Daily Class Notes - अर्थव्यवस्था PDF
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These daily class notes provide an overview of socialist economics, discussing the advantages and disadvantages of capitalism as a prelude. The notes cover both theoretical and historical aspects of communism, drawing from historical events like the Russian Revolution, and its key figures such as Karl Marx and Vladimir Lenin, contrasting these theories to capitalism.
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1 दै निक क्लास िोट् स अर्थव्यवस्र्ा Lecture – 02 समाजवादी अर्थव्यवस्र्ा 2 समाजवाद...
1 दै निक क्लास िोट् स अर्थव्यवस्र्ा Lecture – 02 समाजवादी अर्थव्यवस्र्ा 2 समाजवादी अर्थव्यवस्र्ा पूँजीवाद के लाभ: पूँजीवाद एक ववत्तीय उत्प्रे रक (Financial trigger) उपलब्ध कराता है , वजससे नवाचार को बढ़ावा विलता है । नवाचार के कारण ववज्ञान तथा तकनीकी का ववकास होता है , जैसे वपछले 100 वर्षों िें तकनीकी का वजतना ववकास हुआ है , उतना हजार वर्षों िें नही ीं हुआ था। इससे गरीबी वनवारण होता है , जैसे वपछले 50 वर्षों िें गरीबी के वैविक स्तर िें वगरावट दे खी गई है । विक्षा के स्तर िें सु धार हुआ है , क्ोींवक प्रत्येक व्यक्ति अपनी सीं तान के भववष्य को सु गि बनाने का प्रयास करता है । इससे स्वास्थ्य के िानकोीं िें सु धार हुआ है तथा वचवकत्सीय सु ववधाओीं का ववकास हुआ है । लोगोीं की जीवन की गुणवत्ता िें सु धार हुआ है । उपभोिा की प्रवृवत्त को बढ़ावा विला है , वजससे उपभोिा न्याय सु वनवित होता है । पींजीवाद लोगोीं िें आवथिक उन्नवत की आिा को प्रेररत करता है , वजससे लोगोीं िें प्रगवत की िानवसकता का ववकास होता है । पूँजीवाद की हानियाूँ : एकानिकार : इसिें बड़े प्रवतष्ठानोीं का एकावधकार हो जाता है , क्ोींवक बड़ी कम्पवनयाूँ छोटी कींपवनयोीं को खरीद लेता है अथवा दो कींपवनयोीं के िध्य ववलय हो जाने से स्वतीं त्र प्रवतस्पधाि का स्तर वगरता है । जैसे गगल वजसका अवधकार यट्यब, गगल पे, गगल िोवपींग तथा गगल िैप पर है । गरीबी : पींजीवाद िें अिीर और अिीर होता जाता है , जबवक गरीब व्यक्ति और अवधक गरीब हो जाता है । जैसे भारत िें 1991 के बाद वैिीकरण के साथ असिानता के स्तर िें वृक्ति हुई है । ववि के 1% लोगोीं के पास सीं पवत्त का 82% अींि है । पयाथ वरण : कींपवनया लाभ के उद्देश्य से जल प्रदषण, वायु प्रदषण तर्ा मृदा प्रदषण के रूप िें पयाि वरण पर नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करती हैं , वजससे पयाि वरणीय अवनयन हो रहा है । यह प्रवृवत्त अींततः िानवीय सीं कट उत्पन्न करे गी। आीं कड़ोीं के अनुसार वपछले 100 वर्षों िें इतना पयाि वरणीय नुकसान हुआ है , वजतना वपछ्ले 2000 वर्षों िें नही ीं हुआ है । समाज पर : कींपवनयोीं द्वारा भ्रािक प्रचारोीं के िाध्यि से उपभोिाओीं की िनोवृवत िें पररवति न वकया जाता है , वजससे उपभोिाओीं का अनावश्यक व्यय हो जाता है । तथा फास्ट फ़ड के ववज्ञापन से भारत जैसे दे िोीं िें स्वास्थ्य जैसी सिस्याएूँ उत्पन्न हो रही हैं । साम्यवाद (Communism): यह एक ऐसी ववचारधारा है , जहाूँ लोग कायि अपनी क्षिता के अनुसार करते हैं , जबवक पाररश्रविक उन्हें अपनी आवश्यकता के अनुसार विलता है ।