पादप जैव प्रौद्योगिकी PDF

Summary

यह दस्तावेज़ पादप जैव प्रौद्योगिकी, पादप ऊतक संवर्धन और आनुवंशिक इंजीनियरिंग के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालता है। यह विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों और क्रिया-क्षेत्रों और पादप प्रजनन सुधार में उनके महत्व पर चर्चा करता है।

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# पादप जैव प्रौद्योगिकी (Plant Biotechnology) ## अध्याय 1: पादप जैव प्रौद्योगिकी की अवधारणा (Concepts of Plant Biotechnology) - **जैव प्रौद्योगिकी** (biotechnology) शब्द हंगेरियन इंजीनियर कार्ल इरेकी ने 1919 में दिया। - यह शब्द biology और technology के मिलने से बना है। - जैव प्रौद्योगिकी की प्रक...

# पादप जैव प्रौद्योगिकी (Plant Biotechnology) ## अध्याय 1: पादप जैव प्रौद्योगिकी की अवधारणा (Concepts of Plant Biotechnology) - **जैव प्रौद्योगिकी** (biotechnology) शब्द हंगेरियन इंजीनियर कार्ल इरेकी ने 1919 में दिया। - यह शब्द biology और technology के मिलने से बना है। - जैव प्रौद्योगिकी की प्रकृति बहुविभागीय (multi disciplinary) है, जिसमें आधारभूत विज्ञान और इन्जीनियरिंग के अनेकों विभाग शामिल हैं। - जैव प्रौद्योगिकी में विज्ञान के मुख्य रूप से सूक्ष्म जीव विज्ञान (microbioloyg), जैव रसायन (biochemistry), रसायन विज्ञान, आनुवांशिकी, आण्विक विज्ञान, प्रतिरक्षा विज्ञान (immunology), और दैहिकी विज्ञान आतें हैं। - इन्जीनियरिंग के दृष्टिकोण से सूक्ष्मजीवों (microorganisms) और कोशिकाओं के बहुगुणन और संसाधन (processing) आदि के लिए रसायन इंजीनियरिंग और जैव रसायन इंजीनियरिंग महत्वपूर्ण है। - विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धान्तों के उपयोग से जैविक कारकों द्वारा पदार्थों को संसाधित करके उत्पाद और सेवा प्रदान करना जैवप्रौद्योगिकी कहलाता है। - यूरोपियन फेडरेशन ऑफ बायोटेक्नोलाजी 1981 ने जैव प्रौद्योगिकी की परिभाषा दी: "सूक्ष्मजीवों (microbes) और संवर्धित ऊतक कोशिकाओं की क्षमताओं का तकनीकी उपयोग प्राप्त करने के लिए जैव रसायन (biochemistry), सूक्ष्म जैविकी (microbiology) और रासायनिक इंजीनियरिंग का समाकलित (integrated) उपयोग जैव प्रौद्योगिकी कहलाता है । - यद्यपि जैव प्रौद्योगिकी शब्द आधुनिक है लेकिन यह अनुभाग स्वयं में पुराना है क्योंकि मनुष्य 5000 ई०पू० से ही सूक्ष्म जीवों की सहायता से शराब, सिरका, दही आदि का उत्पादन करता रहा है। - ऐसी सभी प्रक्रियायें व इनसे बने उत्पाद जो कि सूक्ष्मजीवों की प्राकृतिक क्षमताओं पर आधारित हैं। प्राचीन जैव प्रौद्योगिकी के रूप में जाने जाते हैं। - जन्तुओं व पादप कोशिकाओं और इनके घटकों व सूक्ष्मजीवों से ऊतक संवर्धन द्वारा व पुर्नयोगज तकनीकी या अनुवांशिक इंजीनियरी द्वारा लाभदायक उत्पाद कृत्रिम तरीके से उत्पन्न करना नवीन जैव प्रौद्योगिकी कहलाता है। - पुर्नयोगज तकनीकी या आनुवांशिक इंजीनीयरी द्वारा सूक्ष्मजीवों जीवों और अन्य जीवों में रूपान्तरण करके इनमें उच्च मूल्यवान व नयी क्षमतायें उत्पन्न की गयी हैं। ## अध्याय 2: