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13.-पेपर-3-भाग-4-आपदा-प्रबंधन-एवं-आतंरिक-सुरक्षा-1.pdf

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UPSC – CSE सिविल िेिा परीक्षा िंघ लोक िेिा आयोग िामान्य अध्ययन पेपर 3 – भाग – 4 आपदा प्रबंधन एवं आं िररक सुरक्षा IAS पेपर - 3 भाग - 4 आपदा प्रबंधन...

UPSC – CSE सिविल िेिा परीक्षा िंघ लोक िेिा आयोग िामान्य अध्ययन पेपर 3 – भाग – 4 आपदा प्रबंधन एवं आं िररक सुरक्षा IAS पेपर - 3 भाग - 4 आपदा प्रबंधन Page S.No. Chapter Name No. 1. आपदा के मूलभू त तत्व 1  संकट 1  खतरा 1  आपदा 1  भेद्यता 2  जोखखम 3 2. आपदा प्रबंधन 5  आपदा प्रबं धन की आवश्यकता 5  आपदा प्रबं धन चक्र 5  आपदा प्रबं धन में वववभन्न अवभनेताओं की भूवमका 7  आपदा प्रबं धन में प्रौद्योविकी की भूवमका 11 3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग 15  आपदा जोखखम न्यूनीकरण पर ववश्व सम्मेलन 15  योकोहामा, जापान, 1994 में प्राकृवतक आपदाओं पर प्रथम ववश्व सम्मेलन 15  कोबे में आपदा न्यूनीकरण पर वितीय ववश्व सम्मेलन, 2005 15  सेंडाई में 2015 आपदा जोखखम न्यूनीकरण (डब्ल्यूसीडीआरआर) पर तीसरा संयुक्त राष्ट्र ववश्व 15 सम्मेलन  आपदा जोखखम न्यूनीकरण के वलए संयुक्त राष्ट्र कायाा लय (UNDRR / UNISDR) 16  आपदा जोखखम न्यूनीकरण पर वैवश्वक आकलन ररपोटा (जीएआर) 17  वैवश्वक आपदा न्यूनीकरण और खथथवत बहाली समूह (GFDRR) 17  एवियाई आपदा न्यूनीकरण केंद्र (एडीआरसी) 17  एवियाई आपदा प्रबं ध केंद्र (एडीपीसी) 17  क्षेत्रीय एकीकृत बहु-खतरा पू वा चेतावनी प्रणाली (RIMES) 18  अं तरराष्ट्रीय पररचालनात्मक समुद्र ववज्ञान प्रविक्षण केंद्र (ITCOocean) 18  साका आपदा प्रबं धन केंद्र 19  आपदा जोखखम से संबंवधत सतत ववकास लक्ष्य (एसडीजी) 19  पे ररस जलवायु समझौता 19  आपदा जोखखम न्यूनीकरण पर एवियाई मंवत्रस्तरीय सम्मेलन 19  आपदा जोखखम न्यूनीकरण के वलए वैवश्वक मंच 19  मानवीय राहत मामलों में समन्वय के वलए संयुक्त राष्ट्र कायाालय(UNOCHA) 19 4. भारत में आपदा प्रबंधन 20  भारत में आपदा प्रबं धन की आवश्यकता 20  भारत में आपदा प्रबं धन का इवतहास 20  राष्ट्रीय स्तर पर संथथाित ढां चा 20  राज्य स्तर पर संथथाित ढां चा 20  वजला और थथानीय स्तर के अवधकारी 24  आपदा प्रबं धन के वलए ववत्तीय संथथान 24  राष्ट्रीय नीवतयां और पहल 26  आपदा प्रवतरोधी बु वनयादी ढां चा 28  भारत में समुदाय आधाररत आपदा जोखखम प्रबं धन (CBDRM) 32  ववकलां िता समावेिी आपदा जोखखम न्यूनीकरण 32  आपदाएं और जानवर 36 5. भारत में प्राकृततक आपदाएं 38  भारत: सुभेद्यता प्रोफाइल 38  भूकंप 39  भूस्खलन 43  वहमस्खलन 46  ग्लेवियल लेक आउटबर्स्ा फ्लड 47  सुनामी 48  चक्रवाती तूफान 50  टोनेडो / बवंडर 56  थन्डर् -र्स्ॉमा/ तव़ित-झंझा 57  वहमझंझावत 57  ओला-वृवष्ट् 58  आकािीय वबजली/ तव़ित/ िाज 58  बाढ़ 59  सूखा 66  दावानल 77  ग्रीष्म लहर 81 6. भारत में मानव तनतमित आपदाएं 85  रासायवनक आपदा 85  परमाणु आपदा 89  जैववक आपदा 92  तेल ररसाव 97  पररवहन दु र्ाटनाएं 98  यु द्ध और सिस्त्र संर्र्ा प्रे ररत आपदाएं 102 7. प्रमुख आपदाएं 103 आं तररक सुरक्षा Page S.No. Chapter Name No. 1. सु रक्षा 106  राष्ट्रीय सुरक्षा 106  खतरों के प्रकार 106  सुरक्षा के वलए वैवश्वक चुनौवतयां 106  िै र-पारं पररक सुरक्षा मुद्दे 106  बाह्य राज्य और िै र-राज्य अवभकतााओं की भूवमका 108  आं तररक सुरक्षा 109 2. भारतीय सीमाएँ और उनका प्रबंधन 114  सीमा प्रबं धन 114  सीमा अवसंरचना 117  केंद्रीय सिस्त्र पु वलस बलों (CAPFs) को पु वलवसंि िखक्त 119  भारत की प्रमुख सीमाएँ 120 3. तटीय और समुद्री सु रक्षा 126  तटीय सुरक्षा 126  मौजूदा संरचना में मुद्दे 127  मौजूदा संरचना में अं तराल को भरने के तरीके 127  समुद्री सुरक्षा 127  खुवफया एजेंवसयां 128  अनुसंधान और ववकास संिठन 128  तटीय सुरक्षा संरचना 129  इलेक्ट्रॉवनक वनिरानी 129  समुद्री सुरक्षा के वलए सरकार की पहल 129 4. आतंकवाद 131  आतंकवाद के साधन 131  आतंकवाद का विीकरण 131  आतंकवाद के प्रकार 132  आतंकवाद के कारण 133  भारत में आतंकवाद 133  आतंकवाद के वलए ववत्तपोर्ण 135  आतंकवाद के ववत्तपोर्ण पर अंकुि लिाने के वलए सरकार के कदम 136  आतंकवाद का मुकाबला करने के वलए