Hindi Language Proficiency Questions and Answers PDF

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This document contains questions and answers related to the Hindi language, covering topics such as language definition, language skills, and types of language skills.

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प्रश्नोत्तरी 1. भाषा की परिभाषा बताइए ? उत्तर "भाषा एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं और जिसके लिए हम आवश्यक ध्वनियों का प्रयोग करते हैं।" भाषा को प्राचीन काल से ही परिभाषित करने की कोशि...

प्रश्नोत्तरी 1. भाषा की परिभाषा बताइए ? उत्तर "भाषा एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा हम अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं और जिसके लिए हम आवश्यक ध्वनियों का प्रयोग करते हैं।" भाषा को प्राचीन काल से ही परिभाषित करने की कोशिश की जाती रही है । इसकी कुछ मख् ु य परिभाषाएं निम्न हैं- i) प्लेटो ने सोफिस्ट में विचार और भाषा के संबंध में लिखते हुए कहा है कि, "विचार और भाषआ में थोड़ा ही अंतर है । विचार आत्मा की मक ू या अध्वन्यात्मक बातचीत है पर वही जब ध्वन्यात्मक होकर होठों पर प्रकट होती है तो उसे भाषा की संज्ञा दे ते हैं।" ii) स्वीट के अनस ु ार, "ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों को प्रकट करना ही भाषा है ।" iii) वें द्रीय कहते हैं कि, "भाषा एक तरह का चिह्न है । चिह्न से आशय उन प्रतीकों से है जिनके द्वारा मानव अपना विचार दस ू रों पर प्रकट करता है । ये प्रतीक कई प्रकार के होते हैं जैसे नेत्रग्राह्य, श्रोत्र ग्राह्य और स्पर्श ग्राह्य। वस्तत ु ः भाषा की दृष्टि से श्रोत्रग्राह्य प्रतीक ही सर्वश्रेष्ठ है ।" iv) ब्लाक तथा ट्रे गर के मतानस ु ार, "भाषा यादृच्छिक भाष ् प्रतिकों का तंत्र है जिसके द्वारा एक सामाजिक समह ू सहयोग करता है ।" v) स्त्रत्ु वा लिखते हैं, "भाषा यादृच्छिक भाष ् प्रतीकों का तंत्र है जिसके द्वारा एक सामाजिक समह ू के सदस्य सहयोग एवं संपर्क करते हैं।" 2. भाषा कौशल का अर्थ स्पष्ट कीजिये ? उत्तर भाषा एक अभिव्यक्ति का साधन है । अभिव्यक्ति का माध्यम कौशल होते है । भाषा विज्ञान तथा व्याकरण अभिव्यक्ति का सैद्धान्तिक पक्ष होता है । और भाषा कौशल अभिव्यक्ति का व्यावहारिक पक्ष होता है । व्यक्ति की संप्रेषण की सक्षमता भाषा कौशलों की दक्षता पर ही निर्भर होती है । भाषा की प्रभावशीलता का मानदं ड बोधगम्यता होती है । जिन भावो एवं विचारों की अभिव्यक्ति करना चाहते है उन्हें कितनी सक्षमता से बोधगम्य कराते है यह भाषा कौशलों के उपयोग पर निर्भर होता है । 3. भाषा कौशल के भेद बताइए ? उत्तर भाषा से जड़ ु े चार बनि ु यादी कौशल हैं, जिन्हें भाषा कौशल कहा जाता है : श्रवण कौशल: सन ु कर अर्थ ग्रहण करना वाचन कौशल: भावों और विचारों को बोलकर अभिव्यक्त करना पठन कौशल: पढ़कर अर्थ ग्रहण करना लेखन कौशल: विचारों को लिखकर अभिव्यक्त करना 4. भाषा कौशल के भेदो के अंतर्गत उन्हें कितने भागो में बांटा गया है ? उत्तर भाषा कोशलों को दो भागों में बाटा गया है i) प्रधान कौशल ii) गौण कौशल प्रधान कौशल भाषा का सर्वप्रथम कार्य संप्रेषण करना ही है । संप्रेषण भाषा के बिना अधरू ा है । संप्रेषण के लिए हमें भाषा के उच्चरित रूप की आवश्यकता होती है । भाषा का उच्चरित वह रूप है जिसे एक निरक्षर व्यक्ति भी प्रयोग करता है । इसलिए इससे संबंधित कौशल ही प्रधान कौशल कहे जाते हैं। इसके दो रुप हैं- a) श्रवण (सन ु ना) (Listening Skill) b) भाषण (बोलना) (Speech