पादप ऊतक संवर्धन व आनुवंशिक इंजीनियरी का इतिहास (History of Plant Tissue Culture and Genetic Engineering) | वर्ष | वैज्ञानिक | योगदान | |---|---|---| | 1901 | मॉर्गन | टोटीपोटेन्सी शब्द का प्रयोग | | 1902 | हैबरलैंड | पादप ऊतक संवर्धन का प्रथम प्रयास | | 1904 | हैनिंग | पादप ऊतक संवर्धन का प्रथम प्रयास, परखनली में भ्रूण को उगाने का प्रयास | | 1922 | क्नाडसन | ऑर्किड के बीजों का असिम्बायोटिक अंकुरण | | 1922 | रॉबिन्स | जड़ के शीर्ष का संवर्धन | | 1925 | लाइबेच | भ्रूण कल्चर तकनीक का उपयोग, इन्टरस्पीसीज़ क्रॉस | | 1934 | गौथरेट | कुछ वृक्षों और झाड़ियों से कैम्बियल ऊतक का संवर्धन | | 1934 | व्हाइट | टमाटर की जड़ों का सफल संवर्धन| | 1939 | गौथरेट, नोबकौरट व्हाइट | लगातार बढ़ते हुए कैलस कल्चर का सफल स्थापना | | 1940 | गौथरेट | उल्मुस के कैम्बियल ऊतकों का संवर्धन | | 1941 | वैन ओवरेक | नारियल पानी में कोशिका विभाजन कारक का उपयोग | | 1941 | ब्राउन | क्रॉउन गैल ऊतकों का संवर्धन | | 1944 | स्कूग | तंबाकू में अपस्थानिक प्ररोह का संवर्धन | | 1946 | बॉल | लूपिनस और ट्राईपोलम के संवर्धन से पूर्ण पौधे | | 1950 | बॉल | सिक्वियोआ सेम्पेरवीरेंसस से ऊतकों से अंगों का पुर्नजनन | ## अध्याय 3: पादप जैव प्रौद्योगिकी व पादप आनुवंशिक इंजीनियरी का क्रिया क्षेत्र व फसल सुधार में महत्व (Scope and Importance of Plant Biotechnology and Plant Genetic Engineering) - पादप जैव प्रौद्योगिकी (plant bio technology) के क्रिया-क्षेत्र (scope) का विस्तार मानव कल्याण के लिए खाद्य-संसाधन (food processing) से लेकर पर्यावरण नियंत्रण (environment protection), मानव स्वास्थ्य, रोजगार, उत्पादन एवं व्यापार के नये-नये अवसर पैदा करने तक है। - पादप जैव प्रौद्योगिकी का क्रिया-क्षेत्र (Scope) की सीमा स्वयं मानव ज्ञान, कल्पना एवं विवेक की सीमाओं पर निर्भर होगा। ### पादप ऊतक संवर्धन का फसल सुधार में महत्व (Importance of Plant Tissue Culture in Crop Improvement) - शस्य उन्नति में पादप ऊतक संवर्धन के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं से समझ सकते हैं- - सूक्ष्म प्रवर्धन द्वारा नये पौधों का बहुगुणन काफी शीघ्रता से अधिकतम दर पर किया जाता है जों कि यह बहुगुणन परम्परागत प्रवर्धन द्वारा कठिन है। - कुछ बहुवर्षीय फसलीय पौधें जैसे अलंकृत और फल फसलों का प्रसारण बीज से नहीं किया जा सकता। वानस्पतिक प्रसारण जैसे ग्राफटिंग, बडिंग काफी श्रमशील और समय लेने वाला होता है। ऐसी सभी फसलो में सूक्ष्म प्रवर्धन शीघ्र बहुगुणन के लिए सहायक होता है। - कायिक क्लोनीय विविधता द्वारा वांछनीय लक्षणों जैसे- जैव रसायन उत्परिवर्तितों और जैविक (पेस्ट और रोग) और अजैविक (लवण, शुष्कता, शीत आदि) दबावों, के लिए पात्रे उत्परिवर्तों का विलगन किया जाता है। - छोटे क्षेत्र में अधिकतम कोशिकाओं का चयन। - पर-परागित फसलों जैसे- धनिया, यूकेलिप्टस, नारियल तेल ताड सत्य प्रकार के पौधे उत्पन्न नहीं करते जब इनका बहुगुणन बीज द्वारा किया जाता है। ऊतक संवर्धन तकनीकी द्वारा आनुवंशिक रूप से समान