भारत में राष्ट्रवाद notes PDF
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यह दस्तावेज भारत में राष्ट्रवाद से संबंधित नोट्स की जानकारी प्रदान करता है। इसमें ऐतिहासिक घटनाओं, आंदोलनों और विचारों का विवरण दिया गया है।
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MAIN POINT STUDY PLACE WHERE YOU GET STUDY MATERIAL OTES AND FOR N LECTURE VIDEO WEBSITE : FOLLOW US ON in ts tu d y.in mainpo C H A N N E L YOUTUBE INSTAGRAM : b Po in t S tu d y harat.8016 Main TWITTER : @Bh aratk8016 Telegram : @m psbharat FB page : Main Point Study other youtube channel Main Point Tech Main Point Gaming TELEGRAM CHANNEL For Notes PDF Our Other YOUTUBE Channel Bharat kumar khorwal MAIN POINT TECH MAIN POINT UNIQUE WORLD GAMING भारत में राष्ट्रवाद ब्रिब्रिश शासन से पहले भारत सबसे शक्तिशाली और समृद्ध राष्ट्ररों में से एक था भारत आजाद हुआ 24 अगस्त 1608 को प्लासी का युद्ध सूरत में ब्रिब्रिश भारत (ईस्ट इं ब्रिया कंपनी और बंगाल के नवाब के में उतरे बीच लडा गया) भारत में ब्रिब्रिश शासन की शुरुआत स्वतोंत्रता की कहानी पहला ब्रवश्वयुद्ध ,खिलाफत और असहयोग 1914-18 (ब्रमत्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र) भारत पर प्रथम ब्रवश्व युद्ध का प्रभाव? (Imp) ग्रेि ब्रििे न जममनी, इिली फ्ाोंस, और रूसी और जापान साम्राज्य प्रथम ब्रवश्व युद्ध ने एक नई आब्रथमक और राजनीब्रतक क्तथथब्रत पैदा की। प्रथम ब्रवश्व युद्ध के कारण रक्षा वह में भारी इजाफा हुआ इसी की भरपाई के ब्रलए कजे ब्रलए गए और करों में वृखद्ध की गई सीमा शुल्क बढा ब्रिया गया आयकर शुरू कर ब्रिया गया युद्ध के दौरान कीमतें तेजी से बढ़ रही थी 1913 से 1918 के बीच कीमते िु गनी हो चुकी थी ब्रजसके कारण आम लोगों की मुखिलें बढ गई थी गां व में ब्रसपाब्रहयों को जबरन भती ब्रकया गया ब्रजसके कारण ग्रामीण इलाकों में व्यापक गुस्सा था 1918-19 और 1920-21 में िे श के बहुत सारे ब्रहस्सों में फसल खराब हो गई ब्रजसके कारण िाद्य पिाथों का भारी अभाव पैिा हो गया उसी समय फ्लू की महामारी फैल गई 1921 की जनगणना के मुताब्रबक महामारी और भुिमरी के कारण 120 से 130 लाि लोग मारे गए सत्याग्रह का ब्रवचार जनवरी 1915 में महात्मा गाोंधी भारत लौि आए वह िब्रक्षण अफ्रीका से आए थे जहां उन्ोंने जन आं िोलन सत्याग्रह के ब्रवचार में सत्य की शखि पर आग्रह और सत्य की िोज पर जोर ब्रिया जाता की एक नई पद्धब्रत के साथ नस्लवािी शासन का था इसका अथम यह था ब्रक अगर आपका उद्दे श्य सच्चा है यब्रद आप का सोंघर्म सफलतापूववक मुकाबला ब्रकया था, ब्रजसे उन्ोंने सत्याग्रह अन्याय के क्तखलाफ है तर उत्पीड़क से मुकाबला करने के ब्रलए आपकर ब्रकसी कहा था। शारीररक बल की आवश्यकता नही ों है सत्याग्रह = ब्रनक्तिय प्रब्रतररध महात्मा गां धी का मानना था ब्रक अब्रहंसा का यह धमव सभी भारतीयों को एकजुि कर सकता है । 1917 चंपारण िमनकारी वृक्षारोपण(नील) के खिलाफ संघर्व सत्याग्रह प्रणाली 1917 िेिा फसल िराब होने और प्लेग की महामारी के कारण िेडा के ब्रकसान राजस्व का भुगतान नहीं कर सके और राजस्व वसूली में सत्याग्रह ढील िे ने की मां ग कर रहे थे। 1918 अहमिाबाि कपास ब्रमल मजिू रों के बीच सत्याग्रह आं िोलन उनका वेतन सत्याग्रह बढाने के ब्रलए सत्याग्रह का ब्रवचार The Rowlatt Act फरवरी 1919 में ब्रिब्रिश सरकार ने रॉलेि एक्ट पाररत ब्रकया। भारतीय सिस्ों के एकजुि ब्रवरोध के बावजूि इस अब्रधब्रनयम को Imperial Legislative Council के माध्यम से जल्दबाजी में पाररत ब्रकया गया था। इसने सरकार को राजनीब्रतक गब्रतब्रवब्रधयों को िबाने के ब्रलए भारी शखियााँ िीं और दर साल तक ब्रबना मुकदमे के राजनीब्रतक कैब्रदयरों कर ब्रहरासत में रखने की अनुमब्रत दी। महात्मा गां धी ऐसे अन्यायपूणव कानूनों के खिलाफ अब्रहोंसक सब्रवनय अवज्ञा चाहते थे , जो 6 अप्रैल को हडताल के साथ शुरू की। ब्रवब्रभन्न शहरों में रै ब्रलयों का आयोजन रे लवे वकवशॉप में कमवचारी हडताल पर गए, िु कानें बंि लोकब्रप्रय उभार से ब्रचंब्रतत, और इस िर से ब्रक रे लवे और िे लीग्राफ जैसी सोंचार लाइनें बाब्रधत हर जाएों गी, ब्रिब्रिश प्रशासन ने राष्ट्रवाब्रियों पर नकेल कसने का फैसला ब्रकया। स्थानीय नेताओं को अमृतसर से उठा ब्रलया गया और महात्मा गां धी को ब्रिल्ली में प्रवेश करने से रोक ब्रिया गया। 