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Social research Unit-1 Meaning of social research - अनुसन्धान (शोध) का मतलब ' बार बार खोजने ' से हैं । जब कोई भी खोज सामाजजक जीवन , सामाजजक घटनाओं अथवा सामाजजक जजटलताओं से सम्बन्धन्धत होती है , तब उसे सामाजजक अनुसन्धान का नाम जिया जाता हैं । इसमें इन सबके सम्बन्ध में यथाथथ ज्ञान प्राप्त जकया जाता...

Social research Unit-1 Meaning of social research - अनुसन्धान (शोध) का मतलब ' बार बार खोजने ' से हैं । जब कोई भी खोज सामाजजक जीवन , सामाजजक घटनाओं अथवा सामाजजक जजटलताओं से सम्बन्धन्धत होती है , तब उसे सामाजजक अनुसन्धान का नाम जिया जाता हैं । इसमें इन सबके सम्बन्ध में यथाथथ ज्ञान प्राप्त जकया जाता है । इस हे तु आनुभजवक या अनु भवजसद्ध तथ्ों ( Empirical Facts ) का पता लगाया जाता है , जनरीक्षण , परीक्षण , वगीकरण तथा सत्यापन के आधार पर सामाजजक घटनाओं के कारणों को ढं ढ जनकाला जाता है । साथ ही मानव व्यवहार से सम्बन्धन्धत सामान्य जनयमों का पता लगाया जाता है । सामाजजक अनुसन्धान में वैज्ञाजनक जवजध को काम में ले ते हुए अवलोकन ( Observation ) तथा सत्यापन ( Verification ) का जवशे षतः सहारा जलया जाता है सामाजिक अनुसन्धान की परिभाषा- सी.ए. मोजर ने इसे पररभाजषत करते हुए जलखा है - " सामाजजि घटनाओं तथा समस्याओं के सम्बन्ध में नवीन ज्ञान प्राप्त करने के जलए की गई व्यवन्धथथत छानबीन को ही हम सामाजजक अनुसन्धान कहते हैं । " बोगार्थ स की पररभाषा में व्यन्धियों तथा उसके परस्पर सम्बन्धों पर महत्त्व जिया गया है । आपके अनुसार सामाजजक अनुसन्धान जकसी समु िाय में रहने वाले व्यन्धियों के मध्य जवद्यमान प्रजियाओं की जां च है । पी.वी. यंग ने जलखा है , सामाजजक अनुसन्धान को ऐसे वै ज्ञाजनक प्रयल के रूप में पररभाजषत जकया जा सकता है जजसका उद्दे श्य ताजकथक एवं िमबद्ध पद्धजतयों के द्वारा नवीन तथ्ों की खोज अथवा पुराने तथ्ों की परीक्षा और सत्यापन उनके िमों , पारस्पररक सम्बन्धों , कायथ - कारण की व्याख्या एवं उन्हें संचाजलत करने वाले स्वाभाजवक जनयमों का जवश्लेषण करना है । जिशर ने जलखा है जकसी को हल करने या जकसी उपकल्पना ( Hypothesis ) की जााँ च करने अथवा नवीन घटनािम तथा उसमें पाए जाने वाले नए सम्बन्धों की खोज करने हे तु उपयुथि पद्धजतयों का जकसी सामाजजक न्धथथजत में जो प्रयोग जकया जाता है उसे ही सामाजजक अनुसन्धान कहा जाता है सामाजिक जिज्ञान अनुसंधान की प्रकृजि (Nature of Social Science Research) को जनम्नजिखिि ज ंदुओ ं के माध्यम से समझा िा सकिा है: 1. हु-जिषयक (Interdisciplinary) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान एक बहु-जवषयक क्षेत्र है , जजसमें समाजशास्त्र, मनोजवज्ञान, अथथशास्त्र, राजनीजत जवज्ञान, मानवजवज्ञान आजि शाजमल होते हैं । यह जवजभन्न दृजिकोणों और जसद्धां तों के माध्यम से समाज के जवजभन्न पहलुओं का अध्ययन करता है । 2.व्यिखथिि औि संगजिि (Systematic and Organized) सामाजजक जवज्ञान अनुसंधान एक व्यवन्धथथत और सं गजित प्रजिया है । इसमें समस्या की पहचान, र्े टा सं ग्रह, जवश्ले षण, और जनष्कषथ जनकालने के जलए पवथ-जनधाथ ररत जवजधयों का पालन जकया जाता है । यह सुजनजित करता है जक अनुसंधान जनष्पक्ष और सटीक हो। 3. साक्ष्य-आधारिि (Evidence-Based) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान में साक्ष्य पर आधाररत जनष्कषथ जनकाले जाते हैं । शोधकताथ र्े टा और तथ्ों का सं ग्रह करके अपने जनष्कषों को प्रमाजणत करते हैं , जजससे उनके जनष्कषथ जवश्वसनीय और मान्य होते हैं । 4.मानि व्यिहाि का अध्ययन (Study of Human Behavior) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान का मु ख्य उद्दे श्य मानव व्यवहार, उसकी सोच, दृजिकोण, और समाज में उसकी गजतजवजधयों को समझना है । यह अनुसंधान जवजभन्न सामाजजक प्रजियाओं, सं बंधों, और संथथाओं के अध्ययन पर केंजित होता है । 5. िस्तुजनष्ठिा (Objectivity)- - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान में शोधकताथ को वस्तुजनष्ठ दृजिकोण अपनाना होता है । व्यन्धिगत पवाथ ग्रहों और धारणाओं से बचते हुए जनष्पक्षता बनाए रखना आवश्यक होता है ताजक जनष्कषथ सही और वै ज्ञाजनक हों। 6.समाि के प्रजि संिेदनशीििा (Sensitivity to Society) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान समाज की जजटलताओं, जवजवधताओं, और समस्याओं के प्रजत संवेिनशील होता है । यह सामाजजक पररवतथन, सु धार, और जवकास के जलए आवश्यक जानकारी और समाधान प्रिान करता है । 