Summary

This document is part B of Rasa Shastra, an Ayurvedic text. It is an online class document from Ayurveda Library Online Classes Varanasi. The document details various classifications and properties of Ayurvedic materials, including minerals and metals.

Full Transcript

AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. महररस वर्ा अभ्रक वैक्रांत मरक्षिक क्षवमलरक्षिज सस्यकम्। चपलो रसकश्चेक्षत ज्ञरत्वरऽष्टौ स...

AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. महररस वर्ा अभ्रक वैक्रांत मरक्षिक क्षवमलरक्षिज सस्यकम्। चपलो रसकश्चेक्षत ज्ञरत्वरऽष्टौ सां ग्रहेिसरन।। र०र०स०  आयु र्वेद प्रकाश - 1 (पारद)  रसपद्धति -6  रसोपतिषद -7  रसार्णर्व - 8 अभ्रक पर्रा र् - र्वज्र, तिररज, बहुपत्र, िौरीिेज, दे र्वीशुक्र, मेघ, अिन्तक, अम्बर, भृंि िथा आकाश के सभी महररसोां के भेद तथर लिण – 4 ( पवनम ) नरम लिण प्रभरव तपिाक तर्वमुच्चति दलोच्चयम मलबद्धिा, मत्यु र्वज्र तिमुणक्ताशेष र्वैकिम् श्रेष्ठ मण्डूक मण्डूकृं ध्मािृं पिति अश्मरी िाि िािर्वि् कुयाण ि ध्वति मण्डल कुष्ठ वणा भेद से-- 4  प्रज्ञाबोति,  सूिेन्द्रबृं ति.  र्वष्यमायुष्यमग्रयम्  श्वेत - Muscovite/Paragonite - White Potash  दे हलोहकरृं िच्च सर्वणरोि हरृं परम्।  रक्त - Pholgopite - Amber mica - Mg  पीत - Lepidolite - Ruby mica-Li www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 1 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI.  कृष्ण - Biotite-Fe अभ्रक प्ररप्ति के क्षलर्े - राजहस्तादिस्ताद यत्समािीिृं घिृं खिे ग्ररह्यलिण- तिग्धृं पथु दलृं र्वर्ण सृंयुक्तृं भारिोऽतिकम्। सुखतिमोच्य पत्रृं...  T - तत्रफला शोधन अबे (अभ्रक)  K - काृं जी 7 Times  Go 2 - िोमूत्र िोदु ग्ध  H - हल्दी भारर् द्रव्य िथा र्वर्ण  A - आृं र्वला 6 िजपु ट तसृंदुराभम/ इतिकाभृं  T – टृं कड़  चप्तिकरर्ु क्त अभ्रक से वन कर प्रभरव - मेह िथा मृंदाति  क्षचक्षकत्सर - उमाफल (अिसीबीज) 3 तदि िक प्रयोि  पत्ररभ्रक - कालकूट तर्वष समाि  मरत्रर - र्वल्ल ( क्षवक्रांत क्षमश्र की Story) वैक्रन्त पर्रार् - कुर्वज्रक, क्षुद्रकुलीश, चूर्णर्वज्र, रसराज, शोभामतर्, जीर्णर्वज्रक , Flurospar – K2O.Al203.6H2O भेद -7/8 - श्वेि ,पीि ,कष्ण , परररवत, मरकत ,रक्त  अिास्रश्चािफलक: षटकोर्ौ मसृणो िु रू:। आठर्वााँ भेद 'कबुण र' भी मािा िया है – र०र०स० एर्वृं र०चू०  व्रजरकररां महारस तर्वकन्तयति लोहाति। ( मर्ू र कांठ सदृश is a Type of वैक्रांत )  प्रज्ञापदः सकल दोष िदापहारी।  वज्ररकरर महररस शोधन करजी भाई िे क्षवक्रांत के केले पर कुल मूत्र डाल तदया - तजससे उसका शोिि हो िया काजी केले का जल कुलत्थक्वाथ हयमूत्र मरत्रर - िुृं जा www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 2 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. उत्पक्षत – सुर्वर्णशैलप्रभर्व + तकराि चीिेषु यर्विेषु च तितमणिः + माध्वे मातस दृश्यिे। ( पांचवणा सूवणा वत) मरक्षिक भेद स्वर्णमातक्षक- िाम्रिृं िायस - कान्यकुब्जात्थ रौप्यमातक्षक - िृं िायस – िपिीिीर सृंभूिो र्ु ण - प्ररणोरसेिस्य ( मृंखी का प्रार् ) दु मेललोहद्वर्मेलनश्च (मृंखी का दू री ) सवारसरर्नरग्रर्ः ( सर्वणरसायिाग्रया -मिशीला ) दु तिरवां च शीतलम् शोधन माृं का K. A. M 2 घांटे का कदली एरण्डिैल मािुलुृंि 2 घातटका  सत्व - िु ञ्जाबीज समच्छाया, शुल्वतिभृं  Imp point - िैिैि िुल्योअस्तस्त सुिारसोअतप क्षवमल Cupric Sulphates पर्रार्- िृं िायस भेद – 3 कास्य हे म रजि - (क्षवमल कर कहर)  क्षनरुप्तक्त - र्विुणल कोर् सृंयुक्त: तिग्धच फलकास्तििम्। मारुितपि हरो र्वष्यो अतिरसायि ( र०र०स० ) ( क्षवमल खरके PV क्षकर्र तो अक्षतरस क्षनकलर ) शोधन - तर्वमल िु टका जम्मू में आठ रूपयो मे जम्बीरी तिम्बू मेषश्रृंिी आटरूष www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 3 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. सत्व – शीश सतिभृं चन्द्राकणसृंकाशृं – Fe पर्रार् - तिररज, अतितथ, अश्मज, अतद्रज, अश्मक्षार, िै रेय ससत्व (श्रेष्ठ ) भेद - 1 िौमूत्र िृं ति- Black Bitumin असत्व 2 कपूण र िृं ति - Indian Salt Pitter – KNO3: (सूयणक्षार) शोिि --- एलर क्वरथ  शुद्ध क्षशलरजीत के लिण- आि में छोड़िे पर  तलङ्गाकार हो  िू माृं ि दे और जल में ि घुले र्ुण क्षशलरजतु  प्रमे ह िथा मन्दाति को िि करिा है  मे दच्छे दकर च यक्ष्मशमिृं शूलामयोन्मूलिम् ।  सर्वणत्वग्गदिाशिृं तकमपरृं दे हे च लोहे तहिम्  रसोपरससूिेन्द्ररत्नलोहे षु ये िुर्ाः र्वसस्तन्त शोधन - भृंिराज, क्षाराम्लिोमूत्र, यर्वक्षार, िु ग्गुलू काञ्जो इत्यातद मररण -शीलर---- र्ांध---- Men ---तरले में बांद --- नीबू क्षनचोड़ क्षदर्र --- 8 र्ज पुट डरल िृं िक मैिशील हरिाल तर्वजौरा िीृंबू प्रर्ोर् भेद  मेहेषु मूलामये  सेर्वेि यतद षण्मासृं रसायितर्विाििः।  RRS - 2  र्वलीपतलितिमुणक्तो जीर्वेद्वषणशिृं सुखी ॥  