Acharya Ramchandra Shukla: A Study (PDF)

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Summary

This document is about Acharya Ramchandra Shukla, a well known Hindi poet, author, scholar, critic, and translator, and offers an overview of his works. His writings span multiple genres, ranging from essays and literary criticism to translation and historical analysis. Many consider him one of the most important contributors to Hindi literature.

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JAYOTI VIDYAPEETH WOMEN'S UNIVERSITY, JAIPUR Faculty of Education & Methodology Faculty Name - JV’n GIRIJA SHARMA (Assistant Professor) Program - M.A III Sem Course Name - ननफॊधक...

JAYOTI VIDYAPEETH WOMEN'S UNIVERSITY, JAIPUR Faculty of Education & Methodology Faculty Name - JV’n GIRIJA SHARMA (Assistant Professor) Program - M.A III Sem Course Name - ननफॊधकाय-आचामय याभचन्द्र शुक्र Session No. & Name - 1.1 (ननफॊधकाय-आचामय याभचॊर शक् ु म का जीवन ऩरयचम) PLANNING AND STARTED (Basic Knowledge For Student) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हहन्द्दी आरोचक, कहानीकाय, ननफन्द्धकाय, साहहत्मेनिहासकाय, कोशकाय, अनुवादक, कथाकाय औय कवव थे। उनके द्वाया लरखी गई सवायधधक भहत्त्वऩूर्य ऩुस्िक है हहन्द्दी साहहत्म का इनिहास , जजसके द्वाया आज बी कार ननधाययर् एवॊ ऩाठ्मक्रभ ननभायर् भें सहामिा री जािी है । हहन्द्दी भें ऩाठ आधारयि वैऻाननक आरोचना का सूत्रऩाि बी उन्द्हीॊ के द्वाया हुआ। हहन्द्दी ननफन्द्ध के ऺेत्र भें बी शुक्र का भहत्त्वऩूर्य मोगदान है । बाव , भनोववकाय सम्फजन्द्धि भनोववश्रेषर्ात्भक ननफन्द्ध उनके प्रभुख हस्िाऺय हैं। शुक्र ने साहहत्म के 1|Page इनिहास रेखन भें यचनाकाय के जीवन औय ऩाठ को सभान भहत्त्व हदमा। उन्द्होंने प्रासॊधगकिा के दृजटिकोर् से साहहजत्मक प्रत्मम एवॊ यसों की ऩुनर्वमायख्मा की गई। जीवन ऩररचर्- याभचन्द्र शुक्र का जन्द्भ 1884 ईस्वी भें उत्िय प्रदे श फस्िी जजरे के अगोना नाभक गाॉव भें हुआ था। इनकी भािा जी का नाभ ववबाषी था औय वऩिा चॊरफरी शुक्र की ननमुजक्ि सदय कानूनगो के ऩद ऩय लभर्ायऩुय भें हुई िो सभस्ि ऩरयवाय वहीॊ आकय यहने रगा। जजस सभम शुक्र की अवस्था नौ वषय की थी , उनकी भािा का दे हान्द्ि हो गमा। भािस ृ ख ु के अबाव के साथ- साथ ववभािा से लभरने वारे द्ु ख ने उनके र्वमजक्ित्व को अल्ऩामु भें ही ऩररऩक्व बना दिर्ा। अध्ममन के प्रनि रग्नशीरिा शुक्र भें फाल्मकार से ही थी। ककॊिु इसके लरए उन्द्हें अनुकूर वािावयर् न लभर सका। लभजायऩुय के रॊदन लभशन स्कूर से 1901 भें स्कूर पाइनर ऩयीऺा उत्िीर्य की। उनके वऩिा की ु र कचहयी भें जाकय दफ्िय का काभ सीखें , ककॊिु शक् इच्छा थी कक शक् ु र उच्च लशऺा प्राप्ि कयना चाहिे थे। वऩिा जी ने उन्द्हें वकारि ऩढ़ने के लरए इराहाफाद बेजा ऩय उनकी रुधच वकारि भें न होकय साहहत्म भें थी। अि् ऩरयर्ाभ मह हुआ कक वे उसभें अनुत्िीर्य यहे । शुक्र जी के वऩिाजी ने उन्द्हें नामफ िहसीरदायी की जगह हदरवाने का प्रमास ककमा गमा , ककॊिु उनकी स्वालबभानी प्रकृनि के कायर् मह सॊबव नहीॊ हो सका। 