पौधे उत्पन्न किये जा सकते हैं। - अनेक उद्यानीय फसलों के मामले में जैसे-आर्किड आदि के बीज सामान्य दशाओं में अंकुरित नहीं होते हैं। इस प्रकार के बीजों को पात्रे दशाओं में उचित वातावरण प्रदान करके अंकुरित कराया जाता है। - कुछ वृक्षों में पुष्पन नहीं होता है या पुष्पन देरी से होता है। जैसे- बाँस में इसके 50 वर्ष के जीवन में केवल एक बार पुष्पन होता है। ऐसे वृक्षों में ऊतक संवर्धन द्वारा पुष्पन प्रेरण किया जा सकता है। - मेरिस्टेम कल्चर द्वारा वायरस मुक्त पौधे उत्पन्न किये जा सकते हैं। - जननद्रव्य (germplasm) की अधिकतम मात्रा कम स्थान में, कम लागत पर लम्बी अवधि के लिए निम्न तापमान पर पात्रे तकनीकी द्वारा संग्रह किया जा सकता है। कोशिकाओं ऊतकों, अंगों का तरल नाइट्रोजन में - 196°C पर परिरक्षण किया जाता है। - ऊतक संवर्धन की रोमीय मूल संवर्धन तकनीकी द्वारा द्वितीयक उपापचयज जैसे- कैफीन coffea arabica और निकोटिन (Nicotine) का (Nicotiana rustica) से उत्पादन। - पादप ऊतक संवर्धन का उपयोग जैव रसायन मार्ग और जीन नियमन के लिए किया जाता है। - परागकोष (anther) और पराग (pollen) संवर्धन का उपयोग अगुणितों (haploids) के उत्पादन के लिए किया जाता है और इन अगुणितों में गुणसूत्रों का द्विगुणन (doubling) कोल्चीसीन के उपचार से करके समयुग्मजी द्विगुणित (homozygous diploid) उत्पन्न किये जाते हैं जिन्हें द्विअगुणित (dihaplaid) कहते हैं। - अनेक फल वृक्षों और वानस्पतिक प्रसारित पौधों के मामले में जहाँ बीज का आर्थिक महत्व नहीं होता है, में भ्रूणपोष संवर्धन द्वारा त्रिगुणित (triploid) उत्पन्न किये जाते हैं। - अन्र्तजातीय (interspecific) और अन्र्त्तवंशीय (intergeneric) संकर (hybrids) का उत्पादन भ्रूण सुरक्षा (embro rescue) तकनीकी द्वारा किया जाता है। जो कि परम्परागत विधि द्वारा सम्भव नहीं है। ऐसे संकरणों (crosses) में पात्रे निषेचन (in-vitro fertilization) पूर्व निषेचन (pre-fertilization) रूकावटों को दूर करता है जबकि भ्रूण सुरक्षा (embryo rescue) तकनीकी पश्च निषेचन (post fertilization) रूकावटों को दूर करता है। - कायिक संकर (somatic hybrids) और साइब्रिड (cybrid) का उत्पादन प्रोटोप्लास्ट फ्यूजन या कायिक सकरण (somatic hybridization) द्वारा किया जाता है। - अन्डाश्य संवर्धन (ovary culture) फल विकास की दैहिकी (physiology) को समझने में सहायक होता है। ### जैनेटिक इंजीनियरिंग का फसल सुधार में महत्व (Importance of Genetic Engineering in Crop Improvement) - जैनेटिक इंजीनियरी के द्वारा फसल सुधार के लिए पसलों की पराजीनी किस्में (transgenic varieties) या पराजीनी पौधे विकसति किये गये हैं। - Cry जीन को जीवाणु बेसीलस थ्यूरेनजेनेसिस की स्पीसीज कुरस्टाकी से तम्बाकू, टमाटर, आलू, कपास, चावल, और मक्का में लपिडोप्टेरा गण के कीटों के प्रति रोधिता उत्पन्न करने के लिए स्थानान्तरित किया गया है। - जैनेटिक इंजीनियरिंग के द्वारा विकसित कीटरोधी, पराजीनी किस्में जैसे कपास की बोलगार्ड, मक्का की मैक्सीमाइजर और ईल्डगार्ड, आलू की न्यूलीफ ऑफ पोटेटो अमेरिका में विमोचित की गई