BPAC-101 लोक प्रशासन के विभिन्न परिप्रेक्ष्य PDF
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यह पाठ्यक्रम लोक प्रशासन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों पर है और विभिन्न दृष्टिकोणों, जैसे कि वैचारिक और क्लासिकल, व्यवहारिक, प्रणालीगत और सामाजिक-मनोवैज्ञानिक, लोक नीति और राजनीतिक तथा सामाजिक दृष्टिकोणों के विषयों को शामिल करता है।
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# लोक प्रशासन के विभिन्न परिप्रेक्ष्य ## पाठ्यक्रम प्रस्तावना यह पाठ्यक्रम लोक प्रशासन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों पर है । लोक प्रशासन एक शैक्षिक अध्ययन के रूप में समझना आप सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । किसी भी विषय के प्रश्नाध्यात्मिक विकास की पकड़ पाने के लिए, इसे विभिन्न दृष्टिकोण या दृष्टिकोणो...
# लोक प्रशासन के विभिन्न परिप्रेक्ष्य ## पाठ्यक्रम प्रस्तावना यह पाठ्यक्रम लोक प्रशासन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों पर है । लोक प्रशासन एक शैक्षिक अध्ययन के रूप में समझना आप सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है । किसी भी विषय के प्रश्नाध्यात्मिक विकास की पकड़ पाने के लिए, इसे विभिन्न दृष्टिकोण या दृष्टिकोणों के माध्यम से देखा जाना चाहिए । इसलिए, यह पाठ्यक्रम लोक प्रशासन के लिए प्रमुख दृष्टिकोण को समाविष्ट करता है और उन्हें एक प्रश्नाकर्षक तरीके से आपके सामने प्रस्तुत करता है । क्लासिकी से लेकर नियो-क्लासिकी और नारीवादी व उत्तर-आधुनिक के समसामयिक दृष्टिकोण से शुरू होने वाला यह पाठ्यक्रम इन सभी से संबंधित है । - **वैचारिक और क्लासिकी परिप्रेक्ष्य** पर खंड 1 के तहत पाठ्यक्रम की पहली इकाई लोक प्रशासन के अर्थ, स्वरूप और कार्यक्षेत्र से संबंधित हैं । संकल्पना और लोक प्रशासन की महत्ता 'पर परिचयात्मक इकाई वर्तमान समय तक प्रतिस्पर्धा राज्य, लोक विभागों का संकुचन, विनौकरशाहीकरण, डाउनसाइज़िंग की अवधारणाओं को रेखांकित करके लोक प्रशासन के विकास का पता लगाती है । यह लोक और निजी प्रशासन के बीच संबंधों पर चर्चा करती है और विकासशील देशों में लोक प्रशासन के महत्व की व्याख्या करती है । - **व्यवहारिक, प्रणाली और सामाजिक-मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण** पर खंड 2 है । यह व्यवहारिक दृष्टिकोण के स्वरूप का वर्णन करता है, जो व्यक्तिगत आवश्यकताओं, समूह व्यवहार, तर्कसंगत निर्णय लेने, संगठनात्मक डिजाइन और पर्यावरण या संगठनों के संदर्भ पर ध्यान केंद्रित करता है । एल्टन मेयो के शुरुआती प्रयोगों को इकाई 5 में समझाया गया है, जो कुछ प्रयोगों तक ही सीमित रहने और मानव व्यवहार की जटिलता को न देखने के लिए मानवीय संबंध दृष्टिकोण की गंभीर रूप से समीक्षा करता है । निर्णय लेने में साइमन के मूल्य और तथ्य के द्वंद्ववाद का वर्णन इकाई 6 में किया गया है । यह विभिन्न प्रकार के निर्णय लेने के बारे में बताता है । यह निर्णय निर्माण के विभिन्न मॉडलों की भी जांच करता है, जो हैं- साइमन का सीमित तर्कसंगता मॉडल, लिन्डब्लॉम का वृद्धिशील मॉडल, एटजिओनी का मिश्रित अवलोकन मॉडल व ड्रोर का इष्टतम मॉडल । प्रेरणा के विभिन्न सिद्धांतों और संगठनात्मक परिणाम के साथ उनका जुड़ाव इकाई 7 में वर्णित है । यह एक प्रणाली के रूप में संगठन अवलोकन की बात करता है । बंद और खुले सिस्टम