🎧 New: AI-Generated Podcasts Turn your study notes into engaging audio conversations. Learn more

17275940288689188585189530103586.jpg

Loading...
Loading...
Loading...
Loading...
Loading...
Loading...
Loading...

Transcript

## अध्याय 14: साम्राज्य का निर्माण ### 14.1.4 अकबर की नीतियाँ #### प्रशासन - अकबर ने प्रशासन को कई प्रान्तों ("सुबों') में बटा हुआ था - प्रत्येक प्रान्त में एक "सुबेदार" था जो राजनीतिक तथा सैनिक, दोनों प्रकार के कार्यों का निर्वाह करता था - प्रत्येक प्रान्त में एक वित्तीय अधिकारी भी होता था, जो "दी...

## अध्याय 14: साम्राज्य का निर्माण ### 14.1.4 अकबर की नीतियाँ #### प्रशासन - अकबर ने प्रशासन को कई प्रान्तों ("सुबों') में बटा हुआ था - प्रत्येक प्रान्त में एक "सुबेदार" था जो राजनीतिक तथा सैनिक, दोनों प्रकार के कार्यों का निर्वाह करता था - प्रत्येक प्रान्त में एक वित्तीय अधिकारी भी होता था, जो "दीवान" कहलाता था - सुबेदार को अन्य अफसरों का सहयोग प्राप्त था, जैसे कि बक्शी (सैनिक अत्याधिकारी), सदर (धार्मिक और धर्मार्थ किए जाने वाले कार्यों का बन्त्री), फौजदार (सेनानायक) और कोतवाल (नगर का पुलिस अधिकारी) #### धर्म - 101520 ई. में अकबर जब फतेहपुर सीकरी में था, तो उसने उलेमा, माह्मणों, जेसुइट पादरियों (जो रोमन कैथोलिक थे) और जरश्रुश्त धर्म के अनुयायियों के साथ धर्म के मामलों पर चर्चा शुरू की - ये चर्चाएँ "इबादतखाना" में हुईं - इस विचार-विमर्श से अकबर की समझ बनी कि जो विद्वान् धार्मिक रीति और मतान्धता पर बल देते हैं, वे अकसर कट्टर होते हैं - उनकी शिक्षाएँ प्रजा के बीच विभाजन और असामंजस्य पैदा करती हैं #### सुलह-ए-कुल - ये अनुभव अकबर को सुलह-ए-कुल या सर्वत्र शान्ति के विचार की ओर ले गए - अतः इसने विश्व शान्ति के विचार को बढ़ाया ### 14.1.5 जहाँगीर - जहाँगीर (Jahangir) ने अकबर के सैन्य अभियानों को आगे बढ़ाया - जहाँगीर के काल में मेवाड़ के सिसौदिया शासक अमर सिंह ने मुगलों की सेवा स्वीकार की - इसके बाद सिखों, अहोमों और अहमदनगर के विरुद्ध अभियान चलाए गए, जो पूर्णतः असफल हुए - जहाँगीर के शासन के अन्तिम वर्षों में राजकुमार खुर्रम, जो बाद में सम्राट शाहजहाँ कहलाया, ने विद्रोह किया - जहाँगीर की पत्नी नूरजहाँ ने शाहजहाँ को हाशिए पर धकेलने के प्रयास किए, जो असफल रही - जहाँगीर ने "निसार" नामक सिक्के का प्रचलन किया - उसके शासनकाल में मुगल चित्रकला चरमोत्कर्ष पर थी - जहाँगीर ने राज्य की जनता को न्याय दिलाने हेतु न्याय के प्रतीक सोने की जंजीर को अपने महल के बाहर लगवाया - जहाँगीर ने फारसी में अपनी आत्मकथा "तुजुक-ए-जहाँगीरी" की रचना की - जहाँगीर के शासनकाल में, प्रथम अंग्रेज मिशन कैप्टन (हॉकिन्स) (1608-1611 ई.) के नेतृत्व में मुगल दरबार में आया - उसे व्यापार की अनुमति नहीं मिल सकी - सर टॉमस रो (1615-1618 ई.) के नेतृत्व में दूसरा मिशन भारत आया, जो व्यापारिक