राजस्थान का इतिहास (PDF)
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यह दस्तावेज़ राजस्थान के राजवंशों, उनका इतिहास, और विभिन्न राजवंशों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित है। इसमें मेवाड़, मारवाड़, बीकानेर, और आमेर सहित कई राज्यों के इतिहास पर चर्चा की गई है।
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# रायथान ## राजस्थान का राजवंशीय इतिहास ### NOTES (प्रिंटेड क्लास नोट्स) #### अनुक्रमिका | क्रम | अध्याय | पेज नंबर | |---|---|---| | 1 | मेवाड़ का इतिहास | 2-21 | | 2 | मारवाड़ का इतिहास | 22-31 | | 3 | बीकानेर का इतिहास | 32-36 | | 4 | किशनगढ़ का इतिहास | 36 | | 5 | आमेर का इतिहास | 37-44 | |...
# रायथान ## राजस्थान का राजवंशीय इतिहास ### NOTES (प्रिंटेड क्लास नोट्स) #### अनुक्रमिका | क्रम | अध्याय | पेज नंबर | |---|---|---| | 1 | मेवाड़ का इतिहास | 2-21 | | 2 | मारवाड़ का इतिहास | 22-31 | | 3 | बीकानेर का इतिहास | 32-36 | | 4 | किशनगढ़ का इतिहास | 36 | | 5 | आमेर का इतिहास | 37-44 | | 6 | चौहान वंश का इतिहास - सपादलक्ष के चौहान, अजमेर के चौहान, रणथम्भौर के चौहान, जालौर एवं सिवाणा के चौहान, हाड़ौती के चौहान | 45-51 | | 7 | गुर्जर प्रतिहारों का इतिहास | 52-53 | | 8 | मुगल राजपूत संबंध | 54-62 | | 9 | राजस्थान की सभ्यताएँ | 63-64 | ## गुहिल वंश की स्थापना **शिवि** * प्राग्वाट * मेदपाट **सुभागा देवी** * बीज मंत्र की शिक्षा से गर्भवती हुई * पुत्र – शिलादित्य **शिलादित्य** * मेवाड़ (उदयपुर) * वल्लभी पर आक्रमण + सपरिवार मारा गया * एक पत्नी पुष्पावती – अम्बा माता का दर्शन करने आबू गई हुई थी। **हिन्दुआ सूरज** * राजा * पत्नी – पुष्पावती * कुलदेवता - एकलिंगनाथ जी * कुलदेवी - बाण माता * राजतिलक – उन्दरी गाँव के भील **पुष्पावती** * एक पुत्र को जन्म देकर सती हो गई। * पुत्र – गौह/गेहदत्त/गुहिलादित्य **गौह/गेहदत्त/गुहिलादित्य** * पिता – शिलादित्य * माँ – पुष्पावती * धाय माँ – कमलावती * 565 - 66 ई. में गुहिल वंश की नींव रखी * गुहिल वंश का संस्थापक/आदि पुरुष/मूल पुरुष * प्रारंभिक राजधानी – नागदा (उदयपुर) **कालभोज (734 - 53)** * मूल नाम – कालभोज * तीन वर्ष का कालभोज नागदा के जंगलों में ब्राह्मणों की गाय चराता था। * 734 ई. में चित्तौड़ के राजा मानमौर्य को पराजित करके गुहिल वंश का शासन संभाला * गुहिल वंश का वास्तविक संस्थापक कालभोज * विजय के बाद उपाधि हिंदू सूर्य, चक्कवै, राजगुरु * सी.