परिवार (Family) PDF
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This document contains notes on different types of families, their characteristics, and features. It includes information on family structure and types of families based on various factors like size, residence, and lineage.
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# परिवार (Family) ## परिवार - (अंग्रेजी भाषा) Family - उत्पति - लैटिन भाषा - (फेमूलस) - Famulus - शाब्दिक अर्थ - नौकर । बास। सेवक ## परिवार - जो समूह माता-पिता उनकी संतान वह और नौकर से मिलकर बना हो परिवार " कहलाता है। ## Note - नौकर परिवार का अंग होता ही परन्तु सदस्य नही होता है। #...
# परिवार (Family) ## परिवार - (अंग्रेजी भाषा) Family - उत्पति - लैटिन भाषा - (फेमूलस) - Famulus - शाब्दिक अर्थ - नौकर । बास। सेवक ## परिवार - जो समूह माता-पिता उनकी संतान वह और नौकर से मिलकर बना हो परिवार " कहलाता है। ## Note - नौकर परिवार का अंग होता ही परन्तु सदस्य नही होता है। ## परिवार की विशेषताएँ - **प्लेटो के अनुसार** - परिवार बालक की प्रथम पाठशाला होती है। - **इलियट ब मैरिल के अनुसार** - परिवार पति-पत्नी एवं उनके बच्चों की जैविक इकाई को कहते है।। - **इलियट व मै आगस्ट काम्टे के अनुसार** - परिवार समाज की “धुरी” है। - **आगस्ट काम्टे के अनुसार** - परिवार समाज की “आधारभूत” इकाई है। - **सी.एच. फूले के अनुसार** - - परिवार समाज का आधार है। - (चाल्र्स इले) - **सी०एच० फूले के अनुसार** - - परिवार “प्राथमिक समूह है। जो मानव स्वभाव प्रकृति की नर्सरी व बालक का पोषक गृह है। - **मैश्रद्धवर व पैज के अनुसार** - - परिवार ऐसा समूह है जोयौन सम्बन्धों पर आधारित होता है। - जिसमें बच्चों का जन्म व पालन-पोषण होता है। - **मैकाइवर के अनुसार** - परिवार वह नर्सरी है जहाँ पर व्यक्तित्व का विकास होता है। - **एडुमन बीच के अनुसार** - परिवार समस्त “झगड़ों की जड़ है। - **लूसी मेयर के अनुसार** - परिवार एक ग्रहस्थ समूह है। - जिसमें माता-पिता के साथ-2 उनकी संतान भी निवास करती है। - **लक्लेयर क्लेयर के अनुसार** - माता-पिता व उनके बच्चों के बीच पायें जाने वाले "संबंध की व्यवस्था ही परिवार है। - **सोरोकीन के अनुसार** - परिवार ऐसा समूह है जहाँ के लोगों में “पारस्परिकता” के सम्बन्ध होते ही - **कुकिंग्सले डेविस के अनुसार** - परिवार ऐसा समूह है जहाँ के लोग “ संगोत्रता पर आधारित व “रक्त सम्बन्ध” - **प्रोडरिक एन्जिल्स के अनुसार** - परिवार “ निजी सम्पति का वाहक एवाधन है। “उपभोक्ता सागवर्नव निमकॉफ के अनुसार - परिवार पति पुत्नी एवं स्त्री-पुरुष उनके बच्चों का स्थाई समूह ही - **श्याम चरण दुवे** - - ( एस० सी० दुबे ) - परिवार में महिला पुरुष दीनी की “सदस्यता प्राप्त होती है। - **मुरडॉक के अनुतार** - परिवार "सामाजिक समूह ही जिसमें सामान्य निवास मार्थिक सहयोग प जनन - **रॉस के अनुसार** - परिवार ऐसा समूह है, जहाँ के व्यक्तियों