Class 12th Chemistry Past Paper PDF Bihar Board

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This document is a course outline about class 12th chemistry, chapter 1, solid state. It is likely used for an educational class. It is not an exam paper.

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(RUN & Managed by – Sanjay Kumar’s educational classes PVt. Ltd.) For: - Class – 12 (Bihar Board) th विषय :- रसायनशास्त्र अस्त्रararthरसायनशास्त्र अध्याय- 1...

(RUN & Managed by – Sanjay Kumar’s educational classes PVt. Ltd.) For: - Class – 12 (Bihar Board) th विषय :- रसायनशास्त्र अस्त्रararthरसायनशास्त्र अध्याय- 1. ठोस BY - NISHANT SIR COURSE FEATURES ❖ Live Class ❖ PDF Notes ❖ Recorded Class ❖ Model Paper ❖ Class Pdf ❖ Guess Question Paper ❖ Doubt Class ❖ Question Bank App:- https://play.google.com/store/apps/details?id=co.dishaonlineclasses YouTube:- https://youtube.com/@DishaOnlineClasses बिहार में इं टर की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry ❖ ठोस के गुण (Properties of Solid):- बिस्टि ठोस (Crystalline Solid):- वह ठोस लजसके (i) आकर व आयतन बनलित होते है | कण एक बनलित व्यवस्था में व्यवण्स्थत रहती हो, तो उसे (ii) ये कठोर होते है | बिस्टि ठोस कहा जाता हैं| (iii) ये प्राय:असं पर्ीय (Incompressible) होते है | जैसे:- Nacl, चीनी आबद | (iv) ये प्राय: अधातवधडनीय, तत्व तथा भं गुर होते है | (v) इनका घनत्व द्रव और गैस के तुिना में अलधक होते हैं | बिस्टि ठोस पदाथड की बवशेषताएाँ (Features of (vi) इनके कणों के िीच अंतराण्विक दूररयााँ िघु होती है, Crystalline Solid):- लजसके कारण कणों के मध्य अंतराण्विक िि प्रिि हो जाते (i) इनके अवयवी कण बनयबमत ढं ग से दीघड परास में है| व्यवण्स्थत रहते हैं | (vii) इसमें बवसरण प्रकृ बत (Diffusion Nature) नगण्य (ii) ठोस पदाथड के आयतन पर ताप एवं दाि का अत्यं त बनम्न होते हैं | प्रभाव पड़ता है | ठोसों का वगीकरण (Classification of Solid) (iii) ठोस के कण एक दुसरे के सापेक्ष बनलित बिगबवन्यालसत (i) बिस्टि ठोस (Crystalline Solid) होते है| (ii) अबिस्टिीय ठोस (Amorphous Solid) बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry (iv) इसकी ज्याबमबत बनलित होते हैं | (v) इसका जािक सं रचना बनयत होता है | (v) प्रत्येक बिस्टि सुबनलित शतहों से सह सं योजक बिस्टि (Covalent Crystal):- बघरा रहता है| वह बिस्टि लजसके अवयवी कण सह सं योजक िं ध िारा (vi) ये असं पर्ीय होते है| जुड़े होते हैं, उसे सहसं योजक बिस्टि कहते हैं | (vii) ये असमदैलशक होते है| Note:- इस बिस्टि के अव्यवी कण सहसं योजक िं ध िारा जुड़कर 3.D में िड़े अणु का बनमाडण करते हैं, लजसके कारण इसे नेटवकड बिस्टि कहा जाता हैं | जैसे:- Si, हीरा, ग्रेफाईट, (viii) इनका द्रवनांक बनयत एवं सुस्पष्ट होते है| कोरंर्म, etc | (ix) इसका शीतिन वि असतत होते हैं| ▪ सह सं योजक बिस्टि की बवशेषताएाँ (Features of बिस्टि ठोसों का वगीकरण (Classification of Covalent Crystal) Crystalline Solid):- (i) ये प्राय: िहुत कठोर होते है| (i) आयबनक ठोस (Ionic Solids) (ii) इनके द्रवनांक व क्वथनांक काफी उच्च होते है | (ii) सहसं योजक ठोस (Covalent Solids) (iii) Graphite को छोड़कर ये बवधुत के कु चािक होते हैं| (iii) धालत्वक ठोस (Metallic Solids) (iv) ये बवलभन्न कं पनावृबतयों वािें प्रकाश का अवशोषण करते (iv) आण्विक ठोस (Molecular Solids) हैं | आयबनक ठोस (Ionic Solids):- वह बिस्टि लजसके आण्विक बिस्टि (Molecular Crystal):- वैसे अव्यवी कण आयन हो, उसे आयबनक ठोस कहते हैं बिस्टि लजसका अवयवी कण अणु हो तथा इस अणु को िााँ ध कर रखने वािा िि वांर्र वाल्स िि हो, तो उसे आणबवक बिस्टि कहा जाता है| जैसे:- I2, CH4, Cl2, SO2, HCl, H2O, NH3, etc आण्विक बिस्टि दो प्रकार के होते हैं:- (i) ध्रुवीय आण्विक बिस्टि (Polar molecular Crystal) (ii) अध्रुबवय आण्विक बिस्टि (Non Polar Molecular Crystal) ध्रुवीय आण्विक बिस्टि:- ऐसे आण्विक बिस्टि से:- NaCl, KCl, KNO3, CuSO4, H2O, etc. लजसके अवयवी कण ध्रुवीय अणु हो, उसे ध्रुवीय आण्विक ❖ इनके अव्यवी कण आयन होते हैं| बिस्टि कहते हैं| ❖ आयबनक बिस्टि की