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Questions and Answers
शुंग साम्राज्य के किस सम्राट ने बृहद्रथ को हत्या की?
कन्वा वंश के किस सम्राट का शासनकाल लगभग 75 से 66 BCE तक था?
किस साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत सिक्के थे जो कि इंडो-ग्रीक राज के दौरान प्रचलित थे?
साका साम्राज्य के किस सम्राट का नाम अदितीय समय के दौरान जाना जाता है?
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किस कला विद्यालय को खासतौर पर भारतीय कलात्मकता में ग्रीक प्रभाव का प्रतीक माना जाता है?
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कुशाना साम्राज्य के किस सम्राट ने साम्राज्य को अपनी सीमाओं में विशेष विस्तार दिया?
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भारतीय इतिहास में केंद्रीय एशियाई संपर्कों का क्या प्रभाव पड़ा?
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कन्वा वंश का अंत कब हुआ?
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किस प्रारंभिक भारतीय बौद्ध ग्रंथ में नागसेना और इंदी-ग्रीक सम्राट मेनंदर I के बीच संवाद दर्ज है?
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कुशान साम्राज्य के तहत किस कला विद्यालय को स्थानीय और विदेशी तत्वों के समन्वय के लिए जाना जाता है?
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किस शैली में बुद्ध की मूर्तियाँ कुशान काल में बनाई गई थीं?
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किस अभिलेख में काव्य शैली का सबसे पुराना उदाहरण मिलता है?
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किस बौद्ध ग्रंथ का लेखन आश्वघोष ने किया और यह कुशान के संरक्षण का आनंद लिया?
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सुंगों का शासन किस शहर के केंद्र के चारों ओर केंद्रित था?
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पुष्यमित्र के बाद कौन सुंगों का शासक बना?
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सुगों का शासन कब समाप्त हुआ?
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सुगों के शासन के भौगोलिक विस्तार में शामिल नहीं है?
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कौन सा स्त्रोत सुंगाओं के बारे में जानकारी प्रदान करता है कि वे ब्रह्मण थे?
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पुष्यमित्र की मृत्यु कब हुई?
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सुगों के शासन में किस प्रकार की प्रशासनिक संरचना थी?
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सुगों का अंतिम शासक कौन था?
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सुगों के द्वारा किस धर्म को अपनाया गया था?
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कौन सा प्रमुख कार्य पुष्यमित्र के कार्यकाल के दौरान किया गया था?
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कौन सा साम्राज्य कला के लिए महत्वपूर्ण था?
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कौन सा राजा सुंग साम्राज्य का अंतिम राजा था?
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कान्व वंश का संस्थापक कौन था?
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संची स्तूप की उत्तरी तोरण का निर्माण किस काल में हुआ था?
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कान्वों की राजनीतिक भूमिका किस साम्राज्य के अधीन शुरू हुई?
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सुगम कला का एक प्रमुख लक्षण क्या है?
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सुंग साम्राज्य के किस शासन के दौरान कला का उत्थान हुआ?
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कान्व साम्राज्य की अवधि क्या थी?
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सुंग साम्राज्य किस वर्ष समाप्त हुआ?
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कान्व वंश के शासक कौन थे?
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सुविशाख, जो सौराष्ट्र का गवर्नर था, किस राजा के आदेश पर तालाब का पुनर्निर्माण किया गया था?
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कुशान साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था?
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किस साम्राज्य के तहत पहले सोने के सिक्के जारी किए गए थे?
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किस क्षेत्र में कुशान साम्राज्य का सबसे बड़ा विस्तार हुआ था?
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गोंडोफेरनेस किस साम्राज्य का प्रसिद्ध शासक था?
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किस राजा ने महायान बौद्ध धर्म की मान्यताओं को अंतिम रूप दिया?
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कुशान साम्राज्य की परिकल्पना किस जनसांख्यिकी के द्वारा की गई थी?
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कुशान साम्राज्य की शुरुआत किस वंश से हुई थी?
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कुशान साम्राज्य की ख्याति के लिए क्या सबसे महत्वपूर्ण था?
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गुप्त काल में तालाब का पुनर्निर्माण किसने किया था?