पर चेस्टर बर्नार्ड के विचारों की चर्चा इस इकाई में की गई है । इकाई ने मॉस्लो के पदानुक्रम की आवश्यकताओं के दृष्टिकोण, डगलस मैकग्रेगर के सिद्धान्त 'एक्स' और सिद्धान्त 'वाई' और हर्जबर्ग के टू-फैक्टर सिद्धान्त का विश्लेषण किया है । - **लोक नीति परिप्रेक्ष्य** पर खंड 3 है । खंड की इकाई 8, लोक नीति दृष्टिकोण का अर्थ बताती है । इसमें हेरोल्ड लैसवेल, हर्बर्ट साइमन, डेविड ईस्टन और येहज़केल ड्रोर द्वारा प्रचारित विभिन्न प्रकार के लोक नीति दृष्टिकोण का वर्णन है । इकाई 8 पब्लिक पॉलिसी के विभिन्न मॉडलों की बात करती है । ये मॉडल हैं— संस्थागत, तर्कसंगत नीति निर्माण, समूह, एलीट-मास, राजनीतिक लोक नीति, रणनीतिक योजना । नीति विज्ञान दृष्टिकोण 'पर इकाई 9 इसकी प्रकृति, दायरे और विस्तार की जांच करती है । यह अपने बहु-शैक्षिक, प्रासंगिक, समस्या-उन्मुख और मानक दृष्टिकोणों पर चर्चा करके लासवेल की नीति विज्ञान की दृष्टि को सामने लाती है । यह नीति विज्ञान की नई दिशाओं को भी समझाती है, जिसमें मूल्यों की निरंतरता, प्रासंगिकता का निर्वाह, नीति जांच, सामाजिक नेटवर्क विश्लेषण और नीति विज्ञान का लोकतंत्रीकरण शामिल है । - **राजनीतिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य** पर खंड 4 है । इकाइयां 10 से 14 उस पर्यावरण से संबंधित हैं, जिसमें लोक प्रशासन कार्य करता है । 'पारिस्थितिकी दृष्टिकोण' इकाई 10 है । इसका ध्यान देशों के विभिन्न वातावरणों की पारिस्थितिकी का अध्ययन करने और उसके बाद अनुकूल नीतियों को तैयार करने पर केंद्रित है । यह इकाई पारिस्थितिकी की अवधारणा की व्याख्या करती है । यह एग्ररेरिया और इंडस्ट्रिया मॉडल्स के स्वरूप को सामने लाती है, जो कि रिग्स के फ्यूज्ड-प्रिस्मेटिक-डिफ्रैक्टिड मॉडल से पहले थे । नवीन लोक प्रशासन दृष्टिकोण पर इकाई 11, नवीन लोक प्रशासन को अपने प्रक्षेप पथ में स्थान देने के लिए लोक प्रशासन के विकास और चरणों की चर्चा करती है । ध्यान सभी मिन्नोब्रुक सम्मेलनों के विचार-विमर्श और सार्वजनिक-उन्मुख, लक्ष्य-उन्मुख, परिवर्तन-उन्मुख और मानक प्रशासन उद्देश्यों की आवश्यकता पर है । लोक चयन दृष्टिकोण पर इकाई 12 'लोक चयन दृष्टिकोण' व्यवस्थित व्यक्तिवाद, संस्थागत बहुलवाद, तार्किक चयन, रेंट-सीकिंग और इकोनॉमिक कॉन्स्टीट्यूशनलिज़्म की अवधारणाओं का वर्णन करती है । 'लोकहित दृष्टिकोण' इकाई 13 है जो विभिन्न विद्वानों के विचारों को स्पष्ट करके लोक हित की अवधारणा का विस्तृत वर्णन करती है । यह लोक हित के प्रति वर्तमान और भविष्य की जिम्मेदारियों का वर्णन करती है । यह इस प्रश्न से भी संबंधित है कि राज्य, न्यायपालिका और नागरिक समाज द्वारा नीतियों, अधिनियमों और जनहित याचिका के तरीके से किस तरह से लोक हित का पालन किया जाता है । - **समसामयिक परिप्रेक्ष्य** पर खंड 5 है । यह नवीन लोक प्रबंधन, सुशासन, उत्तर-आधुनिकवाद और नारीवाद के प्रश्नधिक समकालीन दृष्टिकोणों के 'समसामयिक परिप्रेक्ष्य' पर है । इस खंड में इकाई 14 का केन्द्र-बिन्दु सुधार रणनीति के रूप में एन पी एम पर है । इकाई संगठन के विकेंद्रीकरण, प्राधिकार के प्रतिनिधिमंडल, विभिन्न टीमों के लिए जिम्मेदारी, ग्राहक अभिविन्यास और संतुष्टि के माध्यम से संगठन में कार्यों को वितरित करने पर केंद्रित है । जैसे-जैसे राज्य की प्रकृति बदल रही है, नए अभिकर्ताओं ने शासन प्रक्रियाओं में उपस्थिति की है । सुशासन पर इकाई 15 शासन के नए मापदण्ड जैसे कि सहभागिता, न्याय का शासन, पारदर्शिता, समानता, कार्यकुशलता व उत्पादकता पर केंद्रित है । 