कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 9 - प्रकाश - परावर्तन और अपवर्तन (हिंदी माध्यम) PDF

Summary

यह दसवी कक्षा के विज्ञान पाठ्यक्रम का अध्याय 9 है, जिसमें प्रकाश के परावर्तन और अपवर्तन के विषय पर व्याख्या की गई है। इसमें प्रकाश की प्रकृति, परावर्तन के नियम, दर्पण और लेंस, और उनके उपयोग जैसे पहलुओं को शामिल किया गया है।

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अध्याय 9 प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन...

अध्याय 9 प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन ह म इस ससं ार में अपने चारों ओर अनेक प्रकार की वस्एतु ँ देखते हैं। तथापि, किसी अँधरे े कमरे में हम कुछ भी देखने में असमर्थ हैं। कमरे को प्रकाशित करने पर चीजें दिखलाई देने लगती हैं। वह क्या है जो वस्ओ तु ं को दृश्यमान बनाता है। दिन के समय सर्यू का प्रकाश वस्ओ तु ं को देखने में हमारी सहायता करता है। कोई वस्तु उस पर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित करती है। यह परावर्तित प्रकाश जब हमारी आँखों द्वारा ग्रहण किया जाता है, तो हमें वस्ओ तु ं को देखने योग्य बनाता है। हम किसी पारदर्शी माध्यम के आर-पार देख सकते हैं, क्योंकि प्रकाश इसमें से पार (transmitted) हो जाता है। प्रकाश से सबं द्ध अनेक सामान्य तथा अद्भुत परिघटनाएँ हैं; जैसे– दर्पणों द्वारा प्रतिबिंब का बनना, तारों का टिमटिमाना, इद्रं धनषु के संदु र रंग, किसी माध्यम द्वारा प्रकाश को मोड़ना आदि। प्रकाश के गणु ों का अध्ययन इनके अन्वेषण में हमारी सहायता करे गा। अपने चारों ओर कुछ सामान्य प्रकाशिक परिघटनाओ ं को देख कर हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि प्रकाश सरल रे खाओ ं में गमन करता प्रतीत होता है। यह तथ्य कि एक छोटा प्रकाश स्रोत किसी अपारदर्शी वस्तु की तीक्ष्ण छाया बनाता है, प्रकाश के एक सरलरे खीय पथ की ओर इगित ं करता है, जिसे प्रायः प्रकाश किरण कहते हैं। यदि प्रकाश के पथ में रखी अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो तो प्रकाश सरल रे खा में चलने की बजाय इसके किनारों पर मड़ु ने की प्रवृत्ति दर्शाता है– इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं। तब वह प्रकाशिकी, जिसमें सरलरे खीय व्यवहार के आधार पर किरणों का उपयोग करते हैं, असफल होने लगती हैं। विवर्तन जैसी परिघटनाओ ं की व्याख्या यह भी जानिए! करने के लिए प्रकाश को तरंग के रूप में माना जाता है, जिसका विस्तृत अध्ययन आप उच्च कक्षाओ ं में करें गे। पनु : 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में यह स्पष्‍ट हो गया कि प्रकाश की द्रव्य के साथ अन्योन्यक्रिया के विवेचन में प्रकाश का तरंग सिद्धांत अपर्याप्‍त है तथा प्रकाश प्रायः कणों के प्रवाह की भाँति व्यवहार करता है। प्रकाश की सही प्रकृ ति के बारे में यह उलझन कुछ वर्षों तक चलती रही जब तक कि प्रकाश का आधुनिक क्वांटम सिद्धांत उभर कर सामने नहीं आया, जिसमें प्रकाश को न तो ‘तरंग’ माना गया न ही ‘कण’। इस नए सिद्धांत ने प्रकाश के कण सबं ंधी गणु ों तथा तरंग प्रकृ ति के बीच सामजं स्य स्थापित किया। Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 148 30-11-2022 12:10:21 इस अध्याय में हम प्रकाश के परावर्तन तथा अपवर्तन की परिघटनाओ ं का, प्रकाश के सरलरेखीय गमन का उपयोग करके , अध्ययन करें ग।े ये मल ू धारणाएँ प्रकृ ति में घटनेवाली कुछ प्रकाशिक परिघटनाओ ं के अध्ययन में हमारी सहायता करें गी। इस अध्याय में हम गोलीय दर्पणों द्वारा प्रकाश के परावर्तन, प्रकाश के अपवर्तन एवं वास्तविक जीवन में उनके अनप्रु योगों को समझने का प्रयत्न करें ग।े 9.1 प्रकाश का परावर्तन उच्च कोटि की पॉलिश किया हुआ पृष्‍ठ, जैसे कि दर्पण, अपने पर पड़नेवाले अधिकांश प्रकाश को परावर्तित कर देता है। आप प्रकाश के परावर्तन के नियमों से पहले से ही परिचित हैं। आइए, इन नियमों को स्मरण करें — (i) आपतन कोण, परावर्तन कोण के बराबर होता है, तथा (ii) आपतित किरण, दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण, सभी एक ही तल में होते हैं। परावर्तन के ये नियम गोलीय पृष्‍ठों सहित सभी प्रकार के परावर्तक पृष्‍ठों के लिए लागू होते हैं। आप समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब के बनने से परिचित हैं। प्रतिबिंब की क्या विशेषताएँ हैं? समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा होता है। प्रतिबिंब का साइज़ बिंब (वस्)तु के साइज़ के बराबर होता है। प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दरू ी पर बनता है, जितनी दरू ी पर दर्पण के सामने बिंब रखा होता है। इसके अतिरिक्‍त प्रतिबिंब पाश्‍वर् परिवर्तित होता है। यदि परावर्तक पृष्‍ठ वक्रित हों तो प्रतिबिंब कै से बनेंगे? आइए देख।