10 अप्रैल कर, अमृतसर में पुब्रलस ने शां ब्रतपूणव जुलूस पर गोलीबारी की, ब्रजससे बैं कों, िाकघरों और रे लवे स्टे शनों पर व्यापक हमले हुए। माशमल लॉ लगा ब्रदया गया और जनरल डायर ने कमान सोंभाल ली Jallianwala Bagh Massacre(Imp) जब्रलयां वाला बाग हत्याकां ि की घिना 13 अप्रैल 1919 कर अमृतसर में हुई थी। रॉलेि एक्ट (ब्रजसमे ब्रबना ब्रकसी मुकिमे के राष्ट्रवाब्रियों को िो साल तक ब्रहरासत में रिा जा सकता था) के ब्रवरोध में कई लोग जब्रलयां वाला बाग मैिान में जमा हो गए थे अन्य वाब्रर्वक बैसािी मेले में शाब्रमल होने आए थे। शहर के बाहर से होने के कारण, कई ग्रामीण उस माशमल लॉ से अनजान थे जो लागू ब्रकया गया था जनरल डायर के नेतृत्व में ब्रिब्रिश सेना ने बाहर जाने के सारे रस्ते बंि कर ब्रिया, और ब्रबना ब्रकसी चेतावनी के भीड पर गोब्रलयां चलाने का आिे श ब्रिया। इस क्रूर कृत्य से हजारों ब्रनिोर् लोग मारे गए। उनका उद्दे श्य, जैसा ब्रक उन्ोंने बाि में घोब्रर्त ब्रकया, 'नैब्रतक प्रभाव पैदा करना', सत्याग्रब्रहयों के मन में आतंक और ब्रवस्मय की भावना पैिा करना था। इस फायररं ग की िबर सडकों पर फैल गई। लोगों ने सरकारी इमारतों पर हमला करना शुरू कर ब्रिया, पुब्रलस से ब्रभड गए और हडताल पर चले गए। इसे िबाने के ब्रलए ब्रिब्रिश सरकार ने कडे किम उठाए। उन्ोंने भारतीय राष्ट्रवाब्रियों को सडकों पर रें गने और नाक को जमीन पर रगडने के ब्रलए मजबूर ब्रकया। उन्ोंने गां वों पर बमबारी भी की। इस प्रकार जब्रलयां वाला बाग हत्याकां ि ब्रिब्रिश सरकार और उसके अब्रधकाररयों के अमानवीय कृत्य का एक उिाहरण था। ब्रहंसा को फैलते िे ि महात्मा गां धी ने आं िोलन वापस ले ब्रलया। खिलाफत आं िोलन (Imp) जबब्रक रॉलेि सत्याग्रह एक व्यापक आं िोलन था, ब्रफर भी यह ज्यािातर शहरों और कस्ों तक ही सीब्रमत था महात्मा गां धी ने अब भारत में एक अब्रधक व्यापक-आधाररत आं िोलन शुरू करने की आवश्यकता महसूस की। लेब्रकन उन्ें यकीन था ब्रक ब्रहंिुओं और मुसलमानों को एक साथ लाए ब्रबना ऐसा कोई आं िोलन आयोब्रजत नहीं ब्रकया जा सकता है । उन्ें लगता था ब्रक क्तखलाफत का मुद्दा उठाकर वह िोनों समुिायों को नजिीक ला सकते हैं पहले ब्रवश्व युद्ध में ऑिरमन तुकी की हार हो चुकी थी और अफवाह फैली हुई थी ब्रक इस्लाब्रमक ब्रवश्व के आध्याखत्मक नेता(िलीफा) ऑिोमन सम्राि पर एक बहुत सख्त शां ब्रत संब्रध थोपीं जाएगी िलीफा की तत्काब्रलक शखियों की रक्षा के ब्रलए माचव 1919 में बोंबई में एक क्तखलाफत सब्रमब्रत का गठन ब्रकया गया था मरहम्मद अली और शौकत अली बंधुओं के साथ-साथ कई युवा मुखस्लम नेताओं ने इस मुद्दे पर संयुि जन कारव वाइयों की संभावना तलाशने के ब्रलए महात्मा गां धी के साथ चचाव करना शुरू कर ब्रिया ब्रसतम्बर 1920 में काोंग्रेस के कलकत्ता अब्रधवेशन में महात्मा गां धी ने भी िू सरे नेताओं को इस बात पर राजी कर ब्रलया की खिलाफत आं िोलन के समथव न और स्वराज के ब्रलए एक असहयोग आं िोलन शुरू ब्रकया जाना चाब्रहए. असहयोग ही क्ों? अपनी प्रब्रसद्ध पुस्तक ब्रहोंद स्वराज (1909) में महात्मा गां धी ने घोर्णा की ब्रक भारतीयों के सहयोग से भारत में ब्रिब्रिश शासन स्थाब्रपत हुआ था, और इस सहयोग के कारण ही जीब्रवत रहा। यब्रि भारतीयों ने सहयोग करने से इनकार कर ब्रिया, तो भारत में ब्रिब्रिश शासन एक वर्व के भीतर समाप्त हो जाएगा, और स्वराज आ जाएगा। इसकी शुरुआत सरकार द्वारा दी जाने वाली उपाब्रधयरों के समपमण और ब्रसब्रवल सेवाओों, सेना, पुब्रलस, अदालतरों और ब्रवधान पररर्दरों, स्कूलरों और ब्रवदे शी सामानरों के बब्रहष्कार से हरनी चाब्रहए। हालााँ ब्रक, कां ग्रेस के भीतर कई लोग प्रस्तावों को लेकर ब्रचंब्रतत थे। वे नवोंबर 1920 के ब्रलए ब्रनधाव ररत पररर्ि चुनावों का बब्रहष्कार करने के ब्रलए अब्रनच्छु क थे , और उन्ें िर था ब्रक इस आं िोलन से लोकब्रप्रय ब्रहंसा हो सकती है अंत में , ब्रदसोंबर 1920 में नागपुर में काोंग्रेस के अब्रधवेशन में, एक समझौता ब्रकया गया और असहयोग कायवक्रम को अपनाया गया। सबसे महत्वपूणव प्रश्न भारत में प्रथम ब्रवश्व युद्ध का प्रभाव सत्याग्रह के ब्रवचार की व्याख्या करें 1917 और 1918 में गां धी जी द्वारा सत्याग्रह रॉलेि एक्ट क्ा है जब्रलयां वाला बाग हत्याकां ि की घिना क्ा है खिलाफत मुद्दा ब्रहंि स्वराज के लेिक कौन हैं 1920 का कां ग्रेस अब्रधवेशन कहााँ हुआ था ? आं िोलन के भीतर अलग-अलग धाराएं असहयोग खिलाफत आं िोलन जनवरी 1921 में शुरू हुआ आं िोलन महात्मा गां धी शौकत अली और मोहम्मि अली द्वारा शुरू ब्रकया गया इस आं िोलन में ब्रवब्रभन्न सामाब्रजक समूह ने ब्रहस्सा ब्रलया सभी ने स्वराज के आहवाहन को स्वीकार तो ब्रकया पर उनके ब्रलए उसके अथव अलग-अलग थे शहररों में ग्रामीण इलाकरों बागानरों में आों दरलन में ब्रवररध स्वराज शहररों में आों दरलन(IMPORTANT) शहरों में आं िोलन मध्यवगव के भाग लेने से शुरू हुआ हजारों बच्ों ने स्कूल कॉलेज छोड ब्रिया हे िमास्टर और ब्रशक्षकों