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Questions and Answers
राज्य तवि आयोग का मुख्य कार्य क्या है?
74 वें सांशोधन का 73 वें सांशोधन से क्या संबंध है?
भारतीय जनगणना के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में कितनी प्रतिशत आबादी निवास करती है?
राज्य निर्वाचन आयुक्त की स्थिति क्या होती है?
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शहरी क्षेत्र में न्यूनतम जनसंख्या की संख्या क्या है?
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महात्मा गांधी का स्थानीय सरकारों के प्रति क्या मानना था?
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भारतीय सरकार अधिनियम 1919 के तहत शुरू की गई क्या प्रवृत्ति थी?
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ग्राम पंचायतों की स्थापना का मुख्य कारण क्या था?
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स्थानीय भागीदारी का क्या महत्व था?
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भारतीय संविधान में स्थानीय सरकार का क्या स्थान है?
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भारतीय सरकार अधिनियम 1935 के बाद की प्रवृत्ति क्या थी?
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स्थानीय सरकारों का क्या उद्देश्य था?
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ग्राम पंचायतों को स्थानीय साझेदारी के रूप में क्यों देखा गया?
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तवभाजन के कारर् उथल-पुथल का मुख्य परिणाम क्या था?
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राष्ट्र की एकता के लिए नेहरू ने किस रूप में खुद को देखा?
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आर.बी.आर. आम्बेडकर का क्या योगदान था?
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73 वें और 74 वें संविधान संशोधनों का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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1952 में क्या योजना लागू की गई थी?
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कौन सा राज्य 1960 के आसपास स्थानीय निकायों की प्रणाली को अपनाया?
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ग्राम पंचायतों के लिए आधारिक व्यवस्था किसने सुझाई थी?
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स्थानीय सरकारों के गठन का कोई प्रयास कब हुआ था?
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ग्यारहवीं अनुसूची के अंतर्गत कौन-से कार्य शामिल हैं?
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ग्राम स्तर पर स्थानीय सरकार के विकास में क्या बाधाएँ थीं?
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स्थानीय सरकारों में लोगों की भागीदारी का महत्व किसने स्वीकार किया?
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73 वें संशोधन के प्रावधानों का विस्तार किन क्षेत्रों में लागू नहीं किया गया?
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कौन-सा कार्य ग्राम सभाओं को स्थानीय संसाधनों के प्रबंधन में प्राधिकृत करता है?
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73 वें संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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राज्य चुनाव आयोग का कार्य क्या है?
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स्थानीय योजनाओं में कौन-सा कार्य शामिल नहीं है?
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ग्राम पंचायतों को किन मामलों में ग्राम सभा की सहमति प्राप्त करनी होती है?
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कौन-सा कार्य ग्रामीण विद्युतीकरण से संबंधित है?
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ग्राम सभाओं को किसके द्वारा अधिकार दिए जाते हैं?
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पंचायती राज व्यवस्था का उद्देश्य क्या है?
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ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के बीच क्या संबंध है?
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पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों की प्रक्रिया कैसे होती है?
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महिलाओं के लिए आरक्षण का क्या महत्वपूर्ण पहलू है?
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अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया क्या है?
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पंचायती राज का कार्यकाल कितने वर्षों का होता है?
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तुलनात्मक रूप से, ग्राम सभा किस बात की ज़िम्मेदार है?
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पंचायती राज संस्थाओं के लिए चुनावों को रद्द करने की प्रक्रिया का क्या समय सीमा है?
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ग्राम पंचायत में कौन से विषय शामिल होते हैं?
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ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में क्या समानता होती है?
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राज्य तवि आयोग की समीक्षा का क्या मुख्य उद्देश्य है?
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74 वें संशोधन में शहरी क्षेत्र के लिए न्यूनतम जनसंख्या की संख्या क्या है?
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73 और 74 वें संशोधन के बीच की समानताओं में से कौन-सा सत्य है?
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शहरी क्षेत्र की जनसांख्यिकी में क्या प्रतिशतता शामिल है?
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राज्य निर्वाचन आयोग की स्थिति किस तरह की है?
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73 वां संविधान संशोधन किस प्रकार की स्थानीय सरकारों से संबंधित है?
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74 वां संविधान संशोधन किस वर्ष लागू हुआ?
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स्थानीय सरकारों को मजबूती देने के लिए 73 वें और 74 वें संशोधनों का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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73 वें संशोधन में किस प्रकार की संरचना को परिभाषित किया गया है?
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74 वां संशोधन स्थानीय सरकारों की किस विशेषता से संबंधित है?
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73 वें संविधान संशोधन के लागू होने से पहले, राज्यों को क्या करना पड़ा?
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73 वें और 74 वें संशोधनों में 'पीआरआई' का क्या अर्थ है?
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73 वां संशोधन किस वर्ष में पेश किया गया था?
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महात्मा गांधी का स्थानीय पंचायतों के बारे में क्या विचार था?
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73 वां संशोधन किस स्तर तक स्थानीय सरकारी संस्थाओं के गठन को प्रभावित करता है?
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भारतीय सरकार अधिनियम 1919 के बाद ग्राम पंचायतों की स्थापना का क्या कारण था?
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स्थानीय सरकारों को संविधान में अधिक महत्व क्यों नहीं मिला?
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भारतीय संविधान में स्थानीय सरकारों का विषय किसका परिणाम था?
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लगभग कब से ग्राम पंचायतों का विकास प्रारंभ हुआ?
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स्थानीय भागीदारी के प्रभावी होने के लिए क्या आवश्यक था?
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भारतीय संविधान में स्थानीय सरकारों की संरचना के संदर्भ में क्या कहा गया है?
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सांविधानिक व्यवस्था में ग्राम पंचायतों का किस प्रकार से संबंध है?
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स्थानीय सरकारों के विकास में कौन सी बाधा मुख्य रूप से बताई गई है?
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नेहरू ने राष्ट्र की एकता के लिए खुद को किस रूप में देखा?
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1952 में लागू किए गए सामुहिक विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के पहले स्थानीय सरकारों को बनाने की पहले की कोशिश कब हुई थी?
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ग्राम पंचायतों की स्थापना का आधार किसने सुझाया था?
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1960 के आसपास किस राज्य ने स्थानीय निकायों की प्रणाली अपनाई थी?
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तवभाजन के कारण सरकार में क्या परिवर्तन आया?
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स्थानीय विकास की दिशा में होने वाले प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम क्या था?
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73 वें संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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स्थानीय सरकारों के निर्माण में पहली बार किस चीज़ की मांग की गई थी?
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ग्यारहवीं अनुसूची में निम्नलिखित में से कौन सा कार्य शामिल है?
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73 वें संशोधन के तहत, पंचायतों की शक्तियों को किस प्रकार सीमित किया जा सकता है?
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आदिवासी क्षेत्रों में पंचायत प्रणाली के लिए अलग अधिनियम कब पारित किया गया?
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स्थानीय संसाधनों के प्रबंधन में ग्राम सभाओं को किस प्रकार के अधिकार दिए जाते हैं?
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73 वें संशोधन के प्रावधानों का विस्तार किन क्षेत्रों में लागू नहीं किया गया?
