राज्य_के_नीति_निदेशक_तत्त्व,_मौलिक_कर्तव्य_और_मूल_संरचना_-_स्टडी_नोट्स

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राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व , मौलिक कितव्य और मूि संरचना भारिीय राजव्यवस्था Copyright © 2014-2020 TestBook Edu Solutions Pvt. Ltd.: All rights reserved Download Testbook App राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलि...

राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व , मौलिक कितव्य और मूि संरचना भारिीय राजव्यवस्था Copyright © 2014-2020 TestBook Edu Solutions Pvt. Ltd.: All rights reserved Download Testbook App राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व भूतमका  राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व (डीपीएसपी) की गणना संतवधान के भाग IV में अनुच्छेद 36 से 51 िक की गई है।  राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व का तवचार 1937 के आयररश संतवधान से लिया गया है, जजसने इसे स्पेननश संतवधान से लिया था।  डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने इन ित्वों को भारिीय संतवधान की नयी तवशेषिाओ'ं के रूप में वलणि ि नकया।  मौलिक अजधकारों के साथ ननदेशक ित्वों में संतवधान का दशतन ननहहि है और यह संतवधान की आत्मा है। राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व की तवशेषिाएं  यह वह तवचार हैं जजन्हें राज्य को नीतियां बनािे और कानून बनािे समय ध्यान में रखना चाहहए।  यह तवधायी, कायतकारी और प्रशासननक मामिों में राज्य को संवैधाननक ननदेश या जसफाररशें हैं।  ननदेशक ित्व 1935 के भारि सरकार अजधननयम में उल्लिखखि 'ननदेश के साधन' से तमििे जुििे हैं।  ननदेशक ित्व एक आधुननक िोकिांहिक राज्य के लिए बहुि व्यापक आजथि क, सामाजजक और राजनीतिक कायतक्रम का गठन करिे हैं।  वह एक 'कल्याणकारी राज्य' की अवधारणा को मूित रूप देिे हैं।  वह देश में आजथि क और सामाजजक िोकिंि स्थाहपि करना चाहिे हैं। भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 2 Download Testbook App  ननदेशक ित्व प्रकृति में गैर-न्याजयक हैं  ननदेशक ित्व, हािांनक प्रकृति में गैर-न्याजयक हैं, कानून की संवैधाननक वैधिा की जांच और ननधातरण में अदाििों की मदद करिे हैं। राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व का वगीकरण  संतवधान में ननदेशक ित्वों का कोई वगीकरण नहीं है।  हािााँनक, उनकी सामग्री और हदशा के आधार पर, उन्हें िीन व्यापक श्रेलणयों में वगीकृि नकया जा सकिा है: 1. समाजवादी 2. गांधीवादी 3. उदारवादी-बौलिक। समाजवादी ित्व  यह ित्व समाजवाद की तवचारधारा को दशातिे हैं  शातमि अनुच्छेद:  अनुच्छेद 38  अनुच्छेद 39  अनुच्छेद 39 A  अनुच्छेद 41  अनुच्छेद 42  अनुच्छेद 43 गांधीवादी ित्व  वह राष्ट्रीय आं दोिन के दौरान गांधी द्वारा प्रतिपाहदि पुनननि मातण के कायतक्रम का प्रतिननजधत्व करिे हैं।  शातमि अनुच्छेद भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 3 Download Testbook App  अनुच्छेद 40  अनुच्छेद 43  अनुच्छेद 46  अनुच्छेद 47 उदारवादी-बौलिक ित्व  शातमि अनुच्छेद:  अनुच्छेद 44  अनुच्छेद 45  अनुच्छेद 48  अनुच्छेद 49  अनुच्छेद 50  अनुच्छेद 51 नए ननदेशक ित्व  1976 के 42वें संशोधन अजधननयम ने मूि सूची में चार नए ननदेशक ित्व जोडे।  