सत्ता की साझेदारी PDF

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Summary

This document discusses power-sharing in the context of democracy, using examples from Belgium and Sri Lanka. It explores the concept of power distribution among different entities and examines how diverse political systems approach the demand for such distribution. The document aims to help understand the importance of power-sharing in a democratic framework.

Full Transcript

सत्ता की साझेदारी परिचय इस अध्याय के साथ हम लोकतंत्र की उस यात्रा को आगे बढ़ाएँगे जो पिछले साल शरू ु हुई थी। पिछले साल हमने देखा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सारी...

सत्ता की साझेदारी परिचय इस अध्याय के साथ हम लोकतंत्र की उस यात्रा को आगे बढ़ाएँगे जो पिछले साल शरू ु हुई थी। पिछले साल हमने देखा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सारी अध्याय 1 ताकत किसी एक अगं तक सीमित नहीं होती। विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच परू ी समझ के साथ सत्ता को विकें द्रित कर देना लोकतंत्र के कामकाज के लिए बहुत ज़रूरी है। पहले तीन अध्यायों में हम सत्ता के बँटवारे पर सोच-विचार को आगे बढ़ाएँगे। आइए, हम बेल्जियम और श्रीलंका की दो कथाओ ं के साथ शरुु आत करते हैं। ये दोनों घटनाएँ बताती हैं कि विभिन्न लोकतांत्रिक शासन पद्धतियाँ सत्ता के बँटवारे की माँग से किस तरह निपटती हैं। इन घटनाओ ं से यह समझने में कुछ मदद मिलेगी कि आखिर लोकतंत्र में सत्ता के बँटवारे की ज़रूरत क्यों होती है। इससे हम सत्ता के बँटवारे के उन रूपों पर बातचीत कर सकें गे जिनकी चर्चा अगले दो अध्यायों में की गई है। सत्ता की साझेदारी 1 2024-25 Chapter 1.indd 1 16-Jun-22 9:42:06 AM बेल्जियम और श्रीलंका बेल्जियम यरू ोप का एक छोटा-सा देश है, डच बोलने वाले समहू ों के बीच तनाव बढ़ने क्षेत्रफल में हमारे हरियाणा राज्य से भी छोटा। लगा। इन दोनों समदु ायों के टकराव का सबसे इसकी सीमाएँ फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी और तीखा रूप ब्सरू ल्स े में दिखा। यह एक विशेष लक्समबर्ग से लगती हैं। इसकी आबादी एक तरह की समस्या थी। डच बोलने वाले लोग करोड़ से थोड़ी अधिक है यानी हरियाणा की संख्या के हिसाब से अपेक्षाकृ त ज़्यादा थे आबादी से करीब आधी। इस छोटे से देश के लेकिन धन और समृद्धि के मामले में कमज़ोर मेरे दिमाग में सीधा सा समाज की जातीय बनु ावट बहुत जटिल है। और अल्पमत में थे। समीकरण यह है कि सत्ता का देश की कुल आबादी का 59 फ़ीसदी हिस्सा आइए, इस स्थिति की तल ु ना एक और बँटवारा = फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता देश से करें । श्रीलंका एक द्वीपीय देश है जो सत्ता के टुकड़े करना = है। शेष 40 फ़ीसदी लोग वेलोनिया क्षेत्र में तमिलनाडु के दक्षिणी तट से कुछ किलोमीटर देश को कमज़ोर करना। हम रहते हैं और फ़्रें च बोलते हैं। शेष एक फ़ीसदी की दरू ी पर स्थित है। इसकी आबादी करीब इस बात से शरुु आत क्यों कर लोग जर्मन बोलते हैं। राजधानी ब्सरू ल्स े के 80 दो करोड़ है यानी हरियाणा के बराबर। दक्षिण रहे हैं? फ़ीसदी लोग फ़्रें च बोलते हैं और 20 फ़ीसदी एशिया के अन्य देशों की तरह श्रीलंका की लोग डच भाषा। आबादी में भी कई जातीय समहू ों के लोग अल्पसखं ्यक फ़्रेंच-भाषी लोग तल ु नात्मक हैं। सबसे प्रमखु सामाजिक समहू सिंहलियों रूप से ज़्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं। का है जिनकी आबादी कुल जनसंख्या बहुत बाद में जाकर आर्थिक विकास और की 74 फ़ीसदी है। फिर तमिलों का नंबर शिक्षा का लाभ पाने वाले डच-भाषी लोगों आता है जिनकी आबादी कुल जनसंख्या को इस स्थिति से नाराज़गी थी। इसके चलते में 18 फ़ीसदी है। तमिलों में भी दो समहू 1950 और 1960 के दशक में फ़्रें च और हैं – श्रीलंकाई मलू के तमिल (13 फ़ीसदी) बेल्जियम के समुदाय और क्षेत्र एथनीक या जातीय : ऐसा विकीपीडिया सामाजिक विभाजन जिसमें हर समहू अपनी-अपनी संस्कृति को अलग मानता है यानी यह साझी लोकतांत्रिक राजनीति संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन है। किसी भी जातीय ब्रूसेल्स-राजधानी क्षेत्र समहू के सभी सदस्य मानते हैं कि उनकी उत्पत्ति समान पर्वू जों वेलोन (फ़्रेंच-भाषी) से हुई है और इसी कारण उनकी शारीरिक बनावट और संस्कृति फ्लेमिश (डच-भाषी) एक जैसी है। ज़रूरी नहीं कि बेल्जियम और श्रीलंका के मानचित्रों को देख।