सामाजिक अध्ययन / सामाजिक विज्ञान की अवधारणा एवं प्रकृति PDF
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इस दस्तावेज़ में सामाजिक अध्ययन/सामाजिक विज्ञान की अवधारणा और प्रकृति के बारे में बताया गया है। सामाजिक अध्ययन के क्षेत्रों में इतिहास, भूगोल, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र शामिल हैं। दस्तावेज़ सामाजिक अध्ययन के अन्य विषयों जैसे कला और विज्ञान से संबंधों का भी विश्लेषण करता है।
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सामाजिक अध्ययन / सामाजिक विज्ञान की अिधारणा एिं प्रकृति Concept and Nature of Social Study / Social Science 11 सामाजिक अध्ययन / जिज्ञान का अर्थ एिं प्रकृजि सामाजिक अध्ययन का शाब्दिक अर्थ है समाि का अध्ययन करना। सामाजिक अध्ययन एक व्यापक...
सामाजिक अध्ययन / सामाजिक विज्ञान की अिधारणा एिं प्रकृति Concept and Nature of Social Study / Social Science 11 सामाजिक अध्ययन / जिज्ञान का अर्थ एिं प्रकृजि सामाजिक अध्ययन का शाब्दिक अर्थ है समाि का अध्ययन करना। सामाजिक अध्ययन एक व्यापक शि है , जिसमें समाि के सभी पक्ष शाजमल होते हैं । सामाजिक अध्ययन समाि के आजर्थक, धाजमथक, रािनीजतक, साांस्कृजतक आजि पक्षोां के अध्ययन पर बल िे ता है। सामाजिक अध्ययन की प्रकृजत पररवतथनशील रही है। प्रारम्भ में इसे केवल वर्थनात्मक जवषय समझा िाता र्ा तर्ा इसमें केवल मानवीय जवषयोां का जववरर् जिया िाता र्ा। इसका वैज्ञाजनक अध्ययन नहीां जकया िाता र्ा। इसमें कारर्-कायथ सम्बन्ध पर बल नहीां जिया िाता र्ा। अध्ययन तर्ा जशक्षर् में वैज्ञाजनक जवजध के जवकास होने से सामाजिक अध्ययन की अध्ययन पद्धजत में पररवतथन हुआ। इसके अध्ययन तर्ा जशक्षर् में वैज्ञाजनकता का समावेश हुआ। अब सामाजिक अध्ययन में कारर्-कायथ सम्बन्ध पर बल जिया िाने लगा। इसमें तकथ पर बल िे कर जनष्कषथ जनकाला िाने लगा। इस तरह सामाजिक अध्ययन को जवज्ञान कहा िाने लगा। परन्तु वतथमान समय में सामाजिक अध्ययन को कला तर्ा जवज्ञान िोनोां माना िा रहा है। यह जवषय वस्तु की दृजि से सामाजिक शास्त्र के रूप में है, िबजक अध्ययन पद्धजत की दृजि से जवज्ञान है । कोलब्दम्बया एनसाइक्लोपीजिया के अनुसार, "सामाजिक अध्ययन / जवज्ञान से तात्पयथ अध्ययन के उन क्षेत्ोां से हैं िो मानव मात् को उनके सामाजिक सम्बन्ध के सन्दभथ में समझने में सहायता करते हैं। 1.2 सामाजिक अध्ययन / जिज्ञान की अिधारणा सामाजिक अध्ययन/जवज्ञान की अवधारर्ा जनरन्तर गजतशील रही है। प्रारम्भ में सामाजिक जवषयोां का अलग-अलग जवभािन नहीां हुआ र्ा। इसे सामान्यतः इजतहास का ही अांग माना िाता र्ा। समय के सार् सामाजिक अध्ययन की अवधारर्ा में पररवतथन आया। सामाजिक अध्ययन के जवजभन्न जवषयोां का जवभािन हुआ। इस चरर् में इजतहास, भूगोल, नागररक शास्त्र, अर्थशास्त्र आजि का जवभािन हुआ, परन्तु यह अवधारर्ा जवषयोां के अलगाव पर आधाररत र्ी । वतथमान समय में सामाजिक अध्ययन / जवज्ञान में सहसम्बब्दन्धत या परस्पर सम्बब्दन्धत अवधारर्ा का जवकास हुआ है। इसके अनुसार सामाजिक अध्ययन के जवषय अलग होते हुए भी एक-िू सरे से सम्बब्दन्धत हैं । सामाजिक जवज्ञान समाि के जवजवध सरोकारोां को समाजवि करता है तर्ा इजतहास, भूगोल, रािनीजत शास्त्र, अर्थशास्त्र और समािशास्त्र आजि जवषयोां से सामजियााँ लेता है। सामाजिक जवज्ञान की नई पाठ्य-पुस्तकोां को जवषय-वस्तुओां के अनुसार क्रमबद्ध जकया गया है , िो िहााँ तक सम्भव हो, जवषय क्षेत्ोां में अन्तसथम्बन्ध स्र्ाजपत करती हैं । अत: छठी से िसवीां कक्षा तक प्रत्येक कक्षा में सामाजिक जवज्ञान की एक-एक पाठ्य-पुस्तक है । 1.3 सामाजिक अध्ययन का अन्य जिषय ं के सार् सम्बन्ध सामाजिक अध्ययन एिं भाषा Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY भाषा साजहत्य का माध्यम है और साजहत्य समाि का िपथर् है। भाषा की पाठ्य-पुस्तकोां में सांकजलत जनबन्धोां, कहाजनयोां, कजवताओां आजि का सम्बन्ध सीधे-सीधे हमारे समाि के जवजवध पहलुओां से होता है । इस तरह सामाजिक अध्ययन एवां भाषा एक-िू सरे से सम्बब्दन्धत हैं। सामाजिक अध्ययन को प्रस्तुत करने के जलए भी भाषा की ही आवश्यकता पड़ती है। सामाजिक अध्ययन एिं गजणि सामाजिक अध्ययन के अन्तगथत पढे िाने वाले जवषयोां; िैसे - इजतहास, भूगोल, पयाथ वरर्, रािनीजत जवज्ञान, अर्थशास्त्र आजि के अध्ययन के जलए गजर्त का ज्ञान आवश्यक है। उिाहरर् के जलए इजतहास के जवजवध कालोां, जवजवध कालोां के िौरान जवजवध प्रकार के ज्ञान आजि के अध्ययन के जलए गजर्त का ज्ञान आवश्यक है । अर्थशास्त्र के जवजवध पहलुओां के अध्ययन के जलए गजर्त का ज्ञान आवश्यक है। 'इसी प्रकार भूगोल के जवजवध पहलुओां की िानकारी के जलए गजर्त की अजनवायथता है। इस तरह सामाजिक अध्ययन गजर्त से अन्तसथम्बब्दन्धत है। सामाजिक अध्ययन एिं जिज्ञान आधुजनक युग जवज्ञान का युग है एवां रे जियो, जिल्म, कम्प्यूटर, टीवी, प्रेस आजि का सम्बन्ध हमारे िै जनक िीवन से है। सामाजिक सन्दभथ में ये हमारे िीवन को प्रत्यक्षतः प्रभाजवत करते हैं । इनका प्रभाव न केवल हमारे वतथमान पर पड़ता है , बब्दि हमारा भजवष्य भी इससे प्रभाजवत होता है । इस तरह जवज्ञान का सम्बन्ध हमारे सामाजिक िीवन से प्रत्यक्षत: है । यही कारर् है जक जवज्ञान के जवजवध पहलुओां का अध्ययन सामाजिक जवज्ञान के अन्तगथत जकया िाता है एवां व्यापक दृजिकोर् के सार् सामाजिक अध्ययन को सामाजिक जवज्ञान कहा िाता है। सामाजिक अध्ययन एिं कला कला मानवीय भावनाओां को मूतथ रूप प्रिान करने में सक्षम है। जवजवध कालोां के सामाजिक िीवन के अध्ययन के जलए हम जवजवध कालोां की जवजवध कला; िैसे—स्र्ापत्य कला, जचत्कला, मूजतथकला आजि का अध्ययन करते हैं। इस तरह सामाजिक अध्ययन का कला से जवशेष सम्बन्ध है । 