Class 10 Science Chapter 6 - नियंत्रण एवं समन्वय PDF
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This document is a chapter on control and coordination in the context of science. It delves into the processes of control and coordination in living beings, exploring how they respond to environmental changes. It examines both animal and plant systems and the mechanisms by which these systems communicate and regulate actions.
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अध्याय 6 नियंत्रण एवं समन्वय पि छले अध्याय में हमने सजीवों में अनरु क्षण (रख-रखाव) कार्य में सग्ं लग्न जैव प्रक्रमों के बारे में पढ़ा था। हमने इस बात पर विचार करना प्रारंभ किया था कि यद...
अध्याय 6 नियंत्रण एवं समन्वय पि छले अध्याय में हमने सजीवों में अनरु क्षण (रख-रखाव) कार्य में सग्ं लग्न जैव प्रक्रमों के बारे में पढ़ा था। हमने इस बात पर विचार करना प्रारंभ किया था कि यदि कोई वस्तु गतिशील है तो वह सजीव है। पादपों में इस तरह की कुछ गतियाँ वास्तव में वृद्धि का परिणाम हैं। एक बीज अक ं ु रित होता है और वृद्धि करता है और हम देख सकते हैं कि नवोदभिद ् कुछ दिनों में गति करता हुआ मृदा को एक ओर धके लकर बाहर आ जाता है, लेकिन यदि इसकी वृद्धि रुक गई होती तो ये गतियाँ नहीं होतीं। अधिकांश जतं ओ ु ं में तथा कुछ पादपों में होने वाली कुछ गतियाँ वृद्धि से संबंधित नहीं हैं। एक दौड़ती बिल्ली, झल ू े पर खेलते बच्चे, जगु ाली करती भैंस– आदि ये गतियाँ वृद्धि के कारण नहीं होती हैं। दिखाई देने वाली इन गतियों को हम जीवन के साथ क्यों जोड़ते हैं? इसका एक संभावित उत्तर यह है कि हम गतियों को जीव के पर्यावरण में आए परिवर्तन की अनक्रिया ु सोचते हैं। बिल्ली इसलिए दौड़ी होगी, क्योंकि इसने एक चहू ा देखा था। के वल यही नहीं, हम गति को सजीवों द्वारा किए गए एक एेसे प्रयास के रूप में भी सोचते हैं, जिसमें उनके पर्यावरण में हुए परिवर्तन उनके लिए लाभकारी हों। सरू ्य के प्रकाश में पौधे वृद्धि करते हैं। बच्चे झल ू े से आनंद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। भैंस जगु ाली करती है ताकि भोजन छोटे टुकड़ों में टूट जाए और उसका पाचन भली-भाँति हो सके । जब तेज़ रोशनी हमारी आँखों पर फोकस की जाती हेै या जब हम किसी गर्म वस्तु को छूते हैं तो हमें परिवर्तन का पता लग जाता है और इसकी अनक्रिया ु में स्वयं को बचाने के लिए गति करते हैं, एेसा प्रतीत होता है। यदि हम इसके बारे में और अधिक विचार करें तो एेसा प्रतीत होता है कि पर्यावरण की अनक्रिया ु के प्रति ये गतियाँ सावधानी से नियंत्रित की जाती हैं। पर्यावरण में प्रत्येक परिवर्तन की अनक्रियाु से एक समचि ु त गति उत्पन्न होती है। जब हम कक्षा में अपने दोस्तों से बात करना चाहते हैं तो हम ज़ोर से चीखने की अपेक्षा फुसफुसाते हैं। स्पष्ट रूप से कोई भी गति उस घटना पर निर्भर करती है, जो इसे प्रेरित करती है। अतः इस तरह की नियंत्रित गति को पर्यावरण में भिन्न घटनाओ ं के अभिज्ञान से जोड़ा जाना चाहिए, जो अनक्रिया ु के अनरू ु प गति करें । दसू रे शब्दों में, सजीवों को उन तंत्रों का उपयोग करना चाहिए, जो नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य करते हैं। बहुकोशिकीय जीवों में शरीर संगठन के सामान्य सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए यह कह सकते हैं कि विशिष्टीकृ त ऊतक का उपयोग इन नियंत्रण तथा समन्वय क्रियाकलापों में किया जाता है। Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 111 30-11-2022 12:06:05 6.1 जंतु-तंत्रिका तंत्र जतं आ ु ें में यह नियंत्रण तथा समन्वय तंत्रिका तथा पेशी ऊतक द्वारा किया जाता है, जिसके विषय में हम कक्षा 9 में पढ़ चक ु े हैं। आकस्मिक परिस्थिति में गरम पदार्थ को छूना हमारे लिए खतरनाक हो सकता है। हमें इसे पहचानने की तथा इसके अनरू ु प अनक्रिया ु की आवश्यकता है। हम कै से पता लगाएँ कि हम गरम वस्तु को छू रहे हैं? हमारे पर्यावरण से सभी सचू नाओ ं का पता कुछ तंत्रिका कोशिकाओ ं के विशिष्टीकृ त सिरों द्वारा, लगाया जाता है। ये ग्राही प्रायः हमारी ज्ञानेंद्रियों में स्थित होते हैं; जैसे– आतं रिक कर्ण, नाक, जिह्वा आदि। रस सवं ेदी ग्राही स्वाद का पता लगाते हैं, जबकि घ्राणग्राही गंध का पता लगाते हैं। यह सचू ना एक तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृ तिक सिरे द्वारा उपार्जित की जाती है। (चित्र 6.1 a) और एक रासायनिक क्रिया द्वारा यह एक विद्तयु आवेग पैदा करती है। यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय तक जाता है और तब तंत्रिकाक्ष कें द्रक (एक्सॉन) में होता हुआ इसके अति ं म सिरे तक पहुचँ जाता है। एक्सॉन