सरकार की पहल 137 5. वामपंथी उग्रवाद 141  नक्सलबा़िी र्टना 141  वामपं थी उग्रवाद का ववकास 141  नक्सली आं दोलन की रणनीवत 141  नक्सवलयों का राजनीवतक संिठन 142  वामपं थी उग्रवाद के कारण 142  वामपं थी उग्रवाद का प्रभाव 143  वामपं थी उग्रवाद से वनपटने में समस्याएं 144  पू वी भारत में उग्रवाद के कारण 145  उत्तर पू वा भारत में उग्रवाद के कारण 145  दवक्षण भारत में उग्रवाद के कारण 145  उग्रवाद से वनपटने के उपाय 145 6. उत्तर पूवि में उग्रवाद 147  संर्र्ों की श्रेवणयाँ 147  उग्रवाद का मूल कारण 147  उत्तर पू वा की ऐवतहावसक पृ ष्ठभूवम 147  उत्तर पू वा में िां वत बनाए रखने का महत्व 148  चरमपं थ के मामले में पू वोत्तर राज्यों की खथथवत 148  पू वोत्तर में प्रमुख उग्रवादी समूह 143  सरकारी पहलें 155  संवैधावनक प्रावधान 155  पू वोत्तर क्षेत्र के ववकास के वलए उठाए िए कदम/योजनाएं 155 7. जम्मू-कश्मीर में तवद्रोह 158  इवतहास 158  छद्म यु द्ध और कश्मीर 158  कश्मीर और मानवावधकार 159  कश्मीर में आतंकवाद के खखलाफ रणनीवत में बदलाव 159  सरकारी पहलें 159  कश्मीर की वतामान खथथवत 159 8. सं गतित अपराध 160  संिवठत अपराधों के प्रकार 160  भारतीय राज्यों में संिवठत अपराध की पै ठ 162  सरकारी पहल 162  वनयं त्रण उपायों को अपनाने में समस्याएं 162 9. कट्टरतावाद 164  कट्टरतावाद के पीछे कारक 164  कट्टरतावाद के रूप 164  कट्टरतावाद से वनपटने के वलए कदम 164  हावलया ववकास 165  वडवजटल कट्टरतावाद 165 10. सांप्रदातयकता और सांप्रदातयक तहंसा 166  समस्या की प्रकृवत 166  संवैधावनक और कानूनी प्रावधान 166  सां प्रदावयक वहं सा पै दा करने वाले कारक 167  िासन के मुद्दे 168  सां प्रदावयक वहं सा से वनपटने के उपाय 168  भारत में सां प्रदावयक वहं सा की प्रमुख र्टनाएं 170  सां प्रदावयक वहं सा का प्रभाव 170  सरकारी पहलें 170 11. भारत में क्षेत्रवाद 171  भारत में क्षेत्रीय आं दोलनों का इवतहास 171  क्षेत्रीय आं दोलनों के प्रकार 172  क्षेत्रवाद के ववकास के पीछे कारण 172  क्षेत्रवाद का प्रभाव 172  क्षेत्रवाद बनाम राष्ट्रवाद 172  क्षेत्रवाद से वनपटने के सुझाव 172 12. साइबर सु रक्षा 174  साइबरस्पेस का महत्व 174  भारत में साइबर सुरक्षा 174  साइबर हमलों के पीछे की मंिा 174  साइबर हमलों के प्रकार 175  साइबर सुरक्षा के र्टक 176  साइबर सुरक्षा की आवश्यकता 176  अवतसंवेदनिील सूचना अवसंरचना (सीआईआई) 176  साइबर आतंकवाद 176  आतंकवादी िारा साइबर स्पेस का उपयोि 177  भारत की साइबर सुरक्षा को मजबू त करने के वलए सरकारी पहल 177  साइबर सुरक्षा के वलए अं तराा ष्ट्रीय पहल 179  भारत में साइबर सुरक्षा के वलए चुनौवतयां 179  डे टा सुरक्षा 180  5जी और साइबर सुरक्षा 181  आवटा वफवियल इं टेवलजेंस और साइबर सुरक्षा 181 13. आं तररक सु रक्षा में मीतिया और सोशल नेटवतकिंग साइट्स 182  भारत में मीवडया की भूवमका 182  सोिल मीवडया की वविेर्ताएं 183  सोिल मीवडया के आयाम 183  राष्ट्रीय सुरक्षा पर सोिल मीवडया के प्रभाव 183  आं तररक सुरक्षा को सोिल मीवडया से खतरा 183  मीवडया/सोिल मीवडया के कारण हावलया आं तररक सुरक्षा संकट 183  सरकारी पहलें 184  सोिल मीवडया के वनयमन की आवश्यकता 184  सोिल मीवडया के वनयमन के मुद्दे 184  पु वलवसंि में सोिल मीवडया का प्रयोि 184 14. धन शोधन 186  प्रवक्रया 186  मनी लॉखन्डरंि में इस्ते माल की जाने वाली तकनीक 186  मनी लॉखन्डरंि के प्रभाव 187  सरकारी पहलें 187  वैवश्वक पहल 188 15. पुतलस सु धार 189  संिठनात्मक संरचना 189  पु वलस का ववकास 189  पु वलस के काया 189  पु वलस के संबंध में केंद्र और राज्यों की वजम्मेदारी 189  पु वलस िारा सामना की जाने वाली समस्याएं 189  मौजूदा पु वलस कायाप्रणाली में मुद्दे 190  पु वलस सुधार 190  स्माटा पु वलवसंि 191 –– 1 आपदा के मूलभू ि ित् CHAPTER संकट  क्षति का एक सं भातवि स्रोि।  