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# महावीर स्वामी * महावीर स्वामी जी के पिता कुंडग्राम के लान्त्रिक वंश राजा यो * महावीर स्वामी के बचपन का नाम - वर्धमान * आध्यात्मिक जीवन: 10 वर्ष की उम्र मे माता पिता की मृत्यु के पश्चात अपने बडे भाई नंदीवर्धन से अनुमति लेकर सन्यास जीवन को स्वीकारा था | * 22 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद महावीर स्वा...

# महावीर स्वामी * महावीर स्वामी जी के पिता कुंडग्राम के लान्त्रिक वंश राजा यो * महावीर स्वामी के बचपन का नाम - वर्धमान * आध्यात्मिक जीवन: 10 वर्ष की उम्र मे माता पिता की मृत्यु के पश्चात अपने बडे भाई नंदीवर्धन से अनुमति लेकर सन्यास जीवन को स्वीकारा था | * 22 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद महावीर स्वामी जी को ऋनुपालिका नदी के तट पर साल वृक्ष के नीचे तपस्या करते हुए ज्ञान की प्राप्ति हुई * और ज्ञान प्राप्ति को "कैवल्य" कहा गया | * इसी समय से महावीर स्वामी अर्हत (पूज्य) निरंगंय, बंधनहीन) जिन (विजेता) कहलाए | * महावीर स्वामी जी ने अपने उपदेश प्राकृत भाषा में दिए | * इन्होने पहला उपदेश राजगीर में दिया | * अंतिम उपदेश पावापुरी में दिया | * उनका प्रथम भिक्षु - दामाद जमालि * ज्ञान प्राप्ति के बाद महावीर स्वामी जी ने कुल 5 नियम बताए | जिसे पंचायन धर्म कहा - 1. हिंसा न करना 2. सदा सत्य बोलना 3. चोरी न करना 4. संपति न रखना 5. ब्रह्मचर्य * महावीर स्वामी ने त्रिरत्न दिए - 1. सम्यक दर्शन 2. सम्यक ज्ञान, 3. सम्यक आचरण * जैन धर्म में ईश्वर की मान्यता नहीं है बल्कि आत्मा की मान्यता है | * इसलिए महावीर स्वामी ने मूर्ति पूजा और कर्मकांड का विरोध किया | * महावीर स्वामी ने पुनर्जन्म को माना और पुर्नजन्म का सबसे बडा कारण आत्मा को बताया | * 72 वर्ष की प्रायु में महावीर स्वामी की मृत्यु (निर्वाण) 468 ई. पु. में बिहार राज्य के पावापुरी मे हो गई | * महावीर स्वामी के दो प्रमुख अनुयायी : 1. स्थूलभद्र * श्वेतांबर (श्वेत वस्त्र धारण करने वाले) 2. भद्रबाहु * दिगंबर (नग्न रहने वाले) * मौर्य काल में 72 वर्ष का भीषण अकाल पडा जिसके कारण भद्रबाहु अपने अनुयायियों के साथ दक्षिण भारत मे कर्नाटक चले गये और उनके साथ चंद्रगुप्त मौर्य भी आए जिन्होंने कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में "संलेखना" विधि के द्वारा अपने प्राण त्याग दिए | * जैन धर्म के प्रचार के लिए दो जैन संगीतिया हुई।

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