Skill) गौण कौशल चालक अपनी प्रारं भिक भाषा परिवार और समाज से सीखता है । परिवार और समाज ही भाषा सीखने का उसका प्रथम स्कूल होता है । उसके बाद वह विद्यालय जाकर लिखना पढ़ना सीखता है । इस प्रकार के भाषा शिक्षण को गौण कौशल के अंतर्गत परिभाषित किया गया है । इसके भी दो रुप है - a) पठन (पढ़ना) (Reading Skill) b) लेखन (लिखना) (Writing Skill) 5. सम्भाषण कौशल किसे कहते है ? अर्थ सहित स्पष्ट कीजिये | उत्तर एक भाषा की ध्वनियों को प्राप्त करना, शब्दों में ध्वनियों को संसाधित करना, उन शब्दों के अर्थ और समझ को प्राप्त करना शामिल है । संस्कृत के ‘भाष’ धातु में ‘ल्यटु ’ प्रत्यय (अन) लगाने से भाषण शब्द की व्यत्ु पत्ति होती है । इससे पहले ‘सम’ उपसर्ग जोड़ने से ‘संभाषण’ शब्द बनता है । संभाषण का सामान्य अर्थ है - बातचीत अथवा वार्तालाप। ‘सम’ उपसर्ग के साथ-साथ अव्यय भी है । इसका अर्थ है समान, तल् ु य, बराबर और सारा। ‘संभाष’ में ल्यट ु प्रत्यय (अन) जोड़ने से इसका अर्थ अभिवादन, कथन और वार्तालाप भी होता है । वार्तालाप के अंतर्गत अनभ ु ाषण, आलाप, भाषण, उक्ति, कथोपकथन, गुफ्तगू, चर्चा, बतकही, वार्ता, संलाप, संवाद और संभाषण शामिल है । 6. सम्भाषण कौशल के अर्थ को बताते हुए उसके स्वरुप को स्पष्ट कीजिये | उत्तर एक भाषा की ध्वनियों को प्राप्त करना, शब्दों में ध्वनियों को संसाधित करना, उन शब्दों के अर्थ और समझ को प्राप्त करना शामिल है । ‘सरसता’ संभाषण का एक अनिवार्य तत्व है । वार्तालाप तभी आगे चल सकता है जब तक वह सरस और रोचक हो। सामान्य संभाषण का विषय दै निक जीवन से संबद्ध होता है तब तक ही संभाषण का ‘समझ’ में आना भी आवश्यक है । उदाहरण के लिए यदि वक्ता क्या कह रहे हैं, इसका ज्ञान श्रोता को न हो तो वह घंटों बैठकर नहीं सनु ेगा। विद्यार्थी भी तब तक प्रश्न करता ही रहे गा जब तक वह शिक्षक की बातों को नहीं समझेगा। कहने का अर्थ है कि संभाषण में वक्ता और श्रोता के बीच रुचि का ध्यान भी रखना पड़ता है । यदि साहित्य के विद्यार्थियों को शल्यक्रिया संबंधी विषयों के बारे में बताएँगे तो वे कुछ ही क्षणों में ऊब जाएँगे। ऐसी स्थिति में संभाषण, संभाषण नहीं रह जाएगा बल्कि कुछ और बन जाएगा। संभाषण के लिए वक्ता और श्रोता के भाषण में समानता की अपेक्षा होती है । 7. सम्भाषण के रूपों की चर्चा कीजिये | उत्तर संभाषण में वक्ता और श्रोता के बीच संदेशों का आदान-प्रदान समान रूप से होना चाहिए। वार्तालाप या संवाद, व्याख्यान, वाद-विवाद, एकालाप, परिचर्चा और जनसंचार आदि संभाषण के विविध रूप हैं। वार्तालाप या संवाद वार्तालाप का अर्थ है बातचीत। दो व्यक्ति जब भाषा के माध्यम से विचारों या सच ू नाओं का आदान-प्रदान करते हैं, तो इसे वार्तालाप अथवा संवाद कहा जाता है । व्याख्यान या भाषण व्याख्यान संभाषण का विशिष्ट रूप है । इसका प्रयोग आम तौर पर किसी विषय की व्याख्या करने के लिए किया जाता है । वाद-विवाद ‘वाद’ वह बातचीत या तर्क है जिससे कोई सिद्धांत निश्चित हो। सिद्धांत स्थापित करने के लिए शास्त्रार्थ या वाद करते हैं, लेकिन सिद्धांत को न मानने वाले विवाद (उल्टा तर्क ) करते हैं। एकालाप एकालाप अर्थात एक ही व्यक्ति या पात्र का संभाषण। जहाँ किसी अन्य व्यक्ति से संवाद संभाव नहीं होता वहाँ एकालाप जन्म लेता है । परिचर्चा साहित्यिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक या सांस्कृतिक किसी भी तथ्य, विषय या समस्या पर विस्तत ृ रूप से की जाने वाली चर्चा को परिचर्चा कहा जा सकता है । जनसंचार सच ू ना तथा विचारों को एक व्यक्ति से दस ू रे व्यक्ति तक संप्रेषित करने की कला को संचार कहा जाता है । संचार का सामान्य अर्थ है लोगों का आपस में विचार, ज्ञान तथा भावनाओं का कुछ संकेतों द्वारा आदान-प्रदान। 