अनुच्छेद 39  अनुच्छेद 39 A  अनुच्छेद 43 A  अनुच्छेद 48 A  1978 के 44वें संशोधन अजधननयम में अनुच्छेद 38 जोडा गया।  2002 के 86वें संशोधन अजधननयम ने अनुच्छेद 45 की तवषय-वस्तु को बदि हदया।  2011 के 97वें संशोधन अजधननयम ने सहकारी सतमतियों से संबंजधि एक नया ननदेशक ित्व -अनुच्छेद 43B जोडा। भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 4 Download Testbook App ननदेशक ित्वों के पीछे मंजरू ी  मौलिक अजधकार, जो प्रकृति में न्याजयक हैं, भाग III में शातमि नकए गए हैं और ननदेशक ित्व, जो प्रकृति में गैर- न्याजयक हैं, संतवधान के भाग IV में शातमि नकए गए हैं।  हािांनक ननदेशक ित्व गैर-न्याजयक हैं, संतवधान (अनुच्छेद 37) यह स्पष्ट करिा है नक 'यह ित्व देश के शासन में मौलिक हैं और कानून बनाने में इन ित्वों को िागू करना राज्य का कितव्य होगा'।  संतवधान ननमातिाओ ं ने ननदेशक ित्वों को गैर-न्याजयक और कानूनी रूप से गैर-प्रवितनीय बनाया क्योंनक:  उन्हें िागू करने के लिए देश के पास पयातप्त तवत्तीय संसाधन नहीं थे।  देश में तवशाि तवतवधिा और हपछडेपन की उपस्थस्थति उनके कायातन्वयन में बाधक होगी।  जब िक वह आदेश, समय, स्थान और उन्हें पूरा करने का िरीका िय करने के लिए स्विंि नहीं था, िब िक नवजाि स्विंि भारिीय राज्य अपनी कई व्यस्तिाओ ं के साथ बोझ से दबाया जा सकिा है। ननदेशक ित्वों की आिोचना  कोई कानूनी बि नहीं  ननदेशों की मुख्य रूप से उनके गैर-न्याजयक तवशेष्िा के कारण आिोचना की गई है।  अिानकिक रूप से व्यवस्थस्थि  आिोचकों का मि है नक ननदेशों को एक सुसंगि दशतन के आधार पर िानकिक िरीके से व्यवस्थस्थि नहीं नकया जािा है।  अनुदारवादी  सर इवोर जेननिं ग्स के अनुसार, ननदेश 19वीं सदी के इं ग्लैंड के राजनीतिक दशतन पर आधाररि हैं। भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 5 Download Testbook App  उनका मि था नक ननदेश 'बीसवीं सदी के मध्य में भारि में उपयुक्त माने जािे हैं।  इस सवाि का जवाब नहीं हदया जा सकिा है नक वह इक्कीसवीं सदी के लिए उपयुक्त हैं या नहीं; िेनकन यह पूरी िरह से संभव है वह वे पूरी िरह से अप्रचलिि होंगे।  सांतवधाननक संघषत  के. संिानम ने बिाया है नक ननदेश एक सांतवधाननक संघषत की ओर िे जािे हैं  केंद्र और राज्यों के बीच,  राष्ट्रपति और प्रधानमंिी के बीच, और  राज्यपाि और मुख्यमंिी के बीच। राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व द्वारा ननभाई गई भूतमकाएाँ  वह सत्ता में पार्टी के पररवितनों के बावजूद राजनीतिक, आजथि क और सामाजजक क्षेिों में घरेिू और तवदेशी नीतियों में स्थस्थरिा और ननरंिरिा की सुतवधा प्रदान करिे हैं।  वह नागररकों के मौलिक अजधकारों के पूरक हैं। उनका उद्देश्य सामाजजक और आजथि क अजधकार प्रदान करके भाग III में ररक्त स्थान को भरना है।  उनका कायातन्वयन नागररकों द्वारा मौलिक अजधकारों के पूणत और उजचि आनंद के लिए अनुकूि वािावरण बनािा है।  