Hindi दोहे कबीर, रहीम, तुलसीदास PDF

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hindi poetry ancient indian literature spiritual literature history of indian literature

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This document contains verses and questions about famous Hindi poets Kabir, Rahim, and Tulsidas. The verses and questions focus on important life values from the Hindi language verses. It likely comes from a high school or secondary school textbook.

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# दोहे ## कबीर, रहीम, तुलसीदास प्रस्तुत दोहों में कबीर, रहीम, तुलसी ने बहुत सारी जीवनोपयोगी बातें बताई हैं। प्रस्तुत दोहों में दानप्रियता, संतोष, समानता, अच्छी संगति की महत्ता, विनम्रता, परिश्रम, प्रेम आदि जीवनमूल्यों को निर्देशित किया गया है। ### संत कबीर संत कबीर १५वीं शताब्दी के कवि हैं। आपने...

# दोहे ## कबीर, रहीम, तुलसीदास प्रस्तुत दोहों में कबीर, रहीम, तुलसी ने बहुत सारी जीवनोपयोगी बातें बताई हैं। प्रस्तुत दोहों में दानप्रियता, संतोष, समानता, अच्छी संगति की महत्ता, विनम्रता, परिश्रम, प्रेम आदि जीवनमूल्यों को निर्देशित किया गया है। ### संत कबीर संत कबीर १५वीं शताब्दी के कवि हैं। आपने हिन्दू और मुसलमानों को उनकी गलतियों के लिए फटकारा है और दोनों को हिल-मिलकर रहने का उपदेश दिया है। ### रहीम रहीम पूरा नाम अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना है। आप बड़े उदार और अनुभवी थे। हिन्दी में आपने बोधप्रद दोहे लिखे हैं। ### संत तुलसीदास संत तुलसीदास १६वीं शताब्दी के प्रसिद्ध रामभक्त कवि हैं। आपने 'रामचरित मानस' नामक प्रसिद्ध ग्रंथ लिखा है। ## कबीर (1) साँई इतना दीजिए, जामें कुटुम समाय। मैं भी भूखा ना रहूँ, साधु न भूखा जाय ॥ (2) बिना विचारे जो करे, सो पाछो पछताय। काम बिगाड़े आपनो, जग में होत हँसाय ॥ (3) कबीरा खड़ा बाजार में, माँगे सब की खैर। ना काहु से दोसती, ना काहु से बैर ॥ ## रहीम (1) रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं । उनते पहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं ॥ (2) जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग ॥ (3) बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोले बोल। रहिमन हीरा कब कहै, लाख टका मेरो मोल ॥ ## तुलसी (1) आवत हिय हरषै नहीं, नैनन नहीं सनेह। तुलसी वहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेघ॥ (2) विद्या धन उद्यम बिना, कहौ जू पावे कौन। बिना डुलाये न मिले, ज्यौं पंखा को पौन॥ ## शब्दार्थ कुटुम - कुटुंब, परिवार, खैर - कुशल, नाद - आवाज़, ध्वनि, कुसंग - बुरी संगत, भुजंग - साँप, सर्प, नैनन - आँखों में, हरषै - खुशी, कंचन - सोना, मेह - मेघ, उद्यम - परिश्रम, पौन - पवन, हवा, खानखाना - सरदारों का सरदार, एक उपाधि ## अभ्यास 1. शिक्षक की सहायता से 'दोहों' का भावपूर्ण गान कीजिए। 2. निम्नलिखित शब्दों का अर्थ बताकर उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए : * उद्यम, * प्रकृति, * खैर, * कुसंग, * कंचन, * जपमाला, * दुःख, * भुजंग, * हरषै 3. प्रश्नों के उत्तर दीजिए : * यदि भगवान आपको कुछ माँगने के लिए कहे, तो आप क्या माँगना चाहेंगे ? * अच्छे व्यक्ति की संगति से आपको क्या लाभ हो सकते हैं ? * लोग धर्म के नाम पर कौन-से आड़म्बर करते हैं ? * लोग किन-किन कारणों से भीख माँगते हैं ? ## स्वाध्याय 1. प्रश्नों के उत्तर लिखिए : * कबीर साँई से कितना माँगते हैं ? * बिना सोचे कार्य करने से क्या होता है ? * चंदन और भुजंग के उदाहरण द्वारा रहीम क्या कहते हैं ? * रहीम बड़े लोगों की क्या विशेषता बताते हैं ? * तुलसीदास किसके घर नहीं जाना चाहते ? 2. इस इकाई के दोहों में से आप कौन-से सद्गुण ग्रहण करेंगे? ## 1. निम्नलिखित जवाब मिले ऐसी पहेलियों का निर्माण कीजिए: * तोता * पतंग * चिड़िया ## योग्यता विस्तार * विद्यालय की बालसभा में उक्त कवियों के दोहों पर आधारित 'बाल कवि दरबार' प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए। * इन कवियों के जीवन से जुड़े रोचक / प्रेरक प्रसंगों को सुनाइए। * इन कवियों के अन्य दोहों का संकलन कीजिए। * इन कवियों की अन्य रचनाओं के बारे में जानिए।

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