वी. वैध ने संज्ञा – कालभोज को चार्ल्स मार्टिल की (फ्रांसीसी सेनापति) * कार्य- * पाकिस्तान का रावलपिंडी शहर (सैन्य ठिकाना) * राजधानी – नागदा को बनाई (प्रथम) * सोने के सिक्के चलाए – 115 ग्रेन का * 753 ई. में (अलग-अलग माना जाता है।) * संन्यास – **मंदिरनुमा समाधि – 'बापा रावल' (एकलिंग जी के मंदिर के पास)** * उपाधि – बापा रावल * एकलिंगजी का दीवान * हरित ऋषि * लुकलीश मत का संन्यासी * कार्य – उपाधि प्रदान की * राजा बनने का वरदान महादेव से मांगा * **एकलिंग जी का मंदिर निर्माण करवाया** * स्थान – कैलाशपुरी (उदयपुर) * गुहिलवंश का देवता कहते हैं। * राजा – एकलिंग जी का दीवान कहलाते हैं। * आशीर्वाद – 'आसका लेना' * आराध्यदेव – पाशुपत सम्प्रदाय का * कहावत – "एक झटके में दो भैंसों की बलि देता था और एक साथ चार बकरों का भोजन करता था। वह 35 हाथ की धोती और 16 हाथ का दुपट्टा धारण करता था।।” **भर्तभट्ट द्वितीय** * पिता – भर्तभट्ट द्वितीय * माता- महालक्ष्मी **अल्लट (दसवीं सदी)** * उपनाम - आलु-रावल (ख्यातों में) * गठन नौकरशाही का * राजधानी – नागदा से आहड़ स्थानान्तरित (दूसरी राजधानी)। आहड़ में वराह मंदिर का निर्माण करवाया। * मयूर - मुख्यमंत्री * नियुक्ति * आमात्य अक्षपटलाधीश (आय-व्यय का हिसाब रखने वाला अधिकारी) * कार्यालय - अक्षपटल * विवाह - हूण राजकुमारी हरियादेवी से हुआ था। **शक्ति कुमार (977 - 993)** * मालवा के परमार राजा मुंज ने आहड़ को नष्ट करके चित्तौड़ दुर्ग पर अधिकार कर लिया था। * त्रिभुवन नारायण मंदिर - मुंज के वंशज परमार राजा भोज द्वारा निर्मित। * पुनः निर्माण - महाराणा मोकल समिद्धेश्वर मंदिर कहलाया। * नोट - शक्ति कुमार ने राष्ट्रकूट शासक धवल की सहायता से मेवाड़ के कुछ भाग पर पुनः अधिकार कर लिया था। **रणसिंह (12वीं शताब्दी)** * गुहिल वंश का विभाजन - दो पुत्र * क्षेमसिंह * रावल शाखा की स्थापना + राजा बना * रावल क्षेमसिंह रावल शाखा का संस्थापक * राहप * राणा शाखा की स्थापना + सिसोदा गाँव की जागीर मिली * लक्ष्मण सिंह का पौत्र व अरिसिंह का पुत्र राणा हम्मीर 1326 ई. में राजा बना। ## गुहिल वंश का बंटवारा व वंशावली **विक्रम सिंह** * पुत्र रणसिंह के दो पुत्रों ने गुहिल वंश का बंटवारा कर लिया। * क्षेमसिंह - रावल शाखा की स्थापना **रावल शाखा** * रावल क्षेमसिंह राजा बना, फिर उसके दो पुत्र राजा बने * रावल सामंतसिंह * नाड़ौल के कीर्तिपाल ने राज्य छीन लिया (1177 ई.) * सामंतसिंह ने बागड़ प्रदेश में नया राज्य स्थापित किया और अपनी राजधानी वटपद्रक (बड़ौदा) को बनाई। * रावल कुमारसिंह * नाड़ौल के कीर्तिपाल को पराजित करके राजा बना। * इसके बाद पद्म सिंह राजा बना * पुत्र जैत्रसिंह राजा बना एवं चित्तौड़ को राजधानी बनाई। * पुत्र तेजसिंह * पुत्र समरसिंह * पुत्र रतनसिंह * अंतिम राजा **नोट - रावल शाखा का अंतिम राजा रावल रतनसिंह था, क्योंकि 1303 ई. में चित्तौड़ पर अलाउद्दीन खिलजी का अधिकार हो गया और खिलजी अपने पुत्र खिज्रा खाँ की चित्तौड़ का अधिकारी बनाकर वापिस चला गया। इसके बाद चित्तौड़ पर मालदेव चौहान का अधिकार हो गया और इसके बाद मालदेव चौहान के पुत्र जैसा या जयसिंह का अधिकार हो गया। राणा शाखा के सामंत हम्मीर ने इसी जयसिंह को पराजित करके चित्तौड़ पर अधिकार स्थापित किया।