12th Physics Top 25 VVI Long Questions PDF
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This document contains past physics exam questions for 12th grade, specifically long questions. It includes various topics, potential answers provided by KKG CLASSES.
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KKG CLASSES By Kundan sir Kkg Classes By Kundan sir Official APP Downoald= Click Here Class 12th Physics Top 25 VVI long Question with Answer Kkg classes Bykundan sir Class 12th physics || भौतिकी Top 25 VVI long question with Answer PDF/Notes के तिए 9117823062 1-: यौतिक परावैद्युि वािे समाांिर प्िेट सांधाररत्र की धाररिा का व्यांजक प्राप्त करें । Obtain an expression for the capacitance of a parallel plate capacitor with compound dielectric. [BSEB,1990-95-2000-10-17] हम जानिे हैं तक जब प्िेटों के बीच हवा या तनवााि रहिा है िो सांधाररि की धाररिा होिा We know that when there is air or vacuum between the plates, the capacitance of the capacitor will be 𝐀𝛆 C= 𝐝 माना तक दोनों प्िेटों के मध्य की दूरी (d) है यतद t मोटाई वािा कोई परावैद्युि रख तदया जाए िो सांधाररि की धाररिा ज्ञाि करना है Let the distance between the two plates be (d), if a dielectric of thickness t is placed, then the capacitance of the capacitor is to be determined. जब प्िेटों के बीच परावैद्यि ु नहीं हो िो तवद्युि क्षेत्र होि (When there is no dielectric between the plates, the electric field will be) 𝝈 𝑬𝟏 = 𝜺𝟎 𝒒 But, 𝝈 = 𝑨 𝒒 𝑬𝟏 = 𝑨𝜺 ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊) 𝟎 जब प्िेटों के बीच परावैद्यि ु हो िो तवद्युि क्षेत्र होिा । (When there is a dielectric between the plates, the electric field will be) 𝑬𝟏 𝑬𝟐 = 𝑲𝒒 𝑬𝟐 = ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊𝒊) 𝑨𝜺𝟎 𝑲 𝑬𝟏 के कारण तवभव(Potential due to 𝑬𝟏 ) 𝑽𝟏 = 𝑬𝟏 (𝒅 − 𝒕) 𝒒 𝑽𝟏 = (𝒅 − 𝒕) 𝑨𝜺𝟎 𝑬𝟐 के कारण तवभव(Potential due to 𝑬𝟐 ) 𝑽𝟐 = 𝑬𝟐 𝒕 𝒒𝒕 𝑽𝟐 = 𝑨𝜺𝟎 𝒌 प्िेटो के बीच कुि तवभव(Total potential between the plates) 𝑽 = 𝑽 𝟏 + 𝑽𝟏 𝒒(𝒅 − 𝒕) 𝒒𝒕 𝑽= + 𝑨𝜺𝟎 𝑨𝜺𝟎 𝒌 अब सांधाररत्र की धाररिा (Now the capacitance of the capacitor) 𝒒 𝑪𝟏 = 𝑽 𝒒 𝑪𝟏 = 𝒒(𝒅−𝒕) 𝒒𝒕 𝑨𝜺𝟎 + 𝑨𝜺 𝒌 𝟎 𝒒 𝑪𝟏 = 𝒒 𝒕 𝑨𝜺 {(𝒅 − 𝒕) + 𝒌} 𝟎 𝑨𝜺𝟎 𝑪𝟏 = 𝒕 {(𝒅 − 𝒕) + } 𝒌 YouTube @kkgclasses PDF=9117823062 www.kkgclasses.com 2. तवद्युि तिध्रुव के कारण तकसी तबांदु पर तवद्युि तवभव का व्यांजक प्राप्त करें । [BSEB,2003-9-19-21 Derive an expression for the electric potential at a point due to an electric dipole. [JAC,2009] माना तक AB एक तवद्युि तिध्रुव है तजसकी दरू ी 2a है उसके मध्य तबांदु O से r दरू ी पर एक तबांदु P तथिि है तजस पर तवद्युि तवभव ज्ञाि करना है। Let AB be an electric dipole whose distance is 2a. A point P is located at a distance r from its middle point O, at which the electric potential is to be determined. +q आवेश के कारण तबांदु p पर तवभव(Potential at point p due to charge +q) 𝟏 𝒒 𝑽𝟏 = 𝟒𝝅𝜺 𝒓 ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊) 𝟎 𝟏 -q आवेश के कारण तबांदु p पर तवभव(Potential at point p due to charge -q) 𝟏 (−𝒒) 𝑽𝟐 = ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊𝒊) 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝒓𝟐 तबांदु P पर कुि तवभव(Total potential at