8. सम्भाषण के अंतर्गत वार्तालाप और अभिव्यक्ति का तल ु नात्मक अध्ययन कीजिये | उत्तर वार्तालाप का सीधा मतलब है बातचीत । और वार्तालाप आप किसी व्यक्ति के साथ करते है और इसमें हम एक दस ू रे की बातो को सन ु ते है और समझते है । उद्धरण के लिए श्रेया : आजकल सभी साफ-सफाई को लेके बहुत सतर्क हो गए हैं। कोमल : हाँ, यह तो मैने भी अनभ ु व किया है । श्रेया : चलो जो भी हो, अच्छा है । परन्तु अभिव्यक्ति का मतलब है किसी भी जन सामान्य के विचार को व्यक्त करना। इसमें एक व्यक्ति किसी को या फिर समह ू के समक्ष अपने विचारो को व्यक्त करना । जैसे कि मॉनिटर (कक्षा में सफाई से संबंधित भाषण दे ते हुए) आजकल कक्षा में गन्दगी बहुत है । हमे मिल के साफ करना चाहिए । यह हमार लिए ही अच्छा होगा।………………………………………………………. हम सबको आज से ही इस काम में जट ु जाना चाहिए। 9. वचन/पठन कौशल के उद्दे श्य पर ८ से १० पंक्तियों में टिपणी लिखिए | उत्तर बालकों के स्वर में आरोह-अवरोह का ऐसा अभ्यास करा दिया जाए कि यथावसर भावों के अनक ु ू ल स्वर में लोच दे कर पढ़े । बालकों को वाचन के माध्यम से शब्द ध्वनियों का पर्ण ू ज्ञान कराया जाता है वाचन की इस कला से छात्र मँह ु व जिव्हा के उचित स्थान से ध्वनि उच्चारित करते रहें गे। वाचन के माध्यम से शब्दों पर उचित बल दिया जाता है । छात्र पढ़कर उसका भाव समझें तथा दसू रों को भी समझाएँ वाचन का यह एक उद्दे श्य है । वाचन के अक्षर, उच्चारण, ध्वनि, बल, निर्गम, सस्वरता आदि को सम्यक् संस्कार प्राप्त होता है । 10. ध्वनि से आप क्या समझते है स्पष्ट कीजिए ? उत्तर ध्वनि' शब्द का शाब्दिक अर्थ है —आवाज।किसी भी प्रकार की आवाज को ध्वनि कह दिया जाता है चाहे मशीनों के चलने की आवाज हो, कार-मोटर आदि की आवाज हो, रे लगाड़ी-वायय ु ान की आवाज हो या बर्तन गिरने की आवाज हो। व्याख्या:लेकिन भाषा में “ध्वनि” शब्द का संदर्भ सीमित है । यहाँ ध्वनियों से हमारा तात्पर्य उन ध्वनियों से है , जिनका हम अपने मख ु से उच्चारण करते हैं, लेकिन मानव मख ु से उच्चारित प्रत्येक ध्वनि “भाषिक ध्वनि” नहीं कही जा सकती, क्योंकि मख ु से तो अनेक प्रकार की ध्वनियाँ उच्चारित की जा सकती हैं। 11. भाषा ज्ञान से आपका क्या तात्पर्य है उद्धरण सहित समझाइए ? उत्तर भाषा मानवसभ्यता के विकास की सर्वोत्कृष्ट उपलब्धि है । मानव जाति का सारा ज्ञान भाषा के माध ् यम से ही विकसित हुआ है । सष्टि ृ में केवल मानव ही वाक्शक्ति संपन्न प्राणी है और यही उसकी श्रेष्ठता का मानदण्ड है । मानय बाहे जंगलों में रहता हो या आधनि ु क नगरों में , भाषा उसकी सबसे मल् ू यवान ् सम्पत्ति है । यह कहना अनचिु त न होगा कि किसी समाज की भाषा जितनी अधिक समन् ु नत होगी उसकी संस्कृति भी उतनी ही अधिक श्रेष्ठ होगी। ू स्थान है , किंतु कदाचित अत्यधिक परिचय के कारण बहुत भाषा का हमारे जीवन में महत्त्वपर्ण ही कम लोग इस पर ध्यान दे ते हैं, और बहुधा सांस लेने अथवा चलने के समान ही इस सहज रूप में स्वीकार कर लेते है । इसके अतिरिक्त, भाषा के प्रभाव असाधारण हैं- उसके कारण मनष्ु य अन्य जीवों से भिन्न है । संस्कृत के प्रसिद्ध नीतिशास्त्री और वैयाकरण आचार्य भर्तहरि के अनस ु ार- "न सोऽस्ति प्रत्ययो लोके यः शब्दानग ु मादृते । अनबि ु द्धमिव ज्ञानम ् सर्व शब्दे न भासते ।।' (अर्थात संसार में ज्ञात कोई ऐसा विषय नहीं है जो शब्द का आश्रय न लेता हो। समस्त ज्ञान शब्द से ही उत्पन्न हुआ भाषित होता है )। 