बवशेषताएाँ (Features of Ionic जैसे:- HCl, SO2, SO3, etc. Crystal) (i) ये कठोर और भं गुर होते हैं| ध्रुवीय आण्विक बिस्टि की बवशेषताएाँ (Features (ii) इनके द्रवनांक काफी उच्च होते हैं | of Polar Molecular Crystal):- (iii) ठोस अवस्था में ये बवधुत के कु चािक होते है | परन्तु (i) सामान्य ण्िलथ में ऐसे पदाथड द्रव या गैस होतें हैं| द्रबवत या बवियन अवस्था में ये बवधुत के सुचािक होते हैं | (ii) इनके अवयवी कण िं र्न िि िारा जुड़े होते हैं| (iv) ये जि और ध्रुवीय बविायकों में आसानी से घुि जाते हैं, (iii) ये मुिायम तथा बवधुत के कु चािक होते हैं| परन्तु अध्रुबवय बविायक में अघुिनशीि होते हैं| बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry (iv) इसका द्रवनांक व क्वथनांक अध्रुवीय आण्विक बिस्टि से फिक (Face):- बिस्टि के समतिीय सतहें या पृष्ठ अलधक होता हैं| फिक कहिाती है| अध्रुवीय आण्विक बिस्टि:- ऐसे आण्विक बिस्टि अंतरापृष्ठीय कोण लजसके अवयवी कण अध्रुवीय अणु हो, उसे अध्रुबवय (Interfacial Angle):- आण्विक बिस्टि कहते हैं| बकसी बिस्टि के दो पृष्ठों या जैसे:- H2, Cl2, I2, CH4 etc. फिकों के िीच का कोण अध्रुबवय आण्विक बिस्टि की बवशेषताएाँ (Features of अंतरापृष्ठीय कोण कहिाता है| Non-Polar Molecular Crystal) बिस्टि जािक/आकशीय जािक (Speculate or (i) सामान्य ण्स्थबत में ऐसे पदाथड गैस या द्रव होते है| crystal lattice):- बिन्दुओ ं का वह प्रबतरूप जो बिस्टि (ii) इनके अवयवी कण िं र्न िि िारा जुड़े होते हैं| में कणों की व्यवस्था प्रदलशडत करता है, उसे आकशीय (iii) ये मुिायम तथा बवधुत के कु चािक होतें हैं| जािक कहते हैं| (iv) इनके द्रवनांक व क्वथनांक बनम्न होते है| जािक बिं दु (Space (v) ये वास्पशीि होते हैं| Lattice):- बिस्टि जािक का धातुई बिस्टि (Metallic Crystal):- वह बिस्टि वह स्थान जो बिन्दुओ ं िारा लजसमें परमाणु धातुई िं धन िारा जुड़े रहते हैं, उसे धातुई बनरूपबत बकये जाते हैं, उसे जािक बिं दु कहते हैं | बिस्टि कहते हैं| धातुई बिस्टि की बवशेषताएाँ (Features of Metallic Crystal):- एकक सेि (Unit Cell) :- बिस्टि जािक का वह (i) गबतमान 𝑒 − के कारण धातुई बिस्टि बवधुत व उष्मा के सिसे छोटा भाग लजसका बिबवम में पुनरावृबत होने पर सुचािक होते हैं | सं पूणड बिस्टि का बनमाडण होता (ii) ये अधातवधडनीय और तन्य होते हैं| है, उसे एकक या इकाई सेि (iii) धातुओ ं में एक बवशेष प्रकार की चमक पाई जाती है, कहते हैं | लजसे धातुई िं धन कहते हैं| जैसे:- िोहा, तांिा, Al, आबद | इकाई सेि के प्रकार (Types of Unit Cell) Note: - धनात्मक धातुई आयन और इिेक्ट्रोनों के िीच जो 1. आध इकाई सेि (Primitive Unit Cell) िि कायड करते हैं, उन्हें ण्स्थर वैधुत आकषडण िि कहते हैं | 2. कें बद्रत इकाई सेि (Centered Unit Cell) बिस्टि जािक एवं इकाई सेि (Crystal lattice and ❖ आध इकाई सेि:- जि अवयवी कण इकाई सेि के लसफड Unit cell) कोणों पर उपण्स्थत हो, तो बिस्टि (Crystal):- लजस ठोस पदाथड में परमाणुओ ं के उसे आध इकाई सेि कहा बिबवम में बनयबमत रूप से पुनावृबि होती है, उसे बिस्टि जाता है| इसे सरि इकाई या रवा कहते हैं | सेि भी कहा जाता हैं | ❖ कें बद्रत एकक सेि:- जि इकाई सेि में एक या अलधक अवयवी कण कोणों के अबतररक्त अन्य स्थान पर भी उपण्स्थत हो, तो उसे कें बद्रत इकाई से कहा जाता है| बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry ❖ कें बद्रत इकाई सेि के प्रकार:- इकाई सेि के प्राचाि (Parameters of Unit (i) अंत:/ बपंर् कें बद्रत इकाई सेि (Body Centered Cell):- एक इकाई Unit Cell) सेिों का बनरूपण (ii) फिक कें बद्रत इकाई सेि (Face Centered Unit बनम्नलिलखत प्राचािों िारा Cell) बकया जाता हैं| (iii) अंत्य कें बद्रत इकाई सेि (End Centered Unit (i) तीनों अक्षों X, Y और Z Cell) की दूररयों को a, b और c अंत: कें बद्रत िारा जो एक दुसरे के िं िवत इकाई सेि:- वह हो भी सकते हैं और नहीं सेि लजसके जािक (ii) बकन्हीं दो अक्षों के िीच के कोणों को α, β और γ िारा | बिं दओ ु ं के अबतररक्त ❖ बिस्टि तं ि (Crystal System):- उसके कें द्र में भी अक्षीय िं िाई तथा अक्षीय कोणों के आधार पर सरि कण उपण्स्थत रहता इकाई सेि को सात समूह में बवभालजत बकया गया है, हैं, उसे अंत: या बपं र् लजसे बिस्टि तं ि कहा जाता है| कें बद्रत