point p) 𝑽 = 𝑽 𝟏 + 𝑽𝟐 𝟏 𝒒 𝟏 (−𝒒) 𝑽= + 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝒓𝟏 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝒓𝟐 𝒒 𝟏 𝟏 𝑽= ( − ) ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊𝒊𝒊) 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝒓𝟏 𝒓𝟐 अब रे खा OP को OM िक बढाने पर ( Now on extending the line OP to OM ) भुजा PM पर AM और BN िांब डािा(AM and BN perpendicular to the side PM) समकोण ∆ AMO में (in right angle ∆ AMO) 𝑴𝑶 𝐜𝐨𝐬 𝜽 = 𝑨𝑶 𝑴𝑶 = 𝐀𝐎. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 चुकीं-: 𝑨𝑷 = 𝑴𝑷 𝒓𝟏 = 𝑴𝑶 + 𝑶𝑷 𝒓𝟏 = 𝐀𝐎. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 + 𝒓 𝒓𝟏 = 𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 + 𝒓 समकोण ∆ BNO में (in right angle ∆ BNO) 𝑵𝑶 𝐜𝐨𝐬 𝜽 = 𝑩𝑶 𝑵𝑶 = 𝐁𝐎. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 चुकीं-: 𝑩𝑷 = 𝑵𝑷 𝒓𝟐 = 𝑷𝑶 − 𝑶𝑵 𝒓𝟐 = 𝐫 − 𝐁𝐎. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 𝒓𝟐 = 𝐫 − 𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 समीकरण (iii) में 𝒓𝟏 और 𝒓𝟐 का मान रखने पर [Substituting the values of 𝒓𝟏 and 𝒓𝟐 in equation (iii)] 𝒒 𝟏 𝟏 𝑽= ( − ) 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 + 𝒓 𝐫 − 𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 𝒒 (𝐫 − 𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽) − (𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 + 𝒓) 𝑽= ( ) 𝟒𝝅𝜺𝟎 (𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 + 𝒓)(𝐫 − 𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽) 𝒒 𝐫 − 𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 − 𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 − 𝒓 𝑽= ( ) 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝒓𝟐 − 𝒂𝟐 𝒄𝒐𝒔𝟐 𝜽 𝒒 −𝟐𝐚. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 𝑽= ( 𝟐 ) 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝒓 − 𝒂𝟐 𝒄𝒐𝒔𝟐 𝜽 𝒓 ≪≪≪ 𝒂 𝟏 −𝟐𝐚𝐪. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 𝑽= ( ) 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝒓𝟐 𝒃𝒖𝒕, 𝒑 = 𝟐𝒂𝒒 𝟏 −𝐩. 𝐜𝐨𝐬 𝜽 𝑽= ( ) 𝟒𝝅𝜺𝟎 𝒓𝟐 YouTube @kkgclasses PDF=9117823062 www.kkgclasses.com 3-: बायो सेवटा का तनयम (biot severt's law) [BSEB,1993-2001-9-12-15] Ans-: इस तनयम का उपयोि तकसी धारावातहक कांु डिी के तकसी तबांदु पर चुब ां कीय क्षेत्र ज्ञाि करने के तिए तकया जािा है This law is used to find the magnetic field at any point in a series coil. माना तक एक कांु डिी है तजसके मध्य तबांदु से 'r' दूरी पर कोई तबांदु 'p' है जहाां चुबां कीय क्षेत्र ज्ञाि करना है ििा इससे धारा 'I' प्रवातहि हो रही है Let there be a coil in which there is a point 'p' at a distance 'r' from the middle point where the magnetic field is to be found and the current 'I' is flowing through it. अब कांु डिी के छोटे से अलपाांस पर तवचार तकया जाए तजसकी िांबाई 'dl' है || Now consider the small span of the coil whose length is 'dl' बायो सेवटा का तनयम से (Form biot severt's law) 𝒅𝑩 ∝ 𝑰 ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊) 𝒅𝑩 ∝ 𝒅𝒍 ∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊𝒊) 𝒅𝑩 ∝ 𝜽 ∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊𝒊𝒊) 𝟏 𝒅𝑩 ∝ 𝟐 ∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝒊𝒗) 