वह तवपक्ष को सरकार के संचािन पर प्रभाव और ननयंिण करने में सक्षम बनािे हैं।  वह सरकार के प्रदशतन के लिए एक महत्वपूणत परीक्षा के रूप में कायत करिे हैं।  वह आम राजनीतिक घोषणापि के रूप में काम करिे हैं। भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 6 Download Testbook App ननदेशक ित्वों का कायातन्वयन  योजना आयोग की स्थापना 1950 में देश के तवकास को योजनाबि िरीके से करने के लिए की गई थी।  कृतष समाज में बदिाव िाने और ग्रामीण जनिा की स्थस्थति में सुधार िाने के लिए िगभग सभी राज्यों ने भूतम सुधार कानून पाररि नकए हैं।  न्यूनिम मजदूरी अजधननयम (1948), मजदूरी संदाय अजधननयम (1936), बोनस संदाय अजधननयम (1965), ठे का श्रम तवननयमन और उत्सादन अजधननयम (1970),  महहिा श्रतमकों के हहिों की रक्षा के लिए प्रसूति प्रसुतवधा अजधननयम (1961) और समान पाररश्रतमक अजधननयम (1976) बनाया गया है।  आम वस्तुओ ं को बढावा देने के लिए तवत्तीय संसाधनों के उपयोग के लिए कई उपाय नकए गए हैं।  इनमें जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण (1956), चौदह प्रमुख वालणज्यज्यक बैंकों का राष्ट्रीयकरण (1969), सामान्य बीमा का राष्ट्रीयकरण (1971) शातमि हैं।  कानूनी सेवा प्राजधकरण अजधननयम (1987) ने गरीबों को मुफ्त और सक्षम कानूनी सहायिा प्रदान करने और समान न्याय को बढावा देने के लिए िोक अदािि का आयोजन करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी नेर्टवकत की स्थापना की है।  ग्रामीण क्षेिों में कुर्टीर उद्योगों के तवकास के लिए खादी एवं ग्राम उद्योग बोडत, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, िघु उद्योग बोडत आहद का गठन नकया गया है।  वन्यजीव (संरक्षण) अजधननयम, 1972 और वन (संरक्षण) अजधननयम, 1980, क्रमशः वन्यजीवों और वनों की सुरक्षा के लिए अजधननयतमि नकए गए हैं।  िीन स्तरीय पंचायिी राज प्रणािी (गांव, िािुका और जजिा स्तर पर) गांधीजी के हर गांव के गणिंि होने के स्वप्न को हकीकि में बदिने के लिए पेश की गई है।  शैक्षलणक संस्थानों, सरकारी सेवाओ ं और प्रतिननजध ननकायों में अनुसूजचि जाति, अनुसूजचि जनजाति और अन्य कमजोर वगों के लिए सीर्टें आरलक्षि हैं।  आपराजधक प्रहक्रया संहहिा (1973) ने राज्य की सावतजननक सेवाओ ं में न्यायपालिका को कायतपालिका से अिग कर हदया। भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 7 Download Testbook App  राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों, स्थानों और वस्तुओ ं की सुरक्षा के लिए प्राचीन और ऐतिहाजसक स्मारक िथा पुराित्वीय स्थि और अवशेष अजधननयम (1951) अजधननयतमि नकया गया है।  कुछ राज्यों में गायों, बछडों और बैिों के वध पर प्रतिबंध िगाने वािे कानून बनाए गए हैं।  भारि अं िरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढावा देने के लिए गुर्ट ननरपेक्ष और पंचशीि की नीति का पािन करिा रहा है। भाग IV के बाहर के ननदेश  भाग IV में शातमि ननदेशों के अिावा, संतवधान के अन्य भागों में ननहहि कुछ अन्य ननदेश भी हैं।  