हैं। - जैनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी (GEAC) दिल्ली द्वारा 4 मार्च, 2005 को Bt कपास की छः किस्मों को फसलों में उगाने के लिए मान्यता दी है। - bar जीन का जीवाणु स्ट्रोप्टोमाइसेज से अलग करके पौधों में प्रवेश कराया गया है जो कि फोस्फीनोश्रीसिन आधारित शाकनाशियों के प्रति पौधों में रोधिता उत्पन्न करता है। जीन bxn जीवाणु क्लीबसोइला ओजेनिया से अलग करके पौधों में प्रवेश कराया करता है जो कि नाइट्रीलेज एन्जाइम उत्पन्न करता है और यह एन्जाइम शाकनाशी ब्रोमोक्सीनिल के लिए रोधिता उत्पन्न करता है। - उत्परिवर्ती aro A जीन जीवाणु सालगोनेला टिफीमुरियम से पौधों में प्रवेश कराया गया है जा कि ग्लाइफोसेट शाकनाशी के लिए रोधिता उत्पन्न करता हैं। सोयाबीन की राउन्ड अप रैडी तथा कपास की राउन्ड अप रैडी किस्म ग्लाइफोसेट के लिए रोधी है। - तम्बाकू मौजैक वायरस के आवरण प्रोटीन जीन को तम्बाकू के पौधे में प्रवेश कराकर पराजीनी पौधें उत्पन्न किये गये हैं जो कि तम्बाकू मोजेक वायरस के लिए रोधी है। - दो जीन काइटीनेज और ग्लूकेनेज को तम्बाकू और टमाटर के पौधों में प्रवेश कराया गया है जो कि कवक संक्रमण के लिए रोधिता उत्पन्न करते हैं। ## अध्याय 4: पादप ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला (Plant Tissue Culture Laboratory) - पादप ऊतक संवर्धन के लिए प्रयोगशाला की स्थापना अनुसंधान कार्य की प्रकृति और धन की उपलब्धता पर निर्भर है। - एक आधारभूत ऊतक संवर्धन प्रयोगशाला में निम्नलिखित आवश्यक सुविधायें होनी चाहिए। - धुलाई व संग्रह सुविधायें - माध्यम तैयार करने के लिए, निर्जमीकरण और संग्रहकक्ष - निर्जमित बहुगुणन के लिए स्थानान्तरण क्षेत्र - संवर्धन कक्ष (Culture room) या संवर्धन के सरंक्षण के लिए तापमान, प्रकाश आद्रता की नियंत्रित दशाओं में इन्कूबेटर। - निरीक्षण या आँकड़ें संग्रहित क्षेत्र ### धुलाई व संग्रह सुविधायें - धुलाई व संग्रह की सुविधाओं के लिए मुख्यतः बड़े सिंको (sinks) वाला क्षेत्र होना चाहिए। - जिसमें बहते हुए पानी की सुविधा और रैक होनी चाहिए जिसमें डी-आयोनाइज्ड सुविधा हो तथा आसुत (distilled) और दोहरा आसुत (double distilled) जल के उपकरण लगें हों। - शुष्क ओवन (dry oven) धुलाई मशीनों, प्लास्टिक व स्टील की टोकरी अम्लीय (acid) या डिटरजेन्ट धुलाई की सुविधा, पिपेटों को धुलाई की सुविधा, सफाई व सुखाई के ब्रुश। - धुलाई वाला क्षेत्र धूलरहित (dust proof) कप-बोर्ड व संग्रह केबिनेट वाला होना चाहिए। - गर्म व ठंडे जल बहाव की सुविधा सहित बेकार जल (waste water) को बाहर निकालने की व्यवस्था हानी चाहिए। - किसी भी अपशिष्ट (waste) को नष्ट की व्यस्था अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार होना चाहिए जिससे स्वास्थ्य जोखिमों व वातावरणीय संकटों से बचाव हो सके। ### माध्यम तैयार कक्ष (Media Preparation Room) - कक्ष में रसायनों, प्रयोगशाला के संसाधन (labwares) संवर्धन पात्रों के संग्रह के लिए सुविधाओं सहित माध्यम तैयार करने के लिए आवश्यक उपकरण होने चाहिए। - हॉट प्लेट्स या स्टाइररस् (Stirrers) pH मीटर, तुला (जैसे