NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 (Hindi) PDF

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This document contains NCERT solutions for Class 12 biology, chapter 1, Reproduction in Organism. It provides explanations and answers to questions related to the topic.

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NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 – Reproduction in Organism 1. जीव ों के लिए जनन क् ों अलनवार्य है ? उत्तर: जनन जीव ों का एक अति महत्त्वपूर्ण लक्षर् है । यह एक अति आवश्यक जै तवक प्रतिया है । तजसके द्वारा न तसर्ण जीव ों की उत्...

NCERT Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 – Reproduction in Organism 1. जीव ों के लिए जनन क् ों अलनवार्य है ? उत्तर: जनन जीव ों का एक अति महत्त्वपूर्ण लक्षर् है । यह एक अति आवश्यक जै तवक प्रतिया है । तजसके द्वारा न तसर्ण जीव ों की उत्तरजीतविा में मदद तमलिी है बल्कि इससे जीव-जाति की तनरन्तरिा भी बनी रहिी है । जनन जीव ों के अमरत्व में भी सहायक ह िा है । प्राकृतिक मृत्यु, वयिा वे जीर्ण िा के कारर् ह ने वाले जीव ह्रास की आपूतिण , जनन द्वारा ही ह िी है । जनने से जीव ों की सोंख्या बढ़िी है । जनन एक ऐसा माध्यम है तजसके द्वारा लाभदायक तवतभन्निाएँ एक पीढ़ी से दू सरी पीढ़ी िक स्थानान्तररि ह िी हैं । अि: जनन जै व तवकास में भी सहायक ह िा है । इन समस्त कारर् ों के आधार पर कहा जा सकिा है तक जनन जीव ों के तलए अतनवायण है । 2. जनन की अच्छी लवलि कौन-सी है और क् ों ? उत्तर: प्राय: लैं तिक जनन (sexual reproduction) क जनन की श्रेष्ठ तवतध माना िया है । लैं तिक जनन के दौरान िुर्सूत् ों की अदला-बदली ह िी है तजससे युग्मक ों (gametes) में नये लक्षर् तवकतसि ह िे हैं िथा नये जीव का तवकास ह िा है ज अपने जनक ों से तभन्न ह िा है । अिः लैं तिक जनन जै व तवकास में सहायक ह िा है । लै तिक जनन द्वारा जीव ों के जीतवि रहने के अवसर अतधक ह िे हैं , क् तों क आनुवोंतिक तवतभन्निाओों के कारर् जीव अतधक क्षमिावान ह िा है । लैं तिक जनन से जीव ों की सोंख्या भी बढ़िी है ।लैं तिक जनन से आनुवोंतिक तवतभन्निाएों अिी है | अि: लैं तिक जनन ही, जनन की अच्छी तवतध है । 3. अिै लिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई सन्तलि क क्ल न क् ों कहा िर्ा है ? उत्तर: आकाररकीय व आनुवोंतिक रूप से एक समान जीव क्ल न (clone) कहलािे हैं । अलैं तिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तति आनुवोंतिक व आकाररकीय रूप से अपने जनक के एकदम समान ह िी है और इनमें क ई भी आनुवोंतिक तवतभन्निा नहीों ह िी है ,और नाही ये Class XII Biology www.vedantu.com 1 आवश्यक तवतभन्निाओों क अिले पीढ़ी में स्थानाों िररि कर पािे है , अि: इसे क्ल न कहिे हैं । 