Hindi (Core) Class 11-12 Past Paper PDF 2024-25

Summary

This document provides details about the Hindi language syllabus for class 11 and 12, highlighting the importance of comprehension, expression, and critical thinking skills. It touches on the roles of different educational methodologies for learning and evaluation. It also emphasizes student-centered learning approaches and teaching strategies.

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िहं दी (आधार) (कोड सं.– 302) क ा 11वी ं–12वी ं (2024 -25 ) दसवी ं क ा तक िहं दी का अ यन करने वाला िश ाथ समझते ए पढ़ने व सुनने के साथ-साथ िहं दी म सोचने और उसे मौ खक एवं िल खत प म कर पाने की सामा द ता अिजत कर चुका होता है । उ...

िहं दी (आधार) (कोड सं.– 302) क ा 11वी ं–12वी ं (2024 -25 ) दसवी ं क ा तक िहं दी का अ यन करने वाला िश ाथ समझते ए पढ़ने व सुनने के साथ-साथ िहं दी म सोचने और उसे मौ खक एवं िल खत प म कर पाने की सामा द ता अिजत कर चुका होता है । उ तर मा िमक र पर आने के बाद इन सभी द ताओं को उस र तक ले जाने की आव कता होती है , जहाँ भाषा का योग िभ -िभ वहार- े ों की माँगों के अनु प िकया जा सके। आधार पा म, सािह क बोध के साथ-साथ भाषायी द ता के िवकास को ादा मह दे ता है । यह पा म उन िश ािथयों के िलए उपयोगी सािबत होगा, जो आगे िव िव ालय म अ यन करते ए िहं दी को एक िवषय के प म पढ़गे या िव ान/सामािजक िव ान के िकसी िवषय को िहंदी मा म से पढ़ना चाहगे। यह उनके िलए भी उपयोगी सािबत होगा, जो उ तर मा िमक र की िश ा के बाद िकसी तरह के रोजगार म लग जाएंगे । वहाँ कामकाजी िहं दी का आधारभू त अ यन काम आएगा। िजन िश ािथयों की िच जनसंचार मा मों म होगी, उनके िलए यह पा म एक आरं िभक पृ भूिम िनिमत करे गा। इसके साथ ही यह पा म सामा प से तरह-तरह के सािह के साथ िश ािथयों के संबंध को सहज बनाएगा। िश ाथ भािषक अिभ के सू एवं जिटल पों से प रिचत हो सकगे। वे यथाथ को अपने िवचारों म व थत करने के साधन के तौर पर भाषा का अिधक साथक उपयोग कर पाएँ गे और उनम जीवन के ित मानवीय संवेदना एवं स क ि का िवकास हो सकेगा। रा ीय िश ा नीित 2020 तथा क ीय मा िमक िश ा बोड ारा समय-समय पर द ता आधा रत िश ा, कला समेिकत अिधगम, अनु भवा क अिधगम को अपनाने की बात की गई है जो िश ािथयों की ितभा को उजागर करने, खे ल-खेल म सीखने पर बल दे ने,आनं दपू ण ानाजन और िव ाजन के िविवध तरीकों को अपनाने तथा अनु भव के ारा सीखने पर बल दे ती है। द ता आधा रत िश ा से ता य है सीखने और मू ांकन करने का एक ऐसा ि कोण जो िश ाथ के सीखने के ितफल और िवषय म िवशे ष द ता को ा करने पर बल दे ता है। द ता वह मता, कौशल, ान और ि कोण है जो को वा िवक जीवन म काय करने म सहायता करती है। इससे िश ाथ यह सीख सकते ह िक ान और कौशल को िकस कार ा िकया जाए तथा उ वा िवक जीवन की सम ाओं पर कैसे लागू िकया जाए। ेक िवषय, ेक पाठ को जीवनोपयोगी बनाकर योग म लाना ही द ता आधा रत िश