#shorts - प्रेम विवाह सफल होगा या नहीं? PDF
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This video discusses the aspects of love marriages and arranged marriages from astrological perspective. It further explains the Vedic astrology concepts in Hindi language.
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Title: #shorts - प्रेम विवाह सफ़ल होगा या नहीं? भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है विवाह योग के संदर्भ में बात करते हुए आज हम आप पहुंचे हैं मकर लगन तक अब हम आगे बात शुरू करें इसके पहले एक बात और कर लेते हैं अनेक लोगों की यह जिज्ञासा है कि आपने प्रेम विवाह के बारे में बताया अरेंज विवाह के...
Title: #shorts - प्रेम विवाह सफ़ल होगा या नहीं? भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है विवाह योग के संदर्भ में बात करते हुए आज हम आप पहुंचे हैं मकर लगन तक अब हम आगे बात शुरू करें इसके पहले एक बात और कर लेते हैं अनेक लोगों की यह जिज्ञासा है कि आपने प्रेम विवाह के बारे में बताया अरेंज विवाह के बारे में बताया लेकिन अंतरजातीय विवाह के बारे में कुछ भी नहीं कहा तो इस संबंध में हमने इसी श्रंखला के किसी चैप्टर में बात की थी लेकिन यहां पर पुनः दोहरा देते हैं कि प्रेम विवाह का योग ही अंतरजातीय विवाह का योग होता है आपने सुना ही होगा कि प्रेम अंधा होता है प्रेम कहां जात पात देखता है प्रेम तो बस प्रेम होता है जाति में हो या अजाति में हो इसलिए प्रेम विवाह का योग ही अंतरजातीय विवाह का योग मानिए तो आइए अब शुरू कर करते हैं आज का विषय मकर लगन में विवाह योग तो सबसे पहले बात करते हैं मकर लगन में प्रेम विवाह का क्या योग होता है अथवा इसे ही आप अंतरजातीय भी समझ ले यानी प्रेम विवाह और अंतर्जातीय विवाह के योग मकर लगन में देख रहे हैं तो यहां ध्यान रखिए कि चतुर्थेश मंगल है क्योंकि मंगल की मेष राशि चतुर्थ भाव में है इसलिए प्रेम विवाह या अंतरजातीय विवाह के लिए मंगल ही जिम्मेदार है अब आप उदाहरण कुंडली देखिए इसमें चतुर्थेश मंगल दशम भाव में तुला राशि में बैठा है जो कि अपने भाव से सप्तम बैठकर प्रेम विवाह का योग बना रहा है तो हम कह सकते हैं कि यह प्रेम विवाह का योग है तो ध्यान रखिए यहां पर यह योग थोड़ा सा संदिग्ध हो सकता है और इसका कारण भी आप समझ गए होंगे कि सप्तम भाव में मंगल की नीच राशि कर्क पड़ी हुई है हालांकि इसके बावजूद भी यह मंगल प्रेम संबंधों में इच्छुक तो रखेगा ही और वैसे भी एक बात का ध्यान रखिए कि यदि मकर लगन में मंगल नक्षत्र स्वामी हो तो इन जातकों का प्रेम विवाह करना ही उचित होता है क्योंकि सप्तम भाव में कर्क राशि होने से वह मंगल की नीच राशि है जो कि अरेंज विवाह में बहुत दिक्कत देता है आप भी यदि ऐसी कोई कुंडली देखेंगे तो आपको मालूम पड़ेगा कि ऐसे जातकों का जिनका कि अरेंज विवाह हुआ है उनके विवाह को टिकने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा है तो यहां पर हम कह सकते हैं कि मकर लगन में मंगल यदि दशम भाव तुला राशि में बैठा है तो प्रेम विवाह या अरेंज इन दोनों के 5050 पर चांस बनते हैं लेकिन दशम भाव में जिनका तुला राशि का मंगल है इन जातकों का चाहे प्रेम विवाह हुआ हो या अरेंज विवाह हुआ हो इन जातकों का दांपत्य जीवन सुखद रहता है पति-पत्नी में स्नेह आसक्ति [संगीत] और लमेल बना रहता है दशम भाव में बैठकर यह मंगल जातक को धन संपत्ति वाहन और सुख यह प्रचुर मात्रा में देने में सक्षम होता है और इनका परिवार भी एकजुट रहता है परिवार में कोई विघटन नहीं होता लेकिन इस बात का भी ध्यान रखिए कि जब तक चतुर्थ भाव जागृत है या इसे आप यं समझ ले कि जब तक माता जीवित है तब तक यह सब सुख सुविधाएं मौजूद रहती हैं लेकिन माता के चले जाने के बाद थोड़ी दिक्कतों का सामना कर करना पड़ सकता है तो यहां तक हमने दशम भाव तुला राशि स्थित मंगल के बारे में समझा तो अब सवाल यह उठता है कि क्या मकर लगन में मंगल निश्चित रूप से प्रेम विवाह या अंतरजातीय विवाह के कोई योग बना सकता है तो इसका जवाब है हां मकर लगन में मंगल की एक स्थिति ऐसी है जो निश्चित रूप से 100% प्रेम विवाह करवाती है और इस बात का भी ध्यान रखिए कि यह स्थिति सिर्फ मकर लगन में ही बनेगी अन्यत्र किसी भी लग्न में नहीं बनेगी यहां पर आप उदाहरण कुंडली को देखिए यहां पर मंगल नवम भाव में कन्या राशि में स्थित है और यहीं पर कन्या राशि में नवं भाव में बैठकर मंगल प्रेम विवाह करवा देता है अब आप कहेंगे कि यह हम कैसी बहकी बहकी बातें कर रहे हैं य पहले ही मंगल कन्या राशि में बैठा है और अपने भाव से भी छटा है तो इस स्थिति में तो विवाह ही नहीं होगा फिर प्रेम विवाह कहां से आ गया यानी इस स्थिति में तो विवाह ही नहीं होगा तो देखिए ग्रहों की फल देने की प्रवृत्ति को समझे बिना सीधे एक निश्चित ढर्रे पर चलते हुए किसी सटीक परिणाम तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है और हर बत य के वीडियो में नहीं समझाई जा सकती क्योंकि ग्रहों की प्रवृति सारा रिजल्ट बना बिगाड़ देती है और इसीलिए हमने भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस का ऐप बनाया है जो कि आप गल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं और उसमें सारी बातें विस्तार से समझाई गई हैं हर ग्रह के बारे में कि किस ग्रह की फल देने की प्रवृत्ति क्या है और वह किस तरह से फल देगा और इसे आप एक बार समझ लेंगे तो फिर कहीं पर कोई भी दिक्कत नहीं होगी आप सटीक परिणाम तक पहुंच सकते हैं अब यहां पर देखिए नवम भाव कन्या राशि में बैठकर मंगल प्रेम विवाह कैसे करवाता है इसको समझते हैं अब यहां पर मान लीजिए कि विवाह योग्य आयु में जातक को मंगल की दशा चल रही है तो यहां पर इस मंगल के क्या परिणाम होंगे तो मंगल के फल देने की प्रव के बारे में स्पष्ट है कि जब भी इसका दशा काल होगा वहां पर यह छठे भाव की हानि करेगा और छठे से अगला भाव सातवा यानी सप्तम भाव को बढ़ाएगा अब यहां पर मुश्किल यह है कि जब सप्तम भाव बढ़ेगा तो सप्तम भाव में