वह हैं:  सेवाओ ं के लिए अनुसूजचि जाति और अनुसूजचि जनजाति के दावे: भाग XVI में अनुच्छेद 335  मािृभाषा में ननदेश - भाग XVII में अनुच्छेद 350-A  हहिं दी भाषा का तवकास - भाग XVII में अनुच्छेद 351  उपरोक्त ननदेश भी प्रकृति में गैर-न्याजयक हैं। राज्य के नीति ननदेशक ित्वों की सूची  36. राज्य की पररभाषा  37. इस भाग में ननहहि ित्वों का अनुप्रयोग  38. िोगों के कल्याण को बढावा देने के लिए एक सामाजजक व्यवस्था को सुरलक्षि करने के लिए राज्य  39. राज्य द्वारा पािन नकए जाने वािे नीति के कुछ ित्व  39ए. समान न्याय और मुफ्त कानूनी सहायिा  40. ग्राम पंचायिों का संगठन भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 8 Download Testbook App  41. कुछ स्थस्थति में कायत, जशक्षा और सावतजननक सहायिा का अजधकार  42. कायत की न्याजयक और मानवीय पररस्थस्थतियों और मािृत्व राहि का प्रावधान  43. श्रतमकों के लिए ननवातह मजदूरी आहद  43A. उद्योगों के प्रबंधन में श्रतमकों की भागीदारी  43B. सहकारी सतमतियों का संवधतन  44. नागररकों के लिए समान नागररक संहहिा  45. छ: वषत से कम आयु के बच्चों के लिए प्रारंहभक बाल्यावस्था देखभाि और जशक्षा का प्रावधान  46. अनुसूजचि जातियों, अनुसूजचि जनजातियों और अन्य कमजोर वगों के शैलक्षक और आजथि क हहिों को बढावा देना  47. पोषण के स्तर और जीवन स्तर को ऊपर उठाने और सावतजननक स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए राज्य का कितव्य  48. कृतष और पशुपािन का संगठन  48A. पयातवरण का संरक्षण और सुधार और वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा  49. राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों और स्थानों और वस्तुओ ं का संरक्षण  50. न्यायपालिका को कायतपालिका से अिग करना  51. अं िरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढावा देना मौलिक कितव्य भूतमका भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 9 Download Testbook App  मूि संतवधान में केवि मौलिक अजधकार थे, मौलिक कितव्य नहीं  बाद में 1976 में नागररकों के मौलिक कितव्यों को संतवधान में जोडा गया।  2002 में, एक और मौलिक कितव्य जोडा गया  भारिीय संतवधान में मौलिक कितव्य ित्कािीन सोतवयि संघ के संतवधान से प्रेररि हैं।  संयुक्त राज्य अमेररका, कनाडा, फ्ांस, जमतनी, ऑस्ट्रेलिया आहद जैसे प्रमुख िोकिांहिक देशों के नकसी भी संतवधान में तवशेष रूप से नागररकों के कितव्यों की सूची नहीं है।  जापानी संतवधान, शायद, दुननया का एकमाि िोकिांहिक संतवधान है जजसमें नागररकों के कितव्यों की एक सूची है। स्वणत जसिं ह सतमति की जसफाररशें  1976 में, कांग्रेस पार्टी ने मौलिक कितव्यों के बारे में जसफाररशें करने के लिए सरदार स्वणत जसिं ह सतमति का गठन नकया  सतमति ने संतवधान में मौलिक कितव्यों पर एक अिग अध्याय शातमि करने की जसफाररश की।  केंद्र की कांग्रेस सरकार ने इन जसफाररशों को स्वीकार कर लिया और 1976 में 42वां संतवधान संशोधन अजधननयम बनाया।  इस संशोधन ने संतवधान में एक नया भाग, अथाति् भाग IVA जोडा।  इस नए भाग में केवि एक ही अनुच्छेद है, जो नक अनुच्छेद 51A है जजसमें पहिी बार नागररकों के दस मौलिक कितव्यों का एक कूर्ट ननहदि ष्ट नकया गया है।  