toploading balance, 0.001-400.00g, semi-microbalance,0-00001-160-0g), जल धुलाई संयत्र (water baths) और बुनसेन बर्नर (bunsen burner) की व्यवस्था गैस के स्रोतों सहित होनी चाहिएं एक माइक्रोवेव ओवन,ऑटोक्लेव, प्रेसर कुकर (माध्यम निर्जमीकरण के लिए) संवर्धन पात्र और माध्यम तैयार करने के लिए आवश्यक उपकरण, निर्वात स्रोत, शीतक (refrigerator) और फ्रीजर (freezer) रसायनों और माध्यम स्टोक के संग्रह के लिए। ### निर्जमित बहुगुणन के लिए स्थानान्तरण क्षेत्र - साधारण प्रकार का स्थानान्तरण क्षेत्र एक बन्द प्लास्टिक बॉक्स (ग्लोव बॉक्स) होता है जो कि अल्ट्रावॉयलेट लाइट (UV) प्रकाश से निर्जमित किया जाता है। - जब कार्य करना है तो इसके फर्श को 95% एल्कोहल से पौंछा जाता है। - साधारणतः एक लकड़ी का हुड या बॉक्स भी ऊतक संवर्धन कार्य के लिए उपयोग किया जा सकता है। - इस हुड में काँच या प्लास्टिक की खिड़कियाँ (doors) खोलने और सरकाने के लिए लगी होती हैं। - खिड़कियाँ डस्ट प्रूफ होनी चाहिए तथा कक्ष वायुअवरूद्ध (air conditioned) होना चाहिए और इसमें विद्युत, गैस कम्प्रेस्ड (gas compressed) हवा व वातन की सुविधा होनी चाहिए। - लैमिनार फ्लो कैबिनेट विभिन्न आकार व आकृति के व्यापारिक रूप से उपलब्ध हैं। - इस प्रकार के कैबिनेट का सैद्धान्तिक लाभ यह है कि हवा का बहाव इस कैबिनेट में स्प्रिट लैम्प के या बुनसेन बर्नर के उपयोग में बाधा नहीं पहुँचाता है। - यह कैबिनेट एक सामान्य प्रयोगशाला मे कम स्थान घेरता है ऐसी जलवायुवीय दशायें जहाँ उष्ण व उपोष्ण जलवायु है जहाँ पर इस कैबिनेट को दोहरा दरवाजें (double doors) सर्वर्धन कक्षों में रखा जाता है जिससे इसका फिल्टर लम्बी अवधि तक प्रभावशाली रूप से कार्य कर सके एक महत्वपूर्ण सावधानी यह है कि लैमीनार फ्लो कैबिनेट को उन खिडकियों या दरवाजे के सामने नहीं रखना चाहिए जिसका उपयोग निरन्तर होता है। ### संवर्धन कक्ष (Culture Room) - संवर्धन कक्ष में निम्नलिखित सुविधायें होनी चाहिए - - नियंत्रित तापमान (सामान्यतः 25° ±2°C एयरकन्डीशनर और हीटर्स की सहायता से) कुछ मामलों में अधिक या कम तापमान भी वांछनीय है। - कल्चर रैक जिनमें प्रकाश व्यवस्थित हो (सामान्यतः 1000 लक्स या कम प्रकाश फ्लूरीसेंट ट्यब द्वारा प्रकाशित) प्रकाश काल के नियमन के लिए स्वचालित टाइमर्स उपयोग किये जा सकते हैं। - तरल संवर्धनों के लिए हलित्र (shaker) जनरेटर सेट की व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि जब संवर्धन कक्षा में प्रयोग चल रहा होता है उस समय विद्युत सप्लाई निरन्तर बनी रहे। ### निरीक्षण या आँकड़ें संग्रहित क्षेत्र - नियंत्रित वातावरणीय दशाओं में सवंर्धन कक्षों में संवर्धनों (cultures) का नियमित समय अन्तराल पर निरीक्षण किया जाता है। - और कल्चर वृद्धि सम्बन्धी आँकड़े संग्रहित किये जाते हैं। ### रोपण क्षेत्र (Transplantation Area) - जो पौधे पात्रे ऊतक संवर्धन से विकसित होते हैं उनको गमलों में मृदा में रोपित किया जाता है गमलों से पौधों को अन्ततः ग्रीन हाउस या वृद्धि कैबिनेट में रोपित किया जाता है और वहाँ निरीक्षत किया जाता है, जहाँ पर प्रकाश, ताप