इसकी नीच राशि कर्क पड़ी हुई है तो यह अरेंज विवाह तो अपने दशा में होने नहीं देगा परिणाम स्वरूप यह लव मैरिज के माध्यम से विवाह करवा देगा क्योंकि इसके पास चतुर्थ भाव का दायित्व है ऑलरेडी यह चतुर्थेश है यह ध्यान में रखिए इस इक्वेशन को आप थोड़ा सा होमवर्क करके समझिए आपको स्पष्ट समझ में आ जाएगा अब थोड़ा सा नवम भाव में स्थित मंगल के बारे में बात कर लेते हैं कि अपने दशा काल में यह किस तरह के फल देता है तो देखिए इस मंगल के दशा काल में प्रेम विवाह होना तो निश्चित है यानी इसमें कोई भी संशय नहीं समझना चाहिए इस स्थिति का मंगल अपने दशा काल में प्रेम विवाह तो करवा ही देगा और इस मंगल के दशा काल में जातक थोड़ा सा दब्बू प्रवृति का हो जाता है उसमें बहुत ज्यादा कोई हौसला नहीं होता है थोड़ा दब्बू होता है ऋण या कर्ज से संबंधित कोई समस्या भी दे सकता है साथ ही भाइयों के साथ भी संबंधों में खराबी उत्पन्न करता है और पिता के लिए भी विपरीत परिस्थितियों का निर्माण करता है यानी पिता के लिए भी इस मंगल की दशा कोई बहुत अच्छी नहीं मानी जानी चाहिए और हो सकता है जातक स्वयं किसी व्यसन का शिकार हो जाए इसलिए थोड़ा सावधान इस दशा में रहना चाहिए तो अभी तक हमने मकर लगन में चतुर्थेश मंगल के बारे में समझ लिया है कि यह किस तरह के फल देगा और आइए अब बात करते हैं अरेंज मैरिज की तो यहां पर सप्तमेश है चंद्र और यह चंद्रमा जैसा कि आप उदाहरण कुंडली में देख रहे हैं लग्न में बैठा हो तो यह निश्चित रूप से अरेंज विवाह करवाता है और इस चंद्रमा के दशा काल में जातक को कोई बहुत विशेष मेहनत नहीं करनी पड़ती बिना किसी मेहनत के ही भाग्य वश उसको बहुत अच्छी प्राप्तियां होती हैं शिक्षा काल हो और उस समय में यह दशा आए तो शिक्षा बहुत बढ़िया हो जाती और इस चंद्रमा का दशा काल बहुत आनंद में गुजरता है और यदि जातक को विवाह पश्चात पुत्र हो गया तो समझ लीजिए उसके भाग्य के दरवाजे खुल जाते हैं पुत्र होने के बाद में यह लग्न में स्थित चंद्रमा बहुत ही शानदार बढ़िया फल देता है मकर लगन में चंद्रमा की यह एक बहुत बढ़िया स्थिति बनती है तो यहां तक हम बात कर चुके हैं मकर लगन में प्रेम विवाह और अरेंज विवाह की अब तीसरी स्थिति के बारे में भी बात कर लेते हैं जैसा कि हम प्राय कर ही रहे हैं इस श्रंखला में यानी प्रेम विवाह के योग भी हो और अरेंज विवाह के योग भी हो तो कौन सा ज्यादा प्रभावी होगा तो यहां पर भी दो स्थितियां निर्मित हो जाती है जिन पर हमने अभी बात की उस हिसाब से यहां पर दो स्थितियों का निर्माण होगा आप यहां उदाहरण कुंडली में देख पा रहे होंगे पहली स्थिति में चंद्रमा लग्न में हो और मंगल नवम भाव कन्या राशि में हो एक स्थिति तो यह बनेगी तो यह निश्चित है कि यदि विवाह योग्य आयु में इस मंगल का दशा काल हो तो निश्चित 100% प्रेम विवाह होगा और यदि इस मंगल का दशा काल नहीं है तो इस पहली स्थिति में फिर अरेंज विवाह होगा और दूसरा स्थिति में चंद्रमा तो लग्न में ही है लेकिन मंगल दशम भाव में है तो यहां पर प्रेम विवाह और अरेंज विवाह दोनों की बराबर संभावनाएं रहेंगी प्रेम विवाह भी हो सकता है अरेंज विवाह भी हो सकता है आशा है आपको आज की बात समझ में आ गई होगी अब आज के चैप्टर को यही विराम देते हैं और अगले चैप्टर में आपसे फिर मिलते हैं तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 184 - गुरु वृहस्पति के अचूक सूत्र | वृष्चिक लग्न सप्तमस्थ गुरू परिवार या पत्नि में से एक ही देंगे? भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है आज हम बात करेंगे कर्क लग्न वाले जातकों के विवाह योगों के बारे में कि आपकी कुंडली में लव मैरिज के योग हैं या अरेंज मैरिज के योग हैं या कि दोनों ही योग मौजूद हैं तो सबसे पहले आप अपनी कुंडली के लग्न चार्ट को देखिए और प्रथम हाउस में यदि चार का अंक लिखा है तो फिर आप कर्क लग्न के जातक हैं और आज हम आपके बारे में ही बात कर रहे हैं तो सबसे पहले हम बात करते हैं लव मैरिज के योगों के बारे में कर्क लगन के जातकों के लिए यदि आपकी कुंडली में दशम भाव में शुक्र मेष राशि में बैठा हुआ है तो यह आपके प्रेम विवाह का योग बना देता है जैसा कि आप उदाहरण कुंडली में देख पा रहे होंगे मेष राशि में दशम भाव में [संगीत] बैठकर कर्क लगन के जातकों के लिए शुक्र लव मैरिज के योग बना देता है और यह लव मैरिज अंतरजातीय भी हो सकती है वैसे तो हम आपको बता दें कि लव मैरिज का जाति या अंतर जाति से कोई संबंध नहीं है लव मैरिज का कुल मतलब ही इतना है कि वह जाति में भी हो सकती है अंतरजातीय भी हो सकती है लेकिन आप देखेंगे कि जाति में जो विवाह होता है वह भले ही लव मैरिज हो लेकिन उसमें इतना कोई चर्चा या बातचीत नहीं होती क्योंकि परिजन भी उसके लिए तैयार रहते हैं तो लव मैरिज को अंतर्जातीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए जहां भी लव मैरिज होती है वह भले ही जाति में हो या अंतर्जातीय हो वह अंतरजातीय ही कहलाए गी यहां पर बैठकर शुक्र धन वाणी और कुटुंब के मामले में बहुत बढ़िया फल देता है और पुत्र संतान का सुख भी दे देता है लेकिन यहां सिर्फ समस्या एक ही रहती है कि यह शुक्र लव मैरेज तो करवा देगा लेकिन ससुराल से संबंध मधुर नहीं रह पाते हैं आइए अब बात करते हैं अरेंज मैरिज के बारे में तो कर्क लगन में यदि शनि लग्न भाव में ही बैठा हो यानी शनि कर्क राशि जो कि लग्न भाव में पड़ रही है आप देख पा रहे होंगे कुंडली में यदि शनि यहां लग्न भाव में कर्क राशि में बैठे हैं तो यह अरेंज मैरेज का योग बना देते हैं यहां पर शनि हो [संगीत] तो प्रेम विवाह की स्थिति बिल्कुल भी नहीं बनेगी अरेंज विवाह ही होगा और यहां पर जीवन साथी थोड़ा सा दबंग स्वभाव का रहता है हावी होने की कोशिश करता है यहां लग्न में बैठा हुआ शनि जातक में अहम और अकड़ ज्यादा भर देता है इस वजह से जीवन साथी से उसके संबंध मधुर नहीं रह पाते हैं और ऐसा जातक एकांत प्रिय स्वभाव का होता है तो उसका सामाजिक दायरा भी कोई बहुत ज्यादा फैलाव लिए हुए नहीं रहता है आइए अब बात करते हैं यदि दोनों ही योग