7.सांखिकीय औि गुणात्मक डे टा का उपयोग (Use of Quantitative and Qualitative Data)- - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान में िोनों प्रकार के र्े टा का उपयोग जकया जाता है - सां न्धख्यकीय (मात्रात्मक) और गुणात्मक। इससे समाज के जवजभन्न पहलुओं का व्यापक और गहन जवश्ले षण संभव हो पाता है । 8. परििितनशीििा (Dynamic Nature): - समाज जनरं तर बिलता रहता है , और इसजलए सामाजजक जवज्ञान अनुसंधान भी पररवतथनशील होता है । यह समाज में होने वाले पररवतथनों को समझने और उनका जवश्लेषण करने के जलए नई जवजधयों और दृजिकोणों को अपनाता है । 9. प्रासंजगकिा (Relevance): - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान का समाज में व्यावहाररक महत्व होता है । इसका उपयोग सामाजजक नीजतयों, योजनाओं, और कायथ िमों के जनमाथ ण और सु धार के जलए जकया जाता है । 10. समाि सुधाि की जदशा में (Aimed at Social Improvement) - सामाजजक जवज्ञान अनुसंधान का अंजतम उद्दे श्य समाज में सु धार लाना और सामाजजक समस्याओं का समाधान करना है । इसके माध्यम से प्राप्त जनष्कषों का उपयोग समाज के जवजभन्न मुद्दों को हल करने और समाज की प्रगजत के जलए जकया जाता है । इन जवशे षताओं के माध्यम से, सामाजजक जवज्ञान अनुसंधान समाज की गहरी समझ और सुधार के जलए एक महत्वपणथ उपकरण के रूप में कायथ करता है । सामाजिक जिज्ञान अनुसंधान के मुि उद्दे श्य जनम्नजिखिि हैं: 1. समाि की संिचना औि कायतप्रणािी का अध्ययन (Understanding the Structure and Functioning of Society) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान का प्रमुख उद्दे श्य समाज की संरचना, संथथाओं, और प्रजियाओं का गहराई से अध्ययन करना है । इसके माध्यम से हम यह समझ सकते हैं जक समाज कैसे कायथ करता है , और इसके जवजभन्न अं ग एक-िसरे के साथ कैसे संबंजधत हैं । 2. सामाजिक समस्याओं की पहचान औि समाधान (Identifying and Solving Social Problems) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान का एक महत्वपणथ उद्दे श्य समाज में व्याप्त समस्याओं की पहचान करना और उनके समाधान के जलए प्रभावी सुझाव िे ना है । यह अनुसंधान गरीबी, अजशक्षा, अपराध, बेरोजगारी, और स्वास्थ्य जैसी समस्याओं पर केंजित हो सकता है । 3. सामाजिक परििितन का जिश्लेषण (Analyzing Social Change) - समाज में जनरं तर पररवतथन होते रहते हैं , और सामाजजक जवज्ञान अनुसंधान का उद्दे श्य इन पररवतथनों का जवश्लेषण करना है । यह अध्ययन करता है जक सामाजजक, आजथथक, और सां स्कृजतक कारक कैसे समाज को प्रभाजवत करते हैं और जकस प्रकार समाज में बिलाव लाते हैं । 4. जसद्ांिों औि अिधािणाओं का जिकास (Developing Theories and Concepts) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान के माध्यम से नए जसद्धां तों और अवधारणाओं का जवकास जकया जाता है । यह जसद्धां त समाज के जवजभन्न पहलुओं को समझने में सहायक होते हैं और वैज्ञाजनक दृजिकोण प्रिान करते हैं । 5. नीजि जनमातण में योगदान (Contributing to Policy Making) सामाजजक जवज्ञान अनुसंधान सरकार और अन्य सं गिनों को नीजतयााँ बनाने में सहायता करता है । यह शोध नीजतयों की प्रभावशीलता का आकलन करता है और सु धार के जलए सुझाव िे ता है । इसके माध्यम से समाज के जवकास और कल्याण के जलए प्रभावी नीजतयााँ तैयार की जा सकती हैं । 6. व्यखिगि औि सामूजहक व्यिहाि का अध्ययन (Studying Individual and Collective Behavior) - यह अनुसंधान व्यन्धिगत और सामजहक व्यवहार को समझने में सहायक होता है । यह अध्ययन करता है जक व्यन्धि और समह जकस प्रकार जनणथय लेते हैं , उनकी सोच और दृजिकोण क्या होते हैं , और वे सामाजजक सं िभथ में कैसे कायथ करते हैं । 7. ज्ञान का जिस्ताि (Expanding Knowledge) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान का एक उद्दे श्य ज्ञान का जवस्तार करना है । यह मानव समाज से संबंजधत नई जानकाररयााँ और तथ् प्रस्तु त करता है , जजससे सामाजजक, सां स्कृजतक, और आजथथ क जीवन की गहरी समझ जवकजसत होती है । 8. **समाि में न्याय औि समानिा की थिापना (Establishing Justice and Equality in Society) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान का एक महत्वपणथ उद्दे श्य समाज में न्याय और समानता की थथापना करना है । यह अनुसंधान समाज में व्याप्त असमानताओं, भेिभाव, और अन्याय को उजागर करता है और सुधार के जलए सुझाव प्रस्तुत करता है । 