इस ववचारधारा के सिथिक राज्य ववहीन तथा वनजी सीं पवत्त ववहीन व्यवस्था का वनिाि ण करना चाहते हैं ।वजसिें भेदभाव का अभाव हो तथा सभी लोग सिान हो।उत्पादन के साधनोीं जैसे जिीन, उद्योग, खवनज आवद पर अवधपत्य सिुदाय, कािगारोीं या जनता का होता है । उत्पनि: यरोप िें पींजीवादी अथिव्यवस्था के कारण िजदरोीं की क्तस्थवत दयनीय हो गयी जबवक उद्योगपवत अवधक अिीर होते जा रहे थे।िजदरोीं ही हालत दयनीय थी, क्ोींवक: काि के अवधक घींटे अवकाि का अभाव अवधक िोर्षण िवहलाओीं की दयनीय क्तस्थवत 3 उपयुिि क्तस्थवत के कारण यरोप िें सिाज का दो वगों िें ववभाजन हो गया, वजसिें एक अिीर वगि तथा दसरा िजदर वगि था। इसी क्तस्थवत िें कालििार्क्ि ने िजदर वगि का नेतृत्व वकया। कालि िार्क्ि एक जििन दािि वनक थे, इन्होने एक पुस्तक ‘कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो’ वर् ष 1848 िें प्राकावित की, वजसिें उन्होींने वलखा: एक ऐसे सिाज का वनिाि ण वकया जाना चावहए जहाूँ अिीर और गरीब के िध्य अींतर न हो। उत्पादन के साधनोीं पर स्वावित्व जनता का हो। सिाज िें कोई भेदभाव, वगि तथा धिि नही ीं होगा। पैतृक सीं पवत्त तथा वनजी सीं पवत्त नही ीं होगी। सभी लोगोीं का सीं पवत्त पर अवधकार होगा तथा सभी को िुफ्त विक्षा प्राप्त होगी। साविजवनक िुफ्त स्वास्थ्य से वाओीं का लाभ विलेगा। दु वनया िें कोई राज्य नही ीं होगा, क्ोींवक राज्य िोर्षण का िल कारण है । परी दु वनया िजदरोीं की होगी तथा सम्पणि ववि के िजदर एक होींगे। सम्पणि ववि के िजदर एक साथ विलकर क्ाीं वत कर व्यवस्था को बदल सकते हैं , कालििार्क्ि ने अपनी वकताब दास कैनपटल िें वलखा वक “परी दु निया के मजदरोों एक हो जाओ क्ोोंनक तु म्हारे पास खोिे के नलए कुछ िही ों है , नसवाय अपिी बेनियोों के”। आलोचिा: यह सब एक कल्पना या यटोवपया था। कालििार्क्ि अपने साम्यवाद को धरातल पर नही ीं उतार सके। रूस की क्ाों नत-1917: िार्क्ि के दिि न से प्रभाववत होकर लेवनन ने रूस की क्ाीं वत की और जार की सत्ता को उखाड़ फेंका। लेवनन ने रूस िें साम्यवादी ववचारधारा को लाग वकया। लेवनन ने िजदरोीं के िानवावधकारोीं को प्राथविकता दी। कायि का सिय प्रवतवदन 8 घींटे का होगा और सप्ताह िें 5 ही वदन कायि वकया जाएगा। खे ती की जिीन को अिीरोीं से छीन वलया तथा िजदरोीं और वकसानोीं िें बाूँ ट वदया। उद्योगोीं का राष्ट्रीयकरण वकया गया। यह ववचार िार्क्ि के ववचारोीं से अींतर रखता है । िजदरोीं से विलकर एक राज्य नािक सत्ता का वनिाि ण वकया जाएगा। लेवकन ने रूस में ‘one party state’ की स्थापना की वजसका अथि था साम्यवादी ववचारधारा के आधार पर सिाज तथा अथिव्यवस्था का वनिाि ण करना। मार्क्थ वाद तर्ा लेनिि की नवचारिाराओों में अोंतर: मार्क्थ या साम्यवाद लेनिि या सोनवयत साम्यवाद राज्य तथा सरकार को अस्वीकार कर वदया। सरकार तथा राष्ट्र के अक्तस्तत्व को स्वीकार वकया। सै िाीं वतक पररकल्पना व्यवहाररक ववचारधारा 4 प्रभाव: रूसी क्ाीं वत से प्रभाववत होकर िजदर साम्यवादी आदिों को व्यवहाररक स्तर पर लाग करने के वलए प्रयत्न करने लगे। इसी से प्रेररत होकर चीन िें िाओ के नेतृत्व िें क्ाीं वत हुई। दु