ें इनके किस इलाके में जर्मन-भाषी ऐसे समहू के सदस्य किसी एक विभिन्न समदु ायों की सघन आबादी नज़र आ रही है? धर्म के मानने वाले हों या उनकी अधिक जानकारी के लिए, लॉग ऑन करें , https://www.belgium.be/en राष्‍ट्रीयता एक हो। 2 2024-25 Chapter 1.indd 2 16-Jun-22 9:42:07 AM और हिदं सु ्तानी तमिल जो औपनिवेशिक अब ज़रा सोचिए कि ऐसी स्थिति में क्या शासनकाल में बागानों में काम करने के लिए हो सकता था? बेल्जियम में डच-भाषी लोग भारत से लाए गए लोगों की संतान हैं। मौजदू ा अपनी बड़ी सखं ्या के बल पर फ़्रें च-भाषी श्रीलंका के नक्शे पर गौर करें तो पाएँगे कि और जर्मन-भाषी लोगों पर अपनी इच्छाएँ तमिल मखु ्य रूप से उत्तर और पर्ू वी प्रांतों थोप सकते थे। इससे उनके बीच की लड़ाई में आबाद हैं। अधिकतर सिहं ली-भाषी लोग और बढ़ जाती। सभं व था इससे देश बँट जाता बौद्ध हैं जबकि तमिल-भाषी लोगों में कुछ और ब्सरू ल्स े पर दोनों पक्ष अपना-अपना दावा हिदं ू हैं और कुछ मसु लमान। श्रीलंका की ठोकते। श्रीलकं ा में सिहं ली आबादी का बहुमत आबादी में ईसाई लोगों का हिस्सा 7 फ़ीसदी और ज़्यादा था और वे लोग मल्क ु में अपनी है और वे सिंहली और तमिल, दोनों भाषाएँ मनमानी चला सकते थे। आइए, अब यह देखें बोलते हैं। कि असल में दोनों देशों में क्या-क्या हुआ? श्रीलंका में बहुसख ं ्यकवाद सन् 1948 में श्रीलंका स्वतंत्र राष्‍ट्र बना। उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित सिंहली समदु ाय के नेताओ ं ने अपनी बहुसंख्या कर रही हैं। नौकरियों और फ़ायदे के अन्य के बल पर शासन पर प्रभतु ्व जमाना चाहा। कामों में उनके साथ भेदभाव हो रहा है और इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। सरकार ने सिंहली समदु ाय की प्रभतु ा कायम परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली करने के लिए अपनी बहुसखं ्यक – परस्ती के समदु ायों के सबं ंध बिगड़ते चले गए। तहत कई कदम उठाए। श्रीलंका के 1956 में एक काननू बनाया गया जिसके जातीय समुदाय तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया। विश्‍वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति भी चली। नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी। एक-एक करके आए इन सरकारी फ़ै सलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराज़गी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया। उन्हें लगा सत्ता की साझेदारी बहुसखं ्यकवाद : यह मान्यता कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेततृ ्व कि अगर कोई समदु ाय वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ उनकी भाषा बहुसंख्यक है तो वह अपने मनचाहे ढंग से देश का शासन और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं। उन्हें कर सकता है और इसके लिए लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ वह अल्पसंख्यक समदु ाय की ज़रूरत या इच्छाओ ं की अधिक जानकारी के लिए, लॉग ऑन करें , https://www.gov.lk अवहेलना कर सकता है। 3 2024-25 Chapter 1.indd 3 16-Jun-22 9:42:07 AM श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक श्रीलंका में दो समदु ायों के बीच बहुसंख्यक समदु ाय पार्टियाँ बनाई ं और तमिल को राजभाषा पारस्परिक अविश्‍वास ने बड़े टकराव का के शासन में क्या हर्ज बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा रूप ले लिया। यह टकराव गृहयुद्ध में परिणत है? अगर श्रीलंका में हुआ। परिणामस्वरूप दोनों पक्ष के हज़ारों सिंहलियों का राज नहीं शिक्षा और रोज़गार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया। लेकिन तमिलों लोग मारे जा चक ु े हैं। अनेक परिवार अपने होगा तो किसका राज मलु ्क से भागकर शरणार्थी बन गए हैं। इससे होगा? की आबादी वाले इलाके की स्वायत्तता की भी कई गुना ज़्यादा लोगों की रोजी-रोटी उनकी माँगों को लगातार नकारा गया। 