मेक इन इंडिया के 10 वर्ष PDF

Summary

यह दस्तावेज़ मेक इन इंडिया पहल और इसके विविध पहलुओं के बारे में है, जिसमें इस पहल की शुरुआत, उद्देश्य, घटक और चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है। मेक इन इंडिया योजना भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी।

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मेक इन इंडिया के 10 वर्ष प्रारंभिक परीक्षा के लिये: मेक इन इंडिया पहल, मेक इन इंडिया 2.0 चरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), PLI योजनाएँ, पीएम गतिशक्ति, सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम, NLP , भारत का लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI), स्मार्ट सिटीज़, स्टार्टअप इंडिया पहल, वस्तु और सेवा कर (GST)। मुख्य परीक...

मेक इन इंडिया के 10 वर्ष प्रारंभिक परीक्षा के लिये: मेक इन इंडिया पहल, मेक इन इंडिया 2.0 चरण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), PLI योजनाएँ, पीएम गतिशक्ति, सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम, NLP , भारत का लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI), स्मार्ट सिटीज़, स्टार्टअप इंडिया पहल, वस्तु और सेवा कर (GST)। मुख्य परीक्षा के लिये: मेक इन इंडिया पहल के तहत की गई प्रमुख पहल, मेक इन इंडिया पहल का विश्लेषण, MII से संबंधित चुनौतियाँ और चिंताएँ। स्रोत: पी.आई.बी चर्चा में क्यों? भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की दिशा में 25 सितम्बर 2014 को शुरू की गई 'मेक इन इंडिया' पहल का एक दशक पूरा हो गया है। 'मेक इन इंडिया' पहल क्या है? परिचय: इस अभियान को निवेश को सुविधाजनक बनाने, नवाचार एवं कौशल विकास को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने तथा सर्वश्रेष्ठ विनिर्माण बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने के लिये शुरू किया गया था। उद्देश्य: विनिर्माण क्षेत्र की संवृद्धि दर को बढ़ाकर 12-14% प्रतिवर्ष करना। वर्ष 2022 तक (संशोधित तिथि 2025) विनिर्माण से संबंधित 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना । वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान बढ़ाकर 25% करना। 'मेक इन इंडिया' के स्तंभ: नई प्रक्रियाएँ: इसके तहत 'व्यापार करने में सुलभता' को उद्यमशीलता के लिये महत्त्वपूर्ण माने जाने के साथ स्टार्टअप्स और स्थापित उद्यमों के लिये कारोबारी माहौल में सुधार के उपायों को लागू किया गया। नवीन बुनियादी ढाँचा: सरकार ने विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचा बनाने के लिये औद्योगिक गलियारों एवं स्मार्ट शहरों के विकास को प्राथमिकता दी। इसके तहत सुव्यवस्थित पंजीकरण प्रणालियों और बेहतर बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) संबंधी बुनियादी ढाँचे के माध्यम से नवाचार और अनुसंधान को भी बढ़ावा दिया गया। नवीन क्षेत्र: रक्षा उत्पादन, बीमा, चिकित्सा उपकरण, विनिर्माण और रेलवे अवसंरचना सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सुविधा प्रदान की गई। नई मानसिकता: इसके तहत सरकार ने नियामक के बजाय सुविधाप्रदाता की भूमिका निभाई तथा देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिये उद्योगों के साथ साझेदारी को बढ़ावा दिया। मेक इन इंडिया 2.0: वर्तमान में चल रहा "मेक इन इंडिया 2.0" चरण (जिसमें 27 क्षेत्र शामिल हैं) इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के साथ वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र में एक प्रमुख पहलू के रूप में भारत की भूमिका को मज़बूत कर रहा है। मेड इन चाइना 2025 इस पहल का उद्देश्य चीन की अर्थव्यवस्था कोकम लागत वाले विनिर्माण आधार से उच्च मूल्य वाले उत्पादों और सेवाओं के उत्पादक के रूप में परिवर्तित करना है। इस योजना के लक्ष्य इस प्रकार हैं: घरेलू स्तर पर प्राप्त मुख्य सामग्रियों की हिस्सेदारी को वर्ष 2020 के 40% से बढ़ाकर वर्ष 2025 में 70% करना। सेमीकंडक्टर, एयरोस्पेस और रोबोटिक्स सहित 10 प्रमुख क्षेत्रों में तकनीकी सफलता हासिल करना। ऊर्जा एवं संसाधन के उपभोग को कम करना। विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी फर्मों और औद्योगिक केंद्रों का विकास करना। मेक इन इंडिया को सक्षम बनाने के लिये उठाए गए प्रमुख कदम कौन से हैं? उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाएँ: PLI योजनाओं का उद्देश्य 14 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करके घरेलू विनिर्माण तथा निर्यात को बढ़ावा देना है। जुलाई 2024 तक प्रगति: कुल निवेश 1.23 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने के साथ लगभग 8 लाख रोज़गार सृजित हुए। पीएम गतिशक्ति: इसे वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। यह पहल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिये मल्टीमॉडल और अंतिम-मील कनेक्टिविटी बुनियादी ढाँचे की स्थापना पर केंद्रित है। यह पहल सात प्राथमिक चालकों पर आधारित है: रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जन परिवहन और रसद अवसंरचना। सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम विकास: एक स्थायी सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम विकसित करने के लिये वर्ष 2021 में सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम को मंजूरी दी गई थी। राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (NLP): इसे उन्नत प्रौद्योगिकी, बेहतर प्रक्रियाओं और कुशल जनशक्ति के माध्यम से भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु शुरू किया गया था। इसके लक्ष्यों में लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना, भारत की लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक (LPI) रैंकिंग को वर्ष 2030 तक शीर्ष 25 में लाना तथा डेटा-संचालित निर्णय समर्थन प्रणाली विकसित करना है। औद्योगीकरण और शहरीकरण: राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम भारत की प्रमुख बुनियादी ढाँचा पहल है, जिसका उद्देश्य "स्मार्ट शहरों" और उन्नत औद्योगिक केंद्रों का विकास करना है। स्टार्टअप इंडिया: इसे उद्यमियों को समर्थन देने, एक मज़बूत स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करने और भारत को रोज़गार चाहने वालों के बजाय रोज़गार सृजक देश में बदलने हेतु शुरू किया गया था। सितंबर 2024 तक भारत में वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है जिसमें 148,931 DPIIT द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं, जिनके माध्यम से 15.5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित हुए हैं। कर सुधार: वस्तु एवं सेवा कर (GST), भारत की कर प्रणाली में एक महत्त्वपूर्ण सुधार है। एकीकृत भुगतान इंटरफेस: UPI की वैश्विक स्तर पर रियल टाइम भुगतान में 46% की हिस्सेदारी है, जो डिजिटल वित्त में इसकी प्रमुख भूमिका पर प्रकाश डालता है। अप्रैल से जुलाई 2024 तक UPI द्वारा लगभग 81 लाख करोड़ रुपये के लेन-देन की सुविधा प्रदान की गई, जो इसके बढ़ते उपभोक्ता विश्वास का परिचायक है। मेक इन इंडिया के अंतर्गत प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं? टीकाकरण की वैश्विक आपूर्ति: भारत ने स्वदेशी टीकों की मदद से रिकॉर्ड कोविड-19 टीकाकरण कवरेज हासिल करने के साथ विश्व स्तर पर लगभग 60% टीकों की आपूर्ति करके एक अग्रणी निर्यातक की भूमिका निभाई। वंदे भारत रेलगाड़ियाँ: यह भारत की पहली स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड रेलगाड़ी है जो 'मेक इन इंडिया' पहल का उदाहरण है। वर्तमान में 102 सेवाएँ (51 रेलगाड़ियाँ), कनेक्टिविटी को बढ़ाने के साथ रेल प्रौद्योगिकी में प्रगति को प्रदर्शित कर रही हैं। रक्षा उत्पादन की उपलब्धियाँ: भारत के पहले घरेलू स्तर पर निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण रक्षा में आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रगति का प्रतीक है। वर्ष 2023-24 में रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुँचने के साथ 90 से अधिक देशों को निर्यात किया गया। इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में संवृद्धि: भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र वित्त वर्ष 23 तक 155 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक विस्तारित हो गया है जिसका उत्पादन वित्त वर्ष 17 से लगभग दोगुना हो गया है। इस उत्पादन में मोबाइल फोन का योगदान 43% है जिसके साथ ही भारत, वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता बन गया है। निर्यात: व्यापारिक वस्तुएँ: वित्त वर्ष 2023-24 में इनका निर्यात 437.06 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। रक्षा क्षेत्र हेतु जूते: 'मेड इन बिहार' जूते रूसी सेना में शामिल किये गए हैं। कश्मीर विलो बल्ले: इन बल्लों को अंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता मिली है, जो क्रिकेट में भारत की शिल्पकला और प्रभाव का परिचायक है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अमूल का विस्तार: अमूल ने अमेरिका में अपने डेयरी उत्पाद लॉन्च किये हैं, जो भारतीय डेयरी के वैश्विक महत्त्व को रेखांकित करता है। वस्त्र उद्योग रोज़गार: वस्त्र क्षेत्र से लगभग 14.5 करोड़ रोज़गार सृजित हुए है। ं खिलौना उत्पादन: भारत में प्रतिवर्ष लगभग 400 मिलियन खिलौनों का उत्पादन होता है तथा प्रति सेकंड 10 नए खिलौने निर्मित किये जाते हैं। मेक इन इंडिया कार्यक्रम से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं? वैश्विक विनिर्माण सूचकांक: वर्ष 2023 के अनुसार भारत वैश्विक विनिर्माण सूचकांक में 5वें स्थान (चीन और अमेरिका जैसे देशों से पीछे) पर रहा है, जिससे प्रतिस्पर्द्धात्मकता