** **राहप - राणा शाखा की स्थापना।** * सिसोदा गाँव के सामंत बन गए। **राणा शाखा के वंशज** * लक्ष्मण सिंह का पौत्र व अरिसिंह का पुत्र राणा हम्मीर 1326 ई. में राजा बना और सिसोदिया वंश की स्थापना की। **सिसोदिया वंश** * राणा हम्मीर (1326 - 1364) * पुत्र खेता/क्षेत्रसिंह (1364 - 1382) * पुत्र राणा लाखा (1382 - 1421) * पुत्र राणा मोकल (1421 - 1433) * पुत्र महाराणा कुम्भा (1433 - 1468) * पुत्र रायमल * (1473-1509) * पुत्र महाराणा सांगा (1509 - 1528) * पुत्र रतनसिंह द्वितीय (1528-1531) * पुत्र विक्रमादित्य (1531-1536) * पुत्र उदयसिंह (1536-1572) * पुत्र महाराणा प्रतापसिंह (1572 - 1597) * पुत्र महाराणा अमरसिंह (1597 - 1620) * पुत्र महाराणा कर्णसिंह (1620-1628) * पुत्र जगतसिंह प्रथम (1628 - 1652) * पुत्र राजसिंह प्रथम (1652 - 1680) * पुत्र जयसिंह (1680 - 1698) * पुत्र अमरसिंह द्वितीय (1698 - 1710) * पुत्र संग्रामसिंह द्वितीय (1710-1734) * जगतसिंह द्वितीय (1734 - 1751) * प्रतापसिंह द्वितीय (1751-1754) * राजसिंह द्वितीय (1754 - 1761) * अरिसिंह द्वितीय (1761 - 1773) * हम्मीर द्वितीय (1773-1778) * भीमसिंह द्वितीय (1778-1828) * जवानसिंह (1828-1838) * सरदारसिंह (1838-1842) * स्वरुपसिंह (1842-1861) * शंभूसिंह (1861-1874) * सज्जनसिंह (1874-1884) * फतेहसिंह (1884-1930) * भूपालसिंह (1930 से अंत तक) * 13 जनवरी, 1818 ई. को महाराणा भीमसिंह द्वितीय ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी से संधि की। इस संधि पर कम्पनी की ओर से चार्ल्स मेटकॉफ ने तथा मेवाड़ के महाराणा की ओर से ठाकुर अजीतसिंह ने हस्ताक्षर किए थे। इस संधि की स्वीकृति 22 जनवरी, 1818 ई. को मिली। इस संधि के अनुसार उदयपुर राज्य प्रथम पाँच वर्ग तक अपनी आय का 1/4 हिस्सा ब्रिटिश सरकार को खिराज के रुप में देगा। **रावल सामंतसिंह** * क्षेमसिंह ने चालुक्य शासक अजयपाल को पराजित करके खोया हुआ मेवाड़ पुनः प्राप्त किया। (शक्ति कुमार के समय का) * विवाह और वागड़ में गुहिल वंश पृथ्वीराज द्वितीय (अजमेर) की बहन पृथ्वीबाई से हुआ था, जिससे नाडोल शासक कीर्तिपाल चौहान नाराज हो गया और उसने मेवाड़ पर अधिकार कर लिया था। * वागड़ में गुहिल वंश की स्थापना - सामंतसिंह ने 1178 ई. में 'वागड़' के शासक चौरसीमल को पराजित करके। राजधानी - पटपद्रक (बड़ौदा)। आगे डूंगरपुर राजधानी बनी। * निधन - तराइन के युद्ध में चौहान सेना के साथ मारा गया। **नोट - कुमार सिंह - रणसिंह का दूसरा पुत्र, कार्य कीर्तिपाल को पराजित करके मेवाड़ को पुनः प्राप्त किया। (सामंत सिंह के समय का)** **रावल रतनसिंह (1302-1303)** * अलाउद्दीन खिलजी का आक्रमण- प्रमुख कारण - * दिल्ली से रवाना- 28 जनवरी, 1303 ई. को * पड़ाव-गंभीरी और बेड़च के संगम