𝒓 Form equestion (i),(ii),(iii) & (iv) 𝑰𝒅𝒍𝑺𝒊𝒏𝜽 𝒅𝑩 ∝ 𝒓𝟐 𝑰𝒅𝒍𝑺𝒊𝒏𝜽 𝒅𝑩 = 𝒌 𝒓𝟐 𝝁𝒐 𝒃𝒖𝒕 , 𝒌 = , (जह ां 𝒌 सम नुप ती ननयत ांक है) 𝟒𝝅 𝝁𝒐 𝑰𝒅𝒍𝑺𝒊𝒏𝜽 𝒅𝑩 = 𝟒𝝅 𝒓𝟐 4-: चि कांु डिी िैलवेनोमीटर के तसद्ाांि एवां तियातवतध को समझाएां || Explain the principle and working of moving coil galvanometer. [BSEB,1985-92-97-99-2009][JAC,2007-9] * िैलवेनोमीटर(Galvanometer)-: िैलवेनोमीटर एक ऐसी युति है तजसका उपयोि तकसी चािक से प्रवातहि अलप धारा को मापने के तिए तकया जािा है। Galvanometer is a device which is used to measure the small current flowing through a conductor. * तसद्ाांि(Principle)-: जब तकसी धारावातहक कांु डिी को चुांबकीय क्षेत्र में रखा जािा है िो उस पर एक बि आघूणा तियाशीि हो जािा है । When a serial coil is placed in a magnetic field, a moment of force acts on it. * बनावट(Construction)-: इसमें अधािु के फ्रेम पर िपेटी हु ई एक कांु डिी होिी है कांु डिी को चुांबकीय के दो ध्रुवों के बीच िटकाया रहिा है ििा एक नमा िोहा के टुकडे को कांु डिी के फ्रेमों के मध्य रखा जािा है It consists of a coil wound on a non-metallic frame, the coil is suspended between two poles of a magnet and a piece of soft iron is placed between the frames of the coil. * काया(Work)-: हम जानिे हैं तक जब तकसी धारावातहक कांु डिी को चुांबकीय क्षेत्र रखा जािा है िो उस पर एक बि आघूणा उत्पन्न हो जािा है We know that when a magnetic field is placed in a series coil, a torque is produced on it. τ =NAIB sinθ N = कांु डिी में फेरों की सांख्या ( number of turns in the coil ) A = कांु डिी का क्षेत्रफि ( area of the coil ) I = कांु डिी में प्रवातहि धारा ( current flowing in the coil ) B = कांु डिी के िि के अभीिांबवि ििा चुब ां कीय क्षेत्र के बीच का कोण ( perpendicular to the plane of the coil and magnetic the angle between the sphere) i.e (θ = 90°) τ = NAIB जैसी कांु डिी से धारा प्रवातहि होिी है िो कांु डिी में तवक्षेप उत्पन्न होिी है िो िार में ऐ ांठन उत्पन्न होने िििी है और उसमें प्रत्यानयन बि उत्पन्न हो जािा है यतद िार के एकाांक ऐ ांठन में उत्पन्न प्रत्यानयन बि का मान (k) और तवक्षेप (φ) हो िो आवश्यक प्रत्यानयन बि का मान होिा As the current flows through the coil, then deflection occurs in the coil, then the wire starts to twitch and the restoring force is generated in it. Then the value of the restoring force required will be τ = Kφ YouTube @kkgclasses PDF=9117823062 www.kkgclasses.com अब साम्य अवथिा के तिए (Now for equilibrium) NAIB = Kφ 𝐊𝛗 I = 𝐍𝐀𝐁 I = Gφ जहााँ G = k/NAB तजसे धारामापी तनयिाांक कहिे हैं || where G = k/NAB which is called galvanometer constant 5. प्रतिचुब ां कीय , अणुचुांबकीय ििा िैहचुब ां कीय पदािा में अांिर Difference between diamagnetic, paramagnetic and Ferro-magnetic material [BSEB,1997-2014-21 * प्रतिचुबां कीय पदािा (Diamagnetic * अणुचब ुां कीय पदािा (paramagnetic * िैहचुब ां कीय पदािा (Ferro-magnetic material) material) material) (i) इसका चुब ां कीय प्रवृति अलप ििा (i) इसका चुब ां कीय प्रवृति अलप ििा (i) इसका चुब ां कीय प्रवृति बहु ि अतधक ििा ऋणात्मक होिा है। धणात्मक होिा है। धणात्मक होिा है। (ii) इसका चुांबकतशििा μ1 (ii) इसका चुांबकतशििा μ>>>>1 (iii) इन पदािों की चुब ां कीय प्रवृति िाप पर (iii) इन पदािों की