Class 12 Geography Chapter 5 Notes PDF

Summary

These notes explain secondary economic activities. They describe manufacturing, different types of industries, and the factors influencing their location, such as raw materials and labor. Also, the concepts of cottage industries, large-scale industries, and specialization of skills are discussed.

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6789:;ÿ?ÿ@ABCDEÿ@FDGHI द्वितीयक क्रियाएँ द्वितीयक आर्थिक क्रिया :- प्राकृतिक रूप से प्राप्ि कच्चे माल को जब मनुष्य अपना कौशल ज्ञान एवं श्रम लगाकर नये उपयोगी उत्पाद में बदल दे िा है िो इस द्वविीयक आर्थिक क्रिया कहा जािा है । विनिर्ािण :-...

6789:;ÿ?ÿ@ABCDEÿ@FDGHI द्वितीयक क्रियाएँ द्वितीयक आर्थिक क्रिया :- प्राकृतिक रूप से प्राप्ि कच्चे माल को जब मनुष्य अपना कौशल ज्ञान एवं श्रम लगाकर नये उपयोगी उत्पाद में बदल दे िा है िो इस द्वविीयक आर्थिक क्रिया कहा जािा है । विनिर्ािण :- i ववतनमािण से आशय क्रकसी भी वस्िु के उत्पादन से है। हस्िशशल्प से लेकर लोहे व rth इस्पाि को गढ़ना, अंिररक्ष यान का तनमािण इत्यादद सभी प्रकार के उत्पादन को ववतनमािण के अन्िगिि ही माना जािा है । उद्योगो का िगीकरण क्रकस आधार पर क्रकया जाता है :- ya उद्योगो का िगीकरण र्ुख्यतः 4 आधारों पर क्रकया जािा है । 1. आकार के आधार पर 2. कच्चे माल के आधार पर उत्पाद के आधार पर id 3. 4. सव ु ाशमत्व के आधार पर कुटीर उद्योग :- eV कुटीर उद्योग उन उद्योगों को कहिे हैं जजनमें लोग अपने पररवार के सदस्यों के साथ शमलकर स्थानीय कच्चे माल की सहायिा से घर पर ही दै तनक उपयोग की वस्िओ ु ं का तनमािण करिे है । उत्पाद आधाररत उद्योग :- कुछ उद्योगों के उत्पाद अन्य उद्योगों के शलए कच्चे माल के रूप में प्रयक् ु ि होिे हैं। जैसे लड़की की लुग्दी बनाने का उद्योग - कागज के उद्योग के शलए कच्चा माल प्रदान करे गा। अिः कागज उद्योग उत्पाद आधाररि उद्योग होगा। https://www.evidyarthi.in/ छोटे पैर्ािे के उद्योग :- 1. निर्ािण स्थल :- इस प्रकार के उद्योग मे तनमािण स्थल घर से बाहर करखाना होिा है । 2. कच्चा र्ाल :- इसमें स्थानीय कच्चे माल का उपयोग होिा है । 3. रोजगार के अिसर :- रोजगार के अवसर इस उद्योग में अर्धक होिे हैं जजससे स्थानीय तनवाशसयों की िय शजक्ि बडे पैर्ािे के उद्योग :- i उत्पादन, ववकशसि प्रौद्योर्गक िथा कुशल श्रशमकों द्वारा क्रकया जािा है । rth 1. 2. उत्पादन अथवा उत्पाददि माल को ववशाल बाजार में बेचा जािा है । 3. इसमें उत्पादन की मारा ा भी अर्धक होिी है । 4. अर्धक पंजी िथा ववशभन्न प्रकार के कच्चे माल का प्रयोग क्रकया जािा है । कौशल विशशष्टीकरण :- ya बड़े पैमाने पर क्रकया जाने वाला अर्धक उत्पादन जजसमें प्रत्येक कारीगर तनरं िर एक ही प्रकार का कायि करिा है । id सर्ूहि अथिव्यिस्था :- प्रधान उद्योग की समीपिा से अन्य अनेक उद्योगों का लाभांववि होना समहन अथिव्यवस्था है । eV उपभोक्ता िस्तु उद्योग :- उपभोक्िा वस्िु उद्योग ऐसे सामान का उत्पादन करिे हैं जो प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्िा द्वारा उपयोग कर शलया जािा है । जैसे ब्रेड़ एंव बबस्कुट, चाय, साबन ु इत्यादद। धुएँ की र्चर्िी िाला उद्योग :- https://www.evidyarthi.in/ परं परागि बड़े पैमाने वाले औद्योर्गक प्रदे श जजसमें कोयला खादानों के समीप जस्थि धािु वपघलाने वाले उद्योग भारी इंजीतनयररंग, रसायन, तनमािण इत्यादद का कायि क्रकया जािा है । इन्हें धए ु ं की र्चमनी वाला उद्योग भी कहिें हैं। स्िच्छं द उद्योग :- ये वे उद्योग है जो क्रकसी कच्चे माल पर तनभिर नहीं होिे वरन संघटक पुरजों पर तनभिर रहिे हैं। स्िच्छं द उद्योग की विशेषताएँ :- i rth 1. स्वच्छं द उद्योग व्यापक ववववधिा वाले स्थानों में जस्थि होिे हैं। 