मौजूद हो यानी शुक्र दशम भाव में बैठा हो और शनि लग्न में बैठा हो तो क्या स्थिति बनती है ऐसी स्थिति में जातक की लव मैरिज होना मुश्किल है यहां अरेंज मैरिज ही होगी क्योंकि इस स्थिति में शनि प्रेम विवाह के योग को खत्म कर देगा तो यह दोनों ही स्थितियां मौजूद हो तो निश्चित समझिए कि अरेंज मैरिज ही होनी है और इन दोनों योगों के चलते यानी शनि लग्न में हो और शक्र दशम भाव में हो तो यह निश्चित है कि जीवन साथी से दांपत्य संबंध उतने मधुर नहीं रह पाते हैं दांपत्य संबंधों में कमजोरी अवश्य आती है तो इसी के साथ आज के चैप्टर को विराम देते हैं और अगली बार आपसे मिलते हैं इससे आगे की बात के साथ तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 185 - गुरु वृहस्पति के अचूक सूत्र | धनु लग्न सप्तम भाव में गुरू किस तरह फ़ल देते हैं? भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है आज हम बात करेंगे सिंह लगन में विवाह योगों की और जानेंगे कि यदि आपका सिंह लग्न है तो आपके प्रेम विवाह के योग हैं या अरेंज विवाह के योग हैं या कि आपकी कुंडली में दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं तो सबसे पहले आप अपनी कुंडली के लग्न चार्ट को देखिए जैसा कि आप यहां देख पा रहे हैं यदि लग्न भाव में पांच नंबर का अंक लिखा है तो आप सिंह लग्न के जातक हैं और हम आज आपके ही विवाह योगों के बारे में बात कर रहे हैं तो आइए सबसे पहले समझते हैं प्रेम विवाह के क्या योग होते हैं सिंह लग्न वाले जातकों की कुंडली में तो आपकी कुंडली में यदि मंगल वर्ख राशि में दशम भाव में बैठा है आप उदाहरण कुंडली देख सकते हैं यहां मंगल वर्ख राशि में दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम विवाह के योग बना देता है और प्रेम विवाह के पश्चात यह जातक बहुत उन्नति भी करते हैं जातक मिलनसार स्वभाव का होता है नाते रिश्तेदारों से भी अच्छी पटरी खाती है और सामाजिक दायरा भी इनका बहुत बढ़िया रहता है गाड़ी वाहन निजी संपत्ति का सुख भी उठाता है अपने कुटुंबी जनों से इसके बहुत बढ़िया मधुर संपर्क रहते हैं संबंध भी अच्छे रहते हैं अपने परिजनों से लेकिन यहां पर समस्या सिर्फ एक ही [संगीत] है ससुराल वालों से इसकी ज्यादा पटरी नहीं खाती है यहां दशम भाव में वर्ख राशि में मंगल बैठा हो तो यह प्रेम विवाह के साथ-साथ ही जातक को अच्छा व्यापारी बना देता है ऐसा जातक कर्ज लेकर धंधा करता है और उससे खूब कमाता है और इसके द्वारा लिया गया कर्ज कभी इसको तकलीफ दायक नहीं होता बल्कि इसका धन उससे बढ़ता ही है यानी यह कर्ज लेकर भी उससे पैसे कमाता है आइए अब बात करते हैं सिंह लग्न में अरेंज विवाह के क्या योग हैं तो सिंह लग्न में लग्न भाव में यदि शनि बैठा हो जैसा कि आप उदाहरण कुंडली में देख पा रहे हैं यहां पर शनि सिंह राशि में लग्न में ही बैठा है तो यह अरेंज विवाह के योग बना देता है अब यहां लग्न भाव में बैठकर शनि जातक में अहम और अकड़ बढ़ा देता है और इसी वजह से इसके दांपत्य संबंध उतने मधुर नहीं रह पाते और हां पर शनि बैठा है तो निश्चित माने कि यह कन्या संतान का योग बना देता है और कन्या वह भाग्यशाली अवश्य होती है और इन जातकों को स्वयं के व्यापार में उतनी सफलता नहीं मिलती जितनी कि यह नौकरी करें तो उसमें सफल [संगीत] हो जाते हैं या अपना पैथिक धंधा करते हो तो भी उसमें बहुत सफल रहते हैं और मान लीजिए कुंडली में दोनों ही योग मौजूद हो यानी मंगल दशम भाव वृक राशि में बैठा है यह प्रेम विवाह का योग और शनि लग्न भाव सिंह राशि में बैठा हुआ है यह अरेंज विवाह का योग यानी दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं तो इस स्थिति वाले जातकों को अरेंज मैरिज के बजाय लव मैरिज हो तो ज्यादा बढ़िया रहता है क्योंकि यहां पर शनि सप्तम दृष्टि से सप्तम भाव को समाप्त करेगा इसलिए अरेंज मैरिज की बजाय लव मैरिज करना इन जातकों के लिए बहुत ही सुकून दायक रहेगा तो इसी के साथ आज के चैप्टर को विराम देते हैं और अगली बार आपसे मिलते हैं अगले विषय के साथ तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 186 - गुरु वृहस्पति के अचूक सूत्र | मकर लग्न सप्तम भाव में गुरू सास बहु के झगडे क्यों करवाता है? भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है आज हम बात करेंगे सिंह लगन में विवाह योगों की और जानेंगे कि यदि आपका सिंह लग्न है तो आपके प्रेम विवाह के योग हैं या अरेंज विवाह के योग हैं या कि आपकी कुंडली में दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं तो सबसे पहले आप अपनी कुंडली के लग्न चार्ट को देखिए जैसा कि आप यहां देख पा रहे हैं यदि लग्न भाव में पांच नंबर का अंक लिखा है तो आप सिंह लग्न के जातक हैं और हम आज आपके ही विवाह योगों के बारे में बात कर रहे हैं तो आइए सबसे पहले समझते हैं प्रेम विवाह के क्या योग होते हैं सिंह लग्न वाले जातकों की कुंडली में तो आपकी कुंडली में यदि मंगल वर्ख राशि में दशम भाव में बैठा है आप उदाहरण कुंडली देख सकते हैं यहां मंगल वर्ख राशि में दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम विवाह के योग बना देता है और प्रेम विवाह के पश्चात यह जातक बहुत उन्नति भी करते हैं जातक मिलनसार स्वभाव का होता है नाते रिश्तेदारों से भी अच्छी पटरी खाती है और सामाजिक दायरा भी इनका बहुत बढ़िया रहता है गाड़ी वाहन निजी संपत्ति का सुख भी उठाता है अपने कुटुंबी जनों से इसके बहुत बढ़िया मधुर संपर्क रहते हैं संबंध भी अच्छे रहते हैं अपने परिजनों से लेकिन यहां पर समस्या सिर्फ एक ही [संगीत] है ससुराल वालों से इसकी ज्यादा पटरी नहीं खाती है यहां दशम भाव में वर्ख राशि में मंगल बैठा हो तो यह प्रेम विवाह के साथ-साथ ही जातक को अच्छा व्यापारी बना देता है ऐसा जातक कर्ज लेकर धंधा करता है और उससे खूब कमाता है और इसके द्वारा लिया गया कर्ज कभी इसको तकलीफ दायक नहीं होता बल्कि इसका धन उससे बढ़ता ही है यानी यह कर्ज लेकर भी उससे पैसे कमाता है आइए अब बात करते हैं सिंह लग्न में अरेंज विवाह के क्या योग हैं तो सिंह लग्न में