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BA PART-II History of India from 1526-1950 by Dr. Amiya Anand.pdf

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Babasaheb Bhimrao Ambedkar Bihar University

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history of India Mughal Empire Babur Indian history

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बाबासाहे ब भीमराव अंबेडकर बबहार यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर Dept. Of History R.N. College, Hajipur, BA Part -ll, HISTORY (SUB) History of India from- 1526-1950 भारत में मग ु ल साम्राज्य की स्थापिा और बाबर (15...

बाबासाहे ब भीमराव अंबेडकर बबहार यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर Dept. Of History R.N. College, Hajipur, BA Part -ll, HISTORY (SUB) History of India from- 1526-1950 भारत में मग ु ल साम्राज्य की स्थापिा और बाबर (1526-1530ई.) इस्लाम धमम ग्रहण करने के पश्चात मंगोलों की ही एक शाखा मुगल कही जाने लगी। मुगल शब्द का अर्म है बहादरु , मुगल शासक पादशाह की उपाधध धारण करते र्े। पादशाह का अर्म है ऐसा शक्ततशाली राजा अर्वा स्वामी क्जसे अन्य कोई अपदस्र् नही कर सकता। मुगल राज्य का संस्र्ापक बाबर को माना जाता है। मुग़ल साम्राज्य की शुरुआत 1526 में हुई । बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को मध्य एशशया के छोटे से गांव फरगाना (अफगाननस्तान में ) में हुआ। क्जसका पूरा नाम ज़हहर जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर र्ा। बाबर के पपता उमर शेख शमजाम फरगना का शासक र्ा तर्ा उसकी मां का नाम कुतलग ु ननगार खानम र्ा। बाबर पपत ृ पक्ष की ओर से तैमूर (तुकि) का पांचवा वंशज र्ा तर्ा मां की ओर से में चंगेज खां (मंगोल) का 14 वां वंशज र्ा। अतः बाबर में तक ु ो और मंगोलों दोनों के रतत का शमश्रण र्ा। पररवार चगताई तुकम, परन्तु बाबर अपने को मंगोल ही मानता र्ा उसने अपनी आत्मकर्ा बाबर नामा में शलखा है चूंकक वह मााँ के ज्यादा करीब र्ा इसीशलए उसे मंगोल के वंश से जोडा जाना चाहहए। उसने तक ु ी मल ू के चगताई वंश का शासन स्र्ापपत ककया। क्जसका नाम चंगेज खां के द्ववतीय पुत्र के नाम पर पडा। बाबर अपने पपता की मत्ृ यु के बाद 11 वर्म की आयु में 1494 ईसवी में फरगना की गद्दी पर बैठा। 1496 ईस्वी में बाबर ने समरकंद को जीतने का असफल प्रयास ककया। समरकंद तैमरू की राजधानी र्ी। 1497 ईस्वी में बाबर ने समरकंद को जीता लेककन शीघ्र ही समरकंद व फरगना दोनों बाबर के हार् से ननकल गए। 1504ई में बाबर ने काबल ु पर अधधकार कर शलया। 1507 ईस्वी में पूवज म ों द्वारा प्रयुतत शमजाम की उपाधध त्याग कर बादशाह की उपाधध धारण की। बाबर ने 1511 में समरकंद के सार् बुखारा व खुरासान को जीता। ककंतु मई 1512 ईसवी में कुल-ए-मशलक के यद् ु ध में अब्दल् ु ला खान से पराक्जत होने पर समरकंद बाबर के हार्ों से पुनः ननकल गया। बाबर अफगाननस्तान में अपने साम्राज्य को स्र्ायी न रख सका अतः उसने भारत पर आक्रमण करने का ननश्चय ककया। उस समय भारत की राजनीनतक क्स्र्नत बाबर के अनुकूल र्ी जो बाबर को भारत में आमंत्रित कर रही र्ी। बाबर ने उस्ताद अली कुली नामक एक तुकम तोपची को तोपखाने का अध्यक्ष बनाया। भारत में मुस्तफा खां नामक तोप पवशेर्ज्ञ की सेवाएं ली। भारत पर आक्रमण:– बाबर ने भारत पर कुल पााँच आक्रमण ककये इसका पांचवा आक्रमण पानीपत के युद्ध में पररवनतमत हो गया इन आक्रमणों का मल ू उद्दे श्य धन की प्राक्तत र्ा। 1. प्रर्म आक्रमण (1519):- उत्तर पक्श्चम में बाजौर और भीरा के दग ु म पर। 2. द्पवतीय आक्रमण (1519)-पेशावर पर 3. तत ृ ीय आक्रमण (1520)-बाजौर और भीरा 4. चतुर्म आक्रमण (1524)-लाहौर पर अपने चौर्े अशभयान के समय बाबर को पंजाब के सरदार दौलत खााँ लोदी का ननयन्िण शमला। इसके अनतररतत इब्राहहम लोदी के चाचा आलम खााँ और कहा जाता है कक राणा सांगा का भी उसे ननमन्िण प्रातत हुआ। फलस्वरूप वह अपने पांचवे अशभयान के दौरान वह हदल्ली तक आ गया इस प्रकार पानीपत का प्रर्म यद् ु ध हुआ। 