Hindi Class 8th Past Paper (PDF)
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This document consists of practice questions and answers in Hindi for Class 8. Some of the questions include practicing writing Hindi words.
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पाठ 16 गिरधर की कुं डगियााँ 1. नीचे गुरुमुखी और दे वनागरी लिलि में लदये गये शब्दों कद िढें और लिन्दी शब्दों कद लिखने का अभ्यास करें : ਜਗ = जग ਪੈਸਾ = पैसा ਦੁੱਖ = दुः ख...
पाठ 16 गिरधर की कुं डगियााँ 1. नीचे गुरुमुखी और दे वनागरी लिलि में लदये गये शब्दों कद िढें और लिन्दी शब्दों कद लिखने का अभ्यास करें : ਜਗ = जग ਪੈਸਾ = पैसा ਦੁੱਖ = दुः ख ਭਾਈ = भाई ਸਾਈ ਂ = साई ਸਪਨਾ = सपना 2. नीचे एक िी अर्थ के लिए िों जाबी और लिन्दी भाषा में शब् लदये गये िैं । इन्हें ध्यान से िढे और लिन्दी शब्दों कद लिखें: ਗੰਢ = गााँ ठ ਰਾਤ = नननि/ ननिा ਯਾਰ = दोस्त ਧੰਨ = दौलत ਘਮੰਡ = अनभमान 3. शब्ार्थ: लबगारे = निगाड़ना। यिी = ऐसा ही। िँसाय = हाँ सी मजाक बेगरजी = ननुः स्वार्थ निना मतलि की चैन = िान्ति ठाउँ = स्र्ान राग-रों ग = प्रेमानद करने का आनन्द, ऐिो-आराम का आनन्द लनदान = अि में मनलि = मन को िाहुन = अनतनर्, मेहमान भावे = अच्छा लगना लनलश = रात टरत = दू र करना; टालना ताकद = उसका 4. इन प्रश्दों के उत्तर एक या दद वाक्दों में लिखें: (क) लबना लवचार के काम करने से क्ा िदता िै ? उत्तर- निना निचार काम करने से यनद काम निगड़ जाए तो व्यन्ति को िनमथन्दा होना पड़ता है तर्ा सार् ही जग में िह हाँ सी का पात्र भी िनता है । (ख) कलव के अनुसार प्रायः ददस्त कैसे िदते िैं ? उत्तर- कनि के अनसार प्राय: दोस्त स्वार्ी होते हैं । जि तक आपके पास धन है ति तक िे आपके नमत्र िने रहते हैं , पर पैसा पास में न रहे तो िही नमत्र माँह मोड़ लेते हैं । (ग) चार लदन का मेिमान कौन िै ? उत्तर- कनि के अनसार धन प्राय: चार नदन तक ही मनष्य के पास नटकता है । इस नलए धन अनतनर् की तरह चार नदन का मेहमान होता है । (घ) प्रायः मनुष्य अलभमान क्दों करता िै ? उत्तर- प्राय: मनष्य अपनी धन-दौलत नदखाने के नलए ही अनभमान करता है । यह अनभमान भले ही अस्र्ायी हो पर मनष्य अपने धन पर गिथ करना नहीीं छोड़ सकता। 5. इन प्रश्दों के उत्तर चार या िाँच वाक्दों में लिखें: प्रश्(क) दौित िाकर मनुष्य कद अलभमान क्दों निी ों करना चालिए? उत्तर: दौलत पाकर मनष्य को अनभमान इसनलए नहीीं करना चानहए क्ोींनक दौलत जल के समान चींचल होती है । जो कभी एक स्र्ान पर न्तस्र्र नहीीं रह सकती। अतुः दौलत नकसी भी मनष्य के पास ज्यादा समय तक नहीीं नटकती। इसनलए दौलत पाकर सपने में भी अनभमान नहीीं करना चानहए । प्रश् (ख) लबना सदच-लवचार के कदई काम करने से क्ा दशा िदती िै ? उत्तर: निना सोच-निचार के काम करने से काम निगड़ जाता है । काम पूरा होने पर सदै ि पीड़ा दे ता है । दननया िाले उसकी हीं सी उड़ाते हैं । उसे मन में कभी िाीं नत और चैन नहीीं नमलता। उसके मन में सदै ि भय िना रहता है । आदमी का हृदय िेचैन हो जाता है और उसके नहस्से में नसर्थ पश्चाताप ही आता है । (क) दौित िाकर मनुष्य कद अलभमान क्दों निी ों करना चालिए ? उत्तर- कनि के अनसार मनष्य को दौलत पाकर स्वप्न में भी अनभमान नहीीं करना चानहए, क्ोींनक चींचल जल की तरह दौलत कभी भी एक स्र्ान पर न्तस्र्र नहीीं रहती। अत: धन-दौलत पाकर मनष्य को यि अनजथत करना चानहए। िास्ति में सींसार