इकाई सेि रवातं ि अक्षीय अक्षीय उदहारण कहा जाता है| (crystal) िं िाई कोण - (Example) फिक - Axial कें बद्रत इकाई Axial angle सेि:- वह सेि lengt लजसके जािक h बिं दओ ु ं के 1. घनाकार a=b 𝛼=𝛽 Kcl, ZnS, Cu अबतररत्क्क्त =c =𝛾 उसके फिकों = 900 2. a=b 𝛼=𝛽 SnO2, TiO2, के कें द्र पर भी =𝛾 चतुएकोणीय ≠c श्वेत बटन कण उपण्स्थत रहते है, लजसे फिक कें बद्रत इकाई सेि = 900 कहा जाता है | 3. a ≠ 𝛼=𝛽 KNO3, =𝛾 अंत्य कें बद्रत इकाई सेि:- वह सेि लजसके जािक ऑथोरौण्िक b≠c BaSO4 = 900 बिं दओ ु ं के अबतररक्त दो अवयवी कण बकन्हीं दो बवपरीत 4. एकनताक्ष a ≠ 𝛼=𝛾 Na2SO4,10H फिकों के कें द्र में उपण्िथ रहता हैं, लजसे अंत्य कें बद्रत b≠c = 900 , 𝛽 2O इकाई सेि कहा जाता है| = 900 5. बिनताक्ष a=b 𝛼 K2cr2O7, ≠ 𝛽 ≠c CuSO4 ≠ 𝛾 = 900 6. षटकोणीय a=b 𝛼=𝛽 ZnO, CdS = 900 , 𝛾 ≠c Graphit = 1200 7. a=b 𝛼=𝛽 =𝛾 समांतरषटफि =c ≠ 900 क ❖ ब्रेवेस जािक (Bravais Lattice):- ब्रैवेस ने 1848 में ज्याबमतीय अध्ययन के आधार पर िताया बक 07 बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry बिस्टि तं ि के लिये 14 प्रकार के बिबवमीय जािक = 1+1 सं गत हैं, लजसे ब्रैवेस जािक कहते हैं | =2 अत: कु ि ब्रेवेस जािक 14 प्रकार के होते है| (iii) फिक कें बद्रत इकाई सेि :- इस सेि में कोने वािे परमाणु आठ इकाई सेिो से साझा में रहते हैं परंतु फिक वािे परमाणु दो इकाई सेिो से साझा में रहते हैं | 1 1 ∴ fcc में परमाणुओ ं की सं ख्या = 8× + 6× 8 2 = 1+3 =4 (iv) अंत्य कें बद्रत इकाई सेि: - 1 1 Ecc में परमाणुओ ं की सं ख्या =8× + 2× 8 2 = 1+1 =2 बिस्टि में सीबमत सं कु िन Close Packing in Crystal बिस्टिों में वह व्यवस्था लजसमें इसका अवयवी कण इस Crystal System प्रकार व्यवण्स्थत हो की इनके िीच कम से कम स्थान िचे तथा इसका घनत्व अलधक हो, यह व्यवस्था बिस्टि में 1. Cubical 3(S+F+B) सीबमत सं कु िन कहिाती हैं | 2. Tetragonal 2(S+B) ❖ बिस्टि में लसबमत सं कु िन के प्रकार 3. Orthorhombic 4 (S+F+B+F) (i) एक आयामी लसबमत सं कु िन (1-D Close 4. Monoclinic 2 (S+B) Packing) 5. Triclinic 1 (S) (ii) बिआयामी लसबमत सं कु िन (2-D Close 6. Hexagonal 1 (S) Packing ) 7. Rhombohedral 1 (S) (iii) बि-आयामी लसबमत सं कु िन (3-D Close Packing ) इकाई सेि में परमाणुओ ं की सं ख्या:- ❖ एक आयामी लसबमत सं कु िन :- वह लसबमत (i) आघ या सरि घनाकार इकाई :- इसमें कोने का सं कु िन लजसमें उसकें अव्ययी कण एक दुसरे के प्रत्येक परमाणु अन्य आठ इकाई सेिो के साझा में रहता सं पकड में रहते हुए एक पं बक्त में व्यवण्स्थत रहते हैं| एक आयामी लसबमत 1 सं कु िन हैं| लजसे एक आयामी लसबमत सं कु िन कहतें हैं | अत: scc में परमाणु की सं ख्या = 8 × =1 8 (ii) बपंर्/अंत कलित इकाई सेि :- इसके कोणे का Note: - इस लसबमत सं कु िन से बिस्टि के परमाणु 8 इकाई सेिो से साझा में रहता हैं | परन्तु कें द्र में ण्स्थर बकसी से साझा में नही रहते हैं | बकनारों का बनमाडण होता हैं | ∴ bcc में परमाणुओ ं की सं ख्या = 8× +1 1 बि-आयामी लसबमत सं कु िन :- वह लसबमत पैबकं ग | 8 लजसमें गोिों की पं बक्तयों को दुसरें, तीसरे आबद बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry पबक्तयों के सबनकट रखा जाता हैं, उसे बि-आयामी लसबमत सं कु िन कहते हैं | घनत्व = अलधक समन्वय झमता = 06 ❖ बि-आयामी लसबमत सं कु िन के प्रकार सं कु िन झमता = 68.4% इसे ABAB---type बिबवमीय षर्भुलजय सीबमत (i) वगीय लसबमत सं कु िन (Square Close सं कु िन कहते हैं | Packing) scp बि-आयामी सीबमत सं कु िन:- वह सीबमत सं कु िन (ii) षर्भुलजय लसबमत सं कु िन (Hexagonal Close लजसमे परत के ऊपर कई परते रहतें लजससे सं पूणड Packing) hcp बिटि का बनमाडण होता हैं, उसे बि-आयामी लसबमत ❖ वगीय लसबमत सं कु िन :- वह बिस्टि लजसमें गोिों सं किन कहते हैं | के उधार्व्डर एवं झैबतज कतारें एक दुसरें के सं पकड में हों, तो उसे वगीय लसबमत सं कु िन कहतें हैं | बि-आयामी सीबमत पैबकं ग में षर्भुजीय व्यवस्था Note:- इस लसबमत सं कु िन से बिस्टि के शतह का वािे िर एक दुसरे के ऊपर दो प्रकार से रखे जा बनमाडण होता हैं | सकते हैं| घनत्व = कम (i) दुसरे िर को पहिे िर के ऊपर इस प्रकार से रखा समन्वय सं ख्या = 04 जाता हैं बक ऊपर वािे िर गोिे पहिे वािे के गोिों के सं कु