Music Syllabus (Hindi) PDF
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
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Summary
This document is a syllabus for music, likely for university or higher education. Topics such as Hindi classical music theory, vocal and instrumental performance, and other forms of Indian music are covered. It includes learning units, topics, and further details in the chapters for students. It's beneficial for candidates preparing for music-related exams or furthering their studies in this field.
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## विश्वविद्यालय अनुदान आयोग **नेट-ब्यूरो** ### विषय: संगीत **पाठ्यक्रम** * हिन्दुस्तानी (गायन, वादन और संगीतशास्त्र). * कर्नाटक, अवनद्ध एवं रबीन्द्र संगीत **नोट:** * इकाई – 1, 2, 3, 4 संगीत की सभी विधाओं के लिए * इकाई - 5 से 10 संगीत की विशिष्ट विधाओं के लिए ### इकाई-1 पारिभाषिक शब्दावली : *...
## विश्वविद्यालय अनुदान आयोग **नेट-ब्यूरो** ### विषय: संगीत **पाठ्यक्रम** * हिन्दुस्तानी (गायन, वादन और संगीतशास्त्र). * कर्नाटक, अवनद्ध एवं रबीन्द्र संगीत **नोट:** * इकाई – 1, 2, 3, 4 संगीत की सभी विधाओं के लिए * इकाई - 5 से 10 संगीत की विशिष्ट विधाओं के लिए ### इकाई-1 पारिभाषिक शब्दावली : * संगीत, नाद: आहत एवं अनाहत नाद; श्रुति एवं इसकी पाँच जातियाँ, सप्त वैदिक स्वर, गान्धर्व में प्रयुक्त सप्त स्वर, शुद्ध एवं विकृत स्वर, वादी-सम्वादी-अनुवादी-विवादी, सप्तक, आरोह, अवरोह, पकड़ / विशेष संचार, पूर्वांग-उत्तरांग, औडव-षाडव-सम्पूर्ण, वर्ण, अलंकार आलाप, तान, गमक, अल्पत्व-बहुत्व, ग्रह, अंश, न्यास, अपन्यास, आविर्भाव, तिरोभाव, गीत: गान्धर्व, गान; मार्ग संगीत, देशी संगीत, कुतप, वृन्द, वाग्गेयकार, मेल, थाट, राग, उपांग, भाषांग, मीड़, खटका, मुर्की, सूत, गत, जोड़, झाला, घसीट, बाज, हार्मनी और मेलॉडी, ताल, लय एवं विभिन्न लयकारियाँ, हिन्दुस्तानी संगीत में प्रचलित तालें, सप्त ताल एवं 35 ताल, ताल दश प्राण, यति, ठेका, मात्रा, विभाग, ताली, खाली, कायदा, पेशकार, उठान, गत, परन, रेला, तिहाई, चक्रदार, लग्गी, लड़ी, मार्ग-देशी ताल, आवर्त्तन, सम, विषम, अतीत, अनागत, दस विध गमक, पंच दश गमक, कटपयदी योजना, 12 चक्रों के नाम, बारह स्वरस्थान, नेरवल, संगति, मुद्रा, षड़ांग, अलापना, तानम्, काकु, अकारमात्रिक स्वरलिपियाँ। ### इकाई - 2 लोक संगीत : 1. भारतीय लोक गीतों की उत्पत्ति, विकास एवं वर्गीकरण 2. लोक संगीत की विशेषताएँ 3. लोक संगीत एवं लोक वाद्यों का विस्तृत अध्ययन तथा विभिन्न प्रांतों के लोक कलाकार 4. लोक-संगीत में प्रयुक्त