में “बन्धुत्व के सम्बन्धगहै। - **रॉस के अनुसार** - परिवार इस हख्य संहीन संसार में स्वर्ग के समान है। जीवितव्याक्तियो - **डी० एम०मजूमदार** - परिवार ऐसा समूह है जहाँ के व्यक्ति रक्त सम्बन्धी होते है। और “एक ही छत के नीचे निवास करते हैं। - **लेटो व अस्स्तु के अनुसार** - परिवार जीवन की प्रथम प्रारंभिक पाठशाला है। - **पारसन्स के अनुसार** - परिवार ऐसी फैक्ट्रियां है जो मानप व्यक्तित्व पैदा करती है। - **मुरडॉक के अनुसार** - परिवार सार्वभौमिक संस्था । सार्वभौमिक मानव समूह है। ## परिवार की विशेषताएँ - : 1. परिवार समाज की "सबसे छोटी इकाई है। 2. परिवार जातीय व्यवस्था व मानव संगठन की मौलिक इकाई है। 3. परिवार बालक की प्रथम पाठशाला है। 4. परिवार बालक के सामाजिक जीवन की प्राप्यमिक इकाई है। - क्योंकि बालक परिवार के द्वारा ही सामाजिक जीवन में प्रवेश करता है। 5. बालक परिवार में रहकर ही समाज के हीति-रिवाज प संस्कारो को सीख पाता है। 6. प्रत्येक समाज की संरचना में परिवार केन्द्रीय “इकाई होती है। 7. व्यक्ति परिवार व समाज परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। 8. विवाह सम्बन्धों के बाद ही परिवार का निर्माण होता है। - अथति - विवाह के बाद ही परिवार का अस्तित्व में आता है। 9. परिवार “स्थाई व अस्थाई समूह है। 10. परिवार समूह व संस्था समूह दोनों है। 11. परिवार एकळसार्वभौमिक संस्थान है अर्थात परिवार प्रत्येक काल व प्रत्येक स्थान पर पाया जाता है। 12. प्रत्येक परिवार का संचालन परिवार के कैती (मुखिया)द्वारा ही किया जाता है। 13. परिवार में कम से कम दो भिन्न लिंग वयस्क" साथ-१ रहते हैं। 14. परिवार में "सुरक्षा व साक्षा उत्तरदायित्व की भावना होती है। 15. परिवार में सामान्य निवास समान भोजन व्यवस्थाँ' व “समान सामाजिक व धार्मिक क्रियाओं का उपयोग किया जाता है। # परिवार के प्रकार -: Type cet fermily - परिवार मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। 1. एकल परिवार। 2. संयुक्त परिवार। ## एकल परिवार : उपनाम् - एकांकी परिवार । - केन्द्रीय परिवार' - नार्थिक परिवार। - मूल परिवार। - दाम्पत्य मूलक परिवार। - एकल परिवार में दम्पत्ति सैम्या दो पीढ़ी के सदस्य होते हैं। - वह परिवार जिसमें माता-पिता के साथ -1 उनकी अविवाहित सैतान भी निवास करती हो। एकल परिवार कहलाता है। - ये परिवार का होय रूप होता ही - एकल परिवार की सर्वाधिक संख्या विश्व में, भारत के शहरी क्षेत्रों में पाई जाती है। ## एकल परिवार के गुण -8 1. ऐसे परिवारों के बच्चों में आत्मनिर्भरता व निर्णय लेने की क्षमता का विकास हो पाता है। 2. ऐसे परिवारों में व्यक्ति स्वतन्त्र रूप से अपना जीवन व्यतीत कर सकता ही 3. ऐसे परिवारों में माता-पिता अपने बच्चों की परवरिश अच्छे से कर पाते हैं। ## एकल परिवार के दोष -? 1. ऐसे परिवारों में बच्चे एकाकी व अन्र्तमुखी बन जाते हैं। 2. ऐसे परिवारों में बीमार माता-पिता की देखभाल करने में कठिनाई आती है। 3. बच्चे बाबा-दादी के स्नेह से वंचित रहते हैं। 