के अतं में विद्तयु आवेग द्रुमिका कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनेप्टिक दरार) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की तंत्रिका का द्रुमिका में इसी तरह का विद्तयु आवेग प्रारंभ तंत्रिकाक्ष अति ं म सिरा करते हैं। यह शरीर में तंत्रिका आवेग की मात्रा की सामान्य योजना है। अतं तः इसी तरह का एक कोशिका काय (a) अंतर्ग्रथन (सिनेप्स), एेसे आवेगों को तंत्रिका तंत्रिका पेशीय संधि कोशिका से अन्य कोशिकाओ,ं जैसे कि पेशी तंत्रिकाक्ष कोशिकाओ ं या ग्रंथि (चित्र 6.1 b) तक ले जाता है। अतः इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि पेशी तंत्रिका ऊतक तंत्रिका कोशिकाओ ं या न्रयू ॉन फाइबर के एक संगठित जाल का बना होता है और यह कोशिका सचू नाओ ं को विद्तयु आवेग के द्वारा शरीर के एक माइटोकॉन्ड्रिया भाग से दसू रे भाग तक सवं हन में विशिष्टीकृ त है। (b) चित्र 6.1 (a) को दे खि ए तथा इसमें चित्र 6.1 (a) तंत्रिका कोशिका का चित्र (b) तंत्रिका पेशीय सधं ि तंत्रिका कोशिका के भागों को पहचानिए— (i) जहाँ सचू नाएँ उपर्जित की जाती हैं, (ii) जिससे होकर सचू नाएँ विद्तयु आवेग की तरह यात्रा करती हैं, तथा (iii) जहाँ इस आवेग का परिवर्तन रासायनिक संकेत में किया जाता है, जिससे यह आगे सचं रित हो सके । 112 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 112 30-11-2022 12:06:05 क्रियाकलाप 6.1 कुछ चीनी अपने महँु में रखिए। इसका स्वाद कै सा है? अपनी नाक को अँगठू ा तथा तर्जनी अँगल ु ी से दबाकर बंद कर लीजिए। अब फिर से चीनी खाइए। इसके स्वाद में क्या कोई अतं र है? खाना खाते समय उसी तरह से अपनी नाक बंद कर लीजिए तथा ध्यान दीजिए कि जिस भोजन को आप खा रहे हैं, क्या आप उस खाने का परू ा स्वाद ले रहे हैं। जब नाक बंद होती है तो क्या आप चीनी तथा भोजन के स्वाद में कोई अतं र महससू करते हैं? यदि हाँ, तो आप सोचते होंगे कि यह क्यों होता है? इस तरह के अतं र जानने के लिए और उनके सभं ावित हल खोजने के लिए पढ़िए तथा चर्चा करिए। जब आपको जक ु ाम हो जाता है तब भी क्या आप इसी तरह की स्थिति का सामना करते हैं? 6.1.1 प्रतिवर्ती क्रिया में क्या होता है? पर्यावरण में किसी घटना की अनक्रिया ु के फलस्वरूप अचानक हुई क्रिया की चर्चा करते हैं तो बहुधा प्रतिवर्त शब्द का प्रयोग करते हैं। हम कहते हैं ‘मैं प्रतिवर्तस्वरूप बस से कूद गया’, या ‘मैंने प्रतिवर्तस्वरूप आग की लौ से अपना हाथ पीछे खींच लिया’ या ‘मैं इतना भख ू ा था कि प्रतिवर्तस्वरूप मेरे महँु में पानी आने लगा, इसका क्या अभिप्राय है? इन सभी उदाहरणों में एक सामान्य विचार आता है कि जो कुछ हम करते हैं उसके बारे में विचार नहीं करते हैं या अपनी क्रियाओ ं को नियंत्रण में महससू नहीं करते हैं। फिर भी ये वे स्थितियाँ हैं, जहाँ हम अपने पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों के प्रति अनक्रिया ु कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में नियंत्रण व समन्वय कै से प्राप्त किया जाता है? इस पर फिर से विचार करते हैं। एक उदाहरण लेते हैं कि आग की लपट को छूना हमारे अथवा किसी भी जंतु के लिए एक दरु ाग्रही तथा खतरनाक स्थिति है। हम इसके प्रति कै से अनक्रिया ु करते? एक सरल विधि है कि हम विचार करें कि हमें आघात पहुचँ सकता है और इसलिए हमें अपना हाथ हटा लेना चाहिए। तब एक आवश्यक प्रश्न आता है कि यह सब सोचने के लिए हमें कितना समय लगेगा? उत्तर निर्भर करता है कि हम किस प्रकार सोचते हैं। यदि तंत्रिका आवेग को उस ओर भेजा जाता है, जिसकी चर्चा हम पहले कर चक ु े हैं, तब इसी प्रकार के आवेग उत्पन्न करने के लिए मस्तिष्क द्वारा चितं न भी आवश्यक है। विचार करना एक जटिल क्रिया है। अतः यह बहुत सी तंत्रिका कोशिकाओ ं के तंत्रिका आवेग की जटिल अन्योन्यक्रियाओ ं से जड़ु ने के लिए बाध्य है। यदि यह वस्तुस्थिति है तो कोई आश्चर्य नहीं कि हमारे शरीर में सोचने वाले ऊतक, जटिल रूप से व्यवस्थित न्रयू ॉन के घने जाल से बने हैं। यह खोपड़ी में अग्र सिरे पर स्थित हैं तथा शरीर के सभी हिस्सों से सक ं े त प्राप्त करते हैं तथा उन पर अनक्रिया ु से पहले विचार करते हैं। नि:सदं हे , ये संकेत प्राप्त करने के लिए खोपड़ी में मस्तिष्क का सोचने वाला भाग तंत्रिकाओ ं द्वारा शरीर के विभिन्न भागों से जड़ु ा होना चाहिए। इसी तरह यदि मस्तिष्क का यह भाग पेशियों को गति करने नियंत्रण एवं समन्वय 113 Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 113 30-11-2022 12:06:05 का आदेश देता है तो तंत्रिकाएँ इन संकेतों को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुचँ ाने का कार्य करती हैं।