क्रोध के समान विभाज नहीं। क्षमा के समान अमृत नहीं। पाप के समान वैरी नहीं। धर्म के समान मित्र नहीं। क्रोध के समान भय नहीं। शील के समान शरण नहीं। लाभ के समान दुःख नहीं। संतोष के समान... क्रोध के समान विभाज नहीं। क्षमा के समान अमृत नहीं। पाप के समान वैरी नहीं। धर्म के समान मित्र नहीं। क्रोध के समान भय नहीं। शील के समान शरण नहीं। लाभ के समान दुःख नहीं। संतोष के समान सुख नहीं।
Understand the Problem
यह प्रश्न एक सूची में दिए गए शब्दों के अर्थ या मान के संबंध में एक अस्पष्टता की ओर इशारा कर रहा है। सवाल यह है कि ये शब्द एक-दूसरे के बराबर नहीं हैं या उनका समान अर्थ नहीं है।
Answer
क्रोध के समान विभाज नहीं।
सही उत्तर है: 'क्रोध के समान विभाज नहीं।' यह वाक्य का सही रूप है।
Answer for screen readers
सही उत्तर है: 'क्रोध के समान विभाज नहीं।' यह वाक्य का सही रूप है।
More Information
वाक्य में 'विभाज' का सही अर्थ 'विष' होता है, जो 'क्रोध' के समान माना गया है।
Tips
अन्य शब्दों का सही चयन करना सुनिश्चित करें।
Sources
- Sant Rampal Ji Maharaj on X - x.com
- क्षमा समान न तप,... - संत कबीर के दोहे - facebook.com
- आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के अमृत वचन - vidyasagar.guru
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