Hindi Spiritual Murli PDF (12-08-2024)

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spiritual teachings self-improvement hindustani philosophy spiritual development

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This document contains spiritual teachings in Hindi. It discusses the importance of remembering the divine and improving one's character. The text emphasizes the need for spiritual growth and suggests that remembering the divine can lead to a closer connection with God.

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12-08-2024 ात:मुरली ओम् शा "बापदादा"' मधुबन “मीठे ब े - अब वािपस घर जाना है इस लए बाप को याद करने और अपने च र को सुधारने क मेहनत करो'' ः- अ ान नींद म सुलाने वाली बात कौन-सी है? उससे नुकसान ा आ है? उ र:- क क आयु लाखों वष कहना, यही अ ान क नी...

12-08-2024 ात:मुरली ओम् शा "बापदादा"' मधुबन “मीठे ब े - अब वािपस घर जाना है इस लए बाप को याद करने और अपने च र को सुधारने क मेहनत करो'' ः- अ ान नींद म सुलाने वाली बात कौन-सी है? उससे नुकसान ा आ है? उ र:- क क आयु लाखों वष कहना, यही अ ान क नींद म सुलाने वाली बात है। इससे ान ने हीन हो गये ह। घर को ब त दूर समझते ह। बुि म है अभी तो लाखों वष यहाँ ही सुख-दु:ख का पाट बजाना है इस लए पावन बनने क मेहनत नहीं करते ह। तुम ब े जानते हो अभी घर ब त नज़दीक है। अब हम मेहनत करके कमातीत बनना है। ओम् शा । मीठे -मीठे ब ों को अब बाप ने घर याद िदलाया है। भल भि माग म भी घर को याद करते ह पर ु वहाँ जाना कब है, कै से जाना है, वह कु छ भी नहीं जानते। क क आयु लाखों वष कह दे ने कारण घर भी भूल गया है। समझते ह लाखों वष यहाँ ही पाट बजाते ह तो घर भूल जाता है। अभी बाप याद िदलाते ह - ब े, घर तो ब त नज़दीक है, अब चलगे अपने घर! म तो तुम ब ों के बुलावे पर आया ँ। चलगे? िकतनी सहज बात है। भि माग म तो पता भी नहीं पड़ता िक कब मुि धाम म जायगे। मुि को ही घर कहा जाता है। लाखों वष कह दे ने के कारण सब भूल जाते ह। बाप को भी तो घर को भी भूल जाते ह। लाखों वष कहने से ब त फक पड़ जाता है। अ ान नींद म जैसे सो जाते ह। िकसको भी समझ म नहीं आता। भि माग म घर िकतना दूर बताते ह। बाप कहते ह वाह मुि धाम म तो अभी जाना है। ऐसे थोड़ेही है तुम कोई लाखों वष भि करते हो। तुमको पता भी नहीं िक भि कब से शु ई है। लाखों वष का िहसाब तो करने क दरकार ही नहीं। बाप को और घर को भूल जाते ह। यह भी डामा म नूं ध है, पर ु नाहेक इतना दूर कर दे ते ह। अब बाप कहते ह - ब े, घर तो िब ु ल नज़दीक है, अब म आया ँ तुमको ले चलने। घर चलना है पर ु पिव तो ज र बनना है। गं गा ान आिद तो तुम करते आये हो, पर ु पिव बने नहीं हो। अगर पिव बनते तो घर चले जाते, पर ु घर का भी पता नहीं तो पिव ता का भी पता नहीं। आधाक से भि क है तो भि को छोड़ते ही नहीं। अब बाप कहते ह भि पूरी होती है। भि