े हम किसी गर्म वस्तु को छुएँ और हमें यह सब करना पड़े तो इसमें काफ़ी समय लगेगा कि हम जलन महससू कर सकते हैं। शरीर की डिज़ाइन किस तरह इस समस्या का हल करती है? ऊष्मा के सवं ेदन के बारे में सोचने की अपेक्षा यदि जो तंत्रिकाएँ ऊष्मा का पता लगाती हैं, उन्हें उन तंत्रिकाओ ं से जोड़ा जाए जो पेशियों को गति कराती हैं, तो जो प्रक्रम आगम सक ं े तों का पता लगाने तथा तदन् सु ार निर्गम क्रिया को करने का कार्य करता है, वह अतिशीघ्र परू ा हो जाता है। आमतौर पर इस तरह के संबंधन को प्रतिवर्ती चाप (चित्र 6.2) कहते हैं। इस प्रकार के प्रतिवर्ती चाप को सबं ंधन आगत तंत्रिका तथा निर्गत तंत्रिका के मध्य कहाँ होना चाहिए? सबसे उपयक्त ु स्थान शायद वही बिंदु होगा जहाँ सबसे पहले वे एक-दसू रे से मिलते हैं। परू े शरीर की तंत्रिकाएँ मेरुरज्जु में मस्तिष्क को जाने वाले रास्ते में एक बंडल में मिलती हैं। प्रतिवर्ती चाप इसी मेरुरज्जु में बनते हैं, यद्यपि आगत सचू नाएँ मस्तिष्क तक भी जाती हैं। अधिकतर जंतओ ु ं में प्रतिवर्ती चाप इसलिए विकसित हुआ है, क्योंकि इनके मस्तिष्क के सोचने का प्रक्रम बहुत तेज़ नहीं है। वास्तव में अधिकांश जतं ओ ु ं में सोचने के लिए आवश्यक जटिल न्रयू ॉन जाल या तो अल्प है या अनपु स्थित होता है। अतः यह स्पष्ट है कि वास्तविक विचार प्रक्रम की अनपु स्थिति में प्रतिवर्ती चाप का दक्ष कार्य प्रणाली के रूप में विकास हुआ है। यद्यपि जटिल न्रयू ॉन जाल के अस्तित्व में आने के बाद भी प्रतिवर्ती चाप तरु ं त अनक्रिया ु के लिए एक अधिक दक्ष प्रणाली के रूप में कार्य करता है। मेरुरज्जु मस्तिष्क के लिए संदश े संवदे ी तंत्रिका कोशिका प्रेरक तत्ं रिका कोशिका ग्राही = ऊष्मा/दर्द प्रतिसारण तंत्रिका कोशिका त्वचा में ग्राही कार्यकर = भजु ा में पेशी चित्र 6.2 प्रतिवर्ती चाप क्या आप उन घटनाओ ं के क्रम को खोज सकते हैं, जो आपकी आँखों में तेज प्रकाश फोकस करने पर होती हैं। 114 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 114 30-11-2022 12:06:05 6.1.2 मानव मस्तिष्क क्या मेरुरज्जु का कार्य के वल प्रतिवर्ती क्रिया है? निश्चित रूप से नहीं, क्योंकि हम जानते हैं कि हम सोचने वाले प्राणी हैं। मेरुरज्जु तंत्रिकाओ ं की बनी होती है, जो सोचने के लिए सचू नाएँ प्रदान करती हैं। सोचने में अधिक जटिल क्रियाविधि तथा तंत्रिक संबंधन होते हैं। ये मस्तिष्क में संकेंद्रित होते हैं, जो शरीर का मखु ्य समन्वय कें द्र है। मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु कें द्रीय तंत्रिका तंत्र बनाते हैं। ये शरीर के सभी भागों से सचू नाएँ प्राप्त करते हैं तथा इसका समाकलन करते हैं। हम अपनी क्रियाओ ं के बारे में भी सोचते हैं। लिखना, बात करना, एक कुर्सी घमु ाना, किसी कार्यक्रम के समाप्त होने पर ताली बजाना इत्यादि एेच्छिक क्रियाओ ं के उदाहरण हैं, जो आगे क्या करना है, के निर्णय पर आधारित हैं। अतः मस्तिष्क को भी पेशियों तक संदश े भेजने होते हैं। यह दसू रा मार्ग है, जिसमें तंत्रिका तंत्र पेशियों में संचार भेजता है। कें द्रीय तंत्रिका तंत्र तथा शरीर के अन्य भागों में संचार को परिधीय तंत्रिका तंत्र सगु मता प्रदान करता है, जो मस्तिष्क से निकलने वाली कपाल तंत्रिकाओ ं तथा मेरुरज्जु से निकलने वाली मेरु तंत्रिकाओ ं से बना होता है। इस प्रकार मस्तिष्क हमें सोचने की अनमु ति तथा सोचने पर आधारित क्रिया करने की अनमु ति प्रदान करता है। जैसी आपको संभावना होगी, यह एक जटिल अभिकल्पना द्वारा मस्तिष्क के विभिन्न भागों से, जो विभिन्न आगत एवं निर्गत सचू नाओ ं को समाकलित करने के लिए उत्तरदायी है, परू ा किया जाता है। मस्तिष्क में इस तरह के तीन मखु ्य भाग या क्षेत्र होते हैं, जिनके नाम अग्रमस्तिष्क, मध्यमस्तिष्क तथा पश्चमस्तिष्क हैं। प्रमस्तिष्क कपाल (खोपड़ी) अग्रमस्तिष्क मध्यमस्तिष्क हाइपोथैलमस पीयषू ग्रंथि पॉन्स पश्चमस्तिष्क मेडुला अनमु स्तिष्क मेरुरज्जु चित्र 6.3 मानव मस्तिष्क नियंत्रण एवं समन्वय 115 Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 115 30-11-2022 12:06:05 मस्तिष्क का मखु ्य सोचने वाला भाग अग्रमस्तिष्क है। इसमें विभिन्न ग्राही से संवेदी आवेग (सचू नाएँ) प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं। अग्रमस्तिष्क के अलग-अलग क्षेत्र सनु ने, सँघू ने, देखने आदि के लिए विशिष्टीकृ त हैं। इसमें साहचर्य के क्षेत्र पृथक होते हैं, जहाँ इन संवदे ी सचू नाओ,ं अन्य ग्राही से प्राप्त सचू नाओ ं एवं पहले से मस्तिष्क में एकत्र सचू नाओ ं का अर्थ लगाया जाता है। इस सब पर आधारित एक निर्णय लिया जाता है कि अनक्रिया ु तथा सचू नाएँ प्रेरक क्षेत्र तक कै से पहुचँ ाई जाएँ जो एेच्छिक पेशी की गति को जैसे हमारी टाँग की पेशियाँ नियंत्रित करती हैं। हालाँकि प्रकृ ति में कुछ संवेदन देखने और सनु ने से अधिक जटिल हैं, जैसे– हमें