अनुमति प्राप्त करने में सफल रहा - अंग्रेजों ने "सूरत" में प्रथम व्यापार केन्द्र की स्थापना की - 1627 ई. में जहाँगीर की मृत्यु हो गई ### 14.1.6 शाहजहाँ - शाहजहाँ (Shahjahan) का विवाह नूरजहाँ के भाई आसफ खाँ की पुत्री (अर्जुमन्दबाने) बेगम से हुआ, जो मुमताज महल के नाम से प्रसिद्ध हुई - शाहजहाँ के समय अफगान अभिजात खान-ए-जहाँ लोदी ने विद्रोह किया, किन्तु वह पराजित हुआ - शाहजहाँ ने अहमदनगर के विरुद्ध अभियान शुरू किया, जिसमें बुन्देलों की हार हुई और ओरछा पर कब्जा कर लिया गया - शाहजहाँ ने उत्तर-पश्चिम में बल्ख पर कब्जा करने के लिए उजबेगों के विरुद्ध अभियान शुरू किया, जो असफल रहा - परिणामस्वरूप, कन्धार सफाविदों के हाथ में चला गया - शाहजहाँ ने दिल्ली के निकट शाहजहाँनाबाद नगर की स्थापना की और आगरा से राजधानी यहाँ स्थानान्तरित कर दी - दिल्ली में शाहजहाँ ने सुरक्षा दुर्ग का निर्माण कराया, जो "लाल किला" के नाम से प्रसिद्ध है - इसी किले में उसने दीवान-ए-आम व दीवान-ए-खास का निर्माण करवाया - शाहजहाँ ने आगरा में अपनी बेगम मुमताज महल के मकबरे का निर्माण करवाया, जो "ताजमहल" के नाम से प्रसिद्ध है - ताजमहल का निर्माण (1632-1653 ई.) के बीच हुआ - 1637-58 ई. में शाहजहाँ के पुत्रों के बीच उत्तराधिकार को लेकर झगड़ा शुरू हो गया - इसमें औरंगजेब की विजय हुई और दारा शिकोह समेत उसने अपने तीनों भाइयों को मौत के घाट उतार दिया ### 14.1.7 औरंगजेब - औरंगजेब (Aurangzeb) सिंहासन पर बैठने से पहले दक्कन का गवर्नर था - सम्राट बनने के उपरान्त औरंगजेब ने जनता के आर्थिक कष्टों क्रे निवारण हेतु "राहदारी" (आन्तरिक पारगमन शुल्क) और ("पानदारी" (व्यापारिक चुंगियों) आदि को समाप्त कर दिया - उसने उलेमा वर्ग की सलाह के अनुसार इस्लामी ढंग से राज किया तथा गैर-मुस्लिम जनता पर "जजिया कर" लगा दिया - उसने हिन्दू त्योहारों को सार्वजनिक रूप से मनाए जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया - अपने व्यक्तिगत चारित्रिक गुणों के कारण औरंगजेब को "जिन्दा पीर" के नाम से जाना जाता है - औरंगजेब ने 1663 ई. में उत्तर-पूर्व के अहोमों को पराजित किया, परन्तु उन्होंने 1680 ई. में पुनः विद्रोह कर दिया - औरंगजेब के काल में उत्तर-पश्चिम में यूसुफजई और सिखों के विरुद्ध अभियानों को अस्थाई सफलता मिली - मारवाड़ के राठौड़ राजपूतों ने मुगलों के विरुद्ध विद्रोह किया - शिवाजी के विरुद्ध मुगल अभियान प्रारम्भ में सफल रहे, परन्तु औरंगजेब ने शिवाजी का अपमान किया और शिवाजी आगरा स्थित मुगल कैदखाने से भाग निकले - उन्होंने अपने को स्वतन्त्र शासक घोषित करने के पश्चात् मुगलों के विरुद्ध पुनः अभियान चलाए - अकबर के विद्रोह के पश्चात् औरंगजेब ने दक्कन के शासकों के विरुद्ध सेनाएँ भेजीं - 1685 ई. में बीजापुर और 1687 ई. में गोलकुण्डा को मुगलों ने अपने

Tags

Mughal Empire Indian history Akbar empires
Use Quizgecko on...
Browser
Browser