चरक 4  सुश्रुि 6 क्षशलरजतु कर सत्वपरतनक्षवक्षध  िरवण वर्ा (र्ुड़, र्ुग्गुलु, र्ुञ्जर घृत तथर शहद सु हरर्र  अम्ल रस ( करजी)  सत्व - लोहे के समाि www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 4 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. सस्यक Copper Sulphate पर्रार्- तशस्तखग्रीर्व, अमिासृंि, िाम्रिभण, तर्विुिक, मयू रिुत्थक, िील िुत्थ Blue Vitriol / Coper sulphate (CuSO4.5H20) प्रशस्त सस्यक लिणम्- मयू रकण्ठसच्छाय भाराढ्यमतिशस्यिे र्ुण - रसायिृं + र्वमिरे ककर िरघ्नृं + तश्वत्रापहृं शोधन क्षवक्षध: ---SSSS (सस्यकां रक्तवर्ेण स्ने हवर्ेण सतवररम दू क्षितम्) सत्व – इन्द्रिोपाकति चपल Bismuth "र्विर्वद द्रर्विे र्वति' - रसराजसहाय, रसबृं ितर्विायक , स्फतटकच्छाया भेद - 4 - िौर -तर्वशेषाद्रसबििम् श्वेि - तर्वशेषाद्रसबििम् अरूर् – कष्ण - शोधन क्षवक्षध – चपल को नजर नर लर्े so नी ांबू और अदरक करट के लर्र दो। शुद्ध हो जरर्े र्र जम्बीरी िीृंबू श्रृंिर्वेर, ककोटक रसक Calamine पर्रार्- िेत्ररोिारर, िाम्ररृं जक, तक्षतितकट्ट, रीतितकट्ट, रसोद्भर्व, यशदकारर्, लोहपारद रृं जक। भेद - 2 ( करर में रस पीकर दू र जरते हैं ) ददुण र – दलयु क्त - सत्वपािि कारर्वेल्लक- औषति के तलए www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 5 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. र्ुण - सत्वपरतन  िेत्ररोिक्षयिश्च  र्विाृं क मूषा  लोहपारदरञ्जिः (लो पररो रां जन करो रस से )  सत्व - र्वृंि समाि शोधन क्षवक्षध – कटु कालाबु तियाण स (लौकी कर रस)  स्वणा मरक्षलनी वसन्त रस में खपण र (रसक) पाया जािा है । ---- 10 अभ्रक + 16 तत्रफला । 8 िोघि – र्वर्ण की हाति, िु र् की र्वस्तद्ध। धरन्यरभ्रक- अभ्रक + शातलिान्य सममात्रा--- र०र०स पदाृं श शातलिान्य --र०सर०स० IMP- POINTS  वज्ररकरर महररस - र्वैक्राृं ि  मर्ू र कांठ सदृश - Type of र्वैक्राृं ि  मर्ू रकण्ठसच्छरर् - सस्यक  मर्ू र चां क्षिकरछरर् - तमश्रक के तलए  रसररज - र्वैक्राृं ि  रसररज सहरर्क - चपल  पांचवणा सूवणा वत - मातक्षक  प्ररणोरसेिस्य - मातक्षक  रसबांधक्षवधरर्क - चपल  सू तेिबांक्षध - अभ्रक  प्रज्ञरबोक्षध - अभ्रक  प्रज्ञरपदः - र्वैक्राृं ि www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 6 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. उपरस वर्ा र्ांधरश्म र्ैररकरसीस करांिी तरल क्षशलरञ्जनम्। कांकुष्ठां चेत्युपरसरश्चरष्टौ पररद कमराक्षण।।र०र०स० पर्रार् - शुल्वारर, कुष्ठारर, दै त्येन्द्र, िौरीपु ष्प, िौरीरज, र्वतलर्वसा, लेतलिक, िर्विीि, पामारर, रसिृं ि उत्पक्षत - राजा बतल के र्वसा से + श्वेि दीप + रसस्य बृं िििाथण जारर्ाय भेद तथर लिण - शूकचृंचुतिमृं – रक्तर्वर्ण श्रेष्ठ रसरणा व तथर रसरत्नसमुच्चर् के अनुसरर - 3 पीि र्वर्ण - मध्यम शुक्लर्वर्ण- अिम रसेन्द्रचुर्ामतर् के अिुसार – 4 (SRPK)  At. No. 16  श्वेत -खतटकाकार - लोहमारर्ाथण  At. wt. -32  रक्त – शुकिुण्डतिमृं – िािुर्वादाथण  Hardness - 1.5-2.5  पीत - शुकतपच्छतिमृं – रसायि कमाण थण - आृं र्वलासार  Sp. gravity - 1.9-2.1  कृष्ण – दु लणभ – जरामत्युिाशिाथण  M.P.- 119°C  B.P.- 444° C  FOR र्ांधक - सूिेन्द्रर्वीयणप्रदो ,सूितजि प्रर्ोर् क्षवक्षध व र्ुण- 1 शार् िृं िक + तत्रफला + मिु + भृंिराज का रस ------र्ृघ्ररक्षि तुल्यां कुरतेऽक्षिर्ु ग्त िुक्षत - शुद्ध िृं िक (16 भाि ) व्योष (1 भाि ) -------------3 बू द पारद 1 र्वल्ल------- घोट------------------ अिु ली से पाि के पत्ते पर लिा के सेर्वि अपथ्य - अम्ल, लर्वर् और तद्वदाल www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 7 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. शोधन क्षवक्षध- िोदु ग्ध एर्वृं िोघि, भिराज स्वरस – पर्रार् – रक्तिािु, तिररज, रक्तपाषार्, लौहिािु, तिररमतत्तका भेद - िै ररक स्वर्ण – तिग्ध, मसर् रक्तर्वर्ण श्रेष्ठ पाषार् - कतठि िाम्रर्वर्ण शोधन क्षवक्षध- िोदु ग्ध –Ferrous Sulphates पर्रार्- खेचर, कतह, पाृं शुक Green Vitriole or Ferrous Sulphate - FeSO4.7H2O भेद - 1. बालुका – िूमाभृं तश्वत्रघ्न केशरज्जिम 2. पुष्प पीिाभृं -औषति तिमाण र् (ियिौषिम) मात्रा  According to Rasarnav-3 - शुक्ल, कष्ण र्व पीि  According to Ayurved Prakash – 3 - कासीस, िािुकासीस र्व पु ष्पकासीस शोधन क्षवक्षध - भिराज, तपिैश्च रजस: स्त्रीया, आतद पर्रार् -स्फतटका, काृं क्षी, सौरािर, पीतिका, आढकी, सुरमतिका, दृढ़रृं िा, रृं िदा, शुभ्रा Potash alum - K2SO4.Al2 (SO4)3.24H2O उत्पक्षि - सौरािरअश्म (also k/a – मृंतजष्ठारािबृं ििी ) भे द – 2 www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 8 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. 