मनिषा जनम दुर्लभ है, देह न बारंबार। तरवर थैं फल झड़ि पड़या, बहुरि न लागै डार।। ३४ ।। मनिषा जनम दुर्लभ है, देह न बारंबार। तरवर थैं फल झड़ि पड़या, बहुरि न लागै डार।। ३४ ।।
Understand the Problem
यह प्रश्न एक शेर है जो मनुष्य के जन्म की दुर्लभता और जीवन के महत्व को दर्शाता है। इसे समझने के लिए हमें इसकी गहराई में जाकर जीवन के क्षणिक और मूल्यवान होने के बारे में विचार करना होगा।
Answer
कबीर दास जी का दोहा मनुष्य जन्म की महत्ता पर प्रकाश डालता है।
कबीर दास जी कहते हैं कि मनुष्य का जन्म दुर्लभ है और शरीर बार-बार नहीं मिलता। जैसे पेड़ से गिरे फल दोबारा नहीं लगते।
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कबीर दास जी कहते हैं कि मनुष्य का जन्म दुर्लभ है और शरीर बार-बार नहीं मिलता। जैसे पेड़ से गिरे फल दोबारा नहीं लगते।
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यह दोहा कबीर दास द्वारा रचित है, जो हमें जीवन के महत्व और इसे मूल्यवान समझने की प्रेरणा देता है। यह दर्शाता है कि जीवन अनमोल है और इसे व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए।
Sources
- कबीर ग्रंथावली - विकिस्रोत - hi.wikisource.org
- कबीर दास के दोहे | KABIRDAS KA DOHA - thehindiacademy.com
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