कै से पता लगता कि हम पर्याप्त भोजन खा चक ु े हैं? हमारा पेट परू ा भरा है। यह जानने के लिए एक भख ू से संबंधित कें द्र है, जो अग्रमस्तिष्क में एक अलग भाग है। मानव मस्तिष्क के नामांकित चित्र का अध्ययन कीजिए। हम देख चक ु े हैं कि विभिन्न भागों के विशिष्ट कार्य हैं। अपने अध्यापक से परामर्श करके प्रत्येक भाग के कार्य का पता लगाइए। आइए ‘प्रतिवर्त’ शब्द का दसू रा उपयोग भी देखते हैं, जैसी कि हमने प्रारंभ में चर्चा की थी। जब हम किसी एेसे खाद्य पदार्थ को देखते हैं, जिसे हम पसदं करते हैं तो अनायास ही हमारे महँु में पानी आ जाता है। हृदय स्पंदन के बारे में हम न भी सोचें तब भी यह होगा। वास्तव में इनके बारे में सोचकर या चाहकर भी आसानी से हम इन क्रियाओ ं पर नियंत्रण नहीं कर सकते हैं। क्या हमें साँस लेने के लिए या भोजन पचाने के लिए सोचना या याद करना पड़ता है? अतः सामान्य प्रतिवर्ती क्रिया जैसे पतु ली के आकार में परिवर्तन तथा कोई सोची क्रिया जैसे कुर्सी खिसकाना के मध्य एक और पेशी गति का सेट है, जिस पर हमारे सोचने का कोई नियंत्रण नहीं है। इन अनैच्छिक क्रियाओ ं में से कई मध्यमस्तिष्क तथा पश्चमस्तिष्क से नियंत्रित होती हैं। ये सभी अनैच्छिक क्रियाएँ, जैसे– रक्तदाब, लार आना तथा वमन पश्चमस्तिष्क स्थित मेडुला द्वारा नियंत्रित होती हैं। कुछ क्रियाओ ं जैसे सीधी रे खा में चलना, साइकिल चलाना, पेंसिल उठाना पर विचार कीजिए। ये पश्चमस्तिष्क में स्थित भाग अनमु स्तिष्क द्वारा ही सभं व है, जो एेच्छिक क्रियाओ ं की परिशद्ु धि तथा शरीर की संस्थिति तथा संतल ु न के लिए उत्तरदायी है। कल्पना कीजिए कि यदि हम इनके बारे में नहीं सोच रहे हैं और ये सभी घटनाएँ काम करना बंद कर दें, तो क्या होगा? 6.1.3 ये ऊतक रक्षित कै से होते हैं? मस्तिष्क की तरह कोमल अगं जो विविध क्रियाओ ं के लिए बहुत आवश्यक है, की सावधानीपर्वू क रक्षा भी होनी चाहिए। इसके लिए शरीर की अभिकल्पना इस प्रकार की है कि मस्तिष्क एक हि योंे के बॉक्स में अवस्थित होता है। बॉक्स के अदं र तरलपरू ित गबु ्बारे में मस्तिष्क होता है, जो प्रघात अवशोषक उपलब्ध कराता है। यदि आप अपने हाथ को कमर के मध्य के नीचे ले जाएँ तो आप एक कठोर, उभार वाली सरं चना का अनभु व करें गे। यह कशेरुकदडं या रीढ़ की हड्डी है, जो मेरुरज्जु की रक्षा करती है। 6.1.4 तंत्रिका ऊतक कै से क्रिया करता है? अब तक हम तंत्रिका ऊतक की चर्चा कर रहे थे कि यह कै से सचू ना एकत्र करता है और इन्हें शरीर में भेजता है, सचू नाओ ं को ससं ाधित करता है, सचू नाओ ं के आधार पर निर्णय लेता है और पेशियों 116 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 116 30-11-2022 12:06:05 तक क्रिया के लिए निर्णय को संवाहित करता है। दसू रे शब्दों में, जब क्रिया या गति संपन्न होनी होती है, पेशी ऊतक अति ं म काम करें ग।े जतं ु पेशी कै से गति करती है? जब तंत्रिका आवेग पेशी तक पहुचँ ता है तो पेशी को गति करनी चाहिए। एक पेशी कोशिका कै से गति करती है? कोशिकीय स्तर पर गति के लिए सबसे सरल धारणा है कि पेशी कोशिकाएँ अपनी आकृ ति बदलकर गति करती हैं। अतः आगामी प्रश्न है कि पेशी कोशिकाएँ आकृ ति कै से बदलती हैं? इनका उत्तर कोशिकीय अवयव के रसायन में निहित है। पेशी कोशिकाओ ं में विशेष प्रकार की प्रोटीन होती है, जो उनकी आकृ ति तथा व्यवस्था दोनों को ही बदल देती हैा कोशिका में यह तंत्रिका विद्तयु आवेग की अनक्रिया ु के फलस्वरूप होता है। जब यह घटना होती है तो इन प्रोटीन की नई व्यवस्था पेशी की नई आकृ ति देती है। स्मरण कीजिए जब हमने कक्षा 9 में पेशी ऊतक की चर्चा की थी तब भिन्न प्रकार की पेशियाँ जैसे एेच्छिक पेशियाँ तथा अनैच्छिक पेशियाँ थीं। अब तक हमने जो चर्चा की है इसके आधार पर आपके विचार में इनमें क्या अतं र हो सकते हैं? प्रश्न ? 1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अतं र है? 2. दो तंत्रिका कोशिकाओ ं (न्रयू ॉन) के मध्य अतं र्ग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है? 3. मस्तिष्क का कौन-सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतल ु न का अनरु क्षण करता है? 4. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कै से लगाते हैं? 5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भमि ू का है? 6.2 पादपों में समन्वय शरीर की क्रियाओ ं के नियंत्रण तथा समन्वय के लिए जंतओ ु ं में तंत्रिका तंत्र होता है, लेकिन पादपों में न तो तंत्रिका तंत्र होता है और न ही पेशियाँ। अतः वे उद्दीपन के प्रति अनक्रिया ु कै से करते हैं? जब हम छुई-मईु के पादप की पत्तियाँ छूते हैं तो वे मड़ु ना प्रारंभ कर देती हैं तथा नीचे झक ु जाती हैं। जब एक बीज अक ं ु रित होता है तो जड़ें नीचे की ओर जाती हैं तथा तना ऊपर की ओर आता है। जानते हो क्या होता है? छुई-मईु की पत्तियाँ स्पर्श की अनक्रिया ु से बहुत तेज़ी से गति करती हैं। इस गति से वृद्धि का कोई संबंध नहीं है। दसू री ओर, नवोद्भिद की दिशिक गति वृद्धि के कारण होती है। यदि इसकी वृद्धि को किसी प्रकार रोक दिया जाए तब यह कोई गति प्रदर्शित नहीं करे गा। अतः पादप दो भिन्न प्रकार की गतियाँ दर्शाते हैं– एक वृद्धि पर आश्रित है और दसू री वृद्धि से मक्त ु है। 