1980 चौपट हो गई है। वहाँ के गृहयुद्ध से मलु ्क के के दशक तक उत्तर-पर्ू वी श्रीलंका में स्वतंत्र सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन तमिल ईलम (सरकार) बनाने की माँग को में काफ़ी परे शानियाँ पैदा हुई हैं। 2009 में लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने। इस गृहयुद्ध का अंत हुआ। बेल्जियम की समझदारी बेल्जियम के नेताओ ं ने श्रीलंका से अलग समहू के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में रास्ता अपनाने का फ़ै सला किया। उन्होंने हो। इस प्रकार किसी एक समदु ाय के लोग क्षेत्रीय अतं रों और सांस्कृतिक विविधता को एकतरफ़ा फ़ैसला नहीं कर सकते। स्वीकार किया। 1970 और 1993 के बीच zz कें द्र सरकार की अनेक शक्‍तियाँ देश उन्होंने अपने संविधान में चार संशोधन सिर्फ़ के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द इस बात के लिए किए कि देश में रहने वाले कर दी गई हैं यानी राज्य सरकारें कें द्रीय किसी भी आदमी को बेगानेपन का अहसास सरकार के अधीन नहीं हैं। न हो और सभी मिल-जल ु कर रह सकें । उन्होंने zz ब्स रू ेल्स में अलग सरकार है और इसके लिए जो व्यवस्था की वह बहुत ही इसमें दोनों समदु ायों का समान प्रतिनिधित्व कल्पनाशील है तथा कोई और देश ऐसा है। फ़्रेंच-भाषी लोगों ने ब्सरू ेल्स में समान नहीं कर पाया। बेल्जियम के मॉडल (विशेष प्रतिनिधित्व के इस प्रस्ताव को स्वीकार जानकारियों के लिए देखें बॉक्स) की कुछ किया क्योंकि डच-भाषी लोगों ने कें द्रीय गहृ युद्ध : किसी मलु ्क में मखु ्य बातें निम्नलिखित हैं : सरकार में बराबरी का प्रतिनिधित्व स्वीकार सरकार विरोधी समहू ों की zz सवं िधान में इस बात का स्पष्‍ट प्रावधान हिसं क लड़ाई ऐसा रूप ले ले किया था। कि वह यद्ध ु सा लगे तो उसे है कि कें द्रीय सरकार में डच और फ़्रें च-भाषी गृहयद्ध ु कहते हैं। मत्रि ं यों की संख्या समान रहेगी। कुछ विशेष काननू तभी बन सकते हैं जब दोनों भाषायी लोकतांत्रिक राजनीति विकीपीडिया भला यह भी कोई समाधान हुआ? बेल्जियम की एक बस्ती का पता यहाँ दिए गए मझु े इस बात की खश ु ी है कि हमारा फ़ोटोग्राफ में अकित ं है। गौर करें कि स्थान का नाम सवं िधान ऐसी बातें नहीं कहता कि किस और दिशा की जानकारी दो भाषाओ ं – फ़्रें च और समदु ाय से कितने मत्ं री होंगे। डच में दी गई है। 4 2024-25 Chapter 1.indd 4 19/03/2024 11:00:07 zz कें द्रीय और राज्य सरकारों के अलावा यहाँ एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम करती है यानी सामदु ायिक सरकार। इस सरकार का चनु ाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते हैं। डच, फ़्रें च और जर्मन बोलने वाले समदु ायों के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सामदु ायिक सरकार को चनु ते हैं। इस सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फ़ै सले लेने का अधिकार है। आपको बेल्जियम का मॉडल कुछ जटिल लग सकता है। निश्‍चित रूप से यह जटिल है – खदु बेल्जियम में रहने वालों के लिए भी। पर यह व्यवस्था बेहद सफल रही है। इससे मल्क ु में गृहयद्ध ु की आशक ं ाओ ं पर विराम लग गया है वरना गृहयद्ध ु की ब्सरू ेल्स, बेल्जियम में स्थित यरू ोपीय संसद स्थिति में बेल्जियम भाषा के आधार पर दो टुकड़ों में बँट गया होता। जब अनेक यरू ोपीय फ़ै सला किया तो ब्सरू ल्स े को उसका मखु ्यालय देशों ने साथ मिलकर यरू ोपीय संघ बनाने का चनु ा गया।...