12. भाषा की परिभाषा दे ते हुए उसके अर्थ को समझाइए ? उत्तर भाषण का अर्थ है "मौखिक अभिव्यक्ति"| अंग्रेजी में इसे "Speaking" या "Speech" कहते हैं| जब छात्र अपने विचारों एवं भावों को स्पष्ट रूप से प्रकट करने का प्रयास करता है , तो उसे भाषण कौशल का सहारा लेना पड़ता है | भाषा कौशल के आधार पर ही उनकी अभिव्यक्ति का मल् ू यांकन किया जाता है |जब एक छात्र सस्वर एवं धाराप्रवाह रूप में बोलते हुए अपने विचारों को प्रस्ततु करता है ,तो यह माना जाता है कि उसमें वाचन कौशल की योग्यता है | फ्रांसीसी लेखक कार्लाइल ने कहा है कि- "भाषण के दौरान कुछ पल का विराम और मौन भाषण शक्ति को प्रखर बनाते हैं|" 13. ध्वनि के लक्षणों का वर्णन कीजिये | उत्तर पर्व ू में ध्वनि का अर्थ प्रतिपादित करते हुए स्पष्ट किया जा चक ु ा है , कि में तीन आधार प्रमख ु है - 1. उच्चारण 2. संवहन संचारण (प्रसारण) 3. श्रवण इनमें उच्चारण का सम्बन्ध वक्ता से, संच्चारण का संबंध ध्वनि वाहिका तरं गों से (इसमें तरं गों की गति और स्वरूप भी आते है ), एवं श्रवण का सम्बन्ध श्रोता से है । डॉ. कपिल दे व द्विवेदी ने 'ध्वनि' और 'स्वनिम' का अन्तर स्पष्ट करते हुए ध्वनि के विषय में स्पष्ट किया है । इस आधार पर ध्वनि के लक्षण हैं - 1. ध्वनि एक संकेत मात्र है । 2. ध्वनि एक भौतिक घटना मात्र है । 3. ध्वनियाँ स्थान प्रयत्न आदि के भेद से असंख्य है । 4. ध्वनि का उच्चारण नहीं होता। 5. ध्वनि इकाई है । 6. ध्वनि ध्वनिग्राम का व्यंजक है । 7. ध्वनियों के लिखित रूप वर्ण होते हैं। 8. ध्यनि बोलने और सन ु ने आती है । 14. भाषा कौशल का क्या महत्व है ? अपने शब्दो मे समझाए | उत्तर वाचन कौशल को महत्वपर्णू माना जाता है क्योंकि भाषा की शिक्षा का आधार वाचन कौशल होता है इसके महत्व को अग्रलिखित रूप में स्पष्ट किया जा सकता है - 1. दै निक जीवन में सभी कार्य भाषण कौशल के आधार पर ही संभव है जो छात्र जितना अधिक वाकपटु होता है उतना ही जीवन में सफल माना जाता है | 2. भाषण कौशल के माध्यम से छात्र द्वारा कठिन विचारों को भी सरलतम रूप में प्रस्तत ु किया जा सकता है ,तथा दस ू रे के मनोभावों को भी सरलतम रूप में समझा जा सकता है | 3. भाषण कौशल के माध्यम से छात्रों का व्यक्तित्व विकसित होता है , क्योंकि वे प्रत्येक तथ्य का प्रस्तत ु ीकरण सारगर्भित एवं प्रभावी रूप से करने में सक्षम होते हैं| 4. भाषण कौशल के माध्यम से बालकों के शब्द भंडार में वद् ृ धि होती है , क्योंकि वाचन में अनेक प्रकार के नवीन शब्दों को बोलने का प्रयास करता है | 15. भाषा कौशल संबंधी प्रमख ु समस्याओं का विवेचन कीजिये ? उत्तर भाषण कौशल की प्रमख ु समस्याएं निम्नलिखित है - i) भाषण कौशल की प्रमख ु बाधा छात्र में आत्मविश्वास के अभाव को माना जाता है | इसके कारण छात्र अपने कथन में ओजस्विता नहीं ला पाते हैं| ii) छात्रों द्वारा अपने भाषण में शब्दों का अशद् ु ध उच्चारण किया जाता है जिससे कि भाषण में अर्थ का अनर्थ उत्पन्न हो जाता है तथा भाषण की सार्थकता तथा एवं प्रभावशीलता समाप्त हो जाती है | iii) छात्र अपने भाषण में दोषपर्ण ू वाक्यों का प्रयोग करते हैं जिनमें कर्ता, क्रिया, कर्म एवं विशेषण को उचित स्थान नहीं मिलता है इससे भाषण कौशल दोषपर्ण ू हो जाता है | iv) भाषण में प्रकरण एवं विधा की आवश्यकता के अनस ु ार भाव एवं लाइव का अभाव भी भाषण को दोषपर्ण ू बना दे ता है तथा भाषण प्रभावहीन हो जाता है | 16. ध्वनि और लहजे मे क्या अंतर है सोधारण स्पष्ट कीजिये ? उत्तर ध्वनि' शब्द का शाब्दिक अर्थ है —आवाज।