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Questions and Answers
महाशय ड्यौढ़ी का निर्माण किसने और कब करवाया था?
महाशय ड्यौढ़ी का निर्माण महाशय परेशनाथ घोष ने 18वीं शताब्दी के अंत में करवाया था।
ब्रिटिश शासन की भू-राजस्व नीति का भागलपुर शहर पर क्या प्रभाव पड़ा?
ब्रिटिश शासन की भू-राजस्व नीति के कारण अनेक जमींदार परिवार भागलपुर में बस गए और शहर की आबादी बढ़ने लगी।
नाथनगर और चम्पानगर मुहल्लों में कौन से लोग मुख्य रूप से निवास करते थे?
नाथनगर और चम्पानगर मुहल्लों में मुस्लिम जुलाहे और हिंदू तांती जातियाँ मुख्य रूप से निवास करती थीं।
1862 में भागलपुर शहर में क्या महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं?
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भागलपुर शहर को औपनिवेशिक शहर क्यों कहा जाता है?
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इंग्लिश शासन के दौरान भारतीय शहरों में कौन से प्रमुख परिवर्तन हुए?
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भारतीय गांवों और शहरों के बीच क्या प्रमुख भिन्नताएँ थीं?
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मुगल काल के बाद भारत में कौन से नए शहरी केंद्र उभरे?
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शहरों की संरचना में कौन से महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थान शामिल थे?
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औपनिवेशिक भारत के शहरी परिदृश्य में परिवर्तन के पीछे मुख्य कारण क्या थे?
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कानपूर किस प्रकार के वस्त्रों का उत्पादन करता है?
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प्रेसीडेंसी शहरों का विकास कैसे हुआ?
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भगुलपुर शहर का प्राचीन नाम क्या था?
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उपनिवेशी शहरों में सामाजिक परिवर्तन किस तरह के कार्यकर्ताओं के उदय का कारण बने?
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किस प्रकार के पेशे उपनिवेशी शहरों में मध्यवर्ग के विकास में मददगार साबित हुए?
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भागलपुर शहर की धार्मिक विविधता को समझाते हुए किन प्रमुख स्थलों का उल्लेख किया जा सकता है?
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19वीं सदी में भागलपुर में शिक्षा का महत्व किस प्रकार बढ़ा?
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भागलपुर शहर के आर्थिक जीवन की विशेषताएं क्या थीं?
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चित्र 4 में मौलानाचक की मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
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भागलपुर शहर में सामाजिक असमानता का क्या उदाहरण दिया जा सकता है?
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भागलपुर का भारत के अन्य शहरों से व्यापारिक महत्व क्या है?
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भागलपुर में व्यवसायों की प्रमुख गतिविधियाँ कौन सी थीं?
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भागलपुर की सिल्क उद्योग का विकास कब और कैसे हुआ?
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भारतीय शिल्पकारों की भूमिका भागलपुर के व्यापार में क्या थी?
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भागलपुर के विभिन्न समुदायों का व्यापार में योगदान कैसे था?
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भारत में प्रमुख व्यापार केंद्रों का उदय किसके द्वारा हुआ?
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रेलवे के प्रारंभ ने शहरों के विकास पर किस तरीके से प्रभाव डाला?
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भारत में औपनिवेशिक नीतियों ने किस प्रकार के शहरों की वृद्धि को प्रभावित किया?
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भारत और यूरोप में अर्बनाइजेशन पैटर्न में क्या मुख्य अंतर था?
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कौन से पारंपरिक शहर औद्योगीकरण के कारण अपनी महत्वता खो गए?