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ग्राम पंचायतों को ग्राम सभा की सहमति क्यों प्राप्त करनी होती है?
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ग्राम सभाओं को स्थानीय संसाधनों का प्रबंधन करने के लिए किस प्रकार की स्वीकृति की आवश्यकता होती है?
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ग्राम पंचायतों के चुनावों की जिम्मेदारी किस पर होती है?
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किस प्रकार का कार्य आदिवासी समुच्चय के पारंपरिक अधिकारों का संरक्षण करता है?
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ग्राम सभा को स्थानीय संसाधनों में क्या प्रकार का नियंत्रण दिया जाता है?
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73 वें और 74 वें संशोधन का क्या मुख्य लाभ है?
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73 वें और 74 वें संशोधनों के तहत कितने ग्राम पंचायतें स्थापित की गई हैं?
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स्थानीय निकायों में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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73 वें और 74 वें संशोधनों द्वारा स्थापित स्थानीय सरकारों की कितनी संस्थाएँ हैं?
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महिलाओं के लिए आरक्षण के प्रावधान ने स्थानीय निकायों में क्या परिवर्तन किया है?
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ग्राम सभा की प्रक्रिया में कौन-सा कार्य प्रमुख होता है?
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ग्राम पंचायत के चुनाव में कितने वर्षों का कार्यकाल होता है?
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ग्राम सभा में किसी भी व्यक्ति की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु क्या है?
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ग्राम पंचायत की अध्यक्षता कौन करता है?
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ग्राम पंचायत की गतिविधियों में से किसकी जिम्मेदारी ग्राम सभा पर होती है?
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ग्रामसभा के सदस्यों का चुनाव किस प्रकार किया जाता है?
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ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव करने के लिए कितने वार्ड होते हैं?
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ग्राम पंचायत में सरपंच के चुनाव का कार्य कौन करता है?
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ग्राम सभा की मौलिक जिम्मेदारी क्या होती है?
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ग्राम पंचायत में सदस्यों की संख्या का निर्धारण किसके द्वारा किया जाता है?
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राज्य तवि आयोग का मुख्य कार्य क्या है?
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74 वें और 73 वें संशोधन में क्या समानता है?
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भारतीय जनगणना के अनुसार शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाली आबादी का प्रतिशत क्या है?
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शहरी क्षेत्र के लिए न्यूनतम जनसंख्या की संख्या क्या है?
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राज्य निर्वाचन आयोग की स्थिति कैसी होती है?
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राज्य तवि आयोग द्वारा कौन-सी गतिविधियाँ की जाती हैं?
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कौन-सा कार्य नगरपालिकाओं के लिए लागू नहीं होता?
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73 वें संशोधन में स्थानीय सरकारों के लिए कौन-सा कार्य प्रदान किया गया है?
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74 वें संशोधन में ग्राम पंचायतों के लिए किन कार्यों का शामिल किया गया?
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ग्राम पंचायत के कार्यकाल की अवधि कितने वर्षों की होती है?
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ग्राम सभा की प्रमुख जिम्मेदारी क्या है?
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कौन सा विषय पंचायत स्तर के विकास से संबंधित है?
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महिलाओं के लिए आरक्षण का महत्वपूर्ण पहलू क्या है?
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पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों और जनजातियों के लिए आरक्षण किस आधार पर प्रदान किया जाता है?
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ग्राम सभाओं की जिम्मेदारियों में क्या शामिल नहीं है?
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किस प्रक्रिया के तहत राज्य सरकार पुनर्निर्वाचन करवा सकती है?
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ग्राम पंचायतों की मूल संरचना में क्या प्रमुख है?
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ग्राम पंचायतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था किस ग्रेड के अनुसार होती है?
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ग्राम सभा की नियुक्ति में किसका योगदान होता है?
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महात्मा गांधी के अनुसार स्थानीय सरकारों को मजबूती देने का मुख्य कारण क्या था?
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भारतीय सरकार अधिनियम 1919 के बाद ग्राम पंचायतों की स्थापना किस कारण से की गई?
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स्थानीय सरकारों को संविधान में पर्याप्त महत्व क्यों नहीं दिया गया?
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ग्राम पंचायतों को स्थानीय साझेदारी के रूप में क्यों देखा जाता है?
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भारतीय संविधान के निर्माण के समय स्थानीय सरकार का प्रमुख विषय किसको सौंपा गया था?
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भारतीय सरकार अधिनियम 1935 के तहत स्थानीय सरकारों की प्रवृत्ति का मुख्य लक्ष्य क्या था?
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स्थानीय भागीदारी के बिना, विकास के सभी पहलों में क्या कमी हो सकती है?
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भारतीय संविधान के अनुसार सरकारी नीतियों में स्थानीय सरकारों का क्या स्थान होना चाहिए?
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राज्य तवि आयोग का मुख्य कार्य क्या है?
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74 वें संशोधन में शहरी क्षेत्र के लिए जनसंख्या के संबंधित मानदंडों में से कौन-सा सही है?
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गत 73 और 74 वें संशोधनों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य सही है?
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स्थानीय सरकारों का वित्तीय प्रबंधन किस प्रकार सुनिश्चित किया जाता है?
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भारतीय जनगणना के अनुसार, 2011 में शहरी क्षेत्रों में कितनी प्रतिशत आबादी निवास करती है?
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स्थानीय सरकार का मुख्य फोकस किस क्षेत्र में होता है?
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स्थानीय सरकारें लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए किस प्रकार से कार्यात्मक होती हैं?
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भारतीय स्थानीय सरकारों का विकास कब शुरु हुआ था?
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स्थानीय सरकारों का एक प्रमुख लाभ क्या है?
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स्थानीय सरकारों का उद्देश्य स्थानीय लोगों को क्या प्रदान करना है?
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स्थानीय सरकार की मजबूती का क्या प्रभाव होता है?
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स्थानीय सरकारों के गठन में किस तथ्य का समर्थन होता है?
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ग्राम सभाओं में क्या कार्य शामिल होता है?
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महात्मा गांधी ने स्थानीय सरकारों की मजबूती को किस चीज़ का एक साधन माना?
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भारतीय सरकार अधिनियम 1919 के बाद ग्राम पंचायतों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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स्थानीय भागीदारी को उचित मानते हुए, पंचायतों को किस रूप में देखा गया?
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भारत में स्थानीय सरकारों को संविधान में महत्व क्यों नहीं प्राप्त हुआ?
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भारतीय संविधान में स्थानीय सरकारों के कार्यों का मुख्य उद्देश्य क्या था?
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स्थानीय अधिकारियों की भूमिका में समुदाय की भागीदारी का क्या महत्व था?
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स्थानीय सरकारों की संरचना के संदर्भ में सांतवधान का क्या योगदान है?
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ग्राम पंचायतों के खिलाफ एक सामान्य भ्रांति क्या हो सकती है?
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स्थानीय सरकारों के विकास में महात्मा गांधी की दृष्टि का क्या प्रभाव था?
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भारतीय सरकार अधिनियम 1935 के बाद का क्या परिवर्तन हुआ?