9. भजिष्य की भजिष्यिाणी (Predicting Future Trends) - सामाजजक जवज्ञान अनु संधान का उद्दे श्य भजवष्य में होने वाले सामाजजक पररवतथनों की भजवष्यवाणी करना भी है । इसके माध्यम से सं भाजवत चुनौजतयों का आकलन जकया जा सकता है और उनके समाधान के जलए तै याररयााँ की जा सकती हैं । 10.सांस्कृजिक औि सामाजिक धिोहि का संिक्षण (Preserving Cultural and Social Heritage) - यह अनुसंधान समाज की सां स्कृजतक और सामाजजक धरोहर को संरजक्षत करने में भी महत्वपणथ भजमका जनभाता है । यह जवजभन्न समुिायों की परं पराओं, रीजत-ररवाजों, और सां स्कृजतक मल्यों का अध्ययन करता है और उन्हें अगली पीज़ियों के जलए सुरजक्षत रखता है । इन उद्दे श्यों के माध्यम से सामाजजक जवज्ञान अनुसंधान समाज के जवकास, सु धार, और समझ में महत्वपणथ योगिान िे ता है । यह अनुसंधान न केवल सामाजजक समस्याओं को हल करने में सहायक होता है , बन्धि समाज को समृद्ध और न्यायपणथ बनाने की जिशा में भी महत्वपणथ किम उिाता है । सामाजिक जिज्ञान अनुसंधान के जिजभन्न प्रकािों को जनम्नजिखिि रूप में िगीकृि जकया िा सकिा है: 1. िणतनात्मक अनुसंधान (Descriptive Research) - **पररभाषा:** यह अनुसंधान जकसी घटना, न्धथथजत, या समाज के जकसी पहल का जववरण प्रस्तुत करता है । इसका उद्दे श्य जकसी जवशेष समाजशास्त्रीय घटना की जवस्तृत जानकारी िे ना है । - **उिाहरण:** जनसं ख्या की जनसां न्धख्यकी (Demographics) का अध्ययन, जशक्षा के स्तर का जवश्लेषण, आजि। 2. व्यािात्मक अनुसंधान (Explanatory Research) - **पररभाषा:** इस अनुसंधान का उद्दे श्य जकसी घटना या न्धथथजत के पीछे के कारणों और उनके प्रभावों का जवश्ले षण करना होता है । यह क्यों और कैसे प्रश्ों के उत्तर िे ने की कोजशश करता है । - उिाहरण:जकसी जवशे ष सामाजजक आं िोलन के कारणों का अध्ययन, अपराध िर में वृन्धद्ध के कारकों का जवश्लेषण, आजि। 3. **अन्वेषणात्मक अनुसंधान (Exploratory Research) - पररभाषा:जब जकसी नए या अपररजचत क्षे त्र में शोध जकया जाता है , तो उसे अन्वेषणात्मक अनुसंधान कहते हैं । इसका उद्दे श्य शोध के क्षेत्र में नई जिशाएाँ और सं भावनाएाँ तलाशना होता है । - उिाहरण: जकसी नए सामाजजक मुद्दे पर प्रारं जभक अध्ययन, तकनीकी नवाचारों का समाज पर प्रभाव जानने के जलए प्रारं जभक अध्ययन, आजि। 4. आिश्यकिािादी अनुसंधान (Applied Research) - **पररभाषा:अनुप्रयु ि अनुसंधान का उद्दे श्य जकसी जवशे ष व्यावहाररक समस्या का समाधान ढं ढना होता है । यह अनुसंधान सीधे तौर पर समाज में उपयोग के जलए जकया जाता है । - **उिाहरण:** जकसी जवशेष समुिाय में गरीबी उन्मलन के जलए कायथिम का जवकास, जकसी क्षेत्र में जशक्षा के स्तर में सु धार के जलए योजना बनाना, आजि। 5. **मौजिक अनुसंधान (Fundamental or Basic Research) - **पररभाषा:** मौजलक अनुसंधान का उद्दे श्य ज्ञान के मौजलक जसद्धां तों को समझना और उनका जवस्तार करना होता है । यह शोध जकसी जवशेष समस्या के समाधान के जलए नहीं, बन्धि ज्ञान के जवस्तार के जलए जकया जाता है । - **उिाहरण:** समाज में सां स्कृजतक पररवतथन के जसद्धां तों का अध्ययन, सामाजजक संरचनाओं का जवश्ले षण, आजि। 6. **कायतिाही अनुसंधान (Action Research) - **पररभाषा:** इस प्रकार के अनुसंधान में जकसी जवशे ष समस्या का अध्ययन करके त्वररत समाधान जनकालने की कोजशश की जाती है । यह सामान्यतः छोटे पैमाने पर जकया जाता है और इसका उद्दे श्य तत्काल सु धार लाना होता है । - **उिाहरण:** जकसी जवद्यालय में जशक्षण जवजधयों में सु धार के जलए अध्यापक और शोधकताथ ओं द्वारा जकया गया संयुि अध्ययन। 7. आं कडा आधारिि अनुसंधान (Quantitative Research) - **पररभाषा:** इस अनुसंधान में आं कडों और संख्यात्मक र्े टा का उपयोग जकया जाता है । इसका उद्दे श्य आं कडों के माध्यम से सामाजजक घटनाओं का जवश्ले षण करना है । - **उिाहरण:** सवेक्षण, जनगणना र्े टा का जवश्ले षण, सां न्धख्यकीय तकनीकों का उपयोग, आजि। 8. गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research) - **पररभाषा:** गुणात्मक अनुसंधान में सं ख्याओं के बजाय वणथनात्मक और गैर-सां न्धख्यकीय र्े टा का उपयोग जकया जाता है । इसका उद्दे श्य लोगों के दृजिकोण, अनुभवों, और सामाजजक प्रजियाओं को समझना है । - **उिाहरण:** साक्षात्कार, िोकस समह, केस स्टर्ी, मानवजवज्ञाजनक अध्ययन, आजि। 9.समीक्षा अनुसंधान (Evaluation Research) - **पररभाषा:** समीक्षा अनुसंधान का उद्दे श्य जकसी कायथ िम, नीजत, या पररयोजना की प्रभावशीलता का मल्यां कन करना होता है । यह शोध यह जानने के जलए जकया जाता है जक क्या कोई जवशेष पहल समाज पर सकारात्मक प्रभाव र्ाल रही है या नहीं। - **उिाहरण:** सरकारी योजनाओं की समीक्षा, जशक्षा कायथिमों की प्रभावशीलता का अध्ययन, आजि। 