म तो अपरमपार दु:ख रहता है। ऐसे नहीं िक तुम ब ों ने लाखों वष दु:ख दे खा है, लाखों वष क तो बात ही नहीं। स ा-स ा दु:ख तो तुमने क लयुग म ही भोगा जबिक जा ी िवकारों म ग े बने हो। पहले जब रजो म थे तो कु छ समझ थी, अभी तो िब ु ल बेसमझ हो गये ह। अब ब ों को कहते ह सुखधाम चलना है तो पावन बनो। ज -ज ा र के जो पाप सर पर ह, उ याद से उतारो। याद से बड़ी खुशी रहेगी। जो बाप तुमको आधाक सुखधाम म ले जाते ह, उनको याद करना है। बाप कहते ह तुमको ऐसा (ल ी-नारायण जैसा) बनना है तो एक तो पिव बनो और च र सुधारो। िवकारों को कहा जाता है भूत, लोभ का भी भूत कम नहीं है। यह भूत ब त अशु है। मनु को एकदम ग ा बना दे ता है। लोभ भी ब त पाप कराता है। 5 िवकार ब त कड़े भूत ह। इन सबको छोड़ना है। लोभ को छोड़ना भी ऐसा मु कल है जैसे काम को छोड़ना मु कल है। मोह को छोड़ना भी इतना मु कल हो जाता जतना काम को छोड़ना। छोड़ते ही नहीं। सारी आयु बाप समझाते आये ह तो भी मोह क रग जुटी ई रहती है। ोध भी मु कल छू टता है। कहते ह ब ों पर ोध आता है। नाम तो ोध का लेते ह ना। कोई भी भूत न आये, उन पर िवजय पानी है। बाप कहते ह जब तक म ँ तब तक तुम पु षाथ करते रहो। बाप िकतना वष रहगे? बाप इतने वष से बैठ समझाते ह, अ ा ही टाइम दे ते ह। सृि च को जानना तो ब त सहज है। 7 िदन म सारा ान बुि म आ जाता है। बाक ज -ज ा र के पाप कटने म दे री लगती है। यही मु कलात है। उसके लए बाबा टाइम दे ते ह। माया का आपोजीशन ब त होता है, एकदम भुला दे ती है। यहाँ बैठते ह तो सारा समय याद म थोड़ेही बैठते ह, ब त तरफ बुि चली जाती है, इस लए टाइम दे ना है, मेहनत कर कमातीत अव ा को पाना है। पढ़ाई तो ब त सहज है। से ीबुल ब ा हो तो 7 रोज़ म सारा ान समझ ले िक यह 84 का च कै से िफरता है। बाक पिव बनने म है मेहनत। इस पर िकतने हंगामे होते ह। समझते ह बात तो राइट है हम ािन करते थे िक ये ाकु मा रयाँ भाई-बिहन बनाती ह, पर ु बात तो बरोबर राइट है। जब तक हम जािपता ा के ब े नहीं बने ह तब तक पिव कै से रह सकगे, ि िमनल आई से सिवल आई कै से बन सकती है। यह युि बड़ी अ है - हम ाकु मार-कु मा रयाँ ह तो भाई-बहन हो गये। इसम बड़ी मदद िमलती है, सिवल आई बनाने म। ा का कत भी है ना। ा ारा दे वी-दे वता धम क ापना अथवा मनु को दे वता बनाना। बाप आते ही ह पु षो म सं गमयुग पर। तो समझाने क िकतनी मेहनत करनी पड़ती है। बाप का प रचय दे ने लए ही से स खोले जाते ह। बेहद के बाप से बेहद का वसा लेना है। भगवान तो है िनराकार। ीकृ तो दे हधारी है, उनको भगवान कह नहीं सकते। कहते भी ह भगवान आकर भि का फल दगे पर ु भगवान का प रचय नहीं है। िकतना तुम समझाते हो िफर भी समझते नहीं। दे हधारी तो पुनज म आते ह ज र। अब उनसे वसा िमल न सके । आ ाओं को एक परमिपता परमा ा से वसा िमलता है। मनु , मनु को जीवनमुि दे न सक। यह वसा पाने के लए तुम ब े पु षाथ कर रहे हो। उस बाप को पाने लए तुम िकतना भटकते थे। पहले तो सफ एक शव क पूजा करते थे, और कोई तरफ जाते