6.2.1 उद्दीपन के लिए तत्काल अनुक्रिया आइए, पहले प्रकार की गति पर विचार करते हैं, जैसे– छुई-मईु के पौधे की गति, क्योंकि यह वृद्धि से संबंधित नहीं है। पादप को स्पर्श की अनक्रिया ु के फलस्वरूप अपनी पत्तियों में गति करनी चाहिए, लेकिन यहाँ कोई तंत्रिका ऊतक नहीं है और न ही कोई पेशी ऊतक। फिर पादप कै से स्पर्श का ससं चू न करता है और किस प्रकार अनक्रिया ु में पत्तियाँ गति करती हैं? नियंत्रण एवं समन्वय 117 Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 117 30-11-2022 12:06:05 चित्र 6.4 छुई-मईु का पौधा यदि हम विचार करें कि पौधे को किस बिंदु पर छुआ जाता है और पौधे के किस भाग में गति होती है। यह आभासी है कि स्पर्श वाला बिंदु तथा गति वाला बिंदु दोनों भिन्न हैं। अतः स्पर्श होने की सचू ना संचारित होनी चाहिए। पादप इस सचू ना को एक कोशिका से दसू री कोशिका तक सचं ारित करने के लिए वैद्तयु -रसायन साधन का उपयोग भी करते हैं लेकिन जतं ओ ु ं की तरह पादप में सचू नाओ ं के चालन के लिए कोई विशिष्टीकृ त ऊतक नहीं होते हैं, अतं में जंतओु ं की तरह ही गति करने के लिए कुछ कोशिकाओ ं को अपनी आकृ ति बदल लेनी चाहिए। पादप कोशिकाओ ं में जंतु पेशी कोशिकाओ ं की तरह विशिष्टीकृ त प्रोटीन तो नहीं होतीं, अपितु वे जल की मात्रा मेें परिवर्तन करके अपनी आकृ ति बदल लेती हैं। परिणामस्वरूप फूलने या सिकुड़ने में उनका आकार बदल जाता है। 6.2.2 वद्ृ धि के कारण गति मटर के पौधे की तरह कुछ पादप दसू रे पादप या बाड़ पर प्रतान की सहायता से ऊपर चढ़ते हैं। ये प्रतान, स्पर्श के लिए संवेदनशील हैं। जब ये किसी आधार के संपर्क में आते हैं तो प्रतान का वह भाग जो वस्तु के सपं र्क में है, उतनी तीव्रता से वृद्धि नहीं करता है, जितना प्रतान का वह भाग, जो वस्तु से दरू रहता है। इस कारण प्रतान वस्तु को चारों ओर से जकड़ लेता है। आमतौर पर पादप धीरे से एक निश्चित दिशा में गति करके उद्दीपन के प्रति अनक्रिया ु करते हैं, क्योंकि यह वृद्धि दिशिक है। इससे एेसा लगता है कि पादप गति कर रहा है। आइए, इस प्रकार की गति को एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं। पर्यावरणीय प्रेरण जैसे प्रकाश या गरुु त्व पादप की वृद्धि वाले भाग में दिशा परिवर्तित कर देते हैं। ये दिशिक या अनवु र्तन गतियाँ उद्दीपन की ओर या इससे विपरीत दिशा में हो सकती हैं। अतः इन दो भिन्न प्रकार की प्रकाशानवु र्तन गतियों में प्ररोह प्रकाश की ओर मड़ु कर अनक्रिया ु तथा जड़ इससे दरू मड़ु कर अनक्रिया ु करते हैं। यह पादप की सहायता कै से करता है? पादप अन्य उद्दीपनों के लिए भी अनक्रिया ु करके अनवु र्तन दिखाते हैं। एक पादप की जड़ सदैव नीचे की ओर वृद्धि करती है, जबकि प्ररोह प्रायः ऊपर की ओर तथा पृथ्वी से दरू वृद्धि करते हैं। यह प्ररोह तथा जड़ में क्रमशः उपरिगामी तथा अधोगामी वृद्धि पृथ्वी या गरुु त्व के खिचं ाव की अनक्रिया ु (चित्र 6.6) निःसदं हे गरुु त्वानवु र्तन है। यदि जल का अर्थ पानी तथा रसायन का अर्थ 118 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 118 30-11-2022 12:06:06 क्रियाकलाप 6.2 एक शक ं ु फ्लास्क को जल से भर लीजिए। फ्लास्क की ग्रीवा को तार के जाल से ढक दीजिए। एक ताज़ा छोटा सेम का पौधा तार की जाली पर इस प्रकार रख दीजिए कि उसकी जड़ें जल में भीगी रहें। एक ओर से खला ु हुआ गत्ते का एक बॉक्स लीजिए। फ्लास्क को बॉक्स में इस प्रकार रखिए कि बॉक्स की खल ु ी साइड खिड़की की ओर हो जहाँ से प्रकाश (चित्र 6.5) आ चित्र 6.5 प्रकाश की दिशा में पादप की अनक्ु रिया रहा है। दो या तीन दिन बाद आप देखगें े कि प्ररोह प्रकाश की ओर झकु जाता है तथा जड़ें प्रकाश से दरू चली जाती हैं। ऋणात्मक गरुु त्वानवु र्ती अब फ्लास्क को इस प्रकार घमु ाइए कि प्ररोह प्रकाश से दरू तथा जड़ प्रकाश की ओर हो जाएँ। इसे इस अवस्था में कुछ दिन के लिए विक्षोभरहित छोड़ दीजिए। धनात्मक क्या प्ररोह और जड़ के परु ाने भागों ने दिशा बदल दी है। गरुु त्वानवु र्ती क्या ये अतं र नई वृद्धि की दिशा में हैं? चित्र 6.6 गरुु त्वानवु र्तन दिखाता पादप इस क्रियाकलाप से हम क्या निष्कर्ष निकालते हैं? रासायनिक पदार्थ हो तो जलानवु र्तन तथा रसायनानवु र्तन का क्या अर्थ होगा? क्या हम इस प्रकार के दिशिक वृद्धि गतियों के उदाहरणों के बारे में