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Study Notes
अंग्रेजी शासन के दौरान शहरी परिवर्तन
- अंग्रेजी शासन के आगमन से पहले, शहर ग्रामीण बस्तियों से अलग थे।
- शहर व्यापार, शिल्प और प्रशासन के केंद्र थे।
- ग्रामीण समुदाय मुख्य रूप से खेती पर निर्भर थे।
- शहरों में शासक वर्ग, व्यापारी और कारीगर रहते थे।
- शहरों को दीवारों से घेर रखा था और इनके स्पष्ट प्रवेश द्वार थे।
- शहरों में बगीचे, मंदिर, बाजार और अन्य सार्वजनिक स्थान थे।
मुगल काल के बाद शहरी परिवर्तन
- मुगल काल में आगरा और दिल्ली जैसे विशाल शहर थे।
- मुगल साम्राज्य के पतन के बाद, लखनऊ, हैदराबाद, मैसूर, पुणे, नागपुर जैसे नए शहरी केंद्र उभरे।
- ये शहर प्रशासनिक केंद्र थे।
- ये शहर व्यापारियों, कारीगरों और विभिन्न आबादी को आकर्षित करते थे।
- इन शहरों का विकास अंग्रेजों के प्रभाव और आर्थिक अवसरों से जुड़ा था।
- अंग्रेजी प्रशासन ने शहरों में नए ढाँचे बनाने और पुराने ढाँचे को बदलने का प्रभाव डाला।
भागलपुर शहर का इतिहास
- भागलपुर शहर गंगा नदी के किनारे स्थित है।
- यह लगभग 3000 साल से अस्तित्व में है।
- यह व्यापार और संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
- पहले यह प्राचीन राजधानी चंपानगर का उपनगर था।
- 12 वीं से 18 वीं शताब्दी तक, शहर मुस्लिम शासन के अधीन था।
- यह क्षेत्र का एक प्रमुख केंद्र था।
महाशय ड्यौढ़ी
- 18वीं शताब्दी के अंत में महाशय परेशनाथ घोष ने भागलपुर के पास गंगा नदी के किनारे यह बड़ी इमारत बनवाई थी।
- महाशय वंश के सदस्य मुगल शासन के दौरान भागलपुर परगना में कानूनगो के पद पर कार्य करते थे।
- 1765 में अंग्रेजों द्वारा दीवानी का अधिकार प्राप्त करने के बाद, इस परिवार के लोग भागलपुर परगना में दीवान के पद पर नियुक्त हुए।
- बाद में, भागलपुर के जिला कलेक्टर मि.चेयरमैन ने परेशनाथ घोष को शुजानगर टप्पा की जमींदारी की सनद प्रदान की।
ब्राह्मण और कायस्थ
- इस क्षेत्र में ब्राह्मण और कायस्थ प्रमुख स्थानीय ग्रामीण जातियाँ थीं।
- उन्होंने सरकारी पदों पर नियुक्ति पाने के लिए अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त की।
- शहर के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में मुस्लिम व्यापारी, कारीगर, बुनकर और मजदूर रहते थे।
- कई मुस्लिम परिवार सूफी संतों से जुड़े थे जो पीढ़ी दर पीढ़ी इस शहर में निवास करते रहे।
नाथनगर और चम्पानगर
- भागलपुर शहर के नाथनगर और चम्पानगर मुहल्ले मुस्लिम जुलाहे और हिंदू तांती जातियों के बुनकरों के लिए जाने जाते थे।
- ये लोग रेशमी कपड़े और धागे तैयार करते थे।
मायागंज इलाके में गरीबी
- ब्रिटिश शासन की भू-राजस्व नीति के कारण, कई जमींदार भागलपुर शहर में बस गए।
- जमींदारों के अलावा, अन्य लोग भी विभिन्न क्षेत्रों से भागलपुर शहर में आने लगे।
- शहर में रोजगार, शिक्षा और अन्य सुविधाओं में वृद्धि ने ग्रामीण क्षेत्रों से लोगों को आकर्षित किया।
- भागलपुर की बढ़ती जनसंख्या ने बरारी में गरीब और कामगारों का एक नया वर्ग पैदा किया जो गंगा नदी के किनारे कालीघाट स्थित मायागंज इलाके में रहने लगे।
1862 में रेलवे और शिक्षण संस्थानों का आगमन
- 1862 में रेलवे की शुरुआत और शिक्षण संस्थानों की स्थापना ने शहर के वातावरण में काफी बदलाव ला दिया।