10.ऐजिहाजसक अनुसंधान (Historical Research) - **पररभाषा:** इस अनुसंधान में ऐजतहाजसक घटनाओं, जवचारों, और प्रजियाओं का अध्ययन जकया जाता है । इसका उद्दे श्य अतीत की घटनाओं और उनके प्रभावों को समझना होता है । - **उिाहरण:** जकसी जवशेष समाज की ऐजतहाजसक संरचना का अध्ययन, जकसी ऐजतहाजसक आं िोलन का जवश्ले षण, आजि। इन जवजभन्न प्रकारों के माध्यम से सामाजजक जवज्ञान अनुसंधान समाज के जवजवध और जजटल पहलुओं का गहन अध्ययन करता है । प्रत्येक प्रकार का अनु संधान समाज के जवजभन्न प्रश्ों का उत्तर िे ने और समाज के जवकास में योगिान करने के जलए महत्वपणथ होता है । सामाजिक अनुसन्धान की उपयोजगिा- ( 1 ) सामाजिक जिज्ञानों की उन्नजि में सहायक - सामाजजक अनुसन्धान द्वारा सामाजजक घटनाओं के बारे में अजधक वैज्ञाजनक जानकारी प्राप्त होती है । सामाजजक अनुसन्धान द्वारा अध्ययन की नवीन प्रजवजधयों व उपकरणों का जवकास जकया जाता है । इन िोनों ही न्धथथजतयों में एक जवज्ञान के रूप में समाजशास्त्र के जवकास में योग जमलता है । क्योंजक इससे सामाजजक घटनाओं में जनयन्त्रण ब़िता जाता है । इसके अजतररि सामाजजक अनुसन्धान द्वारा प्राप्त जनष्कषथ अन्यत्र सामाजजक जवज्ञानों के जवकास में भी योग िे ते हैं । ( 2 ) सैद्ाखिक महत्त्व - सामाजजक अनुसन्धान समाज जवज्ञानों का आधार है जजससे जवजभन्न जवज्ञानों हे तु अजधकाजधक प्रमाजणक सामग्री प्राप्त होती है । अनुसन्धान द्वारा प्राप्त ज्ञान समाज व सामाजजक जीवन के बारे में वृ न्धद्ध करता है जजससे सामाजजक जियाओं को समझने में सहायता जमलती है । ( 3 ) भजिष्यिाणी में सहायक - सामाजजक अनुसन्धान द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर वतथमान को समझकर भजवष्य में होने वाली अनेक सामाजजक घटनाओं व िशाओं का पता लगाकर उनके बारे में भजवष्यवाणी की जा सकती है ताजक उनके साथ सिलतापवथक समायोजन जकया जा सके । ( 4 ) प्रशासन एिं समाि सुधाि में उपयोजगिा - प्रशासजनक से वाओं में उच्च पिों पर आसीन अजधकारी जवजभन्न पररन्धथथजतयों में अपनी उजचत भजमका तभी जनवाथ ह कर सकते हैं जब उन्हें पणथ तया सही जानकारी हो । अतः जवजभन्न समस्याओं के सिल समाधान हे तु सामाजजक अनुसन्धान अत्यन्त आवश्यक व उपयोगी है । ( 5 ) सामाजिक समस्याओं को हि किने में सहायक - िे श में व्याप्त जवजभन्न समस्याएाँ जैसे - बेकारी , जनधथनता , मािक िव्य , व्यसन , बाल - अपराध , भ्रिाचार , िहे ज आजि ने िे श की प्रगजत के मागथ में बाधा उत्पन्न की है । इन समस्याओं को सही पररप्रेक्ष्य में समझने हे तु आवश्यक जानकारी सामाजजक अनुसन्धान से प्राप्त होती है । सामाजिक अनुसंधान के जिए कई जिजधयााँ (Methods) उपयोग की िािी हैं, िो जिजभन्न परिखथिजियों औि उद्दे श्यों के अनुसाि जभन्न होिी हैं। यहां सामाजिक अनुसंधान की प्रमुि जिजधयााँ प्रस्तुि की गई हैं : 1. सिेक्षण जिजध (Survey Method) - पररभाषा: इस जवजध में लोगों से प्रत्यक्ष रूप से जानकारी एकत्र की जाती है । प्रश्ावली (Questionnaire) या साक्षात्कार (Interview) के माध्यम से र्े टा सं ग्रह जकया जाता है । - उपयोग:जनसंख्या का अध्ययन, जनमत सं ग्रह, समाज की आजथथ क न्धथथजत का जवश्ले षण, आजि। - उिाहरण:जकसी समुिाय में जशक्षा के स्तर का सवेक्षण करना। 2.अििोकन जिजध (Observation Method) - **पररभाषा:** इस जवजध में शोधकताथ जकसी घटना, प्रजिया, या व्यवहार का प्रत्यक्ष रूप से अवलोकन करता है । यह अनुसंधान जवजध सामाजजक और सां स्कृजतक प्रजियाओं को समझने के जलए उपयोगी है । - **प्रकार:** - *प्रत्यक्ष अवलोकन (Direct Observation):* शोधकताथ सीधे उपन्धथथत रहकर अवलोकन करता है । - *अप्रत्यक्ष अवलोकन (Indirect Observation):* शोधकताथ जबना बताए अवलोकन करता है । - **उिाहरण:** जकसी समुिाय में त्योहारों के िौरान लोगों के व्यवहार का अध्ययन। 3. **साक्षात्काि जिजध (Interview Method) - **पररभाषा:** इस जवजध में शोधकताथ जकसी व्यन्धि या समह से मौन्धखक रूप से प्रश् पछकर जानकारी एकत्र करता है । यह जवजध गहन जानकारी प्राप्त करने के जलए उपयोगी है । - **प्रकार:** - *संरजचत साक्षात्कार (Structured Interview):* पवथ जनधाथ ररत प्रश्ों का उपयोग। - *असंरजचत साक्षात्कार (Unstructured Interview):* खु ली बातचीत के माध्यम से जानकारी। - **उिाहरण:** जकसी सामाजजक समस्या पर जवशेषज्ञों के जवचार जानने के जलए साक्षात्कार करना। 