लासवेल के अनुसार शक्ति राजनीति विज्ञान की मुख्य विषयवस्तु है। इसलिए लासवेल ने अपनी पुस्तक का नाम ही "कौन, कब, क्या, कैसे प्राप्त करता है (Politics: Who gets, what, when how") - आर्गेन्सकी के शब्दों में "शक्ति दूसरे के आचरण को अपने लक्ष्यों के अनुसार प्रभावित करने की क्षमता है।" - राबर्ट बायर्सटेड के अनुसार, "शक्ति बल प्रयोग की योग्यता है न कि उसका वास्तविक प्रयोग।" - शक्ति के स्त्रोतः- ज्ञान, प्राप्ति, संगठन, आकार - शक्ति को प्रयोग में लाने का तरीकाः- साम/अनुनय / समझाना, दाम / पुरस्कार/सम्मान दण्ड, भेद, बल प्रयोग - सामान्य शब्दों मेंः- जब शक्ति के साथ जब वैधता जुड़ती है तब वह सत्ता कहलाती है। दूसरे शब्दों में वैध शक्ति ही सत्ता है। - सत्ता की परिभाषाः- - बायर्सटेड "सत्ता शक्ति के प्रयोग का संस्थात्मक अधिकार है।" - हेनरी फेयोल "सत्ता आदेश देने का अधिकार और आदेश का पालन करवाने की शक्ति है।" - शक्ति, राजनीति विज्ञान की केन्द्रीय अवधारणा है। - शक्ति के विविध रूप/प्रकार – राजनीतिक, आर्थिक व विचारधारात्मक शक्ति है। - शक्ति की संरचना के चार सिद्धान्त वर्ग प्रभुत्व का सिद्धान्त, विशिष्ट वर्गीय सिद्धान्त, नारीवादी सिद्धान्त, बहुलवादी सिद्धान्त । - सत्ता पालन के आधार - विश्वास, एकरूपता, लोकहित व दबाव है। - सत्ता के तीन रूप है - परम्परागत सत्ता, करिश्माई सत्ता व कानूनी तर्क संगत सत्ता । - वैधता - शक्ति व सत्ता के बीच की कड़ी है। ## व्यवहारवाद की परिभाषा - जब राजनीति विज्ञान के अंतर्गत मानव व्यवहार के अध्ययन पर बल दिया जाता है, तो उसे व्यवहारवाद के नाम से जाना जाता है। - " डेविड ईस्टन के अनुसार व्यवहारवादी शोध वास्तविक व्यक्ति पर अपना समस्त ध्यान केन्द्रित करता है।" - व्यवहारवाद व उत्तर व्यवहारवाद के जनक- डेविड ईस्टन - राजनीति विज्ञान समाज के लिए मूल्यों का अधिकारिक आंबटन है-डेविड ईस्टन - व्यवहारवाद के लक्षण अथवा आधारभूत मान्यतायें – 8 - डेविड ईस्टन के अनुसार व्यवहारवाद की प्रमुख मान्यतायें या विशेषतायें इस प्रकार हैं :- (1) नियमन, (2) सत्यापन, (3) तकनीकों का प्रयोग, (4) परिमाणनीकरण, (5) क्रमबद्धीकरण, (6) मूल्य निर्धारण, (7) विशुद्ध विज्ञान, (8) समग्रता - डेविड ईटन ने व्यवहारवाद के कितने लक्षण बताये हैः-8 ## आगमनात्मक पद्वतिः - इस पद्धति के अंतर्गत पहले तथ्यों को इकट्ठा किया जाता है, तथ्यों की तुलना की जाती है फिर निष्कर्ष पर पहुचां जाता है । अध्ययन की ऐसी पद्धति जिसमें विशिष्ट तथ्यों से सामान्य सिद्धांत की ओर बढ़ते है उसे आगमनात्मक पद्धति कहतें है। ## निगमनात्मक पद्धतिः - इस पद्धति के अंतर्गत पहले स्वयं सिद्ध सिंद्धांत मान लिया जाता है। फिर अध्ययन किया जाता है । अध्ययन की ऐसी पद्धति जिसमें सामानय से विशेष की ओर गमन करतें है उसे निगमनात्मक पद्धति कहतें है। ## राज्य शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग आधुनिक अर्थों में किसने किया- मैकियावेली ने अपनी पुस्तक प्रिंस में - स्टेट शब्द की उत्तपत्ति लेटिन भाषा के शब्द स्टेटस से हुई है - राज्य के आवश्यक