राग एवं ताल 5. भारत में लोक मेला एवं लोक उत्सव ### इकाई - 3 रस एवं सौन्दर्य 1. रस, भरत एवं अन्य विद्वानों के अनुसार रस सिद्धान्त 2. रस-निष्पत्ति एवं भारतीय शास्त्रीय संगीत में इसका अयोग 3. भाव और रस 4. स्वर, लय, ताल ताल, छन्द और शब्द रचना से रस का सम्बन्ध 5. भारतीय एवं पाश्चात्य दार्शनिक के अनुसार सौन्दर्य 6. वात्स्ययान द्वारा निर्दिष्ट चौसठ-कलाओं का सामान्य ज्ञान 7. राग-रागिनी चित्रण एवं राग-ध्यान का सामान्य इतिहास 8. ललित कलाओं का अन्रर्सम्बन्ध ### इकाई - 4 शोध-प्रविधि, संशिक्षा, अन्तरसंबंधत्मक पहलु एवं आधुनिक तकनीक : * शोध प्रविधि एवं संशिक्षा : शोध का क्षेत्र, पूर्व अध्ययन की समीक्षा, उपयुक्त शोध-शीर्षक एवं शोध-समस्या का चयन, संगीत में शोध की प्रविधि, शोध-संक्षिप्तिका तैयार करना, सामग्री-संकलन एवं इसके सूत्र, सामग्री-संकलन का विश्लेषण, शोध परियोजना की रपट लिखना, शोध परियोजना का अनुक्रमण, सन्दर्भ सूची एवं ग्रन्थ सूची इत्यादि। * शोध की दिशाएँ एवं इसके अन्तर्संबंधात्मक पहलु : संगीत और साहित्य, संगीत चिकित्सा, दर्शन शास्त्र, मनोविज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान, धर्म और संस्कृति * आधुनिक तकनीक : इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कम्प्यूटर, इन्टरनेट इत्यादि। * स्वातंत्र्योत्तर-काल में भारतीय संगीत में नयी प्रवृत्तियाँ ### हिन्दुस्तानी संगीत **(गायन, वादन एवं संगीत-शास्त्र)** ### इकाई - 5 प्रयोगात्मक शास्त्र * संगीत की उत्पत्ति का विस्तृत अध्ययन; भारतीय एवं पाश्चात्य संगीत सप्तक; ग्राम, मूच्र्छना एवं चतुःसारणा का विस्तृत अध्ययन; जाति-लक्षण, जाति भेद, राग की परिकल्पना, राग-लक्षण; रागों का वर्गीकरण – 1) ग्राम राग देशी राग, 2) मेल राग वर्गीकरण, 3) थाट-राग वर्गीकरण, 4) शुद्ध, छायालग एवं संकीर्ण राग वर्गीकरण, 5) राग-रागिनी वर्गीकरण, तथा 6) रागांग वर्गीकरण; रागों का समय – सिद्धान्त; प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिक कालीन श्रुतियों पर शुद्ध-विकृत स्वरों की स्थापना; प्रचलित रागों एवं तालों का विस्तृत अध्ययन; हिन्दुस्तानी (पलुष्कर एवं भातखण्डे) एवं कर्नाटक स्वरलिपि पद्धतियाँ, पाश्चात्य स्वरलिपि पद्धतियाँ; गायक के गुण-अवगुण; कर्नाटक एवं हिन्दुस्तानी स्वरों तथा तालों का तुलनात्मक अध्ययन; प्रचलित हिन्दुस्तानी रागों के कर्नाटकी नाम; विभिन्न लयकारियों (दुगुन, तिगुन, चौगुन, आड़, कुआड़ एवं विआड़) का ज्ञान;। ### इकाई - 6 भारतीय संगीत का इतिहास, भारतीय संगीत के शास्त्रज्ञों का योगदान एवं उनकी शास्त्र-परम्परा। * वैदिक काल से आधुनिक काल तक हिन्दुस्तानी संगीत के ऐतिहसिक विकास का अध्ययन; प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिककालीन शास्त्रज्ञों – भरत, नारद, मतंग, सोमेश्वरदेव, जगदेकमल्ल, नान्यदेव, शांरगदेव, पार्श्वदेव, सुधाकलश, महाराणा कुम्भा, रामामात्य, दामोदर पंडित, पंडित अहोबल, श्रीनिवास, हृदयनारायणदेव, व्यंकटमखी, पं. विष्णु दिगम्बर पलुष्कर, पं. विष्णु नारायण भातखण्डे, पं. ओंकार नाथ ठाकुर, आचार्य वृहस्पति, ठाकुर जयदेव सिंह, शरच्चन्द्रश्रीधर परांजपे, भगवत शरण शर्मा, डॉ प्रेमलता शर्मा, डॉ सुभद्रा चौधरी, प्रो. आर सी मेहता, प्रो. प्रदीप कुमार दीक्षित। * प्राचीन, मध्यकालीन तथा आधुनिककालीन ग्रंथों – नाट्य शास्त्र, नारदीय शिक्षा, संगीत मकरन्द, वृद्देशी, मानसोल्लास, संगीत चूड़ामाणि, भरत भाष्य, संगीत रत्नाकार, संगीत समयसार, संगीतोपनिषत्सारोद्धार, संगीतराज, स्वरमेल कलानिधि, संगीत दर्पण, संगीत पारिजात, राग तत्त्व विबोध, हृदयकौतुक, हृदयप्रकाश, चतुर्दण्डीप्रकाशिका, प्रणव भारती इत्यादि का अध्ययन। * भारतीय संगीत के क्षेत्र में पाश्चात्य शास्त्रज्ञों - कैप्टन एन. विलयर्ड, विलियम जॉन्स, कैप्टन सी.आर.डे, ई.क्लेमेन्टस, फॉक्स स्ट्रेंग्वेज, एच. ए. पोप्ले एवं एलेन डेनेल्यू का योगदान। ### इकाई - 7 गेय विधाएँ एवं उनका क्रमिक विकास : * प्रबन्ध, ध्रुपद, धमार, सादरा, ख्याल, तराना, त्रिवट, चतुरंग, सरगम गीत, लक्षण गीत, रागमाला इत्यादि। * ठुमरी, दादरा, टप्पा, होरी, चैती, कजरी इत्यादि। * सुगम संगीत : गीत, ग़जल, भजन इत्यादि। * फिरोजखानी गत, मसीतखानी गत, रज़ाखानी गत, जफ़रखानी गत एवं इसके प्रकार। * जाति, जावलि, कृति, तिल्लाना, रागम्, तानम्, पल्लवी। * गायन एवं वादन की उपर्युक्त विधाओं की उत्पत्ति, विकास एवं प्रस्तुति का अध्ययन। * उपर्युक्त गायन-वादन विधाओं के प्रमुख कलाकार। ### इकाई - 8 भारतीय संगीत वाद्य एवं इसका वर्गीकरण : * प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक काल में भारतीय संगीत वाद्यों का वर्गीकरण * प्राचीन काल में वीणा के विभिन्न प्रकार * वाद्यों के प्रकार – तत् – सितार, सरोद, वायलिन, दिलरूबा, इसराज, सन्तूर, तानपूरा, सुरबहार, गिटार * घन – जलतंरग, घटम्, मुरचंग (मोरसिंग), चिपली, मंजीरा, झांझ, करताल * सुषिर – बाँसुरी एवं इसके प्रकार, शहनाई, नागस्वरम्, हारमोनियम * अवनद्ध – पखावज, तबला, मूंदगम्, कंजीरा, खोल, चंग, नक्कारा, डफ, हुड़का, ढोलक। * हिन्दुस्तानी संगीत में प्रयुक्त होने वाले वाद्यों की उत्पत्ति, विकास, वादन-तकनीक तथा इसके सुप्रसिद्ध कलाकार ### इकाई - 9 संगीत में रचनाकार एवं मंच प्रदर्शक / कलाकार * तानसेन, हरिदास, गोपाल नायक, सदारंग, पं. बालकृष्ण बुआ इचलकरंजीकर, पं. विष्णु दिग़म्बर पलुस्कर, पं. विष्णु नारायण भातखण्डे, उस्ताद फ़ैयाज खाँ, उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ, उस्ताद