4. प्रयोगात्मक जिजध (Experimental Method) - **पररभाषा:** इस जवजध में शोधकताथ जनयंत्रण और परीक्षण समहों पर प्रयोग करके जवजभन्न चर (Variables) के बीच संबंध का अध्ययन करता है । यह जवजध सामाजजक मनोजवज्ञान में अजधक उपयोगी है । - **उपयोग:** मानव व्यवहार, जनणथय लेने की प्रजिया, सामाजजक प्रभाव का अध्ययन। - **उिाहरण:** जकसी सामाजजक अजभयान के प्रभाव का परीक्षण करना। 5.ऐजिहाजसक जिजध (Historical Method) - **पररभाषा:** इस जवजध में इजतहास से संबंजधत िस्तावेजों, अजभले खों, और अन्य स्रोतों का जवश्लेषण करके अतीत की घटनाओं, नीजतयों, और प्रजियाओं का अध्ययन जकया जाता है । - **उपयोग:** अतीत की घटनाओं और उनके प्रभावों का जवश्ले षण, सां स्कृजतक और सामाजजक जवकास का अध्ययन - **उिाहरण:** भारतीय स्वतंत्रता सं ग्राम का ऐजतहाजसक अध्ययन। 6.प्रकिण अध्ययन जिजध (Case Study Method) - **पररभाषा:** इस जवजध में जकसी जवशेष घटना, व्यन्धि, समुिाय, या संगिन का गहराई से अध्ययन जकया जाता है । यह जवजध जजटल सामाजजक घटनाओं का गहन जवश्ले षण करने के जलए उपयोगी है । - **उिाहरण:** जकसी गााँ व में जशक्षा की न्धथथजत का जवश्ले षण, जकसी सामाजजक आं िोलन का अध्ययन। 7. सांखिकीय जिजध (Statistical Method) - **पररभाषा:** इस जवजध में र्े टा का सं ग्रह, वगीकरण, जवश्ले षण, और व्याख्या करने के जलए सां न्धख्यकीय तकनीकों का उपयोग जकया जाता है । यह जवजध मात्रा के माध्यम से सामाजजक घटनाओं का अध्ययन करने के जलए उपयोगी है । - **उिाहरण:** जनसं ख्या वृन्धद्ध का जवश्ले षण, बेरोजगारी िर का अध्ययन। 8. िुिनात्मक जिजध (Comparative Method) - पररभाषा:इस जवजध में िो या अजधक समाजों, घटनाओं, या संथथाओं की तु लना की जाती है । इसका उद्दे श्य उनके बीच समानताओं और असमानताओं का जवश्लेषण करना है । - **उिाहरण:** जवजभन्न िे शों में जशक्षा प्रणाजलयों की तुलना, अलग-अलग समय के सामाजजक आं िोलनों का अध्ययन। 9.शुखद्किण जिजध (Content Analysis) - **पररभाषा:** इस जवजध में जकसी पाि, िस्तावे ज, या अन्य सामजग्रयों का जवश्लेषण करके उसमें मौजि सं िेशों, प्रतीकों, और अथों का अध्ययन जकया जाता है । यह जवजध मीजर्या, साजहत्य, और भाषणों के अध्ययन में उपयोगी है । - **उिाहरण:** समाचार पत्रों में जिए गए समाचारों का जवश्ले षण, जिल्मी संवािों का अध्ययन। 10. जमजिि जिजध (Mixed Methods) - **पररभाषा:** इस जवजध में गु णात्मक और मात्रात्मक िोनों प्रकार की अनु संधान जवजधयों का संयोजन जकया जाता है । यह जवजध अजधक व्यापक और समृद्ध जानकारी प्राप्त करने के जलए उपयोगी है । - **उिाहरण:** सवेक्षण के साथ-साथ साक्षात्कार का उपयोग करके जकसी सामाजजक समस्या का अध्ययन। इन जवजभन्न अनुसंधान जवजधयों का चयन समाज की संरचना, समस्याओं, और अनुसंधान के उद्दे श्य के आधार पर जकया जाता है । सही जवजध का चयन अनुसंधान के पररणामों की जवश्वसनीयता और उपयोजगता को ब़िाने में महत्वपणथ भजमका जनभाता है । **मौजलक अनुसंधान (Pure Research)** और **अनुप्रयुि अनुसंधान (Applied Research)** िो महत्वपणथ शोध प्रकार हैं , जजनका उद्दे श्य और उपयोग अलग-अलग होते हैं । आइए इन िोनों को जहं िी में जवस्तार से समझते हैं : 1. **मौजिक अनुसंधान (Pure Research)** पररभाषा: मौजलक अनुसंधान का मु ख्य उद्दे श्य नए ज्ञान की प्रान्धप्त है । यह शोध जकसी जवजशि व्यावहाररक समस्या के समाधान के जलए नहीं, बन्धि ज्ञान के जवस्तार के जलए जकया जाता है । इसे "मलभत अनुसंधान" या "आधारभत अनुसंधान" भी कहा जाता है । जवशेषताएाँ : - ज्ञान का जवस्तार:** इसका उद्दे श्य वै ज्ञाजनक या सैद्धां जतक ज्ञान का जवस्तार करना होता है । - लं बी अवजध के पररणाम: इस प्रकार के अनुसंधान के पररणाम तुरंत उपयोगी नहीं हो सकते, लेजकन िीघथ काजलक रूप में ज्ञान और जसद्धां तों का जवकास करते हैं । - **जकसी जवशेष समस्या पर केंजित नहीं:** यह जकसी जवशे ष व्यावहाररक समस्या को हल करने के जलए नहीं, बन्धि व्यापक ज्ञान प्राप्त करने के जलए जकया जाता है । - **उिाहरण:** DNA की संरचना की खोज, भौजतक जवज्ञान में क्ां टम जसद्धां त का अध्ययन, आजि। 2.