एवरेस्ट मेरी शिखर यात्रा - उत्तर पीडीएफ़
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द मिलेनियम स्कूल
बचेंद्री पाल
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Summary
यह दस्तावेज एवरेस्ट पर चढ़ाई, लेखिका बचेंद्री पाल की यात्रा पर एक नज़दीकी नज़र प्रदान करता है। प्रश्न उत्तर दिए गए हैं जिसमे विभिन्न पहलुओं का समावेश किया गया है।
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पाठ - एवरे स्ट : मेरी शिखर यात्रा लेखखका – बचें द्री पाल शलखखत प्रश्न (क) 1. नज़दीक से एवरे स्ट को दे खकर लेखखका को कैसा लगा? उ0- लेखखका ने एवरे स्ट को पहले दो बार दरू से दे खा था। बेस कैम्प से दे खने पर एवरे स्ट, ल्होत...
पाठ - एवरे स्ट : मेरी शिखर यात्रा लेखखका – बचें द्री पाल शलखखत प्रश्न (क) 1. नज़दीक से एवरे स्ट को दे खकर लेखखका को कैसा लगा? उ0- लेखखका ने एवरे स्ट को पहले दो बार दरू से दे खा था। बेस कैम्प से दे खने पर एवरे स्ट, ल्होत्से और नत्ु से की ऊँचाइयों से घिरी पववत-श्रेखियाँ लेखखका को बर्फ़ीली टे ढ़ी- मेढ़ी नदी जैसी लगीीं और वह उसे भौंचक्की होकर घनहारती रही। 2. डॉ मीनू मेहता ने क्या जानकाररयाँ दी? उ0- डॉ मीनू मेहता ने अग्रिम दल के अभभयाींत्रिकी कायों के बारे में ववस्तत ृ जानकाररयाँ दीीं। साथ ही अल्यभू मघनयम की सीढ़ढ़यों से अस्थायी पल ु बनाना, लट्ठों और रस्स्सयों का उपयोग और आड़ी-घतरछी दीवारों पर रस्स्सयों को बाँधना भी बताया। 3. तेनस्जींग ने लेखखका की तारीर्फ़ में क्या कहा? उ0- तेनस्जींग ने लेखखका का हौसला बढ़ाते हुए उनकी तारीर्फ़ में कहा, “तुम एक पक्की पववतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो भिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाढ़हए।” 4. लेखखका को ककनके साथ चढ़ाई करनी थी? उ0- कैम्प तीन की दि ु ट व ना के बाद भी लेखखका ने वापस न जाकर आगे बढ़ने का फैसला भलया। अब लेखखका को साउथ कोल कैम्प से आगे की चढ़ाई की, जय और मीनू के साथ करनी थी। 5. लोपसाींग ने तम्बू का रास्ता कैसे सार्फ़ ककया? 1 उ0- बर्फ़व वपींड के ग्रगरने से लेखखका का कैम्प तहस-नहस हो गया था। ऐसे में अपनी तीव्र बद् ु ग्रध का पररचय दे ते हुए लोपसाींग ने अपनी स्स्वस छुरी से बड़े-बड़े ढ़हमवपींडों को हटाकर तम्बू का रास्ता सार्फ़ ककया और तींबू तक पहुँच लेखखका के चारों तरफ की कठोर बफव की खद ु ाई कर उन्हें भी बचाया। 6. साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखखका ने अगले ढ़दन की महत्त्वपि ू व चढ़ाई की तैयारी कैसे िरु ु की? उ0- साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखखका ने अगले ढ़दन की महत्त्वपिू व चढ़ाई की तैयारी िरु ु की। स्जसके भलए उन्होंने खाना, कुककींग गैस तथा ऑक्सीज़न भसभलींडर आढ़द इकट्ठे ककए। शलखखत प्रश्न (ख) 1. उपनेता प्रेमचींद ने ककन स्स्थघतयों से अवगत