विचार कर सकते हैं? रसायनानवु र्तन का एक उदाहरण पराग नलिका का बीजांड की ओर वृद्धि करना है, जिसके बारे में हम अधिक जानकारीे जीवों में जनन प्रक्रम का अध्ययन करते समय प्राप्त करें गे। आइए, एक बार हम फिर विचार करते हैं कि बहुकोशिकीय जीवों के शरीर में सचू नाएँ किस प्रकार संचारित होती हैं। छुई-मईु में स्पर्श की अनक्रिया ु की गति बहुत तीव्र है। दसू री ओर रात और दिन की अनक्रिया ु में पष्प ु ों की गति बहुत मदं है। पादप की वृद्धि संबंधित गतियाँ भी मदं होती हैं। जंतु शरीर मेें भी वृद्धि के लिए सावधानीपर्वू क नियंत्रित दिशाएँ हैं। हमारी भजु ा और अँगलिया ु ँ यादृच्छ न होकर एक निश्चित दिशा में वृद्धि करती हैं। नियंत्रित गति मदं या तीव्र हो सकती है। यदि उद्दीपन के लिए तीव्र अनक्रिया ु होती है तो सचू नाओ ं का स्थानांतरण भी बहुत तीव्र होना चाहिए। इसके लिए तीव्र गति से चलने के लिए संचरण का माध्यम होना चाहिए। इसके लिए विद्तयु आवेग एक उत्तम साधन है, लेकिन विद्तयु आवेग के उपयोग के लिए सीमाएँ हैं। सर्वप्रथम वे के वल उन्हीं कोशिकाओ ं तक पहुचँ गें ी, जो तंत्रिका ऊतक से जड़ु ी हैं, जंतु शरीर की प्रत्येक कोशिका तक नहीं। दसू रे , एक बार एक कोशिका में विद्तयु आवेग जनित होता है तथा संचरित होता है तो पनु ः नया आवेग जनित करने तथा उसे संचरित करने के लिए कोशिका फिर से अपनी कार्यविधि को सचु ारु करने के लिए कुछ समय लेगी। दसू रे शब्दों में कोशिकाएँ सतत विद्तयु आवेग न जनित और न ही सचं रित कर सकती हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अधिकांश बहुकोशिकीय जीव कोशिकाओ ं नियंत्रण एवं समन्वय 119 Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 119 30-11-2022 12:06:07 के मध्य संचार के लिए अन्य साधनों का उपयोग करते हैं। हम पहले ही रासायनिक संचरण का सदर्भ ं दे चक ु े हैं। यदि एक विद्तयु आवेग जनित करने के अलावा उद्दीपित कोशिकाएँ एक रासायनिक यौगिक निर्मोचित करना प्रारंभ कर दें तो यह यौगिक आस-पास की सभी कोशिकाओ ं में विसरित हो जाएगा। यदि आस-पास की अन्य कोशिकाओ ं के पास इस यौगिक को संसचि ू त (detect) करने के साधन हों तो उनकी सतह पर विशेष अणओ ु ं का उपयोग करके वे सचू नाओ ं का अभिज्ञान (recognise) करने योग्य होंगे तथा इन्हें संचारित भी करें गे। हालाँकि यह प्रक्रम बहुत धीमा होगा, लेकिन यह तंत्रिका सबं ंधन के बिना भी शरीर की सभी कोशिकाओ ं तक पहुचँ गे ा तथा इसे अपरिवर्ती तथा स्थायी बनाया जा सकता है। बहुकोशिकीय जंतओ ु ं द्वारा नियंत्रण एवं समन्वय के लिए प्रयक्त ु ये हॉर्मोन हमारी आशा के अनरू ु प विविधता दर्शाते हैं। विविध पादप हॉर्मोन वृद्धि, विकास तथा पर्यावरण के प्रति अनक्रिया ु के समन्वय में सहायता करते हैं। इनके संश्लेषण का स्थान इनके क्रिया क्षेत्र से दरू होता है और साधारण विसरण द्वारा वे क्रिया क्षेत्र तक पहुचँ जाते हैं। आइए, हम एक उदाहरण लेते हैं जो हम पहले (क्रियाकलाप 6.2) कर चक ु े हैं। जब वृद्धि करता पादप प्रकाश को ससं चि ू त (detect) करता है। एक हॉर्मोन जिसे अॉक्सिन कहते हैं, यह प्ररोह के अग्रभाग (टिप) में संश्लेषित होता है तथा कोशिकाओ ं की लंबाई में वृद्धि में सहायक होता है। जब पादप पर एक ओर से प्रकाश आ रहा है तब अॉक्सिन विसरित होकर प्ररोह के छाया वाले भाग में आ जाता है। प्ररोह की प्रकाश से दरू वाली साइड में अॉक्सिन का सांद्रण कोशिकाओ ं को लंबाई में वृद्धि के लिए उद्दीपित करता है। अतः पादप प्रकाश की ओर मड़ु ता हुआ दिखाई देता है। पादप हॉर्मोन का दसू रा उदाहरण जिब्बेरे लिन हैं, जो अॉक्सिन की तरह तने की वृद्धि में सहायक होते हैं। साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन को प्रेरित करता है और इसीलिए यह उन क्षेत्रों में जहाँ कोशिका विभाजन तीव्र होता है, विशेष रूप से फलों और बीजों में अधिक सांद्रता में पाया जाता है। ये उन पादप हॉर्मोन के उदाहरण हैं जो वृद्धि में सहायता करते हैं, लेकिन पादप की वृद्धि संदमन के लिए भी संकेतों की आवश्यकता है। एब्सिसिक अम्ल वृद्धि का संदमन करने वाले हॉर्मोन का एक उदाहरण है। पत्तियों का मरु झाना इसके प्रभावों में सम्मिलित है। 6.3 जंतुओ ं में हॉर्मोन ये रसायन या हॉर्मोन जतं ओ ु ं में किस प्रकार सचू नाओ ं के सचं रण के साधन की तरह प्रयक्त ु होते हैं। कुछ जंतु जैसे गिलहरी को लीजिए, जब वे विषम परिस्थिति में होती हैें तो क्या महससू करती हैं? वे अपना शरीर लड़ने के लिए या भाग जाने के लिए तैयार करती हैं। दोनों ही बहुत जटिल क्रियाएँ हैं, जिसे नियंत्रित तरीके से अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अनेक प्रकार के भिन्न ऊतकों का उपयोग होगा तथा उनकी एकीकृ त क्रियाएँ मिलकर ये कार्य करें गे। यद्यपि लड़ना या दौड़ना, दो एकांतर क्रियाएँ एक-दसू रे से बिलकुल भिन्न हैं। अतः यहाँ एक स्थिति है, जिसमें कुछ सामान्य तैयारियाँ शरीर में लाभप्रद बनाई जाती हैं। ये तैयारियाँ आदर्श रूप से निकट भविष्य में किसी भी क्रिया को सरल बना देती हैं। यह सब कै से उपलब्ध होगा? 