पदािा, घटनाएँ , या परिस्थितियाँ खिरा पैदा कर सकिे  एक अस्थिर या सं कटकालीन समय या स्थिति तिसमें एक हैं , यतद उनकी प्रकृति (चाहे सै द्धां तिक रूप से ही ) स्वास्थ्य, तनर्ाा यक पररविा न, तवशेष रूप से एक अत्यतिक अवां छनीय पररर्ाम की तवतशष्ट सं भावना के साि, आसन्न है । िीवन, सम्पति, या तकसी अन्य तहि को नुकसान पहँ चाने  परिभाषा - “ एक प्राकृतिक या मानवीय गतितवति से की है । उत्पन्न होने वाली एक आपाि स्थिति जो मानव जीवन आपदा औि सम्पति के तलए खििा पैदा कि सकिी है या सामान्य जीवन में बडे पैमाने पर व्यविान पैदा कि  संयुक्त िाष्ट्र आपदा जोस्खम न्यू नीकिण कायाा लय सकिी है ” I (UNISDR) आपदा को इस प्रकार पररभातषि करिा है :  सं कट को तनम्नानुसार वगीकृि तकया िा सकिा है :  "एक समु दाय या समाज के कामकाज में एक गं भीि 1. प्राकृतिक बलों द्वािा उत्पन्न - व्यविान तिसमें व्यापक मानव, सामग्री, आतिाक या o जलवायु घटनाएँ : चक्रवाि और िूफान (समुद्री क्षरर् से िुडे), बाढ़ और सू खा पयाा विणीय क्षतिऔर प्रभाव शातमल हैं , िो प्रभातवि o भूवैज्ञातनक घटनाएँ : भूकम्प, सुनामी, भूस्खलन समु दाय या समाि की अपने संसािनों का उपयोग किने और तहमस्खलन की क्षमिा से अतिक है ।" 2. पयाा विण के क्षिण और पाररस्थितिक सं िुलन की  UNISDR परिभाषा आपदा के िीन महत्पू णा घटक गडबडी द्वािा उत्पन्न, प्रदान कििी है : 3. औद्योतगक और परमार्ु दु र्ाटनाओं और अति से o पहला , लोगों के िीवन में गं भीर व्यविान या सं बंतिि दु घाटनाओं द्वािा उत्पन्न; असामान्यिा होनी चातहए; 4. जैतवक गतितवतियों द्वािा उत्पन्न: सावा ितनक स्वास्थ्य o दू सिा, समुदाय अपने आप पररर्ामों से नही ं तनपट सं कट, महामारी आतद; सकिा और; 5. शत्रु ित्ों द्वािा उत्पन्न: यु द्ध, आिं कवाद, उग्रवाद, तवद्रोह आतद; o अंि में , र्टना के पररर्ामों का सामना एक 'समुदाय' 6. सं चार प्रर्ाली, हडिाल आतद सतहि प्रमुख यानी लोगों के एक समूह को करना चातहए। अवसंिचनाओं सुतविाओं के तवघटन/तवफलिा  भािि के आपदा प्रबं िन अतितनयम में "आपदा", इस द्वािा उत्पन्न; प्रकाि परिभातषि तकया ‘‘आपदा महातवनाश, कोई 7. भीड़ के अतनयंतत्रि होने से उत्पन्न दु घाटना, कोई गंभीि घटना, तजसमें िमाम जानें जाए, मनुष्ों को यािनाए सहनी पडे , उनकी सम्पति को क्षति खििा पहचें पयाा विण तबगड़े औि लोगो या समु दाय के सामान्य  एक खििनाक स्थिति या घटना िो जीवन को या सम्पति काया कलापों में बािा पड़े । या पयाा विण को क्षति पहुँ चािी है या पहँ चाने की संभावना िखिी है । आपदा औि खििे के बीच अंिि आपदा खििा परिभाषा एक ऐसी र्टना िो ज्यादािर मामलों में अचानक/अप्रत्यातशि रूप से खिरा एक ऐसी स्थिति है तिसमें र्तटि होिी है और प्रभातवि क्षे त्ों में िीवन के सामान्य काया प्रर्ाली को चोट/िान की हातन या सम्पति /पयाा वरर् बातिि करिी है । इसके पररर्ामस्वरूप िीवन, सम्पति या पयाा वरर् को नुकसान पहुँ चने की सं भावना होिी की हातन या क्षति होिी है । यह नुकसान थिानीय प्रभातवि है । आबादी/समाि की सहने की क्षमिा से परे है और इसतलए इससे बाहरी मदद की आवश्यकिा होिी है । 1 घटना अतिक आबादी वाले क्षे त्ों में कम िनसं ख्या वाले क्षे त्ों में िीव्रिा गं भीर पररर्ाम और अतिक तवनाशकारी तकसी आपदा की िु लना में खिरे की गं भीरिा कम होिी है - कम गं भीर पररर्ाम। परिहाि रोका िा सकिा है I अपररहाया हो सकिा है I समानिाएँ दोनों अप्रत्यातशि रूप से बहि कम या तबना तकसी चेिावनी के आिे हैं , नकारात्मक प्रभाव पैदा करिे हैं , और इनके स्खलाफ ित्काल प्रतितक्रया की आवश्यकिा होिी है । आपदाओं का वगीकिण  तवकतसि होने में ज्यादा लम्बा समय लेिा हैं ।  पूवा चेिावनी प्रर्ाली द्वारा भतवष्यवार्ी की िा  उत्पति के अनुसाि - सकिी है । o प्राकृतिक आपदा -  उदाहरर् - िलवायु पररविा न, ग्लोबल वातमिंग,  आकस्िक पाररस्थितिक व्यविान या खिरा सू खा, मरुथिलीकरर्, मृदा क्षरर् आतद।  प्रभातवि समुदाय की समायोिन क्षमिा से अतिक o िीव्र गति से प्रािं भ होने वाली आपदा आपदाएँ : गं भीर होिी है और इनसे तनपटने के तलए बाहरी  पूवा चेिावतनयों के तबना अचानक प्रारम्भ । सहायिा की आवश्यकिा होिी है।  उदाहरर् - आग, आकस्िक बाढ़, बादल  प्राकृतिक आपदाओं को मोटे िौर पर तनम्न श्रेतर्यों फटना, ज्वालामुखी तवस्फोट, भू कम्प आतद। में वगीकृि तकया िा सकिा है :  भू भौतिकीय – भू कम्प और ज्वालामुखी सु भेद्यिा/दु बालिा तवस्फोट;  इसका अिा है (एक प्रर्ाली या एक इकाई की) प्रतिकूल  िल सं बंिी - बाढ़; वािाविण के प्रभावों का सामना किने में असमिा िा ।  