चुम्बक (Magnetism) अध्याय 5 PDF
Document Details
Uploaded by NoteworthyTachisme5079
T.A.P 10+2 High School Topchanchi
Tags
Summary
यह दस्तावेज़ चुम्बक के विभिन्न पहलुओं, जैसे प्राकृतिक और कृत्रिम चुम्बक, स्थायी और अस्थायी चुम्बक, चुम्बकीय ध्रुव, बल, द्विध्रुव, और चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में विस्तार से बताता है। यह विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों के लिए एक उपयोगी पाठ्य सामग्री है।
Full Transcript
# चुम्बक ## Unit - No - 3 ### Chapter - 5 ### Chours marks - 6 **चुम्बक** :- - 18 वह पदार्थ जिसे स्वतंत्रता पूर्वक लटकाने पर वह सदैव उत्तर दक्षिण दिशा में ठहरता है तथा लौह पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित करता है चुम्बर कहलाता है। - पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा भोगौलिक दक्षिण से भोगौलिक उत्तर क...
# चुम्बक ## Unit - No - 3 ### Chapter - 5 ### Chours marks - 6 **चुम्बक** :- - 18 वह पदार्थ जिसे स्वतंत्रता पूर्वक लटकाने पर वह सदैव उत्तर दक्षिण दिशा में ठहरता है तथा लौह पदार्थ को अपनी ओर आकर्षित करता है चुम्बर कहलाता है। - पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा भोगौलिक दक्षिण से भोगौलिक उत्तर की ओर होती है। चुम्बक दो प्रकार के होते है- - **(पं) ताकृतिक चुम्बक** :- ऐसा चुम्बक जो बड़ी-2 खानों में पाया जाता है तथा इनका रूप व आकार अनिश्चित होने के कारण इन्हें प्रायौगिक तथा वैज्ञानिक कार्यों में उपयोग में नहीं लिया जाता है।" इस प्रकार के चुम्बकमा चुम्बकत्व (आकर्षणक्षमता) बहुत ही कम होती है। इसे धिक सुचक पत्थर भी कहा जाता है। Eg:- Fe3O4 (मैग्नेटाइड), लॉड स्टॉन, हैमेटाइड (Fe.203) (**(11) कृत्रिम चुम्बक**):- इस प्रकार के चुम्बक का रूप व आकार निश्चित होने के कारण इसे प्रायोगिक व वैज्ञानिक कार्यों में उपयोग में लिया जाता है। इस प्रकार के चुम्बक का चुम्बकत्व (आकर्षण क्षमता) अधिक होता है। **→ सामान्यतया चुम्बक शब्द का उपयोग कृत्रिम चुम्बक के लिए ही किया जाता है.** **Eg:- धड़ चुम्बक, वलय चुम्बक, चुम्बकीय सुई, नाल चुम्बक, कमपाश ।** ### कृत्रिम चुम्बक दो प्रकार के होते हैं- - **(ⅰ) स्थाई चुम्बक** - ऐसे चुम्बक जो स्टील अथवा कठोर लोहे अथवा ऐलनिको (Alnica) अथवा टंगस्टन (W) का बना होता है। तथा इस प्रकार के चुम्बन का चुम्बकत्व लम्बे समय तक विदद्यमान रहता है जिसे आसानी सो नियंत्रित नही किया जा सकता। **Eg:- तोल्टमीटर, अमीटर, धारामापी, लाउडस्पीकर इत्यादि** - **(पⅱ) अस्थाई चुम्बर**- इस प्रकार का चुम्बक नर्म लोहे का बना होता है तथा इसका चुम्बकत्व केवल उतने ही समय के लिए विद्यमान रहता है जितने समय के लिए उसके चारो ओर चुम्बकीय क्षेत्र विद्यमान हो । **Eg:- विद्युबिंदी, विद्युत मोटर, विद्युत जनित्र, ट्रान्सफार्म की क्रोड इत्यादि ।