तत्वः- जनसंख्या, निश्चित भौगोलिक प्रदेश, सरकार, सम्प्रभुत्ता - राज्य की उत्तपत्ति का सर्वप्रथम सिद्धांत- दैविय सिद्धांत - राज्य की उत्तपत्ति का सर्वमान्य सिद्धांत- विकासवादी/ऐतिहासिक - सामाजिक समझौता सिद्धांत के विद्वानः- हाब्स, लाक, रूसो - थामस हाब्स की रचना- लेवियाथन - जान लॉक की रचना- टू टिट्रीज आफ गर्वनमेंट - जीन जैक्स रूसो- द सोशल कांट्रैक्ट - सामान्य इच्छा का सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया-रूसो - राज्य के कार्य का सिद्धांतः- - राज्य एक आवश्यक बुराई है- व्यक्तिवाद, नकारात्मक उदारवाद, अराजकतावादी - राज्य एक आवश्क भलाई/अच्छाई है- फाजीवाद, नाजीवाद, बहुलवाद - राज्य मनुष्य के शोषण का यंत्र है-कार्ल मार्क्स - वही सरकार श्रेष्ठ है जो न्यूनतम शासन करें- फ्रीमैन - राज्य पृथ्वी पर ईश्वर का अवतार है:- हीगल - राज्य का निर्माण वृक्ष या चट्टानों से नहीं होता बल्कि उसमे निवास करने वाले नागरिको के चरित्र से होता है- प्लेटो ## राज्य परिवारों व ग्रामों का ऐसा समुदाय है, जिसका प्रमुख उद्देय मनुष्य के जीवन को अच्छा बनाते हुए आत्मनिर्भर संगठन का निर्माण करना है- अरस्तू - कानून/विधिः- विधि या नियमों का ऐसा समूह जिससे किसी राज्य के मानव का व्यवहार नियमित होता है उसे कानून/ विधि कहतें है। - आस्टिनः- कानून संप्रभु का आदेश है। - राष्ट्रवादः- राष्ट्रवाद एक भावना भी है और विचारधार भी है। एक भावना के नाते राष्ट्रवाद अपने देश के प्रति प्रेम को दर्शाता है। इस प्रकार राष्ट्रवाद अपने मातृभूमि से प्रेम अथवा देशभक्ति का समरूप है। ## सम्प्रभुताः - जीन बोदा को आधुनिक सम्प्रभुता सिद्धांत का जनक माना जाता है। - बोदाः- सम्प्रभुता, नागरिकों व प्रजाजनों के उपर सर्वोच्च शक्ति है जिस पर कानून का कोई बंधन नहीं होता है। - बर्गेसः-सम्प्रभुता प्रत्येक प्रजाजनों और उसके समुदायों पर राज्य की मौलिक, निरंकुश और असिमित शक्ति है। - विलोबीः- प्रभुसत्ता राज्य की सर्वोपरि इच्छा है। ## अधिकारः - अधिकार सामाजिक जीवन की वे परिस्थितियाँ है, जिसके बिना कोई व्यक्ति अपना सर्वागिण विकास नहीं कर सकता-लास्की - अधिकार वह मांग है जिसे समाज स्वीकार करता है और राज्य लागू करता है। - अधिकारों का प्राकृतिक सिद्धांत किसने दिया- जान लाक - मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा कब हुई 10 दिसम्बर 1948 - 10 दिसम्बर - विश्व मानवाधिकार दिवस - मानवाधिकारों की घोषणा में कुल कितनी धारा है-30 - भारतीय संविधान भाग 3 के अनुच्छेद 12 से 35 में नागरिकों को कितने अधिकार प्रदान किये गये थेः-7 - वर्तमान में नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार प्रदान किये गये है। - समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18) - स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22) - शोषण के विरूद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) - धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) - संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29-30) - संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32) - सम्पत्ति