4. िै लिक जनन के पररणामस्वरूप बनी सन्तलि के जीलवि रहने के अच्छे अवसर ह िे हैं । क् ों ? क्ा र्ह कथन हर समर् सही ह िा है ? उत्तर: लैं तिक जनन के दौरान िुर्सूत् ों का तवतनमय ह ने से आनुवोंतिक तवतभन्निाएँ उत्पन्न ह िी हैं । ज जनक से सन्तति में स्थानान्तररि ह िी हैं । युग्मक ों की उत्पतत्त व तनषेचन के कारर् नये िथा बेहिर िुर् ों युक्त सन्तति का जन्म ह िा है । अि: लैं तिक जनन के पररर्ामस्वरूप उत्पन्न सन्तति के जीतवि रहने के अच्छे अवसर ह िे हैं । यह कथन सदै व सही नहीों ह िा है । जनक ों के र िग्रस्त ह ने पर वह र ि आने वाली पीतढ़य ों में स्थानान्तररि ह जािा है तजनका ठीक ह ना नामुमतकन सा ह िा है क्ूोंतक सुरुअिी दौर में स्थानाों िररि ह ने वाले बीमाररय ों का पिा लिाना मुल्किल से ह िा है | 5. अिै लिक जनन द्वारा बनी सन्तलि िै लिक जनन द्वारा बनी सन्तलि से लकस प्रकार से लिन्न है ? उत्तर: अलैं तिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तान आनुवोंतिक व सोंरचनात्मक रूप से जनक के समान ह िी है अथाण ि् अपने जनक का क्ल न (clone) ह िी है । इसके तवपरीि लैं तिक जनन द्वारा उत्पन्न सन्तान आनुवोंतिक रूप से जनक से तभन्न ह िी है । अलैंतिक जनन क ई भी अच्छे िुड क अिले पीतढ़य ों ने स्थानाों िररि नहीों कर पािे है | 6. अिै लिक िथा िै लिक जनन के मध्य लविेद स्थालपि कर । कालर्क जनन क प्रारूलपक अिै लिक जनन क् ों माना िर्ा है ? उत्तर: अलैं तिक िथा लैंतिक जनन के मध्य तवभेद तनम्नतलल्किि हैं - अिैं लिक जनन िै लिक जनन इसमें तसर्ण एक जनन भाि लेिा है । इनमें द जनक नर िथा मदा भि ले िे है । इसमें युग्मक तनमाण र् व तनषेचन का अभाव इसमें युग्मक तनमाण र् व तनषेचन ह िा है । Class XII Biology www.vedantu.com 2 ह िा है । यह जनक की कातयकी क तिकाए भी ह िा यह जनक की जनन क तिकाओों में ह िा है । है । इसमें सम सूत्ी तवभाजन ह िा है । इसमें आधाण सुत्ी िथा समसुत्ी द न ों प्रकार के तवभाजन ह िे है। यह सरल और िीव्र िति से ह ने वाला जनन यह जतिल व धीमी िति से ह ने वाला जनन है । है । इसके द्वारा उत्पन्न सोंिति आनुवोंतिक रूप से इसके द्वारा उत्पन्न सोंिति आनुवोंतिक रूप से जनक के समान ह िा है । अपने जनन से तभन्न ह िा है । जनक इकाई कातलका, िोंड या जनक का जनक इकाई युग्मक ह िे है । सम्पूर्ण िरीर ह िा है । इस प्रकार का जनन तनम्न अकिे रुकी व यह उच्च पौधे व जन्तु में पाया जािा है । तनम्न काों डेि में पाया जािा है । कातयक जनन (vegetative reproduction), अलैं तिक जनन की ऐसी तवतध है तजसमें पौधे के कातयक भाि से नये पौधे का तनमाण र् ह िा है । अिः इसमें एक ही जनक भाि लेिा है िथा इसके द्वारा उत्पन्न सन्तति आनुवोंतिक व आकाररकी में अपने जनक के समान ह िी है । इस प्रकार हम कह सकिे हैं तक कातयक जनन वास्तव में प्रारूतपक अलैं तिक जनन है । 7. कालर्क प्रविय न से आप क्ा समझिे हैं ? क ई द उपर्ुक्त उदाहरण द । उत्तर: कातयक प्रवधणन जनन की ऐसी तवतध है तजसमें पौधे के िरीर का क ई भी कातयक भाि प्रवधणक का कायण करिा है िथा नये पौधे में तवकतसि ह जािा है । मािृ पौधे के कातयक अोंि; जै से-जड़, िना, पत्ती, कतलका आतद से नये पौधे का पुनजणनन, कातयक प्रवधणन कहलािा है । कातयक प्रवधणन के द उदाहरर् तनम्न हैं – अजू बा (Bryophyllum) के पौधे में पतत्तय ों के तकनार ों से पादपकाय उत्पन्न ह िे हैं ज मािृ पौधे से अलि