** ## चुम्बक से संबंधित महत्वपूर्ण परिभाषाएं तथा गुणधर्म :- - **(स) चुम्बक के ध्रुव** :- " "चुम्बर के दोनों ओर स्थित वे बिन्दुजहां पर चुम्बक का चुम्बकत्व (आकर्षणक्षमता) सर्वाधिक होता है चुम्बकीय ध्रुव कहलाते है। **ये दो प्रकार के होते हैं-** -**गुण**:- -**चुम्बकत्व**:- -**N** पंग उतहीन ध्रुव व (1) दक्षिण ध्रुत -**2l** प्रभावकारी लंबाई -**चुम्बकीय अक्ष** -**चुम्बर ठेवतों पर आकर्षण क्षमता मध्य भाग की तुलना में अधिक होती है। क्योंकि ध्रुवों पर चुम्बकीय बल रेखाओं का संख्या घनत्व अधिक होता है।** - **(11) चुम्बकीय अक्ष** :- चुम्बक के दोनो ध्रुतो को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा चुम्बकीय अश्त कहलाती है। - **(पं) चुम्बक की प्रभावकारी लंबाई** - चुम्बक के दोनो ध्रुवो के मध्य की दुरी को चुम्बक की धूभावकारी लंबाई कहते है। चुम्बन की प्रभाव कारी लम्बाई चुम्बक की वास्तविक लम्बाई से 5/6 गुना कम होती है तथा इसे चुम्बकीय अक्ष के अनुदिशा मापा जाता है। - **④ चुम्बकीय चाभ्योत्तर** - किसी घड़ चुम्बक के चुंबकीय अक्ष के लेबवत उहवघिर गुजरने वाला काल्पनिक तल चुम्बकीय थाम्योतर कहलाता है। - **A B** .......... **ABS N** = **चुम्बकीययाम्योत्तर** - चुम्बकीय याम्योत्तर के समानान्तर खींचा गया कोई भी काल्पनिक तल इसके समानान्तर होता है। - चुम्बकीय भाम्योत्तर वास्तव में कोई तल नहीं है बल्कि पृथ्वीके चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा है। **गुण-** -लांग कोई विलगित सुन चुम्बकीय ध्रुव का अस्तित्व नहीं होता है। -यांशुम्बकीय पदार्थों में प्रेरण के द्वारा चुम्बक चुम्बकत्व उत्पन्न कर है। - **(ग) विचुम्बकन** - यदि किसी चुम्बक को गर्म किया अथवा किसी भारी तस्तु से चोट दिजाए तो न्चुम्बक अपने चुम्बकत्व को समय 2 के साथ 2 नष्ट कर देता है जिसे विचुम्बकन कहते हैं। - **(ix) चुम्बकीय क्षेत्र :** माना कोई अविधित कण जिसका अविश १ है, ये वेग से न्चुम्बकीय क्षेत्र ऐमें प्रवेश करता है तो इस कण पर एक बल आरोपित होता है जिसे चुम्बकीय बल कहते है। जिसका मान **m=2(x)** **B = Fm** **Fm = &VBSino - ① (0 = VB के मध्य)** - यदि ० = ०° => [Fm = 0) = (सरलरेखीय) - यदि ०=१०° => Fm=qVB = (वृत्ताकार) **B= Fm** - सदिश यदि १= 16,0 = 1m/suc **B=Fm-③** समी③ से एककुलाम अविश, एक प्रति मिटर प्रति सेकण्ड से के वेग से लंबवत चुम्बकीय क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उसकन पर लगने वाला चुम्बकीय बल चुम्बकीय क्षेत्र के बराबर होता है। **(S.I.) Tesla = B = Fm** **= NX Sec** **C Xm** **NX SIC** **N** **Amp. xsexm** **Amp.xm** **= J** **Amp.xm²** = **m² L2-2** **[A][2]** **=[A][-2]** **= iub (बेबर)** **m²** **C.G.S. Grams = Marmell** **Cm2** ** * 1 Tusla = 10G/ ** - **(X) ध्रुव प्राब्ल्यता (श्चत सामर्थ्य):-** • if किसी चुम्बक के ध्रुवों द्वारा आकर्षी करने की क्षमता ध्रुव प्राब्ल्यता कहलाती है। अथवा " चुम्बकीय बल तथा चुम्बकीय क्षेत्र अनुपात ध्रुव प्राब्ल्यता कहलाती है। **Vm** **Um था m = F = Nxm²** **B** **wb** **xmx Amp** **ध्रुव ताब्ल्यता = Amp-xm** **सुत साठल्यता का चुम्बकीय क्षेत्र में वहीं योगदान होता है। Noti- जो स्थिर वैद्युतकी में आवेश का होता है। स्थिति - I :- अक्ष अथवा राधिक किसी छर चुम्बक की उसकी अस के अनुपिय चौडाई के लंबवत् दी बराबर भागों में काट दिया जाएं तो धुन प्रान्त्यता भाधि हो जाती है जबकि प्रभावकारी लबार अपरिवर्तित रहती है। m N K 21 m 7/2 2/2 S N K N S N S 21 木 स्थिति Ⅱ- जब छड को चुउसकी चुम्बकीय अक्ष के लम्बवत (निरक्ष) अथवा लम्बाई के लम्बवत् दो बराबर भागो में काट दिया जाए तो ध्रुव प्राब्ल्यता अपरिवर्तित जबकि अप्रभावकारी लंबाई आधी ही जाती है। N UUU 21 कुलाम का नियमः- S N कुलाम के नियमानुसार ४ किन्हीं दो चुम्बकीय ध्रुवों के मध्य लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल दोनों ध्रुवों की ध्रुव प्राब्ल्यताओं के गुणनकल के समानुपाती तथा उनके मध्य पुरी के वर्ग ** के व्युत्क्रमानुपाती होता है। ** Is ma N L.. F2 m,m2 2 F = km,m² 2 S F = No m.m₂ 42 2 ① 1 m2 N > प्रदिश राशि ५० = निर्वात की पारगम्यता Mo=47x107 H/m K = No z 10 Nm² ул K2T8M0= N2 m = J Anak m Ampxm² =107 N Amh 2 Ampum **विमीय सुत्र = [ml ²+22] = wb** **Amp x m** **Henry = Wo** **H** **= J** **-** **2** **Amap amp** **C= 1** **Moє** **= 3x108m/sec** **Go= 1** **367x10 Nm²** **Mo=47x107 H/m.** **C2** **C = 9x106Jxm²xaтр** **2** **C = 3x108m/sec** **Cz** **MXX 107** **36x100 m** **Hx** **C2** **Nm²** **इकाई ध्रुव :-** "यदि दो इकाई ध्रुव सार्मथ्य के चुम्बकीय ध्रुवो को परस्पर 1m की दुरी पर रखने पर उनके मध्य 107 बल कार्यरत हो तो उनमें से प्रत्येक ध्रुव इकाई ध्रुव कहलाता है। ** **No mim2** **F= Mo** **42** **2** **यदि mm2 = 1 amp. xm** **rim** **F = Mo** **42** **=10'N** **चुम्बकीय बल (चुम्बक के सन्दर्भ में): -** **20** **10** **>** **→** **→** **→** **= +m B** **चुम्बकीय द्विध्रुव तथा चुम्बकीय द्विध्रुव आचूर्ण** **m** **m** **S** **N** **K** **K** **अथवा** **परिभाषा - 2 किन्ही दो समान ध्रुव प्राब्ल्यता के विपरित चुम्बकीय ध्रुवों के युग्मकै को चुम्बकीय द्विध्रुव कहते है।"** "चुम्बक की ध्रुव ताब्ल्यता तथा चुम्बक के दोनो ध्रुवों के मध्य प्रभावकारी लम्बाई के गुणनफल को चुम्बकीय द्विध्रुव माधुर्ण कहते हैं।" **m = m(21)** **シ** **सदिश राशि (Amp.xm²)** **चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता तथा इसका परिकलन :-** **" चुम्बकीय क्षेत्र में किसी अशिष्ट बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता उस बिन्दु पर रखे गए एकांक ध्रुव प्राब्ल्यता के परिक्षण उत्तरी ध्रुव द्वारा अनुभव किए जनि वाले बल के बराबर होती है।"** **• m =** **F** **B** **यदि m = lamp xm B= F** **• F = हो Mo m₁₂** **४२** **यदि m₁ = m2=m** **F = Mo** **42 82** **B = F = B=Ju.** **чл** **चुम्बकीय द्विध्रुव के कारण तीव्रता का परिकलन :- चुम्बकीय विद्युत की** **1. अक्षीय:-** **不** **21** **४** **B** **N** **1 cambxm| मिलाने वाली इसके हां (N) (B) अनुदिश रेखा द्विद्युत की अक्षीय रेखा कहलाती है।