- कई लोग रोजगार, व्यापार, शिक्षा और अन्य सुविधाओं की तलाश में शहर की तरफ जाने लगे।
- इसने शहर की जनसंख्या में वृद्धि की और भागलपुर के आस-पास के कस्बे इसके नए उपनगरीय क्षेत्र बन गए।
भागलपुर: एक पारंपरिक शहर
- भागलपुर औपनिवेशिक शहर था, जो अपनी पारंपरिक संरचना और गतिविधियों से अलग था।
कन्नौज और वस्त्रों का उत्पादन
- कन्नौज कपास और ऊनी वस्त्रों के साथ-साथ चमड़े के सामान के उत्पादन के लिए जाना जाता है।
प्रेसिडेंसी शहर
- 18वीं शताब्दी के मध्य तक, कोलकाता, मुंबई और मद्रास बड़े शहर बन गए थे।
- ईस्ट इंडिया कंपनी ने इन शहरों में अपने व्यापारिक पद (कार्यालय) स्थापित किए।
- ये कार्यालय कंपनी के सामान के वितरण केंद्र के रूप में कार्य करते थे।
- यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा ने इन क्षेत्रों को मजबूत करने का कारण बना।
औपनिवेशिक शहर
- ये औपनिवेशिक शहर होटल, पार्क और थिएटर जैसे सार्वजनिक स्थानों के विकास के साथ विकसित हुए।
- इसने वकील, डॉक्टर और इंजीनियर जैसे व्यवसायों के साथ मध्य वर्ग के विकास को बढ़ावा दिया।
- स्कूल, कॉलेज और पुस्तकालय भी उभरे, जिससे नए विचारों का प्रसार हुआ।
- प्रकाशनों और सार्वजनिक मंचों ने लोगों को सरकार के बारे में अपनी राय रखने की अनुमति दी।
- महिलाओं के लिए भी अवसरों में वृद्धि हुई।
विभिन्न धार्मिक स्थल
- मस्जिद: मुस्लिम समुदाय की पूजा स्थल।
- मजार: किसी प्रमुख व्यक्ति या संत की कब्र।
- मकबरा: एक कब्र или मकबरा के ऊपर बनाया गया भव्य ढाँचा।
- खानकाह: सूफी संतों के लिए केंद्र।
- ईदगाह: ईद की प्रार्थना के लिए निर्दिष्ट खुली जगह।
- इमामबाड़ा: शिया मुसलमानों के लिए धार्मिक स्थान, खासतौर पर मुहर्रम के दौरान शोक समारोह के लिए।
शहर की विशेषताएं
- भागलपुर एक महत्वपूर्ण शहरी केंद्र था जिसमें कई इलाके थे।
- इसमें कई बाजार थे, जो जीवंत वाणिज्यिक गतिविधि का सुझाव देते हैं।
- शहर की आबादी विविध थी, जिसमें विभिन्न जातियाँ, धर्म और व्यवसाय रहते थे।
- बंगाली और मारवाड़ी समुदायों की महत्वपूर्ण उपस्थिति।
- अमीर और गरीब के बीच एक ध्यान देने योग्य असमानता।
- शिक्षा, विशेष रूप से आधुनिक शिक्षा, 19 वीं शताब्दी के दौरान महत्वपूर्ण हो गई।
- सांस्कृतिक परिदृश्य में उर्दू और फारसी प्रभाव शामिल थे।
चित्र और विवरण
- चित्र 4 - मौलानाचक की मस्जिद: इस चित्र में एक मस्जिद के अंदर प्रार्थना करते हुए भक्तों को दिखाया गया है। यह मस्जिद मुगल सम्राटों जहांगीर और फर्रुखसियार के शासनकाल के दौरान बनाई गई थी। यह भागलपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित है।
- चित्र 5 - शाहजंगी का मकबरा: इस चित्र में शाहजहां का मकबरा दिखाया गया है। यह भागलपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित है।
- विवरण इन स्थानों की स्थापत्य शैली, ऐतिहासिक महत्व और स्थान के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
बदलते आर्थिक परिदृश्य में शहरों की भूमिका
- पाठ भारत में शहरों के विकास, विशेष रूप से ब्रिटिश राज के संदर्भ में वर्णन करता है।
- यह व्यापार, परिवहन और औद्योगीकरण जैसे कारकों के प्रभाव पर केंद्रित है।
शहरी केंद्र: उत्पत्ति और विकास