2. ये क्रकसी ववशशष्ट प्रकार के कच्चे माल पर तनभिर नहीं होिे हैं। 3. ये उद्योग संघटन परु जो पर तनभिर होिे हैं। 4. इनमें कम मारा ा में उत्पादन होिा है । इन उद्योगों में श्रशमकों की भी कम आवश्यकिा होिी है । ya 5. 6. सामान्यिः ये उद्योग प्रदषण नही फैलािे है । कृवष व्यापार या कृवष कारखािे :- id कृवष व्यापार एक प्रकार की व्यापाररक कृवष है जो औद्योर्गक पैमाने पर की जािी है इसका ववत्त पोषण वह व्यापार करिा है जजसकी मख् ु य रूर्च कृवष के बाहर हो। यह फामि से आकार में बड़े यन्रा ीकृि, रसायनों पर तनभिर व अच्छी संरचना वाले eV होिे हैं। इनकों कृवष कारखाने भी कहा जािा है । Q. लौह इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है ? लौह - इस्पाि उद्योग के उत्पाद को अन्य वस्िए ु ँ बनाने के शलए कच्चे माल के रूप में प्रयोग में लाया जािा है इसशलए इसे आधारभि उद्योग कहिे हैं। जैसे :- लौह इस्पाि उद्योग, वस्रा उद्योग व अन्य उद्योगों के शलए मशीनें बनािा है । अिः यह सभी उद्योगों का आधार है । Q. लोहा इस्पात उद्योग को भारी उद्योग क्यों कहते हैं? https://www.evidyarthi.in/ लोहा इस्पाि उद्योगे को भारी उद्योग कहिे हैं, क्योंक्रक इसमें बड़ी मारा ा में भारी भरकम कच्चा माल उपयोग में लाया जािा है , एंव इसके उत्पाद भी भारी होिे हैं। प्रौद्योर्गक ध्रि ु :- वे उच्च प्रौद्योर्गकी उद्योग जो प्रादे शशक रूप में सकेजन् ि हैं, आत्मतनभिर िथा उच्च ववशशष्टिा शलए होिे हैं उन्हें प्रौद्योर्गक ध्रुव कहा जािा है जैसे उदाहरण - शसलीकन घाटी स.रा.अ.) बेंगलरू (भारि में ), शसयटल के समीप शसलीकन वनघाटी। i जंग का कटोरा rth ' नाम संयुक्ि राज्य अमेररका में जस्थि वपट्सबगि को ' जंग का कटोरा ' नाम से जाना जािा है क्योंक्रक वपट्सबगि लौह उत्पादन का प्रमख ु क्षेरा था जजसका महत्व अब घट गया है । ya आकार के आधार पर विनिर्ािण उधोगों का िगीकरण :  कुटीर उद्योग - (1) पररवार के सदस्यों की सहायिा से वस्िओ ु ं का उत्पादन क्रकया जािा है । (2) स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग क्रकया जािा है िथा id उपकरण एवं औजार साधारण होिे है ।  छोटे पैमाने के उद्योग - (1) उत्पादन , ऊजाि से चलने वाली मशीनों िथा मजदरों द्वारा क्रकया जािा है । (2) इसमें कच्चा माल स्थानीय बाजार में eV उपलब्ध न होने पर बाहर से भी मंगवािे है ।  बड़े पैमाने के उद्योग - (1) इसमें ववशभन्न प्रकार का कच्चा माल बाहर से मँगवाया जािा हैं िथा आधुतनक भारी मशीनों का उपयोग होिा है ये शजक्ि चाशलि मशीनें होिी है । (2) इसमें आधुतनक ववकशसि िकनीकी का प्रयोग करके िथा अर्धक पँजी लगाकर उत्पादन बड़े पैमाने पर होिा है । आधुनिक सर्य र्ें बडे पैर्ािे पर होिे िाले विनिर्ािण की निम्िशलखखत विशेषताएँ हैं :- https://www.evidyarthi.in/ 1. कौशल का विशशष्टीकरण :- आधतु नक उद्योगों में उत्पादन बड़े पैमाने पर होने के कारण कौशल का ववशशष्टीकरण हो जािा है जजसमें प्रत्येक कारीगर तनरं िर एक ही प्रकार का कायि करिा है । कारीगर तनददि ष्ट कायि के शलये प्रशशक्षक्षि होिे है । 