1. पािीपत का प्रथम युद्ध (20 अप्रैल 1526) 20 अप्रैल 1526 ईस्वी में बाबर तर्ा इब्राहहम लोदी के मध्य पािीपत का प्रथम युद्ध हुआ र्ा इस युद्ध में पवजय प्रातत करके बाबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की स्र्ापना की र्ी। बाबर ने इस युद्ध में तुलगमा युद्ध िीनत एवं तोपखािे का प्रयोग ककया उसके दो प्रशसद्ध तोपची उस्ताद अली और मस् ु तफा र्े। बाबर इस यद् ु ध में पवजय का श्रेय अपने दोनों तोपधचयों को दे ता है और अपनी पवजय के उपलक्ष में उसने काबूल ननवाशसयों को एक-एक चााँदी के शसतके उपहार में हदया इसी उदारता के कारण उसे कलन्दर की उपाधध दी गई। वास्तव में पानीपत का युद्ध ननणामयक नहीं र्ा परं तु इस युद्ध के पश्चात बाबर के शलए भारत मैं साम्राज्य ननमामण का मागम प्रशस्त हो गया। 2. खािवा का युद्ध (16 माचि 1527) 16माचि 1527 ईसवी में बाबर तर्ा राणा सांगा के मध्य खािवा (भरतपुर) का युद्ध हुआ। राणा सांगा इस युद्ध में पराक्जत हुआ। राणा सांगा की सेना इब्राहहम लोदी से अधधक शक्ततशाली र्ी। बाबर के सैननक राणा सांगा की सेना दे खकर भयभीत हो गये। सैननकों के उत्साह को बढाने के शलए उसने शराब पीने पर प्रनतबन्ध लगा हदया। मस ु लमानों से तमगा कर न लेने की घोर्णा की तर्ा जेहाद का नारा हदया। इस युद्ध को बाबर ने अपने सैननकों का मनोबल ऊंचा रखने के शलए (जजहाद) धमि युद्ध की संज्ञा दी। युद्ध में जीतने के बाद उसने गाजी की उपाधध धारण की। राणा सांगा के सामन्तों ने ही उसे जहर दे हदया। भारत में मग ु ल प्रभस ु त्ता की स्र्ापना खानवा के यद् ु ध से ही मानी जाती है। इस तरह खानवा का युद्ध पानीपत के प्रर्म युद्ध से अधधक ननणामयक शसद्ध हुआ। 3. चन्दे री का यद् ु ध (29 जिवरी 1528):- 28 जिवरी 1528 को बाबर व मारवाड के शासक मेहदनीराय के मध्य चंदेरी का यद् ु ध हुआ। यद् ु ध में बाबर पवजय हुआ। 4. घाघरा का युद्ध (6 मई 1529):- 6 मई 1529 ईस्वी में महमद ू लोदी और िस ु रत शाह की संयत ु त सेना में बाबर के बीच घाघरा का युद्ध लडा गया बाबर पवजय हुआ। बाबर को भारत में आगमन के सार् ही लगातार युद्धरत रहना पडा। अंततः बाबर आगरा में बीमार पडा तर्ा 27 हदसम्बर 1530 ई0 को आगरा में ही उसकी मत्ृ यु हो गई। उसके शव को आगरा के आराम बाग में रखा गया क्जसे बाद में काबल ु में दफना हदया गया। बाबर का मकबरा काबुल में है क्जससे उसके पुत्र हुमायूं ने बनवाया र्ा। बाबर संस्कृत लैहटन, फारसी, तुकी, भार्ाओं का ज्ञाता र्ा। बाबर ने तक ु ी भार्ा में अपनी आत्मकर्ा बाबरिामा शलखी। बाबरनामा चगताई तक ु म में शलखी गई र्ी। इस पुस्तक का सवमप्रर्म फारसी में अनुवाद अब्दल ु रहीम खानखाना ने ककया। इसका सवमप्रर्म अंग्रेजी में अनुवाद 1826 ई0 में लीडेन एवं एसमककन ने ककया। इसका पुनः अंग्रेजी में अनुवाद फारसी भार्ा से 1905 शमसेज बेवरीज ने ककया। बाबर ने फारसी भाषा में कपवताओं का संग्रह शलखा क्जससे मुबाईयां कहा जाता है। बाबर को ’मब ु इयान’ नामक पद्य शैली का भी जन्मदाता माना जाता है। बाबर बहुत बडा दानी र्ा। इसशलए उसे कलंदर कहा जाता है । बाबर ने मुसलमानों को तमगा िामक कर से मुतत ककया। बाबर ने सडकों को मापने के शलए गज के बाबरी का भी प्रयोग ककया जो हुमायूाँ के काल तक प्रचशलत रहा। वास्तव में बाबर के पास समय का अभाव रहा इसशलए वह उत्तरी भारत के एक बडे क्षेि में पवजय प्रातत करने के बावजद ू भी उन्नत प्रशासन की नींव नहीं रख सका उसके पवर्य में इनतहासकारों का कहना है कक वह एक योग्य सेनानी र्ा परं तु साम्राज्य ननमामता नहीं इनतहासकार क्स्मर् के अनुसार बाबर अपने समय का एशशया का महान प्रनतभाशाली राजा र्ा और भारत के सम्राटों में एक उच्च स्र्ान के योग्य र्ा। compiled and edited by different source Dr. Amiya Anand, Assistant Professor Dept. Of History R.N. College, Hajipur,

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