नहीं थे। वह थी अ भचारी भि , औरों के म र आिद इतने नहीं थे। अभी तो ढे र च ह, म र आिद बनाते ह। भि माग म तुमको िकतनी मेहनत करनी पड़ती है। तुम जानते हो शा ों म कोई गित-स ित का रा ा नहीं है, वह तो एक बाप ही बताते ह। भि माग म िकतने म र बनाते रहते ह। वा व म म र सफ होते ह दे वी-दे वताओं के और कोई मनु का म र बनता नहीं ोंिक मनु तो ह पितत। पितत मनु पावन दे वताओं क पूजा करते ह। भल ह वह भी मनु , पर ु उनम दै वीगुण ह, जनम दै वीगुण नहीं ह वह उनक पूजा करते ह। तुम खुद ही पू थे, िफर पुजारी बने हो। मनु क भि करना यह 5 त ों क भि करना है। शरीर तो 5 त ों का बना आ है। अब ब ों को मुि धाम म चलना है, जसके लए इतनी भि क है। अब अपने साथ ले चलता ँ। तुम सतयुग म चले जायगे। बाप आये ही ह पितत दुिनया से पावन दुिनया म ले चलने। पावन दुिनया ह ही दो - मुि और जीवनमुि । बाप कहते ह - मीठे -मीठे ब ों, म क -क सं गमयुग पर आता ँ। तुम भि माग म िकतने दु:ख उठाते हो। गीत भी है ना - चारों तरफ लगाये फेरे..... दूर रहे िकससे? बाप से। बाप को ढूं ढने के लए ज बाई ज फेरे लगाये पर ु िफर भी बाप से दूर रहे इस लए बुलाते ह हे पितत-पावन आओ, आकर पावन बनाओ। बाप के सवाए और कोई बना न सके । तो यह खेल ही 5 हज़ार वष का है। डामा अनुसार हर एक पु षाथ करते ह, जस कार क पहले िकया है, उस अनुसार ही राजधानी क ापना हो रही है। सब एक जैसा तो नहीं पढ़गे। यह पाठशाला है ना। राजयोग क पढ़ाई है जो दे वी-दे वता धम के होंगे वह िनकल आयगे। मूलवतन म भी जो सं ा है, वह ए ूरेट होगी। कम जा ी नहीं। नाटक म ए स का अ ाज िब ु ल पूरा है। पर ु समझ नहीं सकते। जतने भी ह, उतने ए ूरेट ह िफर भी वह आकर पाट बजायगे। िफर तुम आते हो नई दुिनया म। बाक सब वहाँ चले जायगे। अभी कोई िगनती करे तो कर सकते ह। अभी बाप तुमको ब त गु -गु ाइं बताते ह। शु क और अभी क समझानी म िकतना फ़क है। पढ़ाई म टाइम लगता है। फट से कोई आई.सी.एस. नहीं बन जायगे। न रवार पढ़ाई होती है। बाप िकतना सहज कर समझाते ह जो मनु ों क बुि म सहज बैठ सके । िदन- ितिदन नई-नई ाइं समझाते रहते ह। अब बाप कहते ह मुझ पितत-पावन बाप को बुलाया है, म आया ँ तो तुम पावन बनो ना। अपने को आ ा समझ मामेकम् याद करो तो तुम सतो धान बन जायगे। िफर यहाँ आना पड़ेगा पाट बजाने। बाप कहते ह आ ा पितत बनी है, इस लए पितत-पावन बाप को याद करते ह पावन बनने के लए। िकतना व र है इतनी छोटी-सी आ ा िकतना पाट बजाती है, इसको कु दरत कहा जाता है। उनको दे खा नहीं जाता है। कोई कहते ह, हम परमा ा का सा ा ार कर। बाप कहते ह इतनी छोटी िब ी का तुम सा ा ार ा करगे। म जानने लायक ँ, बाक दे खना तो मु कल है। आ ा को यह सब कम याँ िमली ई है पाट बजाने के लए। िकतना पाट बजाती ह, यह व र है। कभी भी आ ा िघसती नहीं। यह है अिवनाशी डामा। यह अिवनाशी बना बनाया है। कब बना - यह पूछ नहीं सकते। इनको अनािद कहा जाता है। मनु ों से पूछो रावण को कब से जलाते आये ह? शा कब से पढ़ते आये हो? तो कह दे ते ह अनािद ह, पता नहीं है। मूं झे ए ह ना। बाप बैठ समझाते ह, ब जैसे ब ों को पढ़ाते ह। तुम जानते हो हम िब ु ल बेसमझ थे िफर बेहद क समझ आ गई है। वह होती है हद क पढ़ाई, यह है बेहद क । आधाक है िदन, आधाक है रात। 