िन झमता = 52.4% ठीक ऊपर पड़े | इसे AA----type बिबवमीय वगीय सीबमत सं कु िन भी कहा जाता हैं | षर्भुलजय सीबमत सं कु िन :- वह बिस्टि लजसमें गोिों के उर्ध्ाडधर एवं क्षैबतज कतारें एक दुसरे के एकांतर िम में गतड को भरते हुए व्यवण्स्थत रहते है, उसे षर्भुलजय लसबमत सं कु िन कहते हैं | प्रथम परत के िोगों के कें द्र दुसरे परत के गोिों का कें द्र एक ही हैं| बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry (ii) इसके दुसरे िर के पहिे िर के ऊपर इस प्रकार से बिस्टि में ररबक्तयााँ (voids in crystal):- बिस्टि रखा जाता हैं की प्रत्येक िर वािे दुसरे के ररबक्तआ को जािक में जि ठोस गोिों की एक परत के ऊपर ढक िे | अतः दुसरे िर के गोिे पहिे िर के ररबक्तयो दूसरी परत को रखा जाता हैं तो इनके मध्य कु छ को ढक िे | स्थान ररक्त रह जाते हैं , लजसे ररबक्तयााँ ,अंतराकाश या गतड कहा जाता हैं | hcp और ccp में दो प्रकार बक ररबक्तयां पाई जाती हैं | (i) चतुष्फिकीय ररबक्तयााँ (ii) अष्टफिकीय ररबक्तयााँ चतुष्फिकीय ररबक्त(Tetrahedral voids):- वह ररबक्त जो चार गोिों के स्पशड करने से िनती है उसे चतुष्फिकीय ररबक्त कहते हैं| चतुष्फिकीय ररबक्त की समन्वय सं ख्या 04 होती है| अष्टफिकीय ररबक्त ABA या AB-AB Close (Octahedral voids):- वह ररबक्त जो छः गोिों (a) एकांतर रूप से िरों की पुनावृबि होने के कारण यह के स्पशड से िनती हैं, उसे अष्टफिकीय ररबक्त कहते व्यवस्था ABAB….Type हो जाता है | हैं| तीसरे िर को पहिे िर पर इस प्रकार रखा जाता हैं बक अष्टफिक ररबक्त की तीसरे िर के गोिे पहिे िर के गोिे की ठीक ऊपर हैं | समन्वय सं ख्या = 06 लजससे तीसरे िर के गोिे दुसरे िर के चतुष्फिक ररबक्तओं को ढक िेते हैं | एसी व्यवस्था षर्भुज सीबमत घनीय सीबमत सं कु िन / ccp में कणों व ररबक्त बक सं कु िन(hexagonal close packing) कहिाते हैं| स्थान (B) ABC ABC….Type या 1 1 ccp(घनाकार सीबमत सं कु िन ) Ccp या fcc cell में कणों की सं ख्या = 8× +6× 8 2 तीसरे िर के गोिे जि दुसरे िर के अष्टफिकीय =3+1 ररबक्तओं को ढक िेिे हैं इस प्रकार =4 की व्यवस्था ABC अष्टफिकीय ररबक्त = बकनारे के कें द्र + बपंर् कें द्र 1 ABC…Type की हो जाती हैं | = 12× + 1 4 इसे घनाकार सीबमत सं कु िन कहते = 3+1 हैं इसे c.c.p से सूलचत बकया जाता हैं | Now, समन्वय सख्या(co-ordination चतुष्फिकीय ररबक्त = एक बपं र् बवकणड पर 2 चतुष्फिकीय number):- ररबक्त होती हैं | बकसी बिस्टि में एक गोिे के स्पशड में आने वािे सभी = 2×4 गोिों की सख्या,समन्वय सं ख्या कहिाता हैं| =8 जैसे:- Liner Triangular Tetrahedral Note: - यबद ccp जािक में कणों की सं ख्या n है तो 2 3 4 Octahedral bac fcc/hcp अष्टफिकीय ररबक्त = N, चतुष्फिकीय ररबक्त = 2N 6 8 12 बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry गोिों बक बिज्या और इकाई सेि के बकनारे के िीच 3. फिक के बद्रत घनाकर इकाई सेि (Face centred सं िं ध cubic unit call):- 1. सरि घनाकार इकाई सेि(simple cubic unit माना की इकाई सेि के बकनारो की ििाई a unit, तथा cell):- गोिों की बिज्या r unit हैं | माना की इकाई सेि की बकनारे की ििाई a इकाई हैं | ∆ABC मे, CA = 900 एवं गोिों की बिज्या r हैं | AB = a unit Now, AC = a unit From figure BC = r + r + r + a=r+r = 4r a=2r Now, r = a/2 D𝐶 2 = A𝐶 2 + AB2 [By Pythagoras thcon 2. बपंर् के लित घनाकार इकाई सेि (body centred (4r)2= a2 + a2 cubie unit cell ) 16r2 = 2a2 माना बक बकनारे की ििाई a इकाई हैं तथा गोिों की 𝑎2 बिज्या r unit हैं| r2 = 8 Now, r = √𝑎2/8 C=r+r+r+r 𝑎 C = 4r r= unit 2√2 ∆ABD में, ∠ B =900 सं कु िन क्षमता(packing efficiency ):- ∴ पाइथागोरस प्रमेय से इकाई सेि के कु ि आयतन के लजतना भाग गोिों िारा AD2 = BD2 + AB2 अलधकृ त होते है, उसे सं कु िन क्षमता कहते है| C2 = b2 + a2 -- (i) (i)सरि घनाकार इकाई सेि की सं कु िन क्षमता Again, Packing efficiency of simple cubic unit ∆ BBD में, ∠ C =900 call b2 = d2 + a2 --- (ii) माना बक सेि गोिों की ििाई a unit हैं | तथा गोिों समी (ii) का मन समी (i) में रखने पर की बिज्या r Unit हैं | C2 = b2 + a2 ssc में गोिों की सं ख्या = 1 C2 = a2 + a2 + a2 गोिों की बिज्या r = a/2 C2 = 3a2 गोिों का आयतन =4/3πr 3 (4r)2 = 3a2 ∴ (c = 4r) गोिों का