ें क्रियाकलाप 9.1 „„ एक बड़ी चमकदार चम्मच लीजिए। इसके वक्रित पृष्‍ठ में अपना चेहरा देखने का प्रयत्न कीजिए। „„ क्या आप प्रतिबिंब देख पाते हैं? यह छोटा है या बड़ा? „„ चम्मच को धीरे -धीरे अपने चेहरे से दरू ले जाइए। प्रतिबिंब को देखते रहिए। यह कै से परिवर्तित होता है? „„ चम्मच को उलटा कीजिए (पलटिए) तथा दसू रे पृष्‍ठ से क्रियाकलाप को दोहराइए। अब प्रतिबिंब कै सा दिखलाई देता है? „„ दोनों पृष्‍ठों पर प्रतिबिंब के अभिलक्षणों की तुलना कीजिए। चमकदार चम्मच का वक्रित पृष्‍ठ एक वक्रित दर्पण की भाँति माना जा सकता है। सबसे अधिक उपयोग में आने वाले सामान्यतः वक्रित दर्पण का प्रारूप गोलीय दर्पण है। इस प्रकार के दर्पणों के परावर्तक पृष्‍ठ किसी गोले के पृष्‍ठ का एक भाग माना जा सकता है। एेसे दर्पण जिनका परावर्तक पष्ृ ‍ठ गोलीय है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं। अब हम गोलीय दर्पणों के बारे में कुछ विस्तार से अध्ययन करें गे। 9.2 गोलीय दर्पण गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्‍ठ अदं र की ओर या बाहर की ओर वक्रित हो सकता है। गोलीय दर्पण, जिसका परावर्तक पृष्‍ठ अदं र की ओर अर्थात गोले के कें द्र की ओर वक्रित है, वह अवतल प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन 149 Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 149 30-11-2022 12:10:21 दर्पण कहलाता है। वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्‍ठ बाहर की ओर वक्रित है, उत्तल दर्पण कहलाता है। इन दर्पणों का आरे खीय निरूपण चित्र 9.1 में किया गया है। इन चित्रों में नोट कीजिए कि दर्पणों का पृष्‍ठभाग छायांकित है। अब आप समझ सकते हैं कि चम्मच का अदं र की ओर वक्रित पृष्‍ठ लगभग अवतल दर्पण जैसा है तथा चम्मच का बाहर की ओर उभरा पृष्‍ठ लगभग उत्तल दर्पण जैसा है। गोलीय दर्पणों के बारे में और अधिक ज्ञान प्राप्‍त करने से पहले आइए हम कुछ शब्दों अथवा पदों (terms) को जानें तथा उनका अर्थ समझें। ये शब्द गोलीय दर्पणों के बारे में चर्चा करते समय सामान्यतः प्रयोग में आते हैं। गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्‍ठ के कें द्र को दर्पण का ध्रुव कहते हैं। यह दर्पण के पृष्‍ठ पर स्थित होता है। ध्वरु को प्रायः P अक्षर से निरूपित करते हैं। गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्‍ठ एक गोले का भाग है। इस गोले का कें द्र गोलीय दर्पण का वक्रता कें द्र कहलाता है। यह अक्षर C से निरूपित किया जाता है। कृ पया ध्यान दें कि वक्रता कें द्र दर्पण का भाग नहीं है। यह परावर्तक पृष्‍ठ के बाहर स्थित है। अवतल दर्पण का वक्रता कें द्र परावर्तक पृष्‍ठ के सामने स्थित होता है। तथापि, उत्तल दर्पण में यह दर्पण के परावर्तक पृष्‍ठ के पीछे स्थित होता है। यह तथ्य आप चित्र 9.2 (a) तथा 9.2 (b) में नोट कर सकते हैं। गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्‍ठ जिस गोले का भाग है, उसकी त्रिज्या दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है। इसे अक्षर R से निरूपित किया जाता है। ध्यान दीजिए कि PC दरू ी वक्रता त्रिज्या के बराबर है। गोलीय दर्पण के ध्वरु तथा वक्रता त्रिज्या से गज़ु रने वाली एक सीधी रे खा की कल्पना कीजिए। इस रे खा को दर्पण का मखु ्य अक्ष कहते हैं। याद कीजिए कि मुख्य अक्ष दर्पण के ध्वरु पर अभिलंब है। आइए, दर्पण से संबंधित एक महत्वपर्णू शब्द को एक क्रियाकलाप द्वारा समझें। सर्वप्रथम कागज़ सल ु गना प्रारंभ करता है और धआ ु ँ उठने लगता है। अतत ं ः यह आग भी (a) (b) पकड़ सकता है। यह क्यों जलता है? सर्यू से आने वाला प्रकाश दर्पण के द्वारा एक तीक्ष्ण, चमकदार अवतल दर्पण उत्तलदर्पण चित्र 9.1 गोलीय दर्पणों का बिंदु के रूप में अभिकें द्रित होता है। वास्तव में कागज़ की शीट पर प्रकाश का यह बिंदु सर्यू का आरे खीय निरूपण; छायांकित प्रतिबिंब है। यह बिंदु अवतल दर्पण का फोकस है। सर्यू के प्रकाश के संकेंद्रण से उत्पन्न ऊष्मा भाग परावर्तक नहीं है। के कारण कागज़ जलता है। दर्पण की स्थिति से इस प्रतिबिंब की दरू ी, दर्पण की फोकस दरू ी का सन्निकट मान है। क्रियाकलाप 9.2 चेतावनी— सर्यू की ओर या दर्पण द्वारा परावर्तित सर्यू के प्रकाश की ओर सीधा मत देखिए। यह आपकी आँखों को क्षतिग्रस्त कर सकता है। „„ एक अवतल दर्पण को अपने हाथ में पकड़िए तथा इसके परावर्तक पृष्‍ठ को सर्यू की ओर कीजिए। „„ दर्पण द्वारा परावर्तित प्रकाश को दर्पण के पास रखी एक कागज़ की शीट पर डालिए। „„ कागज़ की शीट को धीरे -धीरे आगे पीछे कीजिए जब तक कि आपको कागज़ की शीट पर प्रकाश का एक चमकदार, तीक्ष्ण बिंदु प्राप्‍त न हो जाए। „„ दर्पण तथा कागज़ को कुछ मिनट के लिए उसी स्थिति में पकड़े रखिए। आप क्या देखते हैं? एेसा क्यों होता है? 