अनुप्रयुि अनुसंधान (Applied Research) परिभाषा: अनुप्रयुि अनुसंधान का उद्दे श्य जकसी जवजशि समस्या के समाधान के जलए जकया जाने वाला शोध है । यह शोध व्यावहाररक समस्याओं का समाधान करने और उन पर आधाररत नई तकनीकों या प्रजियाओं के जवकास पर केंजित होता है । जिशेषिाएाँ :- व्यावहाररक समस्याओं पर केंजित:** यह जकसी जवजशि समस्या को हल करने के जलए जकया जाता है , जैसे जक जकसी बीमारी का इलाज ढं ढना या जकसी उद्योग की उत्पािन प्रजिया में सुधार करना। तुरंत पररणाम: अनुप्रयुि अनुसंधान के पररणाम अजधकतर तुरंत उपयोगी होते हैं और सीधे तौर पर समाज, उद्योग या अन्य क्षे त्रों में लाग जकए जा सकते हैं । समय-संवेिनशील: इस प्रकार के अनुसंधान के पररणाम समय के साथ बिल सकते हैं और उन्हें तुरंत कायाथ न्धन्वत जकया जा सकता है उदाहिण: नई िवाओं का जवकास, पयाथ वरण प्रिषण की समस्याओं का समाधान, जशक्षा में नए तरीकों का परीक्षण, आजि। मुख्य अंतर:- उद्दे श्य: मौजलक अनुसंधान का उद्दे श्य नए ज्ञान की प्रान्धप्त है , जबजक अनुप्रयुि अनुसंधान का उद्दे श्य जकसी जवशे ष व्यावहाररक समस्या का समाधान है । लक्ष्य: मौजलक अनुसंधान वैज्ञाजनक ज्ञान और जसद्धां तों को ब़िाने पर केंजित होता है , जबजक अनुप्रयुि अनुसंधान उन जसद्धां तों और ज्ञान को व्यावहाररक रूप में लाग करने पर केंजित होता है । उपयोजगता:मौजलक अनुसंधान के पररणाम िीघथकाजलक होते हैं , जबजक अनुप्रयुि अनुसंधान के पररणाम अल्पकाजलक होते हैं और तुरंत उपयोग में लाए जा सकते हैं । िोनों प्रकार के अनुसंधान समाज और जवज्ञान के जवकास में महत्वपणथ भजमका जनभाते हैं और एक िसरे के परक होते हैं । सामाजिक अनुसंधान में जिजभन्न जसद्ांिों (Theories) का जवकास हुआ है , जो समाज, संस्कृजत, और मानव व्यवहार को समझने में मिि करते हैं । यहााँ सामाजजक अनुसंधान के कुछ प्रमु ख जसद्धां तों का वणथन जकया गया है : 1.कािणात्मक जसद्ांि (Causal Theory) - पररभाषा: इस जसद्धां त का उद्दे श्य यह समझना है जक एक घटना या न्धथथजत जकसी अन्य घटना या न्धथथजत को कैसे प्रभाजवत करती है । इसका मुख्य िोकस कारण और प्रभाव (Cause and Effect) के संबंध का जवश्लेषण करना है । - **उिाहरण:** जशक्षा का अपराध िर पर प्रभाव, गरीबी और स्वास्थ्य के बीच संबंध। 2.संिचनात्मकिा (Structuralism) - **पररभाषा:** संरचनात्मकता का जसद्धां त इस जवचार पर आधाररत है जक समाज एक संरचना के रूप में कायथ करता है , जजसमें जवजभन्न तत्व (जैसे संथथान, परं पराएाँ , भजमकाएाँ ) एक-िसरे के साथ जु डे होते हैं । यह समाज की सं रचना को समझने का प्रयास करता है । - **उिाहरण:** पररवार, जशक्षा, और धमथ जैसी संथथाओं की भजमका का अध्ययन। 3.कायातत्मकिा (Functionalism) - **पररभाषा:** यह जसद्धां त समाज को एक जीजवत प्राणी के रूप में िे खता है , जजसमें हर भाग (जैसे पररवार, जशक्षा, धमथ) समाज की न्धथथरता और संतुलन बनाए रखने के जलए कायथ करता है । यह जसद्धां त मानता है जक समाज के हर तत्व का एक जवशेष उद्दे श्य होता है । - **उिाहरण:** पररवार का समाज में सामाजजकरण (Socialization) के माध्यम से सामाजजक व्यवथथा बनाए रखना। 4.संघषत जसद्ांि (Conflict Theory) - **पररभाषा:** यह जसद्धां त मानता है जक समाज में जनरं तर सं घषथ की न्धथथजत बनी रहती है , जो मुख्यतः सत्ता, धन, और सं साधनों के असमान जवतरण के कारण होती है । इस जसद्धां त के अनुसार, समाज में पररवतथन संघषथ के माध्यम से होता है - **उिाहरण:** श्रजमक वगथ और पं जीपजत वगथ के बीच सं घषथ , नस्लीय असमानता के कारण सामाजजक संघषथ। 5.प्रिीकात्मक अिःजिया (Symbolic Interactionism) - **पररभाषा:** यह जसद्धां त मानता है जक समाज में अथथ और प्रतीकों के माध्यम से मानव सं बंधों का जनमाथ ण होता है । लोग अपने जवचारों और कायों को प्रतीकों के माध्यम से व्यि करते हैं और अन्य लोगों के साथ बातचीत करते हैं । - **उिाहरण:** भाषा, धाजमथक प्रतीकों, और सां स्कृजतक मान्यताओं का समाज पर प्रभाव। 6.नािीिादी जसद्ांि (Feminist Theory) - **पररभाषा:** नारीवािी जसद्धां त समाज में लैंजगक असमानता और भेिभाव का अध्ययन करता है । इसका उद्दे श्य मजहलाओं के अजधकारों और स्वतंत्रता को ब़िावा िे ना और जपतृसत्तात्मक संरचनाओं का जवश्लेषण करना है । - **उिाहरण:** कायथथथल पर मजहलाओं के साथ भे िभाव, घरे ल जहं सा के कारणों का अध्ययन। 7. जिकासात्मक जसद्ांि (Developmental Theory) - **पररभाषा:** यह जसद्धां त मानता है जक व्यन्धि और समाज का जवकास एक िजमक प्रजिया है , जो समय के साथ होती है । यह जवकास को जवजभन्न चरणों में जवभाजजत करता है , और प्रत्ये क चरण में व्यन्धियों और समाज का जवश्लेषण करता है । - **उिाहरण:** समाज में औद्योजगकीकरण के प्रभाव, मानव जवकास के जवजभन्न चरणों का अध्ययन। 8.आधुजनकिा औि उत्ति-आधुजनकिा (Modernism and Postmodernism) पररभाषा: -आधुजनकता (Modernism)*: यह जसद्धां त मानता है जक समाज में प्रगजत और जवकास के जलए वैज्ञाजनक और तकथसंगत दृजिकोण की आवश्यकता है । यह परं परागत मान्यताओं और रीजतयों को चुनौती िे ता है । उत्तर-आधु जनकता (Postmodernism)*: यह जसद्धां त आधुजनकता की आलोचना करता है और मानता है जक समाज की सच्चाई कई रूपों में होती है , और उसे एक ही दृजिकोण से नहीं समझा जा सकता। - **उिाहरण:** सां स्कृजतक जवजवधता का अध्ययन, समाज में ज्ञान और शन्धि के संबंधों का जवश्लेषण। 