1.4 सामाजिक अध्ययन / जिज्ञान जिक्षण का उद्दे श्य एिं महत्त्व सामाजिक जवज्ञान द्वारा जशक्षा के सामाजिक, साांस्कृजतक तर्ा नागररक उद्दे श्योां की प्राब्दि में सहायता प्रिान की िाती है। यह जनम्न प्रकार है प्रिातन्त्रीय भावना का जवकास करना तर्ा उत्तम नागररकता का जवकास करना रािरीय एकता व स्विे श प्रेम की भावना का जवकास करना तर्ा जवश्व बन्धुत्व एवां अन्तराथ िरीयता की भावना का जवकास करना । िीजवका उपािथन की क्षमता का जवकास करना तर्ा व्यवसाय, कृजष तर्ा उद्योग के बारे में बोध करना । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY रािरीय शैजक्षक अनुसन्धान एवां प्रजशक्षर् पररषि् ने सामाजिक जवज्ञान जशक्षर् के व्यावहाररक उद्दे श्योां को जनम्न प्रकार प्रजतपाजित जकया है । सामाजिक तथ्ोां एवां जसद्धान्तोां का बोध करना तर्ा सामाजिक तथ्ोां, जसद्धान्तोां, जनयमोां, प्रत्ययोां व धारर्ाओां के द्वारा िै जनक िीवन की समस्याओां के हल सम्बन्धी बोध कराना । छात्ोां में अपेजक्षत कौशल का जवकास करना तर्ा सामाजिक जवज्ञान जशक्षर् द्वारा रुजच, अजभरुजच व मूल्ोां आजि गुर्ोां का जवकास करना । सामाजिक जवज्ञान जशक्षर् से तकथपूर्थ जचन्तन का जवकास करना । जशक्षक को चाजहए के वे स्वयां की क्षमता जनमाथर् पर बल िें । जिससे सामाजिक जवज्ञान की अवधारर्ा स्पि हो सके। सामाजिक अध्ययन का जशक्षर् व्यापक महत्त्व का होता है । इससे रािर जनमाथ र् में सहायता जमलती है। सामाजिक अध्ययन प्राचीनकालीन सामाजिक िीवन का जववरर् ही नहीां िे ता वरन वतथमान समय में उसकी प्रासांजगकता बताता है । अतः वतथमान सन्दभथ में भी सामाजिक जशक्षर् का कािी महत्त्व है। सामाजिक अध्ययन स्वतन्त्र जचन्तन शब्दि के जवकास में सहायक होता है , सार् ही सामाजसक सांस्कृजत के जनमाथ र् में बहुत ही आवश्यक है। यह समाि तर्ा पयाथवरर् का अन्तः सम्बन्धीय अध्ययन पर बल िे ता है । सामाजिक और रािनीजतक जवषयोां से सम्बब्दन्धत पाठ्य-पुस्तकोां में केस स्टिी को शाजमल कर जवषयोां के बीच अन्तर सम्बब्दन्ध दृजिकोर् जवकजसत जकया िा सकता है। 1.5 बाल जिकास में सामाजिक अध्ययन का य गदान सामाजिक जवज्ञान का अध्ययन कई कारर्ोां से महत्त्वपूर्थ है। यह बच्ोां को इस योग्य बनाता है जक वे समाि की सांरचना, शासन एवां प्रबन्ध आजि के बारे में सूचना िे कर उन्हें िागरूक बनाता है। भारतीय सांजवधान में प्रजतजित मूल्ोां; िैसे— न्याय, स्वतन्त्रता, समानता, बांधुत्व, एकता और रािरीय एकीकरर् से अवगत होां और एक समािवािी, धमथजनरपेक्ष और लोकताब्दन्त्रक समाि के जनमाथर् के महत्त्व को समझाने में सहायता करता है। समाि के सजक्रय, जिम्मेिार और जचन्तनशील सिस्य के रूप में समर्थ बनाने तर्ा जवजवध मतोां, िीवन शैजलयोां और साांस्कृजतक रीजत-ररवाजोां का सम्मान करना जसखाता है । िहर् जकए गए जवचारोां, सांस्र्ाओां और परम्पराओां के सम्बन्ध में प्रश्न कर सकें और उनकी िााँच-पड़ताल करने योग्य बनाता है। सामाजिक जक्रयाकलापोां से पररजचत होने का अवसर िे ता है। जनष्पक्ष तर्ा ताजकथक क्षमता के जवकास पर बल िे कर सामाजसक सांस्कृजत की स्र्ापना का प्रयास करता है। 1.5.1 सामाजिक अध्ययन के जिक्षण सूत्र सामाजिक अध्ययन का जशक्षर् अनेक जवजधयोां से जकया िाता है। इनमें प्रमुख जशक्षर् जवजधयााँ जनम्न प्रकार की हैं । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY 1. सरल से िजटल की ओर From Simplicity to Complexity इस जशक्षर् जवजध में सबसे सरल अवधारर्ा से िजटल अवधारर्ा की ओर बल जिया िाता है। यह प्रार्जमक तर्ा माध्यजमक स्तर पर जशक्षर् की सबसे उपयुि जवजध है। 2. ज्ञात से अज्ञात की ओर From Know to Unknown इस जशक्षर् जवजध में पहले ज्ञात जवषय वस्तु को जशक्षर् जकया िाता है। इसके बाि अज्ञात जवषय की ओर बढा िाता है। 3. जवजशि से सामान्य की ओर From Specification to Generalization इसमें जवद्यार्ी को पहले जवजशि उिाहरर् से पररजचत करवाए िाते हैं तर्ा सामान्य जनयम जनकलवाए िाते हैं। यह जवजध सामान्यत: उच्तर स्तर पर अपनाया िाता है 2.2 जिक्षण के उपागम जशक्षर् उपागम जशक्षर् का एक ऐसा जसद्धान्त है , िो जकसी जवशेष उद्दे श्य, जनयम, प्रजक्रया आजि से सांचाजलत होता है। जशक्षर् उपागम जशक्षर् कायथ में' व्यब्दिगत जभन्नता को स्वीकार करते हैं। इसजलए चीन की कहावत है 'जितने जशक्षक, उतने ही उपागम' । 2.2.1 जिक्षण उपागम के प्रमुख प्रकार जशक्षर् के जवशेष लक्षर् के आधार पर जशक्षर् उपागम को अनेक प्रकारोां में बााँटा गया है। जशक्षर् उपागम के प्रमुख प्रकार जनम्नजलब्दखत हैं. 1. जशक्षक केब्दित तर्ा छात् केब्दित उपागम जशक्षक केब्दित उपागम में मुख्य बल जशक्षक को जिया िाता है , िबजक छात् केब्दित उपागम का मुख्य उद्दे श्य छात्ोां में अजधक से अजधक अजधगम का सांचार करना है। 2. जवषय-वस्तु केब्दित उपागम इस उपागम में सबसे ज्यािा महत्त्व पाठ्य की जवषय-वस्तु को जिया िाता है। जवषय- वस्तु का जवभािन महत्त्व के अनुसार जकया िाता है। 3. जशक्षक प्रभुत्व उपागम उसमें जशक्षक का प्रभुत्व रहता है। छात् तर्ा जवषय-वस्तु का महत्त्व बहुत ही कम होता है। 4. पारस्पररक उपागम इस उपागम में छात्ोां को आपस में ज्यािा सांचार करने का मौका जिया िाता है , इसमें छात् िब चाहे अन्य छात् तर्ा जशक्षक से वाताथलाप कर सकता है। 5. रचनात्मक उपागम इसमें छात्ोां को प्रार्जमकता के आधार पर ज्ञान अिथन का अवसर जिया िाता है। छात् स्वयां अपने ज्ञान के जवस्तार का प्रयत्न करते हैं । 6. बैंजकांग उपागम तर्ा एकीकृत उपागम बैंजकांग उपागम में जशक्षक की मुख्य भूजमका छात्ोां को अजधक से अजधक ज्ञान िे ना है। िॉन िी बी. इसका मुख्य आलोचक र्ा। एकीकृत उपागम सबसे उपयुि उपागम माना िाता है , क्ोांजक इसमें कई उपागमोां के गुर्ोां का समावेश जकया गया है। 7. अनुशासजनक उपागम इसमें मुख्य बल िीवन में अनुशासन पर जिया िाता है । यह परम्परागत दृजिकोर् है । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY 8. सहयोगी उपागम तर्ा व्यब्दिगत उपागम सहयोगी उपागम सहकारी जशक्षा पर बल िे ता है , जिसमें बहुतोां के प्रयासोां को एक सार् समायोजित जकया िाता है ; िैसे- िुप चचाथ , वाि-जववाि आजि। इसके जवपरीत व्यब्दिगत उपागम व्यब्दिगत प्रयास पर बल िे ता है। 9. प्रत्यक्ष जशक्षर् उपागम तर्ा अप्रत्यक्ष जशक्षर् उपागम प्रत्यक्ष जशक्षर् उपागम में जशक्षक छात्ोां को जशक्षर् िे ता है तर्ा जशक्षक और छात् िोनोां बराबर सहभागी होते हैं , िबजक अप्रत्यक्ष जशक्षर् उपागम में जशक्षक सहभागी नहीां होता वरन मागथिशथक का कायथ करता है। 2.2.2 जिक्षण जिजधयााँ जशक्षर् जवजध (Teaching Method) जशक्षर् कायथ करने का एक क्रमबद्ध, व्यवब्दस्र्त एवां ताजकथक तरीका है। जशक्षर् कायथ को प्रभावी बनाने के जलए जशक्षर् तकनीक का प्रयोग जकया िाता है । इससे वैज्ञाजनक तर्ा प्रभावी जशक्षर् पर बल जिया िाता है। जवजभन्न प्रकार की जशक्षर् सामिी जशक्षर् तकनीक के अन्तगथत आती है। अलग-अलग जवशेषताओां के आधार पर प्रमुख जशक्षर् जवजधयााँ जनम्नजलब्दखत हैं 1. व्याख्यान जिजध इसमें पढाई िाने वाली जवषय-वस्तु को छात्ोां को सुनाया िाता है। यह जशक्षक केब्दित उपागम है। इसमें एक सार् बहुत से छात्ोां को जशजक्षत जकया िाता है , परन्तु इसमें स्रोतोां को जनब्दिय माना िाता है। 2. प्रदिथन जिजध इसमें छात्ोां के सामने जकसी घटना या प्रजक्रया का प्रिशथन जकया िाता है। छात् स्वयां प्रजक्रया को समझकर जनष्कषथ जनकालते हैं । 3. समस्या समाधान जिजध यह भी छात् केब्दित जवजध मानी िाती है। इसमें जशक्षक छात्ोां के सामने समस्या िे कर उसका समाधान बताने को कहते हैं । यह सवाथजधक व्यावहाररक जशक्षर् जवजध है। इससे सीखने वाले में अवधारर्ा का भी जवकास होता है। 2.2.3 जिक्षण सामग्री जशक्षर् कायथ को प्रभावी बनाने के जलए जशक्षर् सामिी का प्रयोग जकया िाता है । सामान्यतः जशक्षर् सामिी (Teaching Aids) श्रव्य, दृश्य तर्ा श्रव्य दृश्य प्रकार की होती है। Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY श्रव्य जशक्षर् सामिी में वैसी चीिें आती हैं , जिन्हें केवल सुना िाता है ; िैसे—- रे जियो द्वारा जशक्षर्, दृश्य सामिी में केवल िे खी िाने वाली जशक्षर् सामिी आती हैं ; िैसे- श्यामपट्ट, नक्शा, ग्लोब, चाटथ आजि । श्रव्य-दृश्य में िे खी तर्ा सुनी िाने वाली जशक्षर् सामिी आती है ; िैसे- टे लीजविन, ऑन लाइन क्लास आजि । जशक्षर् सामिी का चयन जवषय तर्ा पाठ्यक्रम के अनुसार जकया िाता है ; िैसे – ग्लोब, मानजचत् आजि भूगोल जशक्षर् में तर्ा टाइम लाइन इजतहा जशक्षर् में काम आता है। 2.3 गजिजिजधयााँ: अर्थ , उद्दे श्य एिं प्रकार छात्ोां के वैसे कायथ िो जशक्षर् जक्रया के िौरान उनकी क्षमता में वृब्दद्ध करते हैं। जशक्षर् गजतजवजधयााँ कहलाते हैं । यह पाठ्यक्रम का महत्त्वपूर्थ अांग बन चुका है। 2.3.1 जिक्षण गजिजिजधय ं के उद्दे श्य जशक्षर् गजतजवजधयोां के उद्दे श्य जनम्नजलब्दखत हैं। जवद्याजर्थयोां में व्यावहाररक ज्ञान का जवकास करना । सहजशक्षा तर्ा स्वयां करके सीखो की अवधारर्ा का जवकास करना । जवद्यार्ी की क्षमता को सही जिशा प्रिान करना। उनकी जशक्षा का व्यावहाररक अनुभव के सार् सामांिस्य करना । 2.3.2 कक्षा कक्ष में की िाने िाली गजिजिजधयााँ कक्षा-कक्ष में की िाने वाली प्रमुख गजतजवजधयााँ जनम्न है 1. वाि-जववाि (Debates ) इस गजतजवजध के माध्यम से छात्ोां में तकथशब्दि बढती है तर्ा जवषयोां/ तथ्ोां को तकथ की कसौटी पर परखने का कौशल बढता है। अतः इस गजतजवजध के चयन से सूचना - सांिहर्, सूचना - प्रक्रमर् और श्रोतावगथ के सामने उनके प्रस्तुतीकरर् में छात्ोां की उच् स्तर की भागीिारी तर्ा प्रस्ताव के पक्ष या जवपक्ष में बोलने , तकथ-जवतकथ करने तर्ा तकों का जवश्लेषर् करने में अपनी योग्यता का प्रिशथन करने का अवसर प्राि होता है । 2. जनिशथन ( Illustration/Exemplification) इस गजतजवजध के द्वारा अध्यापक प्रस्तुतीकरर्, जवश्लेषर् तर्ा सांश्लेषर् के आिशथ रूप छात्ोां के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। ऐसा करते समय छात् की भूजमका सू चना और कौशलोां के प्रेक्षक तर्ा अजभलेखक की होती है। 3. प्रश्न पूछना ( Question Asking) सामाजिक जवज्ञान के अध्यापन में एक महत्त्वपूर्थ गजतजवजध है प्रश्न पूछना। इस गजतजवजध के माध्यम से अध्यापक छात्ोां से जवषय के सम्बन्ध में प्रश्न पूछता है तर्ा उनके उत्तरोां के आधार पर वह छात्ोां के जवषय सम्बन्धी ज्ञान को और आजर्थक सुदृढ तर्ा व्यापक बनाता है । छात्ोां से प्रश्न इसजलए पूछे िाते हैं , ताजक अध्यापक को यह मालूम हो सके जक छात्ोां ने अध्याय को जकतनी अच्छी तरह से समझा है , ताजक महत्त्वपूर्थ जबन्िु ओां Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY को अलग करके और उन पर जवशेष बल िे कर उनके बारे में छात्ोां की धारर्ा शब्दि को और अजधक मिबूत जकया िा सके। 4. कक्षा-कक्ष में तत्कालीन घटनाओां से सम्बब्दन्धत चाटथ , मानजचत् आजि का जनमाथर् करना To Formation of Charts, Maps etc. Related to Current Events in Classroom कक्षा कक्ष में सामाजिक अध्ययन जशक्षर् के अन्तगथत यह एक महत्त्वपूर्थ गजतजवजध है। इस गजतजवजध में जशक्षक, छात्ोां को पाठ्य वस्तु से सम्बब्दन्धत जकसी जवषय पर कोई चाटथ या मानजचत् आजि तैयार करने को कहता है । यह गजतजवजधयााँ छात्ोां में स्र्ाई स्मृजत के जनमाथर् में सहायक होती हैं। 2.3.3 कक्षा-कक्ष के बाहर की िाने िाली गजिजिजधयााँ 1. साजहब्दत्यक गजतजवजधयााँ Literature Activities वाि-जववाि और चचाथ , जवषयवार क्लब, जवद्यालय पजत्का, नाट्यकला, सांगोिी मण्डल, कहानी लेखन, कजवता पाठ आजि । 