150 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 150 30-11-2022 12:10:22 आइए, इस प्रेक्षण को एक किरण आरे ख से समझने का प्रयत्न करें । चित्र 9.2 (a) को ध्यानपूर्वक देखिए। अवतल दर्पण पर मखु ्य अक्ष के समांतर कुछ किरणें आपतित हो रही हैं। परावर्तित किरणों का प्रेक्षण कीजिए। वे सभी दर्पण की मखु ्य अक्ष के एक बिंदु पर मिल रही अनंत पर प्रतिच्छेदी हैं। यह बिंदु अवतल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता (a) है। इसी प्रकार चित्र 9.2 (b) को ध्यानपूर्वक देखिए। उत्तल दर्पण द्वारा मखु ्य अक्ष के समांतर किरणें किस प्रकार परावर्तित होती हैं? परावर्तित किरणें मखु ्य अक्ष पर एक बिंदु से आती हुई प्रतीत होती हैं। यह बिंदु उत्तल दर्पण का मुख्य फोकस कहलाता है। मखु ्य फोकस को अक्षर F द्वारा निरूपित किया जाता है। गोलीय दर्पण के ध्वरु तथा अनंत पर मखु ्य फोकस के बीच की दरू ी फोकस दूरी कहलाती है। इसे अक्षर f (b) द्वारा निरूपित करते हैं। गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्‍ठ अधिकांशतः गोलीय ही होता है। चित्र 9.2 (a) अवतल दर्पण (b) उत्तल दर्पण इस पृष्‍ठ की एक वृत्ताकार सीमा रे खा होती है। गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्‍ठ की इस वृत्ताकार सीमारे खा का व्यास, दर्पण का द्वारक (aperture) कहलाता है। चित्र 9.2 में दरू ी MN द्वारक को निरूपित करती है। अपने विवेचन में हम के वल उन्हीं गोलीय दर्पणों पर विचार करें गे, जिनका द्वारक इनकी वक्रता त्रिज्या से बहुत छोटा है। क्या गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या R तथा फोकस दरू ी f के बीच कोई सबं ंध है? छोटे द्वारक के गोलीय दर्पणों के लिए वक्रता त्रिज्या फोकस दरू ी से दोगनु ी होती है। हम इस संबंध को R = 2f द्वारा व्यक्‍त कर सकते हैं। यह दर्शाता है कि किसी गोलीय दर्पण का मखु ्य फोकस, उसके ध्वरु तथा वक्रता कें द्र को मिलाने वाली रे खा का मध्य बिंदु होता है। 9.2.1 गोलीय दर्पणों द्वारा प्रतिबिंब बनना आप समतल दर्पणों द्वारा प्रतिबिंब बनने के बारे में अध्ययन कर चक ु े हैं। आप उनके द्वारा बनाए गए प्रतिबिंबों की प्रकृ ति, स्थिति तथा आपेक्षिक साइज़ के बारे में भी जानते हैं। गोलीय दर्पणों द्वारा बने प्रतिबिंब कै से होते हैं? किसी अवतल दर्पण द्वारा बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिंबों की स्थिति का निर्धारण हम किस प्रकार कर सकते हैं? ये प्रतिबिंब वास्तविक हैं अथवा आभासी? क्या वे आवर्धित हैं, छोटे हैं या समान साइज़ के हैं? हम एक क्रियाकलाप द्वारा इसका अन्वेषण करें गे। क्रियाकलाप 9.3 „„ अवतल दर्पण की फोकस दरू ी ज्ञात करने की विधि पहले ही सीख चक ु े हैं। क्रियाकलाप 9.2 में आपने देखा है कि आपको कागज़ पर मिला प्रकाश का तीक्ष्ण चमकदार बिंदु वास्तव में सर्यू का प्रतिबिंब है। यह अत्यंत छोटा, वास्तविक तथा उलटा है। दर्पण से इस प्रतिबिंब की दरू ी माप कर आपने अवतल दर्पण की लगभग फोकस दरू ी ज्ञात की थी। प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन 151 Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 151 30-11-2022 12:10:22 „„ एक अवतल दर्पण लीजिए। ऊपर वर्णित विधि से इसकी सन्निकट फोकस दरू ी ज्ञात कीजिए। फोकस दरू ी का मान नोट कीजिए। (आप किसी दरू स्थ वस्तु का प्रतिबिंब एक कागज़ की शीट पर प्राप्‍त करके भी फोकस दरू ी ज्ञात कर सकते हैं।) „„ मेज़ पर चॉक से एक लाइन बनाइए। अवतल दर्पण को एक स्टैंड पर रखिए। स्टैंड को लाइन पर इस प्रकार रखिए कि दर्पण का ध्वरु इस लाइन पर स्थित हो। „„ चॉक से पहली लाइन के समांतर और इसके आगे, दो लाइनें इस प्रकार खींचिए कि किन्हीं दो उत्तरोत्तर लाइनों के बीच की दरू ी दर्पण की फोकस दरू ी के बराबर हो। ये लाइनें अब क्रमशः बिंदओु ं P, F तथा C की स्थितियों के तदनरू ु पी होंगी। याद रखिए— छोटे द्वारक के गोलीय दर्पण के लिए मखु ्य फोकस F, ध्वरु P तथा वक्रता कें द्र C को मिलाने वाली रे खा के मध्य बिंदु पर स्थित होता है। „„ एक चमकीला बिंब, जैसे एक जलती हुई मोमबत्ती C से बहुत दरू किसी स्थिति पर रखिए। एक कागज़ का परदा रखिए तथा इसको दर्पण के सामने आगे-पीछे तब तक खिसकाइए जब तक कि आपको इस पर मोमबत्ती की लौ का तीक्ष्ण तथा चमकीला प्रतिबिंब प्राप्‍त न हो जाए। „„ प्रतिबिंब को ध्यानपर्वू क देखिए। इसकी प्रकृ ति, स्थिति तथा बिंब के साइज़ के सापेक्ष इसका आपेक्षिक साइज़ नोट कीजिए। „„ इस क्रियाकलाप को मोमबत्ती की निम्नलिखित स्थितियों के लिए दोहराइए— (a) C से थोड़ी दरू , (b) C पर, (c) F तथा C के बीच, (d) F पर तथा (e) P और F के बीच। „„ इनमें से एक स्थिति में आप परदे पर प्रतिबिंब प्राप्‍त नहीं कर पाएँगे। इस अवस्था में बिंब की स्थिति को अभिनिर्धारित कीजिए। तब, इसके आभासी प्रतिबिंब को सीधे दर्पण में देखिए। „„ अपने प्रेक्षणों को नोट कीजिए तथा सारणीबद्ध