120 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 120 30-11-2022 12:06:07 प्रश्न ? 1. पादप हॉर्मोन क्या हैं? 2. छुई-मईु पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है? 3. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो वृद्धि को बढ़ाता है। 4. किसी सहारे के चारों ओर एक प्रतान की वृद्धि में अॉक्सिन किस प्रकार सहायक है? 5. जलानवु र्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए। यदि गिलहरी में शरीर अभिकल्प तंत्रिका कोशिकाओ ं द्वारा के वल विद्तयु आवेग पर आश्रित होगा तो आगामी क्रिया को करने के लिए प्रशिक्षित ऊतकों का परिसर सीमित होगा। दसू री ओर, यदि रासायनिक संकेत भी भेजा जाता तो यह शरीर की सभी कोशिकाओ ं तक पहुचँ ता और आवश्यक परिवर्तित परिसर बृहत हो जाता। अधिवृक्क ग्रंथि से स्रावित एड्रीनलीन हॉर्मोन द्वारा मनष्यु सहित अनेक जंतओ ु ं में यह किया जाता है। इन ग्रंथियों की शरीर में स्थिति जानने के लिए चित्र 6.7 देखिए। एड्रीनलीन सीधा रुधिर में स्रावित हो जाता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुचँ ा दिया जाता है। हृदय सहित यह लक्ष्य अंगों या विशिष्ट ऊतकों पर कार्य करता है। परिणामस्वरूप हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि हमारी पेशियों को अधिक अॉक्सीजन की आपर्ति ू हो सके । पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है, क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आस-पास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। यह रुधिर की दिशा हमारी कंकाल पेशियों की ओर कर देता है। डायाफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से श्वसन दर भी बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं। ये जंतु हॉर्मोन अंतःस्रावी ग्रंथियों का भाग हैं, जो हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय का दसू रा मार्ग है। स्मरण कीजिए कि पादपों में हॉर्मोन होते हैं, जो दिशिक वृद्धि को नियंत्रित करते हैं। जंतु हॉर्मोन क्या कार्य करते हैं? इसके बारे में, हम उनकी भमि ू का की कल्पना दिशिक वृद्धि में नहीं कर सकते हैं। हमने किसी जंतु को प्रकाश या गरुु त्व पर आश्रित किसी एक दिशा में अधिक वृद्धि करते कभी नहीं देखा है! लेकिन यदि हम इसके बारे में और अधिक चितं न करें तो यह साक्षी होगा कि जतं ु शरीर में भी सावधानीपर्वू क नियंत्रित स्थानों पर वृद्धि होती है। उदाहरण के लिए पादप अपने शरीर क्रियाकलाप 6.3 चित्र 6.7 देखिए। चित्र में दशाई गई अतं ःस्रावी ग्रंथियों की पहचान कीजिए। इनमें से कुछ ग्रंथियों को पसु ्तक में वर्णित किया गया है। पसु ्तकालय में पसु ्तकों की सहायता से एवं अध्यापकों के साथ चर्चा करके सारणी 6.1 में सचू ीबद्ध अन्य ग्रंथियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें । नियंत्रण एवं समन्वय 121 Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 121 30-11-2022 12:06:07 पिनियल ग्रंथि पिनियल ग्रंथि हाइपोथैलमस ग्रंथि हाइपोथैलमस पीयषू ग्रंथि पीयषू ग्रंथि अवटुग्रंथि अवटुग्रंथि परावटु ग्रंथि परावटु ग्रंथि थाइमस ग्रंथि थाइमस ग्रंथि अग्न्याशय अधिवृक्क ग्रंथि अग्न्याशय अधिवृक्क ग्रंथि अण्डाशय वृषण (a) (b) चित्र 6.7 मानव की अतं ःस्रावी ग्रंथियाँ (a) नर, (b) मादा पर अनेक स्थानों पर पत्तियाँ उगाते हैं, लेकिन हम अपने चेहरे पर अँगलियाु ँ नहीं उगाते हैं। हमारे शरीर की अभिकल्पना, बच्चों की वृद्धि के समय भी सावधानीपर्वू क अनरु क्षित है। यह समझने के लिए कि समन्वित वृद्धि में हॉर्मोन कै से सहायता करते हैं? आइए, कुछ उदाहरणों की परीक्षा करते हैं। नमक के पैकेट पर हम सबने देखा है ‘आयोडीन यक्त ु नमक’ या ‘आयोडीन से सवं र्धित।’ हमें अपने आहार में आयोडीन यक्त ु नमक लेना क्यों आवश्यक है? अवटुग्रंथि को थायरॉक्सिन हॉर्मोन बनाने के लिए आयोडीन आवश्यक है। थॉयरॉक्सिन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का, हमारे शरीर में नियंत्रण करता है ताकि वृद्धि के लिए उत्कृ ष्ट सतं ल ु न उपलब्ध कराया जा सके । थायरॉक्सिन के संश्लेषण के लिए आयोडीन अनिवार्य है। यदि हमारे आहार में आयोडीन की कमी है तो यह सभं ावना है कि हम गॉयटर से ग्रसित हो सकते हैं। इस बीमारी का एक लक्षण फूली हुई गर्दन है। क्या आप इसे चित्र 6.7 में अवटुग्रंथि की स्थिति से सबं ंधित कर सकते हो? कभी-कभी हम एेसे व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं, जो बहुत छोटे (बौने) होते हैं या बहुत अधिक लंबे होते हैं। क्या आपको कभी आश्चर्य हुआ है यह कै से होता है? पीयषू ग्रंथि से स्रावित होने वाले हॉर्मोन में एक वृद्धि हॉर्मोन है। जैसा इसका नाम इगि ं त करता है वृद्धि हॉर्मोन शरीर की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करता है। यदि बाल्यकाल में इस हॉर्मोन की कमी हो जाती है तो यह बौनापन का कारण बनता है। जब आप या आपके दोस्तों की आयु 10–12 वर्ष रही होगी तो आपने अपने और उनके अदं र कई नाटकीय अतं र देखे होंगे। ये परिवर्तन यौवनारंभ से संबद्ध हैं, क्योंकि नर में टेस्टोस्टेरोन तथा मादा में एस्ट्रोजन का स्रावण होता है। 