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Study Notes
शुंग वंश
- १८० ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट् वृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की थी, जिससे शुंग वंश की स्थापना हुई।
- शुंग राजा ब्राह्मण थे, वेद ग्रंथों में शुंग शिक्षकों के कई उल्लेख मिलते हैं। पाणिनी के अनुसार, शुंग भारद्वाज गोत्र के थे। कालिदास के मालविकाग्निमित्र में अग्निमित्र को बैम्बिका कुल से बताया गया है।
- पुराणों के अनुसार, शुंग शासन ११२ वर्षों तक चला। मगध राज्य का केंद्र था। पुष्यमित्र ३६ वर्षों तक शासन किया और १५१ ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु हुई। उनके पुत्र अग्निमित्र और फिर उनके पुत्र वसुमित्र उत्तराधिकारी बने।
- अशोक के धम्म और बौद्ध धर्म के बाद, शुंग ब्राह्मणवादी रूढ़िवादिता के लिए जाने जाते हैं। दिव्यावदान पुष्यमित्र को बौद्ध मठों और पूजा स्थलों के विध्वंसक के रूप में चित्रित करता है, खासकर अशोक द्वारा निर्मित।
- अंतिम शुंग राजा देवभूति थे, जिनकी हत्या उनके ब्राह्मण मंत्री वासुदेव ने की थी। इस प्रकार, ७५ ईसा पूर्व में शुंग वंश का अंत हुआ। उनके बाद कण्व वंश आया, जिसके संस्थापक वासुदेव थे।
- शुंग शासन पटना को केंद्र मानकर मध्य गंगा मैदान, ऊपरी गंगा घाटी और पूर्वी मालवा तक फैला था। कुछ दूर के क्षेत्र शायद सीधे उनके नियंत्रण में नहीं थे, बल्कि राजनीतिक निष्ठा रखते थे।
- पुष्यमित्र का पटना में एक केंद्रीय प्रशासन था। उन्हें मंत्रियों और नौकरशाहों की एक परिषद ने सहायता की, और उनका साम्राज्य प्रांतों में विभाजित था। प्रांतों का प्रबंधन शाही रक्त के गवर्नर करते थे, जिन्हें एक परिषद सहायता देती थी। कुछ स्वायत्त आदिवासी क्षेत्र भी शामिल किए गए थे।
- पतंजलि का उल्लेख है कि पुष्यमित्र के अधीन बुलाई गई सभा शायद मंत्रिपरिषद या सभा के रूप में कार्य करती थी।
- शुंग कला में भरहुत, बोधगया और साँची स्तूपों पर शुंग शासकों के संरक्षण के प्रमाण हैं। भरहुत स्तूप के द्वार और रेलिंग और साँची स्तूप की सुंदर द्वार रेलिंग शुंग काल में बनी थीं। इस काल में लघु टेराकोटा प्रतिमाएँ, बड़ी पत्थर की मूर्तियाँ और भाजा में चैत्य हॉल, भरहुत में स्तूप और साँची में महान स्तूप जैसे स्थापत्य स्मारक दिखाई देते हैं। शुंग कला की एक विशिष्ट औपचारिक विशेषता इसकी बहती हुई रैखिक लय है। पतंजलि के योग पर विचारों का संश्लेषण एक विचारधारा का आधार बना।
कण्व वंश
- कण्व वंश, जिसे कण्वयान भी कहा जाता है, मगध के उत्तरी भारतीय साम्राज्य में शुंगों के उत्तराधिकारी थे। कण्वों ने लगभग ७२-२८ ईसा पूर्व तक शासन किया; अपने पूर्ववर्तियों की तरह, वे मूल रूप से ब्राह्मण थे। पुराणों में उन्हें शुंगभृत्य (अर्थात, शुंगों के सेवक) कहा गया है, जो यह दर्शाता है कि वे मूल रूप से शुंग वंश की सेवा करते थे।
- वासुदेव कण्व ने ७५ ईसा पूर्व में कण्व वंश की स्थापना की थी।
विदेशी आक्रमण के कारण
- (यह भाग पाठ में स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है, इसलिए इस पर नोट्स नहीं बनाए जा सकते।)
हिन्द-यूनानी
- (भौगोलिक विस्तार, हिन्द-यूनानी शासन का महत्व, हिन्द-यूनानी सिक्के - पाठ में उल्लेख है, लेकिन विवरण नहीं है, इसलिए इस पर नोट्स नहीं बनाए जा सकते)
शक