तो आपके कहने का मतलब है कि सत्ता में हिस्सेदारी से हम ज़्यादा ताकतवर होते हैं। यह बात तो कुछ अजीब लगती है। खैर, जरा कोई एक अखबार परू े हफ़्ते भर पढ़ें और फिर यद्धों ु और लड़ाइयों की खबरों सोचने दीजिए! की कतरनें जमा करें । पाँच-पाँच छात्रों के दो समहू एक साथ यह काम कर सकते हैं। फिर दोनों समहू अपनी सारी कतरन साथ मिलाकर कुछ इस तरह से काम कर सकते हैं : zz सारे झगड़ों को उनके स्थान (अपने प्रदेश, देश, देश से बाहर) के हिसाब से वर्गीकृ त करें । zz इन टकरावों के कारण जानने की कोशिश करें । इनमें से कितने विवाद सत्ता के बँटवारे को लेकर हैं? zz इनमें से किस-किस विवाद को सत्ता में साझेदारी तय करके सल ु झाया जा सकता है? बेल्जियम और श्रीलंका की इन कथाओ ं से चलते दोनों पक्ष सत्ता में साझेदारी करने पर हमें क्या शिक्षा मिलती है? दोनों ही देश सहमत हु ए। श्रीलं का में ठीक उलटा रास्ता लोकतां त्रिक हैं। फिर भी सत्ता में साझेद ारी अपनाया गया। इससे यह पता चलता है के सवाल को उन्होंने अलग-अलग ढंग कि अगर बहु संख ्यक समुद ाय दूसरों पर सत्ता की साझेदारी से निपटाने की कोशिश की। बे ल्जियम के प्रभुत ्व कायम करने और सत्ता में उनको ने ताओ ं को लगा कि विभिन्न समुदाय और हिस्सेदार न बनाने का फ़ैसला करता है क्षेत्रों की भावनाओ ं का आदर करने पर ही तो इससे देश की एकता ही सं कट में पड़ देश की एकता संभ व है। इस एहसास के सकती है। 5 2024-25 Chapter 1.indd 5 16-Jun-22 9:42:08 AM बार्इं तरफ़ अकं ित कार्टून में जर्मनी की एक समस्या का संकेत किया गया है। वहाँ क्रिश्‍चियन डेमोक्रेटिक पार्टी और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी नामक दो बड़ी पार्टियों की गठबंधन सरकार है। ऐतिहासिक रूप से ये दोनों पार्टियाँ एक-दसू रे की प्रतिस्पर्धी रही हैं। सन् 2005 के चनु ावों में इन दोनों में से किसी को अपने बतू े सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला इसलिए इन्हें गठबंधन-सरकार बनानी पड़ी। दोनों दल विभिन्न नीतिगत मामलों टैब – द कै लगरी सन, के गल कार्टूंस पर अलग-अलग पक्ष लेते हैं फिर भी वहाँ साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। जर्मनी की संसद के बारे में जानकारी के लिए, लॉग ऑन करें https://www.bundestag.de/en के लिए घातक हो सकता है। बहुसखं ्यकों का अत्‍याचार सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए ही परे शानी पैदा नहीं करता अक्सर यह जर्मन इजं ीनियरिंग का बेहतरीन नमनू ा... बहुसंख्यकों के लिए भी हाि‍नकारक होता है। सत्ता का बँटवारा लोकतांत्रिक व्यवस्थाओ ं के लिए ठीक है – इसके पक्ष सत्ता की साझेदारी क्यों में एक और बात कही जा सकती है और वह ज़रूरी है? बात कहीं ज़्यादा गहरी है। सत्ता की साझेदारी इस प्रकार सत्ता के बँटवारे के पक्ष में दो दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। लोकतंत्र तरह के तर्क दिए जा सकते हैं। पहला, सत्ता का मतलब ही होता है कि जो लोग इस का बँटवारा ठीक है क्योंकि इससे विभिन्न शासन-व्यवस्था के अतं र्गत हैं उनके बीच सामाजिक समहू ों के बीच टकराव का अदं श े ा सत्ता को बाँटा जाए और ये लोग इसी ढर्रे कम हो जाता है। चकि ँू सामाजिक टकराव से रहें। इसलिए, वैध सरकार वही है जिसमें आगे बढ़कर अक्सर हिसं ा और राजनीतिक अपनी भागीदारी के माध्यम से सभी समहू अस्थिरता का रूप ले लेता है इसलिए सत्ता शासन व्यवस्था से जड़ु ते हैं। में हिस्सा दे देना राजनीतिक व्यवस्था के इन दो तर्कों में से एक को हम यक्‍ति ु परक स्थायित्व के लिए अच्छा है। बहुसखं ्यक और दसू रे को नैतिक तर्क कह सकते हैं। समदु ाय की इच्छा को बाकी सभी पर थोपना यक्‍ति ु परक या समझदारी का तर्क लाभकर तात्कालिक तौर पर लाभकारी लग सकता परिणामों पर जोर देता है जबकि नैतिक तर्क है पर आगे चलकर यह देश की अखडं ता सत्ता के बँटवारे के अतं र्भूत महत्त्व को बताता है। लोकतांत्रिक राजनीति एनिते बेल्जियम के उत्तरी इलाके के एक डच माध्यम के स्कू ल में पढ़ती है। फ़्रें च बोलने वाले उसके अनेक स्कू ली साथी चाहते हैं कि पढ़ाई फ़्रें च में ही हो। सेल्वी श्रीलंका की युक्‍तिपरक : हानि-लाभ का राजधानी कोलंबो के एक स्कू ल में पढ़ती है। वह और उसके स्कू ल के बहुत से दोस्त सावधानीपरू ्वक हिसाब लगाकर लिया गया फ़ै सला। परू ी तरह से तमिल-भाषी हैं और इनके माता-पिता पढ़ाई का माध्यम तमिल ही रखना चाहते हैं। नैतिकता पर आधारित फ़ै सला zz कौन-सी सरकार एनिते और सेल्वी के माता-पिता की इच्छा परू ी कर सकती है? किसे सफलता मिलने अक्सर इसके उलट होता है। की सभं ावना अधिक है और क्यों? 