ने इस्तीफा िे ब्रिया वकीलों ने मुकिमा लडना बंि कर ब्रिया मद्रास के अलावा ज्यािातर प्रां तों में पररर्ि चुनाव का बब्रहष्कार कर ब्रिया गया ( Justice Party ) ब्रविे शी सामानों का बब्रहष्कार ब्रकया गया और शराब की िु कानों की ब्रपकेब्रिों ग करी गई और ब्रविे शी कपडों को इकट्ठा करके जलाया गया 1921 में 102 करोि रुपए के कपडे का आयात हुआ था जो 1922 में घिकर 57 करोि रह गया कई स्थानों पर व्यापाररयों ने ब्रविे शी कपडों का व्यापार करने और ब्रविे शी व्यापार में ब्रनवेश करने से मना कर ब्रिया पररणामस्वरूप भारतीय कपडा ब्रमलों और हथकरघा में वृखद्ध हुई परों तु कुछ समय बाद शहररों में आों दरलन कई कारणरों की वजह से धीमा हर गया िािी का कपडा ब्रिब्रिश के कपडे ब्रमलो में बनने वाले कपडों से बहुत महं गा था और गरीबों से िरीि नहीं सकते थे भारतीय संस्थाओं की कमी ब्रपकेब्रिों ग : प्रिशवन या ब्रवरोध का ऐसा स्वरूप ब्रजसमें लोग ब्रकसी िु कान फैक्टर ी आज िफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते हैं ग्रामीण इलाकरों में ब्रवररध ज्यािातर लोग ग्रामीण इलाके में िेती करते थे ग्रामीण इलाके में ज्यािातर लोगों को बेगार करना पडता था( ग्रामीण इलाकों में ब्रबना ब्रकसी पररश्रब्रमक या वेतन के काम) अवध में सन्यासी बाबा रामचोंद्र ब्रकसानों का नेतृत्व कर रहे थे ,- बाबा रामचोंद्र इससे पहले ब्रफजी में ब्रगरब्रमब्रिया मजदू र के तौर पर काम कर रहे थे ब्रकसानरों की माोंग थी ब्रक लगान कर कम ब्रकया जाए , बेकार खत्म ब्रकया जाए, और दमनकारी जमीदाररों का बब्रहष्कार ब्रकया जाए – जमी ोंदाररों कर नाइयरों और धरबी की सेवाओों से वोंब्रचत करने के ब्रलए पोंचायतरों द्वारा धरबी बोंद का आयरजन ब्रकया गया था। जून 1920 में जवाहर लाल नेहरू ने अवध के गां व का िौरा ब्रकया,बातचीत की और उनकी व्यथा समझने का प्रयत्न ब्रकया अक्टू बर तक जवाहरलाल नेहरू बाबा रामचंद्र और कुछ अन्य लोगों के नेतृत्व में अवध ब्रकसान सभा का गठन ब्रकया गया और गाोंव में सोंगठन की 300 से ज्यादा शाखाएों खु ली केवल महीने भर में आों दरलन इस स्वरूप से काोंग्रेस नेतृत्व ना खुश था 1921 में आं िोलन तेजी से फैलने लगा जब आं िोलन फैला तो तालुकिार और व्यापाररयों के घरों पर हमले होने लगे बाजारों में लूिपाि होने लगी और अनाज के गोिामों को लूि ब्रलया गया बहुत सारे स्थानों पर स्थानीय नेता ब्रकसानों को समझा रहे थे ब्रक गां धीजी ने ऐलान कर ब्रिया है ब्रक अब कोई लगान नहीं भरे गा और जमीन गरीबों में बां ि िी जाएगी महात्मा गां धी के नाम पर लोग अपनी सारी कारव वाई और आकां क्षाएं सही ठहरा रहे थे ग्रामीण इलाकों में ब्रवद्रोह (आब्रिवासी ब्रकसान) आब्रिवासी ब्रकसानों ने महात्मा गां धी के संिेश और स्वराज के ब्रवचार की व्याख्या अपने तरीके से की। उिाहरण के ब्रलए, आं ध्र प्रिे श के गुिेम ब्रहल्स में, एक उग्रवादी ब्रहों सक गु ररल्ला आों दरलन 1920 के िशक की शु रुआत में फैल गया, ब्रजसका नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने ब्रकया था। क्ोंब्रक औपब्रनवेब्रशक सरकार ने बडे वन क्षेत्ों को बंि कर ब्रिया था, ब्रजससे लोगों को अपने मवेब्रशयों को चराने, या ईंधन की लकडी और फल इकट्ठा करने के ब्रलए जं गलों में प्रवेश करने से रोका जा सके। इससे पहाडी लोगों में आक्रोश उठ िडा हुआ। न केवल इससे उनकी आजीब्रवका प्रभाब्रवत हुई बखि उन्ें लगा ब्रक उनके पारं पररक अब्रधकारों से भी उन्ें वंब्रचत ब्रकया जा रहा है । जब सरकार ने उन्ें सडक ब्रनमाव ण के ब्रलए बेगार िे ने के ब्रलए मजबूर करना शु रू ब्रकया, तो पहाडी लोगों ने ब्रवद्रोह करने लगे। राजू ने महात्मा गां धी की महानता के बारे में बात की, कहा ब्रक वह असहयोग आं िोलन से प्रेररत थे , और लोगों को िािी पहनने और शराब ना पीने के ब्रलए राजी ब्रकया , ले ब्रकन साथ ही उन्रोंने जरर दे कर कहा ब्रक भारत केवल बल के प्रयरग से ही आजाद हर सकता है , अब्रहों सा से नही ों। गुिेमब्रवद्रोब्रहयों ने पुब्रलस थानों पर हमला ब्रकया, ब्रिब्रिश अब्रधकाररयों को मारने का प्रयास ब्रकया और स्वराज प्राप्त करने के ब्रलए गुररल्ला युद्ध शु रू कर ब्रिया। राजू कर 1924 में पकड़ ब्रलया गया और मार डाला गया और वह समय के साथ एक लोक नायक बन गए। अल्लूरी सीताराम राजू ने िावा ब्रकया ब्रक उनके पास कई तरह की ब्रवशेर् शखियां हैं : वह सही ज्योब्रतर्ीय भब्रवष्यवाब्रणयां कर सकते हैं और लोगों को ठीक कर सकते हैं , और वह गोली लगने से भी उनकी मोत नहीं हो सकती हैं । बागानरों में स्वराज ब्रिब्रिश सरकार ने इों ग्लैंड इमीग्रेशन एक्ट 1859 मे पास ब्रकया था , इसके तहत बागानों में काम करने वाले मजिू रों को ब्रबना इजाजत बागान से बाहर जाने की