चुब ां कीय प्रवृति परम (iii) क्यूरी िाप के ऊपर ये पदािा तनभार नहीं रहिी। िाप के व्युत्िमानुपािी होिी है अनुचुांबकीय पदािा की भाांति व्यवहार करिे (iv) इसका उदाहरण-: सोना, चाांदी, पानी (iv) इसका उदाहरण-: Al, O, Mn हैं। (iv) इसका उदाहरण-: Fe,Co,Ni (i) Its magnetic susceptibility is small and (i) Its magnetic susceptibility is small and (i) Its magnetic susceptibility is very high negative. positive. and positive. (ii) its magnetostriction μ1 (ii) Its magnetoresistance μ>>>>1 (iii) The magnetic tendency of these (iii) The magnetic susceptibility of these (iii) Above the Curie temperature, these substances does not depend on substances is inversely proportional to the substances behave like paramagnetic temperature. absolute temperature substances. (iv) Example-: gold, silver, water (iv) Example-: Al, O, Mn (iv) Example: Fe, Co, Ni 6-: तवद्युि फ्िक्स का पररभातिि करें | िौस की प्रमेय तिखें एवां तसद् करें ? (Define electric flux. Write and prove Gauss's theorem?) [BSEB,1985-89-92-94-96-97-99-2002-9-12-15-22][JAC,2007-9] * तवद्युि फ्िक्स-: तवद्युि क्षेत्र में रखे तकसी सिह से िुजरने वािी कुि तवद्युिीय बि रे खाओ ां की सांख्या तवद्युि फ्िक्स कहिािा है * Electric flux-: The total number of electric field lines passing through a surface placed in an electric field is called electric flux. φ = EAcosθ * तवद्युि फ्िक्स एक अतदश रातश है। * Electric flux is a scalar quantity. * तवद्युि फ्िक्स का SI मात्रक Nm²C-¹ होिा है * The SI unit of electric flux is Nm²C-¹ * तवद्युि फ्िक्स की वीमा [ML³T-³I-¹ ] * Dimension of electric flux [ML³T-³I-¹ ] Q. िॉस का तनयम-: इस तनयम के अनुसार तकसी बांद पृष्ठ से िुजरने वािी कुि तवद्युि फ्िक्स उसके अांदर उपतथिि आवेशों का 1/६० िुना होिा है Q. Gauss's law-: According to this law, the total electric flux passing through a closed surface is 1/६० times of the charges present inside it. माना तक r तत्रज्या वािा एक िोिा है तजसके अांदर आवेश उपतथिि है। Let r be a sphere of radius r inside which charge is present. िॉस का तनयम से (from Gauss's law) 𝒒 𝚽= 𝜺. * प्रमातणि-: माना तक r तत्रज्या वािा एक िोिा है। तजसके अांदर q आवेश उपतथिि है अांदर * Proof-: Let r be a sphere of radius. inside which charge q is present inside 𝒒 𝚽 = 𝜺. माना की िोिे के बाहर तबांदु p तथिि है p पर q आवेश के कारण तवद्युि क्षेत्र की िीव्रिा होिा Let the point p lie outside the sphere, the intensity of the electric field due to charge q at p will be 𝟏 𝐪 𝐄= ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝐢) 𝟒𝛑𝛆𝐨 𝐫 𝟐 अब सिह के अलप सूक्ष्म आवेश पर तवचार तकया जाए तजसका क्षेत्रफि सतदश ds और तवद्युि क्षेत्र E है िो तवद्युि फ्िक्स होिा Now consider a small surface charge with area vector ds and electric field E, then the electric flux will be YouTube @kkgclasses PDF=9117823062 www.kkgclasses.com 𝐝𝚽 = 𝐄. 