9. िचनािाद (Constructivism) - **पररभाषा:** यह जसद्धां त मानता है जक समाज और वास्तजवकता का जनमाथ ण सामाजजक प्रजियाओं के माध्यम से होता है । लोग अपने अनुभवों और बातचीत के माध्यम से समाज और उसकी संरचना को समझते और जनजमथ त करते हैं । - **उिाहरण:** सामाजजक पहचान का जनमाथ ण, सामाजजक मान्यताओं का जवकास। 10.आजधकारिक जसद्ांि (Positivism) - **पररभाषा:** यह जसद्धां त समाज का अध्ययन वैज्ञाजनक जवजधयों के माध्यम से करने की वकालत करता है । यह मानता है जक समाज के सभी पहलुओं का अध्ययन अनुभवजन्य र्े टा (Empirical Data) के माध्यम से जकया जा सकता है । - **उिाहरण:** सामाजजक घटनाओं का सां न्धख्यकीय जवश्ले षण, अनुसंधान में वै ज्ञाजनक जवजधयों का उपयोग। इन जसद्धां तों के माध्यम से सामाजजक अनुसंधान समाज के जवजभन्न पहलुओं का जवश्ले षण और समझने में सहायक होता है । प्रत्येक जसद्धां त समाज की जकसी जवशे ष संरचना, प्रजिया, या समस्या पर केंजित होता है और अपने दृजिकोण से समाधान प्रस्तुत करता है । सामाजिक अनुसंधान के ुजनयादी ित्व (Basic Elements) जनम्नजिखिि हैं: 1. समस्या की पहचान (Problem Identification) - **पररभाषा:** अनुसंधान का पहला किम जकसी जवजशि सामाजजक समस्या या प्रश् की पहचान करना होता है । यह समस्या अनुसंधान का आधार होती है और इसके आधार पर अध्ययन की जिशा जनधाथ ररत होती है । - **उिाहरण:** जशक्षा की असमानता, बेरोजगारी, अपराध िर में वृन्धद्ध। 2.समीक्षा औि पूितसमीक्षा (Literature Review) - **पररभाषा:** सं बंजधत जवषय पर पहले से जकए गए शोध और साजहत्य की समीक्षा करना। यह किम वतथमान ज्ञान, थ्ोरीज, और अनुसंधान में मौजि गैप्स को समझने में मिि करता है । - **उिाहरण:** जकसी जवशेष सामाजजक मु द्दे पर पहले जकए गए अध्ययनों की समीक्षा। 3. **उद्दे श्य औि परिकल्पना (Objectives and Hypothesis) - **पररभाषा:** अनुसंधान के उद्दे श्य और पररकल्पना (Hypothesis) को स्पि रूप से पररभाजषत करना। उद्दे श्य अनुसंधान के लक्ष्य को िशाथ ते हैं , जबजक पररकल्पना सं भाजवत जनष्कषों की भजवष्यवाणी करती है । - **उिाहरण:** यह जां चना जक जशक्षा के स्तर में सुधार से अपराध िर में कमी आएगी या नहीं। 4. अनुसंधान जडजाइन (Research Design) - **पररभाषा:** अनुसंधान जर्जाइन वह योजना होती है जजसके माध्यम से अनुसंधान कायथ को व्यवन्धथथत जकया जाता है । इसमें र्े टा सं ग्रहण की जवजधयााँ , नमना चयन, और जवश्ले षण की रणनीजतयााँ शाजमल होती हैं । - **उिाहरण:** सवेक्षण, केस स्टर्ी, प्रयोगात्मक जर्जाइन। 5. डे टा संग्रहण (Data Collection) - **पररभाषा:** अनुसंधान के उद्दे श्य को परा करने के जलए आवश्यक जानकारी और र्े टा एकत्र करना। इसमें प्रश्ावली, साक्षात्कार, अवलोकन, और सां न्धख्यकीय र्े टा का उपयोग शाजमल हो सकता है । - उिाहरण: लोगों से सवेक्षण के माध्यम से प्रजतजिया प्राप्त करना, सरकारी ररकॉर्थ से र्े टा इकट्ठा करना। 6. डे टा जिश्लेषण (Data Analysis) - **पररभाषा:** सं ग्रजहत र्े टा का जवश्लेषण करना और जनष्कषथ जनकालना। इसमें सां न्धख्यकीय तकनीकों, गुणात्मक जवश्ले षण, और तु लनात्मक अध्ययन शाजमल हो सकते हैं । - **उिाहरण:** र्े टा का सां न्धख्यकीय जवश्ले षण करके पैटनथ और टर ें र््स की पहचान करना। 7. जनष्कषत औि सुझाि (Conclusion and Recommendations) - **पररभाषा:** अनुसंधान के जनष्कषों को सं क्षेप में प्रस्तुत करना और उन पर आधाररत सुझाव िे ना। यह अनुसंधान के पररणामों का सारां श और समाज में लाग करने के जलए सुझाव प्रिान करता है । - **उिाहरण:** अनुसंधान के जनष्कषों के आधार पर नीजत जसिाररशें, सु धारात्मक उपाय। 8. रिपोटत िेिन (Report Writing) - **पररभाषा:** अनुसंधान के पररणामों और जनष्कषों को एक व्यवन्धथथत और सुसंगजित ररपोटथ के रूप में प्रस्तुत करना। इसमें अनुसंधान की पद्धजतयााँ , पररणाम, और जनष्कषथ शाजमल होते हैं । - **उिाहरण:** अनुसंधान ररपोटथ तै यार करना, जजसमें अध्ययन की जवजधयााँ , र्े टा जवश्ले षण, और जनष्कषथ शाजमल हों। 