आयतन सं कु िन % = × 100 16r2 = 3a2 4 𝑠c𝑐 का आयतन πr3 r2 = 3𝑎2 = 3 × 100 16 𝑎3 4 22 𝑎 𝑎 𝑎 × × × × r =√ 3𝑎2 = 3 7 2 2 2 × 100 16 𝑎3 11𝑎3 √3𝑎 × r = = 21 3 × 100 4 𝑎 11 = × 100 21 बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry = 52.36 Ans fcc में गोिों की सं ख्या = 4 𝑎 ❖ scc में ररक्त स्थान % गोिों की बिज्या r = 2 √2 = 100 - 52.36 ∴ 4 गोिों की आयतन = 4× 4 πr 3 3 = 47.64 = 16 × 22 × 𝑎 × 𝑎 × 𝑎 3 7 2√2 2 √2 2 √2 = 48% approx 44×𝑎3 = (ii) बपंर् कें बद्रत घनाकार इकाई सेि की सं कु िन क्षमता 3×7×2× √2 22𝑎3 √2 (Packing efficiency of body Centered = × 21√2 √2 22𝑎3 cubical unit cell ) = × √2 21 ×2 माना बक इकाई सेि की बकनारों की ििाई a इकाई है | = 11√2 𝑎3 21 तथा गोिों की बिज्या r हैं इकाई सेिो का आयतन = 𝑎3 Now 11√2 𝑎3 = √3𝑎 21 r= गोिों का आयतन 4 Fcc की सं कु िन क्षमता (%) = × 10 इकाई सेि का आयतन bcc में परमाणुओ ं की सं ख्या = 2 11√2 𝑎3 4 = × 100 1 गोिों का आयतन = πr3 21 𝑎3 3 11×1.414 = × 4 22 ×( √3𝑎 3 ) = × 100 21 3 7 4 15.554 4 22 √3𝑎 √3𝑎 √3𝑎 = × 100 = × × × × 21 3 7 33√3 𝑎3 4 4 4 = 0.0706× 100 = 3×14×4 = 74.06 % 11√3 𝑎3 = ❖ fcc मे ररक्त स्थान (%) 14×4 एक इकाई सेि की आयतन = a3 = 100 - 74.06 2 गोिों का आयतन सं कु िन क्षमता(%)= × 100 = 25.94% इकाई सेि का आयतन 2×11 √3 𝑎3 = 4×14 × 100 = 26%(𝐴𝑝𝑝𝑟𝑜x) 𝑎3 11 = × 1.732 × 100 इकाई सेि के अयामों की गणना 28 19.052 = × 100 Calculation of Dimension of Unit Cell 28 = 0.6802× 100 बिस्टि के इकाई सेि आयाम बनम्न हैं | = 68% Ans. (i) इकाई सेि के बकनारों बक िं िाई (a) ❖ bcc में ररक्त स्थान (%) (ii) ठोस बिस्टि का घनत्व (d) = 100 – 68.02 (iii) ठोस पदाथड का परमाणु द्रव्यमान (A) = 31.98 (iv) इकाई सेिो में परमाणुओ ं की सं ख्या (Z) = 32% (approved) (v) एवोगार्र ो सं ख्या (N) (iii) फिक के बद्रत घनाकार इकाई सेि की सं कु िन माना बक बकसी घनाकार बिस्टि के इकाई सेिों के बकनारे क्षमता (Face Centred Cubic Unit Cell की िं िाई ‘a’ ठोस का घनत्व ‘d’ और ठोस के एक Packing Efficiency) परमाणु का द्रव्यमान ‘m’ हैं | माना बक इकाई सेि के बकनारे की ििाई a इकाई है इकाई सेि का आयतन (v) = 𝑎3 तथा गोिो की बिज्या r हैं | बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry इकाई सेि का दर्वयमाडन = इकाई सेि में परमाणुओ ं की Note: - आदशड बिस्टि के अवयवी कणों के बवचिन से सं ख्या × एक परमाणु का द्रव्यमान अनादशड या अपूणड बिस्टि का बनमाडण होता हैं | =z×m - (i) परमाणु द्रव्यमान बिस्टि दोष (Crystal Defect):- जि इकाई सेि के एक परमाणु का द्रव्यमान = एवोगार्र ो ण्स्थरांक 𝐴 बिस्टि के अवयवी कण के िम में अबनयबमतता आ M= - (ii) 𝑁 जाती है या बिस्टि में अन्य कण प्रवेश कर जाते है इकाई सेि का द्रव्यमान = z × m या बफर कोई कण बिस्टि जािक से िाहि बनकि 𝐴 = z×= जाते हैं, तो जो दोष उत्पन्न होता है, उसे बिस्टि दोष 𝑁 इकाई सेि का द्रव्यमान इकाई सेि का घनत्व (d) = कहते हैं | इकाई सेि का आयतन d= z×A 𝑁 बिस्टि दोष के प्रकार (Type of Crystal 𝑎3 d= 𝑧×𝑎 Defect) 𝑎3 ×𝑁 (i) बिं दु दोष (Point Defect) बिस्टि ठोस या बिस्टि में अपूणडता (ii) रेखीय दोष (Linear Defect) Crystal Defector Infraction in Crystal (iii) तिीय दोष (Planer Defect) ❖ सं रचना के आधार पर आयबनक बिस्टि के प्रकार बिं दु दोष (Point Defect):- बकसी परमाणु अथवा (i) आदशड बिस्टि (Ideal Crystal) आयन के अपने बनयबमत स्थान से िुप्त हो जाने के (ii) अनादशड बिस्टि (Non Ideal Crystal) कारण अथवा अव्यवाण्स्थत हो जाने के कारण उत्पन्न आदशड बिस्टि:- वह बिस्टि लजसमें कोई दोष दोषों को बिं दु दोष (िुटी) कहा जाता हैं| नहीं पाया जाता है| उसे आदशड बिस्टि कहते हैं| या वह बिस्टि लजसके अवयवड कणों के बिबवम व्यवस्था में कोई पररवतडन नहीं होता है, उसे आदशड बिं दु दोष के प्रकार (Type of Point बिस्टि कहते है| Defect) Note: - आदशड बिस्टि अवािबवक या काल्पबनक होते (i) रसमीकरणबगबतय दोष (Stochiometric हैं| Defect) यह 0 K ताप पर सं भव हो सकता हैं| (ii) अरसमीकरणबमबतय दोष (Non- अनादशड बिस्टि:- वह बिस्टि लजसमें दोष पाया Stochiometric Defect) जाता हो, उसे अनादशड कहते हैं| (iii) अशुबि दोष (Impurities Defect) या रसमीकरणबगबतय दोष:- जि