का अधिकार है- कानूनी अधिकार - मत देने का अधिकार है- राजनीतिक अधिकार ## कर्तव्यः - का अर्थ है- करने योग्य कार्य । राजनीति विज्ञान में कर्तव्य से आशय केवल उन कार्यों से नहीं है जिन्हे करने या न करने की छूट होती है, वरन उन कर्तव्यों से भी है जिन्हें करना व्यक्ति के लिए आवश्यक है, नहीं तो उसे राज्य द्वारा दण्डित किया जागेगा। - सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश पर 42 वे संविधान संशोधन 1976 द्वारा 10 मूल कर्तव्य भारतीय संविधान में जोड़ा गया जिनका उल्लेख अनुच्छेद 51 क में है। - वर्तमान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 है। ## स्वतंत्रताः - प्रत्येक कार्य करने की वह शक्ति अथवा अधिकार है, जिससे किसी दूसरे व्यक्ति के सर्वागिण विकास में बाधा ना हो। - परम्परागत स्वतंत्रता की परिभाषाः- स्वतंत्रता का आशय बंधनों का अभाव है। - सीलेः- स्वतंत्रता अति शासन का विलोम है। - मैकेंजीः- स्वतंत्रता सभी प्रकार के बंधनों का अभाव नहीं वरन् अनुसूचित प्रतिबंधों के स्थान पर उचित प्रतिबंधों की व्यवस्था है। - आधुनिक स्वतंत्रता की परिभाषाः- लास्कीः- स्वतंत्रता का आशय ऐसी परिस्थितियों से है जिसमें मनुष्यों को अपने पूर्ण विकास के अवसर प्राप्त होतें है। - टी०एच०ग्रीनः- स्वतंत्रता उन कार्य को करने अथवा उन वस्तुओं के उपभोग करने की शक्ति है जो कि करने अथवा उपभोग करने योग्य है। ## समानताः - लास्कीः- समानता का अर्थ यह है कि कोई विशेष अधिकार वाला वर्ग न रहे और सबको उन्नति का समान अवसर मिले । - समानता का आशय यह है कि समाज में प्रत्येक व्यक्ति को आत्म-विकास के समान अवसर सुलभ होने चाहिए। व्यक्तित्व के उत्थान के लिए मानव को सुविधाओं की जरूरत होती है। राज्य को उन सभी सुविधाओं का प्रबंध करना चाहिए। समानता का आधार यह है कि प्रत्येक व्यक्ति का समान महत्व है। - समानता में निहित आदर्शः- - विशेषाधिकारों का अभाव - सभी लोगों को वयक्तित्व के विकास के लिए समान अवसर उपलब्ध हो - न्यनूतम आवाश्यकताओं की पूर्ति ## न्यायः - न्याय व्यस्था का सम्बध व्यक्तियों और उनके बीच अधिकारों के वितरण का नियमन करने वाले सिद्धांतो से है - बेंथमः - अधिकतम लोगों का अधिकतम सुख ही न्याय है। - प्लेटोः- न्याय मानव की उचित अवस्था और मानवीय स्वभाव की प्राकृतिक मांग है। ## आगस्टाइनः - न्याय एक व्यस्थित और अनुशासित जीवन व्यतित करने और उन कर्तव्यों का पालन करने में है जिनकी व्यवस्था मांग करती है। ## लोकतंत्रः - अब्राहम लिंकनः- लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है। - सीलेः- प्रजातंत्र वह शासन प्रणाली है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का भाग होता है। - लार्ड ब्यइसः- प्रजातंत्र सरकार का वह रूप है जिसमें शासन की शक्ति किसी विशेष वर्गों में निहित न होकर समग्र जन समूह के सदस्यों में निहित है। ## शासन के प्रकारः - एकात्मक एवं संघात्मक - एकात्मक शासन :- शासन की वह प्रणाली जिसमें शासन की समस्त शक्तियाँ व अधिकार संविधान द्वारा