निसार हुसैन खाँ, उस्ताद अमीर खाँ, पं. ओंकार नाथ ठाकुर, पं. विनायक राव पटवर्धन, पं. नारायण राव व्यास, पं. सी आर व्यास, कृष्ण राव शंकर पंडित, मल्लिकार्जुन मंसूर, श्रीमती गंगूबाई हंगल, केसर बाई केरकर, उ. अब्दुल करीम खाँ, हीरा बाई बड़ोदेकर, सुहासिनी कोरेटकर, पं. बड़े रामदास, सिद्धेश्वरी देवी, बेगम अख्तर, शोभा गुर्टु, गिरिजा देवी, सविता देवी, मोधूबाई कुर्डीकर, किशोरी अमोणकर, कुमार गन्धर्व, पं. जसराज, पं. बलवन्त राय भट्ट, पं. रामाश्रय झा। * असद अली खाँ, पं. लाल मणि मिश्र, अन्नपूर्णा देवी, निखिल बनर्जी, उ. अब्दुल हलीम जाफर खाँ, अली अकबर खाँ, शरण रानी, अमजद अली खाँ, अन्नत लाल, पन्ना लाल घोष, विजय राघव राव, रघुनाथ सेठ, हरि प्रसाद चौरसिया, अहमद पान थिरकवा,, पं. सामता प्रसाद, पं. किशन महाराज, कुदऊ सिंह, पागलदास, बृज भूषण काबरा, विश्व मोहन भट्ट, शिव कुमार शर्मा, भजन सोपोरी, बी.जी.जोग, एन.राजम्, एम. एस. गोपाल कृष्णन, अप्पा जलगाँवकर, महमूद धौलपुरी। * पुरन्दर दास, श्यामाशास्त्री, मुत्तस्वामी दिक्षितर, त्यागराज, स्वाति तिरूनाल। * बाख, बिथोवेन, मोज़ार्ट, येहूदि मेन्यूहिन, जुबिन मेहता। * 'भारतरत्न' से विभूषित कलाकार * मंगेशकर एवं पं. भीमसेन जोशी। * एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, पं. रविशंकर, उस्ताद बिस्मिल्ला खान, लता मंगेशकर एवं पं. भीमसेन जोशी। * फिल्मों में भारतीय शास्त्रीय संगीतज्ञों का योगदान। ### इकाई – 10 हिन्दुस्तानी संगीत में घराना, संस्थागत शिक्षण एवं सम्मेलन * हिन्दुस्तानी संगीत में घराना की उत्पत्ति एवं विकास * संस्थागत शिक्षण-पद्धति एवं हिन्दुस्तानी संगीत में इसका योगदान * ध्रुपद की चार बानियाँ एवं हिन्दुस्तानी संगीत में इसका महत्त्व * ध्रुपद, ख्याल एवं वादन के घरानों का अध्ययन * विभिन्न घरानों की विशेषताएँ एवं उसके प्रमुख कलाकार * ठुमरी का पूरब एवं पंजाब अंग * भारत के प्रमुख शास्त्रीय संगीत सम्मेलन * संगीत के क्षेत्र में प्रमुख राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान * भारत में हिन्दुस्तानी संगीत के प्रमुख शिक्षण संस्थान, अकादमियाँ, प्रसार भारती, गीत एवं नाटक प्रभाग तथा फिल्मों का योगदान। ### कर्नाटक संगीत ### इकाई - 5 अनुप्रयुक्त सिद्धान्त : * सप्तक (भारतीय और पश्चिमी) शुद्ध तथा विकृत स्वर, प्राचीन, मध्य तथा आधुनिक काल में श्रुति, ग्राम का विवरणात्मक अध्ययन, मूर्छणा जाति; प्राचीन काल में जाति लक्षण; राग की संकल्पना प्राचीन से आधुनिक काल तक, राग का वर्गीकरण, राग लक्षण- लोकप्रिय रागों के, मेल – जन्य प्रणाली, कटपयादि और भूत सांख्य, जन्यराग वर्गीकरण, प्राचीन-पालइ-पान प्रणाली, 22 श्रुतियां और उनका स्वरों