𝐝𝐒 = 𝐄𝐝𝐬 𝐜𝐨𝐬 𝛉 𝐁𝐮𝐭 , 𝛉 = 𝟗𝟎° 𝐝𝚽 = 𝐄𝐝𝐒 कुि तवद्युिीय फ्िेक्स होिा || the total electrical flex will be ∫ 𝐝𝚽 = ∫ 𝐄𝐝𝐒 𝚽 = 𝑬 ∫ 𝐝𝐒 𝚽 = 𝐄(𝟒𝛑𝐫 𝟐 ) 𝟏 𝐪 𝚽= (𝟒𝛑𝐫 𝟐 ) 𝟒𝛑𝛆𝐨 𝐫 𝟐 𝒒 𝚽= 𝜺. 7-: वृिाकार धारावातह कांु डिी के केंद्र पर चुांबकीय क्षेत्र की िीव्रिा || Magnetic field intensity at the center of the circular current carrying coil [BSEB,2012] मान तिया तक r तत्रज्या वािे वृिाकार कांु डिी पर तवचार तकया जाए तजससे धारा प्रवातहि हो रही है। ििा कांु डिी के केंद्र O पर चुब ां कीय क्षेत्र ज्ञाि करना है I Let us consider a circular coil of radius r through which I current is flowing. And to find the magnetic field at the center O of the coil. हम जानिे हैं तक कांु डिी के छोटे अलपाांस के तिए चुांबकीय क्षेत्र का मान होिा है We know that for small amplitudes of the coil, the value of the magnetic field is 𝛍𝟎 𝐈𝐝𝐥𝐒𝐢𝐧𝛉 𝐝𝐁 = 𝟒𝛑 𝐫 𝟐 𝐛𝐮𝐭, 𝛉 = 𝟗𝟎𝐨 𝛍𝟎 𝐈𝐝𝐥 𝐝𝐁 = 𝟒𝛑 𝐫 𝟐 सांपूणा कांु डिी में चुम्बकीय क्षेत्र का मान(The value of the magnetic field in the whole coil) 𝛍𝟎 𝐈𝐝𝐥 ∫ 𝐝𝐁 = ∫ 𝟒𝛑 𝐫 𝟐 𝛍𝟎 𝐈 𝐁= ∫ 𝐝𝐥 𝟒𝛑 𝐫 𝟐 𝐛𝐮𝐭, ∫ 𝐝𝐥 = 𝟐𝛑𝐫 𝛍𝟎 𝐈 𝐁= (𝟐𝛑𝐫) 𝟒𝛑 𝐫 𝟐 𝛍𝟎 𝐈 𝐁= 𝟐𝐫 8. वान डी ग्राफ जतनत्र (Van de Graaff generator) [BSEB,2011] Ans-: वान डी ग्राफ जतनत्र उच्च तथिर तवद्युि वोलटिा जतनत्र है जो कुछ तमतियन वोलट को आपूतिा कर सकिे हैं इससे रॉबटा जेतमसन वान डी ग्राफ के िारा 1931 में तडजाइन तकया िया िा The Van de Graff generator is a high-static electrical voltage generator designed by Robert Jameson Van de Graff in 1931 that can supply a few million volts. * उदेश(Purpose) इस जतनत्र के तडजाइन करने का मुख्य उद्देश्य उच्च कोतट के तवभव को ( 6 से 8 तमतियन वोलट) उत्पादन करना िा The main purpose of designing this generator was to produce a high degree of potential (6 to 8 million volts) * तसद्ाांि (Principle) वान डी ग्राफ जतनत्र इस तसद्ाांि पर काया करिा है तक तकसी िोिीय कोश के बहरी सिह पर बहुि अतधक आवेश को थिातपि कर उसके तवभव को बहुि अत्यातधक बनाया जा सकिा है । The Van de Graaff generator works on the principle that the potential of a spherical shell can be made very high by placing a large charge on its outer surface. YouTube @kkgclasses PDF=9117823062 www.kkgclasses.com * बनावट(Texture) इसमें कुछ मीटर तत्रज्या वािे चािक पदािा से बना हुआ एक िोतियाां कोश होिा है तजसे तवद्युि रोधी थटेन पर तचत्रनुसार रखा जािा है कुचािक पदािा से बना हुआ एक बेलट होिा है जो दो तघरनी p1 ििा p2 पर िति करिा है बेलट को तवद्युि मोटर के िारा िति कराया जािा है इसमें एक थप्रे कांघी C1 होिी है तजसे उच्च वोलटिा तदष्ट धारा से जोड तदया जािा है जो भुतिि रहिा है ििा सांग्राहक कांघी C2 बेलट की ओर उन्मुख होिी है । It consists of a spherical shell made of conducting material of radius few meters which is placed on an insulating stand as shown in figure. There is a belt made of non-conducting material which drives two pulleys p1 and p2. The belt is driven by an electric motor. It consists of a spray comb C1 which is connected to high voltage direct current which remains grounded and the collecting comb C2 is oriented towards the belt. * काया (Working) थप्रे कांघी C1 को उच्च धनात्मक तवभव से जोड तदया जािा है जो बेलट पर धनावेश की बौछार करिा है तजससे बेलट धनावेतशि हो जािा है चुकीं बेलट ऊपर की ओर िति करिा है इसतिए यह धनावेश को ऊपर िे जािी है बेलट िारा प्रेरण के कारण सांग्राहक कांघी C2 के दाांिो पर ऋणावेश उपतथिि हो जािा है पररणाम थवरूप िोिीय कोश के बाहरी सिह पर धनावेश एकत्र होने िििी है इस प्रकार ििािार िति कराकर िोिीय कोि के बाहरी सिह पर बहु ि अत्यतधक धनावेश को एकत्र करके उच्च तवभव को प्राप्त तकया