प्रेम विवाह और व्यवस्थित विवाह के योग | मकर लग्न, PDF

Summary

यह दस्तावेज़ मकर लग्न में होने वाले प्रेम विवाह और व्यवस्थित विवाह पर चर्चा करता है। विश्लेषण में, विभिन्न ग्रहों के प्रभावों और कुंडली के भावों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। दस्तावेज़ में उदाहरण के रूप में कुछ विशिष्ट ग्रहीय संयोजन दिए गए हैं।

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/Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 1/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 1 Title: #shorts - प्रेम िववाह सफ़ल होगा या नहीं? 2 3 भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका 4 स्वागत है िववाह योग के स...

/Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 1/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 1 Title: #shorts - प्रेम िववाह सफ़ल होगा या नहीं? 2 3 भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका 4 स्वागत है िववाह योग के संदभर् में बात 5 करते हुए आज हम आप पहुंचे हैं मकर लगन तक 6 अब हम आगे बात शुरू करें इसके पहले एक बात 7 और कर लेते हैं अनेक लोगों की यह िजज्ञासा 8 है िक आपने प्रेम िववाह के बारे में बताया 9 अरेंज िववाह के बारे में बताया लेिकन 10 अंतरजातीय िववाह के बारे में कुछ भी नहीं 11 कहा तो इस संबंध में हमने इसी श्रंखला के 12 िकसी चैप्टर में बात की थी लेिकन यहां पर 13 पुनः दोहरा देते हैं िक प्रेम िववाह का 14 योग ही अंतरजातीय िववाह का योग होता है 15 आपने सुना ही होगा िक प्रेम अंधा होता है 16 प्रेम कहां जात पात देखता है प्रेम तो बस 17 प्रेम होता है जाित में हो या अजाित में 18 हो इसिलए प्रेम िववाह का योग ही अंतरजातीय 19 िववाह का योग मािनए तो आइए अब शुरू कर 20 करते हैं आज का िवषय मकर लगन में िववाह 21 योग तो सबसे पहले बात करते हैं मकर लगन 22 में प्रेम िववाह का क्या योग होता है अथवा 23 इसे ही आप अंतरजातीय भी समझ ले यानी प्रेम 24 िववाह और अंतजार्तीय िववाह के योग मकर लगन 25 में देख रहे हैं तो यहां ध्यान रिखए िक 26 चतुथेर्श मंगल है क्योंिक मंगल की मेष 27 रािश चतुथर् भाव में है इसिलए प्रेम िववाह 28 या अंतरजातीय िववाह के िलए मंगल ही 29 िजम्मेदार है अब आप उदाहरण कुंडली देिखए 30 इसमें चतुथेर्श मंगल दशम भाव में तुला 31 रािश में बैठा है जो िक अपने भाव से सप्तम 32 बैठकर प्रेम िववाह का योग बना रहा है तो 33 हम कह सकते हैं िक यह प्रेम िववाह का योग 34 है तो ध्यान रिखए यहां पर यह योग थोड़ा सा 35 संिदग्ध हो सकता है और इसका कारण भी आप 36 समझ गए होंगे िक सप्तम भाव में मंगल की 37 नीच रािश ककर् पड़ी हुई है हालांिक इसके 38 बावजूद भी यह मंगल प्रेम संबंधों में 39 इच्छु क तो रखेगा ही और वैसे भी एक बात का 40 ध्यान रिखए िक यिद मकर लगन में मंगल 41 नक्षत्र स्वामी हो तो इन जातकों का प्रेम 42 िववाह करना ही उिचत होता है क्योंिक सप्तम 43 भाव में ककर् रािश होने से वह मंगल की नीच 44 रािश है जो िक अरेंज िववाह में बहुत 45 िदक्कत देता है आप भी यिद ऐसी कोई कुंडली 46 देखेंगे तो आपको मालूम पड़ेगा िक ऐसे 47 जातकों का िजनका िक अरेंज िववाह हुआ है 48 उनके िववाह को िटकने में बहुत िदक्कतों का 49 सामना करना पड़ा है तो यहां पर हम कह सकते 50 हैं िक मकर लगन में मंगल यिद दशम भाव तुला 51 रािश में बैठा है तो प्रेम िववाह या अरेंज /Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 2/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 52 इन दोनों के 5050 पर चांस बनते हैं लेिकन 53 दशम भाव में िजनका तुला रािश का मंगल है 54 इन जातकों का चाहे प्रेम िववाह हुआ हो या 55 अरेंज िववाह हुआ हो इन जातकों का दांपत्य 56 जीवन सुखद रहता है पित-पत्नी में स्नेह 57 आसिक्त 58 [संगीत] 59 और लमेल बना रहता है दशम भाव में बैठकर यह 60 मंगल जातक को 61 धन 62 संपित्त वाहन और सुख यह प्रचुर मात्रा में 63 देने में सक्षम होता है और इनका पिरवार भी 64 एकजुट रहता है पिरवार में कोई िवघटन नहीं 65 होता लेिकन इस बात का भी ध्यान रिखए िक जब 66 तक चतुथर् भाव जागृत है या इसे आप यं समझ 67 ले िक जब तक माता जीिवत है तब तक यह सब 68 सुख सुिवधाएं मौजूद रहती हैं लेिकन माता 69 के चले जाने के 70 बाद थोड़ी िदक्कतों का सामना कर करना पड़ 71 सकता है तो यहां तक हमने दशम भाव तुला 72 रािश िस्थत मंगल के बारे में समझा तो अब 73 सवाल यह उठता है िक क्या मकर लगन में मंगल 74 िनिश्चत रूप से प्रेम िववाह या अंतरजातीय 75 िववाह के कोई योग बना सकता है तो इसका 76 जवाब है हां मकर लगन में मंगल की एक 77 िस्थित ऐसी है जो िनिश्चत रूप से 78 100% प्रेम िववाह करवाती है और इस बात का 79 भी ध्यान रिखए िक यह िस्थित िसफर् मकर लगन 80 में ही बनेगी अन्यत्र िकसी भी लग्न में 81 नहीं बनेगी यहां पर आप उदाहरण कुंडली को 82 देिखए यहां पर मंगल नवम भाव में कन्या 83 रािश में िस्थत है और यहीं पर कन्या रािश 84 में नवं भाव में बैठकर मंगल प्रेम िववाह 85 करवा देता है अब आप कहेंगे िक यह हम कैसी 86 बहकी बहकी बातें कर रहे हैं य पहले ही 87 मंगल कन्या रािश में बैठा है और अपने भाव 88 से भी छटा है तो इस िस्थित में तो िववाह 89 ही नहीं होगा िफर प्रेम िववाह कहां से आ 90 गया यानी इस िस्थित में तो िववाह ही नहीं 91 होगा तो देिखए ग्रहों की फल देने की 92 प्रवृित्त को समझे िबना 93 सीधे एक िनिश्चत ढरेर् पर चलते हुए िकसी 94 सटीक पिरणाम तक पहुंचना बहुत मुिश्कल होता 95 है और हर बत य के वीिडयो में नहीं समझाई 96 जा सकती क्योंिक ग्रहों की प्रवृित सारा 97 िरजल्ट बना िबगाड़ देती है और इसीिलए हमने 98 भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस का ऐप बनाया 99 है जो िक आप गल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर 100 सकते हैं और उसमें सारी बातें िवस्तार से 101 समझाई गई हैं हर ग्रह के बारे में िक िकस 102 ग्रह की फल देने की प्रवृित्त क्या है और /Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 3/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 103 वह िकस तरह से फल देगा 104 और इसे आप एक बार समझ लेंगे तो िफर कहीं 105 पर कोई भी