1. फटकी 2. फुस्तल्लका र्ुण लिण –  ईसिपीि िुरू  कटु तिक्त कषाय अम्ल रस  तर्वषिातशिी र्व  तत्रदोषशाृं तिप्रदा  पारदजारर्ी शोधन - काृं जी पर्रार् - िटभूषर्, मल्लिृं िज, रोमहि, तपृं जर, पीििक, िटमृंडल, र्वृंशपत्रक, तर्वडालक, र्वृंिारर, तचत्रिृं ि,  Arsenic Trisulphide As2S3  Orpiment, Arsenical Gold, Yellow arsenic भे द – 2 1. पत्रिाल (श्रेष्ठ)- रसायिाथण 2. तपण्डिाल – स्त्रीपु ष्पहर शोधन - कुष्माण्ड स्वरस, तिलक्षार,  तििूणम परीक्षा  अशुद्ध हरिाल के सेर्वि से प्रमेह पर्रार् -कुिटी, कल्यातर्का, िािमािा, रोितशला, तदव्यौषति, मिोज्ञा, िाम्रतजतहका, मिोिु प्ता, Arsenic disulphite As S2 Red arsenic or Realger र्ुण - सर्वणरसायिाग्रया भे द – 2 www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 9 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. ( श्यरम कर मन हर एक कण व खांड में है ) 1. श्यामाृं िी - रक्ताभृं (कुछ िौर) 2. कर्र्वीरका – िाम्राभृं 3. खण्डाख्य - श्रेष्ठिमः शोधन - अिस्त पत्र स्वरस + शृंिराज + जयन्ती स्वरस + आद्रक स्वरस ( शीलर अर्स्त में भृां र्ररज और जर्ां ती से श्रृांर्रर करती है ) सौवीररजन – कष्णाजि - Sb2S3 स्रोतरञ्जन – यामुिेय - Sb2S3 नीलरञ्जन – शक्रभूतमज, र्वाररसृंभर्व, सुर्वर्णघ्न, लाहमादण र्वकर -Pbs पुष्परञ्जन – कौस्तु भ, रीतिज, पु ष्पकेिु, कुसुमाञ्जि, रीतिपु ष्पक - Zno रसरञ्जन- रसाग्रज, रसिभण, पञ्चपचा, बालभैषज्य, दार्वीक्वाथोद्भर्व,- Hgo सौवीररजन (िूम्रर्वर्ण), तर्वषतहध्मातक्षरोि, व्रर्शोििरोपर्म्। स्रोतरञ्जन 'र्वल्मीक तशखराकारम्' भिे िीलोत्पल द् यु ति। घिृं िु िै ररकच्छायृं………………………। नीलरञ्जन लौहमादण र्वकरम्, दोषत्र्यिाशिम्। पुष्परञ्जन सर्वाण तक्षरोििुि, तहक्कापृं चकिाशिम् (श्वेि)। रसरञ्जन पीि – तर्वषर्वक्त्रिदापहम् शोधन- शृंिराज पर्रार् – कोलबालुक, िालकुष्ठ, िीक्ष्र्दु स्तग्धका, रृं िदायक, रे चक, र्वराृं ि, तर्वरृं ि, स्वर्णक्षीरीतियाण स, हे मर्विी, www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 10 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI.  Garcinia Morella of Guttiferae family भे द – 2 1. िातलका 2. रे र्ुका र्ुण- रसे रसायिम अग्रम  उष्ण र्वीयण  अतिरे चि( Antidote - बबू ल के जड़ का क्वाथ + जीरा टकड़) शोधन - शुण्ठी क्वाथ IMP – POINTS  नर्नौिधम – पु ष्पकासीस  सवराक्षिरोर्नुत – पु ष्पाञ्जि  सू तेिवीर्ा प्रदो - िृं िक  लोचनरमर्न – तहृंिुल  सू तक्षजत - िृं िक  नर्नरांतकहरररक्षण – कपदण  रसस्य बांधननरथा जररणरर् - िृं िक  र्ृघ्ररक्षि तुल्यां कुरतेऽक्षिर्ु ग्त- िृं िक  क्षत्रदोिशरांक्षतप्रदर - िुर्वरी  मांक्षजष्ठरररर्बांधनी - िुर्वरी  पररदजररणी - िुर्वरी  स्त्रीपुष्पहर- तपण्डिाल  सवारसरर्नरग्रर्र -  रसे रसरर्नम अग्रम-  रसमरक्षणक्य रस में - श्वेि अभ्रक का प्रयोि।  सां क्षदग्ध िव्य – कृंकुष्ठ, तिररतसृंदुर िथा चपल  पररद जररण -काृं क्षी िथा िौसादर  स्त्री पुष्पजनन तथर मूढर्भा प्रवतान - टृं कर्  तुवरी सत्व - क्रामर् सृंस्कार में प्रयोि होिा है ।  रजः प्रर्विणिी र्वटी में करसीस पाया जािा है ।.. www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 11 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. कप्तिल्लश्चपरो र्ौरीपरिरणो नवसररकः। कपदो वक्षहजररश्च क्षर्ररक्षसन्दू र क्षहांर्ुलो।। मृदररश्रृांर्ो इत्यष्टौ, रसक्षसप्तद्ध करर: प्रोक्तर।। Code - मदण िे िौरी अति बु झिे के तलए कपडे उिरा चादर & तसृंदूर तमटाया अपिा हीृंि पीला तदया। र्े सरधररण सी बरत है । कप्तिल्लक पर्रार् – रक्तचूर्णक, रे चि, ककणश, रोचि, रक्ताृं ि, चन्द्र, इतिकाचूर्णसृंकाृं श Mallotus Phillipinensis - Euphorbiaceae, Rottlerine & Isorottlerine लिण - कस्तिल्लक फलरज का प्रयोि, 'सौररष्टर दे शे चोत्पन्ने' रे च्यर्दरपहररी। उत्तमकतमघ्नृं , पीतरे खर परीिर इतिकाचूर्णसृंकाशृं परीिर  जल में िहीृं िुलिा  जल के उपर िैरिा है ।  भीिी अृं िुली में लिाकर कािज पर रिड़िे पर कािज पीला र्वर्ण का हो जािा है ।  अति सृंयोि होिे पर तर्वस्फोट के साथ जलिा है ।  स्पशण में मदु । www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 12 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. र्ौरीपरिरण पर्रार् - पीि , क्षवकट,हिचूर्णक ,शृंखतर्वष ( िौरी का PV तकया िो हट हो िई ) As2O3 white arsenic/vitrious oxide (सुश्रुि कल्पस्थाि 2 में प्रथम र्वतर्णि) भेद - आकृक्षत भे द के तीन प्रकरर – र०र०स – 3 1. शृंखाभ 2. स्फतटकाभ- श्रेष्ठिम श्वेि ( र्ौरी ने शांख बजरर्र तो फट के हरी potty क्षनकल र्ई ) 3. हररद्राभ - श्रेष्ठ - पीिर्वर्ण वणा के आधरर पर दो प्रकरर - आ०प्र० 1. श्वेि - शृंखाभ – कतत्रम 2. पीि – दातडमामृं – पर्वणिज लिण - Also known As - रसबृं िकर & रसर्वीयण कि (सुतेंिवीर्ाप्रद - र्ांधक) सरमरन्य शोधन - कारर्वेल्लक फल मध्य रख कर स्वे दि ( करे ले के मध्य ) नौसरदर पर्रार् - चुस्तल्लकालर्वर्, इतिकालर्वर्, तर्वडलर्वर् Nh4Cl उत्पक्षत - करीर पीलुकाष्ठे षु पच्यमािुषे चोद्भर्व लिण -  रसेन्द्रजारर् (D/D- पररद जररण - तुवरी & रसबधनरथा जररण - र्ांधक )  लोहद्रार्वर्,  माृं साजीर्ण तिर्वारर्  जठारति कि शोधन - उबलिा जल में www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 13 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. वररक्षटकर/ कपदा पर्रार् – चर, चराचर, बालतक्रडिक, र्वरातटका र०र०स० के अनुसरर -र्वरतटका पीिाभा ग्रृं तथका पष्ठे दीघर्वत्ता....। र०र०स० के अनुसरर - A. 1.1/2 तिष्क (श्रेष्ठ), B. 1 तिष्क, C. 3/4 तिष्क ग्ररह्य वररक्षटकर – दीघण र्वन्ता स्वर्णर्वर्ाण पष्ठे च ग्रृं तथला। – र०ि० पररर्ामातद शूलघ्नी ग्रहर्ीक्षयिाशिी। रसेन्द्र जारर् ियिाृं िकहाररर्ी शोधन- अम्ल द्रव्य में स्वे दि (काृं जी. कुलत्थ आतद) अक्षिजरर Ambergris  मछली के आाँ ि से िातर्वि मोम सदृश्य पदाथण ।  