मौसम सं बंिी - िू फान;  यह आपदा के कािण हए नुकसान को झेलने के तलए  िलवायु सं बंिी – ग्रीष्म और शीि लहरें और लोगों की सीमा को दशाा िा है । सू खा; ििा  UNISDR के अनु साि सु भेद्यिा "तवतभन्न भौतिक,  िैतवक - महामारी। सामातिक, आतिाक और पयाा वरर्ीय कारकों से उत्पन्न होने o मानव तनतमा ि आपदाएँ - वाली प्रचतलि या पररर्ामी स्थितियों का एक समूह है , िो  इसमें खिरनाक सामग्री का ररसाव , आग, भू िल आपदा के प्रभाव के तवरुद्ध एक समुदाय की सं वेदनशीलिा प्रदु षर्, पररवहन दु र्ाटनाएुँ , सं रचना तवफलिाएुँ , को बढ़ािी है । खनन दु र्ाटनाएुँ , तवस्फोट और आिं कवाद आतद  वतिाि सु भेद्यिा के तलए तजम्मेदाि कािक शातमल हो सकिे हैं । o प्राकृतिक कािक: भू -िलवायु स्थितियां ,  प्रभावों के अनु साि – लर्ु या प्रमुख थिलाकृतिक तवशेषिाएुँ  समय के आिाि पि: o मानव-प्रेरिि कािक: िनसं ख्या वृ स्द्ध, शहरीकरर्, o िीमी गति से प्रािं भ होने वाली आपदाएँ : औद्योगीकरर्, गै र वै ज्ञातनक तवकास प्रिाएुँ सुभेद्यिा के प्रकाि: भौतिक सुभेद्यिा सामातजक सुभेद्यिा आतिाक सुभेद्यिा पयाा विणीय सुभेद्यिा अिा भौतिक पयाा वरर् पर समाि, तवशेष रूप से आतिाक सम्पतियों और िीवमंडल पर सं भातवि सं भातवि प्रभाव कमिोर वगों पर प्रतक्रयाओं पर संभातवि प्रभाव सं भातवि प्रभाव प्रभाव प्रत्यक्ष नुकसान अवसं रचना क्षति मौिें और चोटें आतिाक गतितवतियाुँ अवसादन और रोिगार का नुकसान बातिि प्रदू षर् बे र्र,मतहलाओं, उत्पादक मानव पूंिी पाररस्थितिक क्षे त्ों बच्ों, बु िुगों और की हातन का तवनाश तदव्यां गिनों को राहि पहं चाने के तलए अतिक िोस्खम आतिाक बोझ 2 अप्रत्यक्ष नु कसान मरम्मि और रखरखाव रोग फैलाना महं गाई, बे रोिगारी िैव तवतवििा को के अभाव में क्षतिग्रस्त थिायी तवकलां गिा और गरीबी में वृ स्द्ध नुकसान अवसं रचना की हातन सामातिक एकिा का तनवे श में कमी क्षरर् से वा क्षे त् की गतितवतियों में कमी बीमा क्षे त् बोतझल "खििा" और "जोस्खम" शब्द अक्सर एक-दू सिे के थिान पि जोस्खम उपयोग तकए िािे हैं । हालां तक, जोस्खम मू ल्ां कन के संदभा में , ये दो बहि अलग शब्द हैं । खििा एक ऐसा र्टक है िो मनुष्ों, सम्पति या पयाा विण को नुकसान या क्षति पहुँ चा सकिा है । जोस्खम यह संभावना है तक तकसी खििे के सम्पका में आने से नकािात्मक परिणाम होगा। िोस्खम "एक तवतशष्ट् समय अवति में तकसी क्षेत्र में होने वाली एक खििनाक घटना के कािण अपेतक्षि नुकसान का माप है । िोस्खम एक तवशे ष खिरनाक र्टना की सं भावना और प्रत्ये क के कारर् होने वाली हातनयों का एक माप है ।" 3 जोस्खम = खििा * सुभेद्यिा * सामना किने की क्षमिा परिणामस्वरूप बाढ़ आई, तिससे 14 राज्यों में िब खििों की आवृति या गंभीरिा बढ़िी है , लोगों की 1800 लोगो की मृत्यु हई; 1.8 तमतलयन लोग सुभेद्यिा बढ़िी है , और लोगों की सामना करने की क्षमिा तवथिातपि हए हए और लगभग 10 तबतलयन डोलर कम हो िािी है , िब आपदा का िोस्खम बढ़ िािा है । का नुकसान हआI यहाुँ सामना करने की क्षमिा का अिा है लोगों, सं गठनों और दे श में 2019 में आठ उष्णकतटबं िीय चक्रवाि प्रर्ातलयों की क्षमिा, उपलब्ध कौशल और सं सािनों का आए ; सबसे खिरनाक: "चक्रवाि फनी" तिसने 28 उपयोग करना, प्रतिकूल पररस्थितियों, िोस्खम या तमतलयन लोगों को प्रभातवि तकया, 8.1 तबतलयन आपदाओं का प्रबं िन करना। अमेररकी डॉलर का आतिाक नुकसान तलयाI वैतिक जलवायु जोस्खम सूचकां क, 2021 वैतिक जोस्खम रिपोटा , 2021 जमा नवाच द्वािा प्रतिवषा िारी तकया िािा है तवि आतिाक मं च (WEF) द्वािा िारी की गईI मौसम से संबंतिि नुकसान की र्टनाओं (िू फान, उद्दे श्य: 2021 और अगले दशक में COVID-19 बाढ़, गमी की लहरों आतद) के प्रभावों की गंभीििा महामारी के कारर् बढ़िी असमानिाओं और बढ़िे का तवश्ले षण कििा है । सामातिक तवर्टन के िोस्खमों और पररर्ामों को मृ त्यु औि चिम जलवायु घटनाओं के प्रभाव के उिागर करना। संदभा में पररर्ात्मक तवश्लेषर् करिा हैं I चल रही जलवायु नीति वािााओ,ं तवशेष रूप से रिपोटा की मु ख्य तवशेषिाएँ अंििाा ष्ट्रीय जलवायु वािाा ओ ं को प्रासंतगक बनाने कोतवड-19 का प्रभाव: भारी िात्कातलक मानवीय का उद्दे श्य से I और आतिाक लागि, बढ़िी वै तिक गरीबी और चाि संकेिक: मरने वालों की संख्या, प्रति 100000 असमानिा, सामातिक एकिा और वै तिक सहयोग तनवातसयों पर मृत्यु, पीपीपी में पूर्ा नुकसान और प्रति में कमीI सकल र्रे लू उत्पाद इकाई में नुकसान जलवायु संबंिी तचंिाएँ : ररपोटा ने इन खिरों को रिपोटा के मु ख्य तबन्दु मानविा के तलए एक सं भातवि खिरे के रूप में 2019 में सबसे अतिक प्रभातवि दे श: मोजास्म्बक, वतर्ा ि तकया है । तजम्बाब्वे और बहामास बढ़िा तडतजटल अंििाल: त्वररि तडतिटलीकरर् 2000 औि 2019 के बीच सबसे अतिक प्रभातवि के पररर्ामस्वरूप व्यस्ियों और दे शों के बीच दे श: प्यूटो ररको, म्ां मार और हैिी तडतिटल अंिर बढ़ रहा है और मौिूदा असमानिाएं 2000 औि 2019 के बीच नुकसान: दु तनया भर में , ध्रु वीकरर् और तनयामक अतनतिििाएुँ बढ़ रही है । 