पर * चित्तौड़ पर अधिकार 26 अगस्त, 1303 ई. को * खिलजी ने दुर्ग को अपने पुत्र खिज्रा खाँ को सौंपा। * दुर्ग का नाम - खिज्राबाद रखा * उल्लेख-धाबाई पीर की दरगाह लेख में * खिलजी के लिए - ईश्वर की छाया, संसार का रक्षक * दूसरा सिकन्दर, उस समय का सूर्य * रतनसिंह को धोखे से बंदी बनाया। * पद्मिनी ने सेनापति गोरा और बादल के नेतृत्व में छुड़वाया * साम्राज्य विस्तार नीति, चित्तौड़ का सामरिक महत्त्व (मालवा-गुजरात मार्ग) * मलिक मोहम्मद जायसी की रचना- 'पदमावत्' (1540)-237 वर्ष बाद * देश - सिंहल द्वीप (श्रीलंका) * रानी- चंपावती * राजा-गंधर्व सेन * पुत्री-पद्मिनी * तोता - हीरामन (ब्राह्मण ने रतनसिंह को दिया) * नागमती को जवाब- 'जिस सरोवर में कभी हंस नहीं आया, वहां बगुला भी हंस होता है। * राघव चेतन (तांत्रिक) को देश से निष्कासित खिलजी की शरण में गया। * अमीर खुसरो ने 'खजाईन-उल-फुतूह' में पद्मिनी की तुलना शेबा की महारानी से की है। * चित्तौड़ का पहला साका- 1303 * केसरिया * नेतृत्व- रतन सिंह, गोरा, बादल * जौहर * नेतृत्व- पद्मिनी व नागमती **रावल जैत्रसिंह** * नाडोल से आक्रमण का बदला * विवाह किया-समझौता * पुत्र तेजसिंह * विजय- जैत्र सिंह की * पराजय- इल्तुतमिश की **नोट- नाड़ोल पर आक्रमण किया, लेकिन समझौता हो गया** * इल्तुतमिश का नागदा पर आक्रमण- भूताला का युद्ध (1227 ई.) * जैत्रसिंह के सेनापति- बालक और मदन * जानकारी- जयसिंह सूरी कृत- 'हम्मीर मद मर्दन' से **डॉ. दशरथ शर्मा- "जैत्र सिंह का शासनकाल मध्यकालीन मेवाड़ का स्वर्णकाल कहलाता है।" ** * इनके समय में मेवाड़ पर दो विफल आक्रमण हुए * पहला- नासिरूद्दीन महमूद के सेनापति बलवन का * दूसरा- बहोल शासक वीर धवल का **रावल तेज सिंह** * 'श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र चूर्णि' की रचना- 1260 ई- कमल चंद्र ने आहड़ में की। * पत्नी जयतल्ला देवी ने 'श्याम पार्श्वनाथ का मंदिर' (चित्तौड़) का निर्माण करवाया। **दो पुत्र** * रावल रतन सिंह * चित्तौड़ का राजा बना * रावल समरसिंह (1273-1302) * कुंभकरण * नेपाल में गुहिल वंश की स्थापना की * अपने राज्य में जीव हत्या पर प्रतिबंध लगाया। * वीर कन्या विधुलता की कहानी। * दरबार में केलसिंह, कल्हण, अदब, कर्मसिंह, शुभचंद्र, भावशंकर, वेद शर्मा, रत्नप्रभ सूरी * अलाउद्दीन खिलजी सेना से दण्ड वसूला (1299 ई.) * जानकारी- जिन प्रभसूरी के 'तीर्थकल्प' से **हेमरत्न सूरी की रचना- 'गोरा बादल कथा पद्मिनी चौपाई'** **डॉ. गोपीनाथ शर्मा - "समूची रावल शाखा समाप्त हो गई।" ** **खिलजी पुत्र (1313/16 तक)** * मेवाड़ या चित्तौड़ * खिज्रा खाँ (1313/16 तक) * मालदेव चौहान (मूंछाला मालदेव)- 1321 ई. तक * मालदेव पुत्र बनवरी या जैसा- 1326 ई. तक **सिसोदा जागीर की राणा शाखा** * लक्ष्मणसिंह का पौत्र व अरिसिंह का पुत्र * राणा हम्मीर सिसोदिया **समय - 1326 ई.