हे ल मछली का शुष्क मल।  समुद्री जन्तु का जरायु र०र०स लिण -  ििुर्वाण िातदर्वाििुि।  र्विणिो रसर्वीयण स्य  स्पशणर्वेिी भर्वेत्रस। (रसोपतिषद) क्षर्ररक्षसन्दू र पर्रार् - रक्तरे र्ु, रसिभतसन्दू र, रसिभण,रसाृं जि Hgo - Red oxide of Mercury www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 14 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI.  तत्रदोष शमिृं भेदी  रसबृं ििमतग्रमम्। क्षहांर्ुल पर्रार् - चूर्णपारद, रसिभण, लोहघ्न, क्षचत्ररांर्, शुकिुण्ड, म्लेच्छ, हृं सपाद, कक्षपशीिाक, रक्त, रक्तकाय, दरद, रृं जि, रसस्थाि, रसोद्भर्व, सु रांर्  कक्षपलौह - तपत्तल Hgs - Red sulphide of Mercury (Hg : S = 6 : 1) Cinnabar  कक्षपशीिाक – तहृं िुल भेद -  क्षचत्ररांर् – तहृं िुल  क्षचत्रर्ांध - हरिाल  शुकिुण्ड – पीिर्वर्ण -- Also k/a चमाण र  रसर्ांधक -मि:तशला  हृं सपाद - जपाकुसुमर्वर्ण  कुरां र्- िाि लिण -  सु रांर् – तहृं िुल  सूिो जीर्ण िृं ि समोिु र्ै  तहृं िुल से तिकाला हुआ पारद िु र् में िृं िक जीर्ण पारद के समाि िु र् र्वाला होिा है शोधन अदरक र्व लकुच स्वरस+ भेड़ी के दु ग्ध में मृदररश्रृांर्  रसबृं िकर - िौरीपाषार् Pbo Litharge (Complete external use)  रसबृं ििमुत्किृं - मदारश्रृंि 'अबुण दाख्यतिरे ः पाश्वण सीससत्वृं'  रसबृं ििमतग्रमम् – तिररतसन्दू र 'पीिाभृं सदलृं तिदण ल पीि पाण्डु र जतििु जणर मण्डले  रसर्वीयण कि – िौरीपाषार्  सुिेंद्रर्वीयण प्रद – िृं िक लिण – र्विणिो रसर्वीयण स्य - अतिजार  रसबृं ििमुत्किृं  केशरृं जमुत्तमम्। सरधररण रस कर शोधन मररण सरमरन्य शोधन - मािुलुृंि + अदरक स्वरस (भार्विा 3 तदि) www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 15 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. लौह वर्ा लौह के तीन प्रकरर - रसरत्नसमुच्चय अिुसार शुद्ध लौह (4) पूक्षत लौह(2) क्षमश्र लौह(3) 1. स्वर्ण 1. तपत्तल 1. िाि 2. रजि 2. काृं स्य 2. र्वृंि 3. िाम्र 3. र्विणलौह 4. लौह  यहााँ लौह शब्द िािु के तलए प्रयु क्त हुआ है  अथर्वणर्वेद - 4  याज्ञर्वल्कल र्व रसार्णर्व- 6  कौतटल्य र्व शारिृं िर - 7  रसहृदयिृंत्र - 8  रसरत्नसमुच्चय र्व रसेन्द्रचर्ामतर् – 9 यशद प्रथम र्वर्णि -भार्वप्रकाश स्वणा अति रजत चन्द्रमा तरम्र सूयण वांर् इन्द्र नरर् र्वासुकी लौह यम www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 16 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. अक्षि सां र्ोर् से धरतुओ ां को िर् िाम्र सूयण (र्रज्ञवल्कल्यस्मृक्षत के अनुसरर) रजि चन्द्र तपत्तल मृंिल स्वणा - 0 प्रक्षतशत िाि बु द्ध स्वर्ण िु रू रजत - 2 प्रक्षतशत र्वृंि शुक्र तरम - 5 प्रक्षतशत िीक्ष्र् लौह शति नरर्- 8 प्रक्षतशत काृं स्य राहु वांर् - 8 प्रक्षतशत कान्त लौह केिु लौह - 10 प्रक्षतशत धरतु तथर ज्वरलर कर वणा – रसरणा व के अनुसरर  स्वणा – पीि  रजत- श्वेि  तरम - िील  लौह - कतपल  नरर्- िूम  वांर्- कपोि  अर्स्करन्त- िूमण र्वर्ण  सस्यक - लोतहि र्वर्ण  वज्र - तर्वतर्वि र्वर्ण  अभ्रकसत्व - पडूर र्वर्ण  क्षशलरजत - िूसर र्वर्ण www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 17 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. र्लनरांक (Melting Point) (Speacific gravity)  लौह - 1520°C स्वणा - 19.5  स्वणा - 1064°C  तरम्र - 1057°C नरर् -11.5  र्शद- 410°C  रजत - 960°C रजत-10.5  नरर् - 325°C तरम्र -9.7  वांर् - 233°C लौह- 7.7 वर् -7.3 र्शद -7.1 परमरणु सां ख्यर At. No. परमरणु भरर At. Weight Au स्वर्ण 79 197 Ag रजि 47 108 Hg पारद 80 200.6 तैले तक्े र्वर मूत्रे ह्यररनरल कुलत्थजे। क्मरक्षन्निेचर्े ििां िरवे िरवे तु सिधर।। र०र०स० शशक रक्त की भरवनर। र०र०स० कदली स्वरस द्वररर 7 बरर क्षनवराप। र०त० िालेि र्वृंिृं दरदे ि िीक्ष्र्ृं िािे ि हेमृं तशलया च िािम्। िन्धाश्मिा चैर्व तिहृं ति शुल्वृं िारृं च मातक्षक रसेि हन्याि् ।। www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 18 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. स्वणा िाि धरतु अररलौह रजत स्वर्ण मातक्षक स्वणा िाि तरम्र िृं िक लौह तहृं िुल रजत र्वृंि नरर् मि:तशला तरम्र यशद वांर् हरिाल पररद हीरा (र्वज) लोहरनरां मररणां श्रेष्ठां सवेिरां रस भस्मनर मूलीक्षभमध्यमां प्ररहः कक्षनष्ठां र्ांधकरक्षदक्षभः। अररलोहेन लोहस्य मररणां दु र्ुाणप्रदम्।।  