छूि नहीं होती थी और उन्ें ऐसी इजाजत ना के बराबर ही िी जाती थी असम के बागान मजदू ररों के ब्रलए आजादी का मतलब था ब्रक वह उन चार दीवाररों से जब चाहे आ जा सकते हैं ब्रजनमें उन कर बोंद करके रखा गया था जब मजिू रों ने असहयोग आं िोलन के बारे में सुना तो हजारों मजिू रों ने बागान छोड ब्रिया और घर की ओर चल ब्रिए उन्ें लग रहा था ब्रक गां धी राज आ रहा है और उन्ें यानी हर एक को गां व में जमीन ब्रमल जाएगी (वे गाोंधी जी के ब्रवचार की गलत समझ रहे हैं ) परं तु वे लोग अपने घर नहीं पहुं च सके रे लवे और स्टीमर की हडताल के कारण वे रास्ते में ही फस गए और उन्ें पुब्रलस ने पकड ब्रलया और उनकी बहुत बुरी तरह ब्रपिाई की गई| आब्रिवाब्रसयों ने गां धीजी के नाम का नारा लगाया और 'स्वतोंत्र भारत' की मां ग के नारे लगाए, वे भी भावनात्मक रूप से एक अखिल भारतीय आं िोलन से संबंब्रधत थे । गोरिपुर के चौरी चौरा में एक बाजार में शां ब्रतपूणव प्रिशवन पुब्रलस के साथ ब्रहंसक झडप में बिल गया, इस घिना के बारे में सुनकर, महात्मा गां धी ने असहयोग आं िोलन को वापस ब्रिया। चौरी चौरा, 1922 सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन की ओर कुछ कां ग्रेस के नेता इस तरह के जन संघर्ों से थक चुके थे | वे 1919 के गवनममेंि ऑफ इों ब्रडया एक्ट के तहत गब्रठत की गई प्रां तीय चुनाव में ब्रहस्सा लेना चाहते थे उनको लगता था ब्रक पररर्ि में रहते हुए ब्रिब्रिश नीब्रतयों का ब्रवरोध करना सुधारों की वकालत करना और यह ब्रििाना भी महत्वपूणव है ब्रक यह पररर्ि एक लोकतंत् संस्था नहीं है सी आर दास और मरतीलाल नेहरू ने पररर्ि की राजनीब्रत में वापसी के ब्रलए कां ग्रेस के भीतर स्वराज पािी का गठन ब्रकया। परं तु युवा नेता सुभार् चोंद्र बरस और जवाहरलाल नेहरू ज्यािा उग्र आं िोलन और पूणव स्वतंत्ता में ब्रवश्वास रिते थे 1920 के दशक के अोंत में समस्याएों 1. ब्रवश्वव्यापी आब्रथमक मोंदी का प्रभाव यह हुआ की कृब्रर् उत्पाि की कीमतें 1926 से ब्रगरनी शुरू हुईं और 1930 के बाि पूरी तरह ढह गईं। कृब्रर् वस्तुओं की मां ग ब्रगर गई और ब्रनयाव त में ब्रगरावि आई, ब्रकसानों को अपनी फसल बेचने और अपने राजस्व का भुगतान करने में मुखिल होने लगी। 1930 तक, आब्रथवक मंिी के कारण भारत के ग्रामीण इलाकों में उथल-पुथल आ गई थी। 2. ब्रििे न की नई िोरी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व मैं एक वैधाब्रनक आयोग का गठन कर ब्रिया| राष्ट्रवािी आं िोलन के जवाब में गब्रठत ब्रकए इस आयोग को भारत में संवैधाब्रनक व्यवस्था की कायवशैली का अध्ययन करना था और उसके बारे में सुझाव िे ना था पर इसकी सबसे बडी ब्रिक्कत यह थी ब्रक इसमें एक भी भारतीय व्यक्ति नही ों था सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन की ओर 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो उसका स्वागत 'साइमन कमीशन वापस जाओ' के नारे से ब्रकया गया। कां ग्रेस और मुखस्लम लीग सब्रहत िे श के सभी िलों ने इस प्रिशवनों में भाग ब्रलया। ब्रवरोध शां त करने के ब्रलए लािव इरब्रवन ने अक्टू बर 1929 में भारत के ब्रलए डरब्रमब्रनयन स्टे िस का गोलमाल सा ऐलान कर ब्रिया और कहा की सब्रवधान के बारे मे चचाव के ब्रलए गोलमेज सम्मेलन आयोब्रजत ब्रकया जाएगा जवाहरलाल नेहरू और सुभार् चंद्र बोस के नेतृत्व में कां ग्रेस का तेज तराव र िेमा आक्रमण तेवर अपनाने लगा थाl उिारवािी और मध्य मागी नेता ब्रिब्रिश िोब्रमब्रनयन के भीतर ही सब्रवधानी व्यवस्था के पक्ष में थे लेब्रकन इस िेमे का प्रभाव घिा जा रहा था ब्रदसोंबर 1929 में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में काोंग्रेस के लाहौर अब्रधवेशन में पूणम स्वराज की माोंग को औपचाररक रूप से माल ब्रलया गया तय ब्रकया गया ब्रक 26 जनवरी 1930 कर स्वतोंत्रता ब्रदवस के रूप में मनाया जाएगा और उस ब्रिन लोग पूणव स्वराज के ब्रलए संघर्व की शपथ लेंगे| इसब्रलए महात्मा गां धी जी को स्वतंत्ता के इस संक्षेप ब्रवचार को रोजमराव की ब्रजंिगी के अब्रधक ठोस मुद्दों से जोडने का एक तरीका िोजना पडा। नमक आं िोलन और सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन राज्य की ओर से जारी ब्रकसी कानून का नम्रतापूववक ब्रवरोध या अवमानना। नमक यात्ा शुरू करने से पहले ,गााँधी जी ने 31 जनवरी 1930 को, उन्ोंने वायसराय इरब्रवन कर ग्यारह माोंगरों कर बताते हुए एक पत्र भेजा। इनमें से कुछ सामान्य रुब्रच के थे ; अन्य उद्योगपब्रतयों से लेकर ब्रकसानों तक ब्रवब्रभन्न वगों की ब्रवब्रशष्ट् मां गें थीं। (जैसे वन कानून को ित्म करना, भू- राजस्व में कमी आब्रि) इरब्रवन ने गाोंधीजी की माोंग कर अवास्तब्रवक बताया। इसके बाि गां धी जी ने इरब्रवन कर