** **संस्थापक - राणा हम्मीर** **मयथा** * पहला राणा या महाराणा हम्मीर सिसोदिया बना था- * रणकपुर प्रशस्ति के अनुसार- बनवरी को * डॉ. ओझा के अनुसार- जयसिंह या जैसा को * मालदेव चौहान का पुत्र था। **राणा हम्मीर- 1326-64** * खोई हुई सत्ता प्राप्त की- मेवाड़ का उद्धारक, विषम घाटी पंचानन, सिंह के समान सदृश रहने वाला राजा * सिसोदिया वंश का संस्थापक कहलाता है। * मुख्य केन्द्र- केलवाड़ा * वीर राजा- रसिक प्रिया में कुंभा ने कहा है * अपने समय का 'प्रबल हिंदु राजा'-कर्नल जेम्स टॉड ने कहा है * मालदेव चौहान के पुत्र को पराजित किया। * युद्धों में पराजित किया * जीलवाड़ा का सरदार राघव को पराजित किया- (एकलिंग महात्म्य के अनुसार) * दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुगलक को पराजित किया- सिंगोली युद्ध (बांसवाड़ा) में। * निर्माण - चित्तौड़ दुर्ग में अन्नपूर्णा माता मंदिर का निर्माण करवाया। **राणा खेतासिंह / क्षेत्र सिंह (1364-1382)** * मेवाड़- मालवा संघर्ष का बीज बोया- मालवा के शासक दिलावर खाँ गौरी को परास्त किया। * (मेवाड़ के खेत ने मालवा का दिल जीत लिया) * हाड़ौती के हाड़ाओं को दबाने का श्रेय भी राणा खेता को दिया जाता है। **महाराणा लाखा (1382-1421)** * जावर (उदयपुर) में चांदी की खान निकली + संस्कृत विद्वान - झोटिंग भट्ट + धनेश्वर भट्ट * लाखा की प्रतिज्ञा - "जब तक बूंदी के किले को नहीं जीत लूंगा तब तक अन्न-जल ग्रहण नहीं करूँगा।" * बूंदी शासक हम्मीर हाड़ा के समय- मिट्टी का नकली दुर्ग की रक्षा के लिए-कुंभा हाड़ा ने बलिदान दिया। **महाराणा मोकल (1421-1433)** * राजा भोज द्वारा निर्मित मंदिर का पुनः निर्माण करवाया * दरबार शिल्पी - मना, फना, वीसल * विद्वान- योगेश्वर, विष्णु भट्ट * पुत्र रायमल * विवाह * पुत्री शृंगारदेवी * त्रिभुवन मंदिर * समधिश्वर मंदिर **दो विजय** * रामपुरा का युद्ध (1428) - नागौर के शासक फिरोज खाँ को पराजित किया। * जीलवाड़ा का युद्ध (1433)- गुजरात के सुल्तान अहमदशाह को पराजित किया। **इसी समय- अक्का, महपा पंवार तथा चाचा व मेरा (क्षेत्रसिंह की पासवान के पुत्र) ने मोकल की हत्या की।** **महाराणा कुम्भा (1433-1468)** * राजा बना - 1433 ई. * पिता- महाराणा मोकल * माता - सौभाग्यवती * जन्म- 1423 ई. * एकलिंग-महात्म्य - कुंभा की जानकारी का महत्वपूर्ण स्त्रोत- प्रथम भाग- 'राजवर्णन' स्वयं कुंभा ने लिखा था। * दो समस्याएं * पिता की हत्या का बदला लेना. * चाचा व मेरा की हत्या रणमल से करवाई। * [ * अक्का व महपा भागकर मालवा नरेश की शरण में गये। * पिता के मामा रणमल के बढ़ते प्रभाव को रोकना। * प्रतिष्ठित सरदार राघवदेव की हत्या। * दासी भारमली से हत्या करवा दी। **मेवाड़ - महाराणा कुम्भा** **मालवा- महमूद खिलजी प्रथम** **सारंगपुर का युद्ध (एम.पी.)-1437 ई.