11000 चरम िलवायु र्टनाएुँ हईं; 475000 लोगों ने व्यवसायों पि िीव्र दबाव: व्यवसाय अंिमुाखी अपनी िान गं वाई और लगभग 2.56 तटि तलयन राष्टिीय एिेंडा, बढ़िा बािार केन्द्रीकरर्, और अमेररकी डॉलर का (क्रय शस्ि दरों में) आतिाक िनसम्बति तनगरानी और अस्थिरिा आतद की विह नुकसान हआ से बढ़िे दबाव में हैं । िूफान औि चक्रवाि 2019 में नुकसान के प्रमु ख तसफारिशें कािणों में से एक िे। दस सबसे अतिक प्रभातवि जोस्खम प्रभावों के बािे में समग्र और तसस्टम- दे शों में से छह उष्णकतटबं िीय चक्रवािों से प्रभातवि आिाररि दृतष्ट्कोण वाला तवश्लेषर्ात्मक ढाुँ चा हए िे। िै यार करना। जलवायु परिविान औि चिम जलवायु घटनाएँ िाष्ट्रीय नेिृत् और अंििाा ष्ट्रीय सहयोग को उन दे शों के तलए सबसे अतिक सं कट का कारर् प्रोत्सातहि किने के तलए हाई-प्रोफाइल िोस्खम बनिी हैं िो तवकासशील हैं और तिनकी झेलने की प्रतियोतगिाओं में तनवे श करना। क्षमिा कम है । सबसे अतिक प्रभातवि दस में से जोस्खम संचाि में सुिाि और गलि सू चनाओं के आठ तनम्न से तनम्न-मध्यम आय वगा के हैं I प्रसार को रोकना I जोस्खम प्रबं िन के तलए सावाजतनक-तनजी रिपोटा पि भािि की स्थिति भागीदािी के नए प्रारूपों की खोि करना। भािि 16.67 के सीआरआई (CRI) स्कोर के साि सािवें थिान पि है । 2019 में, मानसू न की तवस्तारिि अवति के 4 –– 2 आपदा प्रबं धन CHAPTER आपदा प्रबं धन आपदा प्रबं धन चि आपदा प्रबं धन को योजना बनाने, सं गठित करने, समन्वय करने और उपायों को लागू करने की एक एकीकृत प्रठिया के रूप में पररभाठित ककया गया है जो कनम्न के किए आवश्यक हैं - 1. ककसी भी आपदा की घटना को रोकना I 2. ककसी भी आपदा या उसके पररणामों के जोखिम को कम करना I 3. ककसी भी आपदा का सामना करने का प्रबं ध I आपदा प्रबंधन चि 4. आपदा से ठनपटने में तत्परता I 5. ककसी भी आपदा की गंभीरता का आकलन I आपदा प्रबं धन के किए व्यापक दृठिकोण में प्रभावी प्रठतठिया 6. अपनाए गए बचाव और राहत उपाय I और पुनराखि क्षमताओं को सु ठनठित करते हुए जोखिम में कमी और सामु दाठयक प्रठतरोध क्षमता में वृखि के बीच 7. प्रभाठवत आबादी और अवसंरचना ढााँ चे का पु नवाा स और संतुलन सुठनठित करने के किए रोकथाम, तैयारी, शमन, पुनठनामाा ण I प्रठतठिया और पुनराखि शाकमि है । आपदा प्रबंधन की आवश्यकता  इं स्टीट्यू ट फॉर इकोनॉठमक्स एं ड पीस के अनुसार आपदाओं की संख्या 1960 में 39 घटनाओं से बढ़कर 2019 में 396 हो गई।  प्राकृठतक आपदाओं से होने वािी क्षठत को सं बोकित करने की िागत 1980 के दशक में प्रठत विा अमे ररकी 50 ठबठलयन से बढ़कर ठपछले दशक में अमे ररकी 200 ठबठलयन प्रठत विा हो गई है ।  ठवश्व मौसम ठवज्ञान सं गिन (WMO) के मौसम के अनुसार, ठपछले 50 विों में औसतन हर ठदन जलवायु या जल आपदाएाँ आई हैं – कजस वजह से 115 िोगों की मौत हुई है और रोजाना 202 ठमठलयन अमे ररकी डॉलर का नुकसान हुआ है ।  गरीबों पर अठधक प्रभाव : ठवश्व बैं क की आपदा जोखिम प्रबं धन ररपोटा के अनुसार, प्राकृठतक ितरों के कारण होने वािी सभी मौतों में से 95% से अठधक मौतें ठवकठसत दे शों की तुलना में ठवकासशील दे शों में 20 गुना अठधक (जीडीपी के प्रकतशत के रूप में) होती हैं । 