एक और पत्र ब्रलिा चेतावनी के रूप में ब्रजसमें उन्ोंने ब्रलिा ब्रक अगर 11 माचम तक उनकी माोंगे नही ों मानी गई तर काोंग्रेश सब्रवनय अवज्ञा आों दरलन छे ड़ दे गी गां धी जी के इस पत् के बाि भी इरब्रवन बातचीत के ब्रलए तैयार नहीं थे। इसब्रलए महात्मा गां धी ने सीिीएम की शुरुआत की, महात्मा गां धी ने नमक को एक शखिशाली प्रतीक पाया जो राष्ट्र को एकजुि कर सकता था उन्ोंने िे िा ब्रक नमक ऐसी चीज है जो अमीर गरीब सभी इस्तेमाल करते थे उन्ोंने िे िा ब्रक नमक ऐसी चीज है जो अमीर गरीब सभी इस्तेमाल करते थे यह भोजन का एक अब्रभन्न ब्रहस्सा था इसब्रलए नमक पर कर और उसके उत्पािन पर सरकारी इजारे िारी को महात्मा गां धी ने ब्रिब्रिश शासन का सबसे िमनकारी पहलू बताया था फलसवरूप महात्मा गां धी ने अपने 78 ब्रवश्वस्तरीय वालोंब्रियरर के साथ नमक यात्ा शुरू कर िी यह यात्रा साबरमती में महात्मा गाोंधी के आश्रम से 240 ब्रकलरमीिर दू र दाोंडी नामक गुजराती तिीय कस्बे में जाकर खत्म हरनी थी गां धी जहां भी रुकते हजारों लोग उन्ें सुनने आते इन सभाओं में मैं गां धी जी ने स्वराज का अथव स्पष्ट् ब्रकया और आह्वान ब्रकया ब्रक लोग अंग्रेजों की शां ब्रत पूववक अवज्ञा करें यानी अंग्रेजों का कहना ना माने 6 अप्रैल कर वह डाोंडी पहुोंचे और उन्रोंने समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर ब्रदया NCM और CDM में अंतर असहयरग आों दरलन सब्रवनय अवज्ञा आों दरलन असहयोग आं िोलन में लोग औपब्रनवेब्रशक सरकार के कानून सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन ने औपब्रनवेब्रशक कानूनों को तोिा का पालन नहीं करते थे जाता था असहयोग आं िोलन में लोगों ने शां ब्रतपूणव प्रिशवन ब्रकया सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन में नमक कानून और वन कानून तोडा गया इसमे मुखस्लमों ने बडी संख्या में भाग ब्रलया मुखस्लमों ने कम संख्या में भाग ब्रलया स्वराज प्राप्त करने के ब्रलए तथा ब्रहंिू और मुखस्लम को एकजुि स्वराज और कुछ कानूनों को समाप्त करने के ब्रलए सब्रवनय करने के ब्रलए असहयोग आं िोलन शुरू ब्रकया गया था अवज्ञा आं िोलन शुरू ब्रकया गया था सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन के कारण 1. साइमन कमीशन की ब्रवफलता अंग्रेजों ने 1927 में साइमन कमीशन ब्रनयुि ब्रकया था, यह भारत में संवैधाब्रनक प्रणाली के कामकाज की जां च करने के ब्रलए था क्ोंब्रक आयोग में एक भी भारतीय सिस् नहीं था, इसे भारतीय के स्वाब्रभमान के अपमान के रूप में िे िा गया था। 2. भारतीय अथमव्यवथथा पर आब्रथमक मोंदी 1930 में कृब्रर् की कीमतों में ब्रगरावि और पतन शुरू हो गया। कृब्रर् वस्तुओं के ब्रलए केंद्र में ब्रगरावि आई ब्रकसानों के ब्रलए राजस्व का भुगतान करना मुखिल हो गया 3. दमनकारी औपब्रनवेब्रशक कानून: नमक के उत्पािन, वन औपब्रनवेब्रशक कानून आब्रि पर अंग्रेजों का एकाब्रधकार। 4. पूणम स्वराज्य तथा पूणम स्वतोंत्रता प्राप्त करने के ब्रलए लाहौर में कां ग्रेस सत् को आयोब्रजत ब्रकया गया और इसमें यह भी फैसला ब्रलया गया की गां धी के नेतृत्व में सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन शुरू ब्रकया जाएगा नमक आं िोलन और सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन घिनाक्रम से ब्रचंब्रतत औपब्रनवेब्रशक सरकार ने एक-एक करके काोंग्रेस नेताओों कर ब्रगरफ्तार करना शुरू कर ब्रदया। कां ग्रेस के नेताओं की ब्रगरफ्तारी को िे िकर बहुत सारे स्थानों पर ब्रहंसक िकराव हुए अप्रैल 1930 में जब महात्मा गां धी के ब्रशष्य अब्दु ल गफ्फार िान को ब्रगरफ्तार ब्रकया गया तो गुस्साई भीड सशस्त्र बख्तरबंि गाब्रडयों और पुब्रलस की गोब्रलयों का सामना करते हुए सडकों पर उतर आई बहुत सारे लोग मारे गए महीने भर बाि जब महात्मा गाोंधी कर भी ब्रगरफ्तार कर ब्रलया गया तो शोलापुर के औद्योब्रगक मजिू रों ने अंग्रेजी शासन का प्रतीक पुब्रलस चौब्रकयों नगर पाब्रलका भवनों अिालत और रे लवे स्टे शनों पर हमले शु रू कर भयभीत सरकार ने ब्रनमवम िमन रास्ता अपनाया शां ब्रतपूणव सत्याब्रग्रयो पर हमले ब्रकए गए औरतों व बच्ों को मारा पीिा गया और लगभग 100000 लोगों को ब्रगरफ्तार ब्रकया गया ऐसे हालातर कर दे ख कर महात्मा गाोंधी जी ने एक बार ब्रफर आों दरलन वापस ले ब्रलया और 5 माचम 1931 कर उन्रोंने वायसराय इरब्रवन के साथ एक समझौते पर दस्तखत कर ब्रदए इस गां धी इरब्रवन समझौता के जररए गां धी जी ने लों दन में हरने वाले दू सरे गरलमेज सम्मेलन में ब्रहस्सा ले ने पर अपनी सहमब्रत व्यि कर दी (पहले गरलमेज सम्मेलन का काोंग्रेस बब्रहष्कार कर रही थी) इसके बिले सरकार राजनीब्रतक कैब्रियों को ररहा करने पर राजी हो गई ब्रिसंबर 1931 में सम्मेलन