कीजिए। उपरोक्‍त क्रियाकलाप में आप देखेंगे कि अवतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की प्रकृ ति, स्थिति तथा साइज़ बिंदु P, F तथा C के सापेक्ष बिंब की स्थिति पर निर्भर करते है। बिंब की कुछ स्थितियों के लिए बनने वाला प्रतिबिंब वास्तविक है। बिंब की कुछ दसू री स्थितियों के लिए यह आभासी होता है। बिंब की स्थिति के अनुसार ही प्रतिबिंब आवर्धित, छोटा या समान साइज़ का होता है। इन प्रेक्षणों का संक्षिप्‍त विवरण, आपके निर्देशन के लिए सारणी 9.1 में दिया गया है। सारणी 9.1 किसी अवतल दर्पण द्वारा बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिंब बिंब की स्थिति प्रतिबिंब की स्थिति प्रतिबिंब का साइज़ प्रतिबिंब की प्रकृति अनंत पर फोकस F पर अत्यधिक छोटा, बिंदु साइज़ वास्तविक एवं उलटा C से परे F तथा C के बीच छोटा वास्तविक तथा उलटा C पर C पर समान साइज़ वास्तविक तथा उलटा C तथा F के बीच C से परे विवर्धित (बड़ा) वास्तविक तथा उलटा F पर अनंत पर अत्यधिक विवर्धित वास्तविक तथा उलटा P तथा F के बीच दर्पण के पीछे विवर्धित (बड़ा) आभासी तथा सीधा 152 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 152 30-11-2022 12:10:22 9.2.2 किरण आरेखों का उपयोग करके गोलीय दर्पणों द्वारा बने प्रतिबिंबों का निरूपण गोलीय दर्पणों द्वारा प्रतिबिंबों के बनने का अध्ययन हम किरण आरे ख खींचकर भी कर सकते हैं। गोलीय दर्पण के सामने रखे एक सीमित साइज़ के विस्तारित बिंब पर विचार कीजिए। इस बिंब का प्रत्येक छोटा भाग एक बिंदु बिंब की भाँति कार्य करता है। इन बिंदओु ं में प्रत्येक से अनंत किरणें उत्पन्न होती हैं। बिंब के प्रतिबिंब का स्थान निर्धारण करने के लिए, किरण आरे ख बनाते समय किसी बिदं ु से निकलने वाली किरणों की विशाल सखं ्या में से सुविधानसु ार कुछ को चनु ा जा सकता है। तथापि, किरण आरे ख की स्पष्‍टता के लिए दो किरणों पर विचार करना अधिक सुविधाजनक है। ये किरणें एेसी हों कि दर्पण से परावर्तन के पश्‍चात उनकी दिशाओ ं को जानना आसान हो। कम-से-कम दो परावर्तित किरणों के प्रतिच्छेदन से किसी बिंदु बिंब के प्रतिबिंब की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। प्रतिबिंब के स्थान निर्धारण के लिए निम्नलिखित में से किन्हीं भी दो किरणों पर विचार किया जा सकता है। (i) दर्पण के मखु ्य अक्ष के समानातं र प्रकाश किरण, परावर्तन के पश्‍चात अवतल दर्पण के मु ख ्य फोकस से गु ज़ रे ग ी अथवा उत्तल दर्पण के मखु ्य फोकस से अपसरित होती प्रतीत होगी। यह चित्र 9.3 (a) एवं (b) में दर्शाया गया है। (a) (b) चित्र 9.3 (ii) अवतल दर्पण के मखु ्य फोकस से गजु रने वाली किरण अथवा उत्तल दर्पण के मखु ्य फोकस की ओर निर्देशित किरण परावर्तन के पश्‍चात मुख्य अक्ष के समांतर निकलेगी। इसे चित्र 9.4 (a) तथा चित्र 9.4 (b) में दर्शाया गया है। (iii) अवतल दर्पण के वक्रता कें द्र से गजु रने वाली किरण अथवा उत्तल दर्पण के (a) (b) वक्रता कें द्र की ओर निर्देशित किरण, चित्र 9.4 परावर्तन के पश्‍चात उसी पथ के अनुदिश वापस परावर्तित हो जाती है। इसे चित्र 9.5 (a) तथा 9.5 (b) में दर्शाया गया है। प्रकाश की किरणें उसी पथ से इसलिए वापस आती हैं, क्योंकि आपतित किरणें दर्पण के परावर्तक पृष्‍ठ (a) (b) पर अभिलंब के अनुदिश पड़ती हैं। चित्र 9.5 प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन 153 Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 153 30-11-2022 12:10:22 (iv) अवतल दर्पण चित्र 9.6 (a) अथवा उत्तल दर्पण चित्र 9.6 (b) के बिंदु P (दर्पण का ध्वरु ) की ओर मखु ्य अक्ष से तिर्यक दिशा में आपतित किरण, तिर्यक दिशा में ही परावर्तित होती है। आपतित तथा परावर्तित किरणें आपतन बिंदु (बिंदु P) पर मखु ्य (a) (b) अक्ष से समान कोण बनाते हुए परावर्तन चित्र 9.6 के नियमों का पालन करती हैं। याद रखिए कि उपरोक्‍त सभी स्थितियों में परावर्तन के नियमों का पालन होता है। आपतन बिंदु पर आपतित किरण इस प्रकार परावर्तित होती है कि परावर्तन कोण का मान सदैव आपतन कोण के मान के बराबर हो। (a) अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनना चित्र 9.7 (a) से (f) में बिंब की विभिन्न स्थितियों के लिए अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना किरण आरे खों द्वारा दर्शाया गया है। अनंत पर अनंत पर चित्र 9.7 अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना दर्शाने के लिए किरण आरे ख क्रियाकलाप 9.4 „„ सारणी 9.1 में दर्शाई गई बिंब की प्रत्येक स्थिति के लिए स्वच्छ किरण आरे ख खींचिए। „„ प्रतिबिबं का स्थान निर्धारित करने के लिए आप पर्वू अनचु ्छेद में वर्णित कोई दो किरणें ले सकते हैं। 