'तू अब तक सोयी है आळी' किस कविता की पंक्ति है? जयशंकर प्रसाद किस मत के अनुयायी थे? 'तू अब तक सोयी है आळी' किस कविता की पंक्ति है? जयशंकर प्रसाद किस मत के अनुयायी थे?

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Understand the Problem

यह सवाल कविता के एक पंक्ति की पहचान करने के बारे में है, जिसमें 'तू अब तक सोयी है आळी' उस कविता का संदर्भ है। साथ ही, दूसरे सवाल में जयशंकर प्रसाद के मत के अनुयायी के बारे में पूछा गया है।

Answer

'बीती विभावरी जाग री', शैव मत

पंक्ति 'तू अब तक सोयी है आळी' कविता 'बीती विभावरी जाग री' की है। जयशंकर प्रसाद शैव मत के अनुयायी थे।

Answer for screen readers

पंक्ति 'तू अब तक सोयी है आळी' कविता 'बीती विभावरी जाग री' की है। जयशंकर प्रसाद शैव मत के अनुयायी थे।

More Information

जयशंकर प्रसाद की रचनाएं छायावाद युग की प्रमुख कृतियों में मानी जाती हैं। उनका काव्य जीवन और प्रकृति से गहरे जुड़ाव को दर्शाता है। 'बीती विभावरी जाग री' ऐसी ही एक उत्कृष्ट रचना है।

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