- प्रारंभिक व्यापार केंद्र: यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों (पुर्तगाली, डच, ब्रिटिश, फ्रांसीसी) ने प्रमुख भारतीय शहरों (जैसे, गोवा, मछलीपट्टनम, मद्रास, पांडिचेरी) में व्यापारिक पद स्थापित किए। ये केंद्र व्यापारिक नेटवर्क में महत्वपूर्ण हो गए।
- विस्तार और बदलता व्यापार: जैसे ही व्यापार की गतिशीलता बदली, मौजूदा व्यापार केंद्रों का महत्व नए विकासशील केंद्रों की तुलना में कम हो सकता है।
- प्रेसिडेंसी का उदय: मद्रास, कलकत्ता और बंबई जैसे शहर प्रमुख प्रेसिडेंसी के रूप में उभरे, जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि और महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि का अनुभव करते हुए।
- ब्रिटिश नीतियों का प्रभाव: ब्रिटिश राजनीतिक और प्रशासनिक नीतियों ने कुछ शहरों के विकास को प्रभावित किया, कभी-कभी अन्य क्षेत्रों में गिरावट का कारण बना।
रेलवे और बुनियादी ढाँचे का प्रभाव
- रेलवे शहरों का उदय: 1853 में रेलवे की शुरुआत से नए शहरों का विकास हुआ। रेलवे स्टेशन व्यापारिक केंद्र बन गए, व्यापार और संसाधनों की आवाजाही को बढ़ावा दिया।
- औद्योगीकरण और आर्थिक बदलाव: औद्योगीकरण ने शहरीकरण में वृद्धि की क्योंकि लोग रोजगार की तलाश में शहरी केंद्रों में चले गए। यह यूरोप के कुछ हिस्सों में देखा गया, लेकिन भारत में यह उतना नाटकीय नहीं था क्योंकि यह प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण था।
- पारंपरिक शहरों का पतन: कुछ पारंपरिक शहर (जैसे, मुर्शिदाबाद, ढाका, सूरत, मछलीपट्टनम), जो पारंपरिक उद्योगों पर निर्भर थे, ब्रिटिश उद्योगों से मुकाबले के कारण महत्व खो बैठे।
विपरीत शहरीकरण पैटर्न
- भारत बनाम यूरोप: यूरोपीय शहरों में अक्सर औद्योगिक विकास से संबंधित तेजी से शहरीकरण देखा गया। भारत में, गति अधिक मध्यम थी। उपनिवेशिक नीतियों और अर्थव्यवस्था की प्रकृति जैसे विभिन्न कारकों ने औद्योगिक राष्ट्रों की तुलना में असमान विकास पैटर्न में योगदान दिया। यह मार्ग ब्रिटिश राज के दौरान भारत में शहरी विकास की जटिलता को उजागर करता है। यह केवल निर्बाध प्रगति की कहानी नहीं है; इसके बजाय यह बदलते आर्थिक और राजनीतिक प्रभावों के एक जटिल चित्र को प्रस्तुत करता है जो शहरों के विकास को आकार दे रहे हैं।
भागलपुर में व्यापार, वाणिज्य और उद्योग
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पाठ भागलपुर शहर में व्यापारिक गतिविधियों पर चर्चा करता है।
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शहर की व्यापारिक गतिविधियों के बारे में निम्नलिखित जानकारी एकत्र की गई है:
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प्रवासन और समझौता: राजस्थान और अन्य क्षेत्रों के लोग भागलपुर में चले गए, अपने घरों के बाहर दुकानें स्थापित कीं। यह भागलपुर की गंगा नदी और रेलवे लाइनों के पास स्थित होने के कारण था।
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विविध समुदाय: राजस्थानी, मुस्लिम और अन्य जैसे विभिन्न समुदायों ने व्यापारिक गतिविधियों में भाग लिया, विशेष रूप से कपड़ा बनाने (बुनाई), रंगाई और मिट्टी के बर्तनों जैसे क्षेत्रों में।