और आर्द्रता की नियंत्रित व्यवस्थायें होती है। - उच्च आद्रता के लिए फोगिंग (fogging) अपनाया जाता है। - गर्मियों में पंखों से कूलिंग सिस्टम और सर्दियों में हीटिंग सिस्टम अपनाया जाता है - यह रोपण क्षेत्र प्रयोगशाला के पास ही होता है। ## अध्याय 5: ऊतक संवर्धन में उपयोग की जाने वाली विभिन्न निर्जमीकरण तकनीकियाँ (Sterilization techniques used in Plant Tissue Culture) - पादप ऊत्तकों या अंगो के सफलतम संवर्धन के लिए सूक्ष्मजीवों (micro-organisms) को हटाना और निर्जमीकृत दशाओं का अनुरक्षण करने की प्रक्रिया निर्जमीकरण तकनीकी कहलाती हैं। - विभिन्न निर्जमीकरण तकनीकियाँ निम्नलिखित हैं- - उष्ण उष्मा निर्जमीकरण (Dry heat sterilization) - नम उष्मा निर्जमीकरण (Wet heat sterilization) या ओटोक्लेवन भाप निर्जमीकरण (Autoclaving steam sterilization) - अल्ट्रा फिल्ट्रेशन या फिल्टर निर्जमीकरण (Ultra filteration sterilization) - अल्ट्रावायोलेट निर्जमीकरण (Ultraviolet sterilization) - ज्वाला निर्जमीकरण (Flame sterilization) - रसायन या सतही निर्जमीकरण (Chemical and surface sterilization) ### उष्ण उष्मा निर्जमीकरण - खाली काँच के उपकरण (संवर्धन पात्र, पेट्रीडिश आदि), प्लास्टिक उपकरण (टेफ्लॉन), धातु के औजार (चाकू, चिमटी, सूईयाँ आदि), एल्यूमिनियम फाइल, कागज उत्पाद (paper products) को गर्म हवा ओवन (hot air oven) में 2-4 घंटे के लिए 160°C से 180°C की उष्ण हवा उपचार से निर्जमीकृत करते हैं। ### नम उष्मा निर्जमीकरण - एक ऑटोक्लेव में उच्च भाप उष्मा द्वारा उच्च दबाब में जल वाष्प से निर्जमीकरण किया जाता है। - सामान्यतः ऊतक संवर्धन माध्यम काँच के पात्रों में रुई (cotton) के प्लगों से या एल्यूमिनियम फाइल के प्लगों से या प्लास्टिक के ढक्कनों से सील करके 15 प्रतिवर्ग इंच (psi) के दबाव व 121°C से पर 15-20 मिनट के लिए ऑटोक्लेवन करते हैं। ### अल्ट्रा फिल्ट्रेशन या फिल्टर निर्जमीकरण - विटामिन्स, अमीनों अम्लों, पादप निथार (plants extracts) हारमोन्स, वृद्धि नियामक ताप अस्थिर (thermolabile) होते हैं और ओटोक्लेवन के दौरान समाप्त हो जाते हैं। - ऐसे रसायनों को धनात्मक दबाब में एक जीवाणु अवरूद्ध झिल्ली (bacterial proof membrane) फिल्टर से गुजार कर फिल्टर निर्जमीकृत किया जाता है। - फिल्टर निर्जमीकरण के लिए एक मिली पोर फिल्टर जिसके छिद्र (pore) 0-2µ से अधिक आकार के न हों का सामान्यतः उपयोग किया जाता है। - ताप अस्थिर फिल्टर निर्जमीकृत यौगिकों (components) को 40°C तक ठंडा करके ऑटोक्लेव माध्यम में मिलाया जाता है। ### अल्ट्रावायोलेट निर्जमीकरण - यू०वी० प्रकाश (UV Light) संरोपण प्रकोष्ठ (incolutation chamber) के अन्दर वाले भाग (interior portion) को निर्जमीकृत करता है और वातावरणीय संदूषण हटाता है। - पोष माध्यम, समाप्त किये जाने वाले प्लास्टिक के उपकरण जो कि ऊतक संवर्धन में उपयोग किये जाते हैं, को यू०वी० प्रकाश से निर्जमीकृत किया जाता है। ### ज्वाला निर्जमीकरण - धातु के उपकरण जैसे चिमटी चाकू, सूईयाँ, स्पेचुला को 95% एल्कोहल में डुबाते हैं। - इनके ऊपर आग जलाते हैं