4. बच्चे माता-पिता के अलावा परिवार के अन्य सदस्यों का महत्व नही समझ पाते हैं। 5. ऐसे बच्चों में संस्कारों का अभाव पाया जाता है। ## संयुक्त परिवार / समरक्त परिवार : - ऐसे परिवार दादा-दादी ताऊ ताई, माता-पिता, चाचा । चाची बुआ (अविवाहित) व उनकी संतान साथ-2 निवास करते हो। वह संयुक्त परिवार कहलाते हैं। - (4) अथवा - जिसमें तीन या चार पीढ़ी के सदस्य साथ-१ निवास करते हो। वह संयुक्त परिवार कहलाता है। ## मैक्समूलर - ने संयुक्त परिवार की भारत की आदि परम्परा कहा है ## संयुक्त परिवार के गुण -: - बडा आकार - एक रसोई घर - एक पूजा धर - साक्षा उतरदायित्व - सम्पति पर एकाधिकार - सहयोग व एकता की भावना। - संकट । सुरक्षा में सदस्यों का सहयोग करना। - विश्राम का अवसर। - श्रम विभाजन । - मनोरंजन का अवसर (रीति-रिवाज व्यौघर) ## संयुक्त परिवार के बरोब - - मुखिया की स्वेच्छाचारिता। - महिलाओं की दुर्दशा। - शुष्क व नीरस जीवन । - अनियन्त्रित प्रजनना - एकांत का अभाव। - गोपनीय स्थान का अभाव । - अन्धविश्वाप्त की प्रवृति । - व्यक्ति के विकास में बाधक। ## Note - संयुक्त परिवार की सर्वाधिक भारत में व "ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है। # आकार के आधार पर परिवार के प्रकार -: 1. एकल परिवार। 2. संयुक्त परिवार। 3. विस्तृत परिवार - संयुक्त परिवार + नातेदारी । ऐसा परिवार जिसमें पितृपक्षा व मातृपक्ष दोनों के ही सदस्य साथ-२ निवास करते ही । वह विस्तृत परिवार कहलाता है। - (अर्थात इसने दादा वादी व नाना-नानी का परिवार) साथ-साथ निवास करते # सदस्य संख्या के आधार पर परिवार के प्रकार -: (भारत की जनसंणना 1951 के आधार पर)- 1. 1-3 सदस्य वाला परिवार → छोरा परिवार 2. 4-6 सदस्य “" → मध्यम परिवार 3. 7-9 सदस्य “" → बड़ा परिवार 4. 10 सदस्य “" → बहुत बड़ा (विस्तृत) परिवार। # कर्ता । मुखिया की स्थिति के आधार पर परिवार के प्रकार- 1. जन्म मूलक परिवार 2. प्रजनन मूलक परिवार । ## जन्म मूलक परिवार : - जिस परिवार में बालक जन्म लेता है व उसका पालन-पोषण होता ही वह जन्म मूलक परिवार कहलाता है। ## प्रजनन मूलक परिवार : - जब व्यक्ति के विवाह सम्बन्धों के बाद सन्तान उत्पति के बाद जिस परिवार का निर्माण करता है वह उसका प्रजनन मूलक परिवार कहलाता है। # सत्ता के आधार पर परिवार के प्रकार -: 1. पितृसत्तात्मक परिवार। 2. मातृसत्तात्मक परिवार। ## पितृसत्तात्मक परिवार -: - ऐसा परिवार जिसमें परिवार की सम्पूर्ण सत्ता व अधिकार घर के सबसे बड़े पुरुष के पास होती है अथति वह परिवार का मुखिया होता है, जिसके द्वारा परिवार का संचालन होग है। - भारत में ऐसे परिवार सर्वाधिक पाये जाते हैं। ## मातृसत्तात्मक परिवार : - ऐसा परिवार जिसमें परिवार की सम्पूर्ण सत्ता व अधिकार घर की सबसे बड़ी महिला के पास होती है। - अर्थात् वह परिवार की मुखिया होती है जिसके द्वारा परिवार का संचालन किया जाता है। - भारत में ऐसे परिवार मेद्यालय राज्य कि गारों व खाँसी जनजातियों में पाए जाते हैं। # निवास स्थान के आधार पर परिवार के प्रकार - (मुरडॉक ने प्रकार J 1. पितृ-स्थानीय परिवार। 