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कारीगर: कुशल श्रमिक, जिनमें दर्जी, मोची, रंगरेज (नीलगर/छीपा) और कढ़ाई और सिलाई में लगे लोग शामिल थे, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महिलाओं को अक्सर रंगरेज के रूप में नियोजित किया जाता था।
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रेशम उद्योग: रेशम उद्योग प्रमुख था। भागलपुर रेशम उत्पादों (“रेशम नगरी”) के उत्पादन के लिए जाना जाता था। इस प्रक्रिया में कुशल कार्यकर्ता द्वारा रेशम के धागे तैयार करना, बुनाई करना और रंगाई करना शामिल था। इस प्रक्रिया में कई चरण शामिल थे।
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व्यवसाय: मैसेर्स भूधरमल, मैसेर्स भोइट राम और विभिन्न अन्य जैसे व्यापारिक व्यवसाय प्रमुख थे और कच्चे माल, कपड़े, रेशम, मसाले और अनाज के व्यापार को संभालते थे। अन्य उद्यमों के लिए एजेंट भी थे।
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स्थान: दुकानें और उद्योग विशिष्ट इलाकों में स्थित थे: “हड्डीपट्टी”, “चंपानगर”, “नाथनगर”, “गोलाहाट”, आदि, और गंगा नदी और रेलवे स्टेशनों के पास थे।
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समय और पैमाने के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:
- कपड़ा उद्योग लगभग 1810 में शुरू हुआ।
- उस समय, शहर में लगभग 3275 करघे थे।
- उत्पाद विवरण:
- बफ्ता:एक विशेष प्रकार का रेशमी कपड़ा, जो बुनाई के बाद रंगा जाता था, यूरोपीय बाजारों में लोकप्रिय था।
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व्यापार और उद्योग का सारांश: भागलपुर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था जिसमें विभिन्न समुदायों की महत्वपूर्ण भागीदारी थी। शहर की जलमार्गों और रेलवे लाइनों के पास स्थित होने ने व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाया और प्रवासियों को आकर्षित किया। विशेष रूप से, रेशम उद्योग ने भागलपुर की अर्थव्यवस्था और प्रतिष्ठा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दस्तावेज़ में एक कपड़ा कारखाने में काम करते हुए एक आदमी की एक छवि भी शामिल है।
क्षेत्र में प्रशासनिक संगठन
- दस्तावेज़ क्षेत्र की प्रशासनिक संरचना का वर्णन करता है, मुख्य रूप से क्षेत्र में प्रशासनिक प्रणाली के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, विशेष रूप से ब्रिटिशों द्वारा अपनाए गए प्रशासनिक उपायों पर।
परिवर्तनों की समयरेखा
- 1774: क्षेत्र एक जिला (जिला) बना। उच्चतम अधिकारी को कलेक्टर कहा जाता था।
- प्रारंभिक वर्ष: प्रारंभिक कलेक्टर ऑगस्टस क्लीवलैंड था। कलेक्टर को उप-कलेक्टरों, उप-उप-कलेक्टरों और सहायक कलेक्टरों द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी। यह एक बहु-स्तरीय संरचना का सुझाव देता है।
- 1936: जिले को चार उप-विभागों में विभाजित किया गया था (उप-विभागों का उल्लेख किया गया है जैसे भागलपुर सदर, बांका, मधेपुरा और सुपौल)। प्रत्येक उप-विभाग में उच्चतम अधिकारी के रूप में एक उप-विभागीय अधिकारी (एसडीओ) था।
कानून और पुलिस
- दस्तावेज़ में पुलिस के उच्चतम अधिकारी को पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में बताया गया है। एसपी के तहत सहायक और उपाधीक्षक थे।
- क्षेत्र को 25 थाना (पुलिस स्टेशन) में विभाजित किया गया था।