2|Page 1903 से 1908 िक आनन्द्द कादजम्फनी के सहामक सॊऩादक का कामय ककमा। 1904 से 1908 िक रॊदन लभशन स्कूर भें ड्राइॊग के अध्माऩक यहे । इसी सभम से उनके रेख ऩत्र-ऩत्रत्रकाओॊ भें छऩने रगे औय धीये -धीये उनकी ववद्विा का मश चायों ओय पैर गमा। उनकी मोग्मिा से प्रबाववि होकय 1908 भें काशी नागयी प्रचारयर्ी सबा ने उन्द्हें हहन्द्दी शब्दसागय के सहामक सॊऩादक का कामय-बाय सौंऩा जजसे उन्द्होंने सपरिाऩूवक य ऩूया ककमा। श्माभसुन्द्दय दास के शब्दों भें शब्दसागय की उऩमोधगिा औय सवाांगऩूर्ि य ा का अधधकाॊश श्रेम याभचॊर शुक्र को प्राप्ि है । वे नागयी प्रचारयर्ी ऩत्रत्रका के बी सॊऩादक यहे । 1919 भें काशी हहॊद ू ववश्वववद्मारम भें हहॊदी के प्राध्माऩक ननमक् ु ि हुए जहाॉ श्माभसॊद ु य दास की भत्ृ मु के फाद 1937 से जीवन के अॊनिभ कार 1941 िक ववबागाध्मऺ के ऩद ऩय यहे । 2 पयवयी 1941 को हृदम की गनि रुक जाने से शुक्र का दे हाॊि हो गमा। मौलिक कृलिय ाँ िीन प्रक र की हैं -- आलोचनात्मक ग्रंथ -सूय, िुरसी, जामसी ऩय की गई आरोचनाएॉ , कार्वम भें यहस्मवाद, कार्वम भें अलबर्वमॊजनावाद, यसभीभाॊसा आहद शुक्र की आरोचनात्भक यचनाएॉ हैं। 3|Page ननबन्द्धात्मक ग्रन्द्थ- उनके ननफन्द्ध धचॊिाभणर् नाभक ग्रॊथ के दो बागों भें सॊग्रहीि हैं। धचॊिाभणर् के ननफन्द्धों के अनिरयक्ि शुक्र ने कुछ अन्द्म ननफन्द्ध बी लरखे हैं , जजनभें लभत्रिा , अध्ममन आहद ननफन्द्ध साभान्द्म ववषमों ऩय लरखे गमे ननफन्द्ध हैं। लभत्रिा ननफन्द्ध जीवनोऩमोगी ववषम ऩय लरखा गमा उच्चकोहि का ननफन्द्ध है जजसभें शुक्रजी की रेखन शैरी गि ववशेषिामें झरकिी हैं। क्रोध ननफन्द्ध भें उन्द्होंने साभाजजक जीवन भें क्रोध का क्मा भहत्व , क्रोधी की भानलसकिा-जैसै सभफजन्द्धि ऩहरुओॊ का ववश्रेश्र् ककमा है । ऐनिहासिक ग्रन्द्थ- हहॊदी साहहत्म का इनिहास उनका अनूठा ऐनिहालसक ग्रॊथ है । अनूहदि कृनिमाॉ शुक्र की अनूहदि कृनिमाॉ कई हैं। शशाॊक उनके द्वाया फॊगरा से अनुवाहदि उऩन्द्मास है । इसके अनिरयक्ि उन्द्होंने अॊग्रेजी से ववश्वप्रऩॊच , आदशय जीवन , भेगस्थनीज का बायिवषीम वर्यन , कल्ऩना का आनन्द्द आहद यचनाओॊ का अनव ु ाद ककमा। आनन्द्द कुभाय शक् ु र द्वाया "आचामय याभचन्द्र शक् ु र का अनुवाद कभय" नाभ से यधचि एक ग्रन्द्थ भें उनके अनुवाद कामों का ववस्िि ृ वववयर् हदमा गमा है । िम्ऩादिि कृनिर्ााँ सम्ऩाहदि ग्रन्द्थों भें हहॊदी शब्दसागय , नागयी प्रचारयर्ी ऩत्रत्रका , भ्रभयगीि साय, सूय, िुरसी जामसी ग्रॊथावरी उल्रेखनीम हैं। 4|Page

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