5 ठनवारण तत्परता शमन प्रठतठिया स्वास्थ्य लाभ उद्दे श्य  यह सुकनकित करना कक मानवीय ठिया या  प्रभावी राहत के किए एक सुरठक्षत  आपदा के जोखिम को कम करने या  यह आपदा के बाद लागू की गई  आपदा प्रभाठवत समुदायों की प्राकृठतक घटनाएाँ आपदा या आपात वातावरण के भीतर कठमायों, धन, समाप्त करने के ठलए दीघाकाठलक गठतठवठधयों का एक समूह है ताकक सुठवधाओं, आजीकवका और खथथठत में पररवठतात न हों उपकरणों और आपूठता की संगठित उपाय सुकनकित करता है। जरूरतों का आकिन ककया जा सके, कष्ों रहन-सहन की दशाओं को गठतशीलता सुठनठित करता है। को कम ककया जा सके, आपदा के प्रसार आपदा पूवा स्तरों पर पुनथथााठपत  ितरे या सुभेद्यता को दू र करके जोखिम और दु ष्पररणामों को सीकमत ककया जा करना और सुधारना। को कम करता है, टालता है और जोखिम से  प्रभावों को कम करने के किए आपदा सके, पुनवाास का रास्ता खोिा जा सके। बचाता हैI की खथथठत आने से पहले क्षमता का ठनमााण करता है। गठतठवठधयााँ  जोखिम को पहचानना  बुठनयादी सामान्य सेवाओं से संबंठधत  कपछिे अनुभवों और ज्ञान के आधार  त्वररत आवश्यकता मूल्ांकन  राहत: क्षकत और हाकन आकिन; डे टाबेस तैयार करना I पर काया करना I कमजोर वगों की जरूरतों को  जोखिम का मूल्ांकन  संसाधन जुटाना एकीकृत करना; स्वास्थ्य और  समुदाय और कायाान्वयन एजेंठसयों की  िाद्य भंडार, आपातकालीन  गैर सरकारी संगिनों, नागररक  संवेदनशील समूहों सकहत पीक़ितों की अन्य सामाकजक सेवाओं को आरठक्षत ठनठध, बीज भंडार, स्वास्थ्य समाज, सरकारी संगिनों, आकद जैसे क्षमता ठनमााण प्रठतठियात्मक ठनकासी, खोज और पुनर्स्ााकपत करना I सुठवधाएं , चेतावनी प्रणाली, प्रचािन अन्य कारकों के साथ समुदाय को बचाव सुकनकित करता है  प्रारं ठभक चेतावनी (EW) जो सभी तक तंत्र बुठनयादी ढााँच,े राहत मैनुअल संगठित करना I  नि और क्षठतग्रस्त आवास का पहूँचती है और पररयोजनाओं सकहत प्रभावी  भोजन, स्वास्थ्य दे िभाल, आश्रय, पानी पुनठनामााण; बुकनयादी ढाूँचे, पानी,  ठवकास योजनाओं की तैयारी, और स्वच्छता, ठशक्षा और गैर-िाद्य  जन जागरूकता आकखिक योजना सुकनकित करता व्यापक जन जागरूकता, सुदृढ़ स्वच्छता और संचार की बहािी है। पदाथा प्रदान करते समय प्रभाकवत आबादी  समावेशी आपदा जोखिम प्रबंधन संथथागत तंत्र और अंतराािरीय की जरूरतों की पहचान सकहत  पुनवाास: आय पैदा करने वािे अकिकनयम और नीठत तैयार करनाI सहयोग। कायाक्रमों और रोजगार आपातकािीन सहायता योजनाओं तक पहुंचे सुकनकित  कमजोर समूहों के किए सुरठक्षत थथान करके आजीकवका पुनर्स्ाापन, सुठनठित करता हैI संपकि और अन्य महत्वपूणा दस्तावेजों का पुनर्स्ाापन । 6 आपदा प्रबंधन में ठवठभन्न कारकों की भूठमका o राहत और कमी ठनवारक रणनीठतयों की अवठध के दौरान आपदाओं के पररणामों को कम करने के तरीके समुदाय के बारे में लोगों को ठशठक्षत कर सकते हैं I  यह ितरों के प्रठत उनकी संवेदनशीलता का आकलन o मनोवैज्ञाठनक सहायता प्रदान कर सकते हैं । करने के किए समुदायों की क्षमता के ठनमाा ण के किए और उदाहरण आपदा से बचे िोगों के किए परामशा। ितरों के प्रभाव को रोकने और कम करने के किए o आपदाओं के बाद पररवार के पुनठमा लन के ठलए आवश्यक रणनीठतयों और संसाधनों को ठवकठसत करने लोगों को टर ै क कर सकते हैं । और इसकी शुरुआत के बाद प्रठतठिया, पुनवाा स और o चेतावनी संकेतों के प्रसार के किए पारस्पररक संचार पुनठनामाा ण के किए एक दृठिकोण है I का उपयोग कर सकते हैं ।  ऊर्ध्ा गामी दृठिकोण o थथानीय रसद, संसाधन और समन्वय योजनाओं से  समु दाय को आपदा प्रबं धन में सठिय होने और रणनीठत पररठचत करा सकते हैं । ठवकठसत करने में मदद करता है I o हाठशए पर खथथत नागररक जो कवर्स्ाकपत हो गए हैं या जो िौट आए हैं िेककन घकटया पररक्तर्स्कतयों में रह रहे  1995 के महान हं ठसन अवाजी भूकम्प ने कोबे शहर और हैं की जरूरतों को बढ़ावा दे सकते हैं । जापान के ह्योगो प्रान्त के अन्य कहस्ों में तबाही मचाई, कजससे जान-माि का गं भीर नुकसान हुआ। सामु दाठयक ठवश्व आपदा ररपोटा , 2004 प्रयासों से 85 % लोगों को बचाया गया।  इसका केन्द्रीय ठविय 'ठबखडं ग कम्युठनटी  सामु दाठयक भागीदारी के तत्व: र्स्ानीय िोगों द्वारा रे ठजठलएशन' ्ा। भागीदारी,सशक्तिकरण और स्वाकमत्व  समु दाय ठसफाररशें o आपदाओं के बारे में जन जागरूकता बढ़ा सकते हैं ।  लोगों को घरे लू और सामु दाठयक स्तर पर जोखिमों o आपदा प्रबं धन और ठवकास गठतठवठधयों का और प्रठतकूलताओं से ठनपटने, उनसे उबरने और समन्वय बढा सकते हैं । उनके अनु कूल होने में सक्षम बनाने के किए व्यवखथथत o सामाठजक, आठथाक और पयाा वरणीय स्तरों पर मू ल्ां कन की अत्यकिक आवश्यकता है । सामु दाठयक क्षमता का कनमाा ण कर सकते हैं ।  सामाठजक पूंजी को मजबू त करना राहत, वसूली या जोखिम में कमी का प्राथठमक उद्दे श्य होना चाकहए। 