154 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 154 30-11-2022 12:10:22 „„ अपने चित्रों की तुलना चित्र 9.7 में दिए गए चित्रों से कीजिए। „„ प्रत्येक दशा में बनने वाले प्रतिबिंब की प्रकृ ति, स्थिति तथा आपेक्षिक साइज़ का वर्णन कीजिए। „„ अपने परिणामों को सुविधाजनक प्रारूप में सारणीबद्ध कीजिए। अवतल दर्पणों के उपयोग अवतल दर्पणों का उपयोग सामान्यतः टॉर्च, सर्चलाइट तथा वाहनों के अग्रदीपों (headlights) में प्रकाश का शक्‍तिशाली समानांतर किरण पंजु प्राप्‍त करने के लिए किया जाता है। इन्हें प्रायः चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए शेविंग दर्पणों (shaving mirrors) के रूप में उपयोग करते हैं। दंत विशेषज्ञ अवतल दर्पणों का उपयोग मरीजों के दाँतों का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए करते हैं। सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को कें द्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग किया जाता है। (b) उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनना हमने अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनने के बारे में अध्ययन किया है। अब हम उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनने के बारे में अध्ययन करें गे। „„ कोई उत्तल दर्पण लीजिए। इसे एक हाथ में पकड़िए। क्रियाकलाप 9.5 „„ दसू रे हाथ में एक सीधी खड़ी पेंसिल पकड़िए। „„ दर्पण में पेंसिल का प्रतिबिंब देखिए। प्रतिबिंब सीधा है या उलटा? क्या यह छोटा है अथवा विवर्धित (बड़ा) है? „„ पेंसिल को धीरे -धीरे दर्पण से दरू ले जाइए। क्या प्रतिबिबं छोटा होता जाता है या बड़ा होता जाता है? „„ क्रियाकलाप को सावधानीपर्वू क दोहराइए। बताइए कि जब बिंब को दर्पण से दरू ले जाते हैं तो प्रतिबिंब फोकस के निकट आता है अथवा उससे और दरू चला जाता है? उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब का अध्ययन करने के लिए हम बिंब की दो स्थितियों पर विचार करते हैं। पहली स्थिति में बिंब अनंत दरू ी पर है तथा दसू री स्थिति में बिंब दर्पण से एक निश्‍च‍ित दरू ी पर है। बिंब की इन दो स्थितियों के लिए उत्तल दर्पण द्वारा बनाए गए प्रतिबिंबों के किरण आरे खों को क्रमशः चित्र 9.8 (a) तथा 9.8 (b) में दर्शाया गया है। परिणामों का सक्षि ं प्‍त विवरण सारणी 9.2 में दिया गया है। अनंत पर चित्र 9.8 उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनना प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन 155 Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 155 30-11-2022 12:10:22 सारणी 9.2 उत्तल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिंब की प्रकृ ति, स्थिति तथा आपेक्षिक साइज़ बिंब की स्थिति प्रतिबिंब की स्थिति प्रतिबिंब का साइज प्रतिबिंब की प्रकृति अनंत पर फोकस F पर दर्पण अत्यधिक छोटा, आभाषी तथा सीधा के पीछे बिंदु के साइज़ का अनंत तथा दर्पण P तथा F के बीच छोटा आभाषी तथा सीधा के ध्वरु P के बीच अभी तक आपने समतल दर्पण, अवतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनाने के बारे में अध्ययन किया है। इनमें से कौन-सा दर्पण किसी बड़े बिंब का परू ा प्रतिबिंब बनाएगा? आइए एक क्रियाकलाप द्वारा इसका अन्वेषण करें । क्रियाकलाप 9.6 „„ समतल दर्पण में किसी दरू स्थ बिंब जैसे कोई दरू स्थ पेड़ का प्रतिबिंब देखिए। „„ क्या आप पर्णू -लंबाई (full-length) का प्रतिबिंब देख पाते हैं? „„ विभिन्न साइज़ के समतल दर्पण लेकर प्रयोग दोहराइए। क्या आप दर्पण में बिंब का संपर्णू प्रतिबिंब देख पाते हैं? „„ इस क्रियाकलाप को अवतल दर्पण लेकर दोहराइए। क्या यह दर्पण बिंब की परू ी लंबाई का प्रतिबिंब बना पाता है? „„ अब एक उत्तल दर्पण लेकर इस प्रयोग को दोहराइए। क्या आपको सफलता मिली? अपने प्रेक्षणों की कारण सहित व्याख्या कीजिए। आप एक छोटे उत्तल दर्पण में किसी ऊँचे भवन/पेड़ का पर्णू -लंबाई का प्रतिबिंब देख सकते हैं। आगरा किले की एक दीवार में एेसा ही एक दर्पण ताजमहल की ओर लगा हुआ है। यदि आप कभी आगरा किला देखने जाएँ तो दीवार में लगे इस दर्पण में ताजमहल के परू े प्रतिबिंब को देखने का प्रयास करें । मकबरे को स्पष्‍टतः देखने के लिए आपको दीवार से सटी हुई छत पर उचित स्थान पर खड़ा होना होगा। उत्तल दर्पणों के उपयोग उत्तल दर्पणों का उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्‍च-दृश्य (wing) दर्पणों के रूप में किया जाता है। ये दर्पण वाहन के पाश्‍वर् (side) में लगे होते हैं तथा इनमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहनों को देख सकते हैं, जिससे वे सुरक्षित रूप से वाहन चला सकें । उत्तल दर्पणों को इसलिए भी प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि ये सदैव सीधा प्रतिबिं ब बनाते हैं, यद्यपि वह छोटा होता है। इनका दृष्‍टि-क्षेत्र भी बहु त अधिक है, क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं। अतः समतल दर्पण की तुलना में उत्तल दर्पण ड्राइवर को अपने पीछे के बहु त बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ बनाते हैं। 