** **P** **चित्रानुसार चुम्बकिय हिसुन के मध्य बिन्दु ० सेबिन्दु पर तीव्रता ज्ञात करनी है** **चुम्बकीय आधुर्ण 181 = m(21) - ①** **उत्तरी हिप्नुत कैकारण P पर तीव्रता | Bड़ा = Mo m** **4.5** **दक्षिणी द्विध्रुव के कारण पर तीव्रता | BNI = Mo** **• उिन व हिता** **P. m** **457 18-11202** **सहरैखिय सदिय है लेकिन** **इसलिए बिन्दु पर परिणामी तीव्रता :-** **LBN1** **[BP/अक्षीय = 1BN1 - 13** **Mom I** **45** **4** **1** **22** **8-1212 (+11/202** **= Mo m** **4π** **(1/2)² - (8-1/292** **(02-12 12** **25h** **4** **won** **250** **(82-12/4/2** **484/2** **(82-42/4)** **2** **+2001/2** **② निरक्षीय :-** **Ped** **wor** **2570** **यदि४) २५** **(8-14/2)²** **तो 1131 अक्षीय = 0027** **こ** **47** **13/ अक्षीय = १५m** **४३** **चुम्बकीय द्विध्रुव के लम्बवत तथा मध्य विन्दु से जाने वालीरेखा द्विद्युत की निरक्षीय रेखा कहलाती है।** **BIBNISin** **IBNICOSOR** **1Bsicoso** **J82412 B** **P** **↓r** **K/22** **21** **artzes** **→IBsIsin** **चुम्बकीय विद्युत मापूर्ण IPI=m(21) ①** **उत्तरीद्विध्रुव के कारण पर तीव्रता | Bड़ा = Mo m** **47. 2+12** **4** **दक्षीणी द्विध्रुव के कारण पर तीव्रता 1BN1 = Mo** **m** **47. 2+12** **4** **समी व से** **1B51 = 1BN1=** **km** **2** **4. 2 fu** **4** **14** **②** **③** **बिन्दु P पर परिणामी तीव्रता ज्ञात करने के लिए तीव्रताओं । ऐड वाता को घटको में वियोजित किया जाता है।** **उध्तधिर घटक ठंडा इino BNI इ० बराबर व विपरित होने के कारण एक-दूसरे को निरक्षक कर देते है इस प्रकार बिन्दु उपर तीव्रता क्षैतिज धरकों के योगके कारण प्राप्त होती है।** **1B/तिरक्षीय = 1B51DO+1BNI CODO** **2185/১০** **2km** **(82443/9)** **चित्र से = = 1/2** **A** **K** **cos o** **(82+42/9)** **2** **S** **⑥** **B/ निरक्षीय = 210 m** **1/2** **= Mo mi** **ar** **3** **12** **= 210** **(82442/893/2** **यदि ४ २५** **1 Bp निरक्षीय ब** **Mo Imi** **४२** **था ले** **γα** **③ सम चुम्बकीय क्षेत्र में द्विध्रुव पर बल तथा बल आधूर्त:-** **2=-MB** **N** **= +** **=+m** **官** **चुम्बकीय द्विध्रुव काद्विध्रुव आधुर्ण IPI=m(21)-①** **> उत्तरी द्विध्रुव के कारण** **> चुम्बकीय क्षेत्र** **>** **F-MB** **दक्षिणी द्विप्वत् के कारण F=-भाउ** **कुल बल F = F + FN** **→** **F = + MB-MB** **F=0** **इस प्रकार सम विद्युत क्षेत्र में कुल बल का माने शुन्य प्राप्त होता है तथा द्विधुत की वर्णन की गति बल आधुर्ण के कारण होती है।** **द्विध्रुव की समचुम्बकीय क्षेत्र में दोनो आवेशो पर लगने वाले बलों (बलमुख के कारण दक्षिणावृत्तदिशा में घुमाकार चुम्बनीय क्षेत्र के समानान्तर लाने का प्रयल किया जाता है जिस के फलस्वरूप बल आधुउित्पन्न हो जाता है।