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स्थानीय निकायों को स्थानीय सहायता प्रदान करने में कौन सी समस्या मुख्य रूप से उत्पन्न होती है?
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1987 के बाद स्थानीय सरकारी संस्थानों के कामकाज की समीक्षा का क्या उद्देश्य था?
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कई राज्यों में स्थानीय निकायों के चुनाव होने की प्रक्रिया में क्या बाधा उत्पन्न होती है?
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स्थानीय निकायों को किस प्रकार मदद करने के लिए राज्य और केन्द्र सरकारों पर निर्भर रहना पड़ता है?
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स्थानीय घोषणाओं के अनुसार, अप्रत्यक्ष चुनावों की प्रक्रिया का क्या मुख्य उद्देश्य है?
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1989 में स्थानीय सरकारी संस्थानों की स्थिति को सुधारने के लिए किसका उपयोग किया गया था?
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स्थानीय निकायों के अधिकारों को भंग करने के परिणाम क्या होते हैं?
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स्थानीय निकायों के कार्यों का स्थगन किससे संबंधित है?
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स्थानीय निकायों के चुनावों पर किस कारक का प्रभाव पड़ता है?
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अप्रत्यक्ष चुनावों के कारण स्थानीय निकायों में क्या परिवर्तन होता है?
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ग्यारहवीं अनुसूची में किन कार्यों को शामिल किया गया है?
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73 वें संविधान संशोधन का प्रमुख उद्देश्य किसका संरक्षण करना है?
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73 वें संशोधन की अनुपालन में विशेष क्षेत्रों के लिए स्थापित अलग कानून का क्या उद्देश्य है?
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राज्य निर्वाचन आयुक्त की मुख्य जिम्मेदारी क्या होती है?
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आदिवासी समुदायों में संसाधनों के प्रबंधन के लिए कौन-सा प्रावधान है?
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पंचायती राज संस्थाओं को समाप्त करने का अधिकार किसके पास है?
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ग्राम सभा के लिए क्या आवश्यक है?
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आदिवासी क्षेत्रों में 73 वें संशोधन को लागू नहीं करने का एक कारण क्या हो सकता है?
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कौन सा विषय ग्यारहवीं अनुसूची के अंतर्गत नहीं आता है?
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73 वें एवं 74 वें संशोधनों में मुख्य रूप से किस बात पर ध्यान दिया गया है?
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Study Notes
स्थानीय शासन: 73वां और 74वां संशोधन
- लॉर्ड रिपन ने ग्रामीण भारत में स्थानीय निकायों की स्थापना की शुरुआत की।
- इन्हें स्थानीय रूप से ”म्युनिसिपैलिटी” के रूप में जाना जाता था।
- भारत सरकार अधिनियम 1919 के बाद से, कई प्रांतों में ग्राम पंचायतों की स्थापना की गई।
- यह प्रवृत्ति भारत सरकार अधिनियम 1935 के बाद जारी रही।
- भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान, महात्मा गांधी ने आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण पर जोर दिया।
- उनका मानना था कि ग्राम पंचायतों को मजबूत करना प्रभावी विकेंद्रीकरण का एक साधन था।
- विकास के सभी पहलुओं में सफल होने के लिए स्थानीय भागीदारी जरूरी है।
- इसलिए, पंचायतों को विकेंद्रीकरण और भागीदारी लोकतंत्र के अंग के रूप में देखा गया।
- भारत के नेताओं के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करना एक आश्वासन था कि निर्णय लेने, कार्यान्वयन और प्रशासनिक शक्तियों का विकेंद्रीकरण होगा।
- जब संविधान बनाया गया था, स्थानीय सरकार का विषय राज्यों को सौंपा गया था।
- इसे देश की सभी सरकारों के लिए नीतिगत सिद्धांतों में से एक के रूप में भी स्वीकार किया गया था।
संविधान में स्थानीय सरकारों को महत्व क्यों नही मिला?
- विभाजन के कारण होने वाली अशांति के परिणामस्वरूप संविधान में एक मजबूत एकात्मक झुकाव पैदा हुआ।
- राष्ट्र की एकता और एकीकरण के लिए नेहरू ने खुलेपन को सीमा स्थानीयता के रूप में देखा।
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर, संविधान सभा में एक शक्तिशाली आवाज थी। उनके नेतृत्व में महसूस किया गया कि ग्रामीण समाज की गुट और जाति-ग्रस्त प्रकृति ग्रामीण स्तर पर स्थानीय सरकार के महान उद्देश्य को नष्ट कर देगी।
- हालांकि, किसी ने भी विकास योजना में लोगों की भागीदारी के महत्व से इनकार नहीं किया।
- संविधान सभा के कई सदस्य चाहते थे कि ग्राम पंचायतें भारत में लोकतंत्र का आधार बनें।
73वां और 74वां संवैधानिक संशोधन से पहले
- 73वां और 74वां संवैधानिक संशोधन अधिनियमों ने स्थानीय सरकारों को मान्यता दी।
- लेकिन इससे पहले भी, स्थानीय सरकारी निकायों के विकास की दिशा में कुछ प्रयास पहले ही हो चुके थे।
- सबसे पहले, 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम था, जिसमें कई गतिविधियों में स्थानीय विकास में लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने की मांग की गई थी।
- इसके आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्थानीय सरकार की त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का सुझाव दिया गया था।
- कुछ राज्यों (जैसे गुजरात, महाराष्ट्र) ने 1960 के आसपास पारंपरिक स्थानीय निकायों की प्रणाली को अपनाया।
पंचायती राज संस्थान
- ग्राम सभा गांव में सभी वयस्कों के लिए एक निकाय है।
- यह नियमित रूप से मिलती है और इसका एक मुख्य कार्य सभी गांवों के लिए विकास कार्यक्रमों को लागू करना है जो इसमें शामिल हैं।
- ग्राम सभा द्वारा ग्राम पंचायत के कार्य को अनुमोदित किया जाता है।