'उत्तर-आधुनिकवाद' पर इकाई 16 का केंद्रीय बिंदु मानक नौकरशाही दक्षता की अवधारणा का मुकाबला करने के लिए आधुनिकता, संगठनात्मक मानवतावाद, लोक प्रशासन सिद्धांत नेटवर्क, द्वंद्वात्मक पद्धति, विनिर्मिति, विक्षेत्रीकरण, कल्पना और बदलाव की अवधारणाओं के साथ शिक्षार्थियों को परिचित करना है । यह उत्तर-आधुनिकवाद के विचारों और प्रथाओं जैसे कि जीवित अनुभवों पर घटनाक्रम दृष्टिकोण, व्याख्यानात्मक सिद्धांत, हेर्मेनेयटिक्स, नव-कार्यप्रणाली, प्रतीकात्मक अंर्तक्रिया, नारीवादी शैक्षिक अध्ययन, आलोचनात्मक परिप्रेक्ष्य व व्याख्यान विधि से संबंधित है । इकाई 17 पाठ्यक्रम की अंतिम इकाई है । 'नारीवादी दृष्टिकोण' शीर्षक से यह इकाई 'गवर्नेस फॉर जेंडर' और जेंडर फॉर गवर्नेस' के मिथकीय उपेक्षित व्याख्यानों से संबंधित है । जेन्डर समयता, न्याय नीति और न्याय, पितृप्रधान सोच जैसे अनदेखे किए हुए मुद्दों पर यह इकाई ध्यान केन्द्रित करती है । यह प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी और शासन में महिलाओं के अनुकूल नीतियों पर बहुत जरूरी बहस को स्पष्ट करती है। ## कोर्स की तैयारी टीम | इकाई | लेखक | हिन्दी अनुवादक | |---|---|---| | खंड 1 वैचारिक और क्लासिकी परिप्रेक्ष्य | | | | 1 | डॉ श्वेता मिश्रा, (वरिष्ठ) सह प्रो., गार्गी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय | डॉ. राजवीर शर्मा (पूर्व वरिष्ठ सलाहकार, एसओएसएस इग्नू) | | 2 | डॉ वैशाली नरूला, सहायक प्रोफेसर, कमला नेहरू कॉलेज, दि.वि.वि | डॉ. राजवीर शर्मा | | 3 | डॉ राजवीर शर्मा, पूर्व वरिष्ठ सलाहकार, लोक प्रशासन संकाय, सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ, इग्नू | डॉ राजवीर शर्मा | | 4 | डॉ आर.अनीता, पूर्व संकाय, आर.जी.एन.आई.वाई.डी. श्रीपेरुंमबूदूर, तमिलनाडू | श्रीमती तरुना राठौर, संकाय अतिथि, राजनीतिक विज्ञान, जबलपुर | | खंड 2 व्यवहारात्मक, प्रणाली व सामाजिक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण | | | | 5 | प्रो. उमा मेडुरी, लोक प्रशासन संकाय, इग्नू | डॉ. राजवीर शर्मा | | 6 | डॉ ए. सेंथामिल कनल, सलाहकार, लोक प्रशासन संकाय, सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ, इग्नू | डॉ. राजवीर शर्मा | | 7 | डॉ बी. सेंथिल नाथन, लोक प्रशासन विभाग, श्रीकृष्ण कला और विज्ञान महाविद्यालय, कोइम्बतुर, तमिलनाडू | डॉ. राजवीर शर्मा | | खंड 3 लोक नीति परिप्रेक्ष्य | | | | 8 | डॉ आर. के. सप्रू, सेवानिवृत्त लोक प्रशासन के प्रोफेसर, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ | श्रीमती प्रतिभा रानी | | 9 | डॉ आर. के. सप्रू, सेवानिवृत्त लोक प्रशासन के प्रोफेसर, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ | डॉ. राजवीर शर्मा | | खंड 4 राजनीतिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य | | | | 10 | डॉ संध्या चोपड़ा, सलाहकार, लोक प्रशासन संकाय, सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ, इग्नू | श्रीमती तानिमा दत्ता, सह-प्रोफेसर लवली प्रोफशनल विश्वविद्यालय | | 11 | डॉ संध्या चोपड़ा, सलाहकार, लोक प्रशासन संकाय, सामाजिक विज्ञान, विद्यापीठ, इग्नू | श्रीमती प्रतिभा रानी | | 12 | डॉ पुर्णिमा एम. सहायक प्रोफेसर, सामाजिक विकास