बकसी बिस्टि में दोष वह बिस्टि लजसके अवयवड उत्पन्न होने के पिात् उनके आयनों के अनुपात में कणों के बिबवम व्यवस्था में कोई पररवतडन नहीं होता है, तो इस प्रकार उत्पन्न दोष पररवतडन हो जाता है, उसे रसमीकरणबगबतय दोष कहिाता हैं| अनादशड बिस्टि कहते हैं| Na+ = 6 Note: - समान्य: सभी Cl- = 6 बिस्टि अनादशड बिस्टि होते 6/6 हैं| 1:1 बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry रसमीकरणबगबतय दोष मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं:- इस दोष के कारण आयबनक बिस्टि बवधुत (i) शाट्की दोष (Schottky Defect) उदासीनता कायम रहती है| (ii) फेंके ि दोष (Frankel Defect) लछद्र के उपण्स्थबत के कारण बिस्टि के स्थाबयत्व ररबक्तका दोष:- बिस्टि जािक में ररक्त स्थान होने के में कमी आ जाती है| कारण जो दोष उत्पन्न होता हैं, उसे ररबक्तका दोष इससे घनत्व अप्रभाबवत रहतें हैं| कहते हैं| लछद्र के गबतशीिता के कारण ऐसे दोष युक्त बिस्टि बवधुत के सीबमत सुचािक हो जाते हैं| उदहारण:- AgCl, ZnS, AgBr, AgI, etc. शाट्की दोष:- जि बकसी आयबनक बिस्टि से समान मािा में धनायन और ऋणायन अपने बनधाडररत स्थान इसमें अवयवी कण अनुपण्स्थत होते हैं| से िुप्त हो जाता हैं, तो जो दोष उत्पन्न होता हैं, उसे इस दोष के कारण ठोस का घनत्व कम हो जाता हैं| शाट्की दोष कहते हैं| ठोस को गमड करने पर यह दोष उत्पन्न होता है| यह दोष Non-Ionic Crystal में पाया जाता है| अंतराकाशी दोष:- बिस्टि जािक के अंतराकाश स्थान में उपण्स्थत अवयवी कण के कारण जो दोष उत्पन्न होता हैं, उसे अंतराकाशी दोष कहते हैं| बिस्टि के घनत्व में वृबि हो जाती हैं| इसमें अबतररक्त कण उपण्स्थत रहतें हैं| यह दोष Non-Ionic Crystal में पाया जाता हैं| इसके अवयवी कण परमाणु या अणु होते हैं| इस दोष के कारण घनत्व में कमी आती हैं| फ्रेंके ि दोष:- जि बकसी आयबनक बिस्टि के एक जमडन वैज्ञाबनक शाट्की ने 1930 में इस दोष के िारे में धनायन बिस्टि जािक में अपने मूि स्थान से िताया था| बनकिकर अंतराकाशी स्थान में स्थाबपत हो जाते हैं, इस दोष में धनायन और ऋणायन के आकार िगभग तो जो दोष उत्पन्न होता उसे फ्रेंके ि दोष कहते हैं| समान होता है| इसमें आयन के समनय सं ख्या उच्च होता है| इसकी बवधुत उदासीनता कायम रहती है| लछद्र के गबतशीिता के कारणये बवधुत के लसबमत सुचािक होता है| लछद्र के उपण्स्थबत के कारण बिस्टि के स्थाबयत्व घट जाती हैं| Russian वैज्ञाबनक के Frankel ने 1926 में अरससमीकरणबमतीय दोष:- जि बकसी बिस्टि इस दोष के िारे में िताया | जािक में दोष उत्पन्न होने के पिात उनके आयनों के इस दोष में धनायन का आकार ऋणात्मक के अनुपात में पररवतडन हो जाता हैं, तो उसे आकर से काफी छोटा होता है| अरससमीकरणबमतीय दोष कहा जाता है| इसमें आयन की समन्वय सं ख्या बनम्न होती है| बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry यह दोष फ्रेंके ि दोष की तरह है क्ोंबक इसमें आयन अंतरािी स्थान में रहते हैं| इसमें लछद्र उत्पन्न नहीं होता है| ऐसा दोष फ्रेंके ि दोष वािे बिस्टि में प्राय: पाये जाते है| इस दोष के कारण घनत्व में अरससमीकरणबमतीय दोष के दो प्रकार होते हैं:- वृबि हो जाती है| (i) धातु अलधकता दोष (Metal Excess Defect) इस दोष में धनायन का आकर छोटा होता है| (ii) धातु अल्पता दोष (Metal Deficiency मुक्त 𝑒 − होने के कारण बवधुत के सुचािक हो Defect) जाते हैं| धातु अलधकता दोष:- बिस्टि जािक में जैसे:- ZnO के बिस्टि को गमड करने पर इसी अबतररक्त धनायक होने के कारण जो दोष उत्पन्न होता दोष के कारण वह पीिा हो जाता है| है उसे धातु अलधकता दोष कहते है| धातु अल्पता दोष:- बिस्टि जािक में धातु यह दोष दो प्रकार से उत्पन्न होता हैं| धनायन के कमी से जो दोष उत्पन्न होता है, उसे धातु (a) ऋणायन ररत्की के कारण:- बिस्टि जािक से जि अल्पता दोष कहते हैं| एक ऋणायन अपने मूि स्थान से गायि हो जाते है, तो इसमें बिस्टि के जािक बिं दु से एक धनायन गायि हो उस स्थान पर लछद्र िन जाता है और बिस्टि के बवधुत जाता है| आवेशों को सं तुिन रखने के लिये धातु परमाणु उदासीनता भं ग हो जाबत है अत: बिस्टि के बवधुत पर दो धनावं श उत्पन्न हो जाता है | उदासीनता को कायम रखने के लिए उस लछद्र के स्थान अत: इसके लिये धातु परमाणु में पररवती सं योजकता पर एक अबतररक्त 𝑒 − आ जाता है| ग्रहण करने की क्षमता होनी चाबहए| ऐसा