लग्न भाव में यदि शनि बैठा हो जैसा कि आप उदाहरण कुंडली में देख पा रहे हैं यहां पर शनि सिंह राशि में लग्न में ही बैठा है तो यह अरेंज विवाह के योग बना देता है अब यहां लग्न भाव में बैठकर शनि जातक में अहम और अकड़ बढ़ा देता है और इसी वजह से इसके दांपत्य संबंध उतने मधुर नहीं रह पाते और हां पर शनि बैठा है तो निश्चित माने कि यह कन्या संतान का योग बना देता है और कन्या वह भाग्यशाली अवश्य होती है और इन जातकों को स्वयं के व्यापार में उतनी सफलता नहीं मिलती जितनी कि यह नौकरी करें तो उसमें सफल [संगीत] हो जाते हैं या अपना पैथिक धंधा करते हो तो भी उसमें बहुत सफल रहते हैं और मान लीजिए कुंडली में दोनों ही योग मौजूद हो यानी मंगल दशम भाव वृक राशि में बैठा है यह प्रेम विवाह का योग और शनि लग्न भाव सिंह राशि में बैठा हुआ है यह अरेंज विवाह का योग यानी दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं तो इस स्थिति वाले जातकों को अरेंज मैरिज के बजाय लव मैरिज हो तो ज्यादा बढ़िया रहता है क्योंकि यहां पर शनि सप्तम दृष्टि से सप्तम भाव को समाप्त करेगा इसलिए अरेंज मैरिज की बजाय लव मैरिज करना इन जातकों के लिए बहुत ही सुकून दायक रहेगा तो इसी के साथ आज के चैप्टर को विराम देते हैं और अगली बार आपसे मिलते हैं अगले विषय के साथ तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 187 - गुरु वृहस्पति के अचूक सूत्र | कुंभ लग्न सप्तम भाव में गुरु धन के ढेर कैसे लगा देता है? भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है आज हम बात करेंगे सिंह लगन में विवाह योगों की और जानेंगे कि यदि आपका सिंह लग्न है तो आपके प्रेम विवाह के योग हैं या अरेंज विवाह के योग हैं या कि आपकी कुंडली में दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं तो सबसे पहले आप अपनी कुंडली के लग्न चार्ट को देखिए जैसा कि आप यहां देख पा रहे हैं यदि लग्न भाव में पांच नंबर का अंक लिखा है तो आप सिंह लग्न के जातक हैं और हम आज आपके ही विवाह योगों के बारे में बात कर रहे हैं तो आइए सबसे पहले समझते हैं प्रेम विवाह के क्या योग होते हैं सिंह लग्न वाले जातकों की कुंडली में तो आपकी कुंडली में यदि मंगल वर्ख राशि में दशम भाव में बैठा है आप उदाहरण कुंडली देख सकते हैं यहां मंगल वर्ख राशि में दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम विवाह के योग बना देता है और प्रेम विवाह के पश्चात यह जातक बहुत उन्नति भी करते हैं जातक मिलनसार स्वभाव का होता है नाते रिश्तेदारों से भी अच्छी पटरी खाती है और सामाजिक दायरा भी इनका बहुत बढ़िया रहता है गाड़ी वाहन निजी संपत्ति का सुख भी उठाता है अपने कुटुंबी जनों से इसके बहुत बढ़िया मधुर संपर्क रहते हैं संबंध भी अच्छे रहते हैं अपने परिजनों से लेकिन यहां पर समस्या सिर्फ एक ही [संगीत] है ससुराल वालों से इसकी ज्यादा पटरी नहीं खाती है यहां दशम भाव में वर्ख राशि में मंगल बैठा हो तो यह प्रेम विवाह के साथ-साथ ही जातक को अच्छा व्यापारी बना देता है ऐसा जातक कर्ज लेकर धंधा करता है और उससे खूब कमाता है और इसके द्वारा लिया गया कर्ज कभी इसको तकलीफ दायक नहीं होता बल्कि इसका धन उससे बढ़ता ही है यानी यह कर्ज लेकर भी उससे पैसे कमाता है आइए अब बात करते हैं सिंह लग्न में अरेंज विवाह के क्या योग हैं तो सिंह लग्न में लग्न भाव में यदि शनि बैठा हो जैसा कि आप उदाहरण कुंडली में देख पा रहे हैं यहां पर शनि सिंह राशि में लग्न में ही बैठा है तो यह अरेंज विवाह के योग बना देता है अब यहां लग्न भाव में बैठकर शनि जातक में अहम और अकड़ बढ़ा देता है और इसी वजह से इसके दांपत्य संबंध उतने मधुर नहीं रह पाते और हां पर शनि बैठा है तो निश्चित माने कि यह कन्या संतान का योग बना देता है और कन्या वह भाग्यशाली अवश्य होती है और इन जातकों को स्वयं के व्यापार में उतनी सफलता नहीं मिलती जितनी कि यह नौकरी करें तो उसमें सफल [संगीत] हो जाते हैं या अपना पैथिक धंधा करते हो तो भी उसमें बहुत सफल रहते हैं और मान लीजिए कुंडली में दोनों ही योग मौजूद हो यानी मंगल दशम भाव वृक राशि में बैठा है यह प्रेम विवाह का योग और शनि लग्न भाव सिंह राशि में बैठा हुआ है यह अरेंज विवाह का योग यानी दोनों ही तरह के योग मौजूद हैं तो इस स्थिति वाले जातकों को अरेंज मैरिज के बजाय लव मैरिज हो तो ज्यादा बढ़िया रहता है क्योंकि यहां पर शनि सप्तम दृष्टि से सप्तम भाव को समाप्त करेगा इसलिए अरेंज मैरिज की बजाय लव मैरिज करना इन जातकों के लिए बहुत ही सुकून दायक रहेगा तो इसी के साथ आज के चैप्टर को विराम देते हैं और अगली बार आपसे मिलते हैं अगले विषय के साथ तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 188 - गुरु वृहस्पति के अचूक सूत्र | मीन लग्न सप्तम भाव में गुरु हो तो मन की बात गुप्त रखनी चाहिये? साथियों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है जैसा कि आजकल हम विवाह योगों की बात प्रत्येक लग्न में कर रहे हैं इसी श्रंखला में आज हम बात करेंगे कन्या लग्न में विवाह योगों की और इसमें हम जानेंगे कि कन्या लग्न में कौन सा ग्रह विवाह के लिए जिम्मेदार होता है और यह भी जानेंगे कि जो ग्रह विवाह के लिए जिम्मेदार है उसकी कुंडली में स्थिति कहां पर होनी चाहिए जिससे कि वह अपने पूरे फल दे सके आजकल विवाह के मामले में दो ही तरह के विवाह ज्यादा प्रचलित है प्रेम विवाह या अरेंज मैरिज तो सबसे पहले बात करते हैं हम लव मैरिज के योगों की तो कन्या लग्न में यदि गुरु दशम भाव में यानी कि मिथुन राशि में जैसा कि वहां पर मिथुन राशि का सिंबल तीन का अंक है तो गुरु यदि दशम भाव में मिथुन राशि में बैठा हो तो यह जातक के प्रेम विवाह के योग बना देता है अब यहां पर गुरु चतुर्थ से और दशम भाव में मिथुन राशि में बैठा है तो यह जातक के लिए भूमि भवन स्वाज संपत्ति वाहन माता सुख संपत्ति इन सब का कारक बन जाता है कन्या लग्न में यदि गुरु दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम विवाह का पक्का योग बना देगा और लव मैरिज होने के बाद में यह