9. **प्रस्तुजि औि जिमशत (Presentation and Discussion) - **पररभाषा:** अनुसंधान पररणामों की सावथजजनक प्रस्तुजत और उनके जवषय पर जवमशथ करना। यह चरण अनुसंधान के प्रभाव को साझा करने और िीर्बै क प्राप्त करने का अवसर प्रिान करता है । - **उिाहरण:** सेजमनार या सम्मे लन में अनुसंधान पररणामों की प्रस्तुजत, जवशे षज्ञों से िीर्बैक लेना। इन बुजनयािी तत्वों के माध्यम से सामाजजक अनुसंधान को व्यवन्धथथत और प्रभावी ढं ग से संपाजित जकया जाता है , जजससे समाज के जवजभन्न पहलुओं को समझा जा सके और समस्याओं के समाधान के जलए िोस आधार तैयार जकया जा सके। भािि में सामाजिक कायत अनुसंधान (Social Work Research) एक महत्वपूणत क्षेत्र है जो समाज की समस्याओं का समाधान और सामाजजक कल्याण को ब़िावा िे ने के जलए समजपथत है । इस अनुसंधान का उद्दे श्य समाज की जरूरतों और समस्याओं का जवश्ले षण करना और प्रभावी हस्तक्षेप (Intervention) जवकजसत करना है । यहााँ भारत में सामाजजक कायथ अनुसंधान के कुछ प्रमु ख पहलुओं पर चचाथ की गई है : 1.अनुसंधान के उद्दे श्य (Objectives of Social Work Research) -समाजजक समस्याओं की पहचान और जवश्ले षण: समाज में व्याप्त समस्याओं जैसे गरीबी, बेरोजगारी, जशक्षा की कमी, स्वास्थ्य समस्याओं का जवश्लेषण करना। - **समाधान की रणनीजतयों का जवकास:** समस्याओं के समाधान के जलए प्रभावी रणनीजतयों और कायथिमों का जवकास करना। - **नीजत जनमाथ ण में योगिान:** सामाजजक नीजतयों और कायथ िमों के जनमाथ ण में सहायता करना और उनकी प्रभावशीलता का मल्यां कन करना। 2.अनुसंधान के क्षेत्र (Areas of Research) - **गरीबी और सामाजजक सुरक्षा (Poverty and Social Security):** गरीबी की समस्याओं, सामाजजक सुरक्षा योजनाओं की प्रभावशीलता, और उन्हें बेहतर बनाने के उपाय। - **स्वास्थ्य और कल्याण (Health and Welfare):** स्वास्थ्य सेवाओं की पहुाँ च, मानजसक स्वास्थ्य, और कल्याण कायथिमों का मल्यां कन। - **जशक्षा और कौशल जवकास (Education and Skill Development):** जशक्षा के क्षेत्र में सु धार, जशक्षा की गुणवत्ता, और कौशल जवकास के कायथ िम। - **लैं जगक समानता और मजहला अजधकार (Gender Equality and Women’s Rights):** मजहला सशन्धिकरण, लैं जगक असमानता, और मजहला अजधकारों की रक्षा। - **सामाजजक न्याय और अजधकार (Social Justice and Rights):** सामाजजक न्याय, अजधकारों की सुरक्षा, और भेिभाव के न्धखलाि अजभयान। 3. अनुसंधान की जिजधयााँ (Research Methods) - **सवेक्षण और र्े टा संग्रहण (Surveys and Data Collection):** जनसंख्या से संबंजधत र्े टा इकट्ठा करना, सवे क्षण और प्रश्ावली का उपयोग। - **मामला अध्ययन (Case Studies):** जवजशि मामलों का गहन अध्ययन और जवश्लेषण। - **साक्षात्कार और समह चचाथ (Interviews and Focus Groups):** व्यन्धियों और समहों के साथ साक्षात्कार और चचाथ करना। - **प्रयोगात्मक अनुसंधान (Experimental Research):** कायथिमों और हस्तक्षेपों के प्रभावों का परीक्षण। 4. **अनुसंधान संथिान औि संगिन (Research Institutions and Organizations) - **सामाजजक कायथ संथथान (Social Work Institutions):** जैसे टाटा इं न्धस्टट्यट ऑि सोशल साइं स (TISS), जिल्ली स्कल ऑि सोशल वकथ (DSSW), जो सामाजजक कायथ अनुसंधान में प्रमु ख भजमका जनभाते हैं । - **गैर-सरकारी सं गिन (NGOs):** जवजभन्न NGO और सामाजजक सं गिनों द्वारा सामाजजक समस्याओं पर अनुसंधान और कायथिम चलाए जाते हैं । 5. **समाजिक कायत अनुसंधान की चुनौजियााँ (Challenges in Social Work Research) - **र्े टा की उपलब्धता और गुणवत्ता (Data Availability and Quality):** जवश्वसनीय और सटीक र्े टा की कमी। - **जवत्तीय संसाधन (Financial Resources):** अनुसंधान के जलए आवश्यक संसाधनों की कमी। - **समाजजक और सां स्कृजतक बाधाएाँ (Social and Cultural Barriers):** जवजभन्न सामाजजक और सां स्कृजतक मु द्दों के कारण अनुसंधान में कजिनाइयााँ । 6.भजिष्य की जदशा (Future Directions) - **प्रौद्योजगकी का उपयोग (Use of Technology):** र्े टा सं ग्रहण और जवश्लेषण में नई तकनीकों का उपयोग। - **अनुसंधान और नीजत के बीच सं बंध (Link between Research and Policy):** अनुसंधान पररणामों को नीजत जनमाथ ण में लाग करना। - **जवजवन्नता और समावेजशता (Diversity and Inclusion):** अनुसंधान में जवजभन्न सामाजजक समहों की सटीक और समावे शी प्रजतजनजधत्व। भारत में सामाजजक कायथ अनुसंधान समाज की जवजवध समस्याओं को समझने और समाधान खोजने में महत्वपणथ भजमका जनभाता है । यह अनुसंधान न केवल सामाजजक नीजतयों और कायथिमों को प्रभाजवत करता है , बन्धि समाज में सामाजजक न्याय और समानता के जलए भी योगिान करता है । ,..............................................

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