केन्द्र सरकार को दे दी जाती है और राज्य या प्रान्त या स्थानीय सरकारें केन्द्र के नियंत्रण में कार्य करती है। इसे ही एकात्मक शासन प्रणाली कहा जाता है। - संघात्मक शासन प्रणाली:- शासन प्रणाली की वह व्यस्था जिसमें केन्द्र, राज्य व स्थानीय सरकारों के मध्य शक्तियों का विभाजन कर दिया जाता दिया है और सभी इकाईयाँ अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्रता पूर्वक शासन करती है। ## सर्वसत्तावाद या सर्वाधिकारवादः - एक सर्वसत्तावादी शासक अत्याचारी है, सर्वाधिकारपूर्ण है, राज्य एक जेल है और उसकी प्रजा ऐसी दीवारों में कैद है, जो दिखाई न देते हुए भी वास्तविक है। - सर्वसत्तावादः - सर्वसत्तावाद राज्य में धर्म, नैतिकता, विचार-अभिव्यक्ति, शिक्षा आदि सभी पर एक शासक का नियंत्रण रहता है। शासक की आलोचना करना न केवल पाप है वरन अपराध है। ## शासन के अंगः - विधायिका / व्यस्थापिकाः- जो विधियों का निमार्ण करती है। - कार्यपालिकाः- जो विधियों को कियान्वयन या लागू करती है। - न्यायपालिकाः- जो संविधान का सरंक्षण करती है या न्याय देती है। ## शक्ति पृथक्करण का सिद्धांतः - से आशय यह है कि शासन के कार्य पृथक-पृथक होने चाहिए, विभाग पृथक-पृथक होने चाहिए, पृथक-पृथक अधिकारी-कर्मचारी द्वारा कार्य होने चाहिए और अपने-अपने कार्य क्षेत्र में स्वतंत्र होने चाहिए। - शक्ति पृथक्करण का सिद्धांतः- यह सिद्धांत कि शासन के विभिन्न कार्य विभिन्न व्यक्तियों से बनी संस्थाओं द्वारा किये जाने चाहिए, अपने क्षेत्र में पूर्ण स्वतंत्र होने चाहिए यही शक्ति पृथक्करण का सिद्धांत है। - शक्ति पृथक्करण का सिद्वांत किसने दिया- माण्टेस्क्यू - माण्टेस्क्यू के पुस्तक का नाम- द स्पीरीट ऑफ ला ( शक्ति पृथककरण का सिद्धांत) ## संविधानः - नियमों व विधियों का ऐसा समूह जिससे किसी देश के शासन व सत्ता का संचालन होता है उसे संविधान कहतें है। - संविधान ऐसे सिद्धांतों का संग्रह है जिसके अनुसार शासन की शक्तियाँ, प्रजा के अधिकार तथा दोनों के पारस्परिक संबध निर्धारित किये जातें है। ## राजनीतिक दलः - राजनीतिक दल संगठित नागरिकों के उस समुदाय को कहते है जो एक ही राजनीतिक सिद्धांत को मानते है व एक राजनीतिक इकाई के रूप में कार्य करते है और सत्ता हासिल करने का प्रयत्न करते है। - राजनीतिक दल विचारों के दलाल होंते है- लावेल - राजनीतिक दल को सर्वप्रथम किसने परिभाषित किया- लार्ड ब्राइस ## दबाव समूहः - दबाव समूह ऐसे लोगों का औपचारिक संगठन है जिनके एक अथवा अधिक सामान्य उद्देश्य होतें है जो सार्वजनिक नीति के निर्माण और शासन को प्रभावित करने का प्रयास इसलिए करतें है ताकि उनकी हितों की रक्षा में वृद्धि हो सके। - दबाव समूहः- सामान्य शब्दों में दबाव समूह सार्वजनिक नीति को प्रभावित करने के उद्देश्य से निर्मित नीजि गुट कहा जा सकता है। - दबाव समूह को अज्ञात साम्राज्य / गुमनाम साम्राज्य की संज्ञा किसने दी- एस.ई. फाईनर - दबाव समूह को अदृश्य सरकार किसने कहा है- मैक्किन - दबाव समूह को तृतीय सदन किसने कहा है- एच.एम. फाईनर

Use Quizgecko on...
Browser
Browser