7  ठवकास के किए जन-केखन्द्रत दृठिकोण 5. ठलं ग-संवेदी सीबीडीआरएम- कजन समाजों में मकहिाओं की सामाकजक-आक्ाक क्तर्स्कत कमजोर होती है , वहाूँ  बहु-आयामी जोखिमों का सामना करने के किए प्राकृकतक आपदाएूँ पुरुषों की तुिना में अकिक मकहिाओं थथानीय आजीठवका के अनुकूलन को बढावा दे ने के को और कम उम्र में मारती हैं । इसका कारण यह है कक किए नई सं र्स्ागत रणनीकतयाूँ और िॉस-सेक्टरल सामान्य तौर पर मठहलाओं की अवसरों तक असमान गिबं धन। पहुाँ च होती है और जोखिमों के प्रठत असमान अनावृठि  समु दायों के ठवकास के किए सु शासन आवश्यक है । होती है , कजससे वे प्राकृठतक आपदाओं के प्रठत अठधक संवेदनशील हो जाती हैं । इस संबंि में कई कदम उठाए समुदाय आधाररत आपदा प्रबन्धन में शाठमल जा सकते हैं - कदम  ठलं ग-समावेशी तत्वों जैसे कक किंग-समावे शी 1. सामु दाठयक तैयारी- उपलब्ध संसाधनों के सा् उनकी जोक्तखम मूल्ां कन और सु भेद्यता और क्षमता अभेद्यताओं को कम करने के किए अपने पारं पररक कवश्लेषण और जोक्तखम मानकचत्र कवककसत करने में ठनवारण तंत्र के सा् समु दाय की भागीदारी जो बहु- मकहिाओं की भागीदारी के किए िक्ष्य, आकद को आयामी ठवकास हस्तक्षेपों और एक आत्मठनभा र शाकमि करने की आवश्यकता है । आपदा- अभेद्य समु दाय का नेतृत्व करती है ।  थथानीय आपदा जोखिम प्रबंधन सठमठतयों में ठनम्नठलखित कदम उठाए जा सकते हैं - मकहिाओं की 40% भागीदारी सु कनकित करना I  समु दाय आधाररत आपदा प्रबं धन योजना  आपदा से ठनपटने की रणनीठतयों पर कौशल- (सीबीडीपी) तै यार की जाती है जहां समुदाय आपदा ठनमाा ण जो आपदा के समय में मकहिाओं और के दौरान सामाकजक-आक्ाक नुकसान को रोकने के ि़िककयों को सु कविा प्रदान करे गा। किए फैसिा ककया जाता है ।  संचार साधनों का उपयोग करते हुए एक किंग- सं वेदनशीि प्रारं कभक चेतावनी प्रणािी जो पुरुषों और  चेतावनी कमिने पर समु दाय के सदस्ों के बीच मकहिाओं दोनों के किए आसानी से समझी जा सकती ठजम्मेदाररयों पर ठवचार-ठवमशा ठकया जाता हैं । है , उपयोग की जा सकती है और सु िभ है ।  उठचत प्रठशक्षण कदया जा सकता है ।  मठहलाओं और पुरुिों दोनों को शाठमल करते हुए  एक समु दाय के पास ठनवारक और तै यारी के कनयकमत अभ्यास आयोकजत ककया जाना चाकहए । उपाय होने से आपदाओं से होने वािे नुकसान को  यह सुठनठित करना ठक आपदा सहायता प्राि काफी हद तक कम ककया जा सकता है । करने के ठलए मठहलाओं और लड़ठकयों के पास पहचान पत्र और बैं क िाते जैसे प्रासंठगक 2. सामु दाठयक सशखिकरण - सामुदाकयक क्षमता कनमाा ण दस्तावेज हों। जहााँ लक्ष्य और रणनीठतयााँ , सं साधन तय ककए जाते हैं  समु दाय की मठहलाओं को उनके औजारों और और उनकी ठनगरानी समु दाय द्वारा ही की जाती है । आजीठवका के स्रोतों की रक्षा करने में सहायता सामु दाठयक सशखिकरण के किए आपदा जोखिम की करने के किए सू क्ष्म बीमा नीकतयों का आयोजन करके ठनगरानी के किए जोखिम मू ल्ां कन, शमन योजना, मकहिा सं गठनों का सम्ान करना। क्षमता ठनमाा ण, कायाा न्वयन में भागीदारी और एक 6. समावेशी दृठिकोण- शारीररक और मानठसक रूप से प्रणाली के ठवकास में उनकी भागीदारी की आवश्यकता ठवकलां ग और सामाठजक रूप से वं कचत समूहों की कवशेष होती है । जरूरतों पर आपदा की क्तर्स्कत के बाद ध्यान केंठित करने 3. समय और संसाधन बजट - समु दाय के भीतर उपलब्ध थथानीय संसाधनों का ठवश्ले िण करने के किए संसाधन की आवश्यकता है । सूची तैयार करने की आवश्यकता होती है । वांठछत मीठडया पररणाम प्राि करने के किए एक अच्छी तरह से तैयार समयरे िा का पालन करने की आवश्यकता होती है । आपदा - पूवा 4. अठभसरण- रािरीय और राज्य स्तर पर लागू सरकारी  आपदा जोखिम मु द्दों को प्राथठमकता दे ने के किए योजनाओं और काया िमों का अठभसरण समुदायों को सरकार को प्रभाकवत कर सकता है । सशि बनाता है । अकभसरण के मानक मं चों को औपचाररक रूप से बनाए जाने की आवश्यकता है और  यह आपदा न्यू नीकरण ठवशे िज्ञों को पूवा चेतावनी इसमें सामुदाकयक सं घटन और जागरूकता पैदा करने जैसे प्रणाली बनाने में मदद कर सकता है । दे श भर में टीवी, सामान्य घटक होने चाकहए और र्स्ानीय और सां स्कृकतक रे कडयो, केबि से वाओं का उपयोग करते हुए आपातकािीन रूप से उपयु ि भागीदारी पद्धकतयों को तैयार करना अिटा बहुत प्रभावी हो सकते हैं । चाकहए। 8  समु दाय को लक्षणों की पहचान करने और पाए जाने पर मीठडया के नकारात्मक प्रभाव जल्दी ररपोटा करने के ठलए ठशठक्षत करना।  