6 2024-25 Chapter 1.indd 6 02/04/2024 12:17:01 खलील की जैसा कि होता आया है, इस बार भी विक्रम रात की खामोशी में अपनी मोटरसाइकिल चलाए जा रहा था और बेताल उसकी पीठ पर बैठा था। हमेशा की उलझन तरह इस बार भी यह सोचकर कि कहीं विक्रम को नींद न आ जाए बेताल ने कहानी सनु ाना शरू ु किया। कहानी कुछ इस प्रकार थी : बेरूत शहर में खलील नाम का एक आदमी रहा करता था। उसके माँ-बाप अलग-अलग समदु ाय के थे। उसके पिता आर्थोडॉक्स ईसाई थे तो माँ सनु ्नी मसु लमान। आधनि ु क शहर के लिए यह कोई अनठू ी बात न थी। लेबनान में अलग-अलग समदु ाय के लोग रहते थे और राजधानी बेरूत में भी बस जाते थे। वे साथ रहते थे, मेल-जोल होता था पर गृहयद्ध ु में वे एक-दसू रे से लड़ते भी थे। खलील का एक चाचा ऐसी ही लड़ाई में मारा गया था। गृहयद्ध ु की समाप्‍ति के बाद लेबनान के सारे नेता साथ मिलकर बैठे और विभिन्न समदु ायों के बीच सत्ता के बँटवारे के कुछ ु दी नियमों पर सहमत हुए। इन नियमों के अनसु ार तय हुआ कि देश का राष्‍ट्रपति मैरोनाइट पंथ का कोई कै थोलिक ही बनिया होना चाहिए। सिर्फ़ सनु ्नी मसु लमान ही प्रधानमत्री ं हो सकता है। उपप्रधानमत्री ं का पद आर्थोडॉक्स ईसाई और संसद के अध्यक्ष का पद शिया मसु लमान के लिए तय हुआ। इस समझौते के अनसु ार आगे से ईसाई फ्रांस से संरक्षण की माँग नहीं करें गे और मसु लमान भी पड़ोसी सीरिया के साथ एकीकरण की माँग छोड़ने पर सहमत हुए। जब ईसाइयों और मसु लमानों के बीच यह समझौता हुआ था तब दोनों की आबादी लगभग बराबर थी। बाद में मसु लमान स्पष्‍ट रूप से बहुमत में आ गए पर दोनों पक्ष अभी भी उस समझौते का आदर करते हुए उसे मान रहे हैं। खलील को इस समझौते में बड़ी गड़बड़ी लगती है। वह राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा वाला लोकप्रिय व्यक्‍ति है लेकिन मौजदू ा व्यवस्था के रहते वह सबसे बड़े पद पर पहुचंँ ही नहीं सकता। वह न तो माँ के धर्म को मानता है और न ही पिता के । असल में वह चाहता ही नहीं कि उसे किसी भी धर्म से जोड़कर पहचाना जाए। उसे समझ में नहीं आता कि लेबनान भी अन्य ‘सामान्य’ लोकतंत्रों की तरह क्यों नहीं चलता। उसका कहना है – “सिर्फ़ चनु ाव कराइए, हर किसी को चनु ाव लड़ने की आज़ादी दीजिए और जिसे सबसे ज़्यादा वोट मिलें वह राष्‍ट्रपति बन जाए; भले ही वह किसी समदु ाय का हो?” लेकिन उसके जिन बड़े-बज़ुर्गों ु ने गृहयद्ध ु देखा है उनका कहना है कि मौजदू ा व्यवस्था ही शांति की सबसे अच्छी गारंटी है। अभी कहानी खत्म भी नहीं हुई थी कि वे टीवी टावर के पास पहुचँ गए। यहाँ वे रुक सकते थे। बेताल ने जल्दी से कहानी खत्म की और अपना सवाल विक्रम से पछू ा, “अगर आपको लेबनान का काननू फिर से लिखने का अधिकार होता तो आप क्या करते? क्या आप परु ानी व्यवस्था ही चलने देते या आप कुछ नया करते?” बेताल विक्रम और अपने बीच हुए समझौते को दोहराना नहीं भल ू ा: “अगर आपके दिमाग में स्पष्‍ट जवाब है और आप फिर भी नहीं बताते तो आपकी मोटरसाइकिल जाम हो जाएगी और आप आगे नहीं बढ़ पाएँगे?” क्या आप बेचारे विक्रम को बेताल के सवाल का जवाब देने में मदद कर सकते हैं? सत्ता की साझेदारी 7 2024-25 Chapter 1.indd 7 16-Jun-22 9:42:10 AM सत्ता की साझेदारी के रूप राजनीतिक सत्ता का बँटवारा नहीं किया जा को राजनीतिक सत्ता में हिस्सेदार बनाया जाए। सकता – इसी धारणा के विरूद्ध सत्ता की आधनि ु क लोकतांत्रिक व्यवस्थाओ ं में साझेदारी का विचार सामने आया था। लंबे सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप हो सकते समय से यही मान्यता चली आ रही थी कि हैं। आइए, हम कुछ प्रचलित उदाहरणों पर सरकार की सारी शक्‍तियाँ एक व्यक्‍ति या गौर करें : किसी खास स्थान पर रहने वाले व्यक्‍ति-समहू 1 शासन के विभिन्न अगं , जैसे विधायिका, के हाथ में रहनी चाहिए। अगर फ़ै सले लेने की कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्‍ति बिखर