दोष शाट्की दोष वािे जैसे:- fe II – Oxide, fe II – Sulphide, Ni II बिस्टि में प्राय: पाये जाती हैं | – Oxide आबद| f- center के कारण बिस्टि रंगीन हो जाते हैं| इस दोष के कारण बिस्टि में बवशेष चमक या मुक्त 𝑒 − होने के कारण ये बवधुत के कु छ रंग उत्पन्न होता है| सुचािक हो जाते है | लछद्र के गबत के कारण ये बवधुत के सीबमत उदहारण:- (a) Na वाष्प की उपण्स्थबत में सुचािक होते हैं| NaCl को गमड करने पर वह पीिा हो जाता है| इस दोष के कारण बिस्टि के घनत्व में कमी आ (b) Li की उपण्स्थबत में LiCl को गमड करने पर जाती है| गुिािी तथा K के उपण्स्थबत में KCl को गमड करने इसमें धनायन का आकार छोटा होता है| पर वह गुिािी हो जाता है| दोष के पिात बिस्टि अिडचािक हो जाते हैं| (b) अंतराकाशी स्थान अबतररक्त धनायन के अशुिता दोष (Impurity Defect):- बकसी उपण्स्थबत के कारण:- बिस्टि जािक के अंतरािी बिस्टि में वाह्य अशुबियााँ की स्थान में एक अबतररक्त धनायन आ जाता है | बिस्टि उपण्स्थबत से उत्पन्न दोष को के बवधुत उदासीनता को कायम रखने के लिये एक अशुिता दोष कहा जाता है| अबतररक्त 𝑒 − भी अंतरािी स्थान में प्रवेश कर जाते बिस्टि में अशुबियााँ बमिने की बिया र्ोबपं ग हैं| (Doping) कहिाती है| बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry (i) सं योजन पट्टी (Valence Bond):- वह पट्टी लजसकी परमालणक कक्षक पूणडता 𝑒 − से भड़े हुए हो तथा बनम्न उजाड हो, उसे सं योजक पट्टी कहा जाता है| (ii) चािन पट्टी (Conduction Bond):- वह पट्टी जो ररक्त या अपूणड भरे हुये परमालणक कक्षक के सं योजन Doping के पिात प्राप्त अशुि बिस्टि को से बनबमडत होती है तथा लजसका उजाड उच्च होता है, उसे Doped बिस्टि कहा जाता है| चािन पट्टी कहते हैं| उदहारण:- द्रबवत NaCl में SrCl2 बमलित कर (c) सं योजन पट्टी तथा चािन पट्टी एक दुसरे पर ठं र्ा करने पर Na+ site के िदिे एक site पर अबतव्यापन करते हैं या उनमें energy Gap पाया जाता sr2+ आयन उपण्स्थत होकर दुसरे स्थान पर है| लजसके आधार पर 𝑒 − का स्थांतरण सं योजन पट्टी से Vaccency उत्पन्न करता है| चािन पट्टी में होता है| अशुि दोष के दो प्रकार होते हैं:- सुचािक ((Conductor):- वह ठोस लजसमें अपूणड (i) उदासीन परमाणु अशुिता दोष (Neutral atom भड़े हुए सं योजक पट्टी चािन पट्टी से अबतप्यापन Impurities Defect) करते हैं| (ii) आयबनक अशुिता दोष (Ionic Impurities लजसके कारण 𝑒 − का स्थांतरण चािन पट्टी की और Defect) होने िगती हैं फित: बवधुत का चािन होने िगता है बिस्टि के बवधुतीय गुण अत: ऐसे बिस्टि सुचािक होते हैं| (Electrical Properties of Crystal) जैसे:- धातु, बमिधातु, उपधातु, Graphite etc. बवधुत गुण के आधार पर बिस्टि को तीन भागों में कु चािक (Insulator):- वह बिस्टि लजसमें वगीकृ त बकया गया है:- सं योजन पट्टी और चािन पट्टी के िीच उजाड gap (i) सुचािक (Conductor) िहुत अलधक होता है| लजसके कारण 𝑒 − का (ii) कु चािक (Insulator) स्थांतरण नहीं हो पाता है, अत: इसे कु चािक कहते (iii) अिडचािक (Semi-Conductor) हैं| िैंर् लसिांत के आधार पर सुचािक, एवं अिडचािक की जैसे:- हीरा, कोक, सल्फर, फौस्फोरस etc. व्याख्या की जाती है | अिडचािक (Semi-Conductor):- वह बिस्टि इस लसिांत के अनुसार, लजसमें सं योजन पट्टी और चािन पट्टी के सं योजन पट्टी (a) परमालणक कक्षक रैखीय सं योग करके आण्विक के मध्य उजाड गैप कम होता है लजससे थोड़ा िहुत कक्षक का बनमाडण करता है| 𝑒 − प्रवाबहत होने िगता है, अत: इन्हें अिडचािक No of atomic orbitals Combined = कहा जाता है| No of M.O.S Formed Note: - अिडचािक को गमड करने पर 𝑒 − के गबतज (b) लभन्न – लभन्न आण्विक कक्षक की उजाडएाँ अत्यं त उजाड में वृबि हो जाती है लजससे अिडचािक के चािकत्व सबनस्कट होते हैं जो आपस में अबतप्यापन कर पट्टी में वृबि हो जाती है| (Bond) का बनमाडण करतें हैं| उदहारण:- Si, Ge, etc. Note: - परम शून्य ताप पर अिडचािक बवधुत रोधी या कु चािक हो जाते हैं| पट्टी (Bond) दो प्रकार के होते हैं:- बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry ❖ अिडचािक दो प्रकार के होते है:- अिडचािक के उपयोग (Uses of Semi- (i) अंतबनबहडत अिडचािक (Intrinsic Semi- Conductor) Conductor) (i) n एवं p type अिडचािकों के सं योजकों का उपयोग (ii) िाह्य बनबहडत अिडचािक (Extrinsic Semi- टरांलजस्टरों