श्रेष्ठ – रसौषति  मध्यम - मूलातद  कक्षनष्ठ - िृं िकातद  दु र्ुाणप्रद – अररलौह स्वणा  प्ररकृत – रजोिु र् यु क्त, ब्रह्माण्ड तितमि,  सहज – मेरूरूपिा, ब्रह्म की जरायु , 16 कलायु क्त  अक्षिसां भव – तशर्व र्वीयण रूप,  खक्षनज – सर्वणरोि हर - 14 कलायु क्त भेद तथर लिण -5  रसे िवेध -'रसायिृं महाश्रेष्ठृं पतर्वत्र' शोधन - पृं चमतत्तका, स्वर्ण िै ररक + सैंिर्व लेप, तिम्बू स्वरस (आ०क०, र०ि०) www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 19 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI.  स्वणा से वन करल में अपथ्य - तर्वल्व फल अनुपरन - काली तमचण + घि  घृष्ट स्वणा कर र्ुण - िभणस्थापिमुत्तमम् दौबण ल्यहरृं परम् ।  सु वणा मण्डल कर र्ुण – र्वीयण र्वस्तद्धकरृं परम् ।  स्वणा लवण कर र्ुण – पु ष्पार्वरोि, तचरन्तिऽतप तफरृं ि रोिम् (मात्रा – 1/50-1/20 रत्तो)  स्वणा भस्म से वन कर फल - सर्वणतर्वषापहृं िरहर दु ि ग्रहर्ी आतद रोििुि  मरत्रर – 2 िुृं जा शोधन- ज्योतिष्मति िैल रजत  सहज (श्रेष्ठ) – कैलाश पर्वणि समुत्थ - स्पशण ले रोि मुस्तक्त भेद तथर लिण - 3  खक्षनज (मध्यम) –तहमालयोत्थ - परम रसायि  कृक्षत्रम (हीन) - श्री रामपादु कोत्पि – सर्वणरोििुि  कोष्ठर्त र्वाि का शमि  अध्यरपनरदर सुतचरृं रिािाृं यु िाृं तशशुिाश्च परृं प्रशस्तम्  िभाण शय तर्वशोििम् तरम्र  म्लेि - 'क्षातलिृं च पु िः कष्ण भेद तथर लिण - 2  नैपरलक (श्रेष्ठ) - 'घिाघािक्षमृं िु रू' क्षवि दोि - 8 आ०प्र० भम्र, मूछाण , तर्वदाह, स्वे द, क्लेद, र्वमि, अरूतच, तचिसृंिाप शोधन - तिम्बू/अकण + सैंिर्व लेप – तििुण ण्डी स्वरस 8 तिर्वाण प िोमूत्र में 1 प्रहर दोला यृं त्र द्वारा स्वे दि  तरम्र भस्म को दति पर डालिे पर नीलरञ्जन बि जािा है ।  कातिणकेय का शुक्र  औदु म्बर, , त्रयम्बक, रक्तक, लोतहिायस, अकण, सूयणलौह, शुल्व, िैपालीय, रतर्वतप्रय, www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 20 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. अमृतीकरण - िृं िक िथा पृं चामि - 8 िजपु ट उपरोक्त प्रतक्रया में तरम्र : र्ांधक = 2:1 भस्म की मरत्रर = 2 बल्ल (1/8-1 रत्ती) अनुपरन = तपप्पली मिु सोमनरथी तरम्र भस्म - िाम्र + पारद + िृं िक + हरिाल + मि:तशला- र्भा र्त्र – कृष्णवणा  िाम्र भस्म से उत्पि तर्वकार की शाृं ति हे िु – मुतिव्रीतह + तमतश्र िान्यक + तमतश्र लौह  मृदु – द्रु िद्रार्वमतर्वस्फोटम् (श्रेष्ठ)  कुण्ठ - (मध्यम)  भ्रामक  कडरर - (अिम)  करललौह - िील कष्ण प्रभ, पीटिे से भी िार ि  चुम्बक टू टे ।  कषणक  वरक्षजर -- पोिरै र्वज्र सृंकाशै सूक्ष्म रे खै सान्द्रकै।  द्रार्वक  सरर लौह - र्वेि भृंिुिारृं , पोृंिराभासकृं,  रोमक पाण्डु भूतमज।  तरररवट्ट - (पोृंिर) पयाण य -- अृं ि, छाया र्व र्वि।  खर लौह - पोृंिर रतहि, भृंिेपारदर्वच्छतर्व, िमिे भृंिुर।  हन्नरल लौह – चृंचुबीज िुल्योरूपोिरम्। पोांर्र - लोहे के िोड़िे पर तदखाई दे िे र्वाली रे खा। www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 21 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. करन्त लौह परीिण -  जल में िैल तबन्दु का ि फैलिा।  तहृं ि के िृं ि का समाप्त होिा।  तिम्ब की तिक्तिा का समाप्त होिा।  जल को उबालिे पर तहृं ि की िृं ि दे िा।  दु ग्ध की उफाि तशखराकर आिा है तिरिा िहीृं है ।  सफेद चिा काला हो जािा है । करांत लौह भस्म के र्ुण  काृं तिजििम पाण्डोमयमूलिाशिम  सर्वणव्यातिहरृं रसायिर्वरृं भोमअमि िापरम श्रेष्ठ करांत लौह भस्म के लिण –  पक्व जम्बूफलछायृं लौह िुक्षत करण क्षवक्षध  जातलति िेिुआ भस्म ×िोमूत्र  सूरदाली भस्म × िोमूत्र २१ TIMES Note - सू तां करन्त अांकुश उच्यते मररण के क्षलए लौह कर प्रमरण  5 पल - 13 पल सवा लौह शोधन क्षवक्षध  लोहे के छोटे -छोटे टु कड़े को खरिोश के रक्त से तलप्त कर आि में िीि बार िपािे से र्ुणविर लौह तकट( मृंडूर)------------- मुृंड---------------िीक्ष्र् -------------काृं ि 10 × 100× 100000× www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 22 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. मांडूर कर शोधन मररण  बहडे की लकड़ी के अृंिार से िमिकर बहे ड़ी के पात्र में स्तस्थि िोमूत्र में साि बार बु झाएृं भरनुपरक - सममाि तत्रफला स्थरली परक - तत्रिु र् तत्रफला पुटपरक  1 पुट - रसकमण  1--100 पुट – रोिहर  100-1000 पुट- रसायि र्व र्वाजीकरर् NOTE- मारर् द्रव्य में तत्रफला श्रेष्ठ है । पूक्षत लौह(2) वांर्  खुरक (श्रेष्ठ) - द्रु ि द्रार्वृं सिौरर्वृं ति:शब्द। भेद तथर लिण - 2  क्षमश्रक - श्यामशुभ्रकम्  सर्वेषाृं लोहािाृं बलर्वाि,  स्तृं भिृं च रसस्थ िु। वां र् रसरर्न - अभ्रक + कान्त लौह + र्वृंि मरत्रर -4 बल्ल  र्वृंि तसृंहे यथा हस्तस्तिर्ृं तिहस्तन्त िथैर्व र्वृंिोऽस्तखलमेहर्विण म् ।  