2. यन्त्रीकरण :- यन्रा ीकरण से िात्पयि है क्रक क्रकसी कायि को परा करने के शलए मशीनों का प्रयोग करना आधुतनक उद्योग स्वचाशलि यन्रा ीकरण की ववकशसि अवस्था है । 3. प्रौद्योर्गकीय ििाचार :- आधुतनक उद्योगों में नया िकनीकी ज्ञान, शोध व ववकासमान युजक्ियों को सजममशलि क्रकया गया है जजसमें ववतनमािण की i गुणवत्ता को तनयजन्रा ि करना, अपशशष्टों का तनस्िारण व अदक्षिा को rth समाप्ि करना व प्रदषण के ववरूद्ध संघषि करना मख् ु य है । 4. संगठिात्र्क ढांचा ि स्तरीकण :- इसके अतिररक्ि बड़े पैमाने पर होने वाले ववतनमािण में संगठनात्मक ढाँचा बड़ा, पँजी का तनवेश अर्धक कमिचाररयों में प्रशासकीय अर्धकारी वगों का बाहुल्य होिा है । ya स्िाशर्त्ि के आधार पर उद्योगों का िगीकरण :- साििजनिक क्षेर :- id 1. ऐसे उद्योग सरकार के अधीन होिे हैं। 2. सरकार ही इनका प्रबंध करिी है । 3. भारि में बहुि से उद्योग साविजतनक क्षेरा के बीच है जैसे लोह इस्पाि eV उद्योग। 4. अर्धकिर समाजवादी, सामयवादी दे शों में ऐसा होिा हैं। निजी क्षेर :- 1. ऐसे उद्योगों का माशलक एक व्यजक्ि या एक कमपनी होिी है । 2. व्यजक्ि या तनजी कंपतनयां इन उद्योगों का प्रबंधन करिी है । 3. पंजीवाद दे शों में यह व्यवस्था होिी है । 4. भारि में टाटा समह, ववरला, ररलायंस इंडस्री इसके उदाहरण संयुक्त क्षेर :- https://www.evidyarthi.in/ 1. कुछ उद्योगों का संचालन सरकार और तनजी कंपतनयाँ शमलकर करिी है । 2. दहन्दस् ु िान पैरोशलयम कोपोटे शन शलशमटे ड (HPCL) िथा शमत्तल एनजी शलशमटे ड साझेदारी (HPCLMittal energy limited (HMFL) इसका उदाहरण है । उद्योगों की अिस्स्थनत को प्रभावित करिे िाले कारको :- 1. कच्चे र्ाल की उपलब्धता :- उद्योग के शलए कच्चा माल अपेक्षाकृि सस्िा एंव सरलिा से पररवहन योग्य होना चादहए। भारी वजन सस्िे मल्य एंव वजन घटाने वाले पदाथों व शीघ्र नष्ट होने वाले पदाथों पर आधाररि i rth उद्योग कच्चे माल के स्रा ोि के समीप ही जस्थि हो। जैसे लौह - इस्पाि उद्योग, चीनी उद्योग। 2. अिुकूल जलिायु :- कुछ उद्योग ववशेष प्रकार की जलवायु वाले क्षेरा ों में ही स्थावपि क्रकये जािे हैं। उदाहरण के शलए दक्षक्षण भारि में सिी वस्रा उद्योग ववकशसि होने में नमी वाले पयािवरण का लाभ शमला है । नमी के कारण ya कपास से वस्रा की किाई आसान हो जािी है । अत्यार्धक ठं डे व अत्यार्धक गमि प्रदे शों में उद्योगों की स्थापना कदठन कायि है । 3. शस्क्त के साधि :- वे उद्योग जजनमें अर्धक शजक्ि की आवश्यकिा होिी है वे ऊजाि के स्रोिों के समीप लगाए जािे ,हैंजैसे एल्यशमतनयम उद्योग। id 4. श्रर् की उपलब्धता :- बढ़िे हुए यंरा ीकरण, स्वचाशलि मशीनों इत्यादद में उद्योगों में श्रशमकों पर तनभिरिा को कम क्रकया है , क्रफर भी कुछ प्रकार के उद्योगों में अब भी कुशल श्रशमकों की आवश्यकिा है । अर्धकांश उद्योग eV सस्िे व कुशल श्रशमकों की उपलब्धिा वाले स्थानों पर अवजस्थि होिे हैं । जस्वटजरलैंड का घड़ी उद्योग व जापान का इलैक्रोतनक उद्योग कुशल और दक्ष श्रशमकों के बल पर ही दटके हैं। 5. पँज ू ी :- क्रकसी भी उद्योग के सफल ववकास के शलए पयािप्ि पँजी का उपलब्ध होना अतनवायि है । कारखाने के शलए जमीन, मशीने, कच्चा माल, श्रशमकों को वेिन दे ने के शलए पयािप्ि पँजी की आवश्यकिा होिी है । उदाहरण के शलए यरोप में पयािप्ि मारा ा में पँजी उपलब्ध होिी है िथा वहाँ उद्योग भी काफी ववकशसि है । https://www.evidyarthi.in/

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