त्रिशंकु बेचारा PDF

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हरिशंकर परसाई

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Hindi literature Satire Humor Short story

Summary

यह निबंध हरिशंकर परसाई द्वारा लिखा गया है, और यह हिंदी साहित्य से संबंधित है। यह व्यंग्यात्मक कहानी है, जिसमें एक स्कूल शिक्षक त्रिशंकु और उसके मकान की समस्याओं का वर्णन किया गया है।

Full Transcript

शंकू बेचारा ी. ह रशंकर परसाई ी. ह रशंकर परसाई ह द सा ह य के जाने माने ं य कलाकार ह । हा य - ं य नब कार के प म आपको असाधारण तभा ा त ई । उ ह अ याय और अ याचार से ब त चढ़ थी । उ ह ने कहानी , उप यास , नब ारा अ याय को ं य के मा य...

शंकू बेचारा ी. ह रशंकर परसाई ी. ह रशंकर परसाई ह द सा ह य के जाने माने ं य कलाकार ह । हा य - ं य नब कार के प म आपको असाधारण तभा ा त ई । उ ह अ याय और अ याचार से ब त चढ़ थी । उ ह ने कहानी , उप यास , नब ारा अ याय को ं य के मा यम से करते थे । ' रानी नागफ़नी क कहानी , वाला और जल , भूत के पाँव पीछे , बेईमानी क परत , तरछ रेखाएँ , क बरा खड़ा बाज़ार म ' - आ द उनक कृ तयाँ ह । " शंकु बेचारा " परसाइजी क एक ं या मक रचना है । इस कहानी म शंकु , व ा म और इं आ द तीन पा ह । शंकु एक कू ल अ यापक था । वह कसी शहर के एक गंदे मुह ले म रहता था । उसके जीवन क सबसे बड़ी अ भलाषा यह थी क कसी अ े मुह ले म एक अ े से मकान म रहना । इस लालसा के कारण उसके कू ल म मकान मा लक के जो बेटे पढ़ते थे उ ह ब त यार करता था । परी ा के समय उन मकान - मा लक के ब को मह वपूण बताकर उ ह अ धक नंबर भी दे ते थे । वह ऐसा सपना दे खता था क एक दन कसी मकान मा लक स होकर उनसे कु छ माँगने के लए कह तो वे उनसे एक अ ा - सा मकान पूछेगा । उस शहर के रट कं ोलर व ा म मकान के कराए पर नयं ण रखते थे और खाली मकान कराएदार को दे ते थे । उसका पु शंकु क क ा म पढ़ता था । शंकु उसे ब त यार करता था । बेटा पढ़ाई म ब त कमज़ोर था और व ा म ने बेटे से कहा क पु तक सँभलकर रखना , अगले साल काम आएगी । परी ा म आनेवाले कु छ शंकु ने लड़के को बताया और वह पास हो गया । बेटे के पास होने क खुशी म व ा म शंकु के लए कु छ करना चाहता है । शंकु ने वष से कसी भी मकान मा लक के इस सवाल का इ तज़ार कर रहा था । वह ब त खुश आ । उसके आँख के सामने कई मकान झूल गए । फर मन को काबू म रखकर उसने व ा म से कहा क उनके बेटे को पास कराकर अपना कत नभाया है य क सारे शहर के लोग को रहने के लए मकान दे नेवाले के बेटे पास न होता तो शहर के लए यह बड़ी शम क बात बन जाएगी । उ ह ने एक नाग रक का कत नभाया है । शंकु के इन श द से व ा म का दल चौड़ा हो गया , उसके लए कु छ भी करने को व ा म उ सुक बने । उ ह ने शंकु से कहा क अयो य होकर भी सफलता ा त करने क अमू य व ा उसने बेटे को सखाया है । इस लए शंकु का दजा उनसे भी ऊँचा हो गया है । ऐन मौके पर शंकु ने व ा म से कहा क हो सके तो कसी अ े मुह ले म एक अ ा - सा मकान दलवा द जए । तब व ा म ने शंकु से कहा क उसने बड़ी क ठन माँग क है । मकान क जगह अगर कोई दे श माँग लेते तो दे ने म क ठनाई नह होती । वचनबंद होने के कारण वे मकान दलाएगा ही । व ा म ने वगपुरी या स वल लाइ स म शंकु के लए कराए पर मकान अलॉट कया । मकान मा लक का नाम इं दे व है जो लोक कम वभाग म काम करता था । व ा म ने शंकु से कहा क आज इकतीस तारीख़ है इस लए अपना पुराना मकान आज ही खाली करके सामान लेकर स वल लाइ स म जाओ । स वल लाइ स का नाम सुनते ही शंकु वधा म पड़ गया । य क वहाँ रहनेवाल को शंकु भय और शंसा से दे खना था । वहाँ रहने क क पना कई बार क थी तो सुख का अनुभव आ था । ले कन अब वहाँ रहने का मौका आ गया तो वह वधा म पड़ा । उसने व ा म से कहा क वहाँ के लोग उ ह वीकार नह करगे । तब व ा म ने उ र दया क वहाँ पर मकान मलना सौभा य क बात है उसे ठु करा मत करो । इं जी तु ह हाथ जोड़कर मकान दगे । मेरी बात कोई मकान - मा लक नह टाल सकता । शामको शंकु ने एक ठे ले पर अपना सामान लदवाकर स वल लाइ स म चला । अपने माली को आदे श दे नेवाले इं ने समझा क कसी नौकर उनके सामने खड़ा है । शंकु ही उनके मकान म रहने के लए आया है यह जानकर वे च ला करने लगा क इं ने या नशे म शंकु को यहाँ रहने के लए भेजा है ? वे आगे कहते ह क कसी शरीफ़ आदमी के लए मकान चा हए था । तो नशंकु ने पूछा क या म आदमी नह है या ? यहाँ पर म य नह रह सकता ? तो व ा म ने उसे समझाया क यहाँ रहने के लए शंकु का बल नह है । मोटर , ां ज़ टर सेट , रे जेरेटर , सोफासेटवाले ही घर म रह सकते ह । ब को प लक कू ल म पढ़ना चा हए । के टस के कार जानना चा हए । लब म जानेवाला होना चा हए । मतलब यह है क आम आदमी को इं मकान नह दगे । गु से म इं ने व ा म को गाली दया । और कहा क से े टरी से कहकर कल ही उनका तबादला करेगा , व ा म का बाप भी यहाँ नह बसेगा । और व ा म ने गु से से शंकु से पूछा क उनके मकान को या अनाथालय समझ रखा है ? शंकु ने ठे ला लौटाकर सीधे व ा म के बँगले पर प च ँ ा । सारी बात बता द । इं ारा गाली दे ने क बात सुनकर व ा म ोध से लाल हो गया । उसने व ा म से कहा क वह वहाँ नह रहेगा अपने पुराने मकान म लौट जाएगा । तुरंत व ा म ने उनसे कहा क उस पुराने मकान सरे को एलॉट कर दया है । तब शंकु ने अपना ठे ला लेकर एक धमशाला क राह पकड़ ली । तब से वह धमशाला म पड़ा है ।

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