मीठडया आपदा के कुछ तत्वों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर  िोगों को उनके ितरनाक कायों और संचालन के सकता है और अनावश्यक दहशत पैदा कर सकता है । पररणामों के बारे में पूवा चेतावनी दे कर जोखिम कम  सनसनीिे ज उद्दे श्यों के किए अधूरा या अनुठचत कवरे ज करने में समु दाय का सहयोग सुठनठित करना। केवि तबाही की छोटी घटनाओं को कवर करने के ठलए गलत सूचनाओं की ओर जाता है । आपदा के दौरान  प्रभाठवत क्षेत्र में जबरदस्त "भीड़" पैदा कर सकता है ।  प्रभाठवत क्षेत्रों और इच्छु क लोगों के किए समयोठचत  महत्वपूणा अठभयानों का लाइव कवरे ज बिों की सूचना प्रसाररत करना। आतं कवाद कवरोिी रणनीकत को बाकित कर सकता है , जैसा  प्रभाठवत क्षेत्रों से समयोठचत आकड़ें प्राप्त करना। कक मुंबई 26/11 के हमिों में दे खा गया ्ा।  तत्काल राहत प्रयासों को संगठित और समखन्वत करना; ठनजी क्षेत्र सहायता और राहत के सा् प्रभाकवतों तक पहुूँ चने में अकिकाररयों, स्वयं सेवी सं गठनों और स्वयं सेवकों की  अंतरक्षेत्रीय सहयोग आपदा जोखिम न्यू नीकरण के किए सहायता करना। सेंडाई फ्रेमवका 2015-2030 का ठहस्सा है । o ठवशािापिनम में आए हुदहुद चिवात के दौरान,  यह ढां चा सरकार के ने तृत्व, ठवठनयमन और समन्वय पीडब्ल्यू डी अकिकाररयों ने एक व्हाट् सएप ग्रु प बनाया की भूठमका ठनभाने की ठजम्मे दारी की वकालत करता जो सू चना साझा करने के किए सं चार के मु ख्य है , जबकक सावाजठनक और ठनजी क्षेत्रों और नागररक उपकरण के रूप में काम करता ्ा। समाज को सहयोग करना चाकहए और सहयोग के  क्या करें और क्या न करें के बारे में प्रभाठवत लोगों को अवसर पैदा करने चाकहए, और व्यवसायों के प्रबं धन सावधान करना, अफवाहों को दू र करना और घबराहट प्रथाओं में आपदा जोखिमों को एकीकृत करना चाकहए। और भ्रम को रोकना।  व्यवसाय समु दाय में नवीन सामाठजक ठनवेश में मू ल् o उदाहरण, कई व्यक्तियों और संगठनों ने 2015 में बनाने में मदद कर सकते हैं । चेन्नई बाढ के बारे में महत्वपूणा जानकारी (हे ल्पिाइन  सावाजठनक-ठनजी भागीदारी आपदा प्रबं िन की फोन नंबर, टर े न समय साररणी, राहत सामग्री, मौसम प्रभावशीिता और दक्षता को बढाती है । पूवाा नुमान, आकद) दे ने के किए किटर का उपयोग  आपदाओं के कारण लगने वाले ठविीय झटकों के ककया। ठवरुि सरकारों को प्रकतरक्षा प्रदान करता है ।  जरूरतमं द थथानों की पहचान करना और उन पर ध्यान  बे हतर पालन और पारदठशाता द्वारा सु शासन सु कनकित करना, सं कट के दौरान योजना और जवाबदे ही पर जोर दे ने केखन्द्रत करना, अगम्य सड़कों और नष् हुई यूठटठलटी के सा् बे हतर पररणाम। लाइनों का ठववरण दे ना।  जान-माल के नु कसान को कम करने के किए आवश्यक कदम उठाने के किए अठग्रम रूप से सूचना का संचार करना।  यह बाहरी दु ठनया को एक झलक प्रदान करता है कक प्रभाठवत समु दाय ककस कवपकि से , कैसे कनपट रहा है । आपदा के बाद  लोगों से मदद के ठलए आगे आने की अपील करके भौठतक संसाधनों का संग्रह और मानव-शखि को सूचीबि करना।  पुनराखि गठतठवठधयों का अनु कूलन करना।  सहायता, पहचान, अनुदान सं चयन आकद के प्रभावी और िकक्षत ठवतरण सु कनकित करना।  प्रभाकवतों को उनके करीबी लोगों के साथ संपका थथाठपत करने में मदद करना  कुछ असामाठजक तत्वों पर नजर रखना और ररपोटा करना जो ऐसी क्तर्स्कतयों का फायदा उठाने की कोकशश करते हैं 9 आपदा प्रबं धन में सावा जठनक-ठनजी भागीदारी आपदा प्रबंधन में पीपीपी की चुनौठतयााँ चुनौठतयों समाधान मुटिा समझ का अभाव जैसे ही भागीदारी चैनिों को पूवा-कनिाा ररत ककया जाता है , आवश्यकताओं को कनकदा ष् करने के किए ताकक जब और जहां आवश्यकता हो, अपेक्षाओं को पूरा ककया जा सके। पारदकशाता और कजम्मेदारी परस्पर कवरोिी सं देशों से बचने के किए सं चार रणनीकतयों पर सहमत होना जो साझे दारी की वैिता से का अभाव समझौता कर सकते हैं । प्रकतबद्धता स्तर सगाई के कनयमों को कवककसत करने के किए जो पहिे से जरूरतों को पररभाकषत करते हैं और जो गठबंिन द्वारा पूरा ककया जा सकता है , सा् में प्रोटोकॉि और कदशाकनदे शों के सा् से वा स्तर पर समझौते तक पहुं चने और कवकभन्न स्तरों और चरणों की अपेक्षाओं को स्पष् करने के किए. भू कमका और कजम्मेदाररयां कौशि में सु िार के किए क्षे त्रों का कनिाा रण करना और प

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