सतमति की कुछ जसफाररशों को कांग्रेस पार्टी द्वारा स्वीकार नहीं नकया गया था जैसे सावजध जमा के रूप में करों का भुगिान करने के लिए शुल्क को शातमि करना। भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 10 Download Testbook App मौलिक कितव्यों की सूची a. संतवधान का पािन करना और उसके आदशों और संस्थानों, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना; b. स्विंििा के लिए राष्ट्रीय संघषत को प्रेररि करने वािे महान आदशों को संजोना और उनका पािन करना; c. भारि की स्विंििा, एकिा और अखंडिा को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने के लिए; d. देश की रक्षा करने के लिए और ऐसा करने के लिए बुिाए जाने पर राष्ट्रीय सेवा प्रदान करना; e. भारि के सभी िोगों के बीच धातमि क, भाषाई और क्षेिीय या अनुभागीय तवतवधिाओ ं से परे सद्भाव और समान भाईचारे की भावना को बढावा देना और महहिाओ ं की गररमा के लिए अपमानजनक प्रथाओ ं का त्याग करना; f. देश की तमश्रश्रि संस्कृति की समृि तवरासि को महत्व देना और संरलक्षि करना; g. वनों, झीिों, नहदयों और वन्यजीवों सहहि प्राकृतिक पयातवरण की रक्षा और सुधार करना और जीतवि प्रालणयों के लिए सहानुभूति रखना; h. वैज्ञाननक सोच, मानविावाद और जांच और सुधार की भावना तवकजसि करना; i. सावतजननक संपजत्त की रक्षा करना और हहिं सा से दूर रहना; j. व्यजक्तगि और सामूहहक गतितवजध के सभी क्षेिों में उत्कृष्टिा की हदशा में प्रयास करना िानक राष्ट्र ननरंिर प्रयास और उपिस्थि के उच्च स्तर िक पहुंचे k. छह से चौदह वषत की आयु के बीच के अपने बच्चे या प्रतिपाल्य को जशक्षा के अवसर प्रदान करना। यह कितव्य 86वें संतवधान संशोधन अजधननयम, 2002 द्वारा जोडा गया था। मौलिक कितव्यों की तवशेषिाएं  कुछ मौलिक अजधकारों के तवपरीि, जो सभी व्यजक्तयों, चाहे नागररक हों या तवदेशी, के लिए, मौलिक कितव्य केवि नागररकों िक ही सीतमि हैं और तवदेजशयों िक नहीं हैं।  ननदेशक ित्वों की िरह मौलिक कितव्य भी गैर-न्याजयक हैं। भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 11 Download Testbook App वमात सतमति के तवचार  नागररकों के मौलिक कितव्यों पर वमात सतमति (1999) ने कुछ मौलिक कितव्यों के कायातन्वयन के लिए कानूनी प्रावधानों के अस्तस्तत्व की पहचान की।  वह हैं:  राष्ट्र गौरव अपमान ननवारण अजधननयम (1971) भारि के संतवधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान के अनादर को रोकिा है।  जसतवि अजधकार संरक्षण अजधननयम (1955) जाति और धमत से संबंजधि अपराधों के लिए दंड का प्रावधान करिा है।  तवजधतवरुि हक्रयाकिाप (ननवारण) अजधननयम, 1967 एक सांप्रदाजयक संगठन को एक गैरकानूनी संघ के रूप में घोतषि करने का प्रावधान करिा है।  वन्यजीव (संरक्षण) अजधननयम, 1972 दुितभ और िुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर प्रतिबंध िगािा है।  वन (संरक्षण) अजधननयम, 1980 अव्यवस्थस्थि वनों की कर्टाई और गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूतम के हदक्पररविी को रोकिा है। संतवधान की मूि संरचना भूतमका  केशवानंद भारिी मामिे (1973) में, सवोच्च न्यायािय ने गोिक नाथ मामिे (1967) में अपने ननणतय को खाररज कर हदया।  