में क्षनिक सख दे ने िाले धन पर अनभमान न करके स्र्ायी रूप से अनजथत यि-रूपी धन पर अनभमान करना चानहए। (ख) लबना सदच-लवचार के कदई काम करने से क्ा दशा िदती िै ? उत्तर- निना सोच-निचार से नकये गये काम का कभी भी अच्छा पररिाम नहीीं ननकलता। यनद िह काम निगड़ जाय ता मन में पछतािे के नसिा कछ नहीीं नमलता। यही नहीीं, मूखथतािि नकये गये काम पर व्यन्ति को जग की हाँ साई का भी सामना करना पड़ता है । इस जग-हाँ साई से उसका मन ही िेचैन नहीीं रहता, अनपत उसे खान पान सम्मान और आमोद- प्रमोद कछ भी अच्छा नहीीं लगता । 6. उियुथक्त शब् चुन कर ररक्त स्र्ान भरे : (बेगरजी, दौित, यार, मीठे , अलभमान, लवनय ) (क) जि लनग पैसा गााँ ठ में; ति लनग ताको................................................ । (ख) पैसा रहा न पास................................................ मख से ननहीं िोले । (ग) करत................................................ प्रीनत; यार निरला कोई साई। (घ)................................................पाय न कीनजए: सपने में................................................. | (ङ)................................................िचन सनाय,................................................सि ही की कीजै । उत्तर (क) यार, ( ख) यार, (ग) बेगरजी, (घ) दौित, अलभमान, (ङ) मीठे , लवनय । 7. इन शब्दों/िदकदक्तक्तयदों के अर्थ लिखकर वाक्दों में प्रयदग करें :- (क) लबना लवचारे जद करे सद िाछे िछताए (लबना सदचे समझे कायथ करने िर िछताना िड़ता िै) रनि ने निना सोचे समझे राम से नमत्रता की और उसी नमत्र ने उसे जेल नभजिा नदया इसे कहते हैं नक निना निचारे जो करे सो पाछे पछताए । (ख) खटकना (बुरा िगना) यह नाटक मेरी आीं खोीं आीं खोीं में खटकता है । (ग) साई सब सोंसार में मतिब का व्यविार (मतिबी दु लनया) राम अपने काम से मतलि रखता है यह तो िह िात है साई सि सींसार में मतलि का व्यिहार । (घ) चार लदन की चाोंदनी लिर अोंधेरी रात (र्दड़े लदन का आनोंद) जिानी का जोि अच्छा नहीीं क्ोींनक यह चार नदन की चाीं दनी नर्र अीं धेरी रात जैसा है । 8. लनम्न िद्ाोंशदों का भावार्थ स्पष्ट करें : (क) खटकत िै लजय माँलि लकयद जद लबना लवचार । उत्तर- निना सोच-निचार के नकया गया कोई भी कायथ नचिा का निषय ही िना रहता है । क्ोींनक ऐसी अिस्र्ा में व्यन्ति को अपनी सर्लता या असर्लता का ननश्चय कर पाना कनठन होता है । (ख) करत बेगरजी प्रीलत : यार लवरिा कदई साई उत्तर-सींसार में ऐसे सच्चे नमत्र का जो निना नकसी लोभ-लालच के मैत्री को ननभाने की क्षमता रखता हो, नमलना िड़ा कनठन होता है । िैसे अनधकतर नमत्र प्राय: मतलिी ही होते हैं । अत: सच्चे नमत्र का सींसार में नमलना दलथभ ही होता है । (ग) चोंचि जि लदन चारर कद ठाउँ न रित लनदान। उत्तर- इस पद्ाीं ि का यही भाि है नक नजस प्रकार जल एक स्र्ान पर न्तस्र्र न रह कर सदा गनतिील रहता है , उसी प्रकार धन-ऐश्वयथ की गनत भी िड़ी चींचल होती है । िह एक व्यन्ति के पास कभी भी स्र्ायी रूप में नहीीं नटकती। ******************************************************************************************************** ******************************************************************************************************** प्रस्तुत कताथ - दीपक कमार, नहीं दी निक्षक, स.नम.स. मानिालाम िनठीं डा सोंयदजक- अनिर हुसैन, नहीं दी निक्षक, स.नम.स. खरौडा, र्तेहगढ़ सानहि