2. मातृ-स्थानीय परिवारा 3. मातृ-पितृ स्थानीय परिवार। 4. मामा । मातुल स्थानीय परिवार। 5. द्वि- स्थानीय परिवार। 6. नव । नूतन स्थानीय परिवार । ## पितृ-स्थानीय परिवार -: - जब वर व वधू विवाह के बाद बर (वर) के माता-पिता के घर जाकर निवास करते हैं। ## मातृ-स्थानीय परिवार : - जब वर-वधू विवाह के बाद वधू के माता-पिता के घर जाकर निवास करते है अतः इसे घर-जवाई वाला परिवार भी कहते हैं। - भारत में ऐसे परिवार मेद्यालय राज्य की गारी व खाँसी जनजातियों में तथा केरल के मालाबार तट पर निवास करने वाली " नायर जनजाति" में पाए जाते हैं। ## मातृ-पितृ स्थानीय परिवार -: - जब वर व वधू विवाह के बाद बर के मामा ठे जाकर निवास करते हो। ऐसे परिवार मातुल वधू के माता-पिता के घर एक वर्ष अथवा पहले बच्चे के जन्म तल निवास करते है फिर इसके बाद वर के माता-पिता के घर जाकर निवास करते हैं। ## मामा । मातुल स्थानीय परिवार -: - जब वर व वधू विवाह के बाद पर के मामा के घर जाकर निवास करते हो। ऐसे परिवार मातुल। मामा स्थानीय परिवार कहलाते है। - ऑस्ट्रेलिया के "मिलानेशिया नामक स्थान पर निवास करने वाली ट्रोबिएण्ड जनजाति में पाई जाती है। ## दि- स्थानीय परिवार- : - जब वर व वष्णू विवाह के बाद अपने - अपने परिवार वालों के साथ रहना पसन्द करते है अर्थात् लड़का दिन में तो अपने माता-पिता के घर व रात में अपनी पत्नी के माता-पिता के घर जाकर रहत निवास करता है। ऐसे परिवार दि- स्थानीय परिवार कहलाते है। - उपा०-- लक्षद्वीप केरख के कुछ भागों में अशांती जनजाति में प्रथा परि जाती है। ## नव या नूतन परिवार : - जब वर-वधू विवाह के बाद न ही वधू के माता-पिता के घर और न ही वर के माता-पिता के घर रहना पसन्द नहीं करते है। - अपितु अपने नयें घर रहना पसन्द करते हैं। ऐसे परिवार नव या नूतन परिवार कहलाते हैं। - उदा० आधुनिक परिवार में यह रूप प्रचलित है। # नामकरण के आधार पर परिवार के प्रकार -: 1. पितृनामी परिवार। - (बच्चों का नामकरण पितृपक्ष के आधार पर) 2. मातृनामी परिवार। - (बच्चों का नामकरण मातृ-पक्ष के आधार पर) # उतराधिकार के आधार पर परिवार के प्रकार - 1. पितृमार्गी परिवार। 2. मातृमार्णी परिवार। 3. पितृमार्गी परिवार -: - जब परिवार के सम्पूर्ण सम्पति फा उत्तराधिकारी में पिता से पुत्रों की बि प्राप्त होती है। पितृमार्गी परिवार कहलाता है। 4. मातृमार्गी परिवार -: - जब परिवार की सम्पूर्ण सम्पति माता से पुत्रियों को प्राप्त होती है। मातृमार्गी परिवार कहलाता है। # वंश परंपरा के आधार पर परिवार के प्रकार -: 1. पितृवंशीय परिवार। 2. मातृवंशीय परिवारा 3. दिवशी । उभयवंशी परिवार । 4. पितृवंशीय परिवार - जब परिवार की पैरा परम्परागत पिता से ही चलती ही अथवा पिता बे नाम पर ही वेश परम्परा चलती ही वह परिवार पितृ पेशीय कहलाता है। 