के ब्रलए गां धी जी लं िन गए यह वाताव बीच में ही िू ि गई और उन्ोंने ब्रनराश वापस लौिना पडा यहां आकर उन्ोंने पाया ब्रक सरकार ने नए ब्रसरे से िमन शु रू कर ब्रिया है गफ्फार खान और जवाहरलाल ने हरू दरनरों जे ल में थे काोंग्रेस कर गैरकानू नी घरब्रर्त कर ब्रदया गया था सभाओों प्रदशमनरों और बब्रहष्कार जैसी गब्रतब्रवब्रधयरों कर ररकने के ब्रलए सख्त कदम उठाए जा रहे थे महात्मा गाोंधी ने सब्रवनय अवज्ञा आों दरलन दरबारा शुरू कर ब्रदया साल भर तक आों दरलन चला लेब्रकन 1934 तक आते -आते उसकी गब्रत मोंदी पड़ने लगी थी लोगो ने आं िोलन को कैसे ब्रलया अमीर ब्रकसान समुिाय - जैसे गुजरात के पिीिार और उत्तर प्रिे श के जाि - आं िोलन में सब्रक्रय थे। व्यावसाब्रयक फसलों की िेती करने के कारण व्यापार में मंिी और ब्रगरती कीमतों से बहुत परे शान थे | ब्रजससे उनकी नकि आए घि गई ,वे सरकारी लगान चुकाने में असमथव थे | ब्रिब्रिश सरकार की उच् राजस्व मां ग के कारण, उन्ोंने सीिीएम में भाग ब्रलया उनके ब्रलए सवराज की लड़ाई उच्च राजस्व के क्तखलाफ सोंघर्म की थी ये अमीर ब्रकसान सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन के उत्साही समथवक बन गए, अपने समुिायों को संगब्रठत ब्रकया, और कभी-कभी अब्रनच्छु क सिस्ों को बब्रहष्कार कायवक्रमों में भाग लेने के ब्रलए मजबूर ब्रकया। लेब्रकन जब 1931 में लगान के घिे ब्रबना आों दरलन जब वापस ले ब्रलया गया तर उन्ें बड़ी ब्रनराशा हुई इसी कारण 1932 में आों दरलन दरबारा शुरू हरने पर बहुतरों ने ब्रहस्सा लेने से इनकार कर ब्रदया लोगो ने आं िोलन को कैसे ब्रलया गरीब ब्रकसान केवल राजस्व मां ग को कम करने में रुब्रच नहीं रिते थे। उनमें से कई छोिे काश्तकार थे जो जमींिारों से ब्रकराए पर ली गई जमीन पर िेती करते थे। जैसे-जैसे मंिी जारी रही और नकि आय घिती गई, छोिे ब्रकरायेिारों को अपने ब्रकराए का भुगतान करना मुखिल हो गया। वे चाहते थे ब्रक मकान माब्रलक का बकाया ब्रकराया माफ कर ब्रदया जाए। काोंग्रेस ज्यादातर जगहरों पर ‘भाडा ब्रवररधी' आन्दरलनरों का समथमन करने कर तैयार नही ों थी। इसब्रलए गरीब ब्रकसानरों और काोंग्रेस के बीच सोंबोंध अब्रनब्रित ही रहे लोगो ने आं िोलन को कैसे ब्रलया व्यापाररक वगव औपब्रनवेब्रशक नीब्रतयों के खिलाफ था जो व्यावसाब्रयक गब्रतब्रवब्रधयों को प्रब्रतबंब्रधत करती थी। वे ब्रवदे शी वस्तुओ ों के आयात से सुरक्षा चाहते थे, और रुपया-स्टब्रलिंग ब्रवदे शी मुद्रा अनुपात जर आयात कर ब्रनयोंब्रत्रत करे गा। व्यावसाब्रयक ब्रहतों को संगब्रठत करने के ब्रलए, उन्ोंने 1920 में इों ब्रडयन इों डक्तस्टर यल एों ड कमब्रशमयल काोंग्रेस और 1927 में फेडरे शन ऑफ द इों ब्रडयन चैंबर ऑफ कॉमसम एों ड इों डस्टर ीज (FICCI) का गठन ब्रकया। पुरुर्ोत्तमिास ठाकुरिास और जीिी ब्रबडला जैसे प्रमुि उद्योगपब्रतयों के इसका नेतृत्व ब्रकया| उद्योगपब्रतयों ने भारतीय अथवव्यवस्था पर औपब्रनवेब्रशक ब्रनयंत्ण पर हमला ब्रकया, और सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन का समथव न ब्रकया जब इसे पहली बार शुरू ब्रकया गया था। उन्ोंने ब्रवत्तीय सहायता िी और आयात हुए सामान को िरीिने या बेचने से इनकार कर ब्रिया। अब्रधकाोंश व्यापारी स्वराज कर एक ऐसे समय के रूप में दे खते थे जब व्यापार पर औपब्रनवेब्रशक प्रब्रतबोंध नही ों रहे ग और व्यापार और उद्यरग ब्रबना ब्रकसी बाधा के फलते-फूलते रहें गे। लेब्रकन गोलमेज सम्मेलन की ब्रवफलता के बाि, व्यापाररक समूह अब आं िोलन के ब्रलए अब समान रूप से उत्साही नहीं थे। वे काोंग्रेस में उग्रवादी गब्रतब्रवब्रधयरों के प्रसार और समाजवाद के बढ़ते प्रभाव से ब्रचोंब्रतद थे। लोगो ने आं िोलन को कैसे ब्रलया नागपुर क्षेत्र कर छरड़कर, औद्यरब्रगक मजदू र वगों ने बड़ी सोंख्या में सब्रवनय अवज्ञा आों दरलन में भाग नही ों ब्रलया। जैसे-जैसे उद्योगपब्रत कां ग्रेस के करीब आते गए, मजिू र आं िोलन से िू र गए। ब्रफर भी कुछ मजिू रों ने सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन में ब्रहस्सा ब्रलया उन्ोंने भी ब्रविे शी वस्तुओं का बब्रहष्कार ब्रकया और कुछ गां धीवािी ब्रवचारों को कम वेतन व ख़राब कायव खस्थब्रतयों के खिलाफ अपनी लडाई से जोड ब्रिया था परों तु ब्रफर भी काोंग्रेस मजदू ररों की माोंगरों पर सहमब्रत करने पर ब्रहचब्रकचाती थी क्रोंब्रक काोंग्रेस कर लगता था इससे उद्यरगपब्रत आों दरलन से दू र हर जाएों गे लोगो ने आं िोलन को कैसे ब्रलया गां धीजी के नमक माचव के िौरान हजारों मब्रहलाएं उन्ें सुनने के ब्रलए अपने घरों से बाहर ब्रनकलीं। उन्ोंने ब्रवरोध माचव में भाग ब्रलया, नमक बनाया और ब्रविे शी कपडे और शराब की िु कानों पर धरना ब्रिया। कई जेल भी