- कुछ राज्यों में, ग्राम सभाओं ने निर्माण और विकास समितियों जैसी समितियां बनाई हैं।
- इन समितियों में कुछ सदस्य ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के होते हैं, जो विशिष्ट कार्य करने के लिए एक साथ काम करते हैं।
चुनाव
- पंचायती राज संस्थाओं के सभी तीन स्तर सीधे लोगों द्वारा चुने जाते हैं।
- प्रत्येक पंचायती निकाय का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।
- यदि राज्य सरकार अपने पांच साल के कार्यकाल के समाप्त होने से पहले पंचायत को भंग कर देती है, तो ऐसे विघटन के छह महीने के भीतर पुनर्निर्वाचित चुनाव होने चाहिए।
आरक्षण
- सभी पंचायती संस्थानों में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।
- अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण भी उनकी जनसंख्या के अनुपात में, सभी तीन स्तरों पर प्रदान किया जाता है।
- यदि राज्यों को यह आवश्यक लगता है, तो वे अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) के लिए भी आरक्षण प्रदान कर सकते हैं।
- यह आरक्षण सभी तीन स्तरों पर, अध्यक्ष या अध्यक्षों के पदों पर भी लागू होता है।
- महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण न केवल सामान्य श्रेणी की सीटों में है, बल्कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीटों के भीतर भी है। इसका मतलब है कि एक सीट महिला उम्मीदवार और अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लिए एक साथ आरक्षित हो सकती है।
- इस प्रकार, एक सरपंच को महिला या आदिवासी महिला होना पड़ता था।
विषयों का हस्तांतरण
- 29 विषय, जो पहले विषयों की राज्य सूची में थे, को संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में रखा गया और सूचीबद्ध किया गया है।
- इन विषयों को पंचायती राज संस्थानों को हस्तांतरित किया जाता है।
- ये विषय ज्यादातर स्थानीय स्तर पर विकास और कल्याण कार्यों से जुड़े थे।
- इन कार्यों का वास्तविक हस्तांतरण राज्य विधान पर निर्भर करता है।
- प्रत्येक राज्य यह तय करता है कि इन सूचीबद्ध विषयों में से किन्हें स्थानीय निकायों को हस्तांतरित किया जाएगा।
अनुच्छेद 243 जी: पंचायतों के शक्तियों, अधिकारों और जिम्मेदारियों …,कानून द्वारा, एक राज्य की विधानमंडल, ऐसी
शक्तियों और अधिकारों वाली पंचायतों को समाप्त कर सकती है …।...सम्मान के साथ..ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध मामले।
- ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध कुछ विषय:
- कृषि
- लघु सिंचाई, जल प्रबंधन और वाटरशेड विकास
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों सहित लघु उद्योग
- ग्रामीण आवास
- पेयजल
- सड़कें, पुल
- ग्रामीण विद्युतीकरण
- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
- प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों सहित शिक्षा आदि
73वां संशोधन के लिए अपवाद
- 73वां संशोधन के प्रावधान, भारत के कई राज्यों में, आदिवासी आबादी द्वारा बसे क्षेत्रों पर लागू नहीं किए गए थे। 1996 में, इन क्षेत्रों में पंचायती प्रणाली के प्रावधानों का विस्तार करते हुए एक अलग अधिनियम पारित किया गया।
- कई आदिवासी समुदायों में सामान्य संसाधनों जैसे जंगलों और छोटे पानी के जलाशयों आदि के प्रबंधन के अपने पारंपरिक रीति-रिवाज हैं।
- इसलिए नया अधिनियम इन समुदायों के अधिकारों को उनके स्वीकार्य तरीके से अपने संसाधनों का प्रबंधन करने के लिए सुरक्षित रखता है।
- इस उद्देश्य के लिए इन क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार दिए जाते हैं, और पारंपरिक ग्राम पंचायतों को कई मामलों में ग्राम सभा की सहमति प्राप्त करनी होती है।
- इस अधिनियम के पीछे का विचार यह है कि आधुनिक पारंपरिक निकायों की शुरुआत करते समय स्व-सरकार की स्थानीय परंपराओं की रक्षा की जानी चाहिए।
राज्य चुनाव आयोग
- राज्य सरकार को एक राज्य चुनाव आयोग नियुक्त करना आवश्यक है जो पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार होगा।
- पहले यह कार्य राज्य प्रशासन द्वारा किया जाता था जो राज्य सरकार के नियंत्रण में था।
- अब, राज्य निर्वाचन आयोग का कार्यालय भारत के चुनाव आयोग की तरह स्वायत्त है।
- हालांकि, राज्य चुनाव आयोग एक स्वतंत्र अधिकारी है जो भारत के चुनाव आयोग से जुड़ा नहीं है और न ही यह अधिकारी चुनाव आयोग के नियंत्रण में है.
राज्य वित्त आयोग
- राज्य सरकार को पांच वर्षों में एक बार राज्य वित्त आयोग नियुक्त करना आवश्यक है।
- यह आयोग राज्य में स्थानीय सरकारों की वित्तीय स्थिति की जांच करेगा।
- यह एक ओर राज्य और स्थानीय सरकारों के बीच और दूसरी ओर ग्रामीण और शहरी स्थानीय सरकारों के बीच राजस्व के वितरण की भी समीक्षा करेगा।
- यह यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण स्थानीय सरकारों को धन का आवंटन, राजनीतिक मामला न हो।
74वां संशोधन
शहरी क्षेत्र
- भारत की जनगणना एक शहरी क्षेत्र को परिभाषित करती है:
- 5,000 की न्यूनतम जनसंख्या
- गैर-कृषि व्यवसायों में लगे पुरुष कामकाजी आबादी का कम से कम 75 प्रतिशत
- प्रति वर्ग किलोमीटर में कम से कम 400 व्यक्तियों की आबादी का घनत्व।
- 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की लगभग 31% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है।
73वां और 74वां संशोधन के बीच समानताएं
- कई मायनों में, 74वां संशोधन 73वें की पुनरावृत्ति है।
- 73वां संशोधन के सभी प्रावधान, सिवा इसके कि यह शहरी क्षेत्रों पर लागू होता है, 74वें की पुनरावृत्ति है।
- प्रत्यक्ष चुनाव, आरक्षण, विषयों का हस्तांतरण, राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य वित्त आयोग से संबंधित संशोधन 74वें संशोधन के साथ भी शामिल किए गए हैं और नगरपालिका पर भी लागू होते हैं।
स्थानीय शासन का इतिहास
- लॉर्ड रिपन, जो उस समय भारत के वायसराय थे, ने स्थानीय निकायों को बनाने की पहल की।
- स्थानीय निकायों को स्थानीय 'म्यूनिसिपलिटी' कहा जाता था।
- भारत सरकार अधिनियम 1919 के बाद, कई प्रांतों में ग्राम पंचायतों की स्थापना की गई।