ा है । इसके िलए उ रीय िचंतन कौशल पर िवशे ष बल दे ने की आव कता है। कला समे िकत अिधगम को िश ण-अिधगम ि या म सु िनि त करना अ िधक आव क है। कला के संसार म क ना की एक अलग ही उड़ान होती है । कला एक की रचना क अिभ है। कला समेिकत अिधगम से ता य है कला के िविवध पों यथा सं गीत, नृ , नाटक, किवता, रं गशाला, या ा, मूितकला, आभूषण बनाना, गीत िलखना, नु ड़ नाटक, कोलाज, पो र, कला दशनी को िश ण अिधगम की ि या का अिभ िह ा बनाना। िकसी िवषय को आरं भ करने के िलए आइस ेिकंग गितिविध के प म तथा सामं ज पू ण समझ पैदा करने के िलए अं तरिवषयक या ब िवषयक प रयोजनाओं के प म कला समेिकत अिधगम का योग िकया जाना चािहए। इससे पाठ अिधक रोचक एवं ा हो जाएगा। अनुभवा क अिधगम या आनुभिवक ानाजन का उ े शै ि क वातावरण को िश ाथ कि त बनाने के साथ-साथ यं मू ां कन करने , आलोचना क प से सोचने , िनणय लेने तथा ान का िनमाण कर उसम पारं गत होने से है। यहाँ िश क की भूिमका मागदशक की रहती है । ानाजन अनु भव सहयोगा क अथवा 1 तं होता है और यह िश ाथ को एक साथ काय करने तथा यं के अनुभव ारा सीखने पर बल दे ता है । यह िस ां त और वहार के बीच की दू री को कम करता है I इस पा म के अ यन से : 1. िश ाथ अपनी िच और आव कता के अनु प सािह का गहन और िवशेष अ यन जारी रख सकगे। 2. िव िव ालय र पर िनधा रत िहं दी-सािह से संबंिधत पा म के साथ सहज संबंध थािपत कर सकगे। 3. लेखन-कौशल के ावहा रक और सृ जना क पों की अिभ म स म हो सकगे। 4. रोज़गार के िकसी भी े म जाने पर भाषा का योग भावी ढं ग से कर सकगे। 5. यह पा म िश ाथ को जनसं चार तथा काशन जैसे िविभ - े ों म अपनी मता करने का अवसर दान कर सकता है । 6. िश ाथ दो िभ पाठों की पा व ु पर िचंतन करके उनके म की संब ता पर अपने िवचार अिभ करने म स म हो सकगे। 7. िश ाथ रटे -रटाए वा ों के थान पर अिभ परक/ थित आधा रत/ उ िचंतन मता के ों पर सहजता से अपने िवचार कट कर सकगे। उ े : सं े षण के मा म और िवधाओं के िलए उपयु भाषा योग की इतनी मता उनम आ चुकी होगी िक वे यं इससे जुड़े उ तर पा मों को समझ सकगे । भाषा के अंदर सि य स ा संबंध की समझ। सृजना क सािह की समझ और आलोचना क ि का िवकास। िश ािथयों के भीतर सभी कार की िविवधताओं (धम, जाित, िलंग, े एवं भाषा संबंधी) के ित सकारा क एवं िववेकपू ण रवैये का िवकास। पठन-साम ी को िभ -िभ कोणों से अलग-अलग सामािजक, सां ृ ितक िचं ताओं के प र े म दे खने का अ ास करवाना तथा आलोचना क ि का िवकास करना। िश ाथ म रीय सािह की समझ और उसका आनंद उठाने की मता तथा सािह को े बनाने वाले त ों की संवेदना का िवकास। िविभ ानानु शासनों के िवमश की भाषा के प म िहं दी की िविश कृित और उसकी मताओं का बोध। कामकाजी िहं दी के उपयोग के कौशल का िवकास। जनसंचार मा मों (ि ंट और इले ॉिनक) म यु िहंदी की कृित से प रचय और इन मा मों की आव कता के अनु प मौ खक एवं िल खत अिभ का िवकास। िश ाथ म िकसी भी अप रिचत िवषय से संबंिधत ासंिगक जानकारी के ोतों का अनुसंधान और व थत ढं ग से उनकी मौ खक और िल खत