िदक्कत नहीं होगी आप सटीक 106 पिरणाम तक पहुंच सकते हैं अब यहां पर 107 देिखए नवम भाव कन्या रािश में बैठकर मंगल 108 प्रेम िववाह कैसे करवाता है इसको समझते 109 हैं अब यहां पर मान लीिजए िक िववाह योग्य 110 आयु में जातक को मंगल की दशा चल रही है तो 111 यहां पर इस मंगल के क्या पिरणाम होंगे तो 112 मंगल के फल देने की प्रव के बारे में 113 स्पष्ट है िक जब भी इसका दशा काल होगा 114 वहां पर यह छठे भाव की हािन करेगा और छठे 115 से अगला भाव सातवा यानी सप्तम भाव को 116 बढ़ाएगा अब यहां पर मुिश्कल यह है िक जब 117 सप्तम भाव बढ़ेगा तो सप्तम भाव में इसकी 118 नीच रािश ककर् पड़ी हुई है तो यह अरेंज 119 िववाह तो अपने दशा में होने नहीं देगा 120 पिरणाम स्वरूप यह लव मैिरज के माध्यम से 121 िववाह करवा देगा क्योंिक इसके पास चतुथर् 122 भाव का दाियत्व है ऑलरेडी यह चतुथेर्श है 123 यह ध्यान में रिखए इस इक्वेशन को आप थोड़ा 124 सा होमवकर् करके समिझए आपको स्पष्ट समझ 125 में आ जाएगा अब थोड़ा सा नवम भाव में 126 िस्थत मंगल के बारे में बात कर लेते हैं 127 िक अपने दशा काल में यह िकस तरह के फल 128 देता है तो देिखए इस मंगल के दशा काल में 129 प्रेम िववाह होना तो िनिश्चत है यानी 130 इसमें कोई भी संशय नहीं समझना 131 चािहए इस िस्थित का मंगल अपने दशा काल में 132 प्रेम िववाह तो करवा ही देगा और इस मंगल 133 के दशा काल में जातक थोड़ा सा दब्बू 134 प्रवृित का हो जाता है उसमें बहुत ज्यादा 135 कोई हौसला नहीं होता है थोड़ा दब्बू होता 136 है ऋण या कजर् से संबंिधत कोई समस्या भी 137 दे सकता है साथ ही भाइयों के साथ भी 138 संबंधों में खराबी उत्पन्न करता है और 139 िपता के िलए भी िवपरीत पिरिस्थितयों का 140 िनमार्ण करता है यानी िपता के िलए भी इस 141 मंगल की दशा कोई बहुत अच्छी नहीं मानी 142 जानी चािहए और हो सकता है जातक स्वयं िकसी 143 व्यसन का िशकार हो जाए इसिलए थोड़ा सावधान 144 इस दशा में रहना चािहए तो अभी तक हमने मकर 145 लगन में चतुथेर्श मंगल के बारे में समझ 146 िलया है िक यह िकस तरह के फल देगा और आइए 147 अब बात करते हैं अरेंज मैिरज की तो यहां 148 पर सप्तमेश है चंद्र 149 और यह चंद्रमा जैसा िक आप उदाहरण कुंडली 150 में देख रहे हैं लग्न में बैठा हो तो यह 151 िनिश्चत रूप से अरेंज िववाह करवाता है और 152 इस चंद्रमा के दशा काल में जातक को कोई 153 बहुत िवशेष मेहनत नहीं करनी पड़ती िबना /Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 4/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 154 िकसी मेहनत के ही भाग्य वश उसको बहुत 155 अच्छी प्रािप्तयां होती हैं िशक्षा काल हो 156 और उस समय में यह दशा आए तो िशक्षा बहुत 157 बिढ़या हो जाती 158 और इस चंद्रमा का दशा काल बहुत आनंद में 159 गुजरता 160 है और यिद जातक को िववाह पश्चात पुत्र हो 161 गया तो समझ लीिजए उसके भाग्य के दरवाजे 162 खुल जाते हैं पुत्र होने के बाद में यह 163 लग्न में िस्थत चंद्रमा बहुत ही शानदार 164 बिढ़या फल देता है मकर लगन में चंद्रमा की 165 यह एक बहुत बिढ़या िस्थित बनती है तो यहां 166 तक हम बात कर चुके हैं मकर लगन में प्रेम 167 िववाह और अरेंज िववाह की अब तीसरी िस्थित 168 के बारे में भी बात कर लेते हैं जैसा िक 169 हम प्राय कर ही रहे हैं इस श्रंखला 170 में यानी प्रेम िववाह के योग भी हो और 171 अरेंज िववाह के योग भी हो तो कौन सा 172 ज्यादा प्रभावी होगा तो यहां पर भी दो 173 िस्थितयां िनिमर् त हो जाती है िजन पर हमने 174 अभी बात की उस िहसाब से यहां पर दो 175 िस्थितयों का िनमार्ण होगा आप यहां उदाहरण 176 कुंडली में देख पा रहे होंगे पहली िस्थित 177 में चंद्रमा लग्न में हो और मंगल नवम भाव 178 कन्या रािश में हो एक िस्थित तो यह बनेगी 179 तो यह िनिश्चत है िक यिद िववाह योग्य आयु 180 में इस मंगल का दशा काल हो तो िनिश्चत 181 100% प्रेम िववाह होगा और यिद इस मंगल का 182 दशा काल नहीं है तो इस पहली िस्थित में 183 िफर अरेंज िववाह होगा और दू सरा िस्थित में 184 चंद्रमा तो लग्न में ही है लेिकन मंगल दशम 185 भाव में है तो यहां पर प्रेम िववाह और 186 अरेंज िववाह दोनों की बराबर संभावनाएं 187 रहेंगी प्रेम िववाह भी हो सकता है अरेंज 188 िववाह भी हो सकता है आशा है आपको आज की 189 बात समझ में आ गई होगी अब आज के चैप्टर को 190 यही िवराम देते हैं और अगले चैप्टर में 191 आपसे िफर िमलते हैं तब तक के िलए जय जय 192 िसयाराम 193 Title: 184 - गुरु वृहस्पित के अचूक सूत्र | वृिष्चक लग्न सप्तमस्थ गुरू पिरवार या पित्न में से एक … ही देंगे? 194 195 भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका 196 स्वागत है आज हम बात करेंगे ककर् लग्न 197 वाले जातकों के िववाह योगों के बारे में 198 िक आपकी कुंडली में लव मैिरज के योग हैं 199 या अरेंज मैिरज के योग हैं या िक दोनों ही 200 योग मौजूद हैं तो सबसे पहले आप अपनी 201 कुंडली के लग्न चाटर् को देिखए और प्रथम 202 हाउस में यिद चार का अंक िलखा है तो िफर 203 आप ककर् लग्न के जातक हैं और आज हम आपके /Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 5/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 204 बारे में ही बात कर रहे हैं तो सबसे पहले 205 हम बात करते हैं लव मैिरज के योगों के 206 बारे में ककर् लगन के जातकों के िलए यिद 207 आपकी कुंडली में दशम भाव में शुक्र मेष 208 रािश में बैठा हुआ है तो यह आपके प्रेम 209 िववाह का योग बना देता है जैसा िक आप 210 उदाहरण कुंडली में देख पा रहे होंगे मेष 211 रािश में दशम भाव में 212 [संगीत] 213 बैठकर 214 ककर् लगन के जातकों के िलए शुक्र लव मैिरज 215 के योग बना देता है और यह लव मैिरज 216 अंतरजातीय भी हो सकती है वैसे तो हम आपको 217 बता दें िक लव मैिरज का जाित या अंतर जाित 218 से कोई संबंध नहीं है लव मैिरज का कुल 219 मतलब ही इतना है िक 220 वह जाित में भी हो सकती है अंतरजातीय भी 221 हो सकती है लेिकन आप देखेंगे िक जाित में 222 जो िववाह होता है वह भले ही लव मैिरज हो 223 लेिकन उसमें इतना कोई चचार् या बातचीत 224 नहीं होती क्योंिक पिरजन भी उसके िलए 225 तैयार रहते हैं तो लव मैिरज को अंतजार्तीय 226 दृिष्टकोण से ही देखा जाना