ह कर नये पौधे क जन्म दे िे हैं । आलू के कन्द में उपल्कस्थि पवणसल्कियाँ (nodes) कातयक प्रवधणन में सहायक ह िी हैं । पवणसल्किय ों में कतलकाएँ ल्कस्थि ह िी हैं िथा प्रत्येक कतलक नये पौधे क जन्म दे िी है । Class XII Biology www.vedantu.com 3 8. व्याख्या कीलजए – (क) लकश र चरण उत्तर: तकि र चरर् (Juvenile phase) – सभी जीवधारी लैं तिक रूप से पररपक्व ह ने से पूवण एक तनतिि अवस्था से ह कर िुजरिे हैं , इसके पिाि् ही वे लैं तिक जनन कर सकिे हैं । इस अवस्था क प्रातर्य ों में तकि र चरर् य अवस्था िथा पौध ों में कातयक अवस्था (vegetative phase) कहिे हैं । इसकी अवतध तवतभन्न जीव ों में तभन्न-तभन्न ह िी है । (ख) प्रजनक चरण उत्तर: प्रजनक चरर् (Reproductive phase) – तकि रावस्था अथवा कातयक प्रावस्था के समाप्त ह ने पर प्रजनक चरर् अथवा जनन प्रावस्था प्रारम्भ ह िी है । पौध ों में इस अवस्था क स्पष्ट पहचाना जा सकिा है । क् तों क पौध ों में पुष्पन (flowering) प्रारम्भ ह जािा है । प्रातर्य ों में भी अनेक िारीररकी एवों आकाररकी पररविण न आ जािे हैं । इस चरर् में जीव सोंिति उत्पन्न करने य ग्य ह जािा है । यह अवस्था तवतभन्न जीव ों में अलि-अलि ह िी है । (ि) जीणयिा चरण र्ा जीणायवस्था। उत्तर: जीर्णिा चरर् या जीर्ाण वस्था (Senescent phase) – यह जीवन चि की अल्कन्तम अवस्था अथवा िीसरी अवस्था ह िी है । प्रजनन आयु की समाल्कप्त क जीर्णिा चरर् या जीर्ाण वस्था की प्रारल्कम्भक अवस्था माना जा सकिा है । इस चरर् में उपापचय तियाएँ मन्द ह ने लििी हैं , ऊिक ों का क्षय ह ने लििा है िथा िरीर के अोंि धीरे -धीरे कायण करना बन्द कर दे िे हैं और अन्तिः जीव की मृत्यु ह जािी है । इसे वृद्धावस्था भी कहिे हैं । 9. अपनी जलिििा के बावजूद बडे जीव ों ने िै लिक प्रजनन क पार्ा है , क् ों ? उत्तर: लैं तिक प्रजनन जतिल िथा धीमी िति से ह ने के बावजू द भी अनेक रूप से उत्तम है । इस प्रकार के जनन के दौरान िुर्सूत् ों का तवतनमय ह ने से नये लक्षर् तवकतसि ह िे हैं ज पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानान्तररि ह िे रहिे हैं । िुर्सूत् ों के आदान-प्रदान से तवतभन्निाएँ भी उत्पन्न ह िी हैं , ज जै व तवकास में सहायक ह िी हैं , और जब अच्छे िुड़ ों का स्थानाों िरर् अिले पीढ़ी में ह िा है ि व बदलिे वािावरर् के साथ अपने आप क भी बदलकर अपने अल्कस्तत्व की बनाय रििे हैं |अपने इन्ीों िुर् ों के कारर् बड़े जीव ों में लैं तिक जनन पाया जािा है । Class XII Biology www.vedantu.com 4 10. व्याख्या करके बिाएँ लक अर्द्य सूत्री लविाजन िथा र्ुग्मकजनन सदै व अन्तर- सम्बन्धिि (अन्तबयर्द्) ह िे हैं । उत्तर: लैं तिक जनन करने वाले जीवधाररय ों में प्रजनन के समय अद्धण सूत्ी तवभाजन (meiosis) िथा युग्मकजनन (gametogenesis) प्रतियाएँ ह िी हैं । सामान्यिया लैं तिक जनन करने वाले जीव तद्विुतर्ि (diploid) ह िे हैं । युग्मक तनमाण र् प्रतिया क युग्मकजनन (gametogenesis) कहिे हैं । िु िार्ु ओों के तनमाण र् क िु िजनन िथा अण्डार्ु ओों के तनमाण र् क अण्डजनन कहिे हैं । इनका तनमाण र् िमिः नर िथा मादा जनद ों (gonads) में ह िा है । युग्मक ों में िुर्सूत् ों की सोंख्या आधी रह जािी है , अथाणि् युग्मक अिुतर्ि (haploid) ह िे हैं । युग्मकजनन प्रतिया अद्धण सूत्ी तवभाजन द्वारा ह िी है । अिः युग्मकजनन िथा अद्धण सूत्ी तवभाजन तियाएँ अन्तरसम्बल्किि (अन्तबणद्ध) ह िी हैं । तनषेचन के र्लस्वरूप नर िथा मादा अिुतर्ि युग्मक सोंयुग्मन द्वारा तद्विुतर्ि युग्मार्ु (diploid zygote) बनािा है । तद्विुतर्ि युग्मार्ु से भ्रूर्ीय पररवधणन द्वारा नए जीव का तवकास ह िा है । 11. प्रत्येक पु ष्पीर् पादप के िाि क पहचालनए िथा लिन्धखए लक वह अिु लणि (n) है र्ा लद्विु लणि (2n) अण्डाशर् परािक श अण्डा र्ा लिम्ब पराि नर र्ुग्मक र्ुग्मनज उत्तर: पुष्पीय भाि – 1.अण्डािय (Ovary) – तद्विुतर्ि (2n) 2.परािक ि (Anther) – तद्विुतर्ि (2n) 3.अण्डा या तडम्ब (Ova) – अिुतर्ि (n) Class XII Biology www.vedantu.com 5 4.परािकर् (Pollen grain) – अिुतर्ि (n) 5.नर युग्मक (Male gamete) – अितर्ि (n) 6.युग्मनज (Zygote) – तद्विुतर्ि (2n) [युग्मनज (zygote) िु िार्ु िथा अण्ड के तमलने से बनी तद्विुतर्ि सोंरचना (2n) ह िी है । 12. बाह्य लनषेचन की व्याख्या कीलजए। इसके नुकसान बिाइए। उत्तर: बाह्य तनषेचन (External Fertilization) – िु िार्ु (नरे युग्मक) िथा अण्ड (मादा युग्मक) के सोंयुग्मन या सोंलयन क तनषेचन कहिे हैं । इसके र्लस्वरूप तद्विुतर्ि युग्मार्ु (diploid zygote) का तनमाण र् ह िा है । अतधकाों ि िैवाल ,ों मछतलय ों में और उभयचर प्रातर्य ों में िु िार्ु (नर युग्मक) िथा अण्ड (मादा युग्मक) का सोंलयन िरीर से बाहर जल में ह िा है , इसे बाह्य तनषेचन (external fertilization) कहिे हैं । बाह्य तनषेचन से हातनयाँ (Disadvantages of External Fertilization) – 1.जीवधाररय ों क अत्यतधक सोंख्या में युग्मक ों का तनमाण र् करना ह िा है तजससे तनषेचन के अवसर बढ़ जाएँ अथाणि् इनमें युग्मक सोंलयन के अवसर कम ह िे हैं । 2.सोंिति अत्यतधक सोंख्या में उत्पन्न ह िी हैं । 3.सोंिति तिकाररय ों द्वारा तिकार ह ने की ल्कस्थति से िुजरिी है , इसके र्लस्वरूप इनकी उत्तरजीतविा ज ल्किमपूर्ण ह िी है अथाण ि् सन्तानें कम सोंख्या में जीतवि रह पािी हैं । 13. जूस्प र (अिै लिक चि बीजाणु) िथा र्ुग्मनज के बीच लविेद करें । उत्तर: जू स्प र (अलैं तिक चल बीजार्ु) – यह नग्न, चल, किातभका युक्त सोंरचना है ज अलैं तिक जनन की इकाई है । इनका तनमाण र् जनक क तिका के जीवद्रव्य से सूत्ी तवभाजन द्वारा ह िा है । इनके अग्र भाि पर ल्कस्थि किातभका जल में िै रने हे िु सहायक ह िी हैं । ये चलबीजार्ु धानी में बनिे हैं । उदाहरर् – यूल तिक्स, क्लेमाइड म नास आतद। युग्मनज (Zygote) – लैं तिक जनन के दौरान नर िथा मादा युग्मक ों (gametes) के तनषेचन से बनी रचना, युग्मनज कहलािी है । यह तद्विुतर्ि (diploid = 2n) ह िा है िथा तवकतसि ह कर Class XII Biology www.vedantu.com 6 भ्रूर् अथवा लावाण में पररवतिण ि ह जािा है । लैं तिक जनन करने वाले जीव ों का तवकास युग्मनज से ह िा है । बाह्य तनषेचन करने वाले जीव ों में युग्मनज का तनमाण र् बाह्य माध्यम (जल) में ह िा है ; जै से – मेढ़क जबतक आन्तररक तनषेचन करने वाले जीव ों में यह मादा के िरीर में तवकतसि ह िा है ; जै से – मनुष्य आतद। 