किसी भी प्रकार की आवाज को ध्वनि कह दिया जाता है चाहे मशीनों के चलने की आवाज हो, कार-मोटर आदि की आवाज हो, रे लगाड़ी-वायय ु ान की आवाज हो या बर्तन गिरने की आवाज हो। व्याख्या:लेकिन भाषा में “ध्वनि” शब्द का संदर्भ सीमित है । यहाँ ध्वनियों से हमारा तात्पर्य उन ध्वनियों से है , जिनका हम अपने मख ु से उच्चारण करते हैं, लेकिन मानव मख ु से उच्चारित प्रत्येक ध्वनि “भाषिक ध्वनि” नहीं कही जा सकती, क्योंकि मख ु से तो अनेक प्रकार की ध्वनियाँ उच्चारित की जा सकती हैं भाषाविज्ञान में लहजा बोलचाल में उच्चारण के उस तरीक़े को कहते हैं जिसका किसी व्यक्ति, स्थान, समदु ाय या दे श से विशेष सम्बन्ध हो। उदहारण के तौर पर कुछ दक्षिण-पर्वी ू हिंदी क्षेत्र के ग्रामीण स्थानों में लोग 'श' की जगह पर 'स' बोलते हैं, जिसकी वजह से वह 'शहर' और 'अशोक' की जगह 'सहर' और 'असोक' बोलतें हैं - इसे उस क्षेत्र का दे हाती लहजा कहा जा सकता है । व्यक्तिगत स्तर पर तत ु लाने को भी एक बोलने का लहजा कहा जा सकता है । 17. संभाषण कला के सिद्धांतो को स्पष्ट कीजिये ? उत्तर संभाषण कला के कुछ सिद्धांत ये हैं: धारणा: सार्वजनिक वक्ता के रूप में बेहतरीन बनने की कोशिशों को छोड़ दें. पर्ण ू तावाद: जब आप कोई गड़बड़ी करते हैं, तो सिर्फ़ आप ही परे शान होते हैं. विज़अ ु लाइज़ेशन: आप वही बोल सकते हैं, जिसे आप दे ख सकते हैं. अनश ु ासन: अभ्यास से ही सिद्ध होता है. विवरण: व्यक्तिगत बनाएं. प्रोत्साहन: सेवा करने के लिए बोलें. उम्मीद: दर्शकों को हमेशा और ज़्यादा चाहने के लिए छोड़ दें | इत्यादि 18. चतर्वि ु ध भाषा कौशल का क्रमानस ु ार वर्णन कीजिये | उत्तर श्रवण कौशल - भाषा के अन्य सभी कौशलों को सीखना एक पर्वा ू पेक्षा है । यह जो बोली जाती है , उसमें से अर्थ निकालने की एक प्रक्रिया है । इसमें एक भाषा की ध्वनियों को प्राप्त करना, शब्दों में ध्वनियों को संसाधित करना, उन शब्दों के अर्थ और समझ को प्राप्त करना शामिल है । अतः यह चारों कौशलों में सबसे सरल और प्रथम कौशल होता है । सम्भाषण कौशल - यह सन ु ने के कौशल से अधिक जटिल है । सम्भाषण कौशल श्रवण कौशल पर आधारित होता है । यह एक भाषा के व्याकरणिक और शाब्दिक संसाधनों, सही उच्चारण, स्पष्ट रूप से बताने की क्षमता आदि के बारे में जागरूक करता है । यह सन ु कर बोलने पर आधारित है , अतः श्रवण के बाद यह दस ू रा कौशल है । पठन कौशल - यह एक सक्रिय कौशल है जो शैक्षणिक सफलता निर्धारित करता है । पठन में धारणा, मान्यता, संघ, समझ, संगठन और खोज अर्थ शामिल हैं। लेखन कौशल - यह एक सचेत और नियोजित गतिविधि है । यह लेखक के लेखन की यांत्रिकी का उपयोग करने की भाषाई क्षमता को संदर्भित करता है । अतः भाषा के चार कौशलों में नैपण् ु य संपादन करना भाषा का प्रयोजन होता है यह स्पष्ट होता है । 19. एक बालक व्याख्या सन ु कर तथा दस ु रा पढ़कर जानकारी एकत्रित करता है । ये दोनों बालक कौन-सा भाषा कौशल प्रयोग में ला रहे है ? श्रवण कौशल पठन कौशल ग्रहणात्मक कौशल अभिव्यक्तात्मक कौशल उत्तर भाषा के चार रुप है सन ु ना, बोलना, पढ़ना और लिखना। भाषा शिक्षण में इन चारों का अपना अपना महत्व है । एक बालक व्याख्या सन ु कर अर्थात श्रवण कौशल का प्रयोग करके विचारों को ग्रहण तथा दसु रा पढ़कर अर्थात पठन कौशल का प्रयोग करके जानकारी को ग्रहण करता है । भाषा के ये रुप भाषा के कौशल बन जाते हैं तथा भाषा शिक्षण का मख् ु य उद्दे श्य इन सभी कौशलौ में परिपक्व बनना होता है । जहां सनु ना और पढ़ना भाषा के ग्रहणात्मक कौशल है वहीं बोलना और लिखना अभिव्यक्तात्मक कौशल है । भाषा शास्त्रियों के अनस ु ार भाषा के रुपों का क्रम इस प्रकार है - श्रवण (सनु ना), वाचन (बोलना), पठन (पढ़ना), लेखन (लिखित) अतः हम कह सकते हैं कि उपरोक्त दोनों बालक ग्रहणात्मक कौशल प्रयोग में ला रहे है । 