चािहए जहां भी 227 लव मैिरज होती है वह भले ही जाित में हो 228 या अंतजार्तीय हो वह अंतरजातीय ही कहलाए 229 गी यहां पर बैठकर शुक्र धन वाणी और कुटुंब 230 के मामले में बहुत बिढ़या फल देता है और 231 पुत्र संतान का सुख भी दे देता है लेिकन 232 यहां िसफर् समस्या एक ही रहती है िक यह 233 शुक्र लव मैरज े तो करवा देगा लेिकन ससुराल 234 से संबंध मधुर नहीं रह पाते हैं आइए अब 235 बात करते हैं अरेंज मैिरज के बारे में तो 236 ककर् लगन में यिद शिन लग्न भाव में ही 237 बैठा हो यानी शिन ककर् रािश जो िक लग्न 238 भाव में पड़ रही है आप देख पा रहे होंगे 239 कुंडली में 240 यिद शिन यहां लग्न भाव में ककर् रािश में 241 बैठे हैं तो यह अरेंज मैरज े का योग बना 242 देते हैं यहां पर शिन हो 243 [संगीत] 244 तो प्रेम िववाह की िस्थित िबल्कुल भी नहीं 245 बनेगी अरेंज िववाह ही होगा और यहां पर 246 जीवन साथी थोड़ा सा दबंग स्वभाव का रहता 247 है हावी होने की कोिशश करता है यहां लग्न 248 में बैठा हुआ शिन जातक में अहम और अकड़ 249 ज्यादा भर देता है इस वजह से जीवन साथी से 250 उसके संबंध मधुर नहीं रह पाते हैं और ऐसा 251 जातक एकांत िप्रय स्वभाव का होता है तो 252 उसका सामािजक दायरा भी कोई बहुत ज्यादा 253 फैलाव िलए हुए नहीं रहता है आइए अब बात 254 करते हैं यिद दोनों ही योग मौजूद हो यानी /Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 6/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 255 शुक्र दशम भाव में बैठा हो और शिन लग्न 256 में बैठा हो तो क्या िस्थित बनती है ऐसी 257 िस्थित में जातक की लव मैिरज होना मुिश्कल 258 है यहां अरेंज मैिरज ही होगी क्योंिक इस 259 िस्थित में शिन प्रेम िववाह के योग को 260 खत्म कर देगा तो यह दोनों ही िस्थितयां 261 मौजूद हो तो िनिश्चत समिझए िक अरेंज मैिरज 262 ही होनी है और इन दोनों योगों के चलते 263 यानी शिन लग्न में हो और शक्र दशम भाव में 264 हो तो यह िनिश्चत है िक जीवन साथी से 265 दांपत्य संबंध उतने मधुर नहीं रह पाते हैं 266 दांपत्य संबंधों में कमजोरी अवश्य आती है 267 तो इसी के साथ आज के चैप्टर को िवराम देते 268 हैं और अगली बार आपसे िमलते हैं इससे आगे 269 की बात के साथ तब तक के िलए जय जय 270 िसयाराम 271 Title: 185 - गुरु वृहस्पित के अचूक सूत्र | धनु लग्न सप्तम भाव में गुरू िकस तरह फ़ल देते हैं? 272 273 भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका 274 स्वागत है आज हम बात करेंगे िसं ह लगन में 275 िववाह योगों की और जानेंगे िक यिद आपका 276 िसं ह लग्न है तो आपके प्रेम िववाह के योग 277 हैं या अरेंज िववाह के योग हैं या िक आपकी 278 कुंडली में दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं 279 तो सबसे पहले आप अपनी कुंडली के लग्न 280 चाटर् को देिखए जैसा िक आप यहां देख पा 281 रहे हैं यिद लग्न भाव में पांच नंबर का 282 अंक िलखा है तो आप िसं ह लग्न के जातक हैं 283 और हम आज आपके ही िववाह योगों के बारे में 284 बात कर रहे हैं तो आइए सबसे पहले समझते 285 हैं प्रेम िववाह के क्या योग होते हैं 286 िसं ह लग्न वाले जातकों की कुंडली में तो 287 आपकी कुंडली में यिद मंगल वखर् रािश में 288 दशम भाव में बैठा है आप उदाहरण कुंडली देख 289 सकते हैं यहां मंगल वखर् रािश में दशम भाव 290 में बैठा है तो यह प्रेम िववाह के योग बना 291 देता है और प्रेम िववाह के पश्चात यह जातक 292 बहुत उन्नित भी करते हैं जातक िमलनसार 293 स्वभाव का होता है नाते िरश्तेदारों से भी 294 अच्छी पटरी खाती है और सामािजक दायरा भी 295 इनका बहुत बिढ़या रहता है गाड़ी वाहन िनजी 296 संपित्त का सुख भी उठाता है अपने कुटुंबी 297 जनों से इसके बहुत बिढ़या मधुर संपकर् 298 रहते हैं संबंध भी अच्छे रहते हैं अपने 299 पिरजनों से लेिकन यहां पर समस्या िसफर् एक 300 ही 301 [संगीत] 302 है ससुराल वालों से इसकी ज्यादा पटरी नहीं 303 खाती है यहां दशम भाव में वखर् रािश में 304 मंगल बैठा हो तो यह प्रेम िववाह के 305 साथ-साथ ही जातक को अच्छा व्यापारी बना /Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 7/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 306 देता है ऐसा जातक कजर् लेकर धंधा करता है 307 और उससे खूब कमाता है और इसके द्वारा िलया 308 गया कजर् कभी इसको तकलीफ दायक नहीं होता 309 बिल्क इसका धन उससे बढ़ता ही है यानी यह 310 कजर् लेकर भी उससे पैसे कमाता है आइए अब 311 बात करते हैं िसं ह लग्न में अरेंज िववाह 312 के क्या योग हैं तो िसं ह लग्न में लग्न 313 भाव में यिद शिन बैठा हो जैसा िक आप 314 उदाहरण कुंडली में देख पा रहे हैं यहां पर 315 शिन िसं ह रािश में लग्न में ही बैठा है तो 316 यह अरेंज िववाह के योग बना देता है अब 317 यहां लग्न भाव में बैठकर शिन जातक में अहम 318 और अकड़ बढ़ा देता है और इसी वजह से इसके 319 दांपत्य संबंध उतने मधुर नहीं रह पाते और 320 हां पर शिन बैठा है तो िनिश्चत माने िक यह 321 कन्या संतान का योग बना देता है और कन्या 322 वह भाग्यशाली अवश्य होती है और इन जातकों 323 को स्वयं के व्यापार में उतनी सफलता नहीं 324 िमलती िजतनी िक यह नौकरी करें तो उसमें 325 सफल 326 [संगीत] 327 हो जाते हैं या अपना पैिथक धंधा करते हो 328 तो भी उसमें बहुत सफल रहते हैं और मान 329 लीिजए कुंडली में दोनों ही योग मौजूद हो 330 यानी मंगल दशम भाव वृक रािश में बैठा है 331 यह प्रेम िववाह का योग और शिन लग्न भाव 332 िसं ह रािश में बैठा हुआ है यह अरेंज िववाह 333 का योग यानी दोनों ही तरह के योग मौजूद 334 हैं तो इस िस्थित वाले जातकों को अरेंज 335 मैिरज के बजाय लव मैिरज हो तो ज्यादा 336 बिढ़या रहता है क्योंिक यहां पर शिन सप्तम 337 दृिष्ट से सप्तम भाव को समाप्त करेगा 338 इसिलए अरेंज मैिरज की बजाय लव मैिरज करना 339 इन जातकों के िलए बहुत ही सुकून दायक 340 रहेगा तो इसी के साथ आज के चैप्टर को 341 िवराम देते हैं और अगली बार आपसे िमलते 342 हैं अगले िवषय के साथ तब तक के िलए जय जय 343 िसयाराम 344 Title: 186 - गुरु वृहस्पित के अचूक सूत्र | मकर लग्न सप्तम भाव में गुरू सास बहु के झगडे क्यों … करवाता है? 