जािा है The spray comb C1 is connected to high positive potential which showers positive charge on the belt which makes the belt positively charged. The belt moves up so it carries the positive charge up to the collector comb C2 due to induction by the belt. negative charge is present on the teeth, as a result, positive charge starts collecting on the outer surface of the spherical shell, in this way, high potential is achieved by collecting a lot of positive charge on the outer surface of the spherical shell by continuous movement. 9. प्रत्याविी धारा के विा माध्य मूि मान के तिए व्यांजक प्राप्त करें || Derive the expression for the square mean root value of alternating current [BSEB,2021-11] हम जानिे हैं तक dt समय में तकसी चािक में उत्पन्न ऊष्मा का मान तदया जािा है We know that the value of heat generated in a conductor in time dt is given by 𝐝𝐇 = 𝐈 𝟐 𝐑𝐝𝐭 But-; 𝐈 = 𝐈𝐨 𝐬𝐢𝐧𝛚𝐭 𝐝𝐇 = 𝐈𝐨 𝟐 𝐬𝐢𝐧𝟐 𝛚𝐭 𝐑𝐝𝐭 अांि: प्रत्याविी धारा के पूरे चि में उत्पन्न ऊष्मा heat generated in a complete cycle of alternating current ∫ 𝐝𝐇 = ∫ 𝐈𝐨 𝟐 𝐬𝐢𝐧𝟐 𝛚𝐭 𝐑𝐝𝐭 𝐇 = 𝐈𝐨 𝟐 𝐑 ∫ 𝐬𝐢𝐧𝟐 𝛚𝐭 𝐝𝐭 𝐓 𝐇 = 𝐈𝐨 𝟐 𝐑 ∫ 𝐬𝐢𝐧𝟐 𝛚𝐭 𝐝𝐭 𝟎 𝐓 𝟏 − 𝐜𝐨𝐬𝟐𝛚𝐭 𝐇 = 𝐈𝐨 𝟐 𝐑 ∫ 𝐝𝐭 𝟎 𝟐 𝐈𝐨 𝟐 𝐑 𝐓 𝐇= ∫ 𝟏 − 𝐜𝐨𝐬𝟐𝛚𝐭 𝐝𝐭 𝟐 𝟎 𝐈𝐨 𝟐 𝐑 𝐓 𝐓 𝐇= 𝟐 [∫𝟎 𝟏 𝐝𝐭 - ∫𝟎 𝐜𝐨𝐬𝟐𝛚𝐭 𝐝𝐭] 𝐈𝐨 𝟐 𝐑 𝐬𝐢𝐧𝟐𝛚𝐭 𝐓 𝐇= {[𝐭]𝐓𝟎 − [ ] } 𝟐 𝟐𝛚 𝟎 𝟐 𝐈𝐨 𝐑 𝐬𝐢𝐧𝟐𝛚𝐓 𝐇= {𝐓 − [ − 𝟎]} 𝟐 𝟐𝛚 𝟐 𝐈𝐨 𝐑 𝐬𝐢𝐧𝟐𝛚𝐓 𝐇= {𝐓 − } 𝟐 𝟐𝛚 𝟐𝛑 𝐈𝐨 𝟐 𝐑 𝐬𝐢𝐧𝟐 𝐓 𝐓 𝐇= {𝐓 − } 𝟐 𝟐𝛚 𝟐 𝐈𝐨 𝐑 𝐬𝐢𝐧𝟒𝛑 𝐇= {𝐓 − } 𝟐 𝟐𝛚 𝐈𝐨 𝟐 𝐑 𝐇= {𝐓 − 𝟎} 𝟐 YouTube @kkgclasses PDF=9117823062 www.kkgclasses.com 𝐈 𝟐 𝐑𝐓 𝐇 = 𝐨𝟐 …………(i) अांि: प्रत्याविी धारा के 𝐈𝐫𝐦𝐬 में उत्पन्न ऊष्मा Heat generated in 𝐈𝐫𝐦𝐬 of alternating current. 𝐇 = 𝐈 𝟐 𝐫𝐦𝐬 𝐑𝐓 …………(ii) Form equestion (i) & (ii) 𝐈𝐨 𝟐 𝐑𝐓. 𝟐 = 𝐈 𝟐 𝐫𝐦𝐬 𝐑𝐓 𝐈𝐨 𝟐. 𝟐 = 𝐈 𝟐 𝐫𝐦𝐬 𝐈𝐨 𝟐 𝐈𝐫𝐦𝐬. = √ 𝟐 𝐈𝐨 𝐈𝐫𝐦𝐬. = √𝟐 10. ट्ाांसफामार क्या है? [BSEB,2014-19-22] Ans- ट्ाांसफामार एक ऐसी युति है तजसकी सहायिा से उच्च धारा की तनम्न प्रत्याविी वॉलटिा को तनम्न धारा की उच्च प्रत्याविी वॉलटिा में ििा तनम्न धारा के उच्च प्रत्याविी वॉलटिा को उच्च धारा की तनम्न प्रत्याविी वॉलटिा में पररवतिाि तकया जािा है। Q. What is transformer? Ans- Transformer is such a device with the help of which the low alternating voltage of high current is converted into high alternating voltage of low current and the high alternating voltage of low current is converted into low alternating voltage of high current. * तसद्ाांि -: ट्ाांसफामार अन्योन्य प्रेरण के तसद्ाांि पर काया करिा है अिााि जब तकसी कांु डिी से प्रत्याविी धारा प्रवातहि होिी है िो उसके नजदीक रखी कांु डिी में प्रेररि तवद्युि वाहक बि उत्पन्न हो जािी है * Principle -: Transformer works on the principle of mutual induction i.e. when alternating current flows through a coil, induced electromotive force is generated in the coil placed near it. * बनावट -: इसमें सामान्य िोहे के कोर पर िपेटी हु ई दो अिि-अिि कांु डतियाां होिी है तजसमें एक कांु डिी in- put के स्रोि से जुडा होिा है तजसे प्राितमक कांु डिी कहिे हैं दूसरा कांु डिी out-put से जुडा होिा है तजसे तििीयक कांु डिी कहिे हैं * Construction -: It consists of two separate coils wound on a common iron core in which one coil is connected to the source of in-put which is called