** * आंवल- बावल की संधि (1453) राव जोधा व कुम्भा। * श्रृंगारदेवी का विवाह कुंभा पुत्र रायमल से हुआ। **गागरोण व मालवा संघर्ष** * पहला साका - (1423 ई.) अचलदास खिंची- होशंगशाह (मालवा) * महाराणा कुंभा जीजा- * भांजा * दूसरा साका- (1444 ई.)- पाहल्णसी महमूद खिलजी प्रथम (मालवा) * दुर्ग का नाम 'मुस्तफाबाद' रखा। * नोट- कुंभा का सौतेला भाई खेमकरण मालवा के साथ था। **विजय महाराणा कुंभा- विजय स्तंभ बनवाया।** **चंपानेर की संधि- 1456- गुजरात** * मालवा- महमूद खिलजी-प्रथम-दूत- ताज खाँ * गुजरात - कुतुबुद्दीन शाह * बदनौर का युद्ध (भीलवाड़ा- 1457 ई.) * विजय - महाराणा कुंभा - कुशालमाता का मंदिर बनवाया। **महाराणा ऊदा (1468-73)** * पितृहंता राजा * रायमल अपने ससुराल ईडर गया हुआ था। * दाडिमपुर का युद्ध- ऊदा के सहयोगियों की हार * ऊदा मालवा के सुल्तान गयासुद्दीन खिलजी की सहायता के लिए गया। किंतु अचानक बिजली गिरने से मृत्यु हो गई। **महाराणा रायमल (1473-1509)** * ऊदा की मृत्यु के बाद राजा बना। * सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी ने ऊदा के दो पुत्रों के साथ आक्रमण-असफल (शरण बीकानेर में ली) * खिलजी का जफर खाँ के नेतृत्व में आक्रमण हुआ। * सुल्तान ने टोडा (टोंक) पर अधिकार कर लिया। * सुरातन की पुत्री ताराबाई का विवाह पृथ्वीराज सिसोदिया से **महाराणा सांगा (1509-1527)** * पिता- रायमल * माता- रतनकंवर * जन्म-12 अप्रेल, 1482 * राजा बना-24 मई, 1509 * निधन-30 जनवरी, 1528 * उपनाम - हिंदूपथ, सैनिकों का भग्नावशेष, सिपाही का अंश (कर्नल जेम्स टॉड) | युद्ध का नाम | जिला | सन् | प्रथम पक्ष | द्वितीय पक्ष | विजय | |---|---|---|---|---|---| | खातोली का युद्ध | बूंदी/कोटा | 1517 | महाराणा सांगा | इब्राहिम लोदी (दिल्ली) | सांगा की | | बाड़ी का युद्ध | धौलपुर | 1518 | महाराणा सांगा | इब्राहिम लोदी (मियां माखन) | सांगा की (पीलियाखाल में) | | गागरोण का युद्ध | झालावाड़ | 1519 | महाराणा सांगा | महमूद खलजी द्वितीय (मालवा) | सांगा की (सुल्तान कैद) | | बयाना का युद्ध | भरतपुर | 16 फर. 1527 | सांगा की सेना | बाबर की सेना | सांगा की सेना | | खानवा का युद्ध | भरतपुर | 17 मार्च, 1527 | सांगा की सेना | बाबर | बाबर | **चारण हरिदास की कहानी** **बाबर की सेना** * 1. दोस्त इश्कआका (1562) * 2. मेहदी ख्वाजा (1562) * 3. मो. सुल्तान मिर्जा (1562) **मुस्लिम ज्योतिषी शरीफ की भविष्यवाणी "मंगल का तारा पश्चिम में है, इसलिए पूर्व से लड़ने वाले पराजित होंगे।'