गई तो तरु ं त फ़ै सले लेना और सत्ता का बँटवारा रहता है। इसे हम सत्ता का उन्हें लागू करना संभव नहीं होगा। लेकिन, क्षैतिज वितरण कहेंगे क्योंकि इसमें सरकार लोकतंत्र का एक बनियाु दी सिद्धांत है कि के विभिन्न अगं एक ही स्तर पर रहकर जनता ही सारी राजनीतिक शक्‍ति का स्रोत अपनी-अपनी शक्‍ति का उपयोग करते हैं। ऐसे है। इसमें लोग स्व-शासन की ससं ्थाओ ं के बँटवारे से यह सनिश्‍चि त हो जाता है कि कोई ु माध्यम से अपना शासन चलाते हैं। एक अच्छे भी एक अगं सत्ता का असीमित उपयोग नहीं लोकतांत्रिक शासन में समाज के विभिन्न कर सकता। हर अगं दसू रे पर अक ं ु श रखता समहू ों और उनके विचारों को उचित सम्मान है। इससे विभिन्न ससं ्थाओ ं के बीच सत्ता का दिया जाता है और सार्वजनिक नीतियाँ तय संतल ु न बनता है। लोकतांत्रिक संस्थाओ ं के करने में सबकी बातें शामिल होती हैं इसलिए बारे में 9वीं कक्षा में पढ़ते हुए हमने देखा उसी लोकतांत्रिक शासन को अच्छा माना था कि हमारे देश में कार्यपालिका सत्ता का जाता है जिसमें ज़्यादा से ज़्यादा नागरिकों उपयोग करती ज़रूर है पर यह संसद के अधीन सत्ता की बाग़डोर कार्य करती है; न्यायपालिका की नियक्‍ति ु कार्यपालिका करती है पर न्यायपालिका ही कार्यपालिका पर और विधायिका द्वारा बनाए काननू ों पर अक ं ु श रखती है। इस व्यवस्था ऑले जॉनसन – स्वीडन, के गल कार्टंूस, 25 फरवरी 2005 को ‘नियंत्रण और संतल ु न की व्यवस्था’ भी कहते हैं। ब्लादिमीर! सत्ता की बागडोर के वल हमारे 2 सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर ीन हाथ में रहे... पतु बशु सत्ता का बँटवारा हो सकता है : जैसे, परू े देश के लिए एक सामान्य सरकार हो और फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकार रहे। परू े देश के लिए बनने वाली ऐसी सामान्य सरकार को अक्सर सघं या कें द्र सरकार कहते लोकतांत्रिक राजनीति हैं, प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर की सरकारों को हर जगह अलग-अलग नामों से पक ु ारा जाता 2005 में रूस में कुछ नए काननू बने हैं। इन काननू ों को बनाकर रूस के राष्‍ट्रपति को कुछ है। भारत में हम इन्हें राज्य सरकार कहते हैं। और शक्‍तियाँ सौंपी गई हैं। इसी वक्‍त अमरीकी राष्‍ट्रपति ने रूस का दौरा किया था। ऊपर दिए हर देश में बँटवारा ऐसा ही नहीं है। कई देशों गए कार्टून के अनसु ार लोकतंत्र और सत्ता के कें द्रीकरण में क्या सबं ंध है? यहाँ जिस चीज़़ में प्रांतीय या क्षेत्रीय सरकारें नहीं हैं। लेकिन ़की तरफ़ ध्यान खींचा गया है उसकी पष्‍टि ु में क्या आप कुछ और कार्टून जटु ा सकते हैं? 8 2024-25 Chapter 1.indd 8 16-Jun-22 9:42:10 AM हमारी तरह, जिन देशों में ऐसी व्यवस्था है अलग-अलग तरीकों पर हम इकाई II में चर्चा वहाँ के सवि ं धान में इस बात का स्पष्‍ट करें गे। उल्लेख है कि कें द्र और राज्य सरकारों के 4 सत्ता के बँटवारे का एक रूप हम विभिन्न बीच सत्ता का बँंटवारा किस तरह होगा। प्रकार के दबाव-समहू और आदं ोलनों द्वारा बेल्जियम में तो यह काम हुआ है पर श्रीलंका शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने के में नहीं हुआ है। राज्य सरकारों से नीचे के स्तर तरीके में भी लक्ष्य कर सकते हैं। लोकतंत्र की सरकारों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था में लोगों के सामने सत्ता के दावेदारों के हो सकती है। नगरपालिका और पंचायतें बीच चनु ाव का विकल्प ज़रूर रहना चाहिए। ऐसी ही इकाइयाँ हैं। उच्चतर और निम्नतर समकालीन लोकतांत्रिक व्यवस्थाओ ं में यह स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के ऐसे बँटवारे विकल्प विभिन्न पार्टियों के रूप में उपलब्ध को उर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है। हम अगले अध्याय में इस पर विस्तार से होता है। पार्टियाँ सत्ता के लिए आपस में चर्चा करें गे। प्रतिस्पर्धा करती हैं। पार्टियों की यह आपसी प्रतिद्वंद्विता ही इस बात को सनिश्‍चि ु त कर देती 3 सत्ता का बँटवारा विभिन्न सामाजिक है कि सत्ता एक व्यक्‍ति या समहू के हाथ में समहू ों, मसलन, भाषायी