- यह प्रवृत्ति, भारत सरकार अधिनियम 1935 के बाद भी जारी रही।
- भारत की स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के विकेंद्रीकरण का पुरजोर समर्थन किया था।
- उनका मानना था कि ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाना प्रभावी विकेंद्रीकरण का एक साधन था।
- विकास के सभी पहलुओं में सफल होने के लिए स्थानीय भागीदारी होना जरूरी है।
- इसलिए, पंचायतों को विकेंद्रीकरण और भागीदारी लोकतंत्र के अंग के रूप में देखा गया।
- हमारे नेताओं के लिए, स्वतंत्रता का मिलना एक आश्वासन था कि निर्णय लेने, कार्यकारी और प्रशासनिक शक्तियों का विकेंद्रीकरण होगा।
- जब संविधान तैयार किया गया था, स्थानीय सरकार का विषय राज्यों को सौंप दिया गया था।
- इसे देश की सभी सरकारों के नीति निर्धारण संस्थानों में से एक के रूप में भी वर्गीकृत किया गया था।
संविधान में स्थानीय सरकारों को महत्व न मिलने के कारण
- विभाजन के बाद की उथल-पुथल के परिणामस्वरूप संविधान में एक मजबूत एकात्मक झुकाव पैदा हुआ।
- राष्ट्र की एकता और एकीकरण के लिए नेहरू ने खुशी को शर्म स्थानीयता के रूप में देखा।
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर, संविधान सभा में एक शक्तिशाली आवाज थे। उनके नेतृत्व में यह महसूस किया गया कि ग्रामीण समाज की गुट और जाति-ग्रस्त प्रकृति स्थानीय सरकार के महान उद्देश्य को हराएगी।
- हालाँकि, किसी ने भी विकास योजना में लोगों की भागीदारी के महत्व से इनकार नहीं किया।
संविधान सभा के विचार
- संविधान सभा के कई सदस्य यह चाहते थे कि ग्राम पंचायतें भारत में लोकतंत्र का आधार बनें।
73 वें और 74 वें संविधान संशोधन से पहले
- 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन अधिनियमों के बाद स्थानीय सरकारों को मान्यता मिली।
- लेकिन इससे पहले, स्थानीय सरकारी निकायों के विकास की दिशा में कुछ प्रयास पहले ही हो चुके थे।
- सबसे पहले, 1952 में सामुदायिक विकास कार्यक्रम था, जिसमें कई गतिविधियों में स्थानीय विकास में लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देने की मांग की गई थी।
- इसके आधार पर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए स्थानीय सरकार की त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का सुझाव दिया गया था।
- कुछ राज्यों (जैसे गुजरात, महाराष्ट्र) ने 1960 के दशक में पारंपरिक स्थानीय निकायों की प्रणाली को अपनाया।
- थुंगन समिति ने स्थानीय सरकारी निकायों के लिए संवैधानिक मान्यता की सिफारिश की।
- इसने स्थानीय सरकारी संस्थानों को समय-समय पर चुनाव कराने के लिए एक संवैधानिक संशोधन की सिफारिश की, और धन के साथ उन्हें उपयुक्त कार्यों की सूची दी।
73वाँ और 74वाँ संविधान संशोधन
- 1989 में केंद्र सरकार ने दो संवैधानिक संशोधन पेश किए।
- इन संशोधनों का उद्देश्य स्थानीय सरकारों को मजबूत बनाना और देश भर में उनकी संरचना और कामकाज में एकरूपता को सुनिश्चित करना है।
- बाद में 1992 में, 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन को संसद द्वारा पारित किया गया।
- 73 वां संशोधन ग्रामीण स्थानीय सरकारों (जिन्हें पंचायती राज संस्थान या PRI के रूप में भी जाना जाता है) के बारे में है और 74 वां संशोधन शहरी स्थानीय सरकार (नगरपालिका) से संबंधित प्रावधानों के बारे में है।
- 1993 में 73 वें और 74 वें संशोधन लागू हुए थे।
- संविधान के संशोधन के बाद, राज्यों को स्थानीय निकायों को संशोधित संविधान के अनुरूप लाने के लिए अपने कानूनों को बदलना पड़ा।
73वाँ संशोधन
- इसने तीन स्तरीय संरचना का प्रस्ताव दिया।
तीन स्तरीय संरचना
- सभी राज्यों में अब त्रि-स्तरीय पंचायती राज संरचना है।
- ग्राम पंचायत आधार पर है।
- एक ग्राम पंचायत में एक गाँव या गाँवों का समूह शामिल होता है।
- मध्यस्थ स्तर एक 'मंडल' है (जिसे ब्लॉक या तालुका के रूप में भी जाना जाता है)।
कार्यों का हस्तांतरण
- इन कार्यों का वास्तविक हस्तांतरण राज्य विधान पर निर्भर करता है।
- प्रत्येक राज्य यह तय करता है कि इन विषयों में से कितने को स्थानीय निकायوں को हस्तांतरित किया जाएगा।
अनुच्छेद 243 जी: पंचायतों की शक्तियां, अधिकार और जिम्मेदारियां...
- कानून द्वारा, एक राज्य की विधानमंडल, ऐसी शक्तियों और अधिकार वाली पंचायतो को समाप्त कर सकती है...।...सम्मान के साथ..ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध मामले।
ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध कुछ विषय
- कृषि
- लघु सिंचाई, जल प्रबंधन और वाटरशेड विकास
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों सहित लघु उद्योग
- ग्रामीण आवास
- पेयजल
- सड़क, पुल
- ग्रामीण विद्युतीकरण
- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
- प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों सहित शिक्षा, आदि
73 वें संशोधन के लिए अपवाद
- 73 वें संशोधन के प्रावधान भारत के कई राज्यों में, आदिवासी आबादी द्वारा बसे क्षेत्रों पर लागू नहीं किए गए थे।
- 1996 में, इन क्षेत्रों में पंचायत प्रणाली के प्रावधानों का विस्तार करते हुए एक अलग अधिनियम पारित किया गया।
- कई आदिवासी समुदायों में सामान्य संसाधनों जैसे जंगलों और छोटे पानी के जलाशयों आदि के प्रबंधन के अपने पारंपरिक रीति-रिवाज हैं।
- इसलिए, नया अधिनियम इन समुदायों के अधिकारों को उनके स्वीकृत तरीके से अपने संसाधनों का प्रबंधन करने के लिए सुरक्षित रखता है।
- इस उद्देश्य के लिए, इन क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार दिए जाते हैं, और पारंपरिक ग्राम पंचायतों को कई मामलों में ग्राम सभा की सहमति प्राप्त करनी होती है।
- इस अधिनियम के पीछे का विचार यह है कि आधुनिक पारंपरिक निकायों की शुरुआत करते समय स्व-सरकार की स्थानीय परंपराओं की रक्षा की जानी चाहिए।
राज्य निर्वाचन आयोग
- राज्य सरकार को एक राज्य निर्वाचन आयोग नियुक्त करना आवश्यक है जो पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव कराने के लिए उत्तरदायी होगा।