14. र्ुग्मकजनन एवों भ्रूण द्भव के बीच अन्तर स्पष्ट कीलजए। उत्तर: युग्मकजनन और भ्रूर् द्भव में अोंिर इस प्रकार है : र्ुग्मकजनन (Gametogenesis) भ्रूण द्भव (Embryogenesis) नर िथा मदा जनाद में अिुतर्ि युिमक के युग्मनज या युग्मानु से सोंिति के तवकतसि बनने की प्रतिया क युग्मकजनन कहिे है । ह ने की तिया क भरू ों द्भव कहिे है । यह अद्धण सूत्ी तवभाजन द्वारा ह िा है । यह सूत्ी तवभाजन द्वारा ह िा है । युग्मकजनन द प्रकार के ह िे है :- भ्रन द्भव के अोंििणि तनम्नतलल्किि प्रतियाों ह िी है । 1 िु िजनन (spermatogenesis) 1. युिमकजनों (gametogenesis) 2 अोंडाजनन (oogenesis) 2. तनषेचन(fertilization) 3. तवदलन एों व भ्रुर् तनमाण र् (segmentation and embryo formation) 15. एक पु ष्प में लनषेचन-पश्च पररविय न ों की व्याख्या कीलजए। उत्तर: पुष्प में तनषेचन-पि पररविण न (Post fertilization development in a flower)-पुष्पीय पौध ों में द हरा तनषेचन िथा तत्क सोंलयन (double fertilization and triple fusion) ह िा है । इसके र्लस्वरूप भ्रूर्क ष (embryo sac) में तद्विुतर्ि युग्मनज (zygote) िथा तत्िुतर्ि प्राथतमक भ्रूर्प ष केन्द्रक (primary endosperm nucleus) बनिा है । इनसे िमिः भ्रूर् (embryo) िथा भूर्प ष (endosperm) बनिा है । भ्रूर्प ष तवकासिील भ्रूर् क प षर् प्रदान Class XII Biology www.vedantu.com 7 करिा है । इसके साथ-साथ बीजाण्ड में तनम्नतलल्किि पररविण न ह िे हैं तजसके र्लस्वरूप बीजाण्ड से बीज िथा अण्डािय से र्लावरर् (pericarp) का तनमाण र् ह िा है । 1.बीजाण्डवृन्त – बीजवृन्त बनािा है । 2.अध्यावरर् – बीजावरर् बनािा है । 3.अण्डद्वार – बीजद्वार बनािा है । 4.बीजाण्डकाय (nucellus) – प्रायः नष्ट ह जािा है , कभी-कभी भ जन सोंतचि ह ने के कारर् पेररस्पमण (perisperm) बनािा है । 5.भ्रूर्क ष (embryo sac)  अण्ड क तिका (egg cell) – भ्रूर् (embryo) बनािी है ।  सहायक क तिकाएँ (synergids) – नष्ट ह जािी हैं ।  प्रतिमुि क तिकाएँ (antipodal cells) – नष्ट ह जािी हैं ।  ध्रुवीय केन्द्रक (polar nuclei) – भ्रूर्प ष बनािा है । 6.अण्डािय की तभतत्त – र्लतभतत्त बनािी है । बीज में भ्रूर् सुप्तावस्था में रहिा है । बीज चार ों ओर से बाह्यकवच िथा अन्त:कवच (testa & tegmen) से बने अध्यावरर् से तिरा ह िा है । भ्रूर् बीजपत् ों के मध्य ल्कस्थि ह िा है । र्लतभतत्त की सोंरचना के आधार पर र्ल सरस अथवा िुष्क ह िे हैं । 16. एक लद्वलिों िी पुष्प क्ा है ? अपने आस-पास से पाँच लद्वलिोंिी पु ष्प ों क एकत्र कीलजए और अपने लशक्षक की सहार्िा से इनके सामान्य (स्थानीर्) एवों वैज्ञालनक नाम पिा कीलजए। उत्तर: तद्वतलों िी पुष्प (Bisexual flower) – जब पुष्प में पुमोंि (androecium) िथा जायाों ि (gynoecium) द न ों ह िे हैं ि पुष्प तद्वतलों िी (bisexual) कहलािा है । सामान्यिया समीपविी क्षेत् ों में पाए जाने वाले तद्वतलों िी पुष्प जै से – 1.सरस ों – बेतसका कैम्पेल्करिस (Brassica campestris) Class XII Biology www.vedantu.com 8 2.