जातक बहुत तेजी से उन्नति करते हैं आर्थिक रूप से इनकी स्थिति बहुत ही सुधरती चली जाती है लेकिन एक बात है इन जातकों में जल्दबाजी की आदत होती है सोचने की क्षमता इनमें कम होती है बल्कि जो दिमाग में आया उसे तुरंत निपटा डालते हैं ज्यादा सोचते नहीं है जो करना है उसे कर डालते हैं के मन में आया उसको यह करके ही मानेंगे इस गुरु की यही खासियत है तो यह तो हुई कन्या लग्न में प्रेम विवाह की स्थिति आइए अब जानते हैं कि कन्या लग्न में अरेंज विवाह की क्या स्थिति बनती है तो कन्या लग्न में केतु यदि लग्न में ही यानी जहां छह का अंक लिखा है कन्या राशि में ही बैठा हो तो यह जातक के अरेंज विवाह की स्थितियां बना देता है और यह जातक अपने जीवन साथी की तरफ विशेष आकर्षित रहते हैं और अपने जीवन साथी की हर इच्छा को पूरी करते हैं उनसे प्रेम भी बहुत करते हैं और इन जातकों में भी सोचने की क्षमता कम रहती है सोचने की क्षमता कम रहने से मतलब यह है कि ज्यादा सोच विचार नहीं करते यह भी जो मन में आया उसे तुरंत कर देते हैं भौतिक सुखों और सांसारिक सुखों में ज्यादा रुचि लेते हैं और इनका कुल आकर्षण ही भौतिक वस्तुओं में होता है और विवाह पश्चात जीवन में यह उन सुखों को प्राप्त भी कर लेते हैं इन जातकों की आर्थिक स्थिति भी विवाह के पश्चात बहुत बढ़िया रहती है और जातक घर परिवार धन सभी का सुख भी प्राप्त कर लेता है कोई विशेष मुश्किल इसको नहीं आती और यह सब होता है केतु के लग्न में कन्या राशि में बैठने की वजह से तो अभी तक हमने कन्या लग्न में मैरिज और अरेंज मैरिज इन दो स्थितियों पर बात की अब अक्सर कुछ जातकों की कुंडली में यह दोनों योग मौजूद होते हैं यानी कि गुरु दशम भाव में बैठा है यह लव मैरिज का योग हो गया और केतु लग्न में ही बैठा है तो यह अरेंज विवाह का योग हो गया तो अब यहां पर सोचने वाली बात यह है कि इस जातक की लव मैरिज होगी या अरेंज मैरिज होगी तो इसमें सबसे पहले तो मैटर यह करता है कि विवाह योग्य आयु में यदि गुरु की दशा अंतर दशा चल रही है तो मान लीजिए कि नक्की प्रेम विवाह होगा और यदि कहीं केतु की दशा अत दशा चल रही है विवाह होने की उम्र में तो वहां पर अरेंज मैरिज होगी लेकिन यहां पर एक विशेष बात आप ध्यान में रखिए कि जिन लोगों की कुंडली में भी यह दोनों योग मौजूद हैं उनका चाहे प्रेम विवाह हो या अरेंज विवाह हो लेकिन जीवन साथी अपरिचित नहीं होता ध्यान रखिए अपरिचित नहीं होता मान लीजिए इसकी अरेंज मैरिज भी होती है तो भी इसका जीवन साथी इसका पूर्व परिचित अवश्य होगा यह जरूरी नहीं है कि अफेर में रहे हो वह किसी भी स्तर पर सामाजिक स्कूल कॉलेज में या किसी भी रूप में एक दूसरे के परिचित अवश्य होते हैं और इन दोनों ही योगों वाले जातकों का विवाह पश्चात दांपत्य जीवन बहुत सुखद रहता है और आर्थिक रूप से इनकी किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं तो आज के चैप्टर को यही विराम देते हैं और अगली बार आप से मिलते हैं अगले विषय के साथ तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 189 - गुरु वृहस्पति के अचूक सूत्र | मेष लग्न सप्तम भाव गुरु हो, क्या यह द्विविवाह योग बना सकता है? साथियों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है जैसा कि आजकल हम विवाह योगों की बात प्रत्येक लग्न में कर रहे हैं इसी श्रंखला में आज हम बात करेंगे कन्या लग्न में विवाह योगों की और इसमें हम जानेंगे कि कन्या लग्न में कौन सा ग्रह विवाह के लिए जिम्मेदार होता है और यह भी जानेंगे कि जो ग्रह विवाह के लिए जिम्मेदार है उसकी कुंडली में स्थिति कहां पर होनी चाहिए जिससे कि वह अपने पूरे फल दे सके आजकल विवाह के मामले में दो ही तरह के विवाह ज्यादा प्रचलित है प्रेम विवाह या अरेंज मैरिज तो सबसे पहले बात करते हैं हम लव मैरिज के योगों की तो कन्या लग्न में यदि गुरु दशम भाव में यानी कि मिथुन राशि में जैसा कि वहां पर मिथुन राशि का सिंबल तीन का अंक है तो गुरु यदि दशम भाव में मिथुन राशि में बैठा हो तो यह जातक के प्रेम विवाह के योग बना देता है अब यहां पर गुरु चतुर्थ से और दशम भाव में मिथुन राशि में बैठा है तो यह जातक के लिए भूमि भवन स्वाज संपत्ति वाहन माता सुख संपत्ति इन सब का कारक बन जाता है कन्या लग्न में यदि गुरु दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम विवाह का पक्का योग बना देगा और लव मैरिज होने के बाद में यह जातक बहुत तेजी से उन्नति करते हैं आर्थिक रूप से इनकी स्थिति बहुत ही सुधरती चली जाती है लेकिन एक बात है इन जातकों में जल्दबाजी की आदत होती है सोचने की क्षमता इनमें कम होती है बल्कि जो दिमाग में आया उसे तुरंत निपटा डालते हैं ज्यादा सोचते नहीं है जो करना है उसे कर डालते हैं के मन में आया उसको यह करके ही मानेंगे इस गुरु की यही खासियत है तो यह तो हुई कन्या लग्न में प्रेम विवाह की स्थिति आइए अब जानते हैं कि कन्या लग्न में अरेंज विवाह की क्या स्थिति बनती है तो कन्या लग्न में केतु यदि लग्न में ही यानी जहां छह का अंक लिखा है कन्या राशि में ही बैठा हो तो यह जातक के अरेंज विवाह की स्थितियां बना देता है और यह जातक अपने जीवन साथी की तरफ विशेष आकर्षित रहते हैं और अपने जीवन साथी की हर इच्छा को पूरी करते हैं उनसे प्रेम भी बहुत करते हैं और इन जातकों में भी सोचने की क्षमता कम रहती है सोचने की क्षमता कम रहने से मतलब यह है कि ज्यादा सोच विचार नहीं करते यह भी जो मन में आया उसे तुरंत कर देते हैं भौतिक सुखों और सांसारिक सुखों में ज्यादा रुचि लेते हैं और इनका कुल आकर्षण ही भौतिक वस्तुओं में होता है और विवाह पश्चात जीवन में यह उन सुखों को प्राप्त भी कर लेते हैं इन जातकों की आर्थिक स्थिति भी विवाह के पश्चात बहुत बढ़िया रहती है और जातक घर परिवार धन सभी का सुख भी प्राप्त कर लेता है कोई विशेष मुश्किल इसको नहीं आती और यह सब होता है केतु के लग्न में कन्या राशि में बैठने की वजह से तो अभी तक हमने कन्या लग्न में मैरिज और अरेंज मैरिज इन दो स्थितियों पर बात की अब अक्सर कुछ जातकों की कुंडली में यह दोनों योग