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श्रम_विभाजन_और_जाति_प्रथा_.pdf

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★ डॉo भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 ईo को महू ( मध्यप्रदे श ) में हुआ था । ★ इनके चिंतन व रचनात्मकता के मख् ु यत: तीन प्रेरक व्यक्ति रहे -- बद् ु ध ,कबीर और ज्योतिबा फुले । ★ उपाधि --- संविधान निर्माता ★ इनका निधन 6 द...

★ डॉo भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 ईo को महू ( मध्यप्रदे श ) में हुआ था । ★ इनके चिंतन व रचनात्मकता के मख् ु यत: तीन प्रेरक व्यक्ति रहे -- बद् ु ध ,कबीर और ज्योतिबा फुले । ★ उपाधि --- संविधान निर्माता ★ इनका निधन 6 दिसंबर 1956 ईo को दिल्ली में हुई । ★ इनकी प्रमख ु रचनाएं एवं भाषण है -- 1. एनीहिलेशन ऑफ कॉस्ट 2. द राइज एंड फॉल ऑफ द हिंद ू विमेन 3. द कॉस्ट इन इंडिया दे यर मैकेनिज्म 4.जेनेसिस एंड डेवलपमें ट 5. बद् ु धिज़्म एंड कम्यनि ू ज्म 6. बद् ु धा एंड हिज धम्मा ❖ प्रस्तत ु पाठ बाबा साहे ब के विख्यात भाषण “ एनीहिलेशन ऑफ कॉस्ट " के ललई सिंह यादव द्वारा किए गए हिंदी रूपांतरण “ जाति - भेद का उच्छे द" से संपादन के साथ लिया गया है । __________________________________________ बोध और अभ्यास के प्रश्न उत्तर 1. लेखक किस विडंबना की बात करते है ? विडंबना का स्वरूप क्या है ? उत्तर = अधानक ु यग ु में भी जातिवाद का पोषण होना , इसके पोषको की कमी नही होना , इस तरह की प्रथा को बढ़ावा दे ना , लेखक के विचार से विडंबना माना गया हैं। 2. जातिवाद के पोषक उसके पक्ष में क्या तर्क दे ते है ? उत्तर = जातिवाद के पक्ष में इसके पोषेको का तर्क है की आधनि ु क सभ्य समाज कार्य-कुशलता के लिए श्रम-विभाजन को आवश्यक मानते है और चकि ंू जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दसू रा रूप है इसलिए इसमें कोई बरु ाई नही है । 3. जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्कों पर लेखक की प्रमखु आपत्तियां क्या है ? उतर = जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्कों पर लेखक की प्रमख ु आपत्तियां निम्नलिखित है :- (क) जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन का भी रूप लिए हुए हैं। (ख) इस प्रथा में श्रमिकों को अस्वाभाविक रूप से विभिन्न वर्गों में विभाजित किया जाता है । (ग) इसमें वर्गों को एक दस ू रे की अपेक्षा ऊंच-नीच करार दिया जाता है । (घ) जाति प्रथा पर आधारित विभाजन मनष्ु य की रूचि पर आधारित नहीं है । 4. जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कही जा सकती ? उत्तर = भारतीय समाज में जाति प्रथा श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप नहीं कही जा सकती क्योंकि यह मनष्ु य की रूचि पर आधारित नहीं है इनमें मनष्ु य की निजी क्षमता का विचार किए बिना उसका पेशा निर्धारित कर दिया जाता है । 5. जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमखु और प्रत्यक्ष कारण कैसे बनी हुई है ? उत्तर = जाति प्रथा में किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेशा चन ु ने की अनम ु ति नहीं है जो उसका पैतक ृ परे शान ना हो भले ही वह उस में पारं गत हो इस प्रकार पेशा परिवर्तन की अनम ु ति ना दे कर जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रमख ु व प्रत्यक्ष कारण बनी हुई है । 6. लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानते हैं और क्यों? उत्तर = लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या विवशतावश निर्धारित कार्य को अरुचि के साथ करने को मानते हैं क्योंकि ऐसी स्थिति में काम करने वाले को टालू काम और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है ऐसी स्थिति में जहां काम करने वालों का ना दिल लगता हो ना दिमाग कोई कुशलता प्राप्त नहीं की जा सकती है । 7. लेखक ने पाठ में किन प्रमख ु पहलओु ं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है ? उत्तर = जाति प्रथा भारत में श्रम विभाजन मनष्ु य की स्वेच्छा पर निर्भर नहीं रहता इस में मानवीय कार्यकुशलता की वद् ृ धि नहीं हो पाती । इसमें स्वभावत: मनष्ु य को दर्भा ु वना से ग्रस्त रहकर कम और तालू कार्य करने को विवश होना पड़ता है । क्योंकि जाति प्रथा मनष्ु य की स्वाभाविक प्रेरणारुचि व आत्मशक्ति को दबा कर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना दे ती है । 8. सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं को आवश्यक माना है उत्तर = सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने भाईचारे ,सामहि ू क जीवनचर्या की एक रीति ,समाज के सम्मिलित अनभ ु वों के आदान-प्रदान तथा अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव जैसी विशेषताओं को आवश्यक माना है ।

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