** **बल अबुर्ण = बैल का परिमाण × बलो के लम्बवत्पुरी** **= MB (BC) - ②T = 2asino** **चित्रसे sin e = L** **K** **=BC** **21** **BC = 2asino** **থা** **बाध्य चुम्बकीय क्षेत्र में सम-चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय विध्रुव की स्थितिज ऊर्जा :-** **१०००** **Rel** **→** **ticoso** **→** **छड़ चुम्बक से संबंधित चुम्बकीय आप्पुर्ण पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्न :-** **प्रश्न - 1. किस्सी छड़ चुम्बक को उसकी अक्ष के अनुदिश अथवा चौड़ाई के लम्बार हो बराबर भागो में काट दिया जाए तो कटे हुए भाग का चुंबकीय आबूर्ण ज्ञात किजिए ?** **m** **m** **7/2** **7/2** **e** **N** **S** **0** **S** **0** **N** **N** **K** **2l** **m= m (26) -** **2l** **0** **5** **2.** **m² = 2 (21) -②** **यदि घड़ चुम्बक को निरक्षक के अनुदिश अथवा लम्बाई के लम्बवत दो बराबर भागो में काट दिया जाए तो करें हुए भाग का चुंबकीय आधुर्ण ज्ञात किजिए?** **m** **m** **N** **S** **木** **K** **2l** **M = m(2l) -①** **M** **= m (1)** **३** **m' = m(2l)** **m = m** **2** **2** **यदि किसी घड से चुम्बक को पहले चोड़ाई के लम्बात फिर लम्बाई के लम्बवत, काट दिया जाएतो चुम्बकीय आचूर्ण का मान ज्ञात मिलिए?**, **दो भागों में** **१** **M' =** **2t** **m** **2** **S** **7/277/277/2 707/2** **N** **S** **m' = m/½ (1)** **2** **m' =m21** **m² = m** **भरत कएिक प्रलम्बाई की घड को अर्धवृताकार रूपने बार(४) में मोड़ दियाजारती नवीन आकृति का चुम्बकीय आघूर्ण ज्ञात किजिए ?** **N** **0** **K** **il** **m = m()-①** **S** **eN** **m** **sm** **22** **ml=m(28)-2** **• 1 = rr==== 1/7-** **m² = m(21)** **m=2m** **几** **几** **तरत - ९. एक चुम्बकीय लेहि के तार की लंबाई है तथा चुम्बकीय आबूर्ण लहै यदि इस तार को आकृति में मोड दिया जाए तो उसकी प्रत्येक भुप्ता की लम्बाई समान हो जाती हैती नवीन आकृति का चुम्बकीय आधुर्ण ज्ञात किजिए?** **AM** **I** **m=mluj-①** **m** **1/2** **m** **A** **B** **m** **1/2** **AB=** **m' = m(AB) -** **2** **212** **=** **4** **AB=1** **m' = ml** **m' =** **1** **√2** **गुण-** **चुम्बकीय द्विध्रुव को किसी बाहरी चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर बह चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में सहरैखित होने का प्रर्यत्न करता है।** **Eg:- धड चुम्बक, धारावाही लूप, परिनलिका, टोराईड, चुम्बकीय सुई।** **चुम्बकीय बल रेखायें व चुम्बकीय क्षेत्र रेखाये :-** **•चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय बलरेखाए में काल्पनिक रेखाएं है तु जो चुम्बकीय क्षेत्रकी तीव्रता तन अविरत (लगातार) प्रदर्शन करती है।** **गुणधर्मः-** **चुम्बक के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं N सेड की और जबकि चुम्बक के अन्दर डसे.N की ओर होती है।** **दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएं आपस में प्रतिच्छेद नहीं करती है क्योंकि दो प्रतिधेदन करने से प्रतिधेपन बिन्दु पर दो दिशाएँ प्रदर्शित हो जाती है जो असंभव है।** **बल रेखाओं के क्षेत्र की तीव्रता की ** **एक समान न्चुम्बकीय क्षेत्र में बल रेखाएं परस्पर समानान्तर व बराबर दूरी पर** **चुम्बकीय बल रेखाओं की संख्या जहां अधिक होती है वहां पर चुम्बकी क्षेत्र की तीव्रता अधिक होती है इसी कारण चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल जबकि मध्यभाग में चुम्बकीय क्षेत्र दुर्बल होता है।