Model Paper Solution (Hindi) - 2025
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2025
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This document contains a model solution for a Hindi examination. It includes objective and descriptive questions, suitable for secondary school students. The document is part of an examination guide for 2025.
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# MODEL PAPER SOLUTION ## SECTION A वस्तुनिष्ठ प्रश्न/Objective Type Questions | Q No. | Answer | |---|---| | 1 | D | | 2 | A | | 3 | A | | 4 | C | | 5 | A | | 6 | D | | 7 | C | | 8 | D | | 9 | B | | 10 | C | | 11 | A | | 12 | B | | 13 | C | | 14 | A | | 15 | B | | 16 | A | | 17 | B | | 18 | C | |...
# MODEL PAPER SOLUTION ## SECTION A वस्तुनिष्ठ प्रश्न/Objective Type Questions | Q No. | Answer | |---|---| | 1 | D | | 2 | A | | 3 | A | | 4 | C | | 5 | A | | 6 | D | | 7 | C | | 8 | D | | 9 | B | | 10 | C | | 11 | A | | 12 | B | | 13 | C | | 14 | A | | 15 | B | | 16 | A | | 17 | B | | 18 | C | | 19 | B | | 20 | B | | 21 | A | | 22 | C | | 23 | C | | 24 | C | | 25 | C | | 26 | A | | 27 | C | | 28 | B | | 29 | A | | 30 | B | | 31 | B | | 32 | C | | 33 | A | | 34 | C | | 35 | C | | 36 | A | | 37 | C | | 38 | A | | 39 | D | | 40 | D | | 41 | A | | 42 | B | | 43 | B | | 44 | C | | 45 | B | | 46 | D | | 47 | B | | 48 | D | | 49 | D | | 50 | B | | 51 | D | | 52 | D | | 53 | A | | 54 | C | | 55 | A | | 56 | D | | 57 | A | | 58 | A | | 59 | D | | 60 | A | | 61 | A | | 62 | B | | 63 | B | | 64 | B | | 65 | A | | 66 | B | | 67 | D | | 68 | A | | 69 | C | | 70 | B | | 71 | B | | 72 | C | | 73 | C | | 74 | C | | 75 | C | | 76 | B | | 77 | A | | 78 | A | | 79 | A | | 80 | B | | 81 | C | | 82 | A | | 83 | C | | 84 | B | | 85 | D | | 86 | B | | 87 | A | | 88 | B | | 89 | C | | 90 | C | | 91 | C | | 92 | C | | 93 | C | | 94 | B | | 95 | A | | 96 | C | | 97 | C | | 98 | A | | 99 | B | | 100 | A | ## SECTION B विषयनिष्ठ प्रश्न / Descriptive Type Questions ### 1. (क) (i) राष्ट्रभाषा और राजभाषा का पद प्राप्त होने के कारण अब हिन्दी का दायित्व बहुत बढ़ गया है। (ii) हिन्दी भाषा ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में बढ़ती हुई तकनीक के ज्ञान के विकास करने में तथा प्रशासन की भाषा के रुप में प्रयुक्त होने के प्रयास में है। (iii) साहित्य की भाषा के अलावे ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में प्रशासन की भाषा के रूप में हिन्दी का प्रयोग होना हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। (iv) साहित्य, ज्ञान-विज्ञान एवं प्रशासन की भाषा के रूप मे हिन्दी के प्रयुक्त होने की उपलब्धि को हासिल करना महान एवं कठिन कार्य है। (v) साहित्य, ज्ञान-विज्ञान, एवं प्रशासन के कार्यों में हिन्दी भाषा के सफल प्रयोग के लिए बड़ी उदार और व्यापक दृष्टि तथा कठिन साधना