के बनमाडण में बकया जाता है| यह सं योजक n-p Conductor सं गम कहिाता है| अंतबनबहडत अिडचािक:- शुि अिडचािक को (ii) Diode के बनमाडण में N - P अंतबनबहडत अिडचािक कहते हैं| (iii) Triode के बनमाडण N P N – P N P 0 K पर कु चािक होते है परन्तु गमड करने पर (iv) रेण्क्ट्फायर के बनमाडण में | अिडचािक िन जाते हैं| (v) सौर सेि के बनमाडण में| िाह्य बनबहडत अिडचािक:- अंतबनबहडत अिड चािक सौर सेि (Solar Cell) में अशुबियााँ बमिाने पर जो अिडचािक प्राप्त होता है, वह युबक्त जो सौर उजाड को बवधुत उजाड में पररवतीत कर उसे िाह्य बनबहडत अिडचािक कहते हैं| इन्हें अपद्रव्य देती हो, उसे सौर सेि कहते है| अिडचािक भी कहा जाता है| अंतबनबहडत अिड चािक में अशुबियााँ बमिाने की बिया र्ोबपं ग कहिाती है| िाह्य बनबहडत अिडचािक दो प्रकार के होते हैं:- (i) n- टाइप अिड अचािक (n-type Semi – Conductor) यह n-type और p- type अिड चािक (ii) p- टाइप अिड चािक (p-type Semi को जोड़कर तैयार बकया जाता है| ए si धातु के पतिे Conductor) चादर के रूप में होते है लजसमें अल्प मािा में Asi बमिा n- टाइप अिड अचािक (Negative Type दी जाती है जो n – type अिडचािक का बनमाडण करता Semi-Conductor):- वगड iv A के तत्व के साथ है तथा इसके शतह पर Born बमलित si धातु का परत वगड v A के तत्वों को अल्पमािा में र्ोबपंग करवाने रख बदया जाता है जो n – type अिडचािक की तरह पर जो अिड चािक का बनमाडण होता है, उसे n-type कायड करता है| इस तरह से n और p टाइप si अिडचािक कहा जाता है| अिडचािक से सं िं ध स्थाबपत हो जाता है| सूयड के प्रकाश के उपण्स्थबत में 𝑒 − n type अिडचािक से बनकिकर p-type अिडचािक के लछद्र में प्रवेश करता है| जहााँ से वे िाह्य पररपथ में बवधुतधारा के रूप में प्रवाबहत होने िगते हैं| बिस्टि के चुं िकीय गुण p- टाइप अिडचािक:- वगड iv A के तत्व के (Magnetic Properties of Crystal) साथ वगड iii A के तत्वों से र्ोबपंग करने से लजस बकसी बिस्टि के परमाणु में उपण्स्थत 𝑒 − के अिडचािक का बनमाडण होता हैं उसे p-टाइप कक्षीय गबत एवं चिण गबत के कारण जो गुण उत्पन्न अिडचािक कहा जाता है| होता है, उसे बिस्टि के चुं िकीय गुण कहते हैं | बकसी परमाणु में उपण्स्थत प्रत्येक इिेक्ट्रोन अबतसूक्ष्म चुं िक की तरह व्यवहार करते है | बिहार िोर्ड इं टर परीक्षा की िेहतरीन तैयारी के लिए आज ही YouTube पर Disha Science Classes से जुड़ें| Mob–6201320598, 7700879453 Class – 12th MANJIL BATCH Chemistry पदाथड के चुं िकीय गुणों का अध्ययन चुं िकीय इन दोनों इिेक्ट्रोन का चुिंकीय आधुणड एक दुसरे के आघूणड के आधार पर बकया जाता है| प्रभाव को बनरि कर दे ता है | चुं िकीय आधुणड की उत्पबि 𝑒 − की गबत के उदाहरण: - Nacl, TiO2, V2Os, Zn, Cd, Cu+, कारण होती है| K+, Mg2+ etc. इिेक्ट्रोन में दो प्रकार की गबत होती है| ❖ िौह चुं िकीय पदाथड: - वे पदाथड जो िाह्य चुं िकीय (i) नालभक के चारों और कक्षीय गबत (Orbital क्षेि की और प्रििता से आकबषडत होती है, उसे िौह rotation) चुं िकीय पदाथड कहते हैं| (ii) अपने कक्ष पर चिण गबत (Spin rotation) Note: - Fe, Co, Ni Note: - चुं िकीय आघूणड में 𝜇 से सूलचत बकया जाता है| ❖ प्रबत िौह चुं िकीय पदाथड:- वे पदाथड लजसमें िरािर Note: - चुं िकीय आघूणड की इकाई, िोर मैगनेइटरोन सं ख्या में अयुण्ित इिेक्ट्रोन (सम सं ख्या में) बवपररत होता है इसे 𝜇B से सूलचत बकया जाता है| बदशा में सं रेलखत होते हैं, तो उनके चुं िकीय आघूणड 𝜇 B = 9.27 × 10-24 amperemeter2 (AM)2 एक दुसरे के प्रभाव को बनरि कर देते हैं, लजसे प्रबत बकसी रासायबनक पदाथड बक चुिकीय गणना बनम्न िौह चुं िकीय पदाथड कहते हैं| सूि िारा की जाती है| उदाहरण:- Fe2O3, MnO2, NiO, V2O3, FeO, u = √𝑛 (𝑛 + 2) Bohr Magneton MnO, MnO2 n = no of unpaired electron ❖ िघु िौह चुं िकीय पदाथड:- जि अयुण्ित इिेक्ट्रोनों चुं िकीय गुणों के आधार पर बिस्टि का की असमान सं ख्या बवपररत बदशा ऍम सं रेलखत रहती वगीकरण है बकन्तु पररणामी चुं िकीय आघूणड शून्य नहीं होता हैं, 1. अनुचिकीय ुं Paramagnetic ऐसे पदाथड फे री चुं िकीय पदाथड कहिाते है| 2. प्रबतचुं िकीय Diamagnetic उदाहरण:- Fe3O4, MgfeO4, Znfe2O4, etc. 3. िौह चुं िकीय Perm magnetic अबिस्टिीय :- वह ठोस लजसका अवयव?

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