फिर ठंडा करते है। - संवर्धन पात्रों (culture vessels) के मुँह को संरोपण या उपकल्चर से पहले ज्वाला से उपचारित किया जाता है। ### रसायन या सतही निर्जमीकरण - कर्तोंत्तक (explant) संवर्धन पात्र के पोष माध्यम में स्थानान्तरित करने से पूर्व इसको उचित निर्जमीकृत कारक से इसकी सतह पर स्थित सूक्ष्मजीवाणुओं को निष्क्रिय करने के लिए उपचारित करते हैं। - सतही निर्जमीकरण के लिए निम्नलिखित रसायनों का उपयोग किया जाता है- - मरक्यूरिक क्लोराइड 0.1% 3 से 10 मिनट के लिए - ब्रोमीन जल 1% 2 से 10 मिनट के लिए - कैल्शियम हाइपोक्लोराइट 5% 20 मिनट के लिए - सोडियम हाइपोक्लोराइट 0.5% से 1% 15 मिनट के लिए - क्लोरेमिन्स 10-20% 20 से 30 मिनट के लिए - H2O2, AgNO3, एन्टीबॉयोटिक आदि का भी उपयोग किया जाता है। - जो भी पादप पदार्थ निर्जमीकृत किया जा रहा है। निर्जमीकृत कारक उपरोक्त विलयन में निर्धारित अवधि तक डुबोकर उस पादप पदार्थ को निर्जमीकृत आसुत जल से 2-3 बार धोते हैं जिससे कि पादप पदार्थ से चिपका हुआ निर्जमीकृत कारक पोष माध्यम में स्थानान्तरण से पूर्व पूरी तरह से हट जायें। - 70% एल्कोहल से पौंछना (Wiping with 70% ethanol)- ऐसी सतहें जैसे लैमीनार फ्लो कैबिनेट का प्लेटफार्म कार्यकर्ता के हाथ जिसको अन्य तकनीकी से निर्जमीकृत नही किया जा सकता को 70% एल्कोहल से पौंछते है और सुखाते हैं।। ## अध्याय 6: ऊतक संवर्धन के लिए पोषक आवश्यकतायें (Nutritional Requirements for Tissue Culture) - विलगित (isolated) पादप ऊतक या कर्तीतक (explants) का उचित कृत्रिम रूप से तैयार पोष माध्यम, पर उगाया जाता है इसी माध्यम को संवर्धन माध्यम (culture medium) या केवल माध्यम (media) कहते हैं। - माध्यम पादप वृद्धि के लिए अधस्तरः (substrate) होता है जो कि अनेक रासायनिक यौगिकों का मिश्रण एक पोष जेल (nutrient gel) या तरल के रूप के होता है जिस पर कोशिकाओं अंगो या पादपकों (plantlets) को उगाया जाता है। - यह संवर्धन माध्यम पादप उत्तकों की पात्रे वृद्धि कराने के लिए सभी आवश्यक खनिज लवण उपलब्ध कराता है। - मुख्य पादप ऊतक संवर्धन माध्यमों में निम्नलिखित मुख्य घटक होते हैं- - अकार्बनिक पोषक - सूक्ष्म और वृहद - कार्बन स्त्रोत - कार्बनिक स्रोत (Organic supplements) - वृद्धि नियामक - ठोसीकरण कारक (Solidifying Agents) ### अकार्बनिक पोषक (Inorganic nutrients) - वृहद पोषक (Macronutrients) - वे तत्व जिनकी आवश्यकता 0.5 मिली प्रति लीटर होती है, उन्हें वृहद तत्व कहते हैं। ये छः तत्व N, P, K, Ca, Mg व S होते हैं जो कि पोष माध्यम में लवण के रूप में उपस्थित होते हैं जो कि पादप कोशिका और ऊतकों की वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं। - नाइट्रोजन की आवश्यकता अधिकता में होती है। यह नाइट्रेट आयनों (KNO3), अमोनियम आयनों (NH4NO3) के रूप में उपलब्ध कराया जाता है। - फॉस्फोरस को अमोनियम, सोडियम और पौटेशियम लवणों के रूप में उपलब्ध कराया जाता है। - अन्य वृहद तत्व Ca, Mg, S माध्यम में अच्छी वृद्धि के लिए उपलब्ध कराये जाते हैं - सूक्ष्मतत्व (Micronutrients) - वे तत्व जिनकी आवश्यकता 0.5 मिली