Sanskrit Summary Notes Class 10 Chapter 5 PDF

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सभु ािषतािन Summary Notes Class 10 Sanskrit Chapter 5 सुभािषतािन पाठपिरचयः सं कृत कृितयों के िजन प ों या प ांशों म सावभौम स य को बड़े मािमक ढं ग से प्र तुत िकया गया है उन प ों को सुभािषत कहते ह। प्र तुत पाठ ऐसे दस सुभािषतों का संगर् ह है जो सं कृत के िविभ न ग्रंथों से संकिलत ह। इनम पिरश्रम का मह...

सभु ािषतािन Summary Notes Class 10 Sanskrit Chapter 5 सुभािषतािन पाठपिरचयः सं कृत कृितयों के िजन प ों या प ांशों म सावभौम स य को बड़े मािमक ढं ग से प्र तुत िकया गया है उन प ों को सुभािषत कहते ह। प्र तुत पाठ ऐसे दस सुभािषतों का संगर् ह है जो सं कृत के िविभ न ग्रंथों से संकिलत ह। इनम पिरश्रम का मह व, क् रोध का दु प्रभाव, सभी व तुओ ं को उपादेयता और बुि की िवशेषता आिद िवषयों पर प्रकाश डाला गया है। सुभािषतािन Summary i पाठसारः rth सं कृत सािह य म िजन प ों ( लोकों) म सावभौिमक स य को सुचा प से प्र तुत िकया है उनको ‘सुभािषत’ कहा जाता है। प्र तुत पाठ म 10 सुभािषतों का संगर् ह है। इनम पिरश्रम का मह व, क् रोध का दु प्रभाव, मानव प्रकृित, व तुओ ं की उपादेयता, बुि की िवशेषता आिद िवषयों पर प्रकाश डाला गया है। शरीर म ि थत आल य ही मनु यों का महान् शत् है और पिरश्रम समान कोई ब धु नहीं है िजसको करके मनु य दुःखी नहीं होता। ग ुणी मनु य ही ग ुण को जानता है िनग ुण नहीं, बलवान बल को जानता है िनबल नहीं, वस त का ग ुण कोयल जानती है ya कौआ नहीं, शेर का बल हाथी जानता है चूहा नहीं। जो मनु य िकसी कारण से क् रोिधत होते ह। उस कारण की समाि त पर प्रस न हो जाते ह। परंत ु जो अकारण क् रोधी ह उनको कौन संत ु ट कर सकता है? कही गई बात का अथ तो पशु, हाथी, घोड़े आिद भी जान लेते ह। लेिकन ानीजन वह है जो न कहा गया भी जान ले। id मनु यों के देह िवनाश के िलए देह म ही ि थत प्रथम शत् क् रोध ही है। जैसे का ठ म ि थत अि न ही का ठ को जला डालती है वै से ही शरीर थ क् रोध मानव शरीर को जला देता है। िमत्रता समान शील और यवहार म होती है। जैसे मगृ मगृ ों के साथ, गाएँ गायों के साथ िवचरण करते ह वै से ही मख ू मोू ं के साथ और बुि मान ािनयों के साथ मैतर् ी करते ह। eV फल व छायायु त महावृ संर ण के यो य है यिद दुभा य से वृ फलहीन है तो छाया तो सदैव देता ही है। ू हीन नहीं होती, पु ष अयो य नहीं होता। वहाँ योजक दुल भ है अथात् पारखी ही अ र म त्रहीन नहीं होता, औषिध मल व तु की परख रखता है। महान् पु ष स पि और िवपि म समभाव होते ह जैसे सूय उदय व अ त समय एक ही प (र त वण) होता है। इस िविचत्र संसार म कु छ भी िनरथक नहीं है। यिद घोड़ा दौड़ने म वीर है तो गधा बोझ वहन करने म। अथात् सबकी अपनी उपयोिगता है। सुभािषतािन Word Meanings Translation in Hindi 1. आल यं िह मनु याणां शरीर थो महान् िरपुः। ना यु मसमो ब धुः कृ वा यं नावसीदित ॥1॥ 