गई। शहरी क्षेत्ों में ये मब्रहलाएं उच् जाब्रत के पररवारों से थीं; ग्रामीण क्षेत्ों में वे धनी ब्रकसान पररवारों से आते थे। गाोंधीजी के आह्वान से प्रेररत हरकर, वे राष्ट्र सेवा कर मब्रहलाओों के पब्रवत्र कतमव्य के रूप में दे खने लगे। ब्रफर भी, इस बढ़ी हुई सावमजब्रनक भूब्रमका का मतलब यह नही ों था ब्रक मब्रहलाओों की क्तथथब्रत में करई बड़ा पररवतम न ब्रकया गया था। और लोंबे समय तक काोंग्रेस मब्रहलाओों कर सोंगठन के भीतर ब्रकसी भी पद कर धारण करने की अनुमब्रत दे ने के ब्रलए अब्रनच्छु क थी। यह केवल उनकी प्रतीकात्मक उपखस्थब्रत के ब्रलए उत्सुक था सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन की सीमाएं 1. दब्रलतरों की सीब्रमत भागीदारी : उच् वगव के ब्रहंिुओं को अपमाब्रनत ब्रकये जाने के िर से कां ग्रेस ने िब्रलतों की उपेक्षा की इसब्रलए िब्रलत वगों की भागीिारी सीब्रमत थी 2. मुसलमानरों की कम भागीदारी : असहयोग खिलाफत आं िोलन के वापस ले ब्रलए जाने के बाि मुसलमानों की कोई भागीिारी आं िोलन मे नहीं रही, मुखस्लमों का एक बडा वगव कां ग्रेस से अलग-थलग महसूस करता था क्ोंब्रक कां ग्रेस ब्रहंिू महासभा और ब्रहंिू धमव से अब्रधक स्पष्ट् रूप से जुडी हुई थी, यही मुख्य कारण था ब्रक मुखस्लमों ने बडी संख्या में सीिीएम में भाग नहीं ब्रलया। 3. सब्रवनय अवज्ञा आों दरलन में अलग-अलग लरगरों की अपनी-अपनी आकाोंक्षाएों थी ों, इसी कारण संघर्व पूरी तरह से संघब्रित नहीं था और प्रब्रतभाब्रगयों में असंतोर् की भावना थी। 4. कां ग्रेस ने व्यापारी वगव का समथव न ब्रकया ब्रजसके कारण औद्योब्रगक श्रब्रमकों ने बडी संख्या में आं िोलन में भाग नहीं ब्रलया सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन की सीमाएं सनातब्रनयों को ठे स ना पहुाँ चाने के िर से कां ग्रेस ने िब्रलतों की उपेक्षा की लेब्रकन महात्मा गाोंधी अछूतरों कर दे वताओों की सोंतान कहते थे| डॉक्टर अोंबेडकर जी ने 1930 में दब्रलतरों कर दब्रलत वगम एसरब्रसएशन में सोंगब्रठत ब्रकया और िू सरे गोलमेज सम्मेलन में िब्रलतों के ब्रलए अलग ब्रनवाव चन क्षे त्ों की मां ग की| अंग्रेजों ने उनकी बात मान ली गां धी ने आमरण अनशन शुरू ब्रकया। उनका मानना था ब्रक िब्रलतों के ब्रलए अलग ब्रनवाव चन समाज में उनके एकीकरण की प्रब्रक्रया को धीमा कर िे गा| आखिरकार अंबेिकर जी ने गां धी जी की राय मान ली और ब्रसतोंबर 1932 में पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर कर ब्रदया इससे िब्रलत वगव अनुसूब्रचत जाब्रत प्रां तीय एवं केंद्रीय ब्रवधान पररर्िों में आरब्रक्षत सीिें ब्रमल गई ब्रफर भी िब्रलत आं िोलन कां ग्रेस के नेतृत्व में चल रहे राष्ट्रीय आं िोलन को शंका की दृब्रष्ट् से िे िते थे मुखस्लम लीग के नेताओं में से एक मोहम्मि अली ब्रजन्ना का कहना था ब्रक अगर मुसलमानों को केंद्रीय सभा में आरब्रक्षत सीिें िी जाए और मुखस्लम बहुल प्रां तों (बंगाल और पंजाब) में मुसलमानरों कर आबादी के अनुपात में प्रब्रतब्रनब्रध प्रब्रतब्रनब्रधत्व ब्रदया जाए तर वह मुसलमानरों के ब्रलए पृथक ब्रनवामचन की माोंग छरड़ने के ब्रलए तैयार है |प्रब्रतब्रनब्रधत्व के सवाल पर बातचीत जारी रही लेब्रकन 1928 में सवमदलीय सम्मेलन में इस मुद्दे को हल करने की सभी उम्मीिें गायब हो गईं। सामूब्रहक अपनेपन का भाव सामूब्रहक अपनेपन की भावना आं ब्रशक रूप से संयुि संघर्व के अनुभव के माध्यम से पैिा हुई थी| इसके अलावा बहुत सारी संस्कृब्रतक प्रब्रक्रयाएं भी थी ब्रजनके जररए राष्ट्रवाि लोगों की कल्पना और ब्रिलो-ब्रिमाग पर छा गया था| ब्रचनहो और इब्रतहास की प्रब्रतको पुनव्याव ख्या 20वीं सिी में राष्ट्रवाि के ब्रवकास के साथ भारत की पहचान भी भारत माता की छब्रव का रूप लेने लगी भारत माता की छब्रव सबसे पहले बोंब्रकम चोंद्र चट्टरपाध्याय द्वारा बनाई गई थी। 1870 के िशक में उन्ोंने मातृभूब्रम के ब्रलए एक भजन के रूप में 'वोंदे मातरम‘ भी ब्रलिा। बाि में इसे उन्ोंने अपने उपन्यास आनोंदमठ में शाब्रमल कर ब्रलया और यह गीत बोंगाल में स्वदे शी आों दरलन में िूब गाया गया स्विे शी आं िोलन की प्रेरणा से अबब्रनन्द्रनाथ िै गरर ने भारत माता की ब्रवख्यात छब्रव को ब्रचब्रत्त ब्रकया पेंब्रिंग में भारत माता को एक सन्याब्रसनी के रूप में िशाव या गया है और वह शां त ,गंभीर ,िे वी ,आध्याखत्मकता गुणों से युि ब्रििाई िे ती है सामूब्रहक अपनेपन का भाव 19वीं सिी के आखिर में राष्ट्रवाब्रियो ने लोगो द्वारा सुनाई जाने वाली लोक कथाओं को िजव करना शुरू कर ब्रिया |वे लोकगीतों एव जनश्रुब्रतयो को इकट्ठा करने के ब्रलए गां व-गां व घूमने लगे उनका मानना था ब्रक यही कहाब्रनयां हमारी उस परं परागत संस्कृब्रत की सही