345 346 भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका 347 स्वागत है आज हम बात करेंगे िसं ह लगन में 348 िववाह योगों की और जानेंगे िक यिद आपका 349 िसं ह लग्न है तो आपके प्रेम िववाह के योग 350 हैं या अरेंज िववाह के योग हैं या िक आपकी 351 कुंडली में दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं 352 तो सबसे पहले आप अपनी कुंडली के लग्न 353 चाटर् को देिखए जैसा िक आप यहां देख पा 354 रहे हैं यिद लग्न भाव में पांच नंबर का 355 अंक िलखा है तो आप िसं ह लग्न के जातक हैं /Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 8/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 356 और हम आज आपके ही िववाह योगों के बारे में 357 बात कर रहे हैं तो आइए सबसे पहले समझते 358 हैं प्रेम िववाह के क्या योग होते हैं 359 िसं ह लग्न वाले जातकों की कुंडली में तो 360 आपकी कुंडली में यिद मंगल वखर् रािश में 361 दशम भाव में बैठा है आप उदाहरण कुंडली देख 362 सकते हैं यहां मंगल वखर् रािश में दशम भाव 363 में बैठा है तो यह प्रेम िववाह के योग बना 364 देता है और प्रेम िववाह के पश्चात यह जातक 365 बहुत उन्नित भी करते हैं जातक िमलनसार 366 स्वभाव का होता है नाते िरश्तेदारों से भी 367 अच्छी पटरी खाती है और सामािजक दायरा भी 368 इनका बहुत बिढ़या रहता है गाड़ी वाहन िनजी 369 संपित्त का सुख भी उठाता है अपने कुटुंबी 370 जनों से इसके बहुत बिढ़या मधुर संपकर् 371 रहते हैं संबंध भी अच्छे रहते हैं अपने 372 पिरजनों से लेिकन यहां पर समस्या िसफर् एक 373 ही 374 [संगीत] 375 है ससुराल वालों से इसकी ज्यादा पटरी नहीं 376 खाती है यहां दशम भाव में वखर् रािश में 377 मंगल बैठा हो तो यह प्रेम िववाह के 378 साथ-साथ ही जातक को अच्छा व्यापारी बना 379 देता है ऐसा जातक कजर् लेकर धंधा करता है 380 और उससे खूब कमाता है और इसके द्वारा िलया 381 गया कजर् कभी इसको तकलीफ दायक नहीं होता 382 बिल्क इसका धन उससे बढ़ता ही है यानी यह 383 कजर् लेकर भी उससे पैसे कमाता है आइए अब 384 बात करते हैं िसं ह लग्न में अरेंज िववाह 385 के क्या योग हैं तो िसं ह लग्न में लग्न 386 भाव में यिद शिन बैठा हो जैसा िक आप 387 उदाहरण कुंडली में देख पा रहे हैं यहां पर 388 शिन िसं ह रािश में लग्न में ही बैठा है तो 389 यह अरेंज िववाह के योग बना देता है अब 390 यहां लग्न भाव में बैठकर शिन जातक में अहम 391 और अकड़ बढ़ा देता है और इसी वजह से इसके 392 दांपत्य संबंध उतने मधुर नहीं रह पाते और 393 हां पर शिन बैठा है तो िनिश्चत माने िक यह 394 कन्या संतान का योग बना देता है और कन्या 395 वह भाग्यशाली अवश्य होती है और इन जातकों 396 को स्वयं के व्यापार में उतनी सफलता नहीं 397 िमलती िजतनी िक यह नौकरी करें तो उसमें 398 सफल 399 [संगीत] 400 हो जाते हैं या अपना पैिथक धंधा करते हो 401 तो भी उसमें बहुत सफल रहते हैं और मान 402 लीिजए कुंडली में दोनों ही योग मौजूद हो 403 यानी मंगल दशम भाव वृक रािश में बैठा है 404 यह प्रेम िववाह का योग और शिन लग्न भाव 405 िसं ह रािश में बैठा हुआ है यह अरेंज िववाह 406 का योग यानी दोनों ही तरह के योग मौजूद /Volumes/Transcend/youtube/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 9/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 407 हैं तो इस िस्थित वाले जातकों को अरेंज 408 मैिरज के बजाय लव मैिरज हो तो ज्यादा 409 बिढ़या रहता है क्योंिक यहां पर शिन सप्तम 410 दृिष्ट से सप्तम भाव को समाप्त करेगा 411 इसिलए अरेंज मैिरज की बजाय लव मैिरज करना 412 इन जातकों के िलए बहुत ही सुकून दायक 413 रहेगा तो इसी के साथ आज के चैप्टर को 414 िवराम देते हैं और अगली बार आपसे िमलते 415 हैं अगले िवषय के साथ तब तक के िलए जय जय 416 िसयाराम 417 Title: 187 - गुरु वृहस्पित के अचूक सूत्र | कुंभ लग्न सप्तम भाव में गुरु धन के ढेर कैसे लगा देता … है? 418 419 भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका 420 स्वागत है आज हम बात करेंगे िसं ह लगन में 421 िववाह योगों की और जानेंगे िक यिद आपका 422 िसं ह लग्न है तो आपके प्रेम िववाह के योग 423 हैं या अरेंज िववाह के योग हैं या िक आपकी 424 कुंडली में दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं 425 तो सबसे पहले आप अपनी कुंडली के लग्न 426 चाटर् को देिखए जैसा िक आप यहां देख पा 427 रहे हैं यिद लग्न भाव में पांच नंबर का 428 अंक िलखा है तो आप िसं ह लग्न के जातक हैं 429 और हम आज आपके ही िववाह योगों के बारे में 430 बात कर रहे हैं तो आइए सबसे पहले समझते 431 हैं प्रेम िववाह के क्या योग होते हैं 432 िसं ह लग्न वाले जातकों की कुंडली में तो 433 आपकी कुंडली में यिद मंगल वखर् रािश में 434 दशम भाव में बैठा है आप उदाहरण कुंडली देख 435 सकते हैं यहां मंगल वखर् रािश में दशम भाव 436 में बैठा है तो यह प्रेम िववाह के योग बना 437 देता है और प्रेम िववाह के पश्चात यह जातक 438 बहुत उन्नित भी करते हैं जातक िमलनसार 439 स्वभाव का होता है नाते िरश्तेदारों से भी 440 अच्छी पटरी खाती है और सामािजक दायरा भी 441 इनका बहुत बिढ़या रहता है गाड़ी वाहन िनजी 442 संपित्त का सुख भी उठाता है अपने कुटुंबी 443 जनों से इसके बहुत बिढ़या मधुर संपकर् 444 रहते हैं संबंध भी अच्छे रहते हैं अपने 445 पिरजनों से लेिकन यहां पर समस्या िसफर् एक 446 ही 447 [संगीत] 448 है ससुराल वालों से इसकी ज्यादा पटरी नहीं 449 खाती है यहां दशम भाव में वखर् रािश में 450 मंगल बैठा हो तो यह प्रेम िववाह के 451 साथ-साथ ही जातक को अच्छा व्यापारी बना 452 देता है ऐसा जातक कजर् लेकर धंधा करता है 453 और उससे खूब कमाता है और इसके द्वारा िलया 454 गया कजर् कभी इसको तकलीफ दायक नहीं होता 455 बिल्क इसका धन उससे बढ़ता ही है यानी यह 456 कजर् लेकर भी उससे पैसे कमाता है आइए अब /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 10/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 457 बात करते हैं िसं ह लग्न में अरेंज िववाह 458 के क्या योग हैं तो िसं ह लग्न में लग्न 459 भाव में यिद शिन बैठा हो जैसा िक आप 460 उदाहरण कुंडली में देख पा रहे हैं यहां पर 461 शिन िसं ह रािश में लग्न में ही बैठा है तो 462 यह अरेंज िववाह