1/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ श दाथाः आल यम् – आल य। िह-िन चय से। मनु याणां – मनु यों के (को)। शरीर थः – शरीर म रहने वाला। िरपुः – शत् (है)। अ मसमः – पिरश्रम के समान। ब धुः – िमत्र (भाई/सखा)। नाि त – नहीं है।। सम् – िजसे, िजसको। कृ वा – करके। अवसीदित-दुखी होता है। न – नहीं। िहंदी अनुवाद: िन चय से आल य मनु यों के शरीर म रहने वाला सबसे बड़ा दु मन है। पिरश्रम के समान उसका कोई िमत्र नहीं है िजसको करके वह दुखी नहीं होता है। सि धः-िव छे दो वा पदािन – सि धं / सि धिव छे द शरीर थो महािरपुः = शरीर थः + महािरपुः i न + अवसीदित = नावसीदित rth ना यु मसमो ब धुः = न + अि त + उ मसमः + ब धुः समासो-िवग्रहो वा पदािन = समासः/िवग्रहः समासनामािन शरीर थः = शरीरे ि थतः त पु ष समास प्रकृित-प्र ययो: िवभाजनम् पदािन = प्रकृितः + प्र ययः कृ वा = कृ + वा ya कारकाः उपपदिवभ तय च उ मसमः – उ मेन समः – अत्र समः कारणेन उ मेन श दे तत ृ ीया िवभि त अि त। अ यय-पद-चयनम् वा य-प्रयोग च अ ययाः = अथः = वा येष ु प्रयोगः िह = िन चय से = पा डवा तवं च रा ट् रं च सदा संर यमेव िह। id पयायपदािन पदािन – पयायाः आल यं = पिरश्रमहीनः महान् = िवशालम् अि त = वतते eV िरपुः = शत् ः अिरः वै िरः मनु याणाम् = नराणाम् ब धु – सखा, सुहद्, िमत्रं न – निह िवपययपदािन पदािन = िवपययाः आल यं = पिरश्रम, उ म महान् = लघु िरपुः = सखा, ब धु, सु द् अवसीदित – प्रसीदित उ मः = आल यं 2/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ अि त – आसीत् कृ वा = न कृ वा मनु याणाम् = पशन ू ाम् न – आम् 2. गुणी गुणं वे ि न वे ि िनगुणो, बली बलं वे ि न वे ि िनबलः। िपको वस त य गुणं न वायसः, करी च िसंह य बलं न मषू कः ॥2॥ श दाथाः ग ुणी – ग ुणवान यि त। वे ि – जानता है। िनग ुणः – ग ुणहीन (ग ुणों से हीन) यि त। बली – बलवान् यि त। बलम् – बल को। िनबल: – बलहीन (बल से रिहत)। िपकः – कोयल। वायसः – कौआ। करी – हाथी। मषू कः – चूहा। i ग ुणवान् यि त ग ुण (के मह व) को जानता है ग ुणहीन नहीं जानता। बलवान् यि त बल (के मह व) को जानता है बलहीन rth (िनबल) नहीं जानता है। कोयल वस त ऋतु के (मह व) ग ुण को जानती है, कौआ नहीं जानता है और हाथी िसंह के बल को जानता है चूहा नहीं जानता है। सि धः-िव छे दो वा पदािन – सि धं / सि धिव छे द िनग ुणो – िनः + ग ुणः िनः + बलः = िनबलः ya समासो-िवग्रहो वा पदािन – समासः / िवग्रहः = समासनामािन ग ुणानाम् अभावः – िनग ुणम् – अ ययीभाव समास िनबलम् – बल य अभावः = अ ययीभाव समास प्रकृित-प्र ययोः िवभाजनम् पदािन – प्रकृितः + प्र ययः id बली – बल + िणिन (इन्) करी = कर् + इन् ग ुणी – ग ुण + िणिन अ यय-पद-चयनम् वा य-प्रयोग च eV अ ययाः = अथाः = वा येष ु प्रयोगः न = नहीं = सः तत्र न गिम यित। च = और = रामः यामः च तत्र गतः। पयायपदािन पदािन = पयायाः वे ि = जानाित वायसः = काकः िनग ुणः = ग ुणहीनः करी = गजः, ह ती बली = बलयु त बलं = शि त िनबलः – बलहीनः 3/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ िवपययपदािन पदािन = िवपययाः ग ुणी = ग ुणहीनः/िनग ुणः करी = करीिण िनग ुणः = ग ुणी िसंह = िसंहनी बली = िनबलः मषू कः = मिू षका वे ि = न वे ि बलम् = शि तहीनम् 3. िनिम मुि य िह यः प्रकु यित, ध् वं स त यापगमे प्रसीदित। अकारण ेिष मन तु य य वै , i कथं जन तं पिरतोषिय यित ॥