156 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 156 30-11-2022 12:10:22 प्रश्‍न ? 1. अवतल दर्पण के मखु ्य फोकस की परिभाषा लिखिए। 2. एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है। इसकी फोकस दरू ी क्या होगी? 3. उस दर्पण का नाम बताइए, जो बिंब का सीधा तथा आवर्धित प्रतिबिंब बना सके । 4. हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्‍च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं? 9.2.3 गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए चि परिपाटी गोलीय दर्पणों द्वारा प्रकाश के परावर्तन पर विचार करते समय हम एक निश्‍च‍ित चि परिपाटी का पालन करें गे, जिसे नई कार्तीय चि परिपाटी कहते हैं। इस परिपाटी में दर्पण के ध्वरु (P) (चित्र 9.9) को मल ू बिंदु मानते हैं। दर्पण के मखु ्य अक्ष को निर्देशांक पद्धति का x-अक्ष (xx') लिया जाता है। यह परिपाटी निम्नलिखित प्रकार की है— (i) बिंब सदैव दर्पण के बार्इं ओर रखा जाता है। इसका अर्थ है कि दर्पण पर बिंब से प्रकाश बार्इं ओर से आपतित होता है। (ii) मखु ्य अक्ष के समांतर सभी दरू ियाँ दर्पण के ध्वरु बिंब बार्इं ओर आप‍तित प्रकाश M से मापी जाती हैं। की दिशा (iii) मल ू बिंदु के दार्इं ओर (+ x-अक्ष के अनुदिश) A मापी गई सभी दूरियाँ धनात्मक मानी जाती ऊँचाई ऊपर की बार्इं ओर की दरू ी (–) दार्इं ओर की दरू ी (+) हैं, जबकि मल ू ंुबि द के बार्इं ओर (– x-अक्ष ओरओर (+) P के अनुदिश) मापी गई दरू ियाँ ऋणात्मक मानी X' B B' X जाती हैं। ऊँचाई नीचे की ओर (–) (iv) मुख ्य अक्ष के लं ब वत तथा ऊपर की ओर (+ y-अक्ष के अनुदिश) मापी जाने वाली दरू ियाँ धनात्मक मानी जाती हैं। दर्पड N (v) मुख ्य अक्ष के लं ब वत तथा नीचे की ओर चित्र 9.9 गोलीय दर्पणों के लिए नयी कार्तीय चिन्‍ह परिपाटी (– y-अक्ष के अनुदिश) मापी जाने वाली दरू ियाँ ऋणात्मक मानी जाती हैं। ऊपर वर्णित नयी कार्तीय चि परिपाटी आपके संदर्भ के लिए चित्र 9.9 में दर्शाई गई है। यह चि परिपाटी दर्पण का सत्रू प्राप्‍त करने तथा सबं ंधित आकि ं क प्रश्‍नों को हल करने के लिए प्रयुक्‍त की गई है। 9.2.4 दर्पण सत्रू तथा आवर्धन गोलीय दर्पण में इसके ध्वरु से बिंब की दरू ी, बिंब दरू ी (u) कहलाती है। दर्पण के ध्वरु से प्रतिबिंब की दरू ी, प्रतिबिंब दरू ी (v) कहलाती है। आपको पहले ही ज्ञात है कि ध्वरु से मखु ्य फोकस की प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन 157 Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 157 30-11-2022 12:10:23 दरू ी, फोकस दरू ी (f) कहलाती है। इन तीनों राशियों के बीच एक संबंध है, जिसे दर्पण सत्रू द्वारा प्रस्ततु किया जाता है। इस सत्रू को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्‍त करते हैं— 1 1 1 + = v u f  (9.1) यह संबंध सभी प्रकार के गोलीय दर्पणों के लिए तथा बिंब की सभी स्थितियों के लिए मान्य हैं। प्रश्‍नों को हल करते समय, जब आप दर्पण सत्रू में u, v, f तथा R के मान प्रतिस्थापित करें तो आपको नई कार्तीय चि परिपाटी का प्रयोग करना चाहिए। आवर्धन गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन वह आपेक्षिक विस्तार है, जिससे ज्ञात होता है कि कोई प्रतिबिंब बिंब की अपेक्षा कितना गनु ा आवर्धित है। इसे प्रतिबिंब की ऊँचाई तथा बिंब की ऊँचाई के अनपु ात रूप में व्यक्‍त किया जाता है। यदि h बिंब की ऊँचाई हो तथा h' प्रतिबिंब की ऊँचाई हो तो गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन (m) प्राप्‍त होगा। प्रतिबिंब की ऊँचाई (h') m= बिंब की ऊँचाई (h) ' m = hh  (9.2) आवर्धन m बिंब दरू ी (u) तथा प्रतिबिंब दरू ी (v) से भी संबंधित है। इसे व्यक्‍त किया जाता है— ' आवर्धन (m) = hh = – uv  (9.3) ध्यान दीजिए, बिंब की ऊँचाई धनात्मक ली जाती है, क्योंकि बिंब प्रायः मखु ्य अक्ष के ऊपर रखा जाता है। आभासी प्रतिबिबं ों के लिए बिबं की ऊँचाई धनात्मक लेनी चाहिए। तथापि वास्तविक प्रतिबिंबों के लिए इसे ऋणात्मक लेना चाहिए। आवर्धन के मान में ऋणात्मक चिह्न से ज्ञात होता है कि प्रतिबिंब वास्तविक है। आवर्धन के मान में धनात्मक चिह्न बताता है कि प्रतिबिंब आभासी है। उदाहरण 9.1 किसी अॉटोमोबाइल में पीछे का दृश्य देखने के लिए उपयोग होने वाले उत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 3.00 m है। यदि एक बस इस दर्पण से 5.00 m की दरू ी पर स्थित है तो प्रतिबिंब की स्थिति, प्रकृ ति तथा साइज़ ज्ञात कीजिए। हल वक्रता त्रिज्या, R = + 3.00 m; बिंब-दरू ी, u = – 5.00 m; प्रतिबिंब-दरू ी, v = ? 