हिन्दी गद्य का विकास

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Questions and Answers

किस रचना को हिन्दी भाषा में गद्य-पद्य मिश्रित चम्पू काव्य की प्राचीनतम कृति माना जाता है?

  • 'उक्ति व्यक्ति प्रकरण'
  • 'राउलवेल' (correct)
  • 'वर्ण रत्नाकर'
  • 'कुवलय माला'

किस ग्रन्थ को हिन्दी साहित्य में नख-शिख वर्णन की श्रृंगार-परम्परा का आरम्भ माना जाता है?

  • 'वर्ण रत्नाकर'
  • 'उक्ति व्यक्ति प्रकरण'
  • 'कुवलय माला'
  • 'राउलवेल' (correct)

हिन्दी गद्य की प्रथम व्याकरणात्मक रचना कौन-सी है?

  • 'वर्ण रत्नाकर'
  • 'उक्ति व्यक्ति प्रकरण' (correct)
  • 'कुवलय माला'
  • 'राउलवेल'

मैथिली हिन्दी में रचित गद्य की प्रथम रचना कौन-सी है?

<p>'वर्ण रत्नाकर' (C)</p> Signup and view all the answers

किस रचना में हिन्दी की सात बोलियों के शब्द मिलते हैं?

<p>'राउलवेल' (B)</p> Signup and view all the answers

हिन्दी गद्य के तीन रूप कौन-कौन से हैं?

<p>राजस्थानी गद्य, ब्रजभाषा का गद्य, खड़ी बोली का गद्य (A)</p> Signup and view all the answers

हिन्दी गद्य के इन तीनों रूपों में, कौन सा रूप सबसे प्राचीन माना गया है?

<p>राजस्थानी गद्य (D)</p> Signup and view all the answers

राजस्थानी गद्य की प्रथम रचना कब से प्रारम्भ होती है?

<p>10वीं शताब्दी (A)</p> Signup and view all the answers

निम्न में से कौन-सी रचना राजस्थानी गद्य की रचना नहीं है?

<p>'वर्ण रत्नाकर' (B)</p> Signup and view all the answers

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किस गद्य का आरम्भ संवत् 1400 (1343 ई०) से माना है?

<p>ब्रजभाषा का गद्य (C)</p> Signup and view all the answers

Flashcards

कुवलय माला

अद्योतन सूरी द्वारा 778 ई० में लिखी गई गद्य कृति।

राउलवेल

'राउलवेल' रोडा कवि द्वारा रचित गद्य-पद्य मिश्रित चम्पू काव्य।

नख-शिख वर्णन

'राउलवेल' से शुरू होने वाली श्रृंगार-परम्परा।

उक्ति व्यक्ति प्रकरण

12वीं शताब्दी में दामोदर शर्मा द्वारा लिखी गई पहला गद्य ग्रंथ।

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वर्ण रत्नाकर

ज्योतिश्वर ठाकुर द्वारा रचित मैथिली हिन्दी का पहला गद्य।

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19वीं शताब्दी में गद्य

साहित्यिक हिन्दी गद्य का क्रमबद्ध इतिहास का आरंभ।

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राजस्थानी गद्य

हिन्दी गद्य का सबसे प्राचीन रूप।

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मुख्य रचनाएँ (राजस्थानी)

राजस्थानी गद्य की प्रमुख रचनाएँ जैसे धनपाल कथा।

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ब्रजभाषा गद्य

संवत् 1400 से आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा प्रारंभ किया गया।

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खड़ी बोली गद्य

हिन्दी गद्य का एक आधुनिक रूप।

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Study Notes

हिन्दी गद्य का विकास

  • 778 ई॰ में कुवलयमाला नामक गद्य कृति की रचना अद्योतन सूरी ने की।
  • लगभग 10वीं-11वीं शताब्दी में रोडा कवि ने राउलवेल नामक गद्य-पद्य मिश्रित चम्पू काव्य की रचना की। यह हिन्दी की प्राचीनतम गद्य-पद्य मिश्रित कृति है।
  • राउलवेल शिलांकित कृति है। इसमें श्रृंगार-परम्परा का आरम्भ माना जाता है।
  • इसमें सात बोलियों के शब्द हैं, जिसमें राजस्थानी प्रमुख है।
  • उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण हिन्दी का प्रथम गद्य ग्रंथ है, जिसकी रचना महाराजा गोविन्दचन्द्र के सभा पण्डित दामोदर शर्मा ने 12वीं शताब्दी में की।
  • यह व्याकरण ग्रन्थ है, जिसे डॉ॰ हजारीप्रसाद द्विवेदी और डॉ॰ मोतीचन्द्र ने महत्वपूर्ण माना है।
  • वर्णरत्नाकर मैथिली कवि ज्योतिश्वर ठाकुर की रचना है। यह मैथिली हिन्दी में रचित गद्य की प्रथम कृति है।
  • वर्णरत्नाकर का ढांचा विश्वकोशात्मक है।
  • साहित्यिक हिन्दी गद्य का क्रमबद्ध इतिहास 19वीं शताब्दी से शुरू होता है।

प्राचीन हिन्दी गद्य के रूप

  • 19वीं शताब्दी से पहले हिन्दी गद्य के तीन प्रमुख रूप थे: राजस्थानी गद्य, ब्रजभाषा गद्य, और खड़ी बोली गद्य।
  • इनमें से राजस्थानी गद्य सबसे पुराना है, जिसकी शुरुआत 10वीं शताब्दी में हुई।

राजस्थानी गद्य की प्रमुख रचनाएँ

  • धनपाल कथा (14वीं शताब्दी)
  • तत्त्व विचार (14वीं शताब्दी)
  • पृथ्वीचन्द्र चरित्र या वाग्विलास (1421 ई॰) - माणिक्यचन्द्र सूरी
  • पंचाख्यान (1847 ई॰) - फतहराम वैरागी

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