3॥ rth श दाथाः िनिम म् – कारण। उ े य – उ े य करके ( यान म रखकर)। िह – िनि चत प से। प्रकु यित – अ यिधक क् रोध ध् वं – िनि चत प से। स – वह ( यि त)। त य-उस (कारण) के अपगमे – समा त होने पर। प्रसीदित – प्रस न हो जाता है। अकारण ेिष – िबना कारण के ेष करने वाला। वै – िन चय से। कथं – कैसे। तम् – उसको। पिरतोषिय यित – संत ु ट करेगा। िहंदी अनुवाद ya िन चय से जो िकसी कारण से अ यिधक क् रोध करता है िनि चत प से वह उस कारण के समा त होने (िमट जाने) पर प्रस न भी हो जाता है। पर तु िजसका मन िबना िकसी कारण के िकसी से ेष करता है, (िफर) कैसे मनु य उसे स तु ट करेगा। सि धः-िव छे दो वा पदािन = सि ध / सि धिव छे द िनिम तमुि य = िनिम म् + उि य id त यापगमे = त य + अपगमे मनः + तु = मन तु जनः + तम् = जन तं समासो-िवग्रहो वा eV पदािन = समासः / िवग्रहः – समासनामािन अकारण ेिषमनः = अकारणदृिष त मनः य य सः – बहुव्रीिह समास अकारण = न कारण – नञ् त पु ष समास प्रकृित-प्र ययोः िवभाजनम् पदािन = प्रकृितः + प्र ययः उि य = उत् + िदश् + यप् अ यय-पद-चयनम् वा य-प्रयोग च अ ययाः = अथाः = वा येष ु प्रयोगा: कथम् = कैसे = एतत् कथम् अभवत्? िह = िनि चतम् = उ मेन िह कायािण िस यि त। 4/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ पयायपदािन पदािन = पयायाः िनिम म् = कारणम् ध् वम् = िनि चतम् अपगमे = समा ते सित प्रसीदित – प्रस नः भवित अकारण = कारणरिहतः पिरतोषिय यित = स तु टं किर यित प्रकु यित = अ यिधक क् रोधं करोित जनः = नरः उि य = ल य i मनः = िच म् rth िवपययपदािन पदािन = िवपययाः िनिम म् = अिनिम म् प्रकु यित = हिषतः भवित ध् वम् = अध् वम् अपगमे = प्रार भे सित प्रसीदित = प्रकु यित / अवसीदित ya अकारणम् = कारणसिहतम् जनः = पशुः पिरतोषिय यित = अपिरतोषिय यित उि य = अनुि य / ल यरिहतः 4. उदीिरतोऽथः पशुनािप ग ृ ते, हया च नागा च वहि त बोिधताः। अनु तम यूहित पि डतो जनः, id परेिगत ानफला िह बु यः ॥4॥ श दाथाः उदीिरत: – कहा हुआ। अथः – संकेत/मतलब। ग ृ ते – ग्रहण िकया जाता है। नागा: – हाथी। वहि त – उठाते ह। ले जाते ह। बोिधता: – बताए गए। अनु तम् – िबना कहे। ऊहित – अंदाज़ा लगा लेता है। िह – योंिक िन चय से। eV बु यः – बुि याँ। परेिगत ानफला: – दूसरों के संकेत से उ प न ान पी फल वाली। िहंदी अनुवाद कहा हुआ अथ (मतलब/संकेत) पशु से भी ग्रहण कर िलया जाता है, घोड़े और हाथी भी कहे जाने पर ले जाते ह। िव ान िबना कहे ही बात का अंदाज़ा लगा लेता है, योंिक बुि याँ दूसरों के संकेत से उ प न ान पी फल वाली होती ह। सि धः-िव छे दो वा पदािन = सि ध/सि धिव छे दं उदीिरतोऽथः = उत् + ईिरतः + अथ: पशुनािप = पशुना + अिप हया: + च = हया च नागाः + च = नागा च 5/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ अनु तम यूहित = अन् + उ तम् + अिप + ऊहित पि डतोजनः = पि डतः + जनः परेि गत ानफला = पर + इि गत + ानफला: समासो-िवग्रहो वा पदािन = समासः / िवग्रहः = समास नामािन न + उ तम् = अनु तम् = नञ् त पु ष इि गत ानफलाः = इि गत ानमेव फलं य याः सा, ताः = बहुव्रीिह समास प्रकृित-प्र ययोः िवभाजनम् पदािन = प्रकृितः + प्र ययः बोिधताः = बुध ् + (िणच्) त i ईिरतः = ईर् + त rth उ तम् = वच् + त अ यय-पद-चयनम् वा य-प्रयोग च अ ययाः = अथाः = वा येष-ु प्रयोगः च = और = श्रीकृ णः सुदामा च शैशवात् िमत्रे आ ताम्। पयायपदािन पदािन = पयायाः ya ईिरतः = किथतः पि डतः = िव ान्, बुि मान् इंिगतः = संकेत: पशुना = जानवरेण अनु तम् = न किथतम् पर = अ ये यः हयाः = अ वाः, तुरगाः id उ तम् = किथतम् ऊहित = िनधारणं करोित नागाः = हि तनः, किरणः जनः = नरः ानफला = ानमेव फलं eV िवपययपदािन पदािन = िवपययाः ईिरतः = अनीिरतः ऊहित = अनहू ित जन: = पशुः अनु तम् = उ तम् उ तम् = न किथतम् पि डतः = मखू ः परे यः = वके यः 5. क् रोधो िह शत् ः प्रथमो नराणां, देहि थतो देहिवनाशनाय। यथाि थतः का ठगतो िह वि ः, 6/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ स एव वि दहते शरीरम् ॥5॥ श दाथाः िह – िन चय से। प्रथमः – पहला। देहि थतः – देह म ि थत। देहिवनाशाय – देह के नाश के िलए। यथाि थतः – यथावत् ि थत। का ठगतः – लकड़ी म रहने वाला। वि ः – अि न। दहते – जलाती है। िहंदी अनुवाद िन चय से मनु यों के शरीर म रहने वाला क् रोध शरीर को न ट करने के िलए (उनका) पहला शत् है। जैसे लकड़ी म ि थत आग उसे जलाने का कारण होती है, वही आग शरीर को भी जलाती है। सि धः-िव छे दो वा पदािन = सि धं / सि धिव छे द i वि दहते = वि ः + दहते देहि थतो = देह + ि थतः rth का ठ + गतः = का ठगतो समासो-िवग्रहो वा पदािन = समासः / िवग्रहः = समास नामािन देहे ि थतो = देहि थताः – स तमी त पु ष समास का ठगतो = का ठे गतः – स तमी त पु ष समास देहिवनाशनाय = देह य िवनाशनाय – ष ठी त पु ष समास ya प्रकृित-प्र ययोः िवभाजनम् पदािन = प्रकृितः + प्र ययः ि थतः = था + त गतः = गम् + त अ यय-पद-चयनम् वा य-प्रयोग च अ ययाः = अथाः = वा येष ु प्रयोग: id एव = ही = ई वरः सवत्र एव अि त। पयायपदािन पदािन = पयायाः वि ः = पावकः, अि न, वाला, दाहकः eV दहते = वालयित शुतर् ः = िरपुः, अिरः क् रोधः – कोपः िह = िनि चतम् नराणाम् = मनु याणाम्, जनानाम् िवपययपदािन पदािन = िवपययाः प्रथम = अि तमः नराणाम् = पशन ू ाम् िवनाशनाय = र णाय वि = जलम् 7/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ शत् ः = िमत्रम् क् रोधः = प्रेमः ि थतः = न ि थतः 6. मगृ ाः मगृ ैः स गमनुव्रजि त, गाव च गोिभः तुरगा तुर गैः। ू ा च मख मख ू ैः सुिधयः सुधीिभः, समान-शील- यसनेष ु स यम् ।।