एवं रागों में वितरण। सूलादि सप्त ताल, 35 तालों की योजना, तालदश प्राण, मार्ग और देसी ताल, तिरपुगड़, षडंग और षोडष्गं के ताल, हिन्दुस्तानी संगीत के महत्त्पूर्ण (राग और ताल)। हिन्दुस्तानी, कर्नाटक और पश्चिमी संगीत में स्वर लिपि प्रणाली (स्टाफ स्वर लिपि)। कण्ठ साधना, वृंदवादन तथा ध्वनिक शास्त्र। ### इकाई - 6 संगीत का ऐतिहासिक परिप्रक्ष्य - विद्वानों और संगीतज्ञयों का योगदान, संगीत शास्त्र * सोमेश्वर - मानसोल्लास, नारदा की नारदीय शिक्षा, संगीत मकरन्द, भरत मुनि, नाट्य शास्त्र, दत्तिला, दत्तिलम, मंतग – बृद्ददेसी, पार्श्व देव संगीत समय सार, सांरग देव- संगीत रत्नाकर, सिम्हभूपाला, नन्यदेव भारत भाष्यम्, लोचनाकवि – राग तरंगिनी, जगदेकमल्ल- संगीत चूड़ामणि; विद्यारण्य संगीत सार, रायमत्य - स्वरमेल कलानिधि, कालिंदी, * राणा कुंभ - संगीत राजा, सोमनाथ – राग विबोध, अहोबला- संगीत परिजात, गोविन्द दीक्षित – संगीत सुधा नादमुनी पंडितर – स्वर प्रस्तार संगृह * वेंकारामखी – चतुदण्डी प्रकाशिका, तुलजा संगीत सारामृत, गोविन्दाचार्य संग्रह चूडामणि, सुब्बाराम दीक्षितर – संगीत सम्प्रदाय प्रदर्शिनी * अब्राहम पण्डितर-करूणामृदा सागारम, कृष्ण पिशारोटी – संगीत चंद्रिका में आए सांगीतिक अवधारणाओं के संदर्भ, एवं तेलगु, आटूर, टैमिल, मलयालय, कन्नडा में प्रमुख ग्रन्थ। * शिल्पपत्तीकरम, संगम पुस्तकों, पार चमारबू, ताल समुद्रम्, महाभारत चूडामणि * संगीतज्ञ * वी.एन भातखंडे, वी.डी. पलुस्कर, प्रजनानंद, बी.सी. देवा, प्रेमलता शर्मा, एस सीता, राघवन, सत्यनारायणा, टी.एस पार्थसारथी- एन रामनाथन, एस ए के दुर्गा, बी.सी.देव, साम्बमूर्ती, बालान्त्रपु रजनी कान्त राऊ, आर.सी.मेहतो और उनके कृतियाँ * आर.सी.मेहता, बाला न्तरप्पु रजनी कान्त राव और उनकी कृतियाँ * भारतीय संगीत को पश्चिमी विद्वानों की देन; कर्ट सैक्स, एन. ए. विलयरड, विलियम जोनस, सी.आर.डे, ई. क्लीमेट्स, फॉक्स स्ट्रैडांवेड़ा, एच.ए. पोप्ले और अलेन डेनिलो। ### इकाई – 7 प्रबन्ध की विधाएँ और उनका क्रमिक विकास * प्रबन्ध का उद्भव और विकास, गीतम्, स्वर जति, जति स्वरम्, तान वर्णम, पद वर्णम, कीर्तन, कृति, पझें, ज्वालि, तिल्लन; राग, तानम्- पल्लवी, निरवल, कल्पना स्वर, तेवारम्, दिव्य प्रबन्धम्, तिरप्पुगज़, थाया, राग मलिका, विरूतम्, दण्डकम्, चूर्णिका, श्लोक, दारू, अष्टपदी, तरगंम्, थीरोवायमोखी, तिरूप्पावाय, छिंद, तिरूवासगम, ग्रुप कृतियाँ। * गेय नाटक – नृत्य नाटक * हिन्दुस्तानी सांगीतिक विधाएँ : ध्रुपद, धमार, ख्याल, तराना, त्रिवट, चतुरंग, ठुमरी, टप्पा, वृंदगान। ### इकाई - 8 भारत के संगीत वाद्य * संगीत वाद्यों के वर्गीकरण संबंधी भारतीय अवधारणा। * उद्भव, क्रमिक विकास और वाद्य को बजाने की