5. मातृवंशीय परिवार -: जब परिवार की वंश परम्परागत मागसे ही पुत्र की ओर अग्रसर होती है। अथति माता डे नाम पर ही वंश परम्परागत चलती है वह परिवार मातृवेशीय कहलाता ही 6. हिवंशी । उभयवंशी परिवार-: जब परिवार की पेश परम्परा वितृपक्ष व मातृ पक्ष दोनों के साथ चलती हो ऐसे परिवार में व्यक्ति दादा-बादी व नाना-नानी के चारों से ही अपना संबंध बनाये रखते है। - दादी-बादी #इकलौता पुत्र चिता नाना-लानी # इकलौती पूजी # माता पुत्रा पुत्री # विवाह के आधार पर परिवार के प्रकार- 1. एक विवाही परिवार : जब पुरुष के द्वारा एक ही स्त्री के साथ विवाह दिया जाता है तो ऐसा परिवार एक-विवाही परिवार कहलाता है। ऐसे परिवार में एक पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह नहीं दिया जाता। 2. बहु विवाही परिवार: ऐसे परिवार जिनमें एक से अधिक जीवन साथी रखने की स्वीकृति हो । थे निम्न प्रकार के होते हैं- 1. बहु-पत्नी परिवार - जब एक पुरुष एक समय में एक से अधिक स्त्रियों से विवाह कर उनके साथ रहता है। - इस बहु-पत्नी परिवार कहते हैं। - स्वीकृति ही - मुस्लिम समाज में पुरुष को एक साथ चार पत्नियों की (भारत में नागा, वैगा, गोष्ड आदिवासी।) - भारत में कानूनन बहु पत्नी प्रथा पर रोक है। 2. बहुपति परिवार : जब एक स्त्री एक समय में एक से अधिक पुरुषों से विवाह करती है बहुपति परिवार विवाह कुल्लालाई उवा भारत में जौनासार-बाबर क्षेत्र (उत्तरप्रदेश), बम जनजाति, नीलगिरि पर्वत पर रोडा एवं मालाबार (केसला पर नायर जाति। - बहुपति परिवार भी दो प्रकार के होते है। - भ्रातृक बहुपतिक परिवार : जब सभी भाई मिलकर एक स्त्री से विवाह करते है। - अभ्रातृक बहुपतिक परिवार-: सभी पति आपस में सगे भाई नही होते हैं। ## परिवार के उत्पति का सिध्दान्त -: - प्रतिपादन - अस्स्तु वू प्लेटो - समर्थन - हेनरी मेन - इस मिध्द्धान्त के अनुसार प्रारम्भ में परिवार का स्वरूप पितृसत्तात्मक लेकिन हेनरी मेन ने कहा कि प्रारम्भ में परिवारका स्वरुप पितृसत्तात्मक, व वितृ स्थानीय व पितृवेशीय भी गा ## यौन साम्यवाद को सिद्धान्त - प्रतिपादक -मार्गन - समर्थक ब्रिकाल्ट व फ्रेजर - प्रारम्भ में परिवार व विवाह जैसी कोई संस्था नहीं थी - मनुष्य पशु परवल का था था और पशुओं की भाँति यौन-प्रवृति संबंध स्थापित करता था। मनुष्य की इस प्रवृति की “कामाचार के अवस्था व यौन साम्यवाद की प्रवृति कहा जाता है। ## एक विवाह का सिध्दान्त: - प्रतिपादक-वेस्टरमार्क - समर्थक - जुकरमेन व वेलिनोवस्की - वेस्टरमार्क की पुस्तक - History of Human Marriage), - मानात विवाह का इतिहास प्रवृत्ति का होता है जो महिला को उस पर संपति की तरह सम्पति की भाँति समझता है। अर्थात उस पर संपति की तरह एकाधिकार चाहता हो ## मातृ-सत्तात्मक का सिद्धान्त -: - प्रतिपादक । प्रवर्तक - ब्रिफाल्ट - समर्थक - ई. बी. टायलर व बेकोपुन - डिफाल्ट की पुस्तक the mother - - इस सिद्धांत के अनुसार प्रारंभ में यौन सम्बन्ध निर्धारित नहीं थे। इस सिद्धांत के अनुसार महिला-पुरुष में घनिष्ठ सम्बन्ध न होकर माता व पुत्र में थे। ## उद्विकासीय का सिद्धांत - - प्रतिपाल्क वेकोपन - समर्थन - ई. टायलर व मॉर्गन