मौजूद होते हैं यानी कि गुरु दशम भाव में बैठा है यह लव मैरिज का योग हो गया और केतु लग्न में ही बैठा है तो यह अरेंज विवाह का योग हो गया तो अब यहां पर सोचने वाली बात यह है कि इस जातक की लव मैरिज होगी या अरेंज मैरिज होगी तो इसमें सबसे पहले तो मैटर यह करता है कि विवाह योग्य आयु में यदि गुरु की दशा अंतर दशा चल रही है तो मान लीजिए कि नक्की प्रेम विवाह होगा और यदि कहीं केतु की दशा अत दशा चल रही है विवाह होने की उम्र में तो वहां पर अरेंज मैरिज होगी लेकिन यहां पर एक विशेष बात आप ध्यान में रखिए कि जिन लोगों की कुंडली में भी यह दोनों योग मौजूद हैं उनका चाहे प्रेम विवाह हो या अरेंज विवाह हो लेकिन जीवन साथी अपरिचित नहीं होता ध्यान रखिए अपरिचित नहीं होता मान लीजिए इसकी अरेंज मैरिज भी होती है तो भी इसका जीवन साथी इसका पूर्व परिचित अवश्य होगा यह जरूरी नहीं है कि अफेर में रहे हो वह किसी भी स्तर पर सामाजिक स्कूल कॉलेज में या किसी भी रूप में एक दूसरे के परिचित अवश्य होते हैं और इन दोनों ही योगों वाले जातकों का विवाह पश्चात दांपत्य जीवन बहुत सुखद रहता है और आर्थिक रूप से इनकी किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं तो आज के चैप्टर को यही विराम देते हैं और अगली बार आप से मिलते हैं अगले विषय के साथ तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 190 | वैवाहिक मिलान Part 1 | मांगलिक दोष में मंगल कितना अमंगलकारी होता है? साथियों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है जैसा कि आजकल हम विवाह योगों की बात प्रत्येक लग्न में कर रहे हैं इसी श्रंखला में आज हम बात करेंगे कन्या लग्न में विवाह योगों की और इसमें हम जानेंगे कि कन्या लग्न में कौन सा ग्रह विवाह के लिए जिम्मेदार होता है और यह भी जानेंगे कि जो ग्रह विवाह के लिए जिम्मेदार है उसकी कुंडली में स्थिति कहां पर होनी चाहिए जिससे कि वह अपने पूरे फल दे सके आजकल विवाह के मामले में दो ही तरह के विवाह ज्यादा प्रचलित है प्रेम विवाह या अरेंज मैरिज तो सबसे पहले बात करते हैं हम लव मैरिज के योगों की तो कन्या लग्न में यदि गुरु दशम भाव में यानी कि मिथुन राशि में जैसा कि वहां पर मिथुन राशि का सिंबल तीन का अंक है तो गुरु यदि दशम भाव में मिथुन राशि में बैठा हो तो यह जातक के प्रेम विवाह के योग बना देता है अब यहां पर गुरु चतुर्थ से और दशम भाव में मिथुन राशि में बैठा है तो यह जातक के लिए भूमि भवन स्वाज संपत्ति वाहन माता सुख संपत्ति इन सब का कारक बन जाता है कन्या लग्न में यदि गुरु दशम भाव में बैठा है तो यह प्रेम विवाह का पक्का योग बना देगा और लव मैरिज होने के बाद में यह जातक बहुत तेजी से उन्नति करते हैं आर्थिक रूप से इनकी स्थिति बहुत ही सुधरती चली जाती है लेकिन एक बात है इन जातकों में जल्दबाजी की आदत होती है सोचने की क्षमता इनमें कम होती है बल्कि जो दिमाग में आया उसे तुरंत निपटा डालते हैं ज्यादा सोचते नहीं है जो करना है उसे कर डालते हैं के मन में आया उसको यह करके ही मानेंगे इस गुरु की यही खासियत है तो यह तो हुई कन्या लग्न में प्रेम विवाह की स्थिति आइए अब जानते हैं कि कन्या लग्न में अरेंज विवाह की क्या स्थिति बनती है तो कन्या लग्न में केतु यदि लग्न में ही यानी जहां छह का अंक लिखा है कन्या राशि में ही बैठा हो तो यह जातक के अरेंज विवाह की स्थितियां बना देता है और यह जातक अपने जीवन साथी की तरफ विशेष आकर्षित रहते हैं और अपने जीवन साथी की हर इच्छा को पूरी करते हैं उनसे प्रेम भी बहुत करते हैं और इन जातकों में भी सोचने की क्षमता कम रहती है सोचने की क्षमता कम रहने से मतलब यह है कि ज्यादा सोच विचार नहीं करते यह भी जो मन में आया उसे तुरंत कर देते हैं भौतिक सुखों और सांसारिक सुखों में ज्यादा रुचि लेते हैं और इनका कुल आकर्षण ही भौतिक वस्तुओं में होता है और विवाह पश्चात जीवन में यह उन सुखों को प्राप्त भी कर लेते हैं इन जातकों की आर्थिक स्थिति भी विवाह के पश्चात बहुत बढ़िया रहती है और जातक घर परिवार धन सभी का सुख भी प्राप्त कर लेता है कोई विशेष मुश्किल इसको नहीं आती और यह सब होता है केतु के लग्न में कन्या राशि में बैठने की वजह से तो अभी तक हमने कन्या लग्न में मैरिज और अरेंज मैरिज इन दो स्थितियों पर बात की अब अक्सर कुछ जातकों की कुंडली में यह दोनों योग मौजूद होते हैं यानी कि गुरु दशम भाव में बैठा है यह लव मैरिज का योग हो गया और केतु लग्न में ही बैठा है तो यह अरेंज विवाह का योग हो गया तो अब यहां पर सोचने वाली बात यह है कि इस जातक की लव मैरिज होगी या अरेंज मैरिज होगी तो इसमें सबसे पहले तो मैटर यह करता है कि विवाह योग्य आयु में यदि गुरु की दशा अंतर दशा चल रही है तो मान लीजिए कि नक्की प्रेम विवाह होगा और यदि कहीं केतु की दशा अत दशा चल रही है विवाह होने की उम्र में तो वहां पर अरेंज मैरिज होगी लेकिन यहां पर एक विशेष बात आप ध्यान में रखिए कि जिन लोगों की कुंडली में भी यह दोनों योग मौजूद हैं उनका चाहे प्रेम विवाह हो या अरेंज विवाह हो लेकिन जीवन साथी अपरिचित नहीं होता ध्यान रखिए अपरिचित नहीं होता मान लीजिए इसकी अरेंज मैरिज भी होती है तो भी इसका जीवन साथी इसका पूर्व परिचित अवश्य होगा यह जरूरी नहीं है कि अफेर में रहे हो वह किसी भी स्तर पर सामाजिक स्कूल कॉलेज में या किसी भी रूप में एक दूसरे के परिचित अवश्य होते हैं और इन दोनों ही योगों वाले जातकों का विवाह पश्चात दांपत्य जीवन बहुत सुखद रहता है और आर्थिक रूप से इनकी किस्मत के दरवाजे खुल जाते हैं तो आज के चैप्टर को यही विराम देते हैं और अगली बार आप से मिलते हैं अगले विषय के साथ तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 191 | वैवाहिक मिलान Part 2 | मांगलिक दोष में मंगल कितना अमंगलकारी होता है? और जिनको ज्योतिष के प्रति गहरी जिज्ञासा है उनको तो इस क्यों का जवाब अभी तक स्वयं ही मिल गया होगा तो देखिए चतुर्थ भाव है प्रेम विवाह का और चतुर्थ भाव का स्वामी यानी चतुर्थ वह जब अपने भाव से सप्तम बैठेगा तो जरा ठहर हर जगह जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला फार्मूला नहीं चलता है कहीं कहीं इसका उल्टा भी होता है तुला लग्न में शनि यदि दशम भाव में बैठा होगा क्योंकि तुला लग्न में शनि चतुर्थेश होता है तो प्रेम विवाह हो जाएगा आपके दिमाग में यही घूम रहा [प्रशंसा] होगा साथियों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है आजकल हम सभी लग्न में विवाह योगों की बात कर रहे हैं और यह योग ऐसे हैं कि जो विवाह में सहायक बन ही जाते हैं और इस श्रंखला में हमने अभी तक मेष लगन से लेकर कन्या लगन तक आपसे बात की है कुछ लोगों ने सवाल भी किए हैं और यह जिज्ञासा भी प्रकट की है कि हमने पूर्व के चैप्टर्स की तरह ही इन विवाह योगों के बारे में क्यों का जवाब नहीं दिया है कि ऐसा क्यों हो होता है तो इसके पीछे का कारण यही है कि आप लोग इतने समय से यहां पर सीख रहे हैं तो आप स्वयं अपनी तर्क शक्ति का उपयोग करें और ढूंढे कि ऐसा क्यों होता है यह क्यों का जवाब खोजना हमने आपके ऊपर ही छोड़ दिया था तो आप में से जो गंभीर जिज्ञासु हैं और जिनको ज्योतिष के प्रति गहरी जिज्ञासा है उनको तो इस क्यों का जवाब अभी तक स्वयं ही मिल गया होगा इसके पीछे क्या तर्क है यह आप समझ ही गए होंगे पर जो नए दर्शक हैं और जिन्होंने पिछले चैप्टर्स का गंभीरता से अध्ययन नहीं किया है उनकी सुविधा के लिए आज हम बता देते हैं कि ऐसा क्यों होता है तो देखिए चतुर्थ भाव है प्रेम विवाह का और चतुर्थ भाव का स्वामी यानी चतुर्थेश वो जब अपने भाव से सप्तम बैठेगा यानी दशम भाव में बैठ जाएगा तो सप्तम हो जाएगा तो यह प्रेम विवाह का योग बनता है और इसी तरह से अरज विवाह का कारक होता है सप्तमेश तो सप्तमेश जब अपने भाव से सप्तम बैठेगा यानी लग्न में बैठेगा तो वह अरेंज विवाह करवा देगा यह सिंपल सा तर्क है इसमें और अभी तक मेष लग्न से लेकर कन्या लगन तक आपने यही स्थिति देखी होगी और अभी तक आप अस्वस्थ हो चुके होंगे कि हां ठीक है यही फार्मूला सभी लग्न में लगेगा तो जरा ठहर हर जगह जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला फार्मूला नहीं चलता है कहीं कहीं इसका उल्टा भी होता है तो आज हम बात कर रहे हैं तुला लग्न में विवाह योग की तो आप सोच रहे होंगे कि इसमें कौन सी मुश्किल है तुला लग्न में शनि यदि दशम भाव में बैठा होगा क्योंकि तुला लग्न में शनि चतुर्थ होता है तो प्रेम विवाह हो जाएगा और सप्तम होता है मंगल तो मंगल यदि लग्न में बैठ जाएगा तो रेंज विवाह हो जाएगा तो सिंपल सी बात है आपके दिमाग में यही घूम रहा होगा तो आइए अब आपकी इसी थ्योरी से जो हमने मेष लगन से कन्या लगन तक लई थी उसी देख लेते हैं कि यह कितना सही और कितना गलत होगा तुला लगन में तो यह तुला लगन की कुंडली है अब इसमें शनि दशम भाव कर्क राशि में बैठे हुए हैं तो अभी तक हमने जो सूत्र मे लगन से और कन्या लगन तक लगाए उनके अनुसार यह चतुर्थ और अपने भाव से सप्तम बैठा है तो इस हिसाब से यह लव मैरिज का योग हो गया क्योंकि अपने भाव से यानी चतुर्थ सकर अपने भाव से सप्तम है तो यह लव मैरिज का योग बना देंगे जो सूत्र हमने अभी तक लगाए हैं उनके अनुसार और यह लगन में बैठे मंगल जो कि सप्तम है और अपने भाव से सप्तम है तो इस हिसाब से यह मंगल के योग बना देगा तो यह ई अभी तक हमने मेष लगन से कन्या लगन तक जो समझा था उसके अनुसार स्थिति तो अब हमारा कहना यह है कि जो भी गंभीर जिज्ञासु है व इन दोनों स्थितियों को ध्यानपूर्वक विचार करें इस वीडियो को यही पर पज करें और यहां पर देखें कि क्या यह दोनों योग यहा पर लागू होते हैं और जो ज्यादा नहीं है वो देखते रहे तो देखिए तुला लगन [संगीत] में यह जो शनि है ये लज के योग नहीं बनने देगा ये जो शनि है यहां पर दशम भाव में अपने भाव से सप्तम होने के बावजूद भी यह लव मैरिज के योग नहीं बनने देगा पहली बात ये अब क्यों नहीं बनने देगा इसके लिए हम सबसे पहले शनि को यहां पर देखते हैं कि शनि यहां क्या करेगा यह शनि अपने भाव से सप्तम बैठकर भी लव मैरिज को खराब करेगा वैसे तो आपने पढ़ा होगा कि हर भावे अपने भाव की रक्षा करता है और कुछ हद यह बात सही भी है लेकिन ग्रह की जो फल देने की प्रवृति होती है वो उसका उलंघन नहीं कर पाता अपना भाव हो चाहे अपनी उच्च राशि हो इस बात को ध्यान में रखिए तो यहां पर हम शनि की फलने की प्रवृति देखते हैं तो सबसे पहले यह धन में रखना होगा कि शनि यहां पर दशम भाव में बैठा है तो यह दशम भाव को बढ़ाएगा दशम भाव को बढ़ाएगा और यहां पर कर्क राशि में बैठा है तो यह कर्क राशि चतुर्थ यानी जो लव मैरिज का भाव है उसको डीएक्टिवेट करेगा सबसे पहली बात तो यह है कि लव मैरिज में इसलिए य यहां पर बाधक बनेगा अब चतुर्थेश होने के बावजूद भी यह अपनी सातवी दृष्टि से भी इस चतुर्थ भाव को डीएक्टिवेट करेगा चतुर्थ को भी डीट ही करेगा चाहे आप कर्क राशि में बैठे होने की वजह से इसको मान लीजिए चाहे इसकी सप्तम दृष्टि की वजह से मान लीजिए लेकिन यह लव मैरेज होने नहीं देगा यह बात पक्की है दूसरी एक बात हम बारबार आपको बता चुके हैं कि शनि की दशा का अंतिम परिणाम उसकी दशम दृष्टि होता है इस शनि की दशम दृष्टि है सप्तम भाव पर यह सप्तम भाव तो यह सप्तम को भी नष्ट करेगा और लगन को ही एक्टिव करेगा इस वजह से यह शनि लव मैज के लिए भी खराब स्थितियां पैदा करता है और अरज मैरिज के लिए भी खराब स्थितियां पैदा करेगा या यह श ना लज में सहायक है ना अरज में सहायक है अब यहां पर आप एक बात और ध्यान में रखिए यह तो बात हम कर रहे हैं कि विवाह कब होगा क्या योग है उसके बारे में लेकिन मान लीजिए इस की दशा आने के पूर्व ही जातक विवाहित है तो चाहे उसकी लव मैरिज हुई हो चाहे अरज ई हो वो उन दोनों के अंदर परेशानिया खड़ी कर देगा क्योंकि यहां दशम भाव में बैठकर शनि इस चतुर्थ भाव को और सप्तम भाव को पूरी तरह से प्रभावित करता है आइए अब बात करते हैं हम अरिज के बारे में तो अरज के लिए हम देखेंगे तो सूत्र कहता है कि सप्तमेश अपने भाव से सप्तम बैठा हो तो वह अरेंज विवाह करवा देता है अब य पर सप्तम मंगल है और यह लगन में बैठा है यानी इसकी दूरी सप्तम