परिषद, नई दिल्ली | श्रीमती तानिमा दत्ता | | 13 | डॉ पुर्णिमा एम. सहायक प्रोफेसर, सामाजिक विकास परिषद, नई दिल्ली | श्रीमती तरुना राथौड़ | | खंड 5 समसामयिक परिप्रेक्ष्य | | | | 14 | प्रो. उमा मेडुरी, लोक प्रशासन संकाय, इग्नू | डॉ. राजवीर शर्मा | | 15 | प्रो. उमा मेडुरी, लोक प्रशासन संकाय, इग्नू | श्रीमती तरुना राठौर | | 16 | डॉ आर. अनीता, आर जी एन आई वाई डी श्रीपेरुंमबूदूर, तमिलनाडू | श्रीमती तरुना राठौर | | 17 | डॉ अनीता बगाई, सह प्रोफेसर, लेडी श्री राम कॉलेज फॉर विमिन दिल्ली विश्वविद्यालय, नई दिल्ली | डॉ. राजवीर शर्मा | ## विषय सूची - **खंड 1 वैचारिक और क्लासिकी परिप्रेक्ष्य** (9) - इकाई 1 लोक प्रशासन की अवधारणा और महत्व (11) - इकाई 2 वैज्ञानिक प्रबंधन दृष्टिकोण (24) - इकाई 3 प्रशासनिक प्रबंधन दृष्टिकोण (34) - इकाई 4 नौकरशाही दृष्टिकोण (54) - **खंड 2 व्यवहारात्मक, प्रणाली व मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य** (73) - इकाई 5 मानव संबंध दृष्टिकोण (75) - इकाई 6 निर्णय-निर्माण दृष्टिकोण (87) - इकाई 7 प्रणाली और सामाजिक-मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण (102) - **खंड 3 लोक नीति परिप्रेक्ष्य** (119) - इकाई 8 लोक नीति दृष्टिकोण (121) - इकाई 9 नीति विज्ञान दृष्टिकोण (136) - **खंड 4 सामाजिक और राजनीतिक परिप्रेक्ष्य** (153) - इकाई 10 परिस्थितिकी दृष्टिकोण (155) - इकाई 11 नवीन लोक प्रशासन दृष्टिकोण (164) - इकाई 12 लोक चयन दृष्टिकोण (173) - इकाई 13 लोक हित दृष्टिकोण (189) - **खंड 5 समसामयिक परिप्रेक्ष्य** (203) - इकाई 14 नवीन लोक प्रबंधन दृष्टिकोण (205) - इकाई 15 सुशासन दृष्टिकोण (221) - इकाई 16 उत्तर-आधुनिक दृष्टिकोण (235) - इकाई 17 नारीवादी दृष्टिकोण (254) ## सामग्री निर्माण दल - **सामग्री निर्माण दल:** श्री राजीव गिरधर असिस्टेंट रजिस्ट्रार (प्रकाशन) एम.पी.डी.डी., इग्नू, नई दिल्ली - **अनुभाग अधिकारी (प्रकाशन):** श्री हेमन्त परीदा एम.पी.डी.डी., इग्नू, नई दिल्ली ## कवर डिजाइन - कवर डिजाइन: एडीए ग्राफिक्स - कवर डिजाइन संकल्पना: डॉ. संध्या चोपड़ा सलाहकार, लोक प्रशासन संकाय ## ISBN: - <br> ## इकाई 1 लोक प्रशासन की अवधारणा तथा महत्व ### इकाई की रूपरेखा - 1.0 उद्देश्य - 1.1 प्रस्तावना - 1.2 लोक प्रशासन का अर्थ - 1.3 लोक प्रशासन : स्वरूप एवं क्षेत्र - 1.4 लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन के बीच संबध - 1.5 लोक प्रशासन का महत्व - 1.6 निष्कर्ष - 1.7 शब्दावली - 1.8 संदर्भ लेख - 1.9 बोध प्रश्नों के उत्तर ### 1.0 उद्देश्य इस इकाई को पढ़ने के बाद आप निम्न को समझ सकेंगे : - लोक प्रशासन के अर्थ स्वरूप तथा क्षेत्र की व्याख्या; - निजी प्रशासन तथा लोक प्रशासन में अंतर; और - लोक प्रशासन के महत्व का परीक्षण । ### 1.1 प्रस्तावना सरकार के कुशल संचालन के लिए लोक प्रशासन बहुत महत्वपूर्ण हैं । एक विशेषीकृत अध्ययन विषय के रूप में, इसका संबंध प्रमुखतः सरकार की मशीनरी एवं प्रक्रियाओं से हैं। यह सरकार का क्रियात्मक भाग हैं । यह सत्ता का केन्द्र और लोक सेवा की एक संस्था दोनों ही हैं। लोक सेवा की एक संस्था के रूप में, यह लोगों को सेवाएं प्रदान करता है तथा जन-हित को बढ़ावा देता है या संवर्धन करता है । एक सत्ता के केन्द्र के रूप में, लोक नौकरशाही अपने ही विशेषाधिकारों से संबद्ध होने की तरफ प्रवृत होती हैं । पिछले कुछ वर्षों में लोक प्रशासन में एक अध्ययन विषय के रूप में तेजी से परिवर्तन आ रहे हैं, तथा चुनौतियों का उत्तर देने के लिए लोक प्रशासन विकसित हुआ है और आज भी विकसित हो रहा है। उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण के आगमन ने व्यक्तियों तथा संस्थाओं की भूमिका में महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं; लोक प्रशासन भी इसका अपवाद नहीं है । यह लोक प्रशासन के पांरपारिक मॉडल से नवीन लोक प्रशासन के मॉडल में परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है, जो प्रभावी शासन एवं वस्तुओं और सेवाओं के कुशल वितरण के लिए राज्य के स्थान पर बाज़ार शक्तियों का पक्षधर है । अनेकों देशों में प्रतिस्पर्धी राज्य, प्रबंधात्मक झुकाव, बाह्य संविदाकरण, गैर-नौकरशाहीकरण, आकार को घटाना आदि अवधारणाओं ने प्रसिद्धियाँ प्रचलन करना आरंभ कर दिया है। विकास के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नया दृष्टिकोण एक प्रबंधन-यंत्र के रूप में उभरा है। इसमें लाये सुधारों के द्वारा जन संस्थानों में एक नई उद्ययशील, उपभोक्तान्मुख संस्कृति को लाया गया है, जिसका ध्यान-केन्द्र परंपरागत मॉडल के विरूद्ध संगठनों तथा व्यक्तियों की स्वात्ता तथा निष्पादन का आकलन है। वास्तव में, प्रबंधनवाद सरकारी क्रियाकालापों के प्रत्येक स्तर पर विन्ययता, कुशलता व प्रभावशीलता का प्रयास है। इस प्रकार वर्तमान समय में लोक प्रशासन जटिल हो गया है, और धीरे-धीरे प्रबुद्ध लोक शासन की ओर बढ़ रहा है। इस इकाई में, लोक प्रशासन तथा प्रशासन की शब्दावली को परिभाषित करने का प्रयास किया जायेगा। यह लोक प्रशासन का स्वरूप, धैर्य तथा महत्व की चर्चा करेंगी। यह इकाई लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन के बीच संबंधों का विश्लेषण करेगी, तथा लोक प्रशासन के महत्व को स्पष्ट करेगी। ### 1.3 लोक प्रशासन का अर्थ प्रशासन की आम अवधारणा का एक भाग लोक प्रशासन है, इसलिए लोक प्रशासन का अर्थ समझने से पूर्व, प्रशासन का अर्थ समझना आवश्यक है। आईए, जानें प्रशासन शब्द का अर्थ : - **प्रशासन की परिभाषा** एडमिनिस्टर ('Administer' यानी शासन करना) शब्द लेटिन भाषा के दो शब्दों एड+मिनिस्ट्रेिर (Ad+ministrare) से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है, लोगों की देखभाल करना या चिंता करना व कार्यों का प्रबंधन करना। अपने शब्दिक रूप में, प्रशासन शब्द का अर्थ सार्वजनिक या निजी, नागरिक या सेवा संबंधी बड़े स्तर या अन्यथा मामलों का प्रबंधन और इस प्रकार, प्रकृति से सार्वभौमिक है। प्रशासन वह सहयोगी का प्रयास है, जिसके द्वारा निर्धारित लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूर्ण किया जाता है। E.N.Gladden (1952) ने अपनी पुस्तक इंट्रोडक्शन टू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (Introduction to Public Administration) में प्रशासन की परिभाषा इस प्रकार से दी है प्रशासन एक लम्बा तथा कुछ गर्वित (Pompous) शब्द है, लेकिन अर्थ साधारण हैं, क्योंकि इसका अर्थ है लोगों की चिंता करना, या उनकी देखभाल करना, मामलों का प्रबंधन; एक सुनिश्चित उद्देश्य को पूरा करने के लिए सुनिश्चित किया है। प्रशासन का अर्थ एक मकसद या एक उद्देश्य की प्राप्ति की दृष्टि से व्यक्तियों तथा सामग्री का संग्रहण तथा प्रयोग करना है। ऐसे जन समूहों के साथ जुड़ना है, जो वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए समन्वय तथा सहयोग करते हैं। अन्य शब्दों में वांछित लक्ष्यों तथा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए हमें भौतिक तथा मानव संसाधनों को संगठित करने तथा निर्देशित करने की आवश्यकता होती है। यह सार्वभौमिक प्रक्रिया है तथा विभिन्न संस्थागत परिप्रेक्षयों में घटित होती है। इन स्थितियों पर आधारित प्रशासन को सार्वजनिक तथा निजी प्रशासन में विभाजित किया जाता है। प्रथम का संबंध उस प्रशासन से है, जो सरकारी परिवेश में संचालित होता है, जबकि दूसरे का संबंध उस प्रशासन से है, जो गैर-सरकारी अर्थात् व्यापार उद्देश्यों से परिवेश या स्थिति में संचलित होता हैं या कार्य करता है। संक्षेप में, प्रशासन का इस प्रकार का अर्थ सामान्य या सामने रखे गये लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किए गए सहकारी प्रयास हैं। यह मानव तथा वस्तुओं को उतनें ही निश्चितया संगठित तथा निदेशित करने के कौशलों से युक्त प्रबंधकों का उसी प्रकार से एक विशेषीकृत व्यवसाय है, जिस प्रकार से एक इंजीनियर को संरचना निर्यात करने या एक डाक्टर को मानव की बीमारियों को समझनें का कौशल प्राप्त होता है (शर्मा व सदाना - Sharma and Sadana, 1998)। अन्य शब्दों में, यह एक उद्देश्योंन्मुख, ध्येययुक्त, समन्वयकारी तथा सहकारी क्रिया है, जो जन समूह कुछ उद्देश्य या उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग में लाते हैं। इस प्रकार प्रशासन के कुछ विशेष लक्ष्य होते हैं। ये हैं : - उद्देश्योन्मुख - सुविचारित ध्येय प्राप्ति - मानव तथा भौतिक संसाधनों का निदेशक - सुनिश्चित क्रिया - सॉझे उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सहयोग - मुद्दों या मामलों को व्यवस्थित अवस्था में रखना - संसाधनों का सोचा-समझा प्रयोग - लोगों पर नियंत्रण तथा उनके बीच समन्वय - कार्य पूर्ण करना लोक प्रशासन, प्रशासन के अधिक बड़े या व्यापक क्षेत्र का एक भाग हैं । इसे साधारणतया नौकरशाही के नाम से समझा जाता है, बिना इस तथ्य पर ध्यान दिए कि एक निश्चित संगठनात्मक रूप से नौकरशाही केवल सरकार के भीतर ही नहीं, अपितु निजी एवं तृतीया क्षेत्र या सैक्टर संगठनों में भी पायी जाती है (धमेजा - Dhameja, 2003)। लोक प्रशासन एक अध्ययन विषय है, जिसका संबंध संगठन तथा लोक कल्याण के लिए लोक नितियों के निमार्ण एवं कार्यान्वयन से है । यह एक राजनीतिक परिवेश में कार्य करता है, ताकि राजनैतिक निर्णय निर्यमाताओं द्वारा निर्मित या स्थापित लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके । इसे सरकारी शासन भी कहा जाता है, क्योंकि लोक प्रशासन शब्द में संमग्र लोक का अर्थ है सरकार । इस प्रकार लोक प्रशासन का केन्द्रबिंदु लोक नौकरशाही अर्थात् सरकार का नौकरशाही या प्रशासनिक संगठन है । ### 1.4 लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन के बीच संबंध लोक प्रशासन का संबंध राज्य के कार्यों से है तथा सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों तथा निर्णयों की विधियों या कार्यनीतियों से है । यह राजनीतिक / सरकारी परिस्थिति में संचालित होता है। दूसरी ओर, निजी प्रशासन का संबंध कार्य के उन प्रबंध से होता है, जिसके निजी व्यक्ति स्वामित्व और संचालन करते हैं। यह गैर-सरकारी परिस्थिति अर्थात् व्यापारिक उद्देश्यों से संचलित होता है। इसलिए इन्हें क्रमशः सरकारी प्रशासन