** **बाबर का सैनिकों का प्रलोभन-** * पानीपत का युद्ध (1526) * इब्राहिम लोदी पराजित * बाबर विजय + दिल्ली का राजा बना **बाबर** * कम सेना * फिर भी विजय **कारण** * 1- तोपों का प्रयोग * 2- तुलुगमा पद्धति * 1- कभी शराब न पीने की प्रतीज्ञा (25 फरवरी, 1527) * 2- सैनिकों को सोने के सिक्के दूंगा। * 3- कुरान की कसम और 'धर्मयुद्ध' (जैहाद युद्ध) घोषित। **महाराणा सांगा और बाबर** * बयाना का युद्ध (16 फरवरी, 1527) * खानवा का युद्ध * आमेर से-पृथ्वीराज कछवाहा- * बीकानेर से- कल्याणमल * जगनेर से- अशोक परमार- * मेवात से हसन खाँ मेवाती * मेड़ता से-वीरमदेव मेड़तिया- * सेना महाराणा सांगा मेवाड़ * विजय * 17 मार्च, 1527 * जिला-भरतपुर * तहसील-रूपवास **पाती परवन प्रथा के कारण** * आशीर्वाद श्रीवास्तव के अनुसार बाबर व महाराणा सांगा की सेना का अनुपात 1:2 था। * 3- रायसीन के सलहदी तंवर तथा नागौर के खानजादा द्वारा सांगा से विश्वासघात * युद्ध विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की * अर्थ "धर्मयुद्ध में विजय प्राप्त करने वाला" **महाराणा सांगा** * मारवाड़ से - मालदेव * सिरोही से अखैराज देवड़ा या दूदा * सादड़ी (पाली) से झाला अज्जा * देवलिया (प्रतापगढ़) से रावत वाघसिंह * अजमेर से कर्मचंद पंवार * बूंदी से नारायणदास हाड़ा * सेनापति हसन खाँ मेवाती * सांगा के 80 घाव आ गए * छत्र झाला अज्जा ने धारण किया * सांगा का उपचार बसवा (दौसा) **सांगा का चबूतरा** * 30 जनवरी, 1528 को कालपी (जालौन-उत्तरप्रदेश) में सांगा का निधन * दाह संस्कार-मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) छत्तरी स्थित है। **खानवा युद्ध के परिणाम** * (1) सांगा की पराजय सम्पूर्ण भारत के लिए घातक सिद्ध हुई थी। * (2) बाबर की विजय के साथ ही भारत में 'मुगल साम्राज्य' की स्थापना हुई। 'पानीपत के प्रथम युद्ध ने भारत में अफगानों की शक्ति का पूर्ण विनाश कर दिया था और खानवा के युद्ध ने हिंदुओं के महान संगठन को कुचल दिया था।' **लेनपूल का कथन-** **महाराणा सांगा का अंतिम समय-** * बसवा (दौसा)- महाराणा सांगा का चबूतरा (घायल अवस्था में लाया गया था।) * इरिच का मैदान (कालपी-जालौन-उत्तर प्रदेश)- जहर दिया-मृत्यु (30 जन. 1528) * मांडलगढ़ (भीलवाड़ा) दाह संस्कार- छत्तरी (अशोक परमार) **महाराणा सांगा (1509-1528)** * पत्नी-कर्मावती * पुत्र * महाराणा रतन सिंह द्वितीय (1528-1531) * सांगा ने उत्तराधिकारी घोषित किया था * अहेरिया उत्सव (बसंत या आखेट) में * सूरजमल हाड़ा ने मार दिया * हत्या-दासी पुत्र बनवीर ने * बनवीर मारना चाहता था * महाराणा विक्रमादित्य (1531-1536) * धाय माँ पन्ना ने बचाया * महाराणा उदयसिंह (1537/40-1572) * बनवीर को उदयसिंह ने पूर्ण रूप से पराजित + कुंभलगढ़ दुर्ग में राजतिलक * मावली का युद्ध (1540) में किया था। **नोटः- रतनसिंह द्वितीय राजा बना और कर्मावती तथा उनके पुत्र विक्रमादित्य और उदयसिंह को रणथम्भौर मिला।** * 1533 ई. में गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह का रणथम्भौर आक्रमण- ‘अधूरा स्वप्न की छत्तरी' (कर्मावती ने शुरू करवाया) * 1534 ई. में सुल्तान का आक्रमण चित्तौड़ पर सेनापति रूमी खाँ था। **राजा विक्रमादित्य** * चित्तौड़ का दूसरा साका (1534-1535) *