primary coil and the other coil is connected to the output which is called secondary coil. * काया -: जब प्राितमक कांु डिी को in-put स्रोि से जोड तदया जािा है िो प्राितमक कांु डिी से प्रत्याविी धारा प्रवातहि होने िििी है तजससे प्राितमक कांु डिी से सांबांध फ्िक्स पररवतिाि होने िििा है । फ्िक्स पररविान के कारण प्राितमक कांु डिी में प्रेररि तवद्युि वाहक बि उत्पन्न हो जािी है प्राितमक कांु डिी में उत्पन्न कुि फ्िक्स तििीय कांु डिी से जुड जािी है यतद प्राितमक कांु डिी में फेरों की सांख्या Np ििा तििीयक कांु डिी में फेरों की सांख्या Ns हो िो फैराडे के तवद्युि चुब ां कीय प्रेरण के तनयम के अनुसार प्राितमक ििा तििीयक कांु डिी में प्रेररि तवद्युि वाहक बि का मान तदया जाएिा * Working -: When the primary coil is connected to the input source, alternating current starts flowing through the primary coil, due to which the flux linked with the primary coil starts changing. Due to the flux change, induced emf is produced in the primary coil. The total flux generated in the primary coil is added to the secondary coil. If the number of turns in the primary coil is Np and the number of turns in the secondary coil is Ns, then according to Faraday's law of electromagnetic induction, the value of induced electromotive force in the primary and secondary coil will be given by 11-: उिि सिह के तिए तदए िए सूत्र को थिातपि करें ! [BSEB,1984-90-2003-13-15-20] Establish the given formula for a convex surface 𝝁𝟐 𝝁𝟏 𝝁𝟐−𝝁𝟏 - = 𝑹 𝑽 𝒖 माना तक तबांदु (O) से तनकिने वािी प्रकाश की तकरण िोिी अपविाक सिह के तबांदु (A) आपतिि होिी है और अपविान के बाद सघन माध्यम में िमन करिी है ििा अतभिांब (AC) की ओर मुड जािी है Let a ray of light emanating from point (0) is incident on the bullet refracting surface at point (A) and after refraction travels through the denser medium and turns towards the normal (AC) YouTube @kkgclasses PDF=9117823062 www.kkgclasses.com Now in ∆OAC i=γ+α Now in ∆IAC r=γ+β अब मुख्य अक्ष पर एक AM एक िांब डािा || Now put an AM perpendicular to the principal axis चुांकी α, β ििा γ काफी छोटा है है क्योंतक उिर पृष्ट का िारा कातफ छोटा है। Since α, β and are very small because the answer on the page is very small. 𝐀𝐌 α = tanα = 𝐎𝐌 𝐀𝐌 β = tanβ = 𝐈𝐌 𝐀𝐌 γ = tanγ = 𝐌𝐂 थनेि के तनयम से (From Snell's law) 𝐬𝐢𝐧 𝐢 𝛍𝟐 = 𝐬𝐢𝐧 𝐫 𝛍𝟏 𝐬𝐢𝐧 𝐢 𝛍𝟏 = 𝐬𝐢𝐧 𝐫 𝛍𝟐 𝒊𝛍𝟏 = 𝐫𝛍𝟐 𝛍𝟏 ( 𝛄 + 𝛂) = 𝛍𝟐 (γ + β) ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝐢) 𝐀𝐌 𝐀𝐌 𝐀𝐌 𝐀𝐌 𝛍𝟏 ( + ) = 𝛍𝟐 ( + ) 𝐌𝐂 𝐎𝐌 𝐌𝐂 𝐈𝐌 𝛍𝟏 𝛍 𝛍 𝛍 + 𝟏 = 𝟐 + 𝟐 ∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙∙ (𝐢𝐢) 𝐌𝐂 𝐎𝐌 𝐌𝐂 𝐈𝐌 चुकीं िारक काफी छोटा है अिः तबांदु M ध्रुव P के काफी समीप है Since the aperture is very small, the point M is very close to the pole P. 𝐌𝐂 = 𝐏𝐂 = 𝐑 , 𝐈𝐌 = 𝐈𝐏 = −𝐯 , 𝐎𝐌 = 𝐎𝐏 = −𝐮 Now putting these values in equestion (ii) 𝛍𝟏 𝛍 𝛍 𝛍 + 𝟏 = 𝟐+ 𝟐 𝐑 −𝐮 𝐑 −𝐯 𝛍𝟏 𝛍𝟏 𝛍𝟐 𝛍 𝐑 − 𝐮 = 𝐑 − 𝐯𝟐 𝛍𝟐 𝛍𝟏 𝛍𝟐 𝛍 − = − 𝟏 𝐯 𝐮 𝐑 𝐑 𝛍𝟐 𝛍𝟏 𝛍𝟐 − 𝛍𝟏 − = 𝐯 𝐮 𝐑 12. सांयुि सूक्ष्मदशी की आवधान क्षमिा के तिए व्यांजक प्राप्त करें ? [BSEB,2009-21] Derive the expression for the magnifying power of the compound microscope * सांयुि सूक्ष्मदशी (compound microscope) वैसे सांयुि सूक्ष्मदशी तजसका उपयोि वैसे सुक्ष्म वथिुओ ां को देखने के तिए तकया जािा है तजसे सरि सूक्ष्मदशी के माध्यम से नहीं देखा जा सकिा है उसे सांयुि सूक्ष्मदशी कहिे हैं The compound microscope which is used to see such minute objects which cannot be seen through simple microscope is called compound microscope. * आवधान क्षमिा(Magnifying power) 𝛃 𝐌= 𝛂 𝜶 और 𝜷 काफी छोटी है(𝛂 and 𝛃 are too small) 𝐀𝐁 𝐀′′𝐁′′ 𝛂= 𝐃 ,𝛃 = 𝐃 𝐀′′𝐁′′ 𝐃 𝐀′′𝐁′′ 𝐌= 𝐀𝐁 = 𝐀𝐁 𝐃 𝐀′′𝐁′′ 𝐌 = 𝐀𝐁 Now Multiplay and Divide By A’B’ 𝐀′′ 𝐁 ′′ 𝐀′ 𝐁 ′ 𝐌 = 𝐀′ 𝐁′ × 𝐀𝐁 M = 𝐌𝐞 × 𝐌𝐨 …………..(i) 𝐀′′ 𝐁 ′′ 𝐌𝐞 = 𝐀′ 𝐁 ′ = नेतत्रका िेंस का आवधान(magnification of eye lens) ′ 𝐀𝐁 ′ 𝐌𝐨 = 𝐀𝐁 = अतभदृश्यक िेंस का आवधान (magnification of objective lens) YouTube @kkgclasses PDF=9117823062 www.kkgclasses.com िेतकन हम जानिे हैं तक(but we know that) 𝐃 𝐌𝐞 = 𝟏 + 𝐟𝐞 …………(ii) 𝑨′ 𝑩′ 𝑽𝒐 𝑴𝒐 = 𝑨𝑩 = …………..(iii) −𝒖𝒆 अब समीकरण (ii) ििा (iii) का मान समीकरण (i) में रखने पर Now putting the value of equation (ii) and (iii) in equation (i) we get 𝑽𝒐 𝑫 M= (𝟏 + ) −𝒖𝒆 𝒇𝒆 13-: हाइिेंस के तििीय िरां तिकाओ ां को पररभातिि करें । हाइिेंस के तसद्ाांि के आधार पर पराविान या अपविान के तनयम को सत्यातपि करें Define Huygens second wavelets. Verify the law of reflection or refraction on the basis of Huygens' principle [BSEB =1983-85-90-92-93-97-98 ,2002-11-13-14-15-16-18-20] * हाइिेंस का तििीय िरां तिकाओ ां-: Ans-: िरां िाग्र के प्रत्येक तबांदु तििीय स्रोि के जैसा काया करिा है। ििा सभी तदशाओ ां में तििीय िरां ि इकाइयों उत्सतजाि करिा है ये िरां ि इकाईया िोिीय होिा है ििा प्रकाश के चाि के साि िमन करिा है। * Huygens' second wavelets-: Ans-: Each point of the wavefront acts as a secondary source. And emits second wave units in all directions, this wave unit is spherical and travels with the speed of light * हाइिेंस के तसद्ाांि के आधार पर पराविान के तनयम || Laws of reflection based on Huygens' principle- माना तक पराविाक सिह (zz') पर एक प्रकाश की तकरण आपतिि होिी है िो पराविान के बाद पुनः उसी माध्यम में िौट जािी है अब आपतिि तकरण पर एक (BA) िांब डािा जाए िो कोण (i) आपतिि समिि िरां िाग्र है Suppose a ray of light is incident on the reflecting surface (zz'), then after reflection it again returns to the same medium. Now a (BA) perpendicular is put on the incident ray, then the angle (i) is the incident plane wavefront यह िरां िाग्र तििीय स्रोि के जैसा काया करिा है ििा सभी तदशाओ ां में तििीय िरां ि इकाइयों को फैिािा है अब A को केंद्र मानकर ििा AB' को तत्रज्या मानकर तबांदु B' पर एक चाप खींचा जािा है ििा तबांदु A' से चाप पर एक थपशा ज्या (A'B') को खीचा जािा है अिााि कोण (r) परावतिाि समिि िरां िाग्र है This wavefront acts as a secondary source and propagates the second wave units in all directions. Now with A as center and AB' as radius, an arc is drawn at point B' and from point A' a tangent sine (A'B') is drawn on the arc i.e. angle (r) is the reflected plane wavefront चूांतक तजिने समय में तििीय िरां ि इकाईया तबांदु A से A' िक जािी है ठीक उिनाही समय में B से B' िक जािी है Since the second wave unit travels from point A to A' in exactly the same time as it travels from B to B' BA'=AB' Now in ∆BAA' and ∆B'A'A AA'=AA' (common side)