6।। श दाथाः मगृ ाः – िहरण। मगृ ैः – िहरणों के (साथ)। सगम् – साथ। अनुव्रजि त – पीछे -पीछे चलते ह। गावः – गाय। गोिभः – गायों के (साथ)। तुरगा: – घोड़े। तुरगैः – घोड़ों के (साथ)। सुिधयः – िव ान लोग। सुिधिभः – िव ानों के (साथ)। i समान-शील- यसनेष ु – समान यवहार- वभावों ( वभाव वालों म)। स यम् – िमत्रता होती है। rth िहंदी अनुवाद मगृ (िहरण) मगृ ों (िहरणों) के साथ पीछे -पीछे चलते ह। गाएँ गायों के साथ, घोड़े-घोड़ों के साथ, मख ू मख ू ों के साथ तथा बुि मान बुि मानों के साथ जाते ह ( योंिक) समान यवहार और वभाव वालों म (पर पर आपसी) िमत्रता होती है। सि धः-िव छे दो वा पदािन = सि धं/सि धिव छे द स गमनुव्रजि त = स गम् + अनुव्रजि त ya गाव च = गावः + च ू ाः + च = मख मख ू ा च तुरगाः + तुर गः = तुरगा तुर गैः पयायपदािन पदािन = पयायाः सुिधयः = बुि म तः id व्रजि त = ग छि त शील = चिरत्र, यवहार सुधीिभः = बुि म तैः स यम् = िमत्रता, मैतर् ी अनु = प चात् eV िवपययपदािन पदािन = िवपययाः सुिधयः = मख ू ाः मखू ाः = बुि म तः, सुिधयः स यम् = अस यम् समान = असमान 7. सेिवत यो महावृ ः फल छायासमि वतः। यिद दैवात् फलं नाि त छाया केन िनवायते ॥7॥ श दाथाः सेिवत यः – सेवन (आश्रय लेने) के यो य है। महावृ ः – महान वृ । फल छायासमि वतः – फल और छाया से यु त। दैवात् – भा यवश। िनवायते – रोकी जाती है। 8/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ िहंदी अनुवाद फल और छाया से यु त महान वृ आश्रय (सहारा) लेने यो य होता है। यिद भा यवश फल न भी हों तो भी छाया िकस के ारा रोकी जा सकती है? अथात् िकसी के ारा नहीं। सि धः-िव छे दो वा पदािन – सि ध / सि धिव छे द फल छायासमि वतः = फल + छाया + समि वतः न + अि त = नाि त समासो-िवग्रहो वा पदािन – समासः/िवग्रहः – समासनामािन महावृ ः – महान् वृ ः। – कमधारय समास i प्रकृित-प्र ययोः िवभाजनम् rth पदािन – प्रकृितः + प्र ययः सेिवत यो – सेव् + त यत् अ यय-पद-चयनम् वा य-प्रयोग च अ ययाः = अथाः = वा येष ु प्रयोगः न = नहीं = वम् तत्र न ग त यम्। यिद = अगर = यिद पिरश्रमी भिव यित तदा सफलतां ल यते। ya पयायपदािन पदािन = पयायाः सेिवत यो = आश्रियत यो दैवात् = भा यात् वृ ः = त ः, मही हः, द् मः िनवायते = िनवारणं िक् रयते समि वत = सिहत id िवपययपदािन पदािन = िवपययाः सेिवत यो = असेिव यः महावृ ः = लघुवृ ः दैवात् = पिरश्रमात् eV छाया = तापं समि वतः = असमि वतः न = आम् अि त = आसीत् 8. अम त्रम रं नाि त, नाि त मल ू मनौषधम्। अयो यः पु षः नाि त योजक तत्र दुलभः ॥8॥ श दाथाः अम त्रम् – मंतर् से रिहत। अ रम् – अ र ( ान)। मल ू म् – जड़। अनौषधम् – औषिध से रिहत। अयो यः – यो यता रिहत। योजक: – जोड़ने वाला। तत्र – वहाँ (उस थान पर)। दुल भः – किठनाई से िमलने वाला। 