ु ित की मता का िवकास। िश ण-यु याँ कुछ बात इस र पर िहं दी िश ण के ल ों के सं दभ म सामा प से कही जा सकती ह। एक तो यह है िक क ा म दबाव एवं तनाव मु माहौल होने की थित म ये ल हािसल िकए जा सकते ह। चूँ िक इस पा म म तै यारशुदा उ रों को कंठ थ कर ले ने की कोई अपे ा नही ं है, इसिलए िवषय को समझने और उस समझ के आधार पर उ र को श ब करने की यो ता िवकिसत करना िश क का काम है । इस यो ता के िवकास के िलए क ा म िश ािथयों और िशि का के 2 बीच िनबाध सं वाद ज री है । िश ाथ अपनी शंकाओं और उलझनों को िजतना अिधक करगे, उनमे उतनी ता आ पाएगी। भाषा की क ा से समाज म मौजूद िविभ कार के ं ों पर बातचीत का मंच बनाना चािहए। उदाहरण के िलए सं िवधान म िकसी श िवशे ष के योग पर िनषेध को चचा का िवषय बनाया जा सकता है । यह समझ ज़ री है िक िश ािथयों को िसफ़ सकारा क पाठ दे ने से काम नही ं चले गा ब उ समझाकर भािषक यथाथ का सीधे सामना करवाने वाले पाठों से प रचय होना ज री है । शंकाओं और उलझनों को रखने के अलावा भी क ा म िश ािथयों को अिधक-से-अिधक बोलने के िलए े रत िकया जाना ज री है । उ यह अहसास कराया जाना चािहए िक वे पिठत साम ी पर राय दे ने का अिधकार और ान रखते ह। उनकी राय को ाथिमकता दे ने और उसे बेहतर तरीके से पुनः ुत करने की अ ापकीय शैली यहाँ ब त उपयोगी होगी। िश ािथयों को संवाद म शािमल करने के िलए यह ज़ री होगा िक उ एक नामहीन समूह न मानकर अलग-अलग यों के प म अहिमयत दी जाए। िश कों को अ र एक कुशल संयोजक की भूिमका म यं दे खना होगा, जो िकसी भी इ ु क को सं वाद का भागीदार बनने से वंिचत नही ं रखते , उसके क े-प े व को मानक भाषा-शैली म ढाल कर उसे एक आभा दे दे ते ह और मौन को अिभ ंजना मान बैठे लोगों को मुखर होने पर बा कर दे ते ह। अ ािशत िवषयों पर िचं तन तथा उसकी मौ खक व िल खत अिभ की यो ता का िवकास िश कों के सचेत यास से ही सं भव है। इसके िलए िश कों को एक िनि त अंतराल पर नए-नए िवषय ािवत कर उन पर िलखने तथा संभाषण करने के िलए पू री क ा को े रत करना होगा। यह अ ास ऐसा है , िजसम िवषयों की कोई सीमा तय नही ं की जा सकती। िवषय की असीम संभावना के बीच िश क यह सु िनि त कर सकते ह िक उसके िश ाथ िकसी िनबंध-सं कलन या कुंजी से तै यारशुदा साम ी उतार भर न ले। तैयार शुदा साम ी के लोभ से , बा तावश ही सही मु पाकर िश ाथ नये तरीके से सोचने और उसे श ब करने के िलए तैयार होंगे। मौ खक अिभ पर भी िवशेष ान दे ने की ज़ रत है , ोंिक भिव म सा ा ार, संगो ी जैसे मौकों पर यही यो ता िश ाथ के काम आती है । इसके अ ास के िसलिसले म िश कों को उिचत हावभाव, मानक उ ारण, पॉज, बलाघात, हािजरजवाबी इ ािद पर खास बल दे ना होगा। का की भाषा के मम से िश ाथ का प रचय कराने के िलए ज़ री होगा िक िकताबों म आए का ांशों की लयब ु ितयों के ऑिडयो-वीिडयो कैसेट तैयार िकए जाएँ । अगर आसानी से कोई गायक/गाियका िमले तो क ा म म कालीन सािह के िश ण म उससे मदद ली जानी चािहए। एन सी ई आर टी, िश ा मं ालय के िविभ सं गठनों तथा तं िनमाताओं