158 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 158 30-11-2022 12:10:23 प्रतिबिंब की ऊँचाई, h' = ? फोकस दरू ी f = R/2 = + 3.002 m = + 1.50 m (क्योंकि उत्तल दर्पण का मखु ्य फ़ोकस दर्पण के पीछे है।) क्योंकि 1v + 1u = 1f या 1v = 1f – 1u = + 1.50 1 – 1 = 1 + 1 (–5.00) 1.50 5.00 = 5.007.50+ 1.50 v = +7.50 6.50 = + 1.15 m प्रतिबिंब दर्पण के पीछे 1.15 m की दरू ी पर है। ' आवर्धन, m = hh = – uv = – –5.00 1.15 m m = + 0.23 प्रतिबिंब आभासी, सीधा तथा साइज़ में बिंब से छोटा (0.23 गनु ा) है। उदाहरण 9.2 कोई 4.0 cm साइज़ का बिंब किसी 15.0 cm फोकस दरू ी के अवतल दर्पण से 25.0 cm दरू ी पर रखा है। दर्पण से कितनी दरू ी पर किसी परदे को रखा जाए कि स्पष्‍ट प्रतिबिंब प्राप्‍त हो? प्रतिबिंब की प्रकृ ति तथा साइज़ ज्ञात कीजिए। हल बिंब-साइज़, h = + 4.0 cm; बिंब-दरू ी, u = – 25.0 cm; फोकस दरू ी f = –15.0 cm; प्रतिबिंब-दरू ी, v = ? प्रतिबिंब-साइज़, h' = ? समीकरण (9.1) से या = या या, v = – 37.5 cm परदे को दर्पण के सामने 37.5 cm दरू ी पर रखना चाहिए। प्रतिबिंब वास्तविक है। प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन 159 Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 159 30-11-2022 12:10:23 इसी प्रकार, आवर्धन, या h' = – = प्रतिबिंब की ऊँचाई, h' = – 6.0 cm प्रतिबिंब उलटा तथा आवर्धित है। प्रश्‍न ? 1. उस उत्तल दर्पण की फोकस दरू ी ज्ञात कीजिए, जिसकी वक्रता-त्रिज्या 32 cm है। 2. कोई अवतल दर्पण आमने-सामने 10 cm दरू ी पर रखे किसी बिंब का तीन गणु ा आवर्धित (बड़ा) वास्तविक प्रतिबिंब बनाता है। प्रतिबिंब दर्पण से कितनी दरू ी पर है। 9.3 प्रकाश का अपवर्तन किसी पारदर्शी माध्यम में प्रकाश सरल रे खा में गमन करता प्रतीत होता है। जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दसू रे में प्रवेश करता है तो क्या होता है? क्या यह अब भी सरल रे खा में चलता है या अपनी दिशा बदलता है? हम अपने दिन-प्रतिदिन के कुछ अनभु वों को दोहराएँगे। आपने देखा होगा कि पानी से भरे किसी टैंक अथवा ताल या पोखर की तली उठी हुई प्रतीत होती है। इसी प्रकार, जब कोई मोटा काँच का स्लैब (सिल्ली) किसी मुद्रित सामग्री पर रखा जाता है, तो काँच के स्लैब के ऊपर से देखने पर अक्षर उठे हुए प्रतीत होते हैं। एेसा क्यों होता है? क्या आपने किसी काँच के बर्तन में रखे पानी में किसी पेंसिल को आशं िक रूप से डूबे देखा है? यह वायु तथा पानी के अतं रपृष्‍ठ पर (अर्थात पानी की ऊपरी सतह पर) टेढ़ी प्रतीत होती है। आपने देखा होगा कि पानी से भरे किसी काँच के बर्तन में रखे नींबू पाश्‍वर् (side) से देखने पर अपने वास्तविक साइज़ से बड़े प्रतीत होते हैं। इन अनभु वों की व्याख्या आप किस प्रकार करें गे? आइए, पानी में आंशिक रूप से डूबी पेंसिल के मुड़े होने की घटना पर विचार करें । पेंसिल के पानी में डूबे भाग से आपके पास पहुँचने वाला प्रकाश, पेंसिल के पानी से बाहर के भाग की तुलना में भिन्न दिशा से आता हुआ प्रतीत होता है। इसी कारण पेंसिल मुड़ी हुई प्रतीत होती है। इन्ही कारणों से, जब अक्षरों के ऊपर काँच का स्लैब रखकर देखते हैं तो वे उठे हुए प्रतीत होते हैं। यदि पानी के स्थान पर हम कोई अन्य द्रव जैसे किरोसिन या तारपीन का तेल प्रयोग करें , क्या तब भी पेंसिल उतनी ही मड़ु ी हुई दिखेगी? यदि हम काँच के स्लैब को पारदर्शी प्लास्टिक के स्लैब से प्रतिस्थापित कर दें, क्या तब भी अक्षर उसी ऊँचाई तक उठे प्रतीत होंगे? आप देखगें े कि अलग-अलग माध्यमों के युग्मों के लिए इन प्रभावों का विस्तार अलग-अलग है। ये प्रेक्षण सचित ू 160 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 160 30-11-2022 12:10:23 करते हैं कि प्रकाश सभी माध्यमों में एक ही दिशा में गमन नहीं करता। एेसा प्रतीत होता है कि जब प्रकाश एक माध्यम से दसू रे माध्यम में तिरछा होकर जाता है तो दसू रे माध्यम में इसके सचं रण की दिशा परिवर्तित हो जाती है। इस परिघटना को विस्तार से कुछ क्रियाकलाप करके समझें। क्रियाकलाप 9.7 „„ पानी से भरी एक बाल्टी की तली पर एक सिक्का रखिए। „„ अपनी आँख को पानी के ऊपर, किसी पाश्‍वर् (side) में रखकर सिक्के को एक बार में उठाने का प्रयत्न कीजिए। क्या आप सिक्का उठाने में सफल हो पाते हैं? „„ इस क्रियाकलाप को दोहराइए। आप इसे एक बार में करने में क्यों सफल नहीं हो पाए थे? „„ अपने मित्रों से इसे करने के लिए कहिए। उनके साथ अपने अनभु व की तुलना कीजिए। क्रियाकलाप 9.8 „„ किसी मेज़ पर एक बड़ा उथला कटोरा रखकर उसकी तली में एक सिक्का रखिए। „„ कटोरे से धीरे -धीरे दरू हटिए। जब सिक्का ठीक दिखाई देना बंद हो जाए तो रुक जाइए। „„ अपने मित्र से सिक्के को विक्बषु ्ध किए बगैर कटोरे में पानी डालने को कहिए। „„ अपनी स्थिति से सिक्के को देखते रहिए। क्या सिक्का उसी स्थिति से पनु ः दिखाई देने लगता है? यह कै से संभव हो पाता है? कटोरे में पानी डालने पर