122 विज्ञान Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 122 30-11-2022 12:06:07 क्या आप अपने परिवार या दोस्तों में किसी को जानते हो, जिन्हें डॉक्टर ने अपने आहार में कम शर्क रा लेने की सलाह दी हो, क्योंकि वे मधमु हे के रोगी हैं। उपचार के रूप में वे इसं लि ु न का इजं ेक्शन भी ले रहे हों। यह एक हॉर्मोन है, जिसका उत्पादन अग्न्याशय में होता है और जो रुधिर में शर्क रा स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यदि यह उचित मात्रा में स्रावित नहीं होता है तो रुधिर में शर्क रा स्तर बढ़ जाता है और कई हानिकारक प्रभाव का कारण बनता है। यदि यह इतना आवश्यक है कि हॉर्मोन का स्रावण परिशद्ध ु मात्रा में होना चाहिए तो हमें एक क्रियाविधि की आवश्यकता है, जिससे यह किया जाता है। स्रावित होने वाले हॉर्मोन का समय और मात्रा का नियंत्रण पनु र्भरण क्रियाविधि से किया जाता है, उदाहरण के लिए— यदि रुधिर में शर्क रा स्तर बढ़ जाता है तो इसे अग्न्याशय की कोशिका संसचि ू त (detect) कर लेती है तथा इसकी अनक्रियाु में अधिक इसं लि ु न स्रावित करती है। जब रुधिर में शर्क रा स्तर कम हो जाता है तो इसं लि ु न का स्रावण कम हो जाता है। क्रियाकलाप 6.4 हार्मोन अतःस्त्रावी ग्रंथियों द्वारा स्त्रावित होते हैं, जिनके विशिष्ट कार्य होते हैं। हार्मोन, अतःस्त्रावी ग्रंथियों व दिए गए कुछ महत्वपर्णू हार्मोन तथा उनके कार्यों के आधार पर सारणी 7.1 को पर्णू कीजिए। क्र.स.ं हार्मोन अतःस्त्रावी ग्रंथि कार्य पीयषू ग्रंथि 1. वृद्धि हार्मोन सभी अगं ों में वृद्धि प्रेरित करता है। (पीट्यटू री) शरीर की वृद्धि के लिए उपापचय का नियमन 2. – थायरॉइड ग्रंथि करता है। 3. इसं लि ु न – रक्त में शर्क रा स्तर का नियमन करता है। 4. टेस्टेस्टेरॉन वृषण मादा लैंगिक अगं ों का विकास व मासिक चक्र का 5. – अण्डाशय नियमन करता है। 6. एड्रीनलीन एड्रीनल ग्रंथि – मोचक पीट्यूटरी ग्रंथि सेे हार्मोन के स्त्राव को प्रेरित 7. हार्मोन करता है। प्रश्न ? 1. जंतओु ं में रासायनिक समन्वय कै से होता है? 2. आयोडीन यक्त ु नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है? 3. जब एड्रीनलीन रुधिर में स्रावित होती है तो हमारे शरीर में क्या अनक्रिया ु होती है? 4. मधमु हे के कुछ रोगियों की चिकित्सा इसं लि ु न का इजं ेक्शन देकर क्यों की जाती है? नियंत्रण एवं समन्वय 123 Rationalised 2023-24 Chapter 6.indd 123 30-11-2022 12:06:07 आपने क्या सीखा हमारे शरीर में नियंत्रण एवं समन्वय का कार्य तंत्रिका तंत्र तथा हॉर्मोन का है। तंत्रिका तंत्र की अनक्रिया ु को प्रतिवर्ती क्रिया, एेच्छिक क्रिया या अनैच्छिक क्रिया में वर्गीकृ त किया जा सकता है। संदश े संचारित करने के लिए तंत्रिका तंत्र विद्तयु आवेग को प्रयक्त ु करता है। तंत्रिका तंत्र हमारी ज्ञानेंद्रियों द्वारा सचू ना प्राप्त करता है तथा हमारी पेशियों द्वारा क्रिया करता है। रासायनिक समन्वय पादप और जतं ु दोनों में देखा जाता है। हॉर्मोन जीव के एक भाग में उत्पन्न होते हैं तथा दसू रे भाग में इच्छित प्रभाव पाने के लिए गति करते हैं। हॉर्मोन की क्रिया को पनु र्भरण क्रियाविधि नियंत्रित करती है। अभ्यास 1. निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है? (a) इसं लि ु न (b) थायरॉक्सिन (c) एस्ट्रोजन (d) साइटोकाइनिन 2. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं— (a) द्रुमिका (b) सिनेप्स (c) एक्सॉन (d) आवेग 3. मस्तिष्क उत्तरदायी है— (a) सोचने के लिए (b) हृदय स्पंदन के लिए (c) शरीर का संतल ु न बनाने के लिए (d) उपरोक्त सभी 4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है? एेसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हों। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं? 5. एक तंत्रिका कोशिका (न्रयू ॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए। 6. पादप में प्रकाशानवु र्तन किस प्रकार होता है? 7. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा? 8. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है? 9. एक