मासिक गीत - फरवरी PDF

Summary

This is a Hindi poem. It is a short poem with rhyming couplets.

Full Transcript

## मासिक गीत - फरवरी नित्य नयें सुमनों से जिसकी, रहती गोद हरी । जननी तेरी सुंदरता लख, आंखे नहीं भरी ॥ ध्रुव ॥ 1. हिमगिरि विंध्य नीलगिरी माया, सागर मुक्ता अर्ध्य चढ़ाया, गोमुख से हसती इठलाती, गंगा आ उतरी । जननी तेरी सुंदरता लख, आंखे नहीं भरी ।। ध्रुव ।। 2. भोर सहस दल सरसिज डोले, शांत दुपहरी कोकिल...

## मासिक गीत - फरवरी नित्य नयें सुमनों से जिसकी, रहती गोद हरी । जननी तेरी सुंदरता लख, आंखे नहीं भरी ॥ ध्रुव ॥ 1. हिमगिरि विंध्य नीलगिरी माया, सागर मुक्ता अर्ध्य चढ़ाया, गोमुख से हसती इठलाती, गंगा आ उतरी । जननी तेरी सुंदरता लख, आंखे नहीं भरी ।। ध्रुव ।। 2. भोर सहस दल सरसिज डोले, शांत दुपहरी कोकिल बोले, संध्या शत रंगा पर खोले, रजनी छान बिखरी । जननी तेरी सुंदरता लख, आंखे नहीं भरी ॥ ध्रुव ।। 3. मधु ऋतु रस सिंगार खिलाती, शरद तुहिन-लड़िया बिखराती, धूप शिशिर की मन हर्षाति, फागुन की बदरी । जननी तेरी सुंदरता लख, आंखे नहीं भरी ॥ ध्रुव ॥ 4. कौन अभागा प्यार करे ना, तव हित जीयें – और मरे ना, प्राणोंमे स्वर यही रहे मां, गीतों की लहरी । जननी तेरी सुंदरता लख, आंखे नहीं भरी ॥ ध्रुव ॥ नित्य नये सुमनों से जिनकी रहती गोद हरी....

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