20. इनमे से किस श्रवण के प्रकार में श्रोता श्रुत सामग्री में प्रस्तत ु विचारो, भावो आदि पर तल ु नात्मक दृष्टी से विचार करता है | i)रसात्मक श्रवण ii)विश्लेषणात्मक श्रवण iii)अव्धानात्मक श्रवण iv)इनमे से कोई नहीं उत्तर भाषा के चार रुप है सन ु ना, बोलना, पढ़ना और लिखना। भाषा शिक्षण में इन चारों का अपना अपना महत्व है । एक बालक व्याख्या सन ु कर अर्थात श्रवण कौशल का प्रयोग करके विचारों को ग्रहण तथा दस ु रा पढ़कर अर्थात पठन कौशल का प्रयोग करके जानकारी को ग्रहण करता है । भाषा के ये रुप भाषा के कौशल बन जाते हैं तथा भाषा शिक्षण का मख् ु य उद्दे श्य में परिपक्व बनना होता है । जहां सनु ना और पढ़ना भाषा के ग्रहणात्मक कौशल है वहीं बोलना और लिखना अभिव्यक्तात्मक कौशल है । भाषा शास्त्रियों के अनस ु ार भाषा के रुपों का क्रम इस प्रकार है - श्रवण (सन ु ना), वाचन (बोलना), पठन (पढ़ना), लेखन (लिखित) अतः हम कह सकते हैं कि उपरोक्त दोनों बालक ग्रहणात्मक कौशल प्रयोग में ला रहे है । 21. भाषा विकास की प्रक्रिया को स्पष्ट कीजिये | उत्तर बच्चों में भाषा कौशल का विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जो जन्म से शरू ु होती है और कई वर्षों तक जारी रहती है , लेकिन बच्चे के जीवन के पहले पाँच वर्षों के दौरान सबसे अधिक केंद्रित होती है । इन शरु ु आती वर्षों में , मस्तिष्क तेज़ी से विकसित हो रहा होता है क्योंकि यह कई दृश्यों और ध्वनियों को ग्रहण करता है और उनका अर्थ समझने का प्रयास करता है । ये ध्वनियाँ, जिनमें दे खभाल करने वालों और अन्य लोगों की वाणी और भाषा पैटर्न को सन ु ना शामिल है , बच्चे के भाषा कौशल के विकास में विशेष रूप से महत्वपर्ण ू हैं। 22. भाषायी ध्वनियों से आप क्या समझते है स्पष्ट कीजिए| उत्तर भाषायी ध्वनियाँ वर्ण हैं। भाषा में ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए जिन लिखित चिह्नों का प्रयोग किया गया है उसे वर्ण कहते हैं। मलू ध्वनि जिसके खण्ड न किए जा सके वर्ण कहलाते हैं। भाषा विज्ञान में भाषायी ध्वनि 'स्वनिम' कहलाती है । 'स्वनिम' और कोई चीज नहीं अपितु यह वर्णों का क्रमवार समहू -वर्णमाला ही है । तभी कहा जाता है कि 'स्वनिम' भाषा की वह अर्थ भेदक ध्वन्यात्मक इकाई है , जो भौतिक यथार्थ से न होकर मानसिक यथार्थ से होती है तथा जिसके एकाधिकार ऐसे 'उपस्वत' होते है । इस तरह भाषा का आधार 'ध्वनि' ही है और ध्वनि ज्ञान के बगैर अपने भावों की अभिव्यक्ति स्पष्ट नहीं हो पाती है । दस ू री ओर ध्वनियों का ज्ञान शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं साहित्यकारों के लिए परम आवश्यक है । यदि बारीकी से अध्ययन की आवश्यकता हो तो सर्वप्रथम ध्वनि ज्ञान सभी के लिए जरूरी है । 23. भाषा विज्ञान के अंतर्गत ध्वनि के अर्थ को विस्तार से समझाइए | उत्तर 'ध्वनि' शब्द संस्कृत से लिया गया है । संस्कृत में "ध्वनि शब्दे " एक धातु है , जिससे 'ध्वनि शब्द' बना है । वैज्ञानिक दृष्टि से वायु को दबाव और विदलन से वायम ु ण्डलीय दबाव में आने वाले परिवर्तन या उतार- चढ़ाव का नाम ध्वनि है । भाषा विज्ञान में ध्वनि का यह व्यापक रूप ग्राहय नहीं है । यही कारण है कि सामान्य ध्वनि से भाषा-ध्वनि हटकर है । भाषा विज्ञान में भाषा ध्वनि या वाक् -स्वत नाम से जाना जाता है ।