** **धारावाही लूप का चुम्बकीय आधुर्ण अथवा धारावाही लूप चुम्बकीय द्विध्रुव के रूप में :-** **cupper surfaces** **> Anticlockwiss (वामावर्त)** **(S)** **Lover Surface** **clockwise (दक्षिणावर्त)** **चित्रानुसार खारीवाही हुप को ऊपरी भाग से देखने पर उसमें धारा की दिशा वामावर्त दिखाई देती है। अतः द्विध्रुवमा यहफलम उत्तरी ध्रुवकीभांति कार्य करता है। इसी प्रकारच्चारावाही लूप के निचे के पृष्ठ में धारा की दिशा बक्षिणावर्त प्रतित होती है। इसलिए द्विध्रुवका यहपृष्ठ दक्षिण ध्रुव की भांति कार्य करता है।** **इस प्रकार धारावाही लूप एक चुम्बकीय द्विध्रुव की भाँति व्यवहार करता है क्योंकि इसमें दो समान लेकिन विपरित चुम्बकीय ध्रुवों का भुग्म पाया जाता है।"** **धारावाही लूप का चुम्बकीय पूर्ण** **④ लूप में प्रवाहित होने वाली धारा की हतबलता तथा ) लपके क्षेत्रफल ) के गुणनकल के बराबर होता है।** **[M=IA-0** **यदि लूप में करो की संख्या N हो तो चुम्बकीय आयुर्ण** *** M=NIAX 2** **Imh.** **कक्षीय इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय माधुर्ण अथवा परिहमि ९ का चुम्बकीय द्विध्रुव आधुर्ण:-** **भाना एक स्थिर भारी नाभिक जिसका अवेिश + ze है, के चारों ओर ४ त्रिज्या के वृत्ताकार पथ में गति कर रहा है।** **परिक्रम** **3** **ze** **↓** **भाले** **लम्बवत् की ओर** **९- जिस कक्षा में चक्र लगाता है वह एक चुम्बकीय द्विद्युत की भांति व्यवहार करती है जिसका चुम्बकीय आघुर्ण** **Mat Me = NTA** **1** **NIA -①** **N = 1 M = IA** **2** **2:** **↓** **जहाँ उ===** **3** **T** **2557** **A = r² (कक्षा का क्षेत्रफल)** **Meev** **0** **दिशा के लम्बवत की** **: v=rw** **こ** **2** **और** **2** **w** **धुर्ण चुम्बकीय अनुपात :-** **Мя=** **समीप से** **(2me (merr) ** **=** **(mevr)** **6** **जहाँ me५४ = इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग** **merr = J** **सदिश निरूपण** **e** **Ме=** **2me) J⇒ Mu = (ame) J** **@** **=** **zme** **= धूर्ण चुम्बकीय अनुपात (e-)-8** **J** **"नरिकृभि ९ के चुम्बकीय आबुर्ण तथा इसके कोणीय संवेग के अनुपात की धुर्ण चुम्बकीय अनुपात कहते है।।** **MA** **1.6x10. ** **19** **2X901 X 10-31** **C** **y = Kg** **J** **= 1077 x 10" C** **१** **Kg** **MJ = 8.8 x 100/kg** **J** **सशिान शदिश निरुपण:-** **जहाँ ऋणात्मक चिंह यह दशर्शाता है कि परिकृमिट के कोणीय संवेग की विशा इसके चुम्बकीय आधुर्ण के विपरित दिशा में होती है।** **2015** **2 बोर मैग्नेट्रॉन (MB):-** **समी. से** **@** **I** **metr** **2me** **• बोर के द्वितिय अभिग्न हीस से** **mevr = h - 10 win = 1,2,3,.....