तथा बिजनैस प्रशासन कहा जाता है। - **लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अंतर** पॉल एच एपलबी (Paul H. Appleby), सर जोसिया स्टॅम्प (Sir Josia Stamp), हरबर्ट ए साईमन (Herbert A. Simon) तथा पीटर ड्रकर (Peter Drucker) का मत है कि लोक तथा निजी प्रशासन दो अलग-अलग अवधारणाएँ हैं। इन दोनों प्रशासनों के बीच निम्न आधार पर अंतर किया जा सकता हैः - लोक प्रशासन सार्वजनिक प्रकृति का होता है । इसलिए लोक प्रशासन का मुख्य उद्देश्य जन-सेवा एवं सामुदायिक कल्याण को प्रोत्साहन देना होता है। सेवा उद्देश्य इसकी विशेषता होती है। इसके विपरित लाभ का उद्देश्य निजी प्रशासन की विशेषता होती है। इसके समाज सेवा लाभ को अधिकाधिक बढ़ाना इसका उद्देश्य होता है। इनके सभी प्रयास इसी लक्ष्य की ओर निर्देशित होते हैं । अपनी सामाजिक भूमिका के कारण लोक प्रशासन की प्रतिष्ठा निजी प्रशासन की अपेक्षा अधिक होती है। - लोक प्रशासन पूर्णतः कानूनों, नियमों तथा विनियमों के अनुसार, संचालित होता है। प्रशासन कानूनी सत्ता के विपरीत या बाहर कोई कार्य नहीं कर सकते। निजी प्रशासन में सामान्य कानून होते हैं, जो बिजनेस का नियमन (Regulator) करते हैं। निजी बिजनैस संस्थान काफी लोचशील होते हैं। - अधिकांश नीतिगत मामलों में लोक प्रशासन राजनीतिक निदेशन में बंधा होता है। मंत्री नीति की रूपरेखा निर्धारित करता है, जिसके अंतर्गत रहकर नौकरशाह नीति का कार्यान्वयन करते हैं। निजी प्रशासन में, ऐसा कोई राजनैतिक निर्देशन नहीं होता है। केवल आपातकालीन स्थितियों में, ऐसे राजनैतिक निर्देशन का प्रयोग किया जा सकता है। प्राप्त किये जाने वाले उद्देश्यों का निर्धारण यह स्वयं करता है, तथा इसके लक्ष्य राजनैतिक निर्णयों पर आश्रित नहीं होते हैं। - लोक प्रशासन के लिए अपने व्यवहार में सामानरूप रहना आवश्यक है। अन्य शब्दों में, व्यवहार की समनुरूपता का सिद्वान्त लोक प्रशासन का मूल मंत्र है। इसके सभी क्रियाकलापों तथा निर्णय कारणों, नियमों तथा विनियमों द्वारा नियमित किए जाते हैं। इसका अर्थ यह है कि लोक प्रशासन में किसी प्रकार का भेदभाव, झुकाव या पक्षपात सार्वजनिक निंदा या विधायी उत्तेजना या हंगामा को बुलावा देगा। जनता के साथ व्यवहार करते समय प्रशासकों के लिए आवश्यक है कि वे एक समान (तकयुक्त) तथा निष्पक्ष रहें। उनके लिए किसी पक्षपात या पूर्वाग्रह से युक्त रहकर सभी लोगों के साथ एक जैसा व्यवहार करना आवश्यक है। दूसरी ओर; निजी प्रशासन पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर सकता है, निजी प्रशासन में, उत्पादों के मूल्य निर्धारण, उत्पादों के चयन तथा उत्पादों की बिक्री में भेदभाव का प्रयोग स्वतंत्रता पूर्वक किया जाता है। - सार्वजनिक होने के कारण लोक प्रशासन जनता की निरंतर छानबीन तथा (समीक्षा) परीक्षण के लिए खुला है। प्रशासकों के क्रियाकलाप कहीं अधिक जनता की निगरानी में रहते हैं। प्रशासकों की उपलब्धियाँ कभी-कभी प्रचारित होती हैं, लेकिन एक छोटी सी भी गलती तुरंत अखबारों की मुख्य खबर बन जाती है। विधायी निगरानी तथा न्यायिक पुनरावलोकन के द्वारा एक लोक प्रशासन अपने सभी कार्यों तथा निर्णयों के लिए उत्तरदायी होता है। अन्य शब्दों में, लोक प्रशासन नैतिक तथा आचार संबंधी मापदंड निजी प्रशासन की अपेक्षा कहीं अधिक ऊँचे होते हैं। लोक निगरानी निजी प्रशासन में न्यूनतम होती हैं तथा मिडिया भी इसकी नजदीकी से नज़र नहीं रखता है। निजी