- (भौगोलिक विस्तार, शक के विभिन्न शाखाएँ, शक का महत्व, रुद्रदामन प्रथम - पाठ में उल्लेख है, लेकिन विवरण नहीं है, इसलिए इस पर नोट्स नहीं बनाए जा सकते)
पारथियन
- (भौगोलिक विस्तार - पाठ में उल्लेख है, लेकिन विवरण नहीं है, इसलिए इस पर नोट्स नहीं बनाए जा सकते)
कुषाण
- मूलतः उत्तर-मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र से थे। उन्होंने सिंधु नदी के निचले बेसिन और गंगा नदी के अधिकांश भाग पर अपना अधिकार स्थापित किया। उनका साम्राज्य ऑक्सस नदी से गंगा नदी तक फैला हुआ था।
- कनिष्क सबसे प्रसिद्ध कुषाण शासक था। उसने ७८ ईस्वी में एक युग शुरू किया, जिसे शक संवत कहते हैं और भारत सरकार द्वारा जारी किया जाता है। कनिष्क ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया। उसने कश्मीर में एक बौद्ध परिषद आयोजित की, जहाँ महायान बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अंतिम रूप दिया गया था। अफगानिस्तान और सिंधु के पश्चिम में कुषाण साम्राज्य ईरान की सासानीय शक्ति द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था, लेकिन भारत में कुषाण रियासतें लगभग एक शताब्दी तक मौजूद रहीं।
- कुषाण सिक्कों पर शिव और बुद्ध दोनों की मूर्तियाँ थीं।
मध्य एशियाई संपर्क का प्रभाव
- (संरचनाएँ और मिट्टी के पात्र, घुड़सवार सेना, व्यापार और कृषि, राजनीति, समाज में नए तत्व, धार्मिक विकास - पाठ में उल्लेख है, लेकिन विवरण नहीं है, इसलिए इस पर नोट्स नहीं बनाए जा सकते)
गांधार और मथुरा कला शैली
- कुषाण साम्राज्य ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित कलाकारों को एक साथ लाया, जिससे कई कला स्कूलों का उदय हुआ: मध्य एशियाई, गांधार और मथुरा। मध्य एशियाई मूर्तियाँ बौद्ध धर्म के प्रभाव में स्थानीय और विदेशी दोनों तत्वों के संश्लेषण को दर्शाती हैं। यूनानियों और रोमनों के संपर्क में भारतीय कारीगरों ने नई कलाएँ बनाईं जिनमें बुद्ध की मूर्तियाँ ग्रीको-रोमन शैली में बनाई गई थीं। बुद्ध के बालों को ग्रीको-रोमन शैली में ढाला गया था। मथुरा ने बुद्ध की सुंदर मूर्तियाँ बनाईं लेकिन यह कनिष्क की बिना सिर वाली मूर्ति के लिए भी प्रसिद्ध है। इसने वर्धमान महावीर की पत्थर की मूर्तियाँ भी बनाईं। मथुरा के कलात्मक उत्पाद लाल बलुआ पत्थर से बने थे। इस अवधि के दौरान महाराष्ट्र में सुंदर बौद्ध गुफाएँ बनाई गई थीं।
साहित्य और शिक्षा
- विदेशी राजकुमारों ने संस्कृत साहित्य का संरक्षण और खेती की। काव्य शैली का सबसे पहला नमूना कठियावाड़ के रुद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में मिलता है। अश्वघोष, जिन्होंने बुद्धचरित लिखा था, कुषाण के संरक्षण में रहे। उन्होंने सौंदराणंद की रचना भी की जो संस्कृत काव्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। आदान - महायान बौद्ध धर्म की शिक्षाएँ प्रचार करने के लिए महायान बौद्ध धर्म की रचनाएँ।
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इस प्रश्नोत्तरी में शुंग वंश के प्रारंभ, प्रमुख शासकों और उनके शासनकाल के बारे में जानकारी दी गई है। आप जानेंगे कि किस प्रकार पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य सम्राट् वृहद्रथ की हत्या के बाद शुंग वंश की स्थापना की। शुंग वंश के धार्मिक पहलुओं और अंत के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें।