9 Questions
आचार्य चाणक्य के कुटीर में कौन रहते थे?
सारंग और हिमांशु
रवि सेना ने अपने पिता के आदेश के अनुसार हार की चोरी की थी।
False
आचार्य चाणक्य ने कुमार मलयकेतु के पिता के जीवन का क्या किया था?
नाश
महाराजा बालगुप्ता ने सुवासिनी को _______________ से बचा लिया था।
अपहरण
चंद्रगुप्त मौर्य कहाँ विजय प्राप्त करके लौट रहा था?
दक्षिण में
रवि सेना ने हार की चोरी क्यों की थी?
शादी को रोकने के लिए
आचार्य चाणक्य के कुटीर में हिमांशु के _______________ में कुश का पैना चुभ गया था।
पैरों
निम्नलिखित व्यक्तियों के साथ उनके संबंधों का मिलान करें:
सोमदत्ता = रोहिणी के पति रोहिणी = सोमदत्ता की पत्नी आचार्य चाणक्य = राजनीति के गुरु चंद्रगुप्त मौर्य = राजा
महामात्य राक्षस ने सुवासिनी को बचा लिया था।
False
Study Notes
मौर्य गुप्त के राज
- चंद्र गुप्ता और आचार्य चाणक्य ने राज नंद को नाश कर दिया था
- आचार्य चाणक्य के कुटी में सारंग और हिमांशु रहते थे
- सोमदत्ता और रोहिणी ने अपराजिता के लिए संपत्ति इकट्ठा कर चुके थे लेकिन चोरी हो जाने के कारण वे आचार्य चाणक्य के पास आए थे
चोरी का मामला
- हार का चोरी रवि सेना ने किया था
- रवि सेना ने अपराजिता से शादी निश्चित होने के कारण संपत्ति की चोरी की थी
- रवि सेना ने आत्महत्या करने की कोशिश की थी लेकिन हिमांशु ने उसे रोका था
आचार्य चाणक्य का न्याय
- आचार्य चाणक्य ने रवि सेना को क्षमा करने के लिए कहा था
- आचार्य चाणक्य ने रवि सेना के माथे पर कबंध का निशान लगाना चाहता था
- रोहिणी और सोमदत्ता ने रवि सेना को क्षमा करने के लिए कहा था
- आचार्य चाणक्य ने रवि सेना को एक सहस्र पण देने के लिए कहा था
अग्निशिखा (द्वितीय अंक)
- आचार्य चाणक्य के कुटी में पुरुषदत्त और भद्रभट बातचीत कर रहे थे
- गुप्तचर गौरिक वस्त्र पहन कर संन्यासी के रूप में आकर दोनों सुवासिनी को अपहरण करने के लिए जाल बिछाए बैठे थे
- महाराजा बालगुप्ता ने सुवासिनी को बचा लिया था
- सुवासिनी को देखकर कहा कि आप स्वर्गीय साम्रट नंद की रंगशाला की प्रमुख नर्तकी है
महामंत्री राक्षस की साजिश
- पुरुषदत्त और भद्रभट महामंत्री राक्षस के सेवक थे
- कुमार मलयकेतु महामंत्री राक्षस से मिलने के लिए आ रहे थे
- आचार्य चाणक्य ने कुमार के पिता पवर्तक के जीवन का नाश किया था
- राक्षस और बालगुप्त दोनों मिलने से चंद्रगुप्त मौर्य और आचार्य चाणक्य के नाश कर सकते थे
इस नाटक में चंद्रगुप्त मौर्य और आचार्य चाणक्य की कहानी को दर्शाया गया है। आचार्य चाणक्य के घर की घटनाएं और उनके शिष्य सारंग और हिमांशु की गतिविधियां शामिल हैं।
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