ारा उपल कराए गए काय म/ ई-साम ी, वृ िच ों और िसनेमा को िश ण साम ी के तौर पर इ ेमाल करने की ज़ रत है । इनके दशन के म म इन पर लगातार बातचीत के ज़ रए िसनेमा के मा म से भाषा के योग की िविश ता की पहचान कराई जा सकती है और िहं दी की अलग-अलग छटा िदखाई जा सकती है। िश ािथयों को रीय परी ा करने को भी कहा जा सकता है। क ा म िसफ़ एक पा पु क की उप थित से बेहतर यह है िक िश क के हाथ म तरह-तरह की पा साम ी को िश ाथ दे ख सक और िश क उनका क ा म अलग-अलग मौकों पर इ ेमाल कर सके। भाषा लगातार हण करने की ि या म बनती है , इसे दिशत करने का एक तरीका यह भी है िक िश क खुद यह िसखा सक िक वे भी श कोश, सािह कोश, सं दभ ंथ की लगातार मदद ले रहे ह। इससे िश ािथयों म इसका इ े माल करने को लेकर त रता बढ़े गी। अनुमान के आधार पर िनकटतम अथ तक प ँ चकर संतु होने की जगह वे सही अथ की खोज करने के िलए े रत होंगे। इससे श ों की अलग-अलग रं गत का पता चले गा और उनम सं वेदनशीलता बढ़े गी। वे श ों के बारीक अंतर के ित और सजग हो पाएँ गे। 3 क ा-अ ापन के पू रक काय के प म से िमनार, ूटो रयल काय, सम ा-समाधान काय, समू हचचा, प रयोजनाकाय, ा ाय आिद पर बल िदया जाना चािहए। पा म म जनसंचार मा मों से संबंिधत अंशों को दे खते ए यह ज़ री है िक समय-समय पर इन मा मों से जु ड़े यों और िवशेष ों को भी िव ालय म बु लाया जाए तथा उनकी दे ख-रे ख म कायशालाएँ आयोिजत की जाएं । िभ मता वाले िश ािथयों के िलए उपयु िश ण साम ी का इ ेमाल िकया जाए तथा उ िकसी भी कार से अ िश ािथयों से कमतर या अलग न समझा जाए। क ा म िश क को हर कार की िविवधताओं (िलंग जाित, धम, वग आिद) के ित सकारा क और संवेदनशील वातावरण िनिमत करना चािहए। वण तथा वाचन परी ा हे तु िदशा-िनदश वण (सु नना) (5 अंक) : विणत या पिठत साम ी को सुनकर अथ हण करना, वातालाप करना, वाद- िववाद, भाषण, किवता पाठ आिद को सु नकर समझना, मू ां कन करना और अिभ के ढं ग को समझना। वाचन (बोलना) (5 अंक): भाषण, स र किवता-पाठ, वातालाप और उसकी औपचा रकता, काय म- ुित, कथा-कहानी अथवा घटना सु नाना, प रचय दे ना, भावानु कूल सं वाद-वाचन। िट णी: वातालाप की द ताओं का मू ां कन िनरं तरता के आधार पर परी ा के समय ही होगा। िनधा रत 10 अंकों म से 5 वण (सु नना) कौशल के मू ां कन के िलए और 5 वाचन (बोलना) कौशल के मू ांकन के िलए होंगे। वाचन (बोलना) एवं वण (सु नना) कौशल का मू ांकन: परी क िकसी ासं िगक िवषय पर एक अनु े द का वाचन करे गा। अनु े द त ा क या सुझावा क हो सकता है । अनु े द लगभग 250 श ों का होना चािहए। या परी क 2-3 िमनट का अंश (ऑिडयो प) सुनवाएगा। अंश रोचक होना चािहए। क /घटना पूण एवं होनी चािहए। वाचक का उ ारण शु , एवं िवराम िच ों के उिचत योग सिहत होना चािहए। परी ाथ ानपूवक परी क/ऑिडयो प को सु नने के प ात परी क ारा पूछे गए ों का अपनी समझ से मौ खक उ र दगे। (1x5 =5) िकसी िनधा रत िवषय पर बोलना : िजससे िश ाथ अपने गत अनुभवों का ा रण कर सक। कोई कहानी सु नाना या िकसी घटना का वणन करना। प रचय दे ना। ( / प रवार/ वातावरण/ व ु / / पयावरण/ किव /लेखक आिद) परी कों के िलए अनु देश :- परी ण से पू व परी ाथ को तैयारी के िलए कुछ समय िदया जाए। िववरणा क भाषा म वतमान काल का योग अपेि त है । िनधा रत िवषय परी ाथ के अनु भव-जगत के हों। जब परी ाथ बोलना आरं भ कर तो परी क कम से कम ह ेप कर। 