सिक्का फिर से दिखलाई देने लगता है। प्रकाश के अपवर्तन के कारण सिक्का अपनी वास्तविक स्थिति से थोड़ा-सा ऊपर उठा हुआ प्रतीत होता है। क्रियाकलाप 9.9 „„ मेज़ पर रखे एक सफ़े द कागज़ की शीट पर एक मोटी सीधी रे खा खींचिए। „„ इस रे खा के ऊपर एक काँच का स्लैब इस प्रकार रखिए कि इसकी एक कोर इस रे खा से कोई कोण बनाए। „„ स्लैब के नीचे आए रे खा के भाग को पाश्‍वर् (side) से देखिए। आप क्या देखते हैं? क्या काँच के स्लैब के नीचे की रे खा कोरों (edges) के पास मड़ु ी हुई प्रतीत होती है? „„ अब काँच के स्लैब को इस प्रकार रखिए कि यह रे खा के अभिलंबवत हो। अब आप क्या देखते हैं? क्या काँच के स्लैब के नीचे रे खा का भाग मड़ु ा हुआ प्रतीत होता है? „„ रे खा को काँच के स्लैब के ऊपर से देखिए। क्या स्लैब के नीचे रे खा का भाग उठा हुआ प्रतीत होता है? एेसा क्यों होता है? 9.3.1 काँच के आयताकार स्लैब से अपवर्तन काँ च के स्लैब से प्रकाश के अपवर्तन की परिघटना को समझने के लिए आइए, एक क्रियाकलाप करें । प्रकाश – परावर्तन तथा अपवर्तन 161 Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 161 30-11-2022 12:10:23 क्रियाकलाप 9.10 „„ एक ड्राइगं बोर्ड पर सफ़े द कागज़ की एक शीट, ड्राइगं पिनों की सहायता से लगाइए। „„ शीट के ऊपर बीच में काँंच का एक आयताकार स्लैब रखिए। „„ पेंसिल से स्लैब की रूपरे खा खींचिए। इस रूपरे खा का नाम ABCD रखते हैं। „„ चार एकसमान अॉलपिन लीजिए। „„ दो पिनें, मान लीजिए E तथा F ऊर्ध्वाधरतः इस प्रकार लगाइए कि पिनों को मिलाने वाली रे खा कोर AB से कोई कोण बनाती हुई हो। „„ पिन E तथा F के प्रतिबिंबों को विपरीत फलक से देखिए। दसू री दो पिनों, माना G तथा H, को इस प्रकार लगाइए कि ये पिनें एवं E तथा F के प्रतिबिंब एक सीधी रे खा पर स्थित हों। „„ पिनों तथा स्लैब को हटाइए। „„ पिनों E तथा F की नोकों (tip) की स्थितियों को मिलाइए तथा इस रे खा को AB तक बढ़ाइए। मान लीजिए EF, AB से बिंदु O पर मिलती है। इसी प्रकार पिनों G तथा H की नोकों की स्थितियों को मिलाइए तथा इस रे खा को कोर CD तक बढ़ाइए। मान लीजिए HG, CD से O' पर मिलती है। „„ O तथा O' को मिलाइए। EF को भी P तक बढ़ाइए, जैसा कि चित्र 9.10 में बिंदुकित रे खा द्वारा दर्शाया गया है। इस क्रियाकलाप में आप नोट करें गे कि प्रकाश किरण ने अपनी दिशा बिंदओ ु ं O तथा O' पर परिवर्तित की है। नोट कीजिए कि दोनों बिंदु O तथा O' दोनों पारदर्शी माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्‍ठों वायु पर स्थित हैं। AB के बिंदु O पर एक अभिलंब NN' खींचिए तथा काँच दसू रा अभिलंब MM', CD के बिंदु O' पर खीचिए। बिंदु O पर प्रकाश किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में अर्थात वायु से काँच काँच का स्लैब में प्रवेश कर रही है। नोट कीजिए कि प्रकाश किरण अभिलंब की ओर झक ु जाती है। O' पर, प्रकाश किरण ने काँंच से वायु में अर्थात सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश किया है। प्रकाश किरण अभिलंब से दरू मड़ु जाती है। दोनों अपवर्तक सतहों AB तथा CD वायु पर आपतन कोण तथा अपवर्तन कोण के मानों की तुलना कीजिए। चित्र 9.10 में सतह AB पर एक किरण EP तिरछी आपतित है, चित्र 9.10 आयताकार काँच के स्लैब से प्रकाश का अपवर्तन जिसे आपतित किरण कहते हैं। OO' अपवर्तित किरण है तथा O'H निर्गत किरण है। आप देख सकते हैं कि निर्गत किरण, आपतित किरण की दिशा के समानांतर है। एेसा क्यों होता है? आयाताकार काँच के स्लैब के विपरीत फलकों AB (वायु-काँच अतं रापृष्‍ठ) तथा CD (काँच-वायु अतंरापृष्‍ठ) पर प्रकाश किरण के मड़ु ने का परिमाण समान तथा विपरीत है। इसी कारण से निर्गत किरण, आपतित किरण के समानांतर निकलती है। तथापि, प्रकाश किरण में थोड़ा सा पा श्‍वक विस्थापन होता है। यदि प्रकाश किरण दो माध्यमों के अतं रापृष्‍ठ पर अभिलंबवत आपतित हो तब क्या होगा? स्वयं करके ज्ञात कीजिए। 162 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 9.indd 162 30-11-2022 12:10:23 अब आप प्रकाश के अपवर्तन से परिचित हैं। अपवर्तन प्रकाश के एक पारदर्शी माध्यम से दसू रे में प्रवेश करने पर प्रकाश की चाल में परिवर्तन के कारण होता है। प्रयोग दर्शाते हैं कि प्रकाश का अपवर्तन निश्‍च‍ित नियमों के आधार पर होता है। परावर्तन के नियम निम्नलिखित हैं— (i) आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों को पृथक् करने वाले पृष्‍ठ के आपतन बिंदु पर अभिलंब सभी एक ही तल में होते हैं। (ii) प्रकाश के किसी निश्‍च‍ित रंग तथा निश्‍च‍ित माध्यमों के यगु ्म के लिए आपतन कोण की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (sine) का अनपु ात स्थिर होता है। इस नियम को स्नेल का अपवर्तन का नियम भी कहते हैं। (यह कोण 0o

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