सूक्ष्म शिक्षण विधि (Micro Teaching) PDF

Summary

यह दस्तावेज़ सूक्ष्म शिक्षण विधि (Micro Teaching) के बारे में जानकारी प्रदान करता है, जिसमें इसके इतिहास, विकास और प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। यह विधि शिक्षण प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है।

Full Transcript

# सूक्ष्म शिक्षण विधि (Micro teaching) - कीय एचीसन एवं डी. डब्ल्यू. एलेन (1963, अमेरिका) - सूक्ष्म शिक्षण का निर्माण अमेरिका के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोष छात्र कीय एचीसन ने सन् 1961 में किया था - कीय एचिसन इसी विवि के प्रोफेसर डी. डब्ल्यू. एलेन एवं रॉबर्ट एन. बुस का शिष्य था। - प्रोफेसर डी.डब...

# सूक्ष्म शिक्षण विधि (Micro teaching) - कीय एचीसन एवं डी. डब्ल्यू. एलेन (1963, अमेरिका) - सूक्ष्म शिक्षण का निर्माण अमेरिका के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोष छात्र कीय एचीसन ने सन् 1961 में किया था - कीय एचिसन इसी विवि के प्रोफेसर डी. डब्ल्यू. एलेन एवं रॉबर्ट एन. बुस का शिष्य था। - प्रोफेसर डी.डब्ल्यू एलेन ने सन् 1983 में इस तक‌नीकी का नामकरण किया तथा शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग किया। - 'कीय एचिसन' एवं 'डी.डब्ल्यू. प्लेन 'को सुक्ष्म शिक्षण का जनक कहते है - प्रो. डी. डब्ल्यू. एलेन के अनुसार 'सूक्ष्म शिक्षण, शिक्षण आरम्भ करने की विषा है,' - प्रो. डी. डब्ल्यू. एलेन ने 'सूक्ष्म शिक्षण को 'अवरोही शिक्षण 'विधा नाम दिया है' - सुक्ष्म शिक्षण 'अशे से पूर्ण की ओर। शिक्षण खून के आधार पर संचालित होता है - सूक्ष्म शिक्षण स्किनर के 'क्रिया प्रसूत अनुबंधन' के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें तत्काल प्रतिपुष्टि (Feedback) दिया जाता है। - इसमें एक बार में एक ही शिक्षण कौशल का विकास किया जाता है। - विद्यार्थी की भूमिका अध्यापक के सहपाठी अहा करते है - कक्षा का आकार बहुत छोटा होता है अर्थात् एक कहा में 5-10 विद्यार्थी होते है - इसकी समयावधि भी बहुत कम 5-10 min. तक होती है। - भारत में सुक्ष्म शिक्षण का सबसे पहले आगमन 1967 में - प्रयागराज के सेन्ट्रल पेडागाँजिकल इन्स्टीट्यूट (केन्द्रीय शिक्षा शास्त्र संख्या), के प्रो. डी.ही. तिवारी (हीनस्याल तिवारी) के माध्यम से हुआ - अध्यापक शिक्षा के होजे में इस विधि का सबसे पहले प्रयोग 1969 में गुजरात के वजेहरा वि. वि. में किया गया।

Use Quizgecko on...
Browser
Browser