वनया के वजन दे िोीं िें साम्यवादी ववचारधारा के आधार पर क्ाीं वत की उनिें सािान्यतः “एक पाटी, एक सरकार” का िासन अपनाया गया। निष्कषथ: लेवनन ने िार्क्ि की ववचारधारा के कुछ वसिाीं तोीं को अपनाया तथा कुछ वसिाीं तोीं को छोड़ा वदया तथा इसिें कुछ अपने ववचार भी जोड़े , इसीवलए इसे ‘सोनवयत साम्यवाद’ कहा गया, इसीवलए कहा जाता है , वक लेवनन ने िार्क्ि को व्यवहाररक बना वदया। समाजवाद: साम्यवाद का व्यवहाररक रूप सिाजवाद है , वजसे वववभन्न दे िोीं िें क्ाीं वतयोीं के िाध्यि से कुछ पररवति नोीं के साथ धरातल पर उतारा गया। सिाजवाद, साम्यवाद से उपजी ववचारधारा है । उत्पादन के सभी साधनोीं पर सरकार का अवधपत्य हो गया। समाजवाद तर्ा पूँजीवाद में अोंतर: आिार समाजवाद पूँजीवाद उत्पादन के साधनोीं पर अवधकार राज्य या सरकार का वनजी क्षेत्र का उद्देश्य सिानता पर आधाररत लाभ केक्तित समाजवाद (Socialism) सै िुअलसन के अनुसार सिाजवाद िें उत्पादन के साधनोीं पर स्वावित्व सरकार का होता है तथा सरकार द्वारा ही वनयोजन तथा आय का ववतरण वकया जाता है ।अथाि त सिाजवाद एक ऐसी आवथिक प्रणाली है , वजसिें सम्पणि अथिव्यवस्था पर स्वावित्व तथा वनयींत्रण सरकार का होता है । नवशे षताएों : सामनहक स्वानमत्व: उत्पादन के साधनोीं पर सरकार अथवा सिुदाय का स्वावित्व होता है । सामानजक, आनर्थक तर्ा राजनिनतक समािता: सभी के पास सिान सीं पवत्त होगी तथा अिीर और गरीब का कोई भेदभाव नही ीं होगा। सिाज िें धावििक तथा जावतगत ववभाजन नही ीं होता है । कोई भी व्यक्ति िीर्षि पर पहुूँ च सकता है । आनर्थक नियोजि: सिाजवाद के तहत सरकार कुछ उद्देश्योीं को वनधाि ररत करने के वलए आवथिक वनयोजन सिबन्धी योजनाएीं बनाती थी। प्रवतयोवगता का अभाव: राज्य एकिात्र उत्पादक होता है , इसीवलए सिाजवाद िें प्रवतयोवगता का अभाव होता है , यह वविे र्षता पूँजीवाद से ववपरीत है । 5 सरकार की भनमका: सभी प्रकार के आवथिक वनणि योीं िें सरकार की िहत्त्वपणि भविका होती है । क्षिता के अनुसार कायि जबवक जरुरत के अनुसार पाररश्रविक। अवधकति सिाज कल्याण। पैतृक सीं पवत्त का अक्तस्तत्व नही ीं। िजदरोीं का अवधकार। न्यनति वेतन वनधाि ररत है । िुफ्त विक्षा। जीवन की बुवनयादी आवश्यकताएीं सभी को प्राप्त होती हैं । स्त्री-पुरुर्ष सिानता। िानव की प्रवतष्ठा तथा सम्मान। िकारात्मक पक्ष: सिाजवाद, आवथिक ववचारधारा के रूप िें अींततः ववफल हो गया, क्ोींवक इसकी ववफलता का िल कारण उसके िल दिि न िें ही था, वजसके अनुसार व्यक्ति अपनी क्षिता के अनुसार कायि करता है , जबवक उसे पाररश्रविक आवश्यकता के अनुसार विलता है , चूँवक सभी की क्षिताएीं तथा आवश्यकताएीं सिान नही ीं होती हैं । लोगोीं िें काि के प्रवत नीरसता के कारण नावाचार का अभाव हो गया। उद्यविता का अभाव था। उद्यविता के अभाव से यह प्रणाली धीरे -धीरे खोखली होने लगी पररणािस्वरूप यह पूँजीवाद से हार गया। साम्यवादी दे िोीं िें सरकारें जनता के नाि पर सभी उद्योगोीं तथा सीं साधनोीं का प्रबींधन करनी लगी पररणािस्वरूप भ्रष्ट्ाचार का स्तर बढ़ने लगा, वजसके कारण सरकारी अवधकारी भोग-ववलास का जीवन जीते थे, जबवक गरीब जनता को वसफि क्ाीं वत के नारे तथा गीत विले। इन कवियोीं के कारण सिाजवाद का पतन हो गया।