- भागलपुर शहर के भीतर 3 थाने थे (जैसे भागलपुर सिटी, भागलपुर मुफ्फसिल और नाथनगर)। प्रत्येक थाने का प्रमुख एक निरीक्षक या उप-निरीक्षक था। उन्हें दरोगा भी कहा जा सकता था।
- जिला और सत्र न्यायाधीश (जिसे जिला और सत्र न्यायाधीश भी कहा जाता है), अधीनस्थ न्यायाधीश (जिसे मुंसीफ भी कहा जाता है), आदि जैसे कानून और न्यायिक अधिकारियों की उपस्थिति, अदालतों के विभिन्न स्तरों को दर्शाती है। जिला न्यायाधीश को सिविल मामलों में अधीनस्थ न्यायाधीशों द्वारा और आपराधिक मामलों में अधीनस्थ मजिस्ट्रेटों द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी।
नगर निगम
- 1864: एक नगर निगम की स्थापना की गई थी।
- निकाय का गठन निर्वाचित और नियुक्त सदस्यों से हुआ था।
- नगरपालिका का अधिकार क्षेत्र लगभग 10 वर्ग मील था।
- 1887: एक जल भंडार का निर्माण किया गया था।
- 1896-97: चंपानगर और नाथनगर की ओर जल भंडार के और विस्तार का उल्लेख किया गया है।
- 1936-37: नगर निगम का वार्षिक राजस्व लगभग 4.5 लाख रुपये था। निगम की सीमाओं के भीतर जनसंख्या लगभग 83,847 थी। दस्तावेज़ में इस अवधि में नगर निगम को दिए गए 3 लाख रुपये के ऋण का भी उल्लेख है।
शिक्षा
- दस्तावेज़ क्षेत्र के शिक्षा के इतिहास से संबंधित एक खंड के साथ समाप्त होता है, जो एक कॉलेज के अस्तित्व और शैक्षिक बुनियादी ढाँचे के विकास पर प्रकाश डालता है।
- नोट: दस्तावेज़ एक बड़े काम का हिस्सा प्रतीत होता है। व्यक्तियों के विशिष्ट नाम और सटीक तिथियाँ क्षेत्र के इतिहास को संदर्भ प्रदान करती हैं। विवरण क्षेत्र के प्रशासनिक संगठन के विकास को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं। दस्तावेज़ में शैक्षिक संस्थानों और अन्य बुनियादी ढाँचे से संबंधित और विवरण शामिल हैं
भागलपुर में शिक्षा का इतिहास
- यह दस्तावेज़ भारत के भागलपुर में शिक्षा के इतिहास पर चर्चा करता है। यह विभिन्न समुदायों के योगदान को उजागर करता है, जिसमें ज़मींदार, बंगाली, मारवाड़ी और ईसाई समुदाय शामिल हैं, जो शैक्षिक संस्थानों की स्थापना में शामिल थे।
महत्वपूर्ण खिलाड़ी और संस्थान
- ज़मींदार: शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- मारवाड़ी समुदाय: मारवाड़ी कॉलेज सहित स्कूल और कॉलेज स्थापित किए।
- ईसाई समुदाय: चंपानगर मिडिल स्कूल सहित स्कूल और कॉलेज स्थापित किए और चर्च मिशनरी सोसाइटी (CMS) द्वारा स्थापित स्कूल।
- तेज नारायण सिंह: 1883 में तेज नारायण जुबली कॉलेजिएट हाई स्कूल और 1887 में तेज नारायण जुबली कॉलेज की स्थापना की।
- अन्य संस्थान: दुर्गा चरण प्राइमरी स्कूल (1860), महिलाओं के स्कूल और कॉलेज, बिहार कृषि कॉलेज और कई पुस्तकालय (जैसे, भगवान लाइब्रेरी, सरस्वती लाइब्रेरी)।
महत्वपूर्ण तिथियाँ और घटनाएँ
- 1837: जिला स्कूलों की स्थापना
- 1854: CMS ने स्कूल स्थापित किए
- 1860: दुर्गा चरण प्राइमरी स्कूल की स्थापना
- 1868: मोक्षदा गर्ल्स स्कूल की स्थापना
- 1883: तेज नारायण जुबली कॉलेजिएट हाई स्कूल की स्थापना
- 1887: तेज नारायण जुबली कॉलेज की स्थापना
- 1910: बिहार कृषि कॉलेज की स्थापना
- 1937: हाई स्कूल की स्थापना।
- 1941: मारवाड़ी कॉलेज की स्थापना
- 1947-1951: व्यावसायिक प्रशिक्षण शुरू किया गया।
- 1949: एक महिला कॉलेज की स्थापना हुई।