उच्चारण तथा श्रवण की दृष्टि से स्वतन्त्र व्यक्तित्व रखने वाली भाषा में प्रयक् ु त ध्वनि की लघत ु म इकाई का नाम ही भाषा ध्वनि है । भाषा विज्ञान में ध्वनि का सीधा सम्बन्ध भाषायी ध्वनि से है । इस भाषायी ध्वनि को और अधिक स्पष्ट करने के लिए हम कह सकते हैं कि "मनष्ु य अपने भावों और विचारों को प्रकट करने के लिए जिन विभिन्न ध्वनियों का प्रयोग करता है , उन्हें भाषायी ध्वनि कहते हैं।" 24. ध्वनि की परिभाषा दे ते हुए उसके अर्थ को समझाइए | उत्तर बाबरू ाम सक्सेना ने सामान्य भाषा विज्ञान पस् ु तक में ध्वनि के परिभाषा लिखते हुए कहा है - "ध्वनि मनष्ु य के विकल्प-परिहीन नियत स्थान और निश्चित प्रयत्न द्वारा उत्पादित और श्रोतेन्द्रिय द्वारा अधिकल्प रूप से ग्रहीत स्वर लहरी है ।" 'ध्वनि' बहुत व्यापक अर्थ वाला शब्द है इसके अन्तर्गत सभी प्रकार की ध्वनियों समाहित हैं। जैसे- घण्टा बजाने की ध्वनि, पक्षियों के चहचहाने की ध्वनि, हवा के चलने की ध्वनि, पशओ ु ं की आवाज, मधम ु क्खियों की भिनभिनाहट, बर्तनों की आवाज, वाहनों की आवाज, हँसना आदि अनेक प्रकार की ध्वनियाँ हैं। यद्यपि इनका सम्बन्ध भाषा विज्ञान से नहीं है , क्योंकि भाषा विज्ञान की दृष्टि से ये निरर्थक ध्वनियाँ हैं। मनष्ु य के मख ु से निकलने वाली ध्वनियाँ सार्थक और निरर्थक हो सकती है । ध्वनि भाषा का प्राण है । भाषा सम्प्रेषण में ध्वनि की अहम भमि ू का है । 25. लेखन शिक्षण की प्रविधि कौन कोनसी है स्पष्ट कीजिये ? उत्तर मॉण्टे सरी विधि- मॉण्टे सरी ने लिखना सिखाने में आँख, कान और हाथ तीनों के समचि ु त प्रयोग पर बल दिया है । उनके मतानस ु ार, पहले बालक को लकड़ी अथवा गत्ते या प्लास्टिक के बने अक्षरों पर ऊँगली फेरने को कहा जाए, फिर उन्हें पेन्सिल को उन्हीं अक्षरों पर घम ु वाना चाहिए। पेन्सिल प्राय: रं गीन होनी चाहिए। इसी प्रकार बालक अक्षरों के स्वरूप से परिचित होकर उन्हें लिखना सीख जाता है । रूपरे खानक ु रण विधि- इस विधि में शिक्षक श्यामपट्ट या स्लेट पर चाक या पें सिल से बिंद ु रखते हुए शब्द या वाक्य लिख दे ता है ,और छात्रों से उनके निशाने पर पें सिल से लिखने के लिए बोलता है , जिससे शब्द, वाक्य, वर्ण उभर आए|इस प्रकार अभ्यास के माध्यम से वह वर्णों को लिखना सीख जाता है | स्वतन्त्र अनक ु रण विधि – इसमें अध्यापक श्यामपट्ट, कापी या स्लेट पर अक्षरों को लिख दे ता है और छात्रों को कहता है कि उन अक्षरों को दे खकर उनके नीचे स्वयं उसी प्रकार अक्षर बनाए। तलु ना विधि – हिन्दी भाषी क्षेत्रों में तलु ना विधि उपयोगी मानी जाती है । बालक को तीसरी चौथी कक्षा में मातभ ृ ाषा के लेखन का अभ्यास हो चक ु ा होता है । अतः उससे तलु ना करते हुए हिन्दी भाषा शीघ्रता से सीखी जा सकती है । 26. भाषण कौशल पर टिप्पणी लिखिए | उत्तर भाषण का अर्थ है "मौखिक अभिव्यक्ति"| अंग्रेजी में इसे "Speaking" या "Speech" कहते हैं| जब छात्र अपने विचारों एवं भावों को स्पष्ट रूप से प्रकट करने का प्रयास करता है , तो उसे भाषण कौशल का सहारा लेना पड़ता है | भाषा कौशल के आधार पर ही उनकी अभिव्यक्ति का मल् ू यांकन किया जाता है |जब एक छात्र सस्वर एवं धाराप्रवाह रूप में बोलते हुए अपने विचारों को प्रस्तत ु करता है ,तो यह माना जाता है कि उसमें वाचन कौशल की योग्यता है | 27. श्रवण कौशल पर टिप्पणी लिखिए | उत्तर 'श्रवण' शब्द 'श्र'ु धातु से बना है जिसका संबंध 'सन ु ने' और 'अधिगम' करना आदि से है । 'श्रवण' अंग्रेजी के शब्द 'Listening' शब्द का पर्याय है । 'श्रवण' केवल ध्वनियों को सन ु ना भर नहीं है बल्कि उन ध्वनियों को सन ु कर उसका अर्थ निकालने, सन ु ी हुई बातों पर चिंतन मनन करने और अर्थ की प्रतिक्रिया दे ने से है । श्रवण कौशल के लिए मस्तिष्क की एकाग्रता एवं इंद्रियों का संयम होना अत्यंत आवश्यक है । बालक के जन्म लेने के उपरांत उसकी प्रारं भिक शिक्षा उसकी श्रवण शक्ति पर निर्भर करती है ।