मूली – रे र्ेनस सैिाइवस (Raphanus sativus) 3.मिर – पाइसम सिाइवम (Pisum sativum) 4.सेम – डॉलीक स लबलब (Dolichos lablab) 5.अमलिास – केतसया तर्रु ला (Cassia fistula) 6.िुड़हल – तहतबस्कस र जा तसनेल्किस (Hibiscus rosa sinensis) 17. लकसी िी कुकुरलबि पादप के कुछ पु ष्प ों की जाँच कीलजए और पुों केसरी व स्त्रीकेसरी पु ष्प ों क पहचानने की क लशश कीलजए। क्ा आप अन्य एकलिों िी पौि ों के नाम जानिे हैं ? उत्तर: कुकुरतबि पादप पुष्प एकतलों िी ह िे हैं । नर पुष्प में जायाों ि अनुपल्कस्थि ह िा है । पुष्प में पाँ च पुोंकेसर ह िे हैं । ये प्राय: (2 + 2 + 1) के रूप में सोंयुक्त रहिे हैं । इनके परािक ि व्यावृि (twisted) ह िे हैं । मादा पुष्प में पुमोंि (androecium) अनुपल्कस्थि ह िा है । जायाों ि तत्अण्डपी, युक्ताण्डपी, एकक ष्ठीय िथा अध विी अण्डािय से बना ह िा है । इसमें तभतत्तलग्न बीजाण्डन्यास ह िा है । अण्डािय से तवकतसि सरल सरस र्ल पेप (pepo) कहलािा है । अन्य एकतलों िी पौधे – 1.मक्का – तजआ मेज (Zeq muys) 2.िजू र – र्ीतनक्स तसल्वेल्करिस (Phoenix sylvestris) 3.पपीिा – कैररका पपाया (Carica papaya) 5.नाररयल – क क स न्यू सीर्ेरा (Cocos nucifera) 18. अण्डप्रजक प्रालणर् ों की सन्तान ों का उत्तरजीवन (सरवाइवि) सजीवप्रजक प्रालणर् ों की िु िना में अलिक ज न्धखमर्ुक्त क् ों ह िा है ? व्याख्या कीलजए। उत्तर: अण्डप्रजक (oviparous) प्रातर्य ों में तनषेतचि अण्डे (युग्मनज) का तवकास मादा प्रार्ी के िरीर से बाहर ह िा है । मादा कैल्कियमयुक्त कवच से ढके अण्ड ों क सुरतक्षि Class XII Biology www.vedantu.com 9 स्थान पर तनक्षेतपि करिी है । अण्ड ों में भ्रूर्ीय तवकास के र्लस्वरूप तििु का तवकास ह िा है । तििु तनतिि अवतध के पिाि अण्डे के स्फुिन के र्लस्वरूप मुक्त ह जािा है । अण्डप्रजक में बाह्य पररवद्धण न (external development) ह िा है । यह पयाण वरर्ीय प्रतिकूल पररल्कस्थतिय ों िथा तिकारी प्रातर्य ों से प्रभातवि ह िा है । इसके र्लस्वरूप इन प्रातर्य ों की उत्तरजीतविा अतधक ज ल्किमयुक्त ह िी है । अण्डप्रजक प्रातर्य ों क तवकास के तलए कम समय तमलिा है । अि: इन जीव ों में आन्तररक पररपक्विा सजीवप्रजक की िुलना में कम ह िी है । जै से – मत्स्य, उभयचर, सरीसृप िथा पक्षी विण के प्रार्ी अण्डप्रजक ह िे हैं । सजीवप्रजक (जरायुज – viviparous) में तनषेतचि अण्डे (युग्मनज) का पररवद्धण न मादा प्रार्ी के िरीर में ह िा है । इसे आन्तररक पररवद्धण न (internal development) कहिे हैं । तििु का तवकास पूरा ह ने के पिाि् प्रसव द्वारा इनका जन्म ह िा है , तििु का तवकास आन्तररक ह ने के कारर् और पररवद्धण न में अतधक समय लिने के कारर् इनकी उत्तरजीतविा अपेक्षाकृि कम ज ल्किमपूर्ण ह िी है । आन्तररक पररवद्धण न ह ने के कारर् ये बाह्य वािावरर् िथा बाह्य परभक्षी जीव ों से सुरतक्षि रहिे हैं । यही कारर् है तक सजीवप्रजक की उत्तरजीतविा अण्डप्रजक की अपेक्षा अतधक ह िी है । Class XII Biology www.vedantu.com 10

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