तस्वीर पेश करती है जो बाहरी ताकतों के प्रभाव से भ्रष्ट् और िू ब्रर्त हो चुकी है बंगाल में िुि रब्रबोंदरनाथ िै गरर ने लरक गाथा,गीत,बाल गीत कर इकट्ठा करने ब्रनकल पड़े मद्रास में नतेसा शास्त्री ने फरक्लरसम ऑफ सदनम इों ब्रडया के नाम से गंभीर लोक कथाओं का ब्रवशाल संकलन चारों िंिों में प्रकाब्रशत ब्रकया उनका मानना है की लरक कथाएों राष्ट्रीय साब्रहत्य हरती हैं यह लोगों के असली ब्रवचारों और ब्रवब्रशष्ट्ताओ की सबसे ब्रवश्वसनीय अब्रभव्यखि है बंगाल में स्विे शी आं िोलन के िौरान एक ब्रतरं गा झंिा (हरा,पीला,लाल) तैयार ब्रकया गया इसमें ब्रिब्रिश भारत के आठ प्राोंतरों का प्रब्रतब्रनब्रधत्व करने वाले आठ कमल और ब्रहों दुओ ों और मुसलमानरों का प्रब्रतब्रनब्रधत्व करने वाला एक अधमचोंद्र दशामया गया था। 1921 तक महात्मा गाोंधी जी ने भी स्वराज का एक झोंडा तैयार कर ब्रलया था यह भी ब्रतरं गा (सफेि,हरा और लाल) था इसके मध्य में गां धीवािी प्रतीक चरके को जगह िी गई थी जो स्वावलंबन का प्रब्रत था| जुलूसो में यह झंिा थामे चलना शासन के प्रब्रत अब्रभज्ञा का संकेत था सामूब्रहक अपनेपन का भाव उन्नीसवी ों सदी के अोंत तक कई भारतीयरों कर लगने लगा ब्रक राष्ट्र में गौरव की भावना पैदा करने के ब्रलए भारतीय इब्रतहास कर अलग नजररये से सरचना हरगा। भारतीयों ने भारत की महान उपलखियों की िोज के ब्रलए अतीत की ओर िे िना शुरू ब्रकया। उन्रोंने प्राचीन काल में शानदार ब्रवकास के बारे में ब्रलखा जब कला और वास्तुकला, ब्रवज्ञान और गब्रणत, धमम और सोंस्कृब्रत, कानून और दशमन, ब्रशल्प और व्यापार फला-फूला था। Important Dates 1. 1914-1918 प्रथम ब्रवश्व युद्ध 2. जनवरी 1915 महात्मा गां धी िब्रक्षण अफ्रीका से भारत लौिे 3. 1917 चंपारण सत्याग्रह 4. 1917 िेडा सत्याग्रह 5. 1918 अहमिाबाि सत्याग्रह 6. फरवरी 1919 ब्रिब्रिश सरकार ने रॉलेि एक्ट पाररत ब्रकया 7. जब्रलयां वाला बाग हत्याकां ि की घिना 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर में हुई थी। 8. माचव 1919 में बॉम्बे में खिलाफत सब्रमब्रत का गठन ब्रकया गया था 9. ब्रसतम्बर 1920 में कां ग्रेस का कलकत्ता अब्रधवेशन हुआ था 10. ब्रहंि स्वराज (1909) 11. ब्रिसंबर 1920 में नागपुर में कां ग्रेस का अब्रधवेशन हुआ था 12. जनवरी 1921 मे असहयोग आं िोलन शुरू हुआ 13. जून 1920 में जवाहर लाल नेहरू ने अवध के गां व का िौरा ब्रकया 14. inland emigration act , 1859 15. नवंबर 1927 में साइमन कमीशन का गठन ब्रकया गया 16. 1928 में साइमन कमीशन भारत आया 17. लॉिव इरब्रवन ने अक्टू बर 1929 में 'िोब्रमब्रनयन स्टे िस' की अस्पष्ट् पेशकश की घोर्णा की 18. 1922 में चौरी चौरा में हुई ब्रहंसा के कारण असहयोग आं िोलन वापस ले ब्रलया गया 19. 1924 में अल्लूरी सीताराम राजू को पकड ब्रलया गया और मार िाला गया Important Dates 20. नमक यात्ा शुरू करने से पहले , 31 जनवरी 1930 को गााँ धी जी ने वायसराय इरब्रवन को ग्यारह मां गों को बताते हुए एक पत् भेजा। 21. महात्मा गां धी ने एक और पत् ब्रलिा एक अल्टीमेिम के रूप में ब्रजसमे ब्रलिा था ब्रक "यब्रि 11 माचव तक उनकी मां ग पूरी नहीं हुई तो कां ग्रेस सब्रवनय अवज्ञा आं िोलन शुरू करे गी" लेब्रकन इरब्रवन बातचीत के ब्रलए तैयार नहीं थे 22. 6 अप्रैल 1930 िां िी पहुं चे और समुद्र के पानी को उबालकर नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन ब्रकया 23. महात्मा गां धी ने एक बार ब्रफर सीिीएम को बंि करने का फैसला ब्रकया और 5 माचव 1931 को इरब्रवन के साथ एक समझौता ब्रकया। 24. ब्रिसंबर 1931 में गां धीजी गोलमेज सम्मेलन के ब्रलए लंिन गए, लेब्रकन वाताव िू ि गई और वे ब्रबच मे ही ब्रनराश होकर लौि आए। 25. 1920 में भारतीय औद्योब्रगक और वाब्रणखज्यक कां ग्रेस का गठन ब्रकया गया 26. 1927 मे The Federation of the Indian Chamber of Commerce and Industries (FICCI) 27. ब्रसतंबर 1932 का पूना समझौता प्रां तीय और ब्रवधान पररर्ि में िब्रलत वगों को आरब्रक्षत सीि िे ता है , हालां ब्रक िे र से कां ग्रेस के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय आं िोलन से आशंब्रकत रहते हैं 28. बीआर अम्बेिकर ब्रजन्ोंने 1930 में ब्रिप्रेस्ि क्लास एसोब्रसएशन का स्थापना की 29. 1921 तक गां धीजी ने स्वराज ध्वज को ब्रिजाइन ब्रकया था। यह ब्रफर से एक ब्रतरं गा (लाल, हरा और सफेि) था और केंद्र में एक चरिा था, जो स्वयं सहायता के गां धीवािी आिशव को िशाव ता था। FOR VIDEO LECTURE CHECK OUR YOUTUBE CHANNEL : MAIN POINT STUDY FOR LATEST UPDATE AND QUERIES JOIN OUR TELEGRAM CHANNEL Main Point Study 10 CHECK OUT OUR OTHER YOUTUBE CHANNEL Bharat kumar khorwal