2. शारीररक जवकास गजतजवजधयााँ Physical Development Activities अन्दर और बाहर खेले िाने वाले खेलकूि, सामूजहक अभ्यास, परे ि, स्काउजटां ग आजि । 3. सौन्दयाथनुभूजत और साांस्कृजतक जवकास वाली गजतजवजधयााँ Creative and Cultural Activities सांगीत, नृत्य, जचत्र्, पेब्दटांग, मूजतथकला, नाट्यकला, प्रिशथनी, जवजवध मनोरां िन कायथक्रम । 4. नागररक जवकास गजतजवजधयााँ Citizen Development Activities सहकारी बैंक, सहकारी स्टोर, सभा, जवद्यार्ी पररषि् , िलपान गृह, धाजमथक, रािरीय और सामाजिक त्योहारोां का मनाना । 5. समाि कल्ार् सम्बन्धी गजतजवजधयााँ Social Welfare Activities सामाजिक अध्ययन मण्डल, मेलोां, त्योहारोां, व्यावसाजयक, साांस्कृजतक कायथक्रमोां का आयोिन आजि । 6. अवकाश समय के जलए गजतजवजधयााँ Activities of Vacations िाक जटकटोां, जसक्ोां, प्रजतयोां आजि को एकजत्त करना, िोटोिािी करना आजि। 7. भ्रमर् सम्बन्धी गजतजवजधयााँ Activities related to Field Trip शैजक्षक भ्रमर्, जपकजनक मनाना, सांिहालय, जचजड़याघर, प्रिशथनी आजि के भ्रमर् के जलए िाना। 2.4 संिाद : अर्थ, उद्दे श्य, प्रकार सांवाि के जशक्षर् कायथ हेतु सम्प्रेषर् शि भी प्रयुि जकया िाता है। सांवाि वह प्रजक्रया है , जिसमें जशक्षक छात्ोां के सार्, छात् जशक्षक के सार् तर्ा छात् - छात् के सार् अपनी भावना, जवचार, अनुभव, ज्ञान आजि का आिान-प्रिान करते हैं। सांवाि हमेशा जद्व-पक्षीय प्रजक्रया है अर्ाथत् इसमें प्रेषक तर्ा प्रेजषत िो तो होगें ही । सांवाि को स्र्ानान्तररत करने वाले साधन सांवाि के साधन कहे िाते हैं ; िैसे- रे जियो, जकताब, समाचार-पत् आजि । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY सांवाि के उद्दे श्य जनम्न प्रकार हैं (i) जशक्षर् कायथ को प्रभावी बनाना (ii) ज्ञान, अनुभव, कौशल आजि का प्रभावी सांचार करना (iii) मानव जवकास को बढावा िे ना (iv) जवश्वव्यापी सांवाि स्र्ाजपत करना 2.4.1 संिाद के प्रकार सांवाि को प्रकृजत के आधार पर सांवाि को मौब्दखक, जलब्दखत तर्ा गैर-मौब्दखक तीन प्रकारोां में बााँटा िाता है। प्रेषर् के आधार पर सांवाि को एक पक्षीय सांचार, जद्व-पक्षीय सांचार तर्ा बहुपक्षीय सांचार में बााँटा िाता है। मौब्दखक सांवाि में कही गई बातें शाजमल होती हैं। इसमें विा तर्ा श्रोता िोनोां आमने-सामने होते हैं , परन्तु कुछ मौब्दखक सांवाि में विा तर्ा श्रोता को एक िगह पर होना अजनवायथ नहीां है: िैसे- टे लीकॉन्रेंजसांग आजि । जलब्दखत सांवाि में जलब्दखत साधनोां द्वारा कही गई बातोां का प्रसार जकया िाता है ; िैसे— पत् - पजत्काएाँ , जकताब आजि जलब्दखत सांवाि के साधन हैं। सांकेत द्वारा जवचारोां, भावनाओां आजि का सांचार गैर-मौब्दखक सांवाि के प्रकार हैं । 2.4.2 प्रभािी संिाद की जििेषिा प्रभावी सांवाि के जलए जनम्नजलब्दखत जवशेषता का होना आवश्यक है प्रभावी सांवाि स्पि होना चाजहए । जद्व-अर्ी या बहु-अर्ी शिोां का प्रयोग कम-से-कम होना चाजहए। प्रेषक तर्ा प्रेजषत के बीच अनावश्यक अन्तराल नहीां होना चाजहए । सही पृिभूजम सांवाि को प्रभावी बनाती है। सांवाि िो तरिा होना चाजहए । सांवाि के शि सरल तर्ा उपयुि होने चाजहए। सांवाि का स्तर श्रोता के अनुरूप होना चाजहए। 2.4.3 जिक्षण जिजध के रूप में संिाद जशक्षर् कायथ को व्यावहाररक रूप से सिल, सांवाि ही बनाता है। सांवाि ही जशक्षर् सामिी के ज्ञान का प्रवाह जशक्षक तर्ा छात् िोनोां की ओर करता है। Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY प्रभावी सांवाि को महत्त्वपूर्थ जशक्षर् जवजध माना िाता है । प्रभावी सांवाि में मौब्दखक, गैर-मौब्दखक आजि आते हैं , िो जशक्षर् कायथ में महत्त्वपूर्थ भूजमका जनभाते हैं। िो स्तरीय या बहुस्तरीय सांवाि; िैसे- जशक्षक - छात्, छात् - छात् आजि महत्त्वपूर्थ जशक्षर् जवजध हैं । आल चनात्मक जचन्तन का जिकास Development of Critical Thinking 3.1 आल चनात्मक जचन्तन : अर्थ एिं आिश्यकिा आलोचनात्मक जचन्तन का शाब्दिक अर्थ है -आलोचना के सार् जचन्तन करना अर्ाथत् जकसी भी जवचार, अर्थ, अवधारर्ा आजि के पक्ष तर्ा जवपक्ष पर जवचार करना। आलोचनात्मक जचन्तन वैज्ञाजनक पद्धजत पर आधाररत है। इसका अर्थ जकसी की अनावश्यक आलोचना करना नहीां होता है । यद्यजप आलोचनात्मक जचन्तन स्वयां जनिे जशत प्रजक्रया है , जिसमें सुजनयोजित चरर् में उच् स्तर पर जचन्तन जकया िाता है। रॉबटथ एजनस के अनुसार " आलोचनात्मक जचन्तन क्ा करना है या जकस पर जवश्वास करना है , का कारर्युि तर्ा प्रभावी जचन्तन है।" िू सरे शिोां में "आलोचनात्मक जचन्तन अच्छे जनर्थय के जलए कौशलयुि तर्ा उत्तरिाजयत्वपूर्थ जचन्तन है।" 3.1.1 आल चनात्मक जचन्तन की आिश्यकिा व्यब्दित्व के जनमाथर् तर्ा व्यब्दिगत जवकास में । आलोचनात्मक तर्ा जवश्लेषर्ात्मक क्षमता के जवकास में। उच्स्तरीय जनर्थय लेने तर्ा समस्या समाधान की क्षमता के जवकास में वैज्ञाजनक जचन्तन तर्ा ताजकथकता के जवकास में छात्ोां में जववेचना, मूल्ाांकन तर्ा जवश्लेषर् का कौशल जवकजसत करने में। 3.1.2 आल चनात्मक जचन्तन की जििेषिाएाँ आलोचनात्मक जचन्तन गुर् तर्ा िोष का जनष्पक्ष मूल्ाांकन करता है । अतः जनष्पक्षता इसकी प्रमुख जवशेषता है । आलोचनात्मक जचन्तन में वैज्ञाजनक प्रवृजत्त पाई िाती है। इसमें कारर् कायथ सम्बन्ध का जवशेष महत्त्व होता है। व्यब्दिगत क्षमता तर्ा जवजवधता का पोषक है । वस्तुजनिता तर्ा जवषयजनिा में सामांिस्य को प्रोत्साहन िे ता है। Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY 3.1.3 आल चनात्मक जचन्तन और पठन – पाठन की आिश्यकिा पठन-पाठन की गुर्वत्ता का आलोचनात्मक जचन्तन से सीधा सम्बन्ध है। आलोचनात्मक जचन्तन छात्ोां को तकथ करने पर बल िे ता है। सार् ही सवाथजधक उपयोगी जवचार अपनाने पर िोर िे ता है। पठन-पाठन के मूल्ाांकन का सबसे बेहतर तरीका आलोचनात्मक जचन्तन है। आलोचनात्मक जचन्तन वतथमान में पठन-पाठन की प्रजक्रया के िोषोां की पहचान कर उसे सुधारने में सहायक होता है । आलोचनात्मक जचन्तन व्यब्दिवाि तर्ा बहुलतावाि को बढावा िे ता है। इससे पठन-पाठन जक्रया का स्वरूप जवजवधतापूर्थ बनता है , िैसे कक्षा-कक्ष में छात्ोां की सामाजिक, साांस्कृजतक (नृिातीय) जवजवधता को महत्त्व िे ने में आलोचनात्मक जचन्तन सहायक है। आलोचनात्मक जचन्तन पठन-पाठन की जक्रया में अनेक जवचारोां को समावेजशत कर उसे नवाचार से युि बनाता है। पठन-पाठन जक्रया के स्वरूप को जनरन्तर गजतशील बनाए रखने में यह सहायक है , िैसे वतथमान जशक्षा प्रर्ाली को उपयुि बनाने के जलए नए सुधार करना । 3.1.4 आल चनात्मक जचन्तन के लाभ आलोचनात्मक जचन्तन सांकल्पनाओां के जनमाथर्, अनुप्रयोग तर्ा जवस्तार को बढावा िे ता है। इससे उत्तरिाजयत्व की भावना का जवकास होता है। आलोचनात्मक जचन्तन भाषागत कौशल, जचन्तन कौशल तर्ा सहभागी कायथ करने के कौशल में सहायक है। यह िू सरे के तकथ तर्ा जवश्वासोां को समझने तर्ा उसका जनष्पक्ष मूल्ाांकन कर अपनी एक बेहतर अवधारर्ा के जनमाथर् में सहायक है। यह समाि को पूवाथिह मुि बनाने में सहायक है। जवद्याजर्थयोां में जवश्लेषर्ात्मक तर्ा सांश्लेषर्ात्मक क्षमता का जवकास होता है। अकािजमक कायथ में आलोचनात्मक जचन्तन के जनम्न लाभर है - िू सरे के तकथ तर्ा जवश्वासोां को समझने में। - िू सरे के तकथ तर्ा जवश्वासोां के आलोचनात्मक मूल्ाांकन में। - स्वतन्त्र सोच जवकजसत करने में । कायथस्र्ल में भी आलोचनात्मक जचन्तन जनम्न रूप में सहायक होता है - उसके जनर्थय की गहन िानकारी में। - पूवाथिह मुि जवचार में। - समस्या के समाधान में । िै जनक िीवन में आलोचनात्मक जचांतन का महत्त्व इस प्रकार है - व्यब्दिगत गलजतयोां से बचने में । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY - उजचत जनर्थय लेने तर्ा जक्रयान्वयन में। - स्वतन्त्र व्यब्दिगत सोच के जनमाथर् में । 3.1.5 आल चनात्मक जचन्तन के जिकास में जिक्षक की रणनीजि जवद्याजर्थयोां में आलोचनात्मक जचन्तन के जवकास में जशक्षक को केिीय ब्दस्र्जत में नहीां होना चाजहए, वरन उसे आलोचनात्मक जचन्तन के जवकास हेतु उजचत अवसर उत्पन्न करने का कायथ करना चाजहए। ऐसा करने से प्रत्येक जवद्यार्ी के समूह में आलोचनात्मक जचन्तन का जवकास होगा । जशक्षक जवद्यालय में वाि-जववाि प्रजतयोजगता का आयोिन कर जवद्याजर्थयोां को तकथ-जवतकथ का अवसर प्रिान करें । सार् ही उन्हें वाि-जववाि के उपरान्त समस्या समाधान करने पर बल िे ना चाजहए । इसमें जशक्षक को केिीय भूजमका का जनवथहन नहीां करना चाजहए, बब्दि मागथिशथक की तरह कायथ करना चाजहए। जवशेष रूप से सामाजिक जवज्ञान के जशक्षर् में जशक्षक को नमनीय तर्ा उिार वातावरर् बनाने का प्रयास करना चाजहए। जशक्षक को कक्षा की जवजवधता तर्ा बहुलता को बनाए रखने वाली रर्नीजत अपनानी चाजहए। जशक्षक को मूतथ तर्ा अमूतथ उिाहरर् का प्रयोग कर तुलनात्मक क्षमता का जवकास करना चाजहए। 3.1.6 आल चनात्मक जचन्तन के जिकास हेिु जियाकलाप आलोचनात्मक जचन्तन के जवकास हेतु अनेक प्रकार के जक्रयाकलाप कराए िाने चाजहए। इस प्रकार के जक्रयाकलापोां से छात्ोां की बुब्दद्ध का जवकास होता है तर्ा उनकी अनेक दृजिकोर् से सोचने की क्षमता बढती है। आगमनात्मक जक्रयाकलापोां को अपनाकर जवद्याजर्थयोां में आलोचनात्मक जचन्तन क्षमता को बढाया िा सकता है । पहले उन्हें एक ही अवधारर्ा के जवजवध पक्षोां के जवषय में िानना चाजहए । इसके बाि एक सामान्य जनष्कषथ जनकालने को कहना चाजहए। जवद्याजर्थयोां को सोचने तर्ा जवचार करने के जलए पयाथि समय िे ना चाजहए। सार् ही सोचने तर्ा जवचार करने के जलए प्रोत्साजहत करना चाजहए। जवद्याजर्थयोां को गलत होने या असिल होने के िर से मुि करना चाजहए। जकसी भी पाठ्यक्रम में बहुत से उिाहरर् जिए िाने चाजहए। ऐसे उिाहरर्ोां की प्रधानता होनी चाजहए, िो आम िीवन से सम्बब्दन्धत हैं। प्रयोग, अनुभव तर्ा जनरीक्षर् से पररपूर्थ जक्रयाकलापोां का सांचालन कर आलोचनात्मक जचन्तन को बढाया िा सकता है। ऐसे कायथ जिए िाने चाजहए, िो अनेक दृजिकोर्ोां से सम्बब्दन्धत होां। समस्या समाधान के जक्रयाकलाप से आलोचनात्मक क्षमता का जवकास होता है । जशक्षा का स्वरूप सहभागी होना चाजहए तर्ा स्वतन्त्र जवचारोां को भी महत्त्व जिया िाना चाजहए। जवद्याजर्थयोां को जचत्, आाँ कड़ोां तर्ा अन्य साांब्दख्यकीय ताजलका को िे खकर जनष्कषथ जनकालने हेतु प्रोत्साजहत करना चाजहए । उत्तरिाजयत्व बढाकर छात्ोां के व्यावहाररक ज्ञान को बढाया िा सकता है। अतः जक्रयाकलापोां में उत्तरिाजयत्व वाले कायों को सौांपना बेहतर होगा। Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY खुले उत्तर वाले प्रश्न करके आलोचनात्मक जचन्तन को बढाया िा सकता है िैसे – मजहलाओां पर कायथ के िोगुने बोझ का क्ा तात्पयथ है । 3.2 ब्लूम का िगीकरण ब्लूम एक मनोवैज्ञाजनक र्ा, जिसने वषथ 1956 में शैक्षजर्क उद्दे श्योां की प्राब्दि के जलए तीन क्रमागत जसद्धान्तोां का प्रजतपािन जकया। इसे ब्लूम का वगीकरर् (Bloom's Taxonomy) कहते हैं। 1. ज्ञानात्मक पक्ष 2. भािात्मक पक्ष 3. जियात्मक पक्ष ज्ञान आिहर् प्रत्यक्षीकरर् बोध अनुजक्रया या प्रजतजक्रया व्यवस्र्ा प्रयोग सांगठन/व्यवस्र्ापन जनिे शात्मक अनुजक्रया जवश्लेषर्ा मूल् प्रर्ाली कायथप्रर्ाली सांश्लेषर् िजटल प्रत्यक्ष अनुजक्रया मूल्ाांकन ब्लूम के वगीक्रर् के तीन प्रकार जनम्नजलब्दखत हैं 1. ज्ञानात्मक पक्ष Cognitive ब्लूम ने ज्ञानात्मक पक्ष को छ: वगों में जवभाजित जकया है। इन्हें मानजसक प्रजक्रया की िजटलता तर्ा पिानुक्रजमता के अनुसार जवकजसत जकया गया है। यह प्रर्ाली सरल से िजटल तर्ा मूत्तथ से अमूत्तथ की ओर है। 2. भािात्मक Psychomotor भावात्मक पक्ष में अनुभूजत प्रधान है। इसमें प्रत्येक व्यब्दि का व्यवहार व्यब्दिगत तर्ा भौजतक वातावरर् से प्रभाजवत होता है। 