की आवश्यकता होगी। अथवा, (ख) (i) निःस्वार्थ भाव से पीड़ित मानवता की सेवा को परोपकार कहते हैं। (ii) परोपकार कई प्रकार से किया जा सकता है। भूखे को रोटी खिलाकर, नंगे का तन ढंककर, धर्मशालाएँ बनवाकर, निरक्षरों को शिक्षित कर, भूले भटके को राह दिखाकर, प्यासों को पानी पिलाकर और अबलाओं की रक्षा कर किसी का परोपकार किया जा सकता है। (iii) निरक्षरों को शिक्षा का दान देकर, उन्हें साक्षर बनाना ही सच्चा दान है। (iv) तन-मन से दूसरों की भलाई करना, निरक्षरों को शिक्षा का दान देना ही सुख-शांति प्राप्त करने का मुख्य साधन है। (v) बिना आर्थिक सहायता के परोपकार कई प्रकार से किया जा सकता है। भूले-भटके को राह दिखाकर, प्यासे को पानी पिलाकर, अबलाओं की रक्षा कर, निरक्षरों को शिक्षा का दान देकर तन-मन से दूसरों का परोपकार कर सकते हैं। ### 2. (क) (i) समय के सदुपयोग से लाभ ही लाभ है। इससे हम अपने जीवन में कई गुणा कार्य करके अपना विकास और मानवता की सेवा कर सकते हैं। (ii) अधिक कार्य करके हम अधिक धन, यश, सम्मान अर्जित कर सकते हैं? (iii) धन, यश, सम्मान अर्जित कर निरन्तर ऊँचे उठते हुए अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। (iv) संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं, सभी ने समय के महत्व को समझा तथा समय का सम्पूर्ण उपयोग किया। (v) शीर्षक: समय का महत्व अथवा, (ख) (i) अब्दुर्रहीम खानखाना का जन्म 1553 ई० और निधन 1625 ई० में हुआ था। (ii) रहीम अरबी फारसी और संस्कृत के विद्वान थे तथा हिन्दी के विख्यात कवि थे। (iii) रहीम बड़े परोपकारी और दानी थे। इनके हृदय में दूसरे के लिए बड़े सम्मान का भाव रहता था। गंग कवि के एक छप्पय पर रहीम ने उन्हें छतीस लाख रुपये दे दिये थे। जब तक उनके पास सम्पत्ति थी, तब तक वे दिल खोलकर दान देते रहे। (iv) रहीम की काव्य उक्तियाँ बड़ी मार्मिक हैं क्योंकि वे हृदय से स्वाभाविक रूप से निःसृत हुई हैं। (v) 'अब्दुर्रहीम खानखाना/ कवि रहीम' ### 3. (क) **पुस्तकालय** भूमिका-पुस्तकें मानव की सबसे अच्छी दोस्त होती है जो बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक हमारा मार्गदर्शन करती है। पुस्तकों के कारण ही आज शिक्षा पद्धति सुदृढ़ हो पाई है। लोगों में ज्ञान और अनुभव का विस्तार हुआ है। किसी भी व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं है हर तरह के पुस्तकों का संग्रह कर रख सके। अनन्त ज्ञान की गंगा सबके लिए सुलभ हो सके, इसके लिए पुस्तकालय की आवश्यकता महसूस हुई। पुस्तकालय का अर्थ होता है- पुस्तकों का घर। यहाँ पर ज्ञान-विज्ञान, साहित्य, राजनीति आदि विषयों की अलग-अलग भाषा में पुस्तकों का संग्रह होता है। महत्व-पुस्तकालय का महत्व मानव जीवन में प्राचीन काल से रही है। यहाँ संसार के सर्वोत्तम ज्ञान और विचारों का संगम होता है। किसी प्राचीन विषय का विज्ञान और तकनीकी का अध्ययन करना हो या किसी कला या साहित्य की कोई अच्छी पुस्तक चाहिए या किसी महापुरुष की जीवनी सब कुछ एक स्थान यानी पुस्तकालय में हमें मिल जाती है। विद्यार्थी यहाँ आकर शांत माहौल में पुस्तकें पढ़ सकता है और अपने ज्ञान के जिज्ञासा को शांत कर सकता है। सभी सामग्री पढ़ने के लिए ">" बटन दबाएं