तकनीक, वीणा, तम्बूरा, वायलन, चित्रवीणा, वायोला, मेडोलिन, बांसुरी, नादस्वरम् * पंचमुखा वाद्य, मृदंगम्, तविल, कंजीरा, डप्पु, चन्डा, मद्दलम, तिमिला, जलतंरग, धटम, मोरसिंग, छिपला, जालरा, कर्तला तथा अन्य ताल वाद्य * संक्षिप्त विवेचन * सितार, सारंगी, सरोद, शहनाई, तबला, पखावज, प्यानों, गिटार, क्लैरनट ### इकाई - 9 संगीत वागयकार / कलाकारों (भारतीय और पाश्चात्य) का योगदान * तवारम्, आलवार, जयदेव, दस कूटा, पुरन्दरदास, तालपक्कम् अन्नमाचार्य, भद्राचलराम दास, अरूणागिरीनाथ, मुत्तुतान्डवर, मरीमुट्टुपिल्लेय, अरूणाचल कविरयार, संगीता मममूर्ति-श्यामा शास्त्री, त्याग राजा, मत्तुस्वामी दीक्षीतर, स्वाति तिरूनाल, गोपाल कृष्ण, भारती, तंजौर चतुष्ट, पट्टणम्सुब्रमन्य आययर और त्रयी स्वकारों के पश्चात होने वाले अन्य स्वरकारष। * अरियाकुड़ी रामानुज आयंगर, मूसीरी सुब्रामन्यम्, जी.एन. बालासुब्रामन्यम, महाराजपुरम विश्वनाथ आयर, समनगुड़ी श्री विश्वनाथ आयर, छंबई वैद्यनाथ भागवतार, के.वी. नारायण स्वामी, एम.डी. रामनाथन, आर के श्रीकंठन्, एम. बाल मुरली कृष्ण, एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी, डी. के पट्टमल, एम. एल बसन्तकुमारी, वृंदा, मुक्ता और अन्य प्रमुख गायक। * कराइकुड़ी, करै कुडी संभा शिव अय्यर, वीणा धन्नामल्ल, एस. बालाचन्द्र, मैसुर दोराई स्वामी अय्यर, चित्ती बाबू, लालगुडी जयरामन * मैसुर चौडैया, ध्वारम् वैंकटा स्वामी नायुडू, टी.एन. कृष्णन, एम.एस. गोपाल कृष्णन्, टी.आर महालिगंम्, एन. रमणी, शेख चीन्ना मौलना, अम्बलपुजाभाई, नामगिरि पेट्टई कृष्णन्, पालाधाट मणिअय्यर, पलनी सुब्रामनियम् तथा अन्य वीणा, वायलन, बांसुरी, नास्वरम्, मृदंग्म्, घटम, कंजीरा के प्रमुख कलाकार। ### इकाई - 10 प्रमुख बानियां, संगीत प्रशिक्षण, शिक्षा तथा प्रचार-प्रसार * गुरूकुल सम्प्रदाय के गुण और सीमाएं, विश्वविद्यालयों में संस्थागत प्रशिक्षण और शिक्षण प्रणाली। * नादस्वम् बाणी, तंजावुर शैली मृदंग बानी – तंजावुर पुदुककोटाई, पालककाडु घन्नमाल स्कूल की बानियां। * अरियाकुडी बानी, मूसीरी, जी.एन.बी, महाराजापुरम्, छंबाई और सेम्मनगुडी * संगीत त्रिमूर्ति की शैली, और उनके रागों का विश्लेषण, विभिन्न सांगीतिक रूपों के साथ बंदिशें। * संगीत अकादमियों द्वारा संगीत का प्रसार, प्रसार भारती, सौंग एण्ड ड्रामा डिविजन, फिल्म, संगीतोत्सव तिरूवाययारू, छंबाई, मेलाटूर इत्यादि। * कर्नाटक संगीत पर अन्य संगीत प्रणालियों का प्रभाव-हिन्दुस्तानी और पाश्चान्य * भारतीय संगीत के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान ### अवनद्ध वाद्य ### इकाई - 5 प्रयोगात्मक शास्त्र-ताल एवं अवनद्ध वाद्य * तबला एवं पखावज वाद्यों पर बजने वाले वर्ण, उनकी वादन विधि एवं