भाव से सप्तम ही है इसलिए यह अरज मैरेज करवा देता है तो यह बात यहां पर बिल्कुल सही है कि इस जातक की अर मैरिज होगी क्योंकि सप्तम सप्तम बैठा है अपने भाव से और स्वयं सप्तमेश होकर मंगल अपनी सातवी दृष्टि से भी सप्तम को ही बढ़ाएगा यहां सप्तम को ही एक्टिवेट करेगा इसलिए यह अरेंज मैरेज कराने में यह मंगल बिल्कुल सहायक रहेगा अब य मंगल की आप एक और देखिए कि मंगल अपनी चतुर्थ दृष्टि से इस चतुर्थ भाव को बढ़ा रहा है और इस चतुर्थ भाव में इसकी उच्च राशि मकर भी पड़ी हुई है लेकिन इसके बावजूद भी यह मंगल सिर्फ अरेंज रज करवा सकता है पर लव मैरेज नहीं करवा सकता य लव मैरेज नहीं करवा सकता मंगल कारण उसका क्या है कि चतुर्थ भाव तो एक्टिव किया और दशम को य डीएक्टिवेट कर देगा लेकिन यह अपनी नीच राशि मकर से चतुर्थ हो जाता है इसलिए इस चतुर्थ भाव के फल जातक को नहीं लेने देगा तो इस स्थिति में इस जातक की अरेंज मैरिज ही होगी लव मैरिज ना तो यहां पर शनि करवा पाएगा और ना ही मंगल करवा पाएगा बावजूद इसके कि मंगल की वहां से उच्च भी है अपनी चतुर दृष्टि से वह चतुर्थ को बढ़ा भी रहा है लेकिन यह लव मैरिज की बिल्कुल भी संभावना नहीं बनेगी अब यदि इस मंगल की हम बात करें लगन में तुला लगन में अगर मंगल बैठा हो तो यह धन कुटुंब परिवार के मामले में बहुत बढ़िया रिजल्ट देता है धन कुटुंब परिवार ये बढ़िया रिजल्ट देता है धन की कमी नहीं छोड़ता ये वैसे तुला लग्न में मंगल लग्न में बैठकर धन लक्ष्मी कुटुंब इसका बहुत शानदार सुख देता है और घर परिवार चलाने के लिए सब तरह के सुख साधन यह उपलब्ध करवा देता है तुला लग्न में मंगल की लग्न में स्थिति इस मामले में बहुत ही बढ़िया रिजल्ट देती है यानी धन के मामले में यह मंगल कमी नहीं छोड़ता है हमारा आपसे यही कहना है कि किसी भी सूत्र को अक्षरस लगाने की बजाय ग्रह की प्रवृति को अवश्य देख ले सूत्र और ग्रह की प्रवृत्ति इसका तारतम्य ही सटीक फल कथन तक पहुंचाता है इस बात को मत भूलिए आंख बंद करके सूत्र लगाएंगे तो कहीं ना कहीं गलती अवश्य होगी यदि आप ग्रहों की फल देने की प्रवृत्ति के बारे में और अधिक जानने के इच्छुक हैं और सटीक फल कथन करना चाहते हैं जिससे कि आपका ज्योतिष का करियर भी आगे बढ़े यश मान सम्मान पैसा सब कुछ मिले तो ग प्ले स्टोर से भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस का ऐप डाउनलोड करके वहां पर आप इसका प्राइमरी कोर्स अवश्य ध्यान से समझ ले उस कोर्स को करने के बाद आपकी सारी शंकाएं दूर हो जाएंगी और आप बिल्कुल सही फल कथन तक पहुंचेंगे वहां उस कोर्स में हमने सभी ग्रहों की फल देने की प्रवृत्ति उदाहरण सहित समझाई है जो कि आपको आसानी से समझ में आ जाएगी तो आज के चैप्टर को यही विराम देते हैं और अगली बार मिलते हैं अगले विषय के साथ तब तक के लिए जय जय सियाराम Title: 192 | वैवाहिक मिलान Part 3 | राहु केतु की भूमिका? इनको ध्यान से देखें... और जिनको ज्योतिष के प्रति गहरी जिज्ञासा है उनको तो इस क्यों का जवाब अभी तक स्वयं ही मिल गया होगा तो देखिए चतुर्थ भाव है प्रेम विवाह का और चतुर्थ भाव का स्वामी यानी चतुर्थ वह जब अपने भाव से सप्तम बैठेगा तो जरा ठहर हर जगह जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला फार्मूला नहीं चलता है कहीं कहीं इसका उल्टा भी होता है तुला लग्न में शनि यदि दशम भाव में बैठा होगा क्योंकि तुला लग्न में शनि चतुर्थेश होता है तो प्रेम विवाह हो जाएगा आपके दिमाग में यही घूम रहा [प्रशंसा] होगा साथियों भास्कर एस्ट्रोलॉजी क्लासेस में आपका स्वागत है आजकल हम सभी लग्न में विवाह योगों की बात कर रहे हैं और यह योग ऐसे हैं कि जो विवाह में सहायक बन ही जाते हैं और इस श्रंखला में हमने अभी तक मेष लगन से लेकर कन्या लगन तक आपसे बात की है कुछ लोगों ने सवाल भी किए हैं और यह जिज्ञासा भी प्रकट की है कि हमने पूर्व के चैप्टर्स की तरह ही इन विवाह योगों के बारे में क्यों का जवाब नहीं दिया है कि ऐसा क्यों हो होता है तो इसके पीछे का कारण यही है कि आप लोग इतने समय से यहां पर सीख रहे हैं तो आप स्वयं अपनी तर्क शक्ति का उपयोग करें और ढूंढे कि ऐसा क्यों होता है यह क्यों का जवाब खोजना हमने आपके ऊपर ही छोड़ दिया था तो आप में से जो गंभीर जिज्ञासु हैं और जिनको ज्योतिष के प्रति गहरी जिज्ञासा है उनको तो इस क्यों का जवाब अभी तक स्वयं ही मिल गया होगा इसके पीछे क्या तर्क है यह आप समझ ही गए होंगे पर जो नए दर्शक हैं और जिन्होंने पिछले चैप्टर्स का गंभीरता से अध्ययन नहीं किया है उनकी सुविधा के लिए आज हम बता देते हैं कि ऐसा क्यों होता है तो देखिए चतुर्थ भाव है प्रेम विवाह का और चतुर्थ भाव का स्वामी यानी चतुर्थेश वो जब अपने भाव से सप्तम बैठेगा यानी दशम भाव में बैठ जाएगा तो सप्तम हो जाएगा तो यह प्रेम विवाह का योग बनता है और इसी तरह से अरज विवाह का कारक होता है सप्तमेश तो सप्तमेश जब अपने भाव से सप्तम बैठेगा यानी लग्न में बैठेगा तो वह अरेंज विवाह करवा देगा यह सिंपल सा तर्क है इसमें और अभी तक मेष लग्न से लेकर कन्या लगन तक आपने यही स्थिति देखी होगी और अभी तक आप अस्वस्थ हो चुके होंगे कि हां ठीक है यही फार्मूला सभी लग्न में लगेगा तो जरा ठहर हर जगह जिसकी लाठी उसकी भैंस वाला फार्मूला नहीं चलता है कहीं कहीं इसका उल्टा भी होता है तो आज हम बात कर रहे हैं तुला लग्न में विवाह योग की तो आप सोच रहे होंगे कि इसमें कौन सी मुश्किल है तुला लग्न में शनि यदि दशम भाव में बैठा होगा क्योंकि तुला लग्न में शनि चतुर्थ होता है तो प्रेम विवाह हो जाएगा और सप्तम होता है मंगल तो मंगल यदि लग्न में बैठ जाएगा तो रेंज विवाह हो जाएगा तो सिंपल सी बात है आपके दिमाग में यही घूम रहा होगा तो आइए अब आपकी इसी थ्योरी से जो हमने मेष लगन से कन्या लगन तक लई थी उसी देख लेते हैं कि यह कितना सही और कितना गलत होगा तुला लगन में तो यह तुला लगन की कुंडली है अब इसमें शनि दशम भाव कर्क राशि में बैठे हुए हैं तो अभी तक हमने जो सूत्र मे लगन से और कन्या लगन तक लगाए उनके अनुसार यह चतुर्थ और अपने भाव से सप्तम बैठा है