- पहले यह कार्य राज्य प्रशासन द्वारा किया जाता था जो राज्य सरकार के नियंत्रण में था।
- अब, राज्य निर्वाचन आयोग का कार्यालय भारत के निर्वाचन आयोग की तरह स्वायत्त है।
- हालांकि, राज्य निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र अधिकारी है जो भारत के निर्वाचन आयोग से जुड़ा नहीं है और न ही यह अधिकारी निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में है।
राज्य वित्त आयोग
- राज्य सरकार को पाँच वर्षों में एक बार राज्य वित्त आयोग नियुक्त करना आवश्यक है।
- यह आयोग राज्य में स्थानीय सरकारों की वित्तीय स्थिति की जाँच करेगा।
- यह एक ओर राज्य और स्थानीय सरकारों के बीच और दूसरी ओर ग्रामीण और शहरी स्थानीय सरकारों के बीच राजस्व के वितरण की भी समीक्षा करेगा।
- यह यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण स्थानीय सरकारों को धन का आवंटन, राजनीतिक मामला नहीं होगा।
74 वाँ संशोधन
शहरी क्षेत्र
- भारत की जनगणना एक शहरी क्षेत्र को परिभाषित करती है:
- 5,000 की न्यूनतम जनसंख्या
- गैर-कृषि व्यवसायों में लगे पुरुष कामकाजी आबादी का कम से कम 75 प्रतिशत
- प्रति वर्ग किलोमीटर में कम से कम 400 व्यक्तियों की आबादी का घनत्व।
- 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की लगभग 31% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है।
73 वें और 74 वें संशोधन के बीच समानताएँ
- कई मायनों में, 74 वां संशोधन 73 वें की पुनरावृत्ति है:
- 73 वें संशोधन के सभी प्रावधान, सिवाय इसके कि यह शहरी क्षेत्रों पर लागू होता है, 74 वें की पुनरावृत्ति है।
- प्रत्यक्ष चुनाव, आरक्षण, विषयों का हस्तांतरण, राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य वित्त आयोग से संबंधित संशोधन 74 वें संशोधन के साथ भी शामिल किए गए हैं और नगरपालिका पर भी लागू होते हैं।
- संविधान ने यह भी अनिवार्य किया है कि राज्य सरकार शहरी स्थानीय निकायों को कार्यों की एक सूची स्थानांतरित करे।
स्थानीय सरकार की भूमिका
- लॉर्ड रिपन ने भारत में ग्राम पंचायतों की शुरुआत की, जिन्हें स्थानीय रूप से 'मौजे' कहा जाता था।
- 1919 के भारत सरकार अधिनियम के बाद, कई प्रांतों में ग्राम पंचायतों की स्थापना हुई।
- 1935 के भारत सरकार अधिनियम ने ग्राम पंचायतों के विकास को आगे बढ़ाया।
- भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष के दौरान महात्मा गांधी ने वित्तीय और राजनीतिक अधिकारों के विकेंद्रीकरण पर जोर दिया।
- उनका मानना था कि ग्राम पंचायतों को मजबूत करना, प्रभावी विकेंद्रीकरण का एक साधन है।
- विकास के सभी पहलुओं में स्थानीय भागीदारी होनी चाहिए।
- पंचायतों को विकेंद्रीकरण और भागीदारी लोकतंत्र के उपक्रमों के रूप में देखा गया।
- नेताओं के लिए स्वतंत्रता का मतलब था निर्णय लेने, कार्यकारी और प्रशासनिक शक्तियों का विकेंद्रीकरण।
- संविधान स्थापित करते समय, स्थानीय सरकार का विषय राज्यों को सौंप दिया गया था।
- स्थानीय सरकार को देश की सभी सरकारों के मूल सिद्धांतों के नीति-निर्देशों में से एक के रूप में भी वर्गीकृत किया गया था।
ग्राम पंचायत
- ग्राम पंचायतों को वार्डों, यानी छोटे क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
- प्रत्येक वार्ड एक प्रतिनिधि का चुनाव करता है जिसे वार्ड सदस्य (पंच) के रूप में जाना जाता है।
- ग्राम सभा के सभी सदस्य मिलकर एक सरपंच का चुनाव करते हैं, जो पंचायत का अध्यक्ष होता है।
- वार्ड के पंच और सरपंच मिलकर ग्राम पंचायत बनाते हैं.
- ग्राम पंचायत का कार्यकाल 5 साल का होता है।
- ग्राम पंचायत में एक सचिव होता है जो ग्राम सभा का भी सचिव होता है।
- यह व्यक्ति निर्वाचित नहीं होता है, बल्कि सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वह ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की बैठकें बुलाने और कार्यवाही का रिकॉर्ड रखने के लिए जिम्मेदार है।
ग्राम सभा
- ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्कों की एक बैठक है।
- ग्राम पंचायत क्षेत्र एक गांव या कुछ गांव हो सकते हैं।
- 18 साल या इससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति जो वोट देने के लिए योग्य है, वह ग्राम सभा का सदस्य है।
- ग्राम सभा ग्राम पंचायत को अपनी भूमिका निभाने और जिम्मेदार बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है।
- यह वह स्थान है जहां ग्राम पंचायत के काम की सभी योजनाएं लोगों के सामने रखी जाती हैं।
- ग्राम सभा पंचायत को गलत काम करने से रोकती है जैसे धन का दुरुपयोग या कुछ लोगों का पक्ष लेना।
- यह निर्वाचित प्रतिनिधियों पर नज़र रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उन्हें उन व्यक्तियों के प्रति जिम्मेदार बनाता है जिन्होंने उन्हें चुना है।
- इसकी भूमिका और कार्य राज्य विधान द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।
चुनाव
- पंचायती राज संस्थानों के सभी तीन स्तर सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं।
- प्रत्येक पंचायती संस्थान का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
- यदि राज्य सरकार अपने 5 साल के कार्यकाल खत्म होने से पहले पंचायत को भंग करती है, तो भंग होने के छह महीने के भीतर पुनर्नियुक्ति चुनाव आयोजित किए जाने चाहिए।
आरक्षण
- सभी पंचायती संस्थानों में महिलाओं के लिए कुल सीटों का एक तिहाई आरक्षित है।
- अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों (एससी/एसटी) के लिए आरक्षण भी, उनकी जनसंख्या के अनुपात में, सभी तीन स्तरों पर लागू किया जाता है।
- राज्य, यदि आवश्यक हो, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए भी आरक्षण प्रदान कर सकते हैं।
- यह आरक्षण सभी तीन स्तरों पर, सभापति या अध्यक्षों के पदों पर, भी लागू होता है।
- महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटों का आरक्षण न केवल सामान्य श्रेणी की सीटों में है, बल्कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों में भी है।
- इस प्रकार, एक सरपंच महिला या आदिवासी महिला होना चाहिए.