क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों की तुलना में लोक प्रशासनों का कार्यकाल काफी सुरक्षित होता है। इसके अतिरिक्त, उन्हें सेवाकालीन तथा सेवा उपरान्त भी अनेकों लाभ या सुविधाएं तथा विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं। इस प्रकार के विशेषाधिकार निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को प्राप्त नहीं होते हैं। - लोक प्रशासन में सरकार का एकाधिकार होता है तथा निजी पक्षों को प्रतिस्पर्धा करने की आज्ञा नहीं दी जाती है। डाक व तार, रेलवे, मुद्रा तथा सिक्कों की सेवाएं पूर्णरूप से सरकार द्वारा प्रदान की जाती हैं। निजी क्षेत्र में एकाधिकारवाद का अभाव होता है, एक ही वस्तु तथा उत्पाद की आपूर्ति के लिए वे एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। लोक प्रशासन पर बाहरी वित्तीय नियंत्रण होता है। इसका तात्पर्य है कि लोक प्रशासन का वित्तिय नियंत्रण विधानपालिका के पास होता है। अन्य शब्दों में, विधानपालिका कार्यपालिका शाखा को आय व्यय की अनुमति प्रदान करती है । कार्यपालिका स्वंय (अपनी इच्छा से) धन का एकत्रीकरण या व्यय नहीं कर सकती हैं । इस प्रकार हम देखते हैं कि लोक प्रशासन में प्रशासन तथा वित में अलगाव होता है । जब कि निजी प्रशासन बाहय वित्तीय नियंत्रण के सिद्वान्त से बंधा हुआ नहीं होता है । यह जैसे चाहे अपने वित्त या आर्थिक संसाधनों का प्रबंधन कर सकता है। - संपादित कार्यों की प्रकृति भी लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अलग-अलग है। लोक-प्रशासन अधिक व्यापक होता है । यह लोगों के अनेकों प्रकार की आवश्यकता से जुड़ा है या उनका समाधान करता है । यह ऐसे कार्य सम्पन्न करता है, जो समाज के अस्तित्व के लिए ही बहुत अधिक महत्वपूर्ण तथा अति आवश्यक होते हैं; उदाहरण के लिए सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था बनाए रखना। इसके विपरित, निजी प्रशासन कम महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न करता है। जैसे कपड़ों का उत्पादन, चीनी की आपूर्ति आदि। - लोक प्रशासन पर्दे के पीछे रहकर कार्य करता है। अन्य शब्दों में, सरकार में लोक सेवा की कार्यपद्धति की विशेषता गुमनामी (Anonymity) का सिद्धांत है, जो कि मंत्री के उत्तरदायित्व के सिद्धांत के समकक्ष हैं। इस प्रकार अपने अधीन कार्यरत लोक सेवकों के क्रियाकलापों का दायित्व मंत्री उठाता है। निजी प्रशासन में ऐसा नहीं है। - लोक प्रशासन कुशलता के मापन में भी निजी प्रशासन से मिलता है। निजी प्रशासन में कुशलता का स्वर लोक प्रशासन की तुलना में श्रेष्ठ होता है। क्योंकि उद्देश्य मुनाफा या लाभ कमाना होता है। सभी व्यक्ति पूर्ण रूप से (पूर्ण मन से) अपने कार्य तथा बिजनैस के प्रति समर्पित होते हैं। अन्य शब्दों में संसाधन प्रयोग या लाभर्जन (अर्थात् आगत-निर्गत संबंध) निजी प्रशासन में कुशलता मापने का आधार होते हैं। इस प्रकार लोक प्रशासन की कुछ ऐसी अलग विशेषताएँ हैं, जो इसे निजी प्रशासन से अलग पहचान प्रदान करती हैं। लोक उत्तरदायित्व इसकी कसौटी या विशेषता है, व्यवहार की एकरूपता या समनुरूपता इसका नारा तथा सामुदायिक सेवा इसका आदर्श है। - **लोक प्रशासन या निजी प्रशासन के बीच समानताएँ** यद्यपि वे कुछ बातों में एक दूसरे से भिन्न हैं, लोक तथा निजी प्रशासन के बीच अनेक समानताएं हैं। वास्तव में, हेनरी फेयोल (Henri Fayol), एम पी फोलेट (M.P