सांस्कृतिक गतिविधियाँ
- दस्तावेज़ भागलपुर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करता है, जो इस क्षेत्र में कई लेखकों, कलाकारों, संगीतकारों और फोटोग्राफरों की उपस्थिति पर जोर देता है।
- नोट: चित्र शामिल नहीं हैं। दस्तावेज़ में मुख्य रूप से इस क्षेत्र में शैक्षिक संस्थानों के इतिहास और सांस्कृतिक महत्व का वर्णन करने वाला पाठ है।
भागलपुर शहर के सांस्कृतिकमी
- 1938 ईस्वी में हरिकुंज ने भागलपुर शहर में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए चरण संस्थाओं की नींव डाली। ये संस्थाएँ हैं- हिन्दी जात्रा पार्टी, श्री गौरांग संकीर्तन समिति, बागगिश्वरी संगीतालय और चित्रशाला। चित्रशाला में उस समय के प्रसिद्ध साहित्यकारों, रंगकर्मियों, शिल्पकारों, नृत्यकारों, संगीतकारों, फोटोग्राफरों का जमघट लगता था।
- इस जमघट में कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु, राष्ट्रकवि गोपाल सिंह नेपाली, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, साहित्यकार डॉ.बेचन, लघुकथाकार बनफूल, भारतरत्न बिस्मिल्लाह खां, नृत्यांगना सितारा देवी, सिने अभिनेता अशोक कुमार जैसी हस्तियाँ शामिल होती थीं।
धार्मिक स्थल
- भागलपुर शहर में गंगा नदी के दक्षिणी तट पर बुढ़ानाथ मोहल्ला में बाबा बुढ़ानाथ महादेव मंदिर हिन्दुओं का प्रसिद्ध उपासना स्थल है। (चित्र पर नजर डालिए) इस मंदिर का निर्माण शंकरपुर के जमीनदार लक्ष्मी नारायण सिंह ने करवाया था। बाबू मोहन साह एवं बाबू रामकृष्ण भगत ने मंदिर परिसर में दो धर्मशालाएँ बनवाई थीं, जहाँ यात्रियों को ठहरने की अच्छी व्यवस्था थी। यहाँ आश्विन नवरात्र में विशेष उत्सव होता है जिसमें हिन्दू श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते थे। जैन धर्म के बारहवें तीर्थंकर বासुपूज्य की जन्मभूमि होने के कारण भागलपुर शहर के नाथनगर मोहल्ला में दिगम्बर जैन मंदिर भी स्थित है।
हरिकुंज
- 1938 ई.में हरिकुंज ने भागलपुर शहर में सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए चरण संस्थाओं की नींव डाली। यह संस्थाएँ हैं-हिन्दी जात्रा पार्टी, श्री गौरांग संकीर्तन समिति, बागगिश्वरी संगीतालय व चित्रशाला। चित्रशाला में उस समय के प्रसिद्ध साहित्यकारों, रंगकर्मियों, शिल्पकारों, नृत्यकारों, संगीतकारों, फोटोग्राफरों का जमघट लगता था।
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समय के साथ, भागलपुर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में उभरा जो कई समुदायों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।
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शहर के विकास पर रेलवे का महत्वपूर्ण प्रभाव था, जिसके कारण लोगों की आवाजाही और वाणिज्य में वृद्धि हुई।
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शहर में अमीर और गरीब के बीच एक उल्लेखनीय अंतर था, जो औपनिवेशिक समाज की गहरी सामाजिक असमानताओं का प्रतिबिंब था।
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विभिन्न जातियाँ, धर्म और व्यवसाय शहर में मौजूद थे, जिससे सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का मिश्रण बन गया।