9/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ िहंदी अनुवाद म त्र से रिहत (हीन) अ र नहीं होता है। जड़ जड़ी-बूिटयों से रिहत नहीं होती है। यो यता से रिहत यि त वा तिवक पु ष (इनसान) नहीं होता है। वहाँ ग ुणों को व तुओ-ं यि तयों से जोड़ने वाला दुल भ होता है। सि धः-िव छे दो वा पदािन = सि ध / सि धिव छे द अम त्रम रं = अम त्रम् + अ रं नाि त = न + अि त मलू मनौषधम् = मलू म् + अनौषधम् योजक: + तत्र = योजक तत्र दु: + लभः = दुल भः i समासो-िवग्रहो वा rth पदािन = समासः / िवग्रहः – समासनामािन अयो यः = न यो यः = नञ् त पु ष समास न रं = अ र = नञ् त पु ष समास पयायपदािन पदािन = पयायाः पदािन = पयायाः अम त्र – म त्रहीन अयो यः = यो यहीन: ya अनौषधम् = औषधहीनः िवपययपदािन पदािन = िवपययाः अयो यः = यो यः दुल भः = सुल भः पु षः = नारी id तत्र = अत्र 9. संप ौ च िवप ौ च महतामेक पता। उदये सिवता र तो र तो चा तमये तथा ॥9॥ श दाथाः eV संप ौ – स पि आने पर। िवप ी – मुसीबत होने पर। महताम् – महान् लोगों की। एक पता – एक जैसी ि थित होती है। उदये – उदय होने पर। सिवता – सूय। र तः – लाल। अ तमये – अ त होने पर। िहंदी अनुवाद धनवान होने अथवा (और) धनहीन होने पर महान् लोगों की एक पता (एक जैसी कायशीलता) होती है। जैसे उदय होते समय पर सूय लाल रंग का होता है तथा अ त होने के समय पर भी लाल रंग का होता है। सि धः-िव छे दो वा पदािन = सि धं / सि धिव छे द महतामेक पता – महताम् + एक पता र ताः + च + तमये = र त चा तमये 10/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ अ यय-पद-चयनम् वा य-प्रयोग च अ ययाः = अथाः = वा येष ु प्रयोगः तथा – वै सा = यथा राजा तथा प्रजा। च = और = रामः यामः च तत्र गतः। पयायपदािन पदािन = पयायाः संप ौ = द्र यौ, धनौ, िव ौ सिवता = सूयः, िमत्रः, भा करः, िदवाकरः। िवपयचयनम् पदािन = िवपययाः i संप ौ = िवप ौ rth एक पता = अनेक पता उदये = अ ते र तः = वे तः सिवता = च द्रः तमः = प्रभातः 10. िविचत्रे खलु संसारे नाि त िकि चि नरथकम्। अ व चेद ् धावने वीरः भार य वहने खरः ॥10॥ ya श दाथाः िविचत्रे – अनोखे। खलु – िन चय से। िकि चत् – कु छ। िनरथकम् – बेकार। चेद ् – यिद। धावने – दौड़ने म। भार य – भार के। वहने – उठाने म। खरः – गधा। िहंदी अनुवाद िन चय से इस िविचत्र (अनोखे) संसार म कु छ भी िनरथक (बेकार) नहीं है। योंिक यिद घोड़ा दौड़ने म उपयोगी (वीर) id होता है तो गधा भार को उठाने म (ढोने) म उपयोगी होता है। सि धः-िव छे दो वा पदािन = सि ध / सि धिव छे द न + अि त = नाि त िकि चि नरथकम् = िकि चत् + न + िनरथकम् eV अ व चेद ् = अ वः + चेत ् समासो-िवग्रहो वा पदािन = समासः/िवग्रहः = समासनामािन भार य वहने = भारवहने = त पु ष समास अ यय-पद-चयनम् वा य-प्रयोग च अ ययाः = अथाः = वा येष ु प्रयोगः खलु = िनि चत = आशा बलवती खलु। पयायपदािन पदािन = पयायाः खलु = िनि चतम् 11/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/ संसारे = लोके खरः = गदभः िनरथकम् = यथम् िवपययपदािन पदािन = िवपययाः खलु = अिनि चतम् वीरः = कायरः िनरथकम् = साथकम् धावने = ि थते i rth ya id eV 12/12 https://www.evidyarthi.in https://www.evidyarthi.in/

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