3. जियात्मक पक्ष Affective जक्रयात्मक पक्ष में वे शैक्षजर्क उद्दे श्य सब्दम्मजलत होते हैं , जिनका सम्बन्ध शारीररक तर्ा जक्रयात्मक कौशल से होता है। 3.2.1 ब्लूम के िगीकरण में संि धन ब्लूम के वगीकरर् को वषथ 2001 में उसके जशष्य लॉरे न एण्डरसन तर्ा िे जवि कैर्वोहल ने सांशोजधत जकया। इसमें जनम्न सांशोधन जकए सांज्ञा को जक्रया में बिला गया। ज्ञान को याििास्त जक्रया में बिला गया। अवबोध को समझने की जक्रया में बिला गया। Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY सांश्लेषर् को रचना करने की जक्रया में बिला गया। सांश्लेषर् तर्ा मूल्ाांकन का स्र्ान परस्पर बिल जिया गया। पूछिाछ / अनुभि िन्य साक्ष्य Enquiry/Empirical Evidence 4.1 पूछिाछ आधाररि अजधगम : अर्थ , उद्दे श्य एिं जििेषिाएाँ पूछताछ आधाररत अजधगम पूछताछ प्रजक्रया से सम्बब्दन्धत है। इसमें छात्ोां का उत्तरिाजयत्व है जक वह चाहे जिस तरह से समस्या की िााँच कर सकते हैं। इसमें छात् सवालोां का चयन करते हैं तर्ा उनके उत्तर की प्राब्दि का प्रयास करते हैं। पूछताछ छात्ोां को अलग-अलग प्रकार से सोचने का अवसर िे ती है। 4.1.1 उद्दे श्य पूछताछ आधाररत अजधगम के उद्दे श्य (Objective) जनम्नजलब्दखत हैं छात्ोां में ज्ञानात्मक कौशलोां का जवकास करना । छात्ोां की जिज्ञासा, अजभवृजत्त एवां अजभरुजच का जवकास करना । छात् पूछताछ द्वारा प्रत्ययोां की ताजकथक ढां ग से व्याख्या करता है अर्ाथत् छात्ोां में वैज्ञाजनक दृजिकोर् उत्पन्न करना। पररपृच्छा से समस्यात्मक घटनाओां की व्याख्या करने की क्षमता का जवकास करना । अनुिेशनात्मक जशक्षर् का उद्दे श्य बोध क्षमता का जवकास करना है। 4.1.2 जििेषिाएाँ पूछताछ आधाररत अजधगम की जवशेषताएाँ (Features) जनम्न प्रकार हैं इसके िररए छात्ोां में वैज्ञाजनक अजभवृजत्त का जवकास जकया िा सकता है। इससे छात्ोां में जिज्ञासा की प्रवृजत्त का जवकास होता है। यह सहयोग व कजठन श्रम की िााँच चाहती है। छात् व जशक्षक, िोनोां को पररचचाथ में भाग लेने व सार्थक जवचार रखने का समान अजधकार होता है। इस प्रजतमान की सिलता के जलए पहला अवलम्ब ऐसी सामिी का जनमाथर् है , िो चुनौतीपूर्थ समस्या का जनमाथ र् करे । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY यह वैज्ञाजनक अध्ययनोां में उपयोगी है । यह व्यावहाररक ज्ञान प्रिान करने में महत्त्वपूर्थ भूजमका जनभाता है। 4.1.3 पूछिाछ प्रजिया के प्रमुख घटक 1. पूिथ ज्ञान की समीक्षा To Review Previous Knowledge जशक्षक को छात्ोां के पूवथ ज्ञान की िानकारी होनी चाजहए । इसमें छात् पूवथ ज्ञान तर्ा अनुभव को नई समस्या या पाठ्य वस्तु से िोड़ता है । 2. पृष्ठाधार सूचना प्रदान करना To Provide Feed Back इसका उद्दे श्य सम्बब्दन्धत जवषय-वस्तु की पूवथगामी सूचना प्रिान करना है। इससे जवद्यार्ी उजचत पूछताछ तर्ा मूल्ाांकन करने में सिल होते हैं। पृिाधार सूचना की प्राब्दि जनम्न स्रोतोां से की िा सकती है लेख तर्ा पुस्तकें जचत् वेबसाइट आजि। सांिहालय श्रव्य तर्ा दृश्य सामिी 3. छात्र ं क उत्तरदायी बनाने के जलए प्राप्त पररणाम क पररभाजषि करना इसमें छात्ोां से आशा की िाती है जक वे क्ा िानते हैं ? छात् जकस प्रकार की समस्याओां का समाधान करने में सिल हैं तर्ा उनका समाधान कैसे करते हैं ? छात्ोां की पूछताछ प्रजक्रया को पररभाजषत कर उनके वतथमान जशक्षर् स्तर को िाना िाता है। छात्ोां में उत्तरिाजयत्व बढाने के जलए टीमवकथ, प्रोिेक्ट कायथक्रम आजि का आयोिन जकया िा सकता है । 4. पूछिाछ की सामान्य प्रजिया इसका उद्दे श्य छात्ोां में पूछताछ की कौशल प्रजक्रया का जवकास करना है। इसमें छात्ोां को क्षेत् जवशेष की चयजनत सूचना प्रिान की िाती है ; िैसे—सुनामी कैसे आती है ? 5. छात्र ं में सूचना िर्ा संचार प्रस्तुिीकरण की स्र्ापना इस घटक में छात्ोां को सूचना तो प्रिान की िाती है , सार् ही उनके द्वारा प्राि जकए गए ज्ञान को कैसे प्रस्तुत करना है , जसखाया िाता है। इसके जलए जनम्नजलब्दखत कायथ जकए िा सकते हैं ; पूवथ ज्ञान की सूचना प्रिान करना । तथ्ोां, आाँ कड़ोां तर्ा उिाहरर्ोां को प्रस्तुत करना । ताजकथकता तर्ा समस्या समाधान प्रजक्रया पर बल िे ना । इसके जलए प्रौद्योजगकी का उपयोग करना । प्रजशक्षक द्वारा समूह कायथ का प्रजशक्षर् िे ना । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY िैज्ञाजनक अनुसन्धान और पूछिाछ आधाररि अजधगम में िुलना िैज्ञाजनक अनुसन्धान पूछिाछ आधाररि अजधगम वैज्ञाजनक जकसी जवशेष जवषय-वस्तु पर ध्यान िे ते हैं। इसमें पाठ्यक्रम के अनुसार जवषय-वस्तु का चयन यह समय के सार्-सार् पररवजतथत होते रहता है। जकया िाता है। शोधकताथ स्वयां प्रश्न करता है तर्ा उसका उत्तर िे ता इसमें छात् उत्तर पाने के जलए प्रश्न करता है । है। शोधकताथ अपने शोध का प्रजतरूप प्रश्न के अनुसार इसमें छात् अपने अनुभव तर्ा ज्ञान के आधार पर करता है। प्रश्न करता है। शोधकताथ अपनी सूचना, िानकारी आजि का, िू सरे पूछताछ आधाररत अजधगम में भी यही प्रजक्रया िे खने के सार् भागीिारी करता है । को जमलती है। 4.2.1 आगमन िर्ा जनगमन आगमन जवजध में, पहले जवषय-वस्तु के साक्ष्ोां तर्ा तथ्ोां के बारे में िाना िाता है। इसके बाि साक्ष्ोां तर्ा तथ्ोां का जवश्लेषर् कर एक सामान्य अवधारर्ा का जनमाथर् जकया िाता है ; िैसे – ऐजतहाजसक साक्ष्ोां के आधार पर इजतहास का पुनजनथमाथर् करना । जनगमन जवजध में पहले से जवकजसत अवधारर्ाओां का परीक्षर् जकया िाता है। इसमें तथ्ोां की खोि तर्ा जवश्लेषर्, अवधारर्ाओां की वैधता या अवैधता जसद्ध करने के जलए की िाती है। जनगमन जवजध में पूवथधारर्ाओां का जवशेष महत्त्व होता है। इसजलए इसे आगमन जवजध से कम प्रगजतशील माना िाता है। 