के योग बना देता है अब 463 यहां लग्न भाव में बैठकर शिन जातक में अहम 464 और अकड़ बढ़ा देता है और इसी वजह से इसके 465 दांपत्य संबंध उतने मधुर नहीं रह पाते और 466 हां पर शिन बैठा है तो िनिश्चत माने िक यह 467 कन्या संतान का योग बना देता है और कन्या 468 वह भाग्यशाली अवश्य होती है और इन जातकों 469 को स्वयं के व्यापार में उतनी सफलता नहीं 470 िमलती िजतनी िक यह नौकरी करें तो उसमें 471 सफल 472 [संगीत] 473 हो जाते हैं या अपना पैिथक धंधा करते हो 474 तो भी उसमें बहुत सफल रहते हैं और मान 475 लीिजए कुंडली में दोनों ही योग मौजूद हो 476 यानी मंगल दशम भाव वृक रािश में बैठा है 477 यह प्रेम िववाह का योग और शिन लग्न भाव 478 िसं ह रािश में बैठा हुआ है यह अरेंज िववाह 479 का योग यानी दोनों ही तरह के योग मौजूद 480 हैं तो इस िस्थित वाले जातकों को अरेंज 481 मैिरज के बजाय लव मैिरज हो तो ज्यादा 482 बिढ़या रहता है क्योंिक यहां पर शिन सप्तम 483 दृिष्ट से सप्तम भाव को समाप्त करेगा 484 इसिलए अरेंज मैिरज की बजाय लव मैिरज करना 485 इन जातकों के िलए बहुत ही सुकून दायक 486 रहेगा तो इसी के साथ आज के चैप्टर को 487 िवराम देते हैं और अगली बार आपसे िमलते 488 हैं अगले िवषय के साथ तब तक के िलए जय जय 489 िसयाराम 490 Title: 188 - गुरु वृहस्पित के अचूक सूत्र | मीन लग्न सप्तम भाव में गुरु हो तो मन की बात गुप्त … रखनी चािहये? 491 492 सािथयों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में 493 आपका स्वागत है जैसा िक आजकल हम िववाह 494 योगों की बात प्रत्येक लग्न में कर रहे 495 हैं इसी श्रंखला में आज हम बात करेंगे 496 कन्या लग्न में िववाह योगों की और इसमें 497 हम जानेंगे िक कन्या लग्न में कौन सा ग्रह 498 िववाह के िलए िजम्मेदार होता है और यह भी 499 जानेंगे िक जो ग्रह िववाह के िलए 500 िजम्मेदार है उसकी कुंडली में िस्थित कहां 501 पर होनी चािहए िजससे िक वह अपने पूरे फल 502 दे सके आजकल िववाह के मामले में दो ही तरह 503 के िववाह ज्यादा प्रचिलत है प्रेम िववाह 504 या अरेंज मैिरज तो सबसे पहले बात करते हैं 505 हम लव मैिरज के योगों की तो कन्या लग्न 506 में यिद गुरु दशम भाव में यानी िक िमथुन /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 11/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 507 रािश में जैसा िक वहां पर िमथुन रािश का 508 िसं बल तीन का अंक है तो गुरु यिद दशम भाव 509 में 510 िमथुन रािश में बैठा हो तो यह जातक के 511 प्रेम िववाह के योग बना देता है अब यहां 512 पर गुरु चतुथर् से और दशम भाव में िमथुन 513 रािश में बैठा है तो यह जातक के िलए भूिम 514 भवन स्वाज संपित्त वाहन माता सुख संपित्त 515 इन सब का कारक बन जाता है कन्या लग्न में 516 यिद गुरु दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम 517 िववाह का पक्का योग बना देगा और लव मैिरज 518 होने के बाद में यह जातक बहुत तेजी से 519 उन्नित करते हैं आिथर् क रूप से इनकी 520 िस्थित बहुत ही सुधरती चली जाती है लेिकन 521 एक बात है इन जातकों में जल्दबाजी की आदत 522 होती है सोचने की क्षमता इनमें कम होती है 523 बिल्क जो िदमाग में आया उसे तुरत ं िनपटा 524 डालते हैं ज्यादा सोचते नहीं है जो करना 525 है उसे कर डालते 526 हैं 527 के मन में आया उसको यह करके ही मानेंगे 528 इस गुरु की यही खािसयत है तो यह तो हुई 529 कन्या लग्न में प्रेम िववाह की िस्थित आइए 530 अब जानते हैं िक कन्या लग्न में अरेंज 531 िववाह की क्या िस्थित बनती है तो कन्या 532 लग्न में केतु यिद लग्न में ही यानी जहां 533 छह का अंक िलखा है कन्या रािश में ही बैठा 534 हो तो यह जातक के अरेंज िववाह की 535 िस्थितयां बना देता है और यह जातक अपने 536 जीवन साथी की तरफ िवशेष आकिषर् त रहते हैं 537 और अपने जीवन साथी की हर इच्छा को पूरी 538 करते हैं उनसे प्रेम भी बहुत करते हैं और 539 इन जातकों में भी सोचने की क्षमता कम रहती 540 है सोचने की क्षमता कम रहने से मतलब यह है 541 िक ज्यादा सोच िवचार नहीं करते यह भी जो 542 मन में आया उसे तुरत ं कर देते हैं भौितक 543 सुखों और सांसािरक सुखों में ज्यादा रुिच 544 लेते हैं और इनका कुल आकषर्ण ही भौितक 545 वस्तुओ ं में होता है और िववाह पश्चात जीवन 546 में यह उन सुखों को प्राप्त भी कर लेते 547 हैं इन जातकों की आिथर् क िस्थित भी िववाह 548 के पश्चात बहुत बिढ़या रहती है और जातक घर 549 पिरवार धन सभी का सुख भी प्राप्त कर लेता 550 है कोई िवशेष मुिश्कल इसको नहीं आती और यह 551 सब होता है केतु के लग्न में कन्या रािश 552 में बैठने की वजह से तो अभी तक हमने कन्या 553 लग्न में मैिरज और अरेंज मैिरज इन दो 554 िस्थितयों पर बात की अब अक्सर कुछ जातकों 555 की कुंडली में यह दोनों योग मौजूद होते 556 हैं यानी िक गुरु दशम भाव में बैठा है यह 557 लव मैिरज का योग हो गया और केतु लग्न में /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 12/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 558 ही बैठा है तो यह अरेंज िववाह का योग हो 559 गया तो अब यहां पर सोचने वाली बात यह है 560 िक इस जातक की लव मैिरज होगी या अरेंज 561 मैिरज होगी तो इसमें सबसे पहले 562 तो मैटर यह करता है िक िववाह योग्य आयु 563 में यिद गुरु की दशा अंतर दशा चल रही 564 है तो मान लीिजए िक नक्की प्रेम िववाह 565 होगा और यिद कहीं केतु की दशा अत दशा चल 566 रही है िववाह होने की उम्र में तो वहां पर 567 अरेंज मैिरज होगी लेिकन यहां पर एक िवशेष 568 बात आप ध्यान में रिखए िक िजन लोगों की 569 कुंडली में भी यह दोनों योग मौजूद हैं 570 उनका 571 चाहे प्रेम िववाह हो या अरेंज िववाह हो 572 लेिकन जीवन साथी अपिरिचत नहीं होता ध्यान 573 रिखए अपिरिचत नहीं होता मान लीिजए इसकी 574 अरेंज मैिरज भी होती है तो भी इसका जीवन 575 साथी इसका पूवर् पिरिचत अवश्य होगा यह 576 जरूरी नहीं है िक अफेर में रहे हो वह िकसी 577 भी स्तर पर सामािजक स्कूल कॉलेज में या 578 िकसी भी रूप में एक दू सरे के पिरिचत अवश्य 579 होते हैं और इन दोनों ही योगों वाले 580 जातकों का िववाह पश्चात दांपत्य जीवन बहुत 581 सुखद रहता है और आिथर् क रूप से इनकी 582 िकस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं तो आज के 583 चैप्टर को यही िवराम देते हैं और अगली बार 584 आप से िमलते हैं अगले िवषय के साथ तब तक 585 के िलए जय जय 586 िसयाराम 587 Title: 189 - गुरु वृहस्पित के अचूक सूत्र | मेष लग्न सप्तम भाव गुरु हो, क्या यह िद्विववाह योग … बना सकता है? 