21 ज तुम रंचक भी दु:ख नहीं पा सकते। कहते ह ना - शल तु ारा बाल भी बांका न हो। कोई दु:ख दे न सके । नाम ही है सुखधाम। यहाँ तो सुख है नहीं। मूल बात है पिव ता क । कै रे स अ े चािहए ना। ब ों को हर बात ीयर समझाई जाती है। नुकसान और फायदा होता है ना। अभी तो बाप कहते ह फायदे क बात ही छू टी। अभी तो नुकसान ही नुकसान होने का है। िवनाश का समय आ रहा है उस समय दे खना ा- ा होता है। बरसात नहीं होती है तो अनाज क िकतनी मं हगाई हो जाती है। भल िकतना भी कहते ह 3 वष के बाद ब त अनाज होगा िफर भी अनाज बाहर से मं गाते रहते ह। ऐसा समय आयेगा जो एक दाना भी िमल नहीं सके गा। इतनी आपदाय आनी ह, इनको ई रीय आपदाय कहते ह। बरसात नहीं पड़ी तो अकाल ज र पड़ेगा। सभी त आिद िबगड़ने वाले ह। ब त जगह तो बरसात नुकसान कर दे ती है। तुम ब े जानते हो बाप आिद सनातन दे वी-दे वता धम क ापना कर रहे ह। तु ारी एम ऑबजे है यह, िफर से तुमको नर से नारायण बनाते ह। यह बेहद का पाठ बेहद का बाप ही पढ़ाते ह। जो जैसा पढ़े गा, ऐसा पद पायेगा। बाप तो पु षाथ कराते ह। पु षाथ कम करगे तो पद भी कम पायगे। टीचर भी ू डे को समझायगे ना। दूसरे को जब आपसमान बनाते ह, तब मालूम पड़ता है यह अ रीित पढ़ते और पढ़ाते ह। मूल है ही याद क या ा, सर पर पापों का बोझा ब त है, मुझे याद करो तो पाप भ हों। यह है हानी या ा। छोटे ब े को भी सखलाओ िक शवबाबा को याद करो। उनका भी हक है। यह नहीं समझगे िक अपने को आ ा समझ बाप को याद करना है। नहीं, सफ शवबाबा को याद करगे। मेहनत करने से उनका नहीं समझगे िक अपने को आ ा समझ बाप को याद करना है। नहीं, सफ शवबाबा को याद करगे। मेहनत करने से उनका भी क ाण हो सकता है। अ ा! मीठे -मीठे सक लधे ब ों ित मात-िपता बापदादा का याद- ार और गुडमॉिनग। हानी बाप क हानी ब ों को नम े। धारणा के लए मु सार:- 1) नर से नारायण पद ा करने के लए बेहद के बाप से बेहद का पाठ पढ़कर दूसरों को पढ़ाना है। आप समान बनाने क सेवा करनी है। 2) लोभ, मोह क जो रग ह उनको िनकालने क मेहनत करनी है। अपने च र को ऐसा सुधारना है जो कोई भूत अ र वेश होने न पाये। वरदान:- भगवान और भा क ृित से औरों का भी भा बनाने वाले खुशनुम: खुशनसीब भव अमृतवेले से लेकर रात तक अपने भ - भ भा को ृित म लाओ और यही गीत गाते रहो वाह मेरा े भा । जो भगवान और भा क ृित म रहते ह वही औरों को भा वान बना सकते ह। ा ण माना ही सदा भा वान, सदा खुशनसीब। िकसी क िह त नहीं जो ा ण आ ा क खुशी कम कर सके । हर एक खुशनुम:, खुशनसीब हो। ा ण जीवन म खुशी का जाना अस व है, भल शरीर चला जाए लेिकन खुशी जा नहीं सकती। ोगन:- माया के झूले को छोड़ अती य सुख के झूले म सदा झूलते रहो।

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