र्वृंिभस्म िभाणशयच्यु ितिहरृं श्वासच्छ प्रर्ाशिम् र्व सवाप्रमेह हर  शांखकुन्दे न्दु धबल् – भस्म र्वर्ण www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 23 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. नरर्  कुमरर ( श्रेष्ठ ) भेद तथर लिण - 2  समल नरर्भस्म - तसृंदूराभाभर्वेि ध्रुर्वृं  द्रु ि द्रार्वृं महरभररां छे दे कष्ण समुज्ज्वलम्। र०र०स०  प्रमेह िोय दोिघ्नां दीपिृं चरमवरतनुत। र०र०स०  िाि TEL बिािे में, तसृंदूर बिािे में। श्रेष्ठबल दायक , यक्ष्मा िािु  नरर्रसरर्न – 80 प्रकार के र्वाि व्याति का िाश तर्वशेषर्वि ििुर्वाण ि।  उपद्रर्व की तचतकत्सा - स्वर्णभस्म + हरीिको चूर्ण शोधन - िाि, र्वृंि, यशद – तििुण ण्डी स्वरस या चूर्ोदक – क्षपठरर्ां त्र द्वररर क्षमश्र लौह(3) क्षपिल (Brass)  रीक्षतकर – िाम्रामृं – कतमिाशि (Cu. Zn) भेद तथर लिण - 2  करकतुण्डी – कष्णाभृं -यकिप्लीहाहर (2. 1) ग्ररह्य – िु र्वी मद्वी च पीिाभा सारृं िी तरड़न िमर। रसरर्न र्ुण - तर्वशेषािश्वेिकुष्ठघ्न दीपि पाचि तहिम  Also k/a Bell Metal/white copper करांस्य  पर्रार् - िाम्रपु ज, घोष, सौरािरज, दीिलौह, र्वतिलौह (Br0nze)  काृं स्य पात्र में घि रखिा तिषेि। (Cu. Sn)  सौरािरभृंर्व शुभम् (8. 2)  शोधन – िोमूत्र िथा सैंिर्व चूर्ण का प्रयोि। www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 24 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. 5 धरतु कर क्षमश्रण - काृंस्य, िाम्र ,तपत्तल , लौह, िाि वतालौह (करांतर क्षपक्षत लसी ) पर्रार् - पृं चलौह, र्विुणल, पृं चरसा (Br0nze) शोधन – अजामूत्र अथर्वा अश्वमूत्र में तिर्वाण प। अम्ल र्वतजणि चाति दीपि पाचि तहिम स्वणा आक्षद कर सरमरन्य शोधन – Acc to R.R.S - िैले िक्रे िर्वृंमूत्रे आरिले कुलत्थजे – 7 times Acc to R.T - काृं जी िक्र कुलत्थ िोमूत्र िैल (का िा कुल G. T में ) पर्रार् - रीतिहे िु, िेत्ररोिारर, रृं िसृंकाश, िाम्ररृं जक  यशद को पूक्षतलौह में र्वर्णि तकया आढ्यमल की दीक्षपकर टीकर र्व मदि पाल तिघण्टु  यशद - तिशा स्वे द तिर्वहण र्म्।  काल तिर्ाण यक िािु  श्ले ष्मकलर सृंकोचक।  किर्वािापहृं लौह तकट  3 भेद लौह के समाि,  शोिि – िौमूत्र 100 विा - सर्वणश्रेष्ठ 70-80 विा - मध्यम 60 विा - अिम 60 विा से कम - तर्वष िुल्य क्षत्रवांर् भस्म - िाि र्वृंि यशद - स्त्री रोि में तहिकर भू नरर् सत्व – र्वज्र द्रार्वर् म प्रयोि भू नरर् सत्व मूक्षिकर – तर्वषिाशक क्षनरूत्थीकरण - 40 िोला भस्म + 10 िोला शुद्धिृं िक + 10 िोला घि www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 25 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. Bell metal Cu + Sn (5:1) Gun metal Cu + Sn (9:1) Monel metal Cu + Ni Germal Silver Cu+ Zn + Ni = 3:1:1 Solder Metal Sn+Pb 2:1 Rose Metal Bi + Sn + Pb - 2:1:1 Britania Metal Sn + Sb + Zn Type Metal Pb + Sn + Sb स्वणा दु क्षत – शुद्ध स्वर्ण+मण्डूकस्तस्थ र्वसा+टृं कर्+हयलाला+इन्द्रिोप+दे र्वदाली फल – जलर्वि् द्रु िम् स्वणा अनुपरन – रस्ती + तत्रकटु + घि मदोन्मििज: सूि कोत्तमृंकुशमुच्यपिे – करांत लौह लौह क तिररजदोष दू र करिा है - क्षत्रफलर, क्षचचरफलस्वरस लौह मररण की मरत्रर - 5 पल - 13 पल िक www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 26 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. रत्नवर्ा पर्रार् - मतर् िथा र्वरपाषार् मरक्षणक्य मुक्तरफल क्षविुमरक्षण तरर्क्ष्ा च पुष्पां क्षभदु रांच नीलां । र्रमेदकश्चरथ क्षवदू रञ्च क्मेण रत्नरक्षन नवग्रहरणरम्।। र०र०स०  इि मतर्योृं को दरन से अथर्वा धररण करिे से ग्रह प्रसि हो जािे है  रत्नोां को उपर्ोर्- 5 - रसे रसायिे दािे िारर्े दे र्विाचणि। र०र० स०  सू तबांधनकररक – रत्नोृं के तलए रत्न ग्रह क्षवशेि शोधन करक्षठन्य अां ग्रेजी नरम मरक्षणक्य सूयण अम्ल द्रर्व 9.0 Ruby (Al203) मुक्तर चन्द्र जयन्ती स्वरस 3.5 Pearl (CaCO3) प्रवरल/क्षविुम मिल क्षार र्विण 3.5 Coral (CaCO3) तीक्ष्णमोती /पन्नर बु ि िोदु ग्ध 7-8 Emerald,Aquamarine, Beryl पुष्पररर् िु रु काञ्जो + कुलत्थ स्वरस 8 Topaz Al(FOH)2.SiO4 हीरर /वज्र शुक्र िण्डु लीय- + कुलत्थ स्वरस 10 Diamond (c) नीलम शति िीली स्वरस 9 Saphire (Al2O3) र्ोमेद राहु िोरोचि 7.5 Zircon, Hessonite, Agate Cinnamon stone लहसु क्षनर्र / केिु तत्रफला 8.5 Cat's eye (BeO.A1203) वैदूर्ा ( Code - मर. मु. प्र. तर. पु. की ही.नी. र्ो. ल. है ) रत्नोां कर शोधन सरमरन्य - दोलायन्त्र में 1 प्रहर स्वे दि या 7 बार तिर्वाण प www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 27 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI.  रत्नोां के दोि - 5 - ग्रास, त्रास, तबन्दु , रे खा, जलिभणिा। र०र०स०  व्रज दोि – 5 - तबन्दु काकपद यर्व मल रे खा।  र्ोमेद - 5 - तबन्दु काकपद त्रास मल रे खा।  