588 589 सािथयों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में 590 आपका स्वागत है जैसा िक आजकल हम िववाह 591 योगों की बात प्रत्येक लग्न में कर रहे 592 हैं इसी श्रंखला में आज हम बात करेंगे 593 कन्या लग्न में िववाह योगों की और इसमें 594 हम जानेंगे िक कन्या लग्न में कौन सा ग्रह 595 िववाह के िलए िजम्मेदार होता है और यह भी 596 जानेंगे िक जो ग्रह िववाह के िलए 597 िजम्मेदार है उसकी कुंडली में िस्थित कहां 598 पर होनी चािहए िजससे िक वह अपने पूरे फल 599 दे सके आजकल िववाह के मामले में दो ही तरह 600 के िववाह ज्यादा प्रचिलत है प्रेम िववाह 601 या अरेंज मैिरज तो सबसे पहले बात करते हैं 602 हम लव मैिरज के योगों की तो कन्या लग्न 603 में यिद गुरु दशम भाव में यानी िक िमथुन 604 रािश में जैसा िक वहां पर िमथुन रािश का 605 िसं बल तीन का अंक है तो गुरु यिद दशम भाव 606 में 607 िमथुन रािश में बैठा हो तो यह जातक के /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 13/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 608 प्रेम िववाह के योग बना देता है अब यहां 609 पर गुरु चतुथर् से और दशम भाव में िमथुन 610 रािश में बैठा है तो यह जातक के िलए भूिम 611 भवन स्वाज संपित्त वाहन माता सुख संपित्त 612 इन सब का कारक बन जाता है कन्या लग्न में 613 यिद गुरु दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम 614 िववाह का पक्का योग बना देगा और लव मैिरज 615 होने के बाद में यह जातक बहुत तेजी से 616 उन्नित करते हैं आिथर् क रूप से इनकी 617 िस्थित बहुत ही सुधरती चली जाती है लेिकन 618 एक बात है इन जातकों में जल्दबाजी की आदत 619 होती है सोचने की क्षमता इनमें कम होती है 620 बिल्क जो िदमाग में आया उसे तुरत ं िनपटा 621 डालते हैं ज्यादा सोचते नहीं है जो करना 622 है उसे कर डालते 623 हैं 624 के मन में आया उसको यह करके ही मानेंगे 625 इस गुरु की यही खािसयत है तो यह तो हुई 626 कन्या लग्न में प्रेम िववाह की िस्थित आइए 627 अब जानते हैं िक कन्या लग्न में अरेंज 628 िववाह की क्या िस्थित बनती है तो कन्या 629 लग्न में केतु यिद लग्न में ही यानी जहां 630 छह का अंक िलखा है कन्या रािश में ही बैठा 631 हो तो यह जातक के अरेंज िववाह की 632 िस्थितयां बना देता है और यह जातक अपने 633 जीवन साथी की तरफ िवशेष आकिषर् त रहते हैं 634 और अपने जीवन साथी की हर इच्छा को पूरी 635 करते हैं उनसे प्रेम भी बहुत करते हैं और 636 इन जातकों में भी सोचने की क्षमता कम रहती 637 है सोचने की क्षमता कम रहने से मतलब यह है 638 िक ज्यादा सोच िवचार नहीं करते यह भी जो 639 मन में आया उसे तुरत ं कर देते हैं भौितक 640 सुखों और सांसािरक सुखों में ज्यादा रुिच 641 लेते हैं और इनका कुल आकषर्ण ही भौितक 642 वस्तुओ ं में होता है और िववाह पश्चात जीवन 643 में यह उन सुखों को प्राप्त भी कर लेते 644 हैं इन जातकों की आिथर् क िस्थित भी िववाह 645 के पश्चात बहुत बिढ़या रहती है और जातक घर 646 पिरवार धन सभी का सुख भी प्राप्त कर लेता 647 है कोई िवशेष मुिश्कल इसको नहीं आती और यह 648 सब होता है केतु के लग्न में कन्या रािश 649 में बैठने की वजह से तो अभी तक हमने कन्या 650 लग्न में मैिरज और अरेंज मैिरज इन दो 651 िस्थितयों पर बात की अब अक्सर कुछ जातकों 652 की कुंडली में यह दोनों योग मौजूद होते 653 हैं यानी िक गुरु दशम भाव में बैठा है यह 654 लव मैिरज का योग हो गया और केतु लग्न में 655 ही बैठा है तो यह अरेंज िववाह का योग हो 656 गया तो अब यहां पर सोचने वाली बात यह है 657 िक इस जातक की लव मैिरज होगी या अरेंज 658 मैिरज होगी तो इसमें सबसे पहले /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 14/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 659 तो मैटर यह करता है िक िववाह योग्य आयु 660 में यिद गुरु की दशा अंतर दशा चल रही 661 है तो मान लीिजए िक नक्की प्रेम िववाह 662 होगा और यिद कहीं केतु की दशा अत दशा चल 663 रही है िववाह होने की उम्र में तो वहां पर 664 अरेंज मैिरज होगी लेिकन यहां पर एक िवशेष 665 बात आप ध्यान में रिखए िक िजन लोगों की 666 कुंडली में भी यह दोनों योग मौजूद हैं 667 उनका 668 चाहे प्रेम िववाह हो या अरेंज िववाह हो 669 लेिकन जीवन साथी अपिरिचत नहीं होता ध्यान 670 रिखए अपिरिचत नहीं होता मान लीिजए इसकी 671 अरेंज मैिरज भी होती है तो भी इसका जीवन 672 साथी इसका पूवर् पिरिचत अवश्य होगा यह 673 जरूरी नहीं है िक अफेर में रहे हो वह िकसी 674 भी स्तर पर सामािजक स्कूल कॉलेज में या 675 िकसी भी रूप में एक दू सरे के पिरिचत अवश्य 676 होते हैं और इन दोनों ही योगों वाले 677 जातकों का िववाह पश्चात दांपत्य जीवन बहुत 678 सुखद रहता है और आिथर् क रूप से इनकी 679 िकस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं तो आज के 680 चैप्टर को यही िवराम देते हैं और अगली बार 681 आप से िमलते हैं अगले िवषय के साथ तब तक 682 के िलए जय जय 683 िसयाराम 684 Title: 190 | वैवािहक िमलान Part 1 | मांगिलक दोष में मंगल िकतना अमंगलकारी होता है? 