की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है। सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का योगदान: विनिर्माण क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में केवल लगभग 17% का योगदान दिया, जिससे इस क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने वाली नीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश पड़ता है। हालाँकि वर्ष 2025 तक 25% योगदान के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये इसमें पर्याप्त सुधार आवश्यक हैं। कौशल विकास का अभाव: भारत कौशल रिपोर्ट, 2024 से पता चलता है कि भारत के लगभग 60% कार्यबल में विनिर्माण संबंधी रोज़गार हेतु प्रासंगिक कौशल का अभाव है, जिससे इस क्षेत्र के संभावित विकास में बाधा आती है। आपूर्ति श्रृंखला संबंधी चुनौतियाँ: कोविड-19 महामारी से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमज़ोरियों का पता लगा है, जिससे भारत का विनिर्माण परिदृश्य प्रभावित हो रहा है। आपूर्ति श्रृंखलाओं के स्थानीयकरण की दिशा में बदलाव आवश्यक है लेकिन यह अभी भी अविकसित है। निवेश लक्ष्य: सरकार ने वर्ष 2025 तक विनिर्माण क्षेत्र में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2023 तक केवल 23 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ही निवेश हासिल किया जा सका है,जिससे लक्ष्य एवं वास्तविकता के बीच के अंतर पर प्रकाश पड़ता है। नवप्रवर्तन और अनुसंधान एवं विकास: भारत का अनुसंधान एवं विकास (R&D) व्यय का जीडीपी से अनुपात 0.7% है, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत कम है तथा वैश्विक औसत (1.8%) से भी काफी कम है। आगे की राह विनियमनों को सरल बनाना: व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने के लिये नौकरशाही प्रक्रियाओं और श्रम कानूनों को सरल बनाना चाहिये। उदाहरण के लिये, भारत में वर्ष 2019 और 2020 में पारित चार श्रम संहिताओं को अभी तक लागू नहीं किया गया है। बुनियादी ढाँचे में निवेश: विनिर्माण दक्षता में सुधार के लिये परिवहन नेटवर्क और लॉजिस्टिक्स प्रणालियों को उन्नत बनाना चाहिये। कौशल विकास कार्यक्रम: कार्यबल में कौशल अंतराल को दूर करने के लिये लक्षित कौशल विकास पहलों को लागू करना चाहिये। दक्षिण कोरिया जैसे देशों में 90% जनसंख्या कुशल है इस क्रम में भारत को उद्योग की आवश्यकता के अनुसार पहल करनी होगी। अनुसंधान एवं विकास में निवेश को प्रोत्साहित करना: कर प्रोत्साहन सहित अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाकर नवाचार को बढ़ावा देना चाहिये। स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देना: आयात पर निर्भरता कम करने तथा अनुकूलन बढ़ाने के लिये घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूत करना चाहिये। विदेशों के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ावा देना: विदेशी निवेश को आकर्षित करने और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने के लिये व्यापार संबंधों को बढ़ावा देना चाहिये। वर्ष 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत चीन से FDI आकर्षित करकेचीन से होने वाले निवेश से लाभान्वित हो सकता है। निगरानी और मूल्यांकन: संबंधित बाधाओं और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के साथ की जाने वाली पहल के प्रभाव की निगरानी हेतु ढाँचा स्थापित करना चाहिये। दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: मेक इन इंडिया पहल के कार्यान्वयन के दस वर्ष पूरे होने के आलोक में इससे संबंधित प्रगति और चुनौतियों का मूल्यांकन कीजिये। UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न प्रिलिम्स: प्रश्न. 'वस्तु एवं सेवा कर (गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स GST)' के क्रियान्वित किये जाने का/के सर्वाधिक संभावित लाभ क्या है/हैं? (2017) 1. यह भारत में बहु प्राधिकरणों द्वारा वसूल किये जा रहे बहु करों का स्थान लेगा और इस प्रकार एकल बाज़ार स्थापित करेगा। 2. यह भारत के 'चालू खाता घाटे' को प्रबलता से कम कर उसके विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने हेतु उसे सक्षम बनाएगा। 3. यह भारत की अर्थव्यवस्था की समृद्धि एवं आकार को बृहद रूप से बढ़ाएगा और उसे निकट भविष्य में चीन से आगे निकल जाने योग्य बनाएगा। निम्नलिखित कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 (b) केवल 2 और 3 (c) केवल 1 और 3 (d) 1, 2 और 3 उत्तर: (a) मुख्य: प्रश्न. "भारत में बनाइये' कार्यक्रम की सफलता, 'कौशल भारत' कार्यक्रम और आमूल श्रम सुधारों की सफलता पर निर्भर करती है।" तर्कसम्मत दलीलों के साथ चर्चा कीजिये। (2015) PDF Refernece URL: https://www.drishtiias.com/hindi/printpdf/make-in-india-celebrates-10-years Powered by TCPDF (www.tcpdf.org)

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