विषयों का हस्तांतरण
- 29 विषय, जो पहले राज्य सूची में थे, को संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची में शामिल किया गया है और सूचीबद्ध किया गया है।
- इन विषयों को पंचायती राज संस्थानों को हस्तांतरित किया जाता है।
- ये विषय ज्यादातर स्थानीय स्तर पर विकास और कल्याण कार्यों से जुड़े थे।
- पहले, यह काम राज्य प्रशासन द्वारा किया जाता था, जो राज्य सरकार के नियंत्रण में था।
राज्य चुनाव आयोग
- अब, राज्य चुनाव आयोग का कार्यालय भारत के चुनाव आयोग की तरह स्वायत्त है।
- हालांकि, राज्य चुनाव आयोग एक स्वतंत्र प्राधिकारी है जो भारत के चुनाव आयोग से जुड़ा नहीं है और न ही यह प्राधिकारी चुनाव आयोग के नियंत्रण में है।
राज्य वित्त आयोग
- राज्य सरकार को 5 साल में एक बार राज्य वित्त आयोग का गठन करना आवश्यक है।
- यह आयोग राज्य में स्थानीय सरकारों की वित्तीय स्थिति का आंकलन करेगा।
- यह राज्य और स्थानीय सरकारों के बीच, और ग्रामीण और शहरी स्थानीय सरकारों के बीच राजस्व के वितरण की भी समीक्षा करेगा।
- यह सुनिश्चित करता है कि ग्रामीण स्थानीय सरकारों को धन का आवंटन, राजनीतिक मामला नहीं होगा।
शहरी क्षेत्र
- भारत की जनगणना एक शहरी क्षेत्र को इस प्रकार परिभाषित करती है:
- 5,000 की न्यूनतम जनसंख्या
- गैर-कृषि व्यवसायों में लगे पुरुष कामकाजी आबादी का कम से कम 75 प्रतिशत
- प्रति वर्ग किलोमीटर में कम से कम 400 व्यक्तियों की आबादी का घनत्व।
- 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की लगभग 31% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है।
73वें और 74वें संशोधन के बीच समानताएं
- कई मायनों में, 74वां संशोधन 73वें की पुनरावृत्ति है।
- 73वें संशोधन के सभी प्रावधान, सिवाय इसके कि यह शहरी क्षेत्रों पर लागू होता है, 74वें की पुनरावृत्ति है।
- प्रत्यक्ष चुनाव, आरक्षण, विषयों का हस्तांतरण, राज्य चुनाव आयोग और राज्य वित्त आयोग से संबंधित संशोधन 74वें संशोधन में भी शामिल किए गए हैं और नगरपालिका पर भी लागू होते हैं।
- संविधान ने राज्य सरकार से शहरी स्थानीय निकायों तक कार्यों की सूची को हस्तांतरित करने का भी आदेश दिया।
- ये कार्य संविधान की बारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध हैं।
73वें और 74वें संशोधन का क्रियान्वयन
- सभी राज्यों ने अब 73वें और 74वें संशोधनों के प्रावधानों को लागू करने के लिए कानून पारित कर दिया है।
- आज 600 से अधिक जिला पंचायतें, लगभग 6,000 ब्लॉक या मध्यस्थ पंचायतें, और ग्रामीण भारत में 2,40,000 ग्राम पंचायतें और 100 से अधिक नगर निगम, 1400 शहर नगर पालिकाएं और शहरी भारत में 2000 से अधिक नगर पंचायतें हैं।
- हर पांच साल में, 32 लाख से अधिक सदस्य इन निकायों के लिए चुने जाते हैं।
- इनमें से कम से कम 13 लाख महिलाएं हैं।
- 73वें और 74वें संशोधनों ने पूरे देश में पंचायती राज और नगरपालिका संस्थानों की संरचनाओं में एकरूपता पैदा की है।
- इन स्थानीय संस्थानों की उपस्थिति अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और सरकार में लोगों की भागीदारी के लिए माहौल और मंच तैयार करेगा।
महिलाओं और एससी/एसटी के लिए आरक्षण
- पंचायतों और नगरपालिकाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण के प्रावधान ने स्थानीय निकायों में महिलाओं की महत्वपूर्ण संख्या की उपस्थिति सुनिश्चित की है।
- चूंकि यह आरक्षण सरपंच और विशेषाधिकारों के पदों के लिए भी लागू होता है, इसलिए बड़ी संख्या में निर्वाचित जनप्रतिनिधि इन पदों को प्राप्त कर चुके हैं।
- जिला पंचायतों में कम से कम 200 महिला अध्यक्ष हैं, अन्य 2000 महिलाएं ब्लॉक या तालुका पंचायतों की अध्यक्ष हैं, और ग्राम पंचायतों में 80,000 से अधिक महिला सरपंच हैं।
- हमारे पास निगमों में 30 से अधिक महिला महापौर, टाउन नगर पालिकाओं की 500 से अधिक महिलाएं हैं।
- नगर पंचायतों में लगभग 650 महिलाएं हैं।
- महिलाओं ने संसाधनों पर नियंत्रण स्थापित करके, अधिक शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त किया है।
- इन संस्थानों में उनकी उपस्थिति ने कई महिलाओं को राजनीति के कामकाज की अधिक समझ दी है।
- कई मामलों में, उन्होंने स्थानीय निकायों पर शासन के लिए एक नया दृष्टिकोण और अधिक संवेदनशीलता लाई है।
- एससी और एसटी को आरक्षण ने स्थानीय निकायों के सामाजिक प्रोफाइल में काफी बदलाव किया है।
- इस प्रकार, ये निकाय अपने आसपास के सामाजिक वास्तविकता के अधिक प्रतिनिधि बन गए हैं।
स्थानीय सरकारों के कार्य से संबंधित चुनौतियां
स्थानीय सरकार
- स्थानीय सरकार गाँव और शहर स्तर पर कार्य करती है।
- यह लोगों के सबसे करीब की सरकार है।
- स्थानीय सरकार लोगों के रोज़मर्रा के मुद्दों का समाधान करती है।
- यह लोगों की भागीदारी को महत्व देता है
- स्थानीय स्तर पर विभिन्न स्थानीय मुद्दों को संभालने के लिए एक स्थानीय सरकार की आवश्यकता होती है।
स्थानीय सरकार की आवश्यकताएँ
- स्वस्थ और लोगों के अनुकूल प्रशासन के लिए स्थानीय सरकारें जरूरी हैं।
- स्थानीय सरकार से लोग आसानी से संपर्क कर सकते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान कम लागत में तुरंत कर सकते हैं।
- स्थानीय सरकारें लोगों के स्थानीय अधिकारों की रक्षा करने में अधिक प्रभावी हो सकती हैं।
- मजबूत और जीवंत स्थानीय सरकारें लोगों की भागीदारी और जिम्मेदारी सुनिश्चित करती हैं।
- स्थानीय सरकारें लोगों को अपने जीवन, जरूरतों और विकास से जुड़े फैसलों में शामिल होने का मौका देती हैं.
- यह स्थानीय स्तर पर कामों को स्थानीय लोगों और उनके प्रतिनिधियों के हाथों में सौंपकर लोकतांत्रिक सिद्धांतों का समर्थन करता है।
- यह लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने में मदद करता है।
स्थानीय सरकार का विकास भारत में
- माना जाता है कि प्राचीन काल से स्वशासित ग्रामीण समुदाय भारत में सभाओं (ग्राम सभाओं) के रूप में मौजूद थे।
- उनकी भूमिका और कार्य समय के साथ बदलते रहे हैं।
- आधुनिक समय में, 1882 में ब्रिटिश शासन के दौरान स्थानीय सरकारी निकाय बनाए गए।
- इन निकायों को बनाने का श्रेय लॉर्ड रिपन को जाता है, जो उस समय भारत के वायसराय थे।
- उन्हें स्थानीय बोर्ड कहा जाता था।
- 1919 में भारत सरकार अधिनियम के बाद कई प्रांतों में ग्राम पंचायतों की स्थापना हुई.
- यह प्रक्रिया 1935 के भारत सरकार अधिनियम के बाद भी जारी रही।
- भारत की आजादी के आंदोलन के दौरान, महात्मा गांधी ने अर्थव्यवस्था और राजनीतिक शक्ति का विकेंद्रीकरण करने का जोरदार समर्थन किया था।
- उनका मानना था कि ग्राम पंचायतों को मजबूत बनाना प्रभावी विकेंद्रीकरण का एक तरीका था।
- विकास के सभी पहलुओं में सफलता के लिए स्थानीय भागीदारी ज़रूरी है।
- इसलिए, पंचायतों को विकेंद्रीकरण और भागीदारी लोकतांत्रिक सुधारों का उपयोग करके देखा गया।
- हमारे नेताओं के लिए, स्वतंत्रता मिलना यह आश्वासन था कि निर्णय लेने, कार्य करने और प्रशासनिक शक्तियों का विकेंद्रीकरण होगा |
- जब संविधान बनाया गया था, तो स्थानीय सरकार के विषय राज्यों को सौंप दिए गए थे।
- इसे देश की सभी सरकारों के राजनीतिक सिद्धांतों के नीति सिद्धांतों में से एक के रूप में भी स्थापित किया गया था।
स्थानीय सरकारों को संविधान में अधिक महत्व क्यों नहीं मिला?
