प्रेम-माधुरी-भारतेंदु-हरिश्चंद्र PDF
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UP Board
भारतेंदु हरिश्चंद्र
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This document contains a Hindi literature past paper for class 12 from the UP board. The paper deals with the poem Prem Madhuri by Bharatendu Harishchandra. The questions and answers explore themes of love, longing, and societal expectations within a historical context.
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कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी भारतेन्दु हररश्चिं द्र प्रेम-माधुरी मारग प्रेम को को...
कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी भारतेन्दु हररश्चिं द्र प्रेम-माधुरी मारग प्रेम को को समुझे 'हररचन्द' यथारथ होत यथा है। लाभ कछू न पुकारन में बदनाम ही होन की सारी कथा है। जानत है जजय मेरौ भली बबजध और उपाइ सबै बबरथा है। बावरे हैं ब्रज के जसगरे मोबहिं नाहक पूछत कौन बबथा है ।। 1 ।। 1. उपयुुक्त पद्ािंश का शीर्ुक एविं कबव का नाम जलजिए। उत्तर- पद्ािंश का शीर्ुक प्रेम माधुरी तथा कबव का नाम भारतेंदु हररश्चिं द्र है। कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी 2. रेिािंबकत अिंश की व्याख्या कीजजए। उत्तर-व्याख्या - प्रस्तुत पद्ािंश हररश्चिं द्र जी कहते हैं बक नाबयका अपनी सिी से कहती है बक प्रेम मागु को समझना अत्यन्त कबिन है। यह मागु जीवन के कटु यथाथु की तरह ही किोर एविं कष्टकर है। याबन प्रेम में बहुत ही कबिनाई है। वह अपनी सिी से अपनी स्थिबत का वर्ुन करते हुए कहती है बक इस कबिन मागु पर चलते हुए उसे जो कष्ट हुए हैं उसे दूसरोिं को सुनाने से कोई लाभ नहीिं है। दूसरोिं को इस प्रेम-कथा को सुनाने से उसे बदनामी के अबतररक्त कु छ भी बमलने वाला नहीिं है। वह कहती है बक उसे यह अच्छी तरह से पता है बक प्रेम-व्यथा से मुबक्त पाने के सभी उपाय व्यथु है, इसजलए इसे चुपचाप सहते जाना ही अच्छा है। उसे ऐसा लगता है जैसे ब्रज के सारे लोग पागल हो गए हैं, सब व्यथु ही बार-बार उसकी प्रेम-पीडा के बारे में पूछते है बक उसे कष्ट ्ा है? आजिर उनको हमारे प्रेम से ्ा लेना दे ना है। उसके अनुसार प्रेम-पीडा बकसी दूसरे के सामने प्रकट करने की चीज नहीिं है। कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी 3. बदनाम होने की सारी कथा बकसे कहा गया है? उत्तर- प्रेम को बदनाम होने की सारी कथा कहा गया है। 4. पद्ािंश में बावरे शब्द बकसके जलए प्रयोग बकया गया है उत्तर- बावरे शब्द ब्रज के लोगोिं के जलए प्रयुक्त हुआ है। 5. जसगरे तथा यथारथ शब्दोिं का अथु जलजिए। उत्तर- जसगरे – सभी तथा यथारथ- यथाथु, सत्य। 6. प्रेम को पुकारने में ्ा लाभ है? उत्तर-प्रेम को पुकारने में कोई लाभ नहीिं है। ्ोिंबक प्रेम को पुकारने से बदनामी बमलती है। वस्तुतः कलिं कक द:ि 7. काव्य सौन्दयु :- रस -बवयोग श्रिंगार छिंद- सवैया भार्ा -ब्रज अलिं कार- रूपक, यमक और अनुप्रास। कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी रोकबहिं जो तौ अमिं गल होय औ प्रेम नसै जो कहैं बपय जाइए । जौ कहैं जाहु न तौ प्रभुता जौ कछू न कहें तो सनेह नसाइए । जो 'हररचन्द' कहें तुमरे बबनु जीहैं न तो यह ्ोिं पबतआइए। तासोिं पयान समै तुमरे हम का कहैं आपै हमें समझाइए । 2 ।। 1. उपयुुक्त पद्ािंश का शीर्ुक एविं कबव का नाम जलजिए। उत्तर- उपयुुक्त 2. रेिािंबकत अिंश की व्याख्या कीजजए। उत्तर- व्याख्या हे बप्रय! यबद मैं परदे श जाते समय आपको जाने से रोकती हिं, तो अमिं गल होगा, ्ोिंबक जाने के जलए तैयार बकसी व्यबक्त को टोकना या रोकना अपशकु न कारक होता है और यबद कहती हिं बक आप अवश्य जाइए तो इसका अजभप्राय यह समझा जाएगा बक मुझे आपसे प्रेम नहीिं है। हे बप्रयतम ! कै सी मुस्थिल कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी में फिंस गई हिं बक न तो आप को रोक पा रही हिं और न ही आपको प्रसन्नता से बवदा दे पा रही हिं, ्ोिंबक यबद मैं कहिं बक आप मत जाइए तो इसे अन्यथा समझकर लोग यही कहेंगे बक मैं अपने पबत पर स्वाबमत्व (प्रभुता) बदिा रही हिं जजससे आपके सम्मान को िे स लगेगी और यह सब सोचकर यबद चुप रहती हिं तो प्रेम नष्ट हो सकता है अथाुत् आपको चुपचाप चला जाने दे ने की स्थिबत में भी मैं नहीिं हिं। भारतेन्दज ु ी कहते हैं बक नाबयका बप्रयतम से कहने लगी बक आपके परदे श गमन पर यबद मैं कहिं बक तुम्हारे बबना जीबवत नहीिं रहिंगी तो भला आप ्ोिं बवश्वास करेंग?े इसजलए यह तो कहना ही व्यथु है, अतः आपके परदे श गमन के जलए प्रिान करते समय मैं आपसे ्ा कहिं, यह आप ही मुझे समझा दें । मेरी तो बुबि भ्रबमत हो गई है और मैं नहीिं सोच पा रही हिं बक ्ा कहना उजचत होगा ? कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी 3. नाबयका द्वारा जगत की बकस रीबत का वर्ुन बकया गया है? उत्तर- जगत की यह रीत है की यात्रा हेतु प्रिान करने वाले व्यबक्त को रोकने टोकने से उसका अमिं गल होता है। 4. पद्ािंश में नाबयका की बकस मनोदशा का उल्लेि है? उत्तर- पद्ािंश में नाबयका की असमिं जस एविं दुबवधापूर्ु मानजसक स्थिबत का वर्ुन बकया गया है। नाबयका का पबत परदे श जा रहा है और वह इस असमिं जस की स्थिबत में है बक बकस प्रकार बवदे श जाते हुए अपने पबत को अपने मनोभावोिं से अवगत कराए। 5. उपयुुक्त पिं बक्तयोिं में कौन-सा अलिं कार है? उत्तर- अनुप्रास अलिं कार। 6. पबतआइए तथा पयान शब्दोिं का अथु जलजिए। उत्तर- पबतआइए – बवश्वास, पयान - प्रिान 7. कव्य-सौन्दयु - रस -श्रिंगार छिंद -सवैया भार्ा -ब्रज अलिं कार -अनुप्रास। कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी आजु लौिं जौ न बमले तौ कहा हम तो तुमरे सब भााँ बत कहावैं । मेरौ उराहनो है कछु नाबहिं सबै फल आपने भाग को पावैं । जो 'हररचिं द' भई सो भई अब प्रान चले चहैं तासोिं सुनावैं। प्यारे जू है जग की यह रीबत बबदा की समै सब किं ि लगावैं | 3।। 1. उपयुुक्त पद्ािंश का शीर्ुक एविं कबव का नाम जलजिए। उत्तर- उपयुुक्त कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी 2. रेिािंबकत अिंश की व्याख्या कीजजए। उत्तर- व्याख्या हे बप्रय! यबद आज तक हम लोग नहीिं बमल सके तो ्ा हुआ, मैं तो सब प्रकार से तुन्हारी ही कही जाती हिं। मुझे आपसे न कोई जशकायत है और न मैं आपको उपालम्भ ही दे रही हिं, ्ोिंबक में जानती हिं बक इस सिं सार में सभी लोगोिं को भाग्य के अनुसार ही फल बमलता है। मेरा दुभाुग्य है जो जीते जी मेरा आपसे बमलन न हो सका। इसमें आपका ्ा दोर्, यह तो मेरे भाग्य का दोर् है। भारतेन्दु हररश्चन्द्र कहते हैं बक नाबयका कहने लगी बक हे बप्रय जो हुआ सो हुआ, अब तो मेरे प्रार् इस सिं सार से बवदा लेना चाहते हैं, इसजलए मैं आपसे अनुरोध करती हिं बक इस बवदा वेला में प्रयार् के अवसर पर आप मुझे अपने गले से लगा लें, ्ोिंबक सिं सार की यह रीबत है बक बवदाई के अवसर पर अपने बप्रयजनोिं को गले से लगाया जाता है। कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी 3. इस पद्ािंश में नाबयका के बकस दशा का जचत्रर् बकया गया है? उत्तर- अपने बप्रयतम के प्रबत असीम प्रेम प्रदजशुत हुआ है तथा नाबयका की बवरह दशा का वर्ुन हुआ है। 4. रस श्रिंगार छिंद सवैया भार्ा ब्रज अलिं कार अनुप्रास। कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी व्यापक ब्रह्म सबै थल पूरन हैं हमहाँ पहचानती हैं। पै बबना नाँ दलाल बबहाल सदा 'हररचन्द' न ज्ञानबहिं िानती हैं। तुम ऊधौ यहै कबहयो उनसोिं हम और कछू नबहिं जानती हैं। बपय प्यारे बतहारे बनहारे बबना अजियााँ दुजियााँ नबहिं मानती हैं ।। 4 ।। 1. उपयुुक्त पद्ािंश का शीर्ुक एविं कबव का नाम जलजिए। उत्तर- उपयुुक्त कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी 2. रेिािंबकत अिंश की व्याख्या कीजजए। उत्तर- व्याख्या हे उिव ! तुमने हमें बताया बक ब्रह्म तो सवुव्यापक है, इसे हम भी जानती हैं, बकन्तु हम इस ज्ञान को अपने मन में इसजलए धारर् करने में असमथु हैं, ्ोिंबक बप्रयतम श्ीकर ष्ण के बवयोग में हमारा मन बेचैन है। जब तक मन अशान्त है, तब तक कोई भी बात भला हमें कै से समझ में आ सकती है इसजलए पहले तो तुम कोई ऐसा उपाय करो जजससे हमारा मन शान्त हो सके , तभी तुम्हारे ज्ञानोपदे श को धारर् करने की स्थिबत बन पाएगी। हे उिव ! तुम तो उन श्ीकर ष्ण से जाकर यही कहना बक हम गोबपयािं और कु छ नहीिं जानतीिं, बस एकमात्र उनका दशुन करना चाहती हैं, ्ोिंबक बप्रयतम को दे िे बबना ये दुजिया आिं िें और बकसी प्रकार से सन्तुष्ट नहीिं हो सकतीिं। आप बकसी और उपाय से इन आिं िोिं को बहला नहीिं सकते, अतः श्ीकर ष्ण को अपने दशुन दे कर इन आिं िोिं की हि पूरी करनी ही पडेगी। कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी 3. इस पद्ािंश में कबव ने ब्रह्म के बकस स्वरूप को महत्ता दी है? उत्तर- ब्रह्म के सवुव्यापक स्वरूप को महत्ता दी है। 4. गोबपयााँ उिव से ्ा कहती हैं? उत्तर- गोबपयािं उिव से कहती हैं बक जाकर श्ी कर ष्ण से कह दे ना बक हम और कु छ नहीिं जानती हैं बस हमारी आिं िें श्ी कर ष्ण के दशुनोिं के अबतररक्त और कु छ स्वीकार नहीिं कर रही हैं। 5. इस पद्ािंश में कौन-सा रस है? उत्तर- बवयोग श्रिंगार 6. गोबपयााँ व्यापक ब्रह्मा को बकस रूप में मानती हैं? उत्तर- सवु व्यापक रूप में मानती है। 7. गोबपयााँ सदै व बकसके बबना 'बबहाल' रहती हैं? उत्तर- श्ी कर ष्ण के बबना। कक्षा -12 (यू. पी. बोर्ड ) Join Whatsapp Channal साहित्यिक हििं दी 8. गोबपयााँ भली प्रकार बकसके बवर्य में जानती हैं? उत्तर- सवु व्यापक ब्रह्म के बवर्य में। 9. सवुव्यापक कौन हैं? उत्तर- सवु व्यापक ब्रह्म है। 10. बकसको छोडकर बकसे ज्ञान चचाु रुजचकर नहीिं लगती? उत्तर- श्ी कर ष्ण को छोडकर गोबपयोिं को ज्ञान चचाु रुजचकर नहीिं लगती 11. गोबपयोिं की दुः जियािं आाँ िें ्ा स्वीकार नहीिं करती? उत्तर- गोबपयोिं की दुिी आिं िें श्ी कर ष्ण के दशुन के बबना और कु छ स्वीकार नहीिं करती। 12. रस- श्रिंगार छिंद -सवैया भार्ा -ब्रज अलिं कार - अनुप्रास।