कराया? उ0- उपनेता प्रेमचींद ने खींभ ु ु ढ़हमपात की स्स्थघत से अवगत कराया। उन्होंने बताया कक कैंप-एक तक का रास्ता सार्फ़ कर ढ़दया गया है। पल ु बनाकर, रस्स्सयाँ बाँधकर तथा झींडडयों से रास्ता ग्रचस्ननत कर ढ़दया गया है । यद्यवप सभी बड़ी कढ़ठनाइयों का जायज़ा ले भलया गया है कफर भी ढ़हमपात में अघनयभमत व अघनस्चचत बदलाव के कारि अभी तक के ककए काम व्यथव हो सकते हैं और रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है क्योंकक बर्फ़व का ग्रगरना अभी ज़ारी है। 2. ढ़हमपात ककस तरह होता है और उससे क्या-क्या पररवतवन आते हैं? उ0- ग्लेभियर के बहने से अकसर बर्फ़व में हलचल हो जाती है स्जससे बड़ी-बड़ी बर्फ़व की चट्टानें तत्काल ग्रगर जाया करती हैं। बर्फ़व के खींडों का अव्यवस्स्थत ढीं ग से ग्रगरना ही ढ़हमपात होता है। बर्फ़व की चट्टानों के ग्रगरने से सीधे धरातल पर दरार पड़ जाती है और यह दरार कफर गहरे -चौड़े ढ़हम-ववदर में बदल जाती है। यह पववतारोढ़हयों के भलए काफी खतरनाक होता है । 3. लेखखका के तम्बू में ग्रगरे बर्फ़व वपींड का विवन ककस तरह ककया गया है ? 2 उ0- ग्लेभियर से टूटकर ग्रगरने वाला लम्बा ढ़हमवपींड एक ज़ोरदार धमाके के साथ लेखखका के िरीर को छूता हुआ घनकला। ढ़हमखींडों, बर्फ़व के टुकड़ों तथा जमी हुई बर्फ़व से कैम्प के ऊपर वविाल ढ़हमपींज ु बन गया था। यह वविाल ढ़हमपींज ु एक्सप्रेस रे लगाड़ी की तेज़ गघत और भीषि गजवना के साथ ढलान से नीचे आया और लेखखका के कैम्प को तहस-नहस कर गया। इससे हर व्यस्क्त को चोट लगी थी परीं तु आचचयव की बात है कक इस हादसे में ककसी की मत्ृ यु नहीीं हुई थी। 4. लेखखका को दे खकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया? उ0- ‘की’ बचेन्री पाल का पववतारोही साथी था। लेखखका की आगे की चढ़ाई वाले दल के अन्य सदस्य की, जय और मीनू भारी बोझ और त्रबना ऑक्सीज़न के कारि बहुत पीछे थे। उनकी मदद करने के भलए लेखखका तम्बू से बाहर आ गईं। बर्फ़ीली हवाओीं के बावज़ूद भी लेखखका नीचे की ओर चल पड़ीीं। मीनू और जय से भमलने के बाद भी वे की से भमलने और नीचे उतर गईं। लेखखका ने इतना बड़ा जोखखम उठाया यह दे खकर की हक्का- बक्का रह गया। 5. एवरे स्ट पर चढ़ने के भलए कुल ककतने कैम्प बनाए गए? उनका विवन कीस्जए। उ0- एवरे स्ट पर चढ़ने के भलए कुल छ: कैम्प बनाए गए। ‘कैम्प एक’ 6000 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया था। ढ़हमपात के रास्ते से इसी कैम्प तक समान ढोकर चढ़ाई का अभ्यास ककया गया। ‘कैम्प दो’ में सरु क्षा कायव का ज़बरदस्त इींतज़ाम था। कैम्प तीन की दि ु ट व ना के बाद लेखखका व उनके साग्रथयों को कैम्प दो में ही वापस लाया गया था। ‘कैम्प तीन’ ल्होत्से की बर्फ़ीली सीधी ढलान पर था। इसके तम्बू सींद ु र रीं गीन नाइलोन के बने थे। ‘कैम्प चार’ 7900 मीटर की ऊँचाई पर साउथ कोल में लगाया गया। इसके अघतररक्त एक बेस कैम्प था, स्जसमें लेखखका अींगदोरजी व उनकी पि ु ी डेकी से भमली थीीं तथा एक भिखर कैम्प भी था जहाँ वे अींगदोरजी के साथ पहुँची थीीं। 