- कई राज्यों में, उनके स्थानीय निकायों के पास स्थानीय विकास को संभालने के लिए पर्याप्त शक्तियां और संसाधन नहीं थे।
- वे राज्य और केंद्र सरकारों पर वित्तीय सहायता के लिए बहुत अधिक निर्भर थे।
- कई उदाहरणों में, स्थानीय निकायों को भंग कर दिया गया और स्थानीय सरकार को सरकारी अधिकारियों को सौंप दिया गया।
- कई राज्यों में स्थानीय निकायों के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव होते थे।
- कई राज्यों में, स्थानीय निकायों के चुनाव समय-समय पर स्थगित कर दिए गए थे।
73वाँ संविधान संशोधन
- 1987 में, स्थानीय सरकारी संस्थानों के कार्य करने की गहन समीक्षा शुरू की गई।
- 1989 में पी.के. थुंगन के नेतृत्व में एक संसदीय समिति द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई।
- 1992 में, 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम पारित किया गया जो स्थानीय सरकारी संस्थानों को संवैधानिक मान्यता देता है।
- 73वाँ संशोधन, ग्राम पंचायतों के लिए पंचायती राज संस्थानों की स्थापना करता है।
- 73वें संशोधन में भारत में पंचायती राज प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए ग्यारहवीं अनुसूची शामिल की गई।
73वाँ संशोधन और ग्यारहवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची में कई विषयों को शामिल किया गया है जो राज्य सरकारों द्वारा पंचायतों को सौंपे जा सकते हैं।
- इनमे कृषि; लघु सिंचाई; जल प्रबंधन और वाटरशेड विकास; खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों सहित लघु उद्योग; ग्रामीण आवास; पेयजल; सड़कें, पुल; ग्रामीण विद्युतीकरण; गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम; प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों सहित शिक्षा, आदि शामिल है।
- इस संशोधन के माध्यम से पंचायतों को अधिक शक्तियां, अधिकार और जिम्मेदारियां मिलीं।
- स्थानीय सरकारों को अधिक शक्तियां देने, स्थानीय संसाधनों की बेहतर उपयोग और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
73वाँ संशोधन के लिए अपवाद
- 73वें संशोधन के प्रावधान, भारत के कई राज्यों में आदिवासी आबादी द्वारा बसे क्षेत्रों पर लागू नहीं किए गए थे।
- 1996 में, इन क्षेत्रों में पंचायत प्रणाली के प्रावधानों का विस्तार करने के लिए एक अलग अधिनियम पारित किया गया.
- कई आदिवासी समुदायों में सामान्य संसाधनों जैसे जंगलों और छोटे पानी के जलाशयों आदि के प्रबंधन के लिए अपने पारंपरिक रीति-रिवाज होते हैं।
- इसलिए, नया अधिनियम इन समुदायों के अधिकारों को अपने स्वीकृत तरीके से अपने संसाधनों का प्रबंधन करने के लिए सुरक्षित रखता है।
- इस उद्देश्य के लिए, इन क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार दिए जाते हैं, और पारंपरिक ग्राम पंचायतों को कई मामलों में ग्राम सभा की सहमति प्राप्त करनी होती है।
- इस अधिनियम के पीछे का तर्क यह है कि आधुनिक पारंपरिक निकाय स्थापित करते समय स्व-शासन की स्थानीय परंपराओं को संरक्षित किया जाना चाहिए।
राज्य निर्वाचन आयोग
- राज्य सरकार को राज्य चुनाव आयोग गठित करना आवश्यक है, जो पंचायती राज संस्थानों के चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार होगा।
- पहले यह कार्य राज्य प्रशासन द्वारा किया जाता था जो राज्य सरकार के नियंत्रण में था।
- अब, राज्य निर्वाचन आयोग का कार्यालय भारत के निर्वाचन आयोग की तरह स्वायत्त है।
- हालांकि, राज्य चुनाव आयोग एक स्वतंत्र अधिकारी है जो भारत के निर्वाचन आयोग से जुड़ा नहीं है और न ही यह अधिकारी निर्वाचन आयोग के नियंत्रण में है।
राज्य वित्त आयोग
- राज्य सरकार को पाँच साल में एक बार राज्य वित्त आयोग गठित करना आवश्यक है।
- यह आयोग राज्य में स्थानीय सरकारों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करेगा.
- यह राज्य और स्थानीय सरकारों के बीच और ग्रामीण और शहरी स्थानीय सरकारों के बीच राजस्व के वितरण की भी समीक्षा करेगा।
- यह यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि ग्रामीण स्थानीय सरकारों को धन का आवंटन राजनीतिक मामला नहीं होगा।
74वाँ संविधान संशोधन
- 74वाँ संविधान संशोधन 1992 में पारित किया गया था।
- इसका उद्देश्य शहरी स्थानीय सरकारों को संवैधानिक मान्यता देना था।
- यह संशोधन शहरी स्थानीय सरकारों को अधिक शक्तियां, अधिकार और जिम्मेदारियां देता है।
- 74वाँ संशोधन शहरी विकास और प्रबंधन में लोगों की भागीदारी को बढ़ावा देता है।
शहरी क्षेत्र
- भारत की जनगणना एक शहरी क्षेत्र को निम्न रूप से परिभाषित करती है:
- न्यूनतम जनसंख्या 5000
- गैर-कृषि व्यवसायों में लगे पुरुष कामकाजी आबादी का कम से कम 75%
- प्रति वर्ग किलोमीटर में कम से कम 400 व्यक्तियों की आबादी का घनत्व।
- 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की लगभग 31% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है।
73वें और 74वें संशोधन के बीच समानताएं
- 74वाँ संशोधन कई मायने में 73वें की पुनरावृति है:
- 73वें संशोधन के सभी प्रावधान, इसके सिवाय कि यह शहरी क्षेत्रों पर लागू होता है, 74वें की पुनरावृत्ति है।
- प्रत्यक्ष चुनाव, आरक्षण, विषयों का हस्तांतरण, राज्य निर्वाचन आयोग और राज्य वित्त आयोग से संबंधित संशोधन 74वें संशोधन के साथ भी शामिल किए गए हैं और नगरपालिका पर भी लागू होते हैं।
- संविधान ने राज्य सरकार से शहरी स्थानीय संस्थानों को विषयों की सूची का हस्तांतरण भी आवश्यक किया था।
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इस प्रश्नोत्तरी में स्थानीय शासन के 73वें और 74वें संशोधन की चर्चा की जाएगी। यह स्थानीय निकायों के विकास और महात्मा गांधी के विकेंद्रीकरण के दृष्टिकोण पर आधारित है। जानें कि संविधान में स्थानीय सरकार के विषय को किस तरह से राज्यों को सौंपा गया।