4.2.2 आगमन िर्ा जनगमन जिजध के जसद्धान्त आगमन जवजध में पहले जिन पर अवधारर्ाओां का जनमाथ र् जकया िाना होता है , उस पर तथ्ोां तर्ा आाँ कड़ोां का समूहीकरर् तर्ा जवश्लेषर्ात्मक परीक्षर् जकया िाता है । जनगमन जवजध में अवधारर्ाओां की सत्यता की िााँ च की िाती है। इसमें अवधारर्ा के प्रत्येक पक्ष के साक्ष्ोां की खोि की िाती है , िो पक्ष साक्ष्हीन होते हैं , उन्हें हटा जिया िाता है । उत्तम जििरण के जलए अनुमान उत्तम जववरर् का अनुमान िो मुख्य जवजधयोां द्वारा जकया िाता है , िो जनम्न प्रकार हैं प्रमार्ोां का वर्थन करना तर्ा प्रमार्ोां की व्याख्या करना। Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY िणथनात्मक अनुमान इसमें मुख्य बल प्रमार्ोां या स्रोतोां का वर्थन करने पर जिया िाता है । वर्थनात्मक अनुमान (Descriptive Inference) जनम्न तीन पर आधाररत होती है एकाएक नए तथ्ोां का जमलना पहले से स्र्ाजपत तथ् पूवथ ज्ञान व्याख्यात्मक अनुमान व्याख्यात्मक अनुमान (Explanatory Inference) सामाजिक जवज्ञान में महत्त्वपूर्थ स्र्ान रखता है। सामाजिक सरोकार की दृजि से इसका पयाथि महत्त्व है। सामाजिक अध्ययन में अनेक व्याख्यात्मक प्रजतमान हैं , परन्तु आकब्दस्मक प्रजतमानोां का महत्त्वपूर्थ स्र्ान है। इसमें कारर्- कायथ पर पयाथ ि बल जिया िाता है । सामाजिक अध्ययन / सामाजिक जिज्ञान जिक्षण की समस्याएाँ Problems of Social Studies/ Social Science Teaching 5.1 सामाजिक अध्ययन के बारे में सामान्य अिधारणा सामाजिक अध्ययन के जवषय के सम्बन्ध में समाि में अनेक प्रकार की धारर्ाएाँ प्रचजलत हैं। कुछ लोग उसे जवज्ञान नहीां मानते हैं , तो कुछ इसे नीरस, तो कुछ इसे अनुपयोगी जवषय मानते हैं। इन धारर्ाओां के कारर् सामाजिक अध्ययन की जशक्षर् प्रजक्रया प्रभाजवत होती है। इससे सामाजिक अध्ययन के प्रजत जशक्षक तर्ा जवद्यार्ी िोनोां में अरुजच उत्पन्न होती है। सामाजिक अध्ययन के सम्बन्ध में िू सरी धारर्ा इसे अनावश्यक जवस्तृत मानती है। इजतहास के सम्बन्ध में यह मान्यता प्रचजलत है जक यह अतीत की अनावश्यक िानकारी उपलब्ध कराती है। इसमें छात्ोां को उबाऊ तर्ा लम्बे उत्तर जलखने को जववश जकया िाता है। सामाजिक अध्ययन के जवषय में यह धारर्ा भी प्रचजलत है जक इसमें अवसर बहुत ही सीजमत हैं तर्ा यह रोिगारोन्मुख भी कम है। यह केवल उच्तर जशक्षा में ही महत्त्व रखता है। 5.1.1 सामाजिक अध्ययन के अध्ययन िर्ा अध्यापन में प्रमुख चुनौजियााँ उद्दे श्य से सम्बन्धन्धि चुनौजियााँ सामाजिक अध्ययन के उद्दे श्य व्यापक हैं । अतः इसके उद्दे श्योां को सही प्रकार से जनधाथररत करना आसान नहीां होता है , सार् ही उद्दे श्योां में भटकाव की समस्या भी आती है। Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY अजभिृजत्त से सम्बन्धन्धि चुनौजियााँ सामाजिक अध्ययन पूरी तरह से जवज्ञान नहीां है। इसजलए इसके जशक्षर् में व्यब्दिगत अजभवृजत्तयााँ ज्यािा प्रभाजवत करती हैं। जवजभन्न अजभवृजत्त के लोग सामाजिक जवज्ञान की जवषय वस्तु का उपयोग अपनी-अपनी आवश्यकतानुसार करने लगते हैं। जिक्षक से सम्बन्धन्धि चुनौजियााँ सामाजिक अध्ययन के जशक्षक को योग्य तर्ा कुशल प्रजशजक्षत होना चाजहए, सार् ही जशक्षक को ताजकथक तर्ा जवचारशील होना चाजहए, अन्यर्ा वह पूवाथिह से िजसत होकर सामाजिक अध्ययन के जशक्षर् जवषयोां का उपयोग करने लगता है। उपय जगिा से सम्बन्धन्धि चुनौजियााँ सामान्यतः यह धारर्ा बन गई है जक सामाजिक जवज्ञान की उपयोजगता नहीां है । अतः छात् इसे पढने से भागना चाहते हैं। जिक्षण जिजध के चयन सम्बन्धी चुनौजियााँ सामाजिक अध्ययन की जशक्षर् जवजध छात्ोां के अनुकूल तर्ा मनोरां िक बनाने की आवश्यकता है। वतथमान समय में इसके जशक्षर् में व्यावहाररकता को बहुत ही कम महत्त्व जिया िाता है । जियाकलाप ं के चयन सम्बन्धी चुनौजियााँ सामाजिक जवज्ञान के अध्ययन तर्ा अध्यापन में जक्रयाकलापोां को कम महत्त्व जिया िाता है। इसके जक्रयाकलाप भी प्रयोगशाला में या चारिीवारी में नहीां जकए िा सकते हैं । मूल्ांकन से सम्बन्धन्धि चुनौजियााँ सामाजिक अध्ययन का मूल्ाांकन अजधक चरोां पर जनभथर करता है। अतः यह जनधाथररत करना कजठन होता है जक जकस चर को जकतना महत्त्व जिया िाए। अध्ययन सामग्री िर्ा पुस्तकालय से सम्बन्धन्धि चुनौजियााँ अध्ययन सामिी की अजधकता होने के कारर् भ्रम की ब्दस्र्जत बनी रहती है , सार् ही इन सामजियोां से जनष्पक्ष दृजिकोर् जवकजसत करना कजठन कायथ होता है। 5.1.2 सामाजिक अध्ययन के पाठ्यिम िर्ा पाठ्य – पुस्तक सामाजिक अध्ययन की पाठ्य-पुस्तक तर्ा पाठ्यक्रम का उद्दे श्य बहुत ही व्यापक है। इसका उद्दे श्य केवल जवद्याजर्थयोां का ज्ञान बढाना ही नहीां है वरन उनमें समझ का जवस्तार करना है। समाि के जवजभन्न पक्षोां तर्ा सामाजिक अध्ययन के पाठ्यक्रम तर्ा पाठ्य-पुस्तक में तालमेल बैठाना आवश्यक होता है। इससे जकताबी ज्ञान को व्यावहाररक रूप में उपयोग करने में सहायता जमलती है। सामाजिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में समाि के सभी वगों को शाजमल करना चाजहए। चूाँजक भारतीय समाि में बहुत से अन्तजवथरोधी तत्त्व पाए िाते हैं। अत: यहााँ का पाठ्यक्रम तर्ा पाठ्य पुस्तकें ताजकथक तर्ा आलोचनात्मक होनी चाजहए। ताजक जकसी की भावना को जबना चोट पहुाँचाए जनष्पक्ष मूल्ाांकन जकया िा सके। सामाजिक अध्ययन के पाठ्यक्रम तर्ा पाठ्य-पुस्तक में मानवीय (व्यब्दि के) अनुभव का समावेश जकया िाना आवश्यक है। सामाजिक अध्ययन का पाठ्यक्रम तर्ा पाठ्य पुस्तक का जनमाथर् इस आधार पर जकया िाना चाजहए, जिससे जशक्षक तर्ा छात्ोां में वैज्ञाजनक अन्वेषर्ात्मक क्षमता का जवकास हो सके। सामाजिक जवज्ञान/अध्ययन का पाठ्यक्रम ऐसा होना चाजहए िो शि की एकता में क्षेत्ीय चीिोां का महत्त्व िशाथए। क्षेत्ीय जवशेषताओां को पाठ्यक्रम तर्ा पाठ्य-पुस्तक में समावेश करना चाजहए । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY जलांग बोध से सम्बब्दन्धत मुद्दोां को प्राचीन काल तर्ा वतथमान सन्दभथ में बताया िाना चाजहए। मजहलाओां की उपलब्दब्धयोां का उिाहरर् ऐजतहाजसक तर्ा वतथमान िौर में एक सार् करना चाजहए 5.1.3 सामाजिक अध्ययन के जिक्षण उपागम सामाजिक जवज्ञान समाि से सम्बब्दन्धत होने के कारर् यह लोगोां के उत्तरिाजयत्व, भावना, स्वतन्त्रता, जवश्वास आजि से सम्बब्दन्धत है। इसजलए सामाजिक अध्ययन के जशक्षर् में ऐसे उपागम अपनाना चाजहए, जिससे छात्ोां में कल्पनाशीलता, तकथशीलता, जवश्लेषर् तर्ा आलोचनात्मक शब्दि का जवकास हो सके। सामाजिक अध्यापन में ऐसे उपागम अपनाने चाजहए जक छात् प्राि ज्ञान का व्यावहाररक िीवन में उपयोग कर सके। सामाजिक अध्यापन के प्रमुख उपागम जनम्नजलब्दखत हैं 1. समस्या आधाररि उपागम समस्या आधाररत उपागम (Problem Based Approaches) का मूल उद्दे श्य छात्ोां में समस्या समाधान की योग्यता जवकजसत करना है । इसमें जनम्नजलब्दखत बातोां को शाजमल जकया िा सकता है 1. जशक्षर् का बल समस्या पर होना चाजहए । 2. सामाजिक अध्ययन में समस्या समाधान की प्रजक्रया तर्ा चरर्ोां का क्रमबद्ध समावेश करना। 3. समस्या समाधान और जनर्थय क्षमता को सामाजिक िीवन में उपयोग करने लायक बनाना। जशक्षक द्वारा ज्ञान के उपयोग का व्यावहाररक प्रयोग करके जसखाना, न जक केवल जकताबी ज्ञान िे ना। 2. प्रय ग आधाररि अजधगम इसमें जशक्षक छात्ोां को स्वयां करने पर बल िे ता है। सामाजिक अध्ययन की व्यापक प्रयोगशाला समाि को माना िाता है। प्रयोग आधाररत अजधगम | (Experimental Based Approach) में जनम्नजलब्दखत बातोां का समावेश जकया िाता है इसमें जशक्षक को उत्प्रेरक की तरह कायथ करना चाजहए। इस प्रकार के उपागम में सामुिाजयक कायथ तर्ा ऐजतहाजसक स्र्लोां के पयथटन को शाजमल जकया िाता है। जशक्षर् पाठ्य-पुस्तक तर्ा िीवन से सम्बब्दन्धत होना चाजहए । 3. सहय ग आधाररि अजधगम उसमें जशक्षर् कायथ सहयोग से जकए िाने पर बल जिया िाता है। Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY सहयोग आधाररत जशक्षर् प्रिान करने में जशक्षक की भूजमका महत्त्वपूर्थ होती है। वह जवद्यालय में सहयोगपूर्थ वातावरर् बनाने का कायथ करता है। समूह कायथ पर बल जिया िाता है। 4. समुदाय आधाररि उपागम यह सहयोगात्मक जशक्षर् का ही एक भाग है। इसमें समुिाय को ही अजधगम का केि बनाया िाता है। समुिाय आधाररत अजधगम (Community Based Approach) में स्र्ानीय स्रोतोां को महत्त्व जिया िाता है । इसमें जशक्षक एक प्रवेक्षक की तरह कायथ करता है। 5. दल आधाररि उपागम इसमें जवद्याजर्थयोां को जवजभन्न समूहोां में बााँटा िाता है । जलांग समानता को बढावा िे ने के जलए टीम में बालक तर्ा बाजलकाओां िोनोां को स्र्ान जिया िाता है । समूह जशक्षर् से स्वयां करके सीखने के सार्-सार् समन्वय तर्ा सहयोग का जवकास होता है । समूह जशक्षर् में जशक्षक प्रवेक्षक के सार्-सार् प्रबन्धक भी होता है । वह नृिातीय जवशेषताओां को भी ध्यान में रखता है। इससे रचनात्मकता, साहस, उत्तरिाजयत्व, तर्ा सजहष्णुता का जवकास होता है। स्र ि: प्रार्जमक एिं जििीयक Sources: Primary and Secondary 6.1 स्र ि स्र्ान, व्यब्दि या वस्तुएाँ, जिनसे हमें भूत, वतथमान तर्ा भजवष्य से सम्बन्ध िानकाररयााँ जमलती हैं , स्रोत (Sources) कहलाते हैं। उिाहरर् के जलए हड़प्पा सभ्यता के पुराताब्दत्वक स्रोतोां से वतथमान समय में उसके बारे में िानकारी प्राि होती है। स्रोतोां से हमें प्राचीन समाि के बारे में पता चलता है सार् ही आनेवाले समाि के स्वरूप को बताने में यह सहायक होता है । 6.1.1 स्र ि ं के प्रकार िानकारी तर्ा सूचना प्राब्दि के आधार पर स्रोतोां को मुख्यतः िो प्रकारोां में बााँटा िाता है — प्रार्जमक स्रोत तर्ा जद्वतीयक स्रोत । Whatsapp for notes - 8532855503 instagram– theshadabalam / JOIN TELEGRAM - SA TEACHER ACADEMY 1. प्रार्जमक स्र ि ऐसे स्रोत, िो अपने मूल रूप में पाए िाते हैं प्रार्जमक स्रोत (Primary Sources) अर्वा मूल स्रोत कहलाते हैं । ये मुख्यतः तीन रूपोां में जमलते हैं। भौजिक स्र ि (Physical Sources) इसके अन्तगथत स्मारक, प्रजतमा, अस्त्र-शस्त्र, मूजतथ, भग्नावशेष, स्तम्भ, निी, समुद्र, पवथत, प्राचीन जसक्े, आजि आते हैं। मौन्धखक स्र ि (Oral Sources) इसके अन्तगथत लोकगीत, िन्त कर्ाएाँ , कहाजनयााँ , रीजत-ररवाि, परम्पराएाँ आजि आते हैं। जलन्धखि या मुजिि स्र ि (Written or Printed Sources) इसके अन्तगथत प्राचीन िन्थ, िायरी, हस्तजलजपयााँ , जनयमावली, पत्-पजत्काएाँ आजि आते हैं । प्रार्जमक स्रोत के गुर् जनम्न हैं। प्रार्जमक स्रोत सम्बब्दन्धत पक्ष का जनष्पक्ष जववरर् िे ने में सहायक होते हैं। प्रार्जमक स्रोत अध्ययनकताथ को अपने ढां ग से सोचने तर्ा जवचार करने का अवसर उपलब्ध करवाते हैं । प्रार्जमक स्रोत से आलोचना तर्ा जचन्तन की क्षमता का जवकास होता है । प्रार्जमक स्रोत की सीमाएाँ जनम्न हैं प्रार्जमक स्रोतोां को लम्बे समय तक सुरजक्षत रखना कजठन होता है। प्रार्जमक स्रोतोां की सहायता से अध्ययन तर्ा अध्यापन खचीला होता है। सभी के जलए प्रार्जमक स्रोत उपलब्ध होना कजठन है । सीखने के प्रारब्दम्भक स्तर पर प्रार्जमक स्रोत ज्यािा सहायक नहीां हैं । प्रार्जमक िर्ा जििीयक स्र ि ं में िुलना प्रार्जमक स्र ि जििीयक स्र ि क्षेत् बहुत से लोगोां द्वारा िाटा का सांिह। इसमें पररष्कृत िाटा होता है। िैसे- इसमें क्षेत्गत् पुब्दस्तका, प्रयोग, पुस्तक, शोध पत्, गाइि आजि। साक्षात्कार, सवेक्षर् आजि आते हैं। प्रकृजत यह मूल स्रोत है। यह मूल् जनरपेक्ष मूल स्रोत पर आधाररत होने के होता है। कारर् इस पर व्यब्दि या जवचारधारा का प्रभाव होता है। सुलभता प्रार्जमक स्रोत ल?