6. चढ़ाई के समय एवरे स्ट की चोटी की स्स्थघत कैसी थी? 3 उ0- एवरे स्ट की चोटी की चढ़ाई सपाट व कढ़ठन थी। चढ़ाई के समय दक्षक्षिी भिखर के ऊपर हवा की गघत बढ़ गई थी। तेज़ हवा के झोंके से भरु भरु े बर्फ़व के कि चारों ओर उड़ रहे थे, स्जससे दृचयता िन् ू य तक आ गई थी अथावत ् आस-पास कुछ ढ़दखाई नहीीं दे रहा था। कुछ ढ़दखाई न दे ने के कारि कई बार चढ़ाई के समाप्त होने का भ्रम हो रहा था अथावत ् लगता था कक आगे ढलान है , हम भिखर पर पहुँचने वाले हैं। 7. सस्म्मभलत अभभयान में सहयोग और सहायता की भावना का पररचय बचें री के ककस कायव से भमलता है ? उ0- सस्म्मभलत अभभयान की सफलता उसके सदस्यों के आपसी सहयोग और व्यवहार पर घनभवर करती है । बचें री में यह भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। अपने दल के अन्य सदस्यों की सहायता करने के भलए वे बर्फ़ीली हवाओीं में भी कैम्प से नीचे उतर आईं। रास्ते में अपने साग्रथयों को उन्होंने चाय व जूस भी वपलाया। त्रबना ऑक्सीज़न के चढ़ाई करने वाले अींगदोरजी की तकलीर्फ़ का भी उन्हें परू ा अींदाज़ा था अत: उन्होंने उनकी सवु वधा व सहूभलयत के अनस ु ार ही चढ़ाई की। भाषा- अध्ययन 1. पाठ के सींदभव में िब्दों के अथव- घनहारा है – आकवषवत होकर गौर से दे खते रहना धसकना – ककसी चट्टान जैसी वस्तु का धरती के अींदर धँस जाना खखसकना – अपनी जगह से हट कर आस-पास आ जाना सागरमाथा – सागर के माथे अथावत ् मस्तक की तरह जायज़ा लेना – स्स्थघत या िटना का घनरीक्षि करना नौभसखखया – ककसी काम को नया-नया सीखना िरु ु करना 2. ववराम ग्रचननों का प्रयोग- (क) उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पववतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो भिखर पर पहले प्रयास में ही पहुँच जाना चाढ़हए।” (ख) “क्या तुम भयभीत थीीं?” (ग) “तुमने इतनी बड़ी जोखखम क्यों ली बचें री?” 4 3. िब्द-यग्ु मों के वाक्य प्रयोग- टे ढ़ी-मेढ़ी – खेतों के बीच से टे ढ़ी-मेढ़ी डगर जा रही है । हक्का-बक्का – अपने कींजूस भमि को सन ु ार के यहाँ दे ख मैं हक्का-बक्का रह गया। गहरे -चौड़े – इस गाँव के भलए कई गहरे -चौड़े कँु ए बनवाने होंगे। इधर-उधर – चोरी के बाद मकान में सभी वस्तए ु ँ इधर-उधर त्रबखरी हुई भमलीीं। आस-पास – खाने की वस्तओु ीं के आस-पास गन्दगी नहीीं होनी चाढ़हए। लम्बे-चौड़े – नेता लोग वादे तो लम्बे-चौड़े करते हैं पर करते कुछ नहीीं। 4. उपसगव लगाइए- वास – घनवास, प्रवास, आवास व्यवस्स्थत – अव्यवस्स्थत, सव्ु यवस्स्थत कूल – अनक ु ू ल, प्रघतकूल गघत – प्रगघत, सद्गघत रोहि – आरोहि, अवरोहि रक्षक्षत – आरक्षक्षत, सरु क्षक्षत 5. किया-वविेषि- (क) सब ु ह तक (ख) कुछ दे र बाद ही (ग) कम समय में (ि) अगले ढ़दन 5