रत्नोृं में क्षेत्रीय िथा जलीय दोष िहीृं होिे - मुक्तर, प्रवरल को छोड़कर। पवातज (खक्षनज) = मातर्क्य, िार्क्ष्ण , पु ष्पराि, र्वज्र, िीलम, िोमेद रत्नोां की जरक्षतर्राँ - 3 प्ररक्षणज(जलज) = मुक्ता, प्रर्वाल वरनस्पक्षतक – (औप्तिद् ) – िर्कान्त, सृंिेयमूषा  आ०प्र० के अिुसार मूल्यर्वाि रत्नोृं का मारर् िहीृं करिा चातहये इसका मारर् करिे र्वाले को घोर िरक की प्रास्तप्त होिी है । (िु र्विे रोरर्वमच्छति) आ०प्र०  शाङ्गणिर िे मुक्तर तथर प्रवरल का मारर् मरक्षिकवत् करिा बिाया है ।  सभी रत्नोृं के भस्म का र्वर्ण श्वेत होिा है । िोमेद (कत्थई र्वर्ण)  रत्नोां की िुक्षत – रत्निुल्यप्रभालध्वी दे हलोहकरी शुभा। (Store in कुसुम्भ िैल) पद्मररर् - कुशेशयदलच्छायृं स्वच्छ मरक्षणक्य 2 नीलर्ांक्षध - िृं िाम्बुसम्भूिृं िीलिभाण रूर्च्छतर्व। "भूि र्वैिाल पापघ्न कमृंजव्यातििाशिम्' दोि - 8 मरत्रर - 1/4 - 1/2 रत्ती www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 28 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. मु क्तर बालासुर दै त्य का टू टा हुआ दााँ ि। (पौरातर्क उत्पतत्त) 'रस्तश्मर्वतिमणलिोय प्रभृं', तिग्ध, श्वेि लघु आतद 9 र्ुण र्वाली श्रेष्ठ र्ुण - तहम + दृतिअतिपु तिकरर् -दीस्तप्त च पस्तक्तरूजमाशुहरे दर्वश्य प्रवरल  पक्वक्षबम्बफलच्छरर्रां र्वत्तायिृं अर्वक्रकम।  सिधर शुभम् ।।  अग्ररहर् लिण - तिभाण रम, शुभ्रर्वर्णम् कोटरातर्वििम्  र्ुण - तर्वषघ्नृं भूिशमिृं र्वीयण र्वर्ण तर्वर्विणिम।। र०र०स० पन्नर पन्नर 3 श्वे ि, िील, हररि (श्रेष्ठ) दु िणम पाण्डु शोफघ्नृं िार्क्ष्मोजो तर्वर्विणिम् र०र०स० सपाक्षविा का antidote पुष्पररज कक्षणाकरर प्रसू नरभो” शुभ कारक - 8 िु र् र्वाला www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 29 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. नीलम भेद – 2 जलनील, इिनील (श्रेष्ठ) त्यरज्य - रक्तािण तर्वििछाया र्ुण - तर्वषमज्वरदु िणमपापघि भेद – 3 वज्र  नर - उिम - अिािच्चाऽिफलकृं िड् कोणमक्षत भरसु रम्,  नररी - मध्यम - तचतपटाकारम र्विुणलायिम्।  नपुांसक -अधम - कुण्ठकोर्ाग्र र्विुणलृं, िु रू।  श्वेत - ब्ररह्मण - रसायि एर्वृं सर्वणतसद्धप्रद  रक्त - ित्रीर् - व्यातििाशक, जरमत्युहर  पीत- वैश्य - ििप्रद एर्वृं दे हदायणकर  आर्ु िप्रद  कृष्ण - शूि - व्यातििाशक र्वयस्थापक  दोित्रर्प्रशमन  सु तेिबांधवधसदर्ुणप्रदीपन  मृत्युांजर् तदअमृतोपमम  वज्र के र्ुण - 5 - अच्छिा, लघु िा, अिफलिा, षट् कोर्िा, िीक्ष्र्िा  वज्र के दोि – 5 - तबन्दु ,काकपद, यर्व, मल , रे खा वज्र भस्म की मरत्रर - 1/32 - 1/16 रत्ती शोधन - कुलथ क्वाथ वज मररण -मुत्कुट रक्त अनुपरन - रसतसन्दू र, मकरध्वज, अभ्रक मिु आतद Note- 1 भाि हीरा + 3 times पारद ---िु तटका----------- चलदां त क्षववांधनम www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 30 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. "बुप्तद्ध प्रबोधनम्।" र्ोमेद ग्ररह्यस्वरूप - मिुतबन्दु समच्छाया िोिूत्राज्यसमप्रभम् वैदूर्ा शुभ - श्याम शुभ्राभ क्षनकृष्ट - श्याम िोयसमछय र्ुण - प्रज्ञायुबणलर्विणिम्” + मलिोचिम रत्न कर भस्म बनरने की क्षवक्षध वज्र को छोड़कर सम भरर्  शुद्ध मि शील  शुद्ध िृं िक -------- लकुच स्वरस पीस---------8 पु ट  शुद्ध हरिाल रत्न कर िरवण हीृंि + पृं चलर्वर् + क्षार त्रय www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 31 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. ग्ररह्यर/अग्ररह्य स्वरूप पररद अन्तःसुिीलो बतहण रूज्वलो यो मध्याि सूयणप्रतिमप्रकाशः शस्तो अभ्रक तिग्धृं पथुदलृं र्वर्णसृंयुक्तमृं भारिोऽतिकम् । सुखतिमौच्यपत्रञ्च िदभ्रृं श्रेितमररिृं ।। वैक्रन्त अिास्रचािफलक: षट् कोर्ो मसर्ो िु रू । वज अिास्राण्यफलकः षट् कोर्मतिभासुरम् । मरक्षिक स्वर्णर्वर्णसदृशृं िर्वर्वर्णसमस्तििम् तिष्कोर्ृं िु रूिायु िम् । क्षवमल र्विुणलः कोर्सृंयुक्तः तिग्धश्च फलकास्तििः । क्षशलरजीत जत्वाभृं मदु मत्स्नाच्छृं यन्मलृं िस्तच्छलाजिुः । यस्तु िुग्गुलुकाभाससतत्तक्तको लर्वर्ास्तििः ।। िौमुत्र िृं िय सर्वणः सर्वणकमणसु योजिे । सस्यक मयू रकण्ठसच्छायृं भाराढयमतिशस्यिे।। रसक सदलो ददुण रः प्रोक्तो तिदण लः कारर्वेल्लकः । र्ांधक शूकतपच्छसमच्छायो िर्विीि आज्यसमप्रभः । स्फक्षटकर ईषत्पीििु रूतिग्ध र्वर्ण । (फटकी) श्वेिर्वर्ण लघु तिग्ध (फुस्तल्लका) मनःक्षशलर श्यामा रक्त्त्ता सिौरा च भाराढया श्यातमका मिा। कप्तिल्लक इतिका चूर्ण सृंकाशश्चस्तन्द्रकाढयोऽतिरे चिः । सौरािरदे शे चौत्पिः स तह कस्तिल्लक उच्चिे।। क्षहांर्ुल जपाकुसुमसृंकाश श्वेिरे खा प्रर्वालाभ। स्वणा दाहे रक्तृं तसिृंछेदे तिकषे कृंकुमप्रभम्। हे म षोडषर्वर्ाण ऽऽस्यृं शस्यिे दे हलोहऽयो। रजत दाहे छे दे तसिृं, चन्द्रर्वत्स्वच्छृं , शृंखाभृं | तरम्र सुतिग्धृं मदु लृं शोर्ृं घिाघािक्षमम् । मरक्षणक्य कुशेशेयदलच्छायृं स्वच्छृं तिग्धृं िुरू स्फुटम् प्रवरल पक्वतबम्बफलच्छायृं र्वत्तायिमर्वक्रकम् । www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 32 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. नरर् द्रु िद्रार्वृं महाभारृं छे दे कष्णसमुज्जर्वलम्। वांर् द्रु िद्रार्वृं सिौरर्वृं, तिःशब्द