और धार्मिक समहू ों न रहे। एक बड़ी समयावधि पर गौर करें तो के बीच भी हो सकता है। बेल्जियम में पाएँगे कि सत्ता बारी-बारी से अलग-अलग ‘सामदु ायिक सरकार’ इस व्यवस्था का एक अच्छा उदाहरण है। कुछ देशों के सवि विचारधारा और सामाजिक समहू ों वाली ं धान और काननू में इस बात का प्रावधान है कि पार्टियों के हाथ आती-जाती रहती है। कई सामाजिक रूप से कमज़ोर समदु ाय और बार सत्ता की यह भागीदारी एकदम प्रत्यक्ष महिलाओ ं को विधायिका और प्रशासन में दिखती है क्योंकि दो या अधिक पार्टियाँ हिस्सेदारी दी जाए। पिछले साल हमने अपने मिलकर चनु ाव लड़ती हैं या सरकार का देश में प्रचलित आरक्षित चनु ाव क्षेत्र वाली गठन करती हैं। लोकतंत्र में हम व्यापारी, ऐसी ही व्यवस्था के बारे में पढ़ा था। इस उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मज़दरू तरह की व्यवस्था विधायिका और प्रशासन में जैसे कई सगं ठित हित-समहू ों को भी सक्रिय अलग-अलग सामाजिक समहू ों को हिस्सेदारी देखते हैं। सरकार की विभिन्न समितियों में देने के लिए की जाती है ताकि लोग खदु को सीधी भागीदारी करके या नीतियों पर अपने शासन से अलग न समझने लगें। अल्पसंख्यक सदस्य-वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समहू भी सत्ता में भागीदारी करते हैं। मेरे स्कू ल में हर महीने समदु ायों को भी इसी तरीके से सत्ता में क्लास मॉनीटर बदल जाता उचित हिस्सेदारी दी जाती है। सामाजिक इकाई III में हम राजनीतिक दलों की है। क्या आप इसे ही सत्ता विविधताओ ं को शासन में भागीदारी देने के कार्यप्रणाली पर गौर करें गे। की भागीदारी बता रहे हैं? सत्ता की साझेदारी 9 2024-25 Chapter 1.indd 9 16-Jun-22 9:42:10 AM सत्ता के बँटवारे के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं। ये सत्ता की साझेदारी की चार श्रेणियों में से किसमें आते हैं? यहाँ सत्ता का साझा कौन किसके साथ कर रहा है? zz बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्‍ट्र सरकार को आदेश दिया कि वह तत्काल कार्र वाई करे और मबंु ई के सात अनाथालयों के 2000 बच्चों के रख-रखाव में सधु ार करे । zz कनाडा के ओटं ेरियो प्रांत की सरकार ने वहाँ के मल ू वासी समदु ाय के साथ ज़मीन के दावों का निपटारा करने पर सहमति दे दी। स्थानीय मामलों के लिए जवाबदेह मत्री ं ने घोषणा की कि सरकार मल ू वासी समदु ाय के साथ पारस्परिक सम्मान और सहयोग की भावना से काम करे गी। zz रूस की दो प्रभावशाली राजनीतिक पार्टियों– द यनिय ू न ऑन राइट फोर्सेज और लिबरल याब्लोको मवू मेंट नेे एक मज़बतू दक्षिणपंथी गठबंधन बनाने के लिए अपने संगठनों के विलय का फ़ै सला किया। इनका प्रस्ताव है कि अगले संसदीय चनु ाव में हम उम्मीदवारों की साझा सचू ी बनाएँगे। zz नाइजीरिया के विभिन्न प्रांतों के वित्तमत्रिय ं ों ने एकजटु होकर माँग की है कि संघीय सरकार अपनी आमदनी के स्रोतों को घोषित करे । वे यह भी जानना चाहते थे कि विभिन्न प्रान्तों के बीच राजस्व का बँटवारा किस आधार पर होता है। प्रश्‍नावली 1. आधनि ु क लोकतांत्रिक व्यवस्थाओ ं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें। 2. भारतीय सदं र्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक यक्‍तिप ु रक और एक नैतिक कारण बताएँ। 3. इस अध्याय को पढ़ने के बाद तीन छात्रों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले। आप इनमें से किससे सहमत हैं और क्यों? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें। थम्मन – जिन समाजों में क्षेत्रीय, भाषायी और जातीय आधार पर विभाजन हो सिर्फ़ वहीं सत्ता की साझेदारी ज़रूरी है। मथाई – सत्ता की साझेदारी सिर्फ़ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयक्‍त ु है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजदू होते हैं। औसेफ – हर समाज में सत्ता की साझेदारी की ज़रूरत होती है भले ही वह छोटा हो या उसमें लोकतांत्रिक राजनीति सामाजिक विभाजन न हों। 