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भागलपुर के शैक्षिक विकास में विभिन्न समुदायों, जैसे ज़मींदारों, बंगालियों और ईसाई समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका थी, जो शहर में स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान करते थे।### भागलपुर का रंगमंच
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भागलपुर में रंगमंचीय इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है।
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शरतचन्द्र ने कई नाटक लिखे और मंचित किए लेकिन वे नाटक आधुनिक रंगमंच के करीब नहीं थे।
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भागलपुर में थियेटर या जात्रा की परंपरा में बंगाली समाज का महत्वपूर्ण योगदान है।
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अर्द्धदु बाबु नामक व्यक्ति कोलकता से भागलपुर आकर हर साल जात्रा का प्रदर्शन करते थे।
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'बाबरी मीरा' नाटक हरिकुंज ने स्वयं निर्देशित किया था।
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अभिनय भारती नामक संस्था ने भागलपुर में रंगमंचीय आंदोलन को बढ़ावा दिया।
श्वेताम्बर जैन मंदिर
- यह मंदिर चंपानगर में स्थित है।
- यह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण पूजा स्थल है।
- धनपत सिंह नामक स्थानीय जमींदार ने यात्रियों की सुविधा के लिए एक जैन धर्मशाला का निर्माण करवाया था।
अन्य धार्मिक स्थल
- बाजार और खलीका बाग इलाके में सिख धार्मिक स्थल हैं।
- 1845 में घड़ी टॉवर के पास एक चर्च बनाया गया था और 1854 में कर्णागढ़ में एक चर्च बनाया गया था।
सार्वजनिक भवन
- 1800 के दशक और 1900 के शुरुआती वर्षों में विभिन्न कार्यालय, अदालतें, स्कूल, कॉलेज और क्लब जैसे सार्वजनिक भवन बनाए गए थे।
- ये इमारतें उस समय की शैली और उनके निर्माताओं की व्यक्तिगत पसंद को दर्शाती हैं।
भागलपुर रेलवे स्टेशन
- भागलपुर शहर का केंद्र बिंदु है।
- भारत के सबसे पुराने रेलवे स्टेशनों में से एक।
- वाणिज्यिक गतिविधियों का केंद्र।
- ईस्ट इंडियन रेलवे (EIR) और बंगाल नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे (BNWR) द्वारा संचालित।
- 1862 में खोला गया और स्थानीय लोगों के जीवन को बदल दिया।
क्लीवलैंड हाउस
- एक बड़ी और सुंदर इमारत जो गंगा नदी के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है।
- कलेक्टर क्लीवलैंड ने 1780-1783 में इसका निर्माण कराया था।
- बाद में, इसे टैगोर परिवार ने बसाया।
- अब इसे रवींद्र भवन के रूप में जाना जाता है।
- भागलपुर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह तिलका मांझी विश्वविद्यालय का एक भाग है।
चित्र
- चित्र 17: एक सफेद दिगंबर जैन मंदिर की तस्वीर।
- चित्र 18: एक चर्च की तस्वीर।
- चित्र 19: भागलपुर रेलवे स्टेशन की एक तस्वीर।
- चित्र 20: एक ऐतिहासिक इमारत, क्लीवलैंड हाउस की तस्वीर।
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Description
यह प्रश्नोत्तरी भारत के औपनिवेशिक शहरों के विकास एवं संरचना का अध्ययन करती है। इसमें भागलपुर शहर और अन्य प्रमुख शहरों में हुए परिवर्तनों का विवरण दिया गया है। प्रश्न विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संदर्भों पर आधारित हैं।