685 686 सािथयों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में 687 आपका स्वागत है जैसा िक आजकल हम िववाह 688 योगों की बात प्रत्येक लग्न में कर रहे 689 हैं इसी श्रंखला में आज हम बात करेंगे 690 कन्या लग्न में िववाह योगों की और इसमें 691 हम जानेंगे िक कन्या लग्न में कौन सा ग्रह 692 िववाह के िलए िजम्मेदार होता है और यह भी 693 जानेंगे िक जो ग्रह िववाह के िलए 694 िजम्मेदार है उसकी कुंडली में िस्थित कहां 695 पर होनी चािहए िजससे िक वह अपने पूरे फल 696 दे सके आजकल िववाह के मामले में दो ही तरह 697 के िववाह ज्यादा प्रचिलत है प्रेम िववाह 698 या अरेंज मैिरज तो सबसे पहले बात करते हैं 699 हम लव मैिरज के योगों की तो कन्या लग्न 700 में यिद गुरु दशम भाव में यानी िक िमथुन 701 रािश में जैसा िक वहां पर िमथुन रािश का 702 िसं बल तीन का अंक है तो गुरु यिद दशम भाव 703 में 704 िमथुन रािश में बैठा हो तो यह जातक के 705 प्रेम िववाह के योग बना देता है अब यहां 706 पर गुरु चतुथर् से और दशम भाव में िमथुन 707 रािश में बैठा है तो यह जातक के िलए भूिम 708 भवन स्वाज संपित्त वाहन माता सुख संपित्त 709 इन सब का कारक बन जाता है कन्या लग्न में /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 15/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 710 यिद गुरु दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम 711 िववाह का पक्का योग बना देगा और लव मैिरज 712 होने के बाद में यह जातक बहुत तेजी से 713 उन्नित करते हैं आिथर् क रूप से इनकी 714 िस्थित बहुत ही सुधरती चली जाती है लेिकन 715 एक बात है इन जातकों में जल्दबाजी की आदत 716 होती है सोचने की क्षमता इनमें कम होती है 717 बिल्क जो िदमाग में आया उसे तुरत ं िनपटा 718 डालते हैं ज्यादा सोचते नहीं है जो करना 719 है उसे कर डालते 720 हैं 721 के मन में आया उसको यह करके ही मानेंगे 722 इस गुरु की यही खािसयत है तो यह तो हुई 723 कन्या लग्न में प्रेम िववाह की िस्थित आइए 724 अब जानते हैं िक कन्या लग्न में अरेंज 725 िववाह की क्या िस्थित बनती है तो कन्या 726 लग्न में केतु यिद लग्न में ही यानी जहां 727 छह का अंक िलखा है कन्या रािश में ही बैठा 728 हो तो यह जातक के अरेंज िववाह की 729 िस्थितयां बना देता है और यह जातक अपने 730 जीवन साथी की तरफ िवशेष आकिषर् त रहते हैं 731 और अपने जीवन साथी की हर इच्छा को पूरी 732 करते हैं उनसे प्रेम भी बहुत करते हैं और 733 इन जातकों में भी सोचने की क्षमता कम रहती 734 है सोचने की क्षमता कम रहने से मतलब यह है 735 िक ज्यादा सोच िवचार नहीं करते यह भी जो 736 मन में आया उसे तुरत ं कर देते हैं भौितक 737 सुखों और सांसािरक सुखों में ज्यादा रुिच 738 लेते हैं और इनका कुल आकषर्ण ही भौितक 739 वस्तुओ ं में होता है और िववाह पश्चात जीवन 740 में यह उन सुखों को प्राप्त भी कर लेते 741 हैं इन जातकों की आिथर् क िस्थित भी िववाह 742 के पश्चात बहुत बिढ़या रहती है और जातक घर 743 पिरवार धन सभी का सुख भी प्राप्त कर लेता 744 है कोई िवशेष मुिश्कल इसको नहीं आती और यह 745 सब होता है केतु के लग्न में कन्या रािश 746 में बैठने की वजह से तो अभी तक हमने कन्या 747 लग्न में मैिरज और अरेंज मैिरज इन दो 748 िस्थितयों पर बात की अब अक्सर कुछ जातकों 749 की कुंडली में यह दोनों योग मौजूद होते 750 हैं यानी िक गुरु दशम भाव में बैठा है यह 751 लव मैिरज का योग हो गया और केतु लग्न में 752 ही बैठा है तो यह अरेंज िववाह का योग हो 753 गया तो अब यहां पर सोचने वाली बात यह है 754 िक इस जातक की लव मैिरज होगी या अरेंज 755 मैिरज होगी तो इसमें सबसे पहले 756 तो मैटर यह करता है िक िववाह योग्य आयु 757 में यिद गुरु की दशा अंतर दशा चल रही 758 है तो मान लीिजए िक नक्की प्रेम िववाह 759 होगा और यिद कहीं केतु की दशा अत दशा चल 760 रही है िववाह होने की उम्र में तो वहां पर /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 16/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 761 अरेंज मैिरज होगी लेिकन यहां पर एक िवशेष 762 बात आप ध्यान में रिखए िक िजन लोगों की 763 कुंडली में भी यह दोनों योग मौजूद हैं 764 उनका 765 चाहे प्रेम िववाह हो या अरेंज िववाह हो 766 लेिकन जीवन साथी अपिरिचत नहीं होता ध्यान 767 रिखए अपिरिचत नहीं होता मान लीिजए इसकी 768 अरेंज मैिरज भी होती है तो भी इसका जीवन 769 साथी इसका पूवर् पिरिचत अवश्य होगा यह 770 जरूरी नहीं है िक अफेर में रहे हो वह िकसी 771 भी स्तर पर सामािजक स्कूल कॉलेज में या 772 िकसी भी रूप में एक दू सरे के पिरिचत अवश्य 773 होते हैं और इन दोनों ही योगों वाले 774 जातकों का िववाह पश्चात दांपत्य जीवन बहुत 775 सुखद रहता है और आिथर् क रूप से इनकी 776 िकस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं तो आज के 777 चैप्टर को यही िवराम देते हैं और अगली बार 778 आप से िमलते हैं अगले िवषय के साथ तब तक 779 के िलए जय जय 780 िसयाराम 781 Title: 191 | वैवािहक िमलान Part 2 | मांगिलक दोष में मंगल िकतना अमंगलकारी होता है? 782 783 और िजनको ज्योितष के प्रित गहरी िजज्ञासा 784 है उनको तो इस क्यों का जवाब अभी तक स्वयं 785 ही िमल गया होगा तो देिखए चतुथर् भाव है 786 प्रेम िववाह का और चतुथर् भाव का स्वामी 787 यानी चतुथर् वह जब अपने भाव से सप्तम 788 बैठेगा तो जरा ठहर हर जगह िजसकी लाठी उसकी 789 भैंस वाला फामूर्ला नहीं चलता है कहीं 790 कहीं इसका उल्टा भी होता है तुला लग्न में 791 शिन यिद दशम भाव में बैठा होगा क्योंिक 792 तुला लग्न में शिन चतुथेर्श होता है तो 793 प्रेम िववाह हो जाएगा आपके िदमाग में यही 794 घूम रहा 795 [प्रशंसा] 796 होगा सािथयों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस 797 में आपका स्वागत है आजकल हम सभी लग्न में 798 िववाह योगों की बात कर रहे हैं 799 और यह योग ऐसे हैं िक जो िववाह में सहायक 800 बन ही जाते हैं और इस श्रंखला में हमने 801 अभी तक मेष लगन से लेकर कन्या लगन तक आपसे 802 बात की है कुछ लोगों ने सवाल भी िकए हैं 803 और यह िजज्ञासा भी प्रकट की है िक हमने 804 पूवर् के चैप्टसर् की तरह ही इन िववाह 805 योगों के बारे में क्यों का जवाब नहीं 806 िदया है िक ऐसा क्यों हो होता है तो इसके 807 पीछे का कारण यही है िक आप लोग इतने समय 808 से यहां पर सीख रहे हैं तो आप स्वयं अपनी 809 तकर् शिक्त का उपयोग करें और ढू ंढे िक ऐसा 810 क्यों होता है यह क्यों का जवाब खोजना 811 हमने आपके ऊपर ही छोड़ िदया था तो आप में /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 17/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 812 से जो गंभीर िजज्ञासु 813 हैं और िजनको ज्योितष के प्रित गहरी 814 िजज्ञासा 815 है 816 उनको तो इस क्यों का जवाब अभी तक स्वयं ही 817 िमल गया होगा इसके पीछे क्या तकर् है यह 818 आप समझ ही गए होंगे पर जो नए दशर्क हैं और 819 िजन्होंने िपछले चैप्टसर् का गंभीरता से 820 अध्ययन नहीं िकया है