खुरकृं। र्शद छे दे समुज्जर्वलृं तिग्धृं मदु लृं तिमणलृं िथा पुष्पररर् कतर्णकार प्रसूिाभृं मसर्ृं शुभमििा । र्ोमेद मिुतबन्दु समच्छायृं िोमूत्राज्यसमप्रभम्। वैदूर्ा र्वैदूयण िुरूसुतिग्धृं तर्वडालेक्षर्समप्रभम् । कुछ प्रमुख औिधोां में रसशरस्त्रीर् िव्य  आरोग्यवक्षधानी - िाम्र + तशलाजीि + अभ्रक + लौह  चिप्रभरवटी - मातक्षक + तशलाजीि + लौह  लक्ष्मीक्षवलरस - िाम्र + र्वृंि काृं स्य भरवनर िव्य अरोग्यवक्षधानी वटी तिम्ब स्वरस की भार्विा समीरपन्नर् रस िुलसी स्वरस की भर्विा सां जीवनी िौमूत्र स्वरस की भार्विा वसन्तमरलती रस िीृंबू रस की भार्विा नररदीर् लक्ष्मी क्षवलरस रस पाि स्वरस की भार्विा क्षत्रभू वन कीक्षता रस िीृंबू, ििुर, िुलसी र्व र्वासा की भार्विा सू तशेखर रस भिराज स्वरस का भार्विाद्रव्य प्रदररन्तक रस कन्या स्वरस का भार्विाद्रव्य स्मृक्षि सरर्र रस ब्राह्मी स्वरस का भार्विाद्रव्य www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 33 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. सू क्षतकर भरण र्वराह मयू र/ मत्स्य तपत्त का भार्विाद्रव्य वसन्त कुसु मरकर रस आटरूष, हल्दी, इक्षु, कमलपु ष्प, मालिीपु ष्प. शिार्वर, लोकनरथ रस कुमारी र्व काकमाची स्वरस से भार्विा र्ोर्ेि रस कुमारी स्वरस से भार्विा मृत्युांजर् रस अपामािण या तचत्रक स्वरस की भार्विा क्षवक्षशष्ट मरत्ररएाँ पपाटी सरमरन्य मरत्रर 1-2 रत्ती बोलपपाटी 3-6 रत्ती श्वेतपपाटी 5-10 रत्ती रसकपूार / हीरर 1/64-1/32 रत्ती वैक्रन्त भस्म 1/24 - 1/11 रत्ती सस्यक 1/8 - 1/4 रत्ती मनःक्षशलर 1/32 - 1/16 रत्ती करसीस ½ - 2 रत्ती हरतरल ¼- ½ रत्ती कांकुष्ठ 1 यर्व कप्तिल्लक 4-6 रत्ती, रे चिाथण (3-6 माशा) र्ौरीपरिरण 1/120-1/30 रत्ती www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 34 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI.  पररद - हीरक िु ति सृंकाशृं, पपणतटकाभासृं. िलदरूप्यतिभण  क्षहांर्ुल - जपाकुसुम सृंकाशृं - हृं सपाद :  दरद क्षहांर्ल - यकदाकार तहृं िुल  चमरार क्षहांर्ुल- कष्णरूपः स्याि  प्रवरलरभ क्षहांर्ुल श्वेिरे ख : प्रर्वालाभो  मदा न सांस्करर बतहण मलृं तर्विाशिम्  मूछान - िितपित्व कारक. भु जकृंचु क िाशिम्  उत्थरपन - स्वरूप आपादिृं, मू स्तव्यापतत्तिाशिम्  बोधन/रोधन - शक्त्युत्कषाण य बोध्योऽसौ  दीपन सांस्करर - ग्रासाथीजायिे सूिः अभ्रक भस्म - र्वष्यमायुष्यमग्रयम अभ्रक - सूिेन्द्रबृंति अभ्रक भस्म - तसन्दू र सदृश प्रभभ चप्तिकर र्ु क्त अभ्रक भस्म - मत्यु कि व्यािरोमर्वि  वै करन्त - तर्वषघ्नोृं रसराजश्च  वै क्रन्त, चपल - तत्रदोषघ्न, षडर स  वै क्रन्त - मरकिप्रभार्व पारार्विप्रभः  मरक्षिक (र०र०स०) - पृंचर्वर्णसुर्वर्णर्वि  मरक्षिक - प्रार्ो रसेन्द्रस्य  मरक्षिक - दु मेललोहद्वयमे लिश्च  मरक्षिक - िैिैि िु ल्योऽस्तस्त सुिारसोऽतप  मरक्षिक - मािर्वे मातस दृश्यिे  मरक्षिक (र्शोधर भट्ट) – िर्वर्वर्णसुर्वर्णर्वि  स्वणामरक्षिक - कान्यकुब्जोत्थृं  पञ्चवणा स्वणावत मरक्षिक - िपिीिीरसम्भू िृं  मरक्षिक - तकराि चीिेषु च तितमण ि  क्षवमल - मारूस्तत्पत्त हरौर्वष्यौ  सस्यक - मयूरकण्ठश्छायृं  तु त्थ - िाडीिाृं बलकिपरम्. कामृं तर्वशेषाद्रु तचरृं मिम् www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 35 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. चपल -रसराजसहाय रसबन्ध तर्वद्याय चपल - दे हलोहकरो मि:  रसक - लोहपारद रृं जिकि  रसक - दे ह लोह करोपरम् क्षशलरजीत – ग्रीष्में िीव्राकण िप्ते भ्ेः पादे भ्ो तहमभू भिः र्ांधक - रसस्य बृंििाथाण य जारर्ाय र्ांधक - सूिेन्द्रर्वीयणप्रद करांिी - मतजष्ठा रािबृंतििी क्षर्ररक्षसन्दू र - पाषार्ान्त: स्तस्थिः शुष्कशोर्ो रसः क्षर्ररक्षसन्दू र- रसबन्धिमतिमम फुप्तल्लकर (क्षफटकरी) -ले पात्ताम्र चरे तदयम क्षफटकरी - पारदजाररर्ी क्षपण्डतरल - स्त्रीपुष्पहरर्ृं मनक्षशलर - सर्वणरसायिाग्रया कप्तिल्लक - इतिकाचू र्णसृंकाशृं. सौरािरदे शे चोत्पि कप्तिल्लक - रे च्यिदापहारी र्ौरीपरिरण - रसबन्धकर, रसर्वीयणकि मुदराशांख - रसबन्धन्मु त्किृं मण्डूर - बालािाृं अतिशस्यिे मण्डूर - रक्तर्वस्तद्धकरृं परम वां र् - तसृंहो यथा हस्तस्तिर्ृं तिहस्तन्त िथै र्व..... अस्तखल मे हर्विणम रजत - अध्यापिादौ सुतचरृं रििाृं यूिाृं तशशुिाञ्च परृं प्रशस्तृं मृद्दरर श्रृांर् -सीससत्वृं , रसबन्धिमु त्कष्ठ, केशरञ्जिमु त्तमम रत्न - सूिबन्धिकारका पन्नर - िरूडोदिारक स्वणा - रसेन्द्रर्वेि सम्भू िृं. रसायिृं महाश्रेष्ठ सूत - दे हलोहमयी तसस्तद्ध रसेि - रसोपरसराजत्वाद क्षमश्रक - पारद सर्वणिािु ििृं िे जोतमतश्रिृं क्षवक्षभन्न सत्वोां के वणा- www.vivekayurvedabhu.com/+919721978066 Page 36 AYURVEDA LIBRARY ONLINE CLASSES VARANASI. र्ुञ्जरबीजसमच्छरर्ां , मातक्षक सत्व िुतिरवां च शीतलम इिर्ोपरकृक्षि सस्यक सत्व वांर्रभ रसक सत्व चिरका सां करशां तर्वमल सत्व श्वेत वणी हरिाल सत्व सूां तसां करशां तहृं िुल सत्व सीस सत्वां

Use Quizgecko on...
Browser
Browser