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# लूसेंट सामान्य ज्ञान ## इल्तुतमिश - लाहौर से दिल्ली को राजधानी बनाया। - हौज-ए-सुल्तानी का निर्माण देहली-ए-कुहना के निकट करवाया - 1229 ई. में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की। - अप्रैल, 1236 ई. में मृत्यु - चंगेज खाँ से बचने के लिए ख्वारिज्म के सम्राट जलालुद्दीन को अपने...

# लूसेंट सामान्य ज्ञान ## इल्तुतमिश - लाहौर से दिल्ली को राजधानी बनाया। - हौज-ए-सुल्तानी का निर्माण देहली-ए-कुहना के निकट करवाया - 1229 ई. में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की। - अप्रैल, 1236 ई. में मृत्यु - चंगेज खाँ से बचने के लिए ख्वारिज्म के सम्राट जलालुद्दीन को अपने यहाँ शरण नहीं दी। - बाद में पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा, वह एक अयोग्य शासक था। - इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकान छाई रही। - शाहं तुरकान के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरों ने रुकनुद्दीन को हटाकर रज़िया को सिंहासन पर आसीन किया। - रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला थी, जिसने शासन की बागडोर सँभाली। - पर्दाप्रथा का त्यागकर व पुरुषों की तरह चोगा (काबा) एवं कुलाह (टोपी) पहनकर राजदरबार में खुले मुँह से जाने लगी। - मलिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर-ए-अखूर (घोड़े का सरदार) नियुक्त किया। - गैर तुर्कों को सामंत बनाने के रज़िया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरुद्ध हो गए और उसे बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुइजुद्दीन बहरामशाह को बैठा दिया। - अल्तुनिया के साथ हुई। - पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया, लेकिन 13 अक्टूबर, 1240 ई. को डाकुओं के द्वारा कैथल के पास कर दी गई। ## बहरामशाह - मई, 1242 ई. में उसकी हत्या कर दी गई। - दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह बना। ## बलबन - 1246 ई. में अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बना दिया। - अपनी पुत्री का विवाह नासिरुद्दीन महमूद के साथ किया था। - वास्तविक नाम बहाउद्दीन - इल्तुतमिश का गुलाम - तुर्कान-ए-चिहलगानी का विनाश - 1266 ई. में गियासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। - मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा। - सीरी नामक नया नगर बसाया - राजदरबार में सिजदा एवं पैबोस प्रथा की शुरुआत - फारसी रीति-रिवाज पर आधारित नवरोज (फ़ारसी साल का पहला दिन) उत्सव को प्रारंभ करवाया। - विरोधियों के प्रति कठोर 'लौह एवं रक्त' नीति का पालन किया। - नासिरुद्दीन महमूद ने उलूग खाँ की उपाधि प्रदान की। - आखेट अभियान के बहाने अपनी सेना को लंबी दूरी तक कवायद कराकर दुरुस्त रखता था। - दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो एवं अमीर हसन रहते थे। ## गुलाम वंश - अंतिम शासक शम्मुद्दीन कैमुर्स था। ## खिलजी वंश ( 1290 से 1320 ई.) - गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून, 1290 ई. को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की। - किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया। ## जलालुद्दीन - 1296 ई. में अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था। - जन्म पटियाली (प्रयाग) (पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायू के पास) में 1252 ई. में हुआ था । - खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य - बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे। - तुतिए हिन्द (भारत का तोता) के नाम से भी जाना जाता है। - सितार एवं तबले की नींव रखी। - दिल्ली के शासकों के आविष्कार का श्रेय अमीर खुसरो को ही दिया जाता है। - 1296 ई. में, उसके भतीजा व दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ामानिकपुर में कर दी। ## अलाउद्दीन - दिल्ली का सुल्तान - बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प - सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी। - सबसे विशाल स्थायी सेना थी - घोड़ा दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत - भूराजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1/2 भाग कर दिया । - खम्स (लूट का धन) में सुल्तान का हिस्सा 1/4 भाग के स्थान पर 3/4 भाग कर दिया । - व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया । - अपने शासनकाल में 'मूल्य नियंत्रण प्रणाली' को दृढ़ता से लागू किया। - दक्षिण भारत की विजय के लिए बाजार-नियंत्रण करने के लिए मलिक काफूर को भेजा। - जमैयत खाना मस्जिद, अलाई दीवान-ए-रियासत : यह व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था। - बाजार-नियंत्रण की पूरी व्यवस्था का संचालन करता था । - शहना-ए-मंडी : प्रत्येक बाजार में बाजार का अधीक्षक । - अलाई दरवाजा को इस्लामी वास्तुकला का रत्न कहा जाता है। - दैवी अधिकार के सिद्धान्त को चलाया था। - सिकन्दर-ए-सानी की उपाधि से स्वयं को विभूषित किया । - मलिक याकूब को दीवान-ए-रियासत नियुक्त किया था। - परवाना-नवीस नामक अधिकारी वस्तुओं की परमिट जारी करता था। - शहना-ए-मंडी-यहाँ खाद्यान्नों को बिक्री हेतु लाया जाता था। - सराए-ए-अदल-यहाँ वस्त्र, शक्कर, जड़ी-बूटी, मेवा, दीपक का तेल एवं अन्य निर्मित वस्तुएँ बिकने के लिए आती थीं। - आर्थिक नीति की व्यापक जानकारी जियाउद्दीन बरनी की कृति तारीखे फिरोजशाही से मिलती है। - मूल्य-नियंत्रण को सफल बनाने में मुहतसिब (सेंसर) एवं नाजिर (नाप-तौल अधिकारी) की महत्वपूर्ण भूमिका थी। - राजस्व सुधारों के अन्तर्गत अलाउद्दीन ने सर्वप्रथम मिल्क, इनाम एवं वक्फ के अन्तर्गत दी गयी भूमि को वापस लेकर उसे खालसा भूमि में बदल दिया। - द्वारा लगाये जानेवाले दो नवीन कर थे- 1. चराई कर : दुधारू पशुओं पर लगाया जाता था. 2. गढ़ी कर : घरों एवं झोपड़ी पर लगाया जाता ---

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