प्रति लीटर से कम सान्द्रता में आवश्यकता होती है। ये हैं- Mn, Zn, B, Cu, Mo, Fe, Co, Cl. ### कार्बन स्रोत (Carbon Source) - पादप कोशिकायें व ऊत्तक संवर्धन माध्यम में स्वयं कार्बन ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता नहीं रखते हैं। - अतः कार्बन ऊर्जा माध्यम में बाहर से देनी पड़ती है। - पादप ऊत्तकों को कार्बन स्रोत के रूप में ऊर्जा सूक्रोज से उपलब्ध करायी जाती है। - इसकी आवश्यकता 2-5% सान्द्रता में होती है जब माध्यम का ऑटोक्लेवन किया जाता है तो सुक्रोज, ग्लूकोज व फ्रक्टोज में परिवर्तित हो जाता है। फ्रुक्टोज की तुलना में ग्लूकोज अधिक वृद्धि कराता है। ### कार्बनिक स्त्रोत (Oraganic Supplements) - जब पादप कोशिकाओं और ऊत्तकों को पात्रे उगाया जाता है तो कुछ आवश्यक विटामिन्स कम मात्रा में संश्लेषित होते हैं। - अतः आवश्यक हो जाता है कि ऊत्तकों की अच्छी वृद्धि के लिए माध्यम में आवश्यक विटामिन्स और अमीनों अम्ल उपलब्ध कराये जायें। - अधिकांशतः उपयोग किया जाने वाला विटामिन थायमीन (विटामिन बी) है। अन्य विटामिन जो कि संवर्धित पौधों की उन्नत वृद्धि कराते हैं जैसे- निकोटिनिक अम्ल, पेन्थोथेनिक अम्ल, पायरीडोक्सिन (B6) फोलिक अम्ल और अमीनोबेन्जोइक अम्ल हैं। - अमीनो अम्ल - संवर्धित ऊत्तक सामान्यतः अनेकों उपापचय प्रक्रियाओं के लिए अमीनों अम्लों का संश्लेषण करते हैं। अमीनो अम्ल ग्लाइसीन मुख्यतः उपयोग किया जाता है। दूसरे अन्य अमीनों अम्ल-एस्पारजिन, आरजीनिन, सिस्टीन सवंर्धन माध्ययम में उपयोग किये जाते हैं। - योगात्मक समिश्र (Complex Additives) - जैसे खमीर निथार (yeast extract), नारियल दूध (coconut milk), प्रोटीनं (केसीन), हाइड्रो-लाइसेट, मक्का दूध (corn milk), माल्ट निथार (malt extract) और टमाटर जूस, पादप ऊत्तक वृद्धि के लिए उपयोग किये जाते थे। लेकिन ऐसे योगजों (Additives) को स्वीकार नही किया जाता है। कई स्थितियों में इनका प्रभाव केवल एक अमीनों अम्ल जैसे -एल-एस्पारजिन या एल-ग्लूटेमाइन से उत्पन्न कर लिया जाता है। उपरोक्त योगजों का तभी उपयोग किया जाता है जब संश्लेषित माध्यम असफल हो जाता है। - प्रतिजैविक (Antibiotics) - कुछ पादप कोशिकाओं में सूक्ष्मजीवों का संक्रमण होता है इसलिए इन सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रोकने के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि माध्यम में प्रतिजैविक उपस्थित हो। स्ट्रेप्टोमाइसिन या केनामाइसिन कम सान्द्रता में संक्रमण को प्रभावशाली रूप से रोकते हैं। ### वृद्धि नियामक (Growth Regulators) - वृद्धि विभेदन और अंग जनन (growth differentiation & organogenesis) ऊत्तकों में कराने के लिए माध्यम में निम्नलिखित हार्मोन्स को मिलाया जाता है। - **ऑक्सिन (Auxins)**: ऑक्सिन में कोशिका विभाजन, कोशिका दीर्घन (cell elongation), शीर्ष प्रभाविता (apical dominance) और जड़ उत्पन्न करना (Rooting) विशेषता पायी जाती है। - IAA (Indole 3-Acetic Acid), IBA (Indole 3-Butyric Acid), 2, 4-D (Dichlorophenoxy Acetic Acid), NAA (N

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