4. बेल्जियम में ब्सरू ेल्स के निकट स्थित शहर मर्चटेम के मेयर ने अपने यहाँ के स्कू लों में फ़्रें च बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा कि इससे डच भाषा न बोलने वाले लोगों को इस फ्लेमिश शहर के लोगों से जड़ु ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फ़ै सला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मल ू भावना से मेल खाता है? अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें। 10 2024-25 Chapter 1.indd 10 16-Jun-22 9:42:11 AM 5. नीचे दिए गए उद्धरण को गौर से पढ़ें और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो यक्‍तिप ु रक कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चनु ाव करें । “महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओ ं की उम्मीदों को परू ा करने के लिए हमें पंचायतों को अधिकार देने की ज़रूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में सौंपता है जिनके हाथों में इसे होना चाहिए। भ्रष्‍टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है। जब विकास की योजनाओ ं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओ ं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा। इससे भ्रष्‍ट बिचौलियों को खत्म किया जा सके गा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नींव को मज़बूत करे गा।” 6. सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करें और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर का चनु ाव करें । सत्ता की साझेदारी : (क) विभिन्न समदु ायों के बीच टकराव को कम करती है। (ख) पक्षपात का अदं श े ा कम करती है। (ग) निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है। (घ) विविधताओ ं को अपने में समेट लेती है। प्रश्‍नावली (घ) अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है। (च) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है। (छ) देश की एकता को कमज़ोर करती है। (सा) क ख घ च (रे ) क ग ङ च (गा) क ख घ छ (मा) ख ग घ छ 7. बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझीदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें : (क) बेल्जियम में डच-भाषी बहुसंख्यकों ने फ़्रें च-भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभतु ्व जमाने का प्रयास किया। (ख) सरकार की नीतियों ने सिंहली-भाषी बहुसंख्यकों का प्रभतु ्व बनाए रखने का प्रयास किया। (ग) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा तथा रोज़गार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की माँग की। सत्ता की साझेदारी (घ) बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मल्क ु को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया। ऊपर दिए गए बयानों में से कौन-से सही हैं? (सा) क, ख, ग और घ (रे ) क, ख और घ (गा) ग और घ (मा) ख, ग और घ 11 2024-25 Chapter 1.indd 11 16-Jun-22 9:42:12 AM 8. सचू ी I [सत्ता के बँटवारे के स्वरूप] और सचू ी II [शासन के स्वरूप] में मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड का उपयोग करते हुए सही जवाब दें : सचू ीI सच ू ी II 1. सरकार के विभिन्न अगं ों के बीच (क) सामदु ायिक सरकार सत्ता का बँटवारा 2. विभिन्न स्तर की सरकारों के बीच (ख) अधिकारों का वितरण अधिकारों का बँटवारा 3. विभिन्न सामाजिक समहू ों के बीच (ग) गठबंधन सरकार सत्ता की साझेदारी 4. दो या अधिक दलों के बीच (घ) संघीय सरकार सत्ता की साझेदारी 1 2 3 4 (सा) घ क ख ग (रे ) ख ग घ क (गा) ख घ क ग (मा) ग घ क ख 9. सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर जवाब दें : प्रश्‍नावली (अ) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है। (ब) इससे सामाजिक समहू ों में टकराव का अदं श े ा घटता है। इस बयानों में कौन सही है और कौन गलत? (क) अ सही है लेकिन ब गलत है। (ख) अ और ब दोनों सही हैं। (ग) अ और ब दोनों गलत हैं। (घ) अ गलत है लेकिन ब सही है। लोकतांत्रिक राजनीति 12 2024-25 Chapter 1.indd 12 16-Jun-22 9:42:13 AM

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