इसने 24वें संशोधन अजधननयम (1971) की वैधिा को बरकरार रखा और कहा नक संसद को नकसी भी मौलिक अजधकार को कम करने या छीनने का अजधकार है।  साथ ही, इसने संतवधान की 'मूि संरचना' (या 'मूि तवशेषिाएं ') का एक नया जसिांि ननधातररि नकया।  इसने फैसिा सुनाया नक अनुच्छेद 368 के िहि संसद की घर्टक शजक्त इसे संतवधान के 'मूि संरचना' को बदिने में सक्षम नहीं बनािी है। भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 12 Download Testbook App  इसका अथत यह है नक संसद उस मौलिक अजधकार को कम या िे नहीं सकिी है जो संतवधान के 'मूि संरचना' का एक हहस्सा है। सरकार की प्रतिहक्रया  संसद ने 42वें संशोधन अजधननयम (1976) को अजधननयतमि करके 'मूि संरचना' के न्याजयक रूप से नवोन्मेषी जसिांि पर प्रतिहक्रया व्यक्त की।  इस अजधननयम ने अनुच्छेद 368 में संशोधन नकया और घोतषि नकया नक संसद की घर्टक शजक्त पर कोई सीमा नहीं है और नकसी भी मौलिक अजधकारों के उिंघन सहहि नकसी भी आधार पर नकसी भी अदािि में नकसी भी संशोधन पर सवाि नहीं उठाया जा सकिा है।  तमनवात तमल्स मामिे (1980) में सवोच्च न्यायािय ने इस प्रावधान को अमान्य कर हदया क्योंनक इसने न्याजयक समीक्षा को बाहर कर हदया जो नक संतवधान की एक 'मूि तवशेषिा' है।  वामन राव मामिे (1981) में हफर से, सवोच्च न्यायािय ने 'मूि संरचना' के जसिांि का पािन नकया और आगे स्पष्ट नकया नक यह 24 अप्रैि, 1973 (यानी केशवानंद भारिी मामिे में ननणतय की तिजथ) के बाद अजधननयतमि संवैधाननक संशोधनों पर िागू होगा। मूि संरचना के ित्व  वितमान स्थस्थति यह है नक अनुच्छेद 368 के िहि संसद मौलिक अजधकारों सहहि संतवधान के नकसी भी हहस्से में संशोधन कर सकिी है, िेनकन संतवधान के 'मूि संरचना' को प्रभातवि नकए तबना।  हािााँनक, सवोच्च न्यायािय ने अभी िक यह पररभातषि या स्पष्ट नहीं नकया है नक संतवधान की 'मूि संरचना' क्या है।  तवहभन्न ननणतयों से, ननम्नलिखखि संतवधान की 'मूि तवशेषिाओ'ं या संतवधान की 'मूि संरचना' के ित्वों के रूप में उभरे हैं:  संतवधान की सवोच्चिा  भारिीय राज्य व्यवस्था की स्विंििा, िोकिांहिक और गणिांहिक प्रकृति  संतवधान की धमतननरपेक्ष तवशेष्िा  तवधाजयका, कायतपालिका और न्यायपालिका के बीच शजक्तयों का पृथक्करण भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 13 Download Testbook App 5. संतवधान की संघीय तवशेष्िा 6. देश की एकिा और अखंडिा 7. कल्याणकारी राज्य (सामाजजक-आजथि क न्याय) 8. न्याजयक समीक्षा 9. व्यजक्त की स्विंििा और गररमा 10. संसदीय प्रणािी 11. कानून का शासन 12. मौलिक अजधकारों और ननदेशक ित्वों के बीच सामंजस्य और संिुिन 13. समानिा का ित्व 14. स्विंि और ननष्पक्ष चुनाव 15. न्यायपालिका की स्विंििा 16. संतवधान में संशोधन करने के लिए संसद की सीतमि शजक्त 17. न्याय िक प्रभावी पहुंच 18. मौलिक अजधकार अं िननि हहि ित्व (या सार) 19. अनुच्छेद 32, 136, 141 और 142 के अं िगति सवोच्च न्यायािय की शजक्तयां 20. अनुच्छेद 226 और 227 के अं िगति उच्च न्यायाियों की शजक्तयााँ भारिीय राजव्यवस्था | राज्य के नीति ननदेशक ित्त्व, मौलिक कितव्य और मूि संरचना पृष्ठ 14

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