** **श्** **(M1) min = n** **en** **11** **{** **Irme** **1** **(12)** **(M1) min = n(MB) min** **जहाँ (MB) = बोर मैग्नेट्रॉन = en** **@=106×10-19C** **h = 6.62 x 10-34** **yrme** **J.SIC** **me = 9.1'x 10-39kg** **JMB = 9.27 x 10** **-24** **camp xm²** **उपरोक्त सुत्र के अनुसार-चुम्बकीय आधुर्ण के न्युनतम मान बोर मैग्नेट्रॉन कहते है। **01. दशर्दिए कि सम चुम्बकीय क्षेत्र में चुम्बकीय द्विप्युव सरल आवर्त गति करता है। चुम्बकीय क्षेत्र का मान, भावर्तकाल (T) तथा जड़ल आधुर्ण के पदों में ज्ञात किजिए ?** **→** **→** **→** **चित्रानुसार एब किसी घड चुम्बक की सम चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जात है तो उसका बल आधुर्णफ = MBsin 0 ① जहाँ ग्रहणात्मक चिन्ह यह दशतिा हैकि बले चाबुन, सत्य निधन** **बल आधुर्ण (विस्थापनकारी बल आधुर्ण) के विपरीत दिशा में होता है** **• C = IQ = Ido** **d+2** **यदि अल्प हो तो sin 0= d/2 + w^2 0 = 0 Ido** **dt2** **d201 d²+** **d** **= - MBO 20** **(MB)** **I** **=0** **2** **d.t²** **③** **$20** **dt2** **MB** **t** **+W20:0** **समी. ④ से स्पष्ट है कि चुम्बकीय द्विध्रुव सरल आवर्त गति करता है।** **W² = MB** **(5)** **10** **I** **42510** **B** **2** **=** **MB** **I** **2** **2** **Чл² Г** **mt2** **चुंबकीय फ्लक्स-** **चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित किसी क्षेत्रफल अल्कांश से शुजरन गुजरने वाला निर्णत पलक्स चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता तथा क्षेत्रफल के अल्कांश के अदिश गुणनफल के बराबर होता है।** **2** **b** **ddo = Bods** **चुम्बकीय क्षेत्र में गाउस का नियम :-** **वाला चुम्बकीय फ्लक्स शुन्य होता है** **f = B. ds = 0** **B** **2** **Noti- भदिचुम्बक के एकल ध्रुव का अस्तित्व होता है तो गाउस का नियम निम्न रूप ग्रहण करता है।** **Is** **2** **0** **भु- चुम्बकत्व :-** **→ धुनकायमान्यता** **हमारी पृथ्वी इस प्रकार व्यवहार करती है कि मानो उसके गर्भ में एक शक्तिशाली चुम्बक रखा हो जिसका दक्षिणी ध्रुव घरती के उत्तरी ध्रुव की भोर तथा उत्तरी ध्रुव पृथ्वी के ध्रुव की ओर स्थित हो ।** **पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा भौगोलिक दक्षिण से Nati- भौगोलिक उत्तर की ओर होती है।** **उपरोक्त कथन की पुष्टि निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर की गई-** **① स्वतंत्रता पूर्वक लम्बाई चुम्बक संदेव उत्तर-दक्षिण दिशा में रुहरती है।** **⑤ किसी लोहे के टुकड़े को यदिपृथ्वी में कुछ समय के लिए दवा दिया जाएं तो उसमें चुम्बक के गुण आ प्रति है।** **③ उपासीत विन्दुओं का मिलना।** **उदासीन बिन्दु :- ऐसे बिन्दु जहा चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र तथा पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक बराबर हो, उदासीन बिन्दु कहते हैं।** **(A) जब चुम्बक का उत्तरी ध्रुव भौगोलिक उत्तर की ओर होती है तो उदासीन बिन्दु चुम्बक के निरक्ष परप्प्राप्त होते हैं।** **•B जब चुम्बक का दक्षिण ध्रुव भौगोलिक उत्तर की मोर स्थित हो तो उदासीन बिन्दु चुम्बत, की अक्षीय रेखा पर लाप्त होते है।** **Note :-** - **(i) पृथ्वी की सतह पर चुम्बकीय क्षेत्र लगभग 105 tarla (टेराला) होता है।** - **(ii) वैज्ञानिक गिलबर्ट के