4 कौशलों के अं तरण का मू ां कन (इस बात का िन य करना िक ा िश ाथ म वण और वाचन की िन िल खत यो ताएँ ह). वण (सु नना) वाचन (बोलना) 1 प रिचत सं दभ म यु श ों और पदों को 1 केवल अलग-अलग श ों और पदों के योग समझने की सामा यो ता है । की यो ता दिशत करता है। 2 छोटे सुसंब कथनों को प रिचत सं दभ म 2 प रिचत संदभ म केवल छोटे संब कथनों का समझने की यो ता है। सीिमत शु ता से योग करता है। 3 प रिचत या अप रिचत दोनों सं दभ म किथत 3 अपे ाकृत दीघ भाषण म जिटल कथनों के सूचना को समझने की यो ता है । योग की यो ता दिशत करता है। 4 दीघ कथनों की ं खला को पया शु ता से 4 अप रिचत थितयों म िवचारों को तािकक ढं ग समझने के ढं ग और िन ष िनकाल सकने की से सं गिठत कर धारा- वाह प म ुत यो ता है । करता है । 5 जिटल कथनों के िवचार-िबं दुओं को समझने की 5 उ े और ोता के िलए उपयु शै ली को यो ता दिशत करने की मता है । अपना सकता है। प रयोजना काय - कुल अं क 10 िवषय व ु - 5 अं क भाषा एवं ु ित - 3 अं क शोध एवं मौिलकता - 2 अं क िह ी भाषा और सािह से जुड़े िविवध िवषयों/ िवधाओं / सािह कारों / समकालीन लेखन / सािह क वादों / भाषा के तकनीकी प / भाव / अनु योग / सािह के सामािजक संदभ एवं जीवन मू संबंधी भावों आिद पर प रयोजना काय िदए जाने चािहए। स के ारं भ म ही िश ाथ को िवषय चु नने का अवसर िमले तािक उसे शोध, तैयारी और लेखन के िलए पया समय िमल सके । प रयोजना-काय ‘प रयोजना’ श योजना म ‘प र’ उपसग लगने से बना है। ‘प र’ का अथ है ‘पूणता’ अथात ऐसी योजना जो अपने आप म पूण हो प रयोजना कहलाती है । िकसी िवशेष ल की ा हे तु जो योजना बनाई और काया त की जाती है, उसे प रयोजना कहते ह। यह िकसी सम ा के िनदान या िकसी िवषय के त ों को कािशत करने के िलए तै यार की गई एक पूण िवचार योजना होती है। रा ीय पा चचा की परे खा, रा ीय िश ा नीित 2020 तथा के ीय मा िमक िश ा बोड ारा समय-समय पर अनु भवा क अिधगम, आनंदपू ण अिधगम की बात कही गई है । उ तर मा िमक र पर िश ािथयों के िलए िहंदी का अ यन एक सृ जना क, सािह क, सां ृ ितक और िविभ यु यों की भाषा के प म योग करने और करवाने के िलए प रयोजना काय अ ंत मह पू ण व लाभदायक िस होता है। 5 प रयोजना का मह गत र पर खोज, कायवाही और ारहवी ं - बारहवी ं क ा के दौरान अिजत ान और कौशल, िवचारों आिद पर िचंतन का उपयोग । सै ां ितक िनमाणों और तक का उपयोग करके वा िवक दु िनया के प र ों का िव े षण और मू ां कन एक तं और िव ा रत काय का िनमाण करने के िलए मह पू ण और रचना क िचंतन, कौशल और मताओं के अनु योग का दशन उन िवषयों पर काय करने का अवसर िजनम िश ािथयों की िच हैI नए ान की ओर अ सर खोजी वृ ि म वृ भाषा ान समृ एवं ावहा रक