यदि छात्र की श्रवण इन्द्रियों में दोष है , तो वह न भाषा सीख सकता है और न अपने मनोभावों को अभिव्यक्त कर सकता है । अत: उसका भाषा ज्ञान शन् ू य के बराबर ही रहे गा। बालक सनु कर ही अनकु रण द्वारा भाषा ज्ञान अर्जित करता है | 28. भाषा मानव विकास का मल ू आधार हैं टिप्पणी लिखिए | उत्तर सष्टि ृ के सभी पश-ु पक्षी एवं कीट-पतंग मनष्ु य से प्राचीन हैं परन्तु प्रगति पथ पर केवल मनष्ु य ही अग्रसर हुआ हैं। आखिर यह कौन-सी शक्ति हैं जिसके द्वारा मनष्ु य जाति ने यह सब विकसित किया हैं? वह शक्ति भाषा की शक्ति है विचार की शक्ति हैं। यूँ तो संसार के अन्य प्राणियों के पास भी अपनी-अपनी भाषाएं हैं परन्तु विचारप्रधान भाषा मनष्ु य की ही विशेषता हैं। मनष्ु य की भाषा और उसके विचारों में अटूट संबंध होता हैं, विचार से भाषा प्रस्फुटित होती है और भाषा के माध्यम से विचार। भाषा के अभाव में मनष्ु य विचार नही कर सकता और विचार के अभाव में वह अपने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सकता। संस्कृताचार्य दं डी के शब्दों में -यदि शब्दरूपी ज्योति इस संसार में प्रकाशित न हुई होती तो तीनों लोक अज्ञानरूपी बने अन्धकार से परिपर्ण ू रहे होते (इदम्न्धतमः कृत्स्नं जायेत ् भवु नत्रयम ्)। यदि शब्दाह्रयं ज्योतिरा संसार न दीप्यते।। - दण्डी, काव्यादर्श)। 29. भाषा कौशल के उद्दे श्य को समझाइए | उत्तर भाषण कौशल के प्रमख ु उद्दे श्यों को निम्नलिखित रुप में स्पष्ट किया जा सकता है - i) छात्रों में अपने भाव एवं विचारों को प्रभावी ढं ग से प्रस्तत ु ीकरण की योग्यता का विकास करना जिससे कि वे सभी तथ्यों का सारगर्भित प्रस्तत ु ीकरण कर सकें| ii) भाषण कौशल के उद्दे श्य छात्रों में क्रमिक रूप से तथा धाराप्रवाह रूप में बोलने की क्षमता विकसित करना है जिससे विभिन्न वासी प्रकरणों पर अपनी दक्षता का प्रदर्शन कर सकें| iii) छात्रों में संकोच एवं झिझक को दरू करके आत्मविश्वास की भावना जागत ृ करना तथा जिससे भाषा के अनेक प्रकरणों पर धारा प्रवाह रूप में आत्मविश्वास के साथ बोल सकें| iv) छात्रों में प्रसंगानस ु ार मह ु ावरे एवं लोकोक्तियां के प्रयोग की क्षमता विकसित करना जिससे वे अपने प्रस्तत ु ीकरण को प्रभावोत्पादक बना सकें| 30. भाषा कौशल की विशेषताओं पर चर्चा कीजिये | उत्तर भाषा कौशल के विस्ततृ विवेचन से विशेषताओं एवं प्रकृति का बोध होता है । भाषा कौशल की सामान्य विशेषताए भाषा इस प्रकार है - i) कौशल भाषा का व्यावहारिक पक्ष है । ii) भाषा कौशल सम्प्रेषण का साधन तथा मख् ु य माध्यम है । iii) भाषा कौशल में मानसिक शारीरिक अंगों, ज्ञान-इन्द्रियॉ ं तथा कर्म-इन्द्रिया क्रियाशील होती है । iv) भाषा कौशल अर्जित किए जाते है , इसके लिए प्रशिक्षण तथा अभ्यास किया जाता है । v) भाषा कौशल में प्रत्यक्षीकरण तथा मानसिक व्यवस्था की आवश्यकता होती है । vi) भाषा कौशल के दो घटक - (अ) पाठ्यवस्तु तथा (ब) अभिव्यक्ति होते है । vii) भाषा कौशल के दो प्रवाह- (अ) लिखना- पढ़ना तथा (ब) बोलना- सन ु ना है । viii) भाषा कौशल का उद्दे श्य बोधगम्यता है । ix) भाषा कौशल से सम्प्रेषण की सक्षमता का विकास होता है । xI भाषा कौशल से शाब्दिक अत: प्रक्रिया होती है । xi) भाषा कौशल की प्रभावशीलता का आकलन कौशलों की शद् ु धता तथा बोधगम्यता से किया जाता है । xii) भाषा कौशलों का भाषा विज्ञान तथा व्याकरण ही मख् ु य आधार होता है । xiii) भाषा कौशल के मख् ु य रूप-लिखना, पढ़ना बोलना तथा सन ु ना है ।

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