उनकी सुिवधा के िलए 821 आज हम बता देते हैं िक ऐसा क्यों होता है 822 तो देिखए चतुथर् भाव है प्रेम िववाह का और 823 चतुथर् भाव का स्वामी यानी चतुथेर्श वो जब 824 अपने भाव से सप्तम बैठेगा यानी दशम भाव 825 में बैठ जाएगा तो सप्तम हो जाएगा तो यह 826 प्रेम िववाह का योग बनता है और इसी तरह से 827 अरज िववाह का कारक होता है सप्तमेश तो 828 सप्तमेश जब अपने भाव से सप्तम बैठेगा यानी 829 लग्न में बैठेगा तो वह अरेंज िववाह करवा 830 देगा यह िसं पल सा तकर् है इसमें और अभी तक 831 मेष लग्न से लेकर कन्या लगन तक आपने यही 832 िस्थित देखी होगी और अभी तक आप अस्वस्थ हो 833 चुके होंगे िक हां ठीक है यही फामूर्ला 834 सभी लग्न में लगेगा तो जरा ठहर हर जगह 835 िजसकी लाठी उसकी भैंस वाला फामूर्ला नहीं 836 चलता है कहीं कहीं इसका उल्टा भी होता है 837 तो आज हम बात कर रहे हैं तुला लग्न में 838 िववाह योग 839 की तो आप सोच रहे होंगे िक इसमें कौन सी 840 मुिश्कल है तुला लग्न में शिन यिद दशम भाव 841 में बैठा होगा क्योंिक तुला लग्न में शिन 842 चतुथर् होता है तो प्रेम िववाह हो जाएगा 843 और सप्तम होता है मंगल तो मंगल यिद लग्न 844 में बैठ जाएगा तो रेंज िववाह हो जाएगा तो 845 िसं पल सी बात है आपके िदमाग में यही घूम 846 रहा होगा तो आइए अब आपकी इसी थ्योरी 847 से जो हमने मेष लगन से कन्या लगन तक लई थी 848 उसी देख लेते हैं िक यह िकतना सही और 849 िकतना गलत होगा तुला लगन में तो यह तुला 850 लगन की कुंडली है अब इसमें शिन दशम भाव 851 ककर् रािश में बैठे हुए हैं तो अभी तक 852 हमने जो सूत्र मे लगन से और कन्या लगन तक 853 लगाए उनके अनुसार यह चतुथर् और अपने भाव 854 से सप्तम बैठा है तो इस िहसाब से यह लव 855 मैिरज का योग हो गया क्योंिक 856 अपने भाव से यानी चतुथर् सकर अपने भाव से 857 सप्तम है तो यह लव मैिरज का योग बना देंगे 858 जो सूत्र हमने अभी तक लगाए हैं उनके 859 अनुसार और यह लगन में बैठे मंगल जो िक 860 सप्तम है और अपने भाव से सप्तम है तो इस 861 िहसाब से यह 862 मंगल के योग बना /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 18/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 863 देगा तो यह ई अभी तक हमने मेष लगन से 864 कन्या लगन तक जो समझा था उसके अनुसार 865 िस्थित तो अब हमारा कहना यह है िक जो भी 866 गंभीर िजज्ञासु है व इन दोनों िस्थितयों 867 को ध्यानपूवर्क िवचार करें इस वीिडयो को 868 यही पर पज करें और यहां पर देखें िक क्या 869 यह दोनों योग यहा पर लागू होते हैं और जो 870 ज्यादा नहीं है वो देखते रहे तो देिखए 871 तुला लगन 872 [संगीत] 873 में यह जो शिन 874 है ये लज के योग नहीं बनने 875 देगा ये जो शिन है यहां पर दशम भाव में 876 अपने भाव से सप्तम होने के बावजूद भी यह 877 लव मैिरज के योग नहीं बनने देगा पहली बात 878 ये अब क्यों नहीं बनने देगा इसके िलए हम 879 सबसे पहले शिन को यहां पर देखते हैं िक 880 शिन यहां क्या करेगा यह शिन अपने भाव 881 से सप्तम बैठकर भी लव मैिरज को खराब करेगा 882 वैसे तो आपने पढ़ा होगा िक हर भावे अपने 883 भाव की रक्षा करता है और कुछ हद यह बात 884 सही भी है लेिकन ग्रह की जो फल देने की 885 प्रवृित होती है वो उसका उलंघन नहीं कर 886 पाता अपना भाव हो चाहे अपनी उच्च रािश हो 887 इस बात को ध्यान में रिखए तो यहां पर हम 888 शिन की फलने की प्रवृित देखते हैं तो सबसे 889 पहले यह धन में रखना होगा िक शिन यहां पर 890 दशम भाव में बैठा है तो यह दशम भाव को 891 बढ़ाएगा दशम भाव को बढ़ाएगा और यहां पर 892 ककर् रािश में बैठा है तो यह ककर् रािश 893 चतुथर् यानी जो लव मैिरज का भाव है उसको 894 डीएिक्टवेट करेगा सबसे पहली बात तो यह है 895 िक लव मैिरज में इसिलए य यहां पर बाधक 896 बनेगा अब चतुथेर्श होने के बावजूद भी यह 897 अपनी सातवी दृिष्ट से भी इस चतुथर् भाव को 898 डीएिक्टवेट 899 करेगा चतुथर् को भी डीट ही करेगा चाहे आप 900 ककर् रािश में बैठे होने की वजह से इसको 901 मान लीिजए चाहे इसकी सप्तम दृिष्ट की वजह 902 से मान लीिजए लेिकन यह लव मैरज े होने नहीं 903 देगा यह बात पक्की है दू सरी एक बात हम 904 बारबार आपको बता चुके हैं िक शिन की दशा 905 का अंितम पिरणाम उसकी दशम दृिष्ट होता है 906 इस शिन की दशम दृिष्ट है सप्तम भाव पर यह 907 सप्तम भाव तो यह सप्तम को भी नष्ट करेगा 908 और लगन को ही एिक्टव करेगा इस वजह से यह 909 शिन लव मैज के िलए भी खराब िस्थितयां पैदा 910 करता है और अरज मैिरज के िलए भी खराब 911 िस्थितयां पैदा करेगा या यह श ना लज में 912 सहायक है ना अरज में सहायक है अब यहां पर 913 आप एक बात और ध्यान में रिखए यह तो बात हम /Volumes/Transcend/youtu…/bhaskarAstrologyClasses/consolidated.txt Page 19/882 Saved: 11/3/24, 2:04:09 PM Printed for: Sushank 914 कर रहे हैं िक िववाह कब होगा क्या योग है 915 उसके बारे में लेिकन मान लीिजए इस की दशा 916 आने के पूवर् ही जातक िववािहत है तो चाहे 917 उसकी लव मैिरज हुई हो चाहे अरज ई हो वो उन 918 दोनों के अंदर परेशािनया खड़ी कर देगा 919 क्योंिक यहां दशम भाव में बैठकर शिन इस 920 चतुथर् भाव को और सप्तम भाव को पूरी तरह 921 से प्रभािवत करता है आइए अब बात करते हैं 922 हम अिरज के बारे में तो अरज के िलए हम 923 देखेंगे तो सूत्र कहता है िक सप्तमेश अपने 924 भाव से सप्तम बैठा हो तो वह अरेंज िववाह 925 करवा देता है अब य पर सप्तम मंगल है और यह 926 लगन में बैठा है यानी इसकी दू री सप्तम भाव 927 से सप्तम ही है इसिलए यह अरज मैरज े करवा 928 देता है तो यह बात यहां पर िबल्कुल सही है 929 िक इस जातक की अर मैिरज होगी क्योंिक 930 सप्तम सप्तम बैठा है अपने भाव से और स्वयं 931 सप्तमेश 932 होकर मंगल अपनी सातवी दृिष्ट से भी सप्तम 933 को ही बढ़ाएगा यहां सप्तम को ही एिक्टवेट 934 करेगा इसिलए यह अरेंज मैरज े कराने में यह 935 मंगल िबल्कुल सहायक रहेगा अब य मंगल की आप 936 एक और देिखए िक मंगल अपनी चतुथर् दृिष्ट 937 से इस चतुथर् भाव को बढ़ा रहा है और इस 938 चतुथर् भाव में इसकी उच्च रािश मकर भी 939 पड़ी हुई है लेिकन इसके बावजूद भी यह मंगल 940 िसफर् अरेंज रज करवा सकता 941

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