सम ा समाधान की मता का िवकास प रयोजना काय िनधा रत करते समय ान दे ने यो बात प रयोजना काय िश ािथयों म यो ता आधा रत मता को ान म रखकर िदए जाएँ िजससे वे िवषय के साथ जुड़ते ए उसके ावहा रक प को समझ सक। वतमान समय म उसकी ासं िगकता पर भी ान िदया जाए। स के ार म ही िश ािथयों को िवषय चुनने का अवसर िमले तािक उसे शोध, तैयारी और लेखन के िलए पया समय िमल सके। अ ािपका/अ ापक ारा क ा म प रयोजना-काय को लेकर िव ारपू वक चचा की जाए िजससे िश ाथ उसके अथ, मह व ि या को भली-भाँ ित समझने म स म हो सक । िहंदी भाषा और सािह से जुड़े िविवध िवषयों/ िवधाओं/ सािह कारों/ समकालीन लेखन/ भाषा के तकनीकी प / भाव/ अनु योग/ सािह के सामािजक संदभ एवं जीवन-मू संबंधी भावों आिद पर प रयोजना काय िदए जाने चािहए। िश ाथ को उसकी िच के अनु सार िवषय का चयन करने के छूट दी जानी चािहए तथा अ ापक/ अ ािपका को मागदशक के प म उसकी सहायता करनी चािहए। प रयोजना – काय करते समय िन िल खत आधार को अपनाया जा सकता है- 1. माण – प 2. आभार ापन 3. िवषय-सू ची 4. उ े 5. सम ा का बयान 6. प रक ना 7. ि या (सा सं ह, सा का िव े षण) 8. ु तीकरण (िवषय का िव ार) 9. अ यन का प रणाम 10. अ यन की सीमाएँ 11. ोत 12. अ ापक िट णी 6 प रयोजना – काय म शोध के दौरान स िलत िकए गए िच ों और संदभ के िवषय म उिचत जानकारी दी जानी चािहए। उनके ोत को अव अं िकत करना चािहए। िच , रे खािच , िव ापन, ाफ, िवषय से सं बंिधत आँ कड़े , िवषय से संबंिधत समाचार की कतरन एकि त की जानी चािहए। माण प स िलत िकए गए आँ कड़े , िच , िव ापन आिद के ोत अंिकत करने के साथ-साथ समाचार-प , पि काओं के नाम एवं िदनां क भी िलखना चािहए। सािह कोश, सं दभ- ंथ, श कोश की सहायता ले नी चािहए। प रयोजना-काय म िश ािथयों के िलए अनेक सं भावनाएँ ह। उनके गत िवचार तथा उनकी क ना के िव ृत सं सार को अव स िलत िकया जाए। प रयोजना – काय के कुछ िवषय सुझावा क प म िदए जा रहे ह। भाषा और सािह से जुड़े िविवध िवषयों/ िवधाओं/ सािह कारों/ समकालीन लेखन के आधार पर ⮚ िहं दी किवता म कृित िच ण (पाठ – उषा / बगु लों के पंख किवता) ⮚ िविभ किवयों की किवताओं का तुलना क अ यन, ⮚ भाषा शैली, िवशेषताएँ ⮚ वतमान के साथ ासं िगकता इ ािद। ⮚ भारतीय ामीण का जीवन (पाठ – पहलवान की ढोलक) ⮚ आज़ादी से पहले , बाद म तथा वतमान म थित ⮚ सुधार की आव कताएँ ⮚ आपकी भू िमका/ योगदान/ सुझाव ⮚ समकालीन,सां ृ ितक एवं सािह क िवषयों से सं बंिधत ⮚ भू मका – या है , य है आ द का ववरण ⮚ व भ न दे श म भाव ⮚ भारत के साथ तल ु ना मक अ ययन ⮚ कारण और नवारण ⮚ आपक भू मका/ योगदान/ सुझाव उपयु िवषय सुझाव के पम ु त िकए गए ह। आप िदशािनदशों के आधार पर अ िवषयों का चयन कर सकते ह। वण कौशल एवं प रयोजना काय का मू ांकन िव ालय र पर आं त रक परी क (िवषय अ ापक) ारा ही िकया जाएगा। 7 हंद (आधार) (कोड सं. 302) क ा –11वीं (2024-25 ) परी ा हेतु पा म िविनदशन  न -प तीन ख ड – खंड- क, ख और ग म होगा|  खंड- क म अप ठत बोध पर आधा रत न पूछे जाएँगे I सभी न के उ र दे ने ह गे।  खंड- ख म अ भ यि त और मा यम पा यपु तक के आधार पर न पूछे जाएँगे| न म आंत रक वक प दए जाएँगे |  खंड- ग म आरोह भाग – 1 एवं वतान भाग – 1 पा यपु तक के आधार पर न पछ ू े जाएँगे| न म आंत रक वक प दए जाएँगे | भारांक-80 नधा रत समय - 03 घंटे वा षक पर ा हे तु भार वभाजन खं ड-क (अपिठत बोध) 18 अंक 1 01 अप ठत ग यांश (लगभग 250 श द का) पर आधा रत बोध, चंतन, व लेषण 10 अंक पर बहु वक पीय न, अ तलघू रा मक न, लघू रा मक न पूछे जाएँगे I (बहु वक पीय न 01 अंक x 03 न = 03 अंक, अ तलघू रा मक न 01 अंक x 01 न = 1 अंक, लघू रा मक न 02 अंक x 3 न = 6 अंक) 01 अप ठत प यांश (लगभग 100 श द का) पर आधा रत बोध, सराहना, स दय, 2 08 अंक चंतन, व लेषण आ द पर बहु वक पीय न, अ तलघू रा मक न, लघू रा मक न पछ ू े जाएँगे I (बहु वक पीय न 01 अंक x 03 न = 03 अंक, अ तलघू रा मक न 01 अंक x 01 न = 01 अंक, लघू रा मक न 02 अंक x 02 न = 04 अंक) खं ड- ख (अिभ और मा म पा पु क के आधार पर ) 22 अंक पाठ सं या 1, 2, 9, 10, 14, 15 तथा 16 पर आधा रत 3 दए गए 03 अ या शत वषय म से कसी 01 वषय पर आधा रत लगभग 120 06 अंक श द म रचना मक लेखन (06 अंक x 01 न) 4 औपचा रक प लेखन। ( वक प स हत) (05 अंक x 01 न) 05 अंक पाठ सं या 1, 2, 9, 10, 14, 15 तथा 16 पर आधा रत 04 न ( वक प 5 स हत) (02 अंक x 04 न= 8 अंक ) (लगभग 40 श द म), (03 अंक x 01 11 अंक न = 3 अंक) (लगभग 60 श द म) 8 खंड- ग (आरोह भाग – 1 एवं िवतान भाग-1 पा पु कों के आधार पर ) 40 अंक 6 प ठत का यांश पर आधा रत 05 बहु वक पी न (01 अंक x 05 न) 05 अंक का य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र (लगभग 60 7 06 अंक श द म) (03 अंक x 02 न) का य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र (लगभग 40 04 अंक 8 श द म) (02 अंक x 02 न) 9 प ठत ग यांश पर आधा रत 05 बहु वक पी न (01 अंक x 05 न) 05 अंक ग य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र (लगभग 60 10 06 अंक श द म) (03 अंक x 02 न) 11 ग य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र (लगभग 40 04 अंक श द म) (02 अंक x 02 न) 12 वतान के पाठ पर आधा रत 03 म से 02 न के उ र (लगभग 100 श द म) 10 अंक (05 अंक x 02 न) 13 (अ) वण तथा वाचन 10+10 = (ब) प रयोजना काय 20 अंक कुल 100 अंक अं क नधा रत पा पु तक : 1. आरोह, भाग-1, एन.सी.ई.आर.ट., नई द ल वारा का शत 2. वतान भाग–1, एन.सी.ई.आर.ट., नई द ल वारा का शत 3. अ भ यि त और मा यम, एन.सी.ई.आर.ट., नई द ल वारा का शत नोट – पा य म के न न ल खत पाठ हटा दए गए ह I आरोह भाग - 1 का य खंड  कबीर (पद 2) - संतो दे खत जग बौराना  मीरा (पद 2) - पग घुंग बां ध मीरा नाची  रामनरे श पाठ – प थक (परू ा पाठ)  सु म ानंदन पंत - वे आँख (पूरा पाठ) ग य खंड  कृ णनाथ - पी त म बा रश (परू ा पाठ)  सैयद है दर रज़ा - आ मा का ताप (पूरा पाठ) 9 परी ा हेतु पा म िविनदशन हंद (आधार) (कोड सं. 302) क ा –12वीं (2024-25 )  न -प तीन ख ड – खंड- क, ख और ग म होगा|  खंड- क म अप ठत बोध पर आधा रत न पूछे जाएँगे I सभी न के उ र दे ने ह गे।  खंड- ख म अ भ यि त और मा यम पा यपु तक के आधार पर न पूछे जाएँगे| न म आंत रक वक प दए जाएँगे |  खंड- ग म आरोह भाग – 2 एवं वतान भाग – 2 पा यपु तक के आधार पर न पूछे जाएँगे| न म आंत रक वक प दए जाएँगे | भारांक-80 नधा रत समय - 03 घंटे वा षक पर ा हे तु भार वभाजन खं ड-क (अपिठत बोध) 18 अंक 1 01 अप ठत ग यांश (लगभग 250 श द का) पर आधा रत बोध, चंतन, व लेषण 10 अंक पर बहु वक पीय न, अ तलघू रा मक न, लघू रा मक न पूछे जाएँगे I (बहु वक पीय न 01 अंक x 03 न = 03 अंक, अ तलघू रा मक न 01 अंक x 01 न = 01 अंक, लघू रा मक न 02 अंक x 03 न = 06 अंक) 01 अप ठत प यांश (लगभग 100 श द का) पर आधा रत बोध, सराहना, स दय, 2 08 अंक चंतन, व लेषण आ द पर बहु वक पीय न, अ तलघू रा मक न लघू रा मक न पूछे जाएँगे I (बहु वक पीय न 01 अंक x 03 न = 03 अंक, अ तलघू रा मक न 01 अंक x 01 न = 01 अंक, लघू रा मक न 02 अंक x 02 न = 04 अंक) खं ड- ख (अिभ और मा म पा पु क के आधार पर ) 22 अंक पाठ सं या 3, 4, 5, 11, 12 तथा 13 पर आधा रत 3 दए गए 03 अ या शत वषय म से कसी 01 वषय पर आधा रत लगभग 120 06 अंक श द म रचना मक लेखन (06 अंक x 01 न) 4 पाठ सं या 3, 4, 5, 11 तथा 13 पर आधा रत (02 अंक x 04 न= 08 अंक ) 16 अंक (लगभग 40 श द म), (04 अंक x 02 न = 08 अंक) (लगभग 80 श द म) ( वक प स हत) खंड- ग (आरोह भाग – 2 एवं िवतान भाग-2 पा पु कों के आधार पर ) 40 अंक 5 प ठत का यांश पर आधा रत 05 बहु वक पी न (01 अंक x 05 न) 05 अंक 10 का य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र (लगभग 60 6 श द म) (03 अंक x 02 न) 06 अंक का य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र (लगभग 40 04 अंक 7 श द म) (02 अंक x 02 न) प ठत ग यांश पर आधा रत 05 बहु वक पी न (01 अंक x 05 न) 05 अंक 8 ग य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र (लगभग 60 9 06 अंक श द म) (03 अंक x 02 न) 10 ग य खंड पर आधा रत 03 न म से क ह ं 02 न के उ र (लगभग 40 04 अंक श द म) (02 अंक x 02 न) 11 वतान के पाठ पर आधा रत 03 म से 02 न के उ र (लगभग 100 श द म) 10 अंक (05 अंक x 02 न) 13 (अ) वण तथा वाचन 10+10 = (ब) प रयोजना काय 20 अंक कुल 100 अंक अं क नधा रत पु तक : 1. आरोह, भाग–2, एन.सी.ई.आर.ट., नई द ल वारा का शत 2. वतान, भाग–2, एन.सी.ई.आर.ट., नई द ल वारा का शत 3. ‘अ भ यि त और मा यम’, एन.सी.ई.आर.ट., नई द ल वारा का शत नोट – पा य म के न न ल खत पाठ हटा दए गए ह आरोह भाग - 2 का खं ड  गजानन माधव मु बोध – सहष ीकारा है (पूरा पाठ)  िफ़राक गोरखपु री – गज़ल ग खं ड  िव ु खरे – चाल चै न यानी हम सब (पूरा पाठ)  रिज़या स ाद ज़हीर - नमक (पूरा पाठ) िवतान भाग - 2  एन क - डायरी के प े क ा बारहवीं हे तु नप का व तत ृ ा प जानने के लए कृपया बोड वारा जार तदश नप दे ख। ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, 11

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