वर्ण संयोग से बनने वाले शब्द समूहों का विस्तृत अध्ययन। ताल के दश प्राणों का विस्तृत विवेचन। मार्ग एवं देशी ताल पद्धतियों का विस्तृत अध्ययन। कर्नाटक ताल पद्धति का सामान्य ज्ञान। उत्तर भारतीय ताल पद्धति का विस्तृत ज्ञान तथा उत्तर भारतीय संगीत में प्रयुक्त तालों की जानकारी। रबीन्द्र संगीत में प्रयुक्त होने वाले तालों का संक्षिप्त अध्ययन। * लय और लयकारी का विस्तृत अध्ययन। हिन्दुस्तानी एवं कर्नाटक तालांकन पद्धतियों का विस्तृत ज्ञान। * स्टाफ नोटेशन पद्धति का सामान्य ज्ञान * शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, वाद्य संगीत एवं कथक नृत्य के साथ तबला संगति। ताल और छन्द का अंतःसम्बन्ध। विभिन्न मात्राओं में तिहाइयाँ बनाने का ज्ञान। तिहाईयों का विस्तृत अध्ययन – दमदार, बेदम, नौहक्का, चक्रदार तिहाइयां। साधारण, फर्माइशी एवं कमाली चक्रदारों का गणितीय विवेचन। चक्रदार-गत, चक्रदार टुकड़ा एवं चक्रदार परनों के अंतर का ज्ञान। * आचार्य बृहस्पति द्वारा दिये गये बत्तीस तिहाइयों के चक्र का ज्ञान। ### इकाई - 6 भारतीय संगीत – इतिहास, ग्रंथ एवं संगीत-विद्वानों का योगदान * भरत, शारंगदेव, मंतग, पार्श्वदेव, नान्यदेव, रामामात्य, सोमनाथ, दामोदर पंडित, अहोबल, वेंकटमखी, वि.ना. भातखण्डे, वि.दि. पलुस्कर, पुण्डरीक विठ्ठल, सुभद्रा चौधरी, निखिल घोष, मधुकर गणेश गोड़बोले, स्वामी पागलदास, पुरूषोत्तमदास पखावजी, गिरीशचन्द्र श्रीवास्तव, भगवत शरण शर्मा, प्रो. सुधीर कुमार सक्सेना, डॉ. अबान मिस्त्री, डॉ. योगमाया शुक्ला, अरविन्द मुलगांवकर, सुधीर माईणकर, अरूण कुमार सेन, छोटेलाल मिश्रा। * ग्रंथ :- नाट्यशास्त्र, संगीत रत्नाकर, बृहद्देशी, संगीत समय सार, संगीत राज, अष्टोत्तरशतताल लक्षणम्, भारतीय संगीत वाद्य, तबले का उद्गम, विकास एवं वादन शैलियां, भारतीय तालों का शास्त्रीय विवेचन, पखावज एवं तबले के घराने एवं परम्परायें, तालकोश तबला वादन – कला एवं शास्त्र, 'तबला', भारतीय तालों में अनेकता में एकता, एस्थेटिक्स ऑफ तबला। तबला पुराण, ताल वाद्य परिचय, तबला ग्रन्थ मंजूषा, लय ताल विचार मंथन, तबला वादन में निहित सौंदर्य, सोलो तबला ड्रमिंग ऑफ नार्थ इंडिया, तबला ऑफ लखनऊ, ताल वाद्य शास्त्र, भारतीय संगीत में ताल, छंद एवं रूप विधान। ### इकाई - 7 अवनद्ध वाद्यों में प्रयुक्त होने वाली रचनाओं का विस्तृत अध्ययन * बंदिश की परिभाषा - बंदिशे, (विस्तारशील एवं अविस्तारशील बंदिशें), बंदिशों का सौन्दर्य, प्रस्तुतिकरण की विशेषता। * ठेका, पेशकार, कायदा, कायदे के प्रस्तार एवं पल्टे, बाट, रेला, रौ, टुकड़ा, मुखड़ा, गत एवं उसके विभिन्न प्रकार रंगरेला, फ़र्द, परन, तिहाईयां और उनके प्रकार, विभिन्न घरानों की गतें और उनके कायदे, लग्गी-लड़ी। * शास्त्रीय, उपशास्त्रीय गायन एवं वाद्यों में प्रचलित रचनाओं का अध्ययन – ख़्याल, मसीतखानी गत, रजाखानी गत, ठुमरी, दादरा, टप्पा, कजरी, चैती, ध्रुपद, धमार, सादरा, झूला, भजन, ग़ज़ल, गीत। * कथक नृत्य की रचनाओं का सामान्य ज्ञान – आमद, परन, ततकार, तोडा, स्तुतिपरन। ### इकाई - 8 भारतीय संगीत वाद्यों का वर्गीकरण, प्राचीन काल से वर्तमान तक के वाद्यों की जानकारी * भरत, शारंगदेव तथा डॉ. लालमणि मिश्र के विवेचन के आधार पर भारतीय संगीत वाद्यों का वर्गीकरण। * उत्पत्ति, विकास, बनावट एवं वादन तकनीक के आधार पर निम्नलिखित वाद्यों का विस्तृत अध्ययन : – * अ) तत वाद्य – वीणा, विचित्र वीणा, नारदीय वीणा, सरस्वती वीणा, रूद्ध वीणा, सितार, सरोद, सांरगी, वायलिन, दिलरूबा, इसराज, संतुर, सुरबहार, तानपुरा, गिटार, एकतारा, दोतारा। * आ) सुषिर वाद्य – बांसुरी (फ्लूट), शहनाई, नागस्वरम्, क्लेरोनेट, अलगोजा, सुन्दरी, मागुटी। * इ) अवनद्ध वाद्य – पणव, पटह, मृदंग, पखावज, तबला, मंदृगम्, तविल, खंजरी, खोल, चेन्डा, चंग, उपंग, डफ, नक्करा, ढोल, ढोलक, संबल, ढोलकी, नाल, हुडुक्का, पुंग। * ई) घन वाद्य – जलतंरग, नालतंरग, घटम, मोरसिंग, चिपली, जालरा, करताल, झांझ, मंजीरा। * पाश्चात्य संगीत में प्रचलित लोक प्रिय अवनद्ध वाद्य एवं घनवाद्य - कीटलड्रम, स्नेयरड्रम, बासड्रम, टेनरड्रम तथा अन्य प्रमुख वाद्य। ### इकाई - 9 कलाकार तथा रचनाकार – (अवनद्ध वाद्यों के विशेष संदर्भ में) * तबला – नत्थू खां, मोदू खां, बख्शू खां, आबिद हुसैन खां, हाजी विलायत अली, सलारी खां, चूडिया इमाम बख्श, राम सहाय, मुनीर खां, हबीबुद्दीन खां, अहमदजान थिरकवा, अमीर हुसैन, जहाँगीर खां, शेख दाउद, बड़े मुन्ने खां, करामतुल्ला खां, अल्लारखा खां, ज्ञान प्रकाश घोष, निखिल घोष, गामा महाराज, किशन महाराज, कण्ठे महाराज, सामता प्रसाद (गुदई महाराज), अनोखे लाल मिश्रा, भाई गायतोण्डे, पंढरीनाथ नागेशकर, सुरेश तलवलकर, हशमत अली खां, ज़ाकिर हुसैन एवं समकालीन तबला - पखावज विद्वान तथा गुरू। * पखावज – कुदउसिंह, जोधसिंह, नाना पानसे, अयोध्या प्रसाद, पागल दास, छत्रपति सिंह, अर्जुन शेजवाल, माधवराव अलकूटकर, सखाराम। * नक्कारा वादक – दिलावर ख़ान, अत्तन ख़ान। * ढोलक वादक – बफाती ख़ान, गुलाम जाफ़र * ढोलकी वादक – विजय चौहान * कर्नाटक संगीत – गायक एवं वादक * भारत रत्न सुब्बलक्ष्मी, एस.बालचन्दर, बालमुरली कृष्णन, लालगुड़ी जयरामन, टी.एन.कृष्णन, पालघाट रघु, पालघाट मणिअय्यर, उमयालपुरम शिवरामन, यू